उत्तराखंड संस्कृत विवि के 10वें दीक्षांत समारोह में पहुंचे राज्यपाल

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने आज हरिद्वार में उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र-छात्राओं को पदक और शोधार्थियों को शोध उपाधियां प्रदान की। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल द्वारा पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण को आयुर्वेद एवं भारतीय ज्ञान परम्परा के संरक्षण के लिए तथा शिक्षाविद् पद्मश्री डॉ. पूनम सूरि को समाज सेवा एवं वैदिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए डी. लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई। राज्यपाल ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय की नई शोध पत्रिका ‘देवभूमि जर्नल ऑफ मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च’ का भी विमोचन किया।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं से कहा कि आप सभी संस्कृत के प्रचार एवं प्रसार में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि संस्कृत को पूरे विश्व तक ले जाना आप सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि युवा आने वाले 25 वर्ष विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत, समृद्ध भारत, श्रेष्ठ भारत और विश्वगुरू भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने में पूर्ण उत्साह, समर्पण और निष्ठा के साथ कार्य करें।

राज्यपाल ने युवाओं का आह्वान किया कि वे अपनी परम्पराओं का संरक्षण करते हुए भारत को समृद्ध और दुनिया का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनाने के महान अभियान का हिस्सा बनें। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा में उपलब्ध ज्ञान में सभी चुनौतियों का समाधान निहित है। देश की एकता में संस्कृत का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि संस्कृत हमारी समृद्ध संस्कृति का आधार और भारत की आत्मा की वाणी है। उन्होने कहा कि संस्कृत भाषा भारतीयता की डीएनए है एवं प्राचीन के संरक्षण के साथ नवीन ज्ञान का प्रयोग भी आवश्यक है।

राज्यपाल ने संस्कृत विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए संस्कृत के विकास एवं प्रचार-प्रसार के लिए सराहना की। उन्होंने संस्कृत के क्षेत्र में लड़कियों को ज्यादा अवसर व प्रोत्साहन देने पर जोर दिया ताकि संसकृत का ज्ञान प्रत्येक घरों तक पहुंचे। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में 04 शोध पीठों की स्थापना होने पर खुशी जताते हुए इसे विश्वविद्यालय के हित में सराहनीय कदम बताया।

अपने संबोधन में कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों, भविष्य की योजनाओं और चुनौतियों को विस्तार से सामने रखा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय को शासन स्तर पर उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय की प्रकृति को देखते हुए यहां पर प्राचीन ज्ञान से संबंधित न्याय, वैशेषिक, सांख्य, मीमांसा, वेदांत, धर्मशास्त्र और पुराणों आदि से संबंधित उच्च स्तरीय अनुसंधान होना जरूरी है। इसके लिए अपेक्षित संख्या में पद उपलब्ध न होने के कारण चुनौतियां बनी हुई हैं।

दीक्षांत समारोह के आधार संबोधन में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास बरखेड़ी ने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालयों को भारतीय ज्ञान प्रणाली के उल्लेखनीय केंद्रों के रूप में विकसित होना चाहिए। साथ ही संस्कृत को आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करके लोगों तक पहुंचाना चाहिए। उन्होंने उत्तराखंड को ज्ञान की भूमि बताया और कहा कि यहां के छात्रों और शिक्षकों को अपनी मूल परंपरा का संरक्षण करते हुए अंतरविषयी ज्ञान को बढ़ावा देना चाहिए।

दीक्षांत समारोह के समापन से पूर्व कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। वरिष्ठ आचार्य प्रोफेसर दिनेश चमोला ने स्नातकों को उपाधि हेतु उपस्थित किया। संचालन का दायित्व डॉ शैलेश तिवारी ने निभाया।

इस अवसर पर गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमदेव शतांशु, आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनील जोशी, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ओम प्रकाश नेगी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह, मुख्य विकास अधिकारी प्रतीक जैन, अपर जिलाधिकारी(प्रशासन) पी0एल0 शाह, एसडीएम पूरण सिंह राणा, एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह, एस0एस0 जायसवाल, डॉ0 सुशील उपाध्याय सहित अनेक विशिष्ट लोग उपस्थित थे।

सीएम ने किया उतराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन का लोकार्पण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को हरिद्वार के बहादराबाद स्थित उतराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन का लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा संस्कृत शिक्षा को बढ़ाने का सराहनीय कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों से उनका विशेष लगाव रहा है, उनका काफी समय लखनऊ विश्वविद्यालय में बीता है, जब भी किसी विश्वविद्यालय का कोई कार्यक्रम होता है, तो वे अपने आप को जाने से रोक नहीं पाते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत विश्व में सभी भाषाओं की जननी है। पूरी दुनिया में जब शिक्षा अथवा ज्ञान का उजाला नहीं हुआ था तब हमारे भारत में तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय विद्यमान थे। उस वक्त पूरी दुनिया को ज्ञान देने का कार्य अगर किसी ने किया तो वह भारत भूमि ने किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश को प्रधानमंत्री का मजबूत नेतृत्व मिला है। पूरी दुनिया में भारत का मान-सम्मान स्वाभिमान बढ़ाने का कार्य प्रधानमंत्री कर रहे हैं। योग दिवस को आज पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मना रही है। प्रधानमंत्री ने 5 नवंबर को केदारनाथ में 400 करोड़ रुपए के कार्य का शिलान्यास एवं लोकार्पण किया। जल्द ही हम केदारनाथ मंदिर केबल कार द्वारा जा सकेंगे। सिखों के पवित्र धाम हेमकुंड साहेब को भी रोपवे से जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह आदि गुरु शंकराचार्य ने पूरे भारत को उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम एक सूत्र में जोड़ने का कार्य किया उसी तरह आज प्रधानमंत्री विकास रूपी सूत्र में पूरे देश को एक साथ जोड़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 2025 के लिए राज्य का विजन रखा है, इस विजन को पूरा करने के लिए हम सभी को मिलकर कार्य करना होगा। वर्ष 2025 में 25 साल का राज्य युवा राज्य होने के साथ ही देश का श्रेष्ठ, उत्कृष्ट एंव आदर्श राज्य होगा, इस दिशा में वचनबद्ध एंव दृढ़ संकल्पित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय के स्टॉफ को सातवे वेतन आयोग के वेतनमान व एरियर भुगतान संबंधी दिक्कत को जल्द समाधान किया जायेगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत शिक्षा में रिक्त पदों को जल्द भरा जाएगा।
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, विधायक संजय गुप्ता, आदेश चौहान, कुलपति प्रो देवी प्रसाद त्रिपाठी, कुलपति गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय डॉ रूप किशोर शास्त्री, कुलसचिव संस्कृत विश्वविद्यालय गिरीश कुमार अवस्थी आदि मौजूद रहे।

दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने छात्रों को गोल्ड मेडल से नवाजा

हरिद्वार।
उत्‍तराखंड संस्‍कृत विवि के छठे दीक्षांत समारोह में महामहिम केके पॉल भी पहुंचे। उन्‍होंने छात्र-छात्राओं को डिग्री भी बांटी। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए महामहिम राज्यपाल केके पॉल ने कहा कि संस्कृत ओर संस्कृति के संवाहक युवा पीढ़ी को उपाधि व पदक से सम्मानित कर गर्व महसूस हो रहा है। क्योंकि भारतीय संस्कृति को पोषित करने का कार्य विश्वसनीय हाथों में हैं। विश्वास है कि यहां से दीक्षित विद्यार्थी अपने ज्ञान, प्रतिभा ओर संस्कार से देश ओर समाज को लाभान्वित करते हुए अपनी आजीविका सुनिश्चित करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारतवर्ष की अनेकता में एकता की बात जब भी सामने आती है तब भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। पूरब से पश्चिम एंव उत्तर से दक्षिण तक संस्कृत भाषा ने पूरे भारत को एकता के सूत्र में बांधा है। इसलिए संस्कृत केवल एक भाषा नही बल्कि सदियों से हमारे समाज को ज्ञान ओर संस्कारों से समृद्ध कर रही है। साथ ही भारत की उस गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जिसमें आध्यात्म, दर्शन, ज्ञान-विज्ञान ओर श्रेष्ठ साहित्य का अनमोल खजाना संरक्षित है। 101
कहा कि भारत ही नही विश्व इतिहास में सबसे अधिक मूल्यवान ओर शिक्षाप्रद रचनाएँ,शास्त्रीय भाषा संस्कृत में ही लिखी गयी है। संस्कृत के अध्ययन, विशेष रूप से वैदिक संस्कृति के अध्ययन से हमें मानव इतिहास के बारे में समझने ओर जानने का मौका मिलता है। कहा कि अब तक के सभी अध्ययनों से यह स्पष्ट हो चुका है कि संस्कृत कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे उपयुक्त भाषा है। कहा कि विश्व स्तरीय पत्रिका फोर्ब्स ने 1987 में संस्कृत को कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे सुविधाजनक भाषा बताया। उन्होंने कहा कि संस्कृत का भारतीय संविधान में विशिष्ठ स्थान है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 में साफ तौर पर कहा गया है कि हिन्दी के विकास के लिए आठवीं सूची की भाषा से शब्द लिए जा सकते है लेकिन वरीयता संस्कृत को देनी होगी। इससे स्पष्ट है कि हिन्दी का पोषण संस्कृत के विकास में निहित है।

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