अभिनेत्री कंगना के दफ्तर तोड़फोड़ मामले में संजय राउत को पार्टी बनाने पर कोर्ट से मिली सहमति

अभिनेत्री कंगना रौनत के दफ्तर में तोड़फोड़ के मामले के बांबे हाईकोर्ट ने शिवसेना प्रवक्ता व सामना के संपादक संजय राउत को अभियोजित पार्टी बनाने की इजाजत दी हैं। अभिनेत्री को कोर्ट ने बीएमसी के अधिकारी भाग्यवंत लाते को भी पार्टी बनाने के लिए सहमति दी है।

बता दें कि संजय राउत ने कथित तौर पर अभिनेत्री को उखाड़ के रख दूंगा और उखाड़ दिया जैसे वाक्य कहे थे और कंगना ने इसे उन्हें धमकाने की कोशिश बताया था। पिछले नौ सितंबर को बीएमसी ने कंगना के बांद्रा स्थित ऑफिस के कुछ हिस्सों को अवैध बताकर तोड़ दिया था। हाई कोर्ट में कंगना ने बीएमसी की कार्रवाई को रोकने की मांग की थी, लेकिन यथास्थिति बनाए रखने का फैसला आने से पहले ही उनके ऑफिस में तोड़फोड़ की कार्रवाई कर दी गई। इसलिए कंगना ने अपनी याचिका में संशोधन करके बीएमसी से 2 करोड़ रुपये के मुआवजा की मांग की। इसके बाद बीएमसी ने अपने जवाब में दावा किया कि कंगना की याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है, इसीलिए अभिनेत्री की याचिका खारिज करके उन पर जुर्माना लगाना चाहिए।

हाई कोर्ट की डिविजन बेंच में सुनवाई के दौरान मंगलवार को बीएमसी के वकीलों ने कहा कि अभिनेत्री ने बीएमसी के हलफनामे के जवाब में जो प्रत्यत्तर (रिजॉइन्डर) दिया है, उसका जवाब देने की हमें मोहलत दी जाए। बीएमसी की वकीलों की अपील को जस्टिस एस जे कथावाला और जस्टिस आर आई चागला की बेंच ने स्वीकार कर लिया। कंगना के वकील रिजवान सिद्दीकी और बीरेंद्र सराफ ने हालांकि बीएमसी के वकीलों द्वारा अतिरिक्त समय मांगे जाने का विरोध किया। सराफ ने कहा कि तोड़फोड़ में शामिल अधिकारियों ने कथित अवैध निर्माण की कुछ और फोटो मंगलवार को कोर्ट में जमा किए हैं, यह केस को लटकाने की रणनीति है।

अपने रिजॉइन्डर में कंगना ने कहा कि नोटिस में बीएमसी ने उनके बंगले में चल रहे हुए कथित अवैध निर्माण की एक ही तस्वीर दी थी, जिससे साफ है कि बीएमसी का आरोप झूठा है। संजय राउत द्वारा मौखिक रूप से श्धमकानेश् के सबूत जो कंगना ने कोर्ट में जमा किए थे, उसकी ओर इशारा करते हुए जस्टिस कथावाला ने पूछा कि क्या वह शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता को भी अभियोजित करना चाहती हैं?

शुरू में सराफ, संजय राउत को अभियोजित करने को लेकर इच्छुक नहीं दिखे और कहा कि वह चाहते हैं कि शिवसेना प्रवक्ता को आरोपों पर खुद को डिफेंड करने का मौका मिलना चाहिए, पर बाद में उन्होंने सहमति दे दी। इसके बाद कोर्ट ने बीएमसी अधिकारी भाग्यनवंत लाते को भी पार्टी बनाने की इजाजत दे दी, जिन्होंने बीएमसी की तरफ से हलफनामा दाखिल किया था। कोर्ट ने बीएमसी से यह भी पूछा कि तोड़फोड़ के लिए वर्ष 2012 का सर्कुलर लागू करने की जरूरत क्यों पड़ी। इस सर्कुलर के मुताबिक, 24 घंटे में किसी अवैध निर्माण में तोड़फोड़ तभी की जा सकती है, जब इसमें रहने वाले या किसी अन्य की जिंदगी खतरे में हो।

हाई कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में किसकी जिंदगी खतरे में थी, जो 8 सितंबर को नोटिस भेजने के बाद बीएमसी के अधिकारियों ने 9 सितबंर को तोड़फोड़ की कार्रवाई कर दी। कोर्ट ने बीएमसी से पूछा कि डिजायनर मनीष मल्होत्रा को भी उसी दिन मुंबई नगरपालिका कानून के 354(ए) के तहत नोटिस भेजा गया था, उस मामले की क्या स्थिति है। दरअसल, कंगना ने अपने रिजॉइन्डर में कहा था कि मनीष मल्होत्रा को जवाब देने के लिए सात दिनों की मोहलत दी गई, जबकि उनके साथ ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यह साबित करता है कि बीएमसी की कार्रवाई दुर्भावना से ग्रसित थी।

महाराष्ट्र का सियासी संग्राम पर बनी है सबकी नजर, गेंद राज्यपाल के पाले में

महाराष्ट्र में कोरोना संकट के बीच नया संवैधानिक संकट खड़ा होने के आसार बन रहे है। राज्यपाल कोटे से एमएलसी मनोनीत होने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इंतजार कर रहे हैं। लेकिन महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से फैसला नहीं लिया गया है। हालांकि महाराष्ट्र के सियासी अतीत पर नजर डालें तो पहले भी मंत्री बनने के बाद मनोनीत कोटे से एमएलसी बनते आ रहे है।
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को राज्यपाल के मनोनीत कोटे से एमएलसी बनाने के लिए कैबिनेट ने प्रस्ताव भेजा है। राज्य में इससे पहले दत्ता मेघे और दयानंद महास्के को भी मंत्री बनने के बाद राज्यपाल विधान परिषद के लिए मनोनीत कर चुके हैं। आम तौर पर राज्यपाल कोटे से एमएलसी मनोनीत करने के लिए कुछ योग्यताएं होनी जरूरी हैं। महाराष्ट्र विधान परिषद की बात करें तो यहां कुल 78 सीटें हैं। इनमें से 66 सीटों पर निर्वाचन होता है, जबकि 12 सीटों के लिए राज्यपाल कोटे से मनोनीत किया जा सकता है।
30 सदस्यों को विधानसभा के सदस्य यानी एमएलए चुनते हैं। 7-7 सदस्य स्नातक निर्वाचन और शिक्षक कोटे के तहत चुने जाते हैं। इनमें राज्य के सात डिविजन मुंबई, अमरावती, नासिक, औरंगाबाद, कोंकण, नागपुर और पुणे डिविजन से एक-एक सीट होती है। इसके अलावा 22 सदस्य स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत चुने जाते हैं।
अब बात करते है राज्यपाल के मनोनीत कोटे की। इस कोटे के तहत विधान परिषद के 12 सदस्य चुने जाते हैं। इनमें साहित्य, विज्ञान, कला या कोऑपरेटिव आंदोलन और समाज सेवा का काम करने वाले विशिष्ट लोग आते हैं। संविधान के मुताबिक उद्धव ठाकरे को कला के आधार पर महाराष्ट्र विधान परिषद के लिए राज्यपाल की ओर से मनोनीत किया जा सकता है, क्योंकि वह एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर रह चुके हैं।
राजनीति से इतर उद्धव की पहचान एक फोटोग्राफर के रूप में भी रही है। उन्होंने चैरंग नाम की एक विज्ञापन एजेंसी भी स्थापित की। उन्हें फोटोग्राफी का शौक है और उनके द्वारा महाराष्ट्र के कई किलों की खींची गई तस्वीरों का संकलन जहांगीर आर्ट गैलरी में है। उन्होंने महाराष्ट्र देश और पहावा विट्ठल नाम से चित्र-पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं।
उद्धव फिलहाल विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। 28 नवंबर 2019 को उन्होंने सीएम की शपथ ली थी। लिहाजा उन्हें शपथ ग्रहण के छह महीने के भीतर यानी 28 मई से पहले विधानसभा या विधानपरिषद के सदस्य के रूप में निर्वाचित होना जरूरी है। अब देखना है कि उद्धव ठाकरे को एमएलसी मनोनीत करने पर राज्यपाल जल्द फैसला लेते हैं या 27 मई के बाद उन्हें कुर्सी छोड़नी होगी?