भारी बारिश के दृष्टिगत राज्य सरकार ने जारी किए आपदा राहत दूरभाष नम्बर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रदेश में बीते दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश के कारण राज्य के विभिन्न स्थानों एवं हिमाचल प्रदेश में फंसे उत्तराखण्ड के नागरिकों की सहायता के लिए राज्य सरकार द्वारा आपदा राहत नम्बर जारी किए गए हैं।
प्रदेश के विभिन्न जिलों में रविवार से हो रही भारी बारिश के चलते कई जिलों में नुकसान हुआ है और जगह-जगह पर लोग फंसे हुए हैं। सीमावर्ती हिमाचल प्रदेश में भी बारिश से जन जीवन अस्त व्यस्त हुआ है। हिमाचल में भी उत्तराखंड के तमाम लोग फंसे हुए हैं। इन परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए उत्तराखंड सरकार की ओर से आपदा राहत नंबर जारी किए गए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आमजन से अपील और अनुरोध किया है कि प्रदेश के सभी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के दृष्टिगत समस्त प्रदेशवासियों एवं तीर्थयात्री अनावश्यक यात्रा करने से बचें। उन्होंने कहा कि वे स्वयं राज्य आपदा कंट्रोल रूम तथा जिलाधिकारियों से सभी जनपदों से सड़क मार्ग एवं बारिश की स्थिति के बारे में जानकारी ले रहे हैं। इसके अलावा, समस्त जनपदों में ज़िला प्रशासन एवं एसडीआरएफ को हाई-अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं।
सहायता हेतु निम्न नंबरों पर लोग कर सकते हैं संपर्क
9411112985, 01352717380, 01352712685, इसके अतिरिक्त व्हाट्सएप नंबर- 9411112780 पर भी लोग मैसेज कर सकते हैं।

भारत सरकार के सीबीआरआई द्वारा प्रभावितों की स्वयं की सुरक्षित भूमि पर प्री फैब हट निर्माण पर मिली सहमति

सचिव आपदा प्रबन्धन डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने आज जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव एवं भूस्खलन के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे राहत एवं बचाव, स्थायी/अस्थायी पुनर्वास आदि से सम्बन्धित किये जा रहे कार्याे की मीडिया को जानकारी दी। बताया कि राज्य सरकार की ओर से प्रति परिवार विस्थापन हेतु अग्रिम के रूप 125 परिवारों को 187.50 लाख रूपये की धनराशि वितरित कर दी गयी है। भारत सरकार के स्तर पर सी0बी0आर0आई0 द्वारा विस्थापितों की स्वयं की सुरक्षित भूमि पर प्री फैब हट में सहायता दी जा रही है। प्रशासन द्वारा शीतलहर को देखते हुए नगर पालिका जोशीमठ में 10 स्थानों पर अलाव जलाये गये हैं। राहत शिविरों में हीटर की व्यवस्था की गई है।

सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि राहत शिविरों की क्षमता में वृद्धि करते हुए अस्थायी रूप से जोशीमठ में कुल 615 कक्ष/कमरे है जिनकी क्षमता 2190 लोगों की है तथा पीपलकोटी में 491 कक्ष/कमरे है जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। प्रभावितों को वितरित राहत राशि के तहत प्रति परिवार 5000 रूपये की दर से घरेलू राहत सामग्री हेतु अभी तक कुल 73 ( कुल 3.65 लाख रूपये ) प्रभावितों को वितरित की गई है। तीक्ष्ण / पूर्ण क्षतिग्रस्त भवन हेतु 10 प्रभावितों को 13.00 लाख रूपये धनराशि वितरित की गई है। मकान किराये के लिए 10 लोगों ने आवेदन किया है।

सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि अभी तक 782 भवनों की संख्या जिनमें दरारें दृष्टिगत हुई है। उन्होंने जानकारी दी कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र / वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 148 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 223 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये है। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 754 है।

प्रेस वार्ता में अपर सचिव आपदा प्रबन्धन, निदेशक उत्तराखण्ड भूस्खलन प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण संस्थान, प्रभारी अधिकारी पीआईबी, निदेशक वाडिया संस्थान, निदेशक आईआईआरएस देहरादून, निदेशक एनआईएच तथा निदेशक आईआईटीआर उपस्थित थे।

बादल फटने के बाद देवप्रयाग की कई इमारतों को नुकसान

उत्तराखंड के देवप्रयाग के ऊपरी क्षेत्र में मंगलवार देर शाम मूसलाधार बारिश के बाद बादल फट गया। बादल फटने से क्षेत्र में गदेरा उफान पर आ गया, कई दुकानें और मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। वहीं, आईटीआई का भवन भी ध्वस्त हो गया।

गनीमत रही कि कोविड कर्फ्यू के चलते दुकानें बंद थी, जिससे अभी तक कोई जनहानि की कोई सूचना नहीं है। प्रदेशभर में मौसम का मिजाज बदला हुआ है। एक ओर जहां ऊंची चोटियों पर बर्फबारी का क्रम बना हुआ है तो वहीं पहाड़ों में तेज बारिश का सिलसिला जारी है। मैदानी इलाकों में भी मौसम रंग बदल रहा है। भारी बारिश के चलते देवप्रयाग में बादल फटने से काफी नुकसान हुआ है। मंगलवार शाम करीब पांच बजे दशरथ आंचल पर्वत पर बादल फटा। जिससे शांता गदेरा उफान पर आ गया। मलबा आने से देवप्रयाग मुख्य बाजार में भी दस दुकानों को नुकसान हुआ है। संगम बाजार का रास्ता भी बंद हो गया है। कोरोना कर्फ्यू के कारण इस क्षेत्र में लोगों की आवाजाही बंद थी। अभी तक किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है। फिलहाल, एसडीआरएफ की टीमें घटनास्थल की तरफ बढ़ रही है।

रणनीति बनाकर आपदा की रिपोर्ट देगी संयुक्त कमेटी

जोशीमठ, चमोली के ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आयी आकस्मिक बाढ़ एवं आपदा के सम्बन्ध में सदस्य राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एन.डी.एम.ए.) सैय्यद अता हसनेन व राजेन्द्र सिंह की संयुक्त अध्यक्षता में देशभर के महत्वपूर्ण तकनीकी और अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संयुक्त बैठक आयोजित की गयी।

सभी वैज्ञानिकों ने जनपद चमोली में आई प्राकृतिक आपदा तथा उत्तराखण्ड में आने वाली अन्य आपदाओं से बेहतर तरीके से निपटने की रणनीति और विभिन्न संस्थानों के बेहतर समन्वय से विकास और पर्यावरण के मध्य संतुलन स्थापित करने के सम्बन्ध में व्यापक विचार-विमर्श किया गया तथा महत्वपूर्ण सुझाव आदान-प्रदान किये गये।

विचार-विमर्श में तय किया गया कि विभिन्न संस्थानों की एक संयुक्त कमेटी बनायी जाय जो हिमालय में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम और पर्यावरण के संरक्षण के सम्बन्ध में गहन अध्ययन करते हुए उत्तराखण्ड सरकार को अपनी रिपोट प्रस्तुत करेंगे साथ ही प्राकृतिक आपदा के निपटने के लिए उत्तराखण्ड सरकार को हर तरह की तकनीकि व अन्य प्रकार की मदद प्रदान की जायेगी।

इस दौरान मुख्य सचिव उत्तराखण्ड ओम प्रकाश ने राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण और बैठक से जुड़े संस्थानों को अवगत कराया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में बनी प्राकृतिक झील को तुड़वाने के लिए लगातार संतुलित तरीके से काम किया जा रहा है। उन्होंने उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र (यूसैक) के निदेशक डॉ. एम.पी. बिष्ट की रिपोर्ट का हवाला दते हुए कहा कि कुछ दिन पूर्व प्राकृतिक झील से केवल एक ओर से पानी की निकासी हो रही थी किन्तु सैटेलाइट के ताजा आंकड़ों के अनुसार अब तीन ओर से झील से पानी के निकासी हो रही है जिससे किसी भी प्रकार के संकट की कोई संभावना नहीं है।

मुख्य सचिव ने इस दौरान नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, राज्य आपदा मोचन बल (एस.डी.आर.एफ.), आई.टी.बी.पी. और युसैक के निदेशक को संयुक्त रूप से झील वाले क्षेत्र की रेकी करते हुए उनको रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।

इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में अतिरिक्त सचिव भारत सरकार डॉ. वी. त्रिपुगा, संयुक्त सचिव रमेश कुमार दन्ता सहित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आई.एम.डी), वाडिया भूविज्ञान संस्थान, आई.आई.टी. रूड़की, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एन.आई.एच.), भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान, रक्षा भू-भाग अनुसंधान प्रयोगशाला (डी.टी.आर.एल.), एन.टी.पी.सी. आदि विभाग और संस्थान बैठक से जुड़े हुए थे।

टनल से 12 शव बरामद, जारी है रेस्क्यू अभियान

जनपद के तपोवन आपदा प्रभावित क्षेत्र में आज भी राहत एवं रेस्क्यू कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। रविवार को अलग अलग स्थानों से 12 लोगों के शव बरामद किए गए। तपोवन टनल में 5 शव तथा रैणी क्षेत्र में 7 शव बरामद किए गए। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया निरंतर स्थलीय निरीक्षण कर सर्च आप्रेशन का जायजा ले रही है।

उन्होंने रैणी एवं तपोवन टनल में युद्ध स्तर पर चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में लापता लोगों के शव बरामद होने पर टीम को इसी तरह कार्य में तेजी लाने को कहा।

प्रात काल के समय टनल में शव बरामद होने की सूचना पर जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया एवं पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चैहान ने संबंधित अधिकारी के साथ टनल के भीतर रेस्क्यू कार्य का जायजा लिया तथा बरामद शवो को पहचान एवं पोस्टमार्टम के लिए भेजने के निर्देश दिए।

इसके बाद जिलाधिकारी रैणी पहुंचे जहां उन्होंने रेस्क्यू कार्य का जायजा लिया।

तपोवन बैराज परिसर में दोनों और पोकलैंड, जेसीबी मशीनें युद्ध स्तर पर कार्य कर रही हैं।

जबकि बाढ़ प्रभावित नदी किनारे में जिला प्रशासन के नेतृत्व में रेस्क्यू टीम द्वारा खोजबीन कार्य गतिमान है।

जिलाधिकारी ने कहा रैणी क्षेत्र में जिला प्रशासन नेतृत्व मे एनडीआरएफ की टीम लगाकर मलवे में लापता लोगों की तलाश करायी जा रही है।

रविवार को मिले शवों की शिनाख्त इस प्रकार है। आलम सिंह पुत्र सुन्दर सिह, निवासी टिहरी गढवाल, अनिल पुत्र भगत निवासी कालसी देहरादून, जीतेंद्र कुमार पुत्र देशराज निवासी जम्बू कश्मीर, शेष नाथ पुत्र जय राम निवासी फरीदाबाद, जितेंद्र धनाई पुत्र मतवार सिंह निवासी टिहरी, सूरज ठाकुर पुत्र श्रीनिवास रामपुर कुशीनगर, जुगल किशोर पुत्र राम कुमार निवासी पंजाब, राकेश कपूर पुत्र रोहन राम निवासी हिमाचल प्रदेश, हरपाल सिंह पुत्र बलवंत सिंह निवासी चमोली, वेद प्रकाश पुत्र राजेंद्र सिंह निवासी गोरखपुर, धनुर्धारी पुत्र राम ललित सिंह निवासी गोरखपुर के रहने वाले थे।

जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि आपदा मे लापता 206 लोगों मे से अभी तक 50 लोगों के शव विभिन्न स्थानों से बरामद हुए है। साथ ही दो लोग पहले जिन्दा मिले थे। अब 154 लोग लापता चल रहे है जिनकी तलाश जारी है।

रविवार को जिले में 2 पूर्ण शव और 4 मानव अंगों का नियमानुसार 72 घंटे बाद अंतिम संस्कार किया गया।

वही दूसरी ओर जिला प्रशासन आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राशन किट, मेडिकल एंव अन्य रोजमर्रा की जरूरतों की आपूर्ति करने में दिनरात जुटा है। प्रभावित गांवों में हालात सामान्य होने लगे है।

तपोवन में ट्राली से आवाजाही सुचारू ढंग से चल रही है। जुगजू में भी लोनिवि द्वारा ट्राली लगाने का काम जारी है।

रैणी पल्ली मे भी ब्रिज निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है।
यहां पर क्षत्रिग्रस्त पेयजल लाईन को अस्थायी तौर पर ठीक किया गया है।

मेडिकल टीम प्रभावित क्षेत्रों में कैंप लगाकर स्वास्थ्य परीक्षण कर रही है।
अब तक 998 मरीजों का उपचार किया गया।

हैली से इधर उधर फंसे 445 लोगों को उनके गतंव्य तक भेजा गया।

प्रभावित परिवारों में अब तक 515 राशन किट बांटे जा चुके हैं। जबकि 36 सोलर लाइट उपलब्ध कराई गई। पशुपालन विभाग द्वारा रैणी में 25 फीड ब्लाक बांटे गए।

जिलाधिकारी ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में 8 मृतकों के परिजनों तथा चार घायलों को सहायता राशि और एक परिवार को गृह अनुदान राशि दी गई।
वहीं जिला प्रशासन के अधिकारीध् कर्मचारी द्वारा प्रभावित गाव में पहुंच कर उनकी कुशलक्षेम पूछी गई।

तपोवन घटना स्थल पर गढ़वाल मंडल आयुक्त रविनाथ रमन, डीआईजी आईटीबीपी अपर्णा सिंह, डीआईजी पुलिस नीरू गर्ग, एनडीआरएफ के कमांडर पी के. तिवारी, एसडीआरएफ के कमांडर नवनीत भुल्लर सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

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