तपोवन पुलिस ने हंगामा करने पर आठ युवकों का काटा चालान

मुनिकीरेती थाना पुलिस को दोपहर सूचना मिली कि तपोवन स्थित गंगा किनारे नीम बीच पर कुछ युवक हंगामा मचा रहे हैं। इससे अन्य पर्यटकों को दिक्कत हो रही है। सूचना मिलने पर तपोवन चैकी प्रभारी पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे और आठ युवकों को दो कारों समेत चैकी ले आए। जहां पर पुलिस ने वाहनों को सीज करने की कार्रवाई की।

पुलिस ने विकास पुत्र फुल कुमार निवासी शिवा पानीपत चांदनी बाग, विक्की पुत्र चंद्रभान निवासी झज्जर, प्रवीण पुत्र बच्चों सिंह निवासी ग्राम बोडिला झज्जर, आशीष पुत्र राम सिंह निवासी झज्जर, रामू पुत्र सुख सिंह ग्राम सहसपुर, सयोधरा जिला बिजनौर उत्तर प्रदेश, रोहित कादयान पुत्र जितेंद्र सिंह निवासी ग्राम सिवान, सदर जिला पानीपत, पवन डबास पुत्र अशोक डबास निवासी कंधा वाला सिटी, दिल्ली, दीपक पुत्र नरेंद्र निवासी ग्राम बिचपड़ी, सोनीपत हरियाणा का पुलिस ऐक्ट में चालान किया। इसके बाद सख्त हिदायत देकर छोड़ा।

जीएमवीएन की वेबसाइट से तीर्थयात्रियों ने हेली सेवा के लिए की थी बुकिंग, अब लौटाई जाएगी


कोरोना के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री ने चारधाम यात्रा स्थगित करने का निर्णय लिया था। इसके फलस्वरूप जिन यात्रियों ने श्री केदारनाथ हेली सेवा के लिए अग्रिम बुकिंग करायी थी उन यात्रियों की धनराशि वापिस करने का उत्तराखंड सरकार ने निर्णय लिया है। पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने जीएमवीएन को तीर्थयात्रियों को टिकट की धनराशि लौटाने के निर्देश दिये हैं।

जीएमवीएन ने देहरादून के राजपुर रोड स्थित यस बैंक के शाखा प्रबंधक को पत्र लिखकर तीर्थयात्रियों की धनराशि हस्तांतरित करने का निर्देश दिया है। कहा ‘‘चारधाम यात्रा सदैव से ही देश-विदेश के लाखों तीर्थयात्रियों को उत्तराखंड की ओर आकर्षित करती रही है। हालांकि कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण फैलने के खतरे और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार की ओर से इस साल चारधाम यात्रा को स्थगित करने का फैसला लिया गया है।’’

देश-विदेश के तीर्थयात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए 17 मई से संचालित की जाने वाली हेली सेवा के लिए 2 अप्रैल 2021 से जीएमवीएन की वेबसाइट के माध्यम से टिकटों की अग्रिम ऑनलाइन बुकिंग शुरू की गई थी। जिसके लिए कई तीर्थयात्रियों की ओर से ऑनलाइन टिकटों की बुकिंग की गई थी।

जीएमवीएन के प्रबंध निदेशक आशीष चैहान ने बताया कि बुकिंग की धनराशि हेली ऑपरेटर्स की ओर से जीएमवीएन द्वारा ली जाती है, जो कि जीएमवीएन के यस बैंक लिमिटेड द्वारा संचालित खाते में हस्तांतरित होती है। आज यस बैंक को २०० रुपए की प्रोसेसिंग फीस छोड़ कर बाकी धनराशि यात्रियों के बैंक खातों में जमा करने के निर्देश दे दिए गए है ।

अब तक 11 हजार से अधिक यात्रियों ने हेली सेवा की बुकिंग की थी। इस फैसले से देश-विदेश के हजारों तीर्थयात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी।

16 फरवरी से महिंद्रा थार फेस्टिवल की शुरूआत, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

उत्तराखंड में पर्यटन की अपार संभावनाएं है, प्रदेश के सभी 13 जिलों में एक से बढ़कर एक पर्यटक स्थलों के अलावा कई विशेष खासियत हैं, जिससे देश दुनिया में उत्तराखंड को अलग पहचान मिलती है। इन्हीं सब बातों को देखते हुए उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले स्थित केदारघाटी में होटल इंडस्ट्री के तौर पर अपने देश दुनिया में अलग पहचान बना चुके हैं, क्लब रिट्रीट ग्रुप द्वारा केदारघाटी में स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए महिंद्रा थार फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। दो दिन तक चलने वाले इस फेस्टिवल की आगामी 16 फरवरी से शुरुआत होगी।

क्लब रिट्रीट ग्रुप के संचालक और कम उम्र के एट्रप्रन्योर जतिन बगवाड़ी ने बताया कि महिंद्रा थार फेस्टिवल 16 फरवरी को गुप्तकाशी में और 17 फरवरी को चोपता में आयोजित किया जाएगा। इस आयोजन से केदार घाटी के अलावा आस-पास के इलाके भी एक्सप्लोर हो सकेंगे। इसके अलावा पर्यटक ऑफ रोड ड्राइविंग का मजा ले सकेंगे। इतना ही नही एडवेंचर टूरिज्म में दिलचस्पी रखने वाले पर्यटक के लिए केदार घाटी खास जगह बन जाएगी। जतिन की खास बात यह है कि समय-समय पर इस तरीके के आयोजन से केदारघाटी को गुलजार रखते हैं। वर्तमान में वे विलेज रिवर रिट्रीट गुप्तकाशी केदार रिवर रिट्रीट सीतापुर (गौरीकुंड), आईवीवाई टॉप श्रीनगर समेत आधे दर्जन रिसोर्ट का संचालन कर रहे हैं।

कोटद्वार से श्रीनगर के बीच बनेगी ऑलवेदर रोड

ऑलवेदर रोड की तर्ज पर कोटद्वार से श्रीनगर तक हाईवे का निर्माण किया जाएगा। इसके तहत कोटद्वार से श्रीनगर तक हाईवे की चैड़ाई 12 मीटर होगी। एनएच के चैड़ीकरण और डामरीकरण का कार्य चार चरणों में किया जाएगा। कोटद्वार-पौड़ी-श्रीनगर हाईवे चारधाम यात्रा का वैकल्पिक मार्ग बनेगा और इसके बनने से यूपी, दिल्ली के पर्यटकों को आवाजाही में सुगमता होगी। यह बातें वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने पत्रकार वार्ता में कहीं।

वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने बताया कि कोटद्वार-पौड़ी-श्रीनगर हाईवे पौड़ी गढ़वाल जिले की लाइफ लाइन बनेगी। इस हाईवे के बनने से जिले में पलायन पर रोक लगेगी और टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि कोटद्वार से श्रीनगर तक हाईवे की चैड़ाई 12 मीटर होगी, जबकि मेरठ से कोटद्वार तक एनएच को फोर लेन बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि गत विधानसभा चुनाव के दौरान नितिन गडकरी ने एनएच को आलवेदर रोड की तर्ज पर निर्माण कराने की घोषणा की थी, जिसे सरकार जल्द पूरा करने जा रही है। कहा कि पहले चरण में सतपुली से अगरोड़ा के लिए वन भूमि क्लीयरेंस के साथ ही 82 करोड़ की धनराशि की स्वीकृति मिल चुकी है। अगले तीन-चार दिनों में टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। कहा कि कोटद्वार से दुगड्डा के लिए 196 करोड़, दुगड्डा से गुमखाल के लिए 225 करोड़, गुमखाल से सतपुली के लिए 250 करोड़ और अगरोड़ा से श्रीनगर के लिए 280 करोड़ के प्राक्कलन को भी जल्द स्वीकृति मिल जाएगी। इस मौके पर वन मंत्री के ओएसडी विनोद रावत, पीआरओ सीपी नैथानी, सुरेंद्र सिंह गुसाईं, मुकेश नेगी आदि मौजूद रहे।

द्वितीय चरण में बनेंगी सुरंग
वन मंत्री ने कहा कि एनएच के चीफ और मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल की बैठक में वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया की जा रही है। द्वितीय चरण में दुगड्डा से सतपुली और सतपुली से खंडाह के लिए सुरंगें प्रस्तावित की जाएगी।

उत्तराखंड कैबिनेट में विभिन्न विभागों के 17 प्रस्तावों पर लगी मुहर, अधिक पढ़ें…

देहरादून। उत्तराखंड के उन हजारों युवाओं को नर्सिंग भर्ती में भाग लेने का मौका मिलेगा, जो एक साल के अनुभव के अभाव में आवेदन नहीं कर पा रहे थे। शुक्रवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग (मेडिकल कॉलेज) नर्सिंग संवर्ग और उत्तराखंड अधीनस्थ नर्सिंग (अराजपत्रित) सेवा नियमावली में संशोधन को मंजूरी दे दी गई। इस संशोधन के तहत नर्सिंग के पदों पर भर्ती में 30 बेड के अस्पताल में एक साल के अनुभव की शर्त को हटा दिया गया है।

मुख्यमंत्री आवास पर हुई कैबिनेट की बैठक में विभिन्न विभागों के 17 प्रस्तावों पर मुहर लगी। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक के मुताबिक, बैठक में फैसला हुआ कि राज्य सरकार उन्हीं अशासकीय महाविद्यालयों को अनुदान देगी जो राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध होंगे, उन्होंने कहा कि जो संबद्ध नहीं होंगे उनका अनुदान बंद हो जाएगा। केंद्रीय विश्वविद्यालय के एक्ट में अनुदान का प्रावधान नहीं है। बता दें कि राज्य में 18 अशासकीय महाविद्यालयों के अनुदान पर संकट है। इनमें करीब डेढ़ लाख छात्र अध्ययनरत हैं।

बी लिब और एम लिब भी बन सकेंगे पुस्तकालय लिपिक

बेचुलर ऑफ लाइब्रेरी साइंस (बी लिब) और मास्टर ऑफ लाइब्रेरी साइंस (एम लिब) वाले उम्मीदवारों को भी अब पुस्तकालय लिपिक बनने का अवसर मिलेगा। कैबिनेट ने उत्तराखंड उच्च शिक्षा पुस्तकालय सेवा संवर्ग सेवा नियमावली 2020 में संशोधन को मंजूरी दे दी है। अभी भर्ती के लिए पुस्तकालय विज्ञान की अर्हता थी। इस पद के लिए एनसीसी के सी प्रमाणपत्र को भी मान्य कर लिया गया है। पहले केवल बी सर्टिफिकेट ही मान्य था। इस पद पर भर्ती के लिए आयुसीमा 21 से 42 वर्ष निर्धारित है।

रियलिटी शो पर 12.21 करोड़ खर्चेगी सरकार

प्रदेश मंत्रिमंडल ने मैसर्स जंपिंग टौमैटो मार्केटिंग प्रा. लिमिटेड को टीवी रियलिटी शो तैयार करने की मंजूरी दे दी है। यह कंपनी राज्य के पर्यटन एवं तीर्थ स्थलों पर रियलिटी शो तैयार करने के साथ ही उनका प्रसारण भी करेगी। इस पर 12.21 करोड़ का खर्च आएगा।

अन्य फैसले
– बदरीनाथ धाम में चल रहे कार्यो के लिए वास्तुविद् सेवाओं में टेंडर न कराकर आईएनआई डिजाइन स्टूडियो फर्म के चयन को मंजूरी। फर्म कार्य की कुल लागत के दो पर प्रतिशत पर देगी सेवा।
– राठ महाविद्यालय पैठाणी में 16 चतुर्थ श्रेणी के नियमित पद समाप्त। मृतक आश्रित संवर्ग के इन पदों पर उन्हीं कर्मचारियों को आउटसोर्स से रखा जाए।
– खादी ग्रामोद्योग में बुनकरों के पारिश्रमिक में 50 फीसदी की बढ़ोतरी।
– इफ्काई विवि का नाम बदला। पहले इंस्टीटयूट ऑफ चार्टेड फाइनेंशियल एनालिस्ट ऑफ इंडिया नाम था जो बदलकर द इफ्काई सोसाइटी हैदराबाद तेलंगाना होगा, एक्ट में संशोधन को मंजूरी।
– विभागीय स्तर पर भी जारी हो सकेंगे टेंडर, प्रिंट मीडिया विज्ञापन (संशोधन) नियमावली को मंजूरी।
– उत्तराखंड चतुर्थ विस के तृतीय सत्र सत्रावसान को मंजूरी।
– उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष व सदस्य सचिव की नियुक्ति व तैनाती के सेवानियमावली को मंजूरी। अंशकालिक अध्यक्ष की व्यवस्था रखी गई। सचिव की योग्यता भी तय की गई। प्रदूषण व पर्यावरण से संबंधित विषय में पीजी होना जरूरी।
– आजीवन कारावास की सजा से दंडित सिद्धदोष कैदियों की सजा माफी के लिए स्थायी नीति को मंजूरी।
– स्वास्थ विभाग में चिकित्सा शिक्षा विभाग के तैनात 366 कर्मियों के समायोजन को मंजूरी।
– उत्तराखंड खादी एवं ग्रामोद्योग के बुनकरों एवं सिलाई कारीगरों की मजदूरी दरों में 50 प्रतिशत की वृद्धि।
– महिला उद्यमियों की आजीविका के लिए बनाए जाने वाले कियोस्क योजना में जिला स्तरीय चयन समिति में शासनस्तर से उसी जिले के दो तकनीकी सदस्य नामित होंगे।
– उत्तराखंड दृष्टिमितिज्ञ (आप्टोमैट्रिस्ट) सेवा नियमावली 2020 को मंजूरी।
– इस वित्तीय में जिन 101 मदिरा की दुकानों का आवंटन नहीं हुआ है, उन्हें 50 प्रतिशत राजस्व जमा कर दुकानें आवंटित करने का फैसला। मुख्य सचिव की अध्यक्षता की कमेटी को भी संशोधन करने का अधिकार दिया।

उत्तराखंड हैं वास्तव में ईश्वर का घर

प्राचीन काल का मौलिक वातावरण, हिमालय की बुलंद चोटियां और अनेकानेक प्राणियों एवं वनस्पतियों का पर्यावास उत्तराखंड वास्तव में ईश्वर का घर है। यहां ऐसे कई मनोरम स्थल हैं जहां जाने की आकांक्षा दुनिया भर के लोगों के मन में है। कई जगहों के बारे में तो सैलानी बखूबी जानते हैं लेकिन शहरों की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति में गोद में छुपे कई ऐसे भी स्थल हैं जिनसे कम ही लोग वाकिफ हैं। हिल स्टेशन खिरसु ऐसी ही जगह है पौड़ी जिले में 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थल शांति की तलाश कर रहे लोगों के लिए बिल्कुल मुफीद है। इस छुपे नगीने तक पहुंचने के लिए पौड़ी शहर से 11 किलोमीटर उत्तर दिशा में जाना पड़ेगा।

सर्दियां आ चुकी हैं और यहां से बर्फ से भरे हिमालय के शिखरों का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। यहां के अछूते प्राकृतिक दृश्य शांतिमय वातावरण प्रदान करते हैं जहां आगंतुकों को बहुत तसल्ली मिलती है। शहरी जिंदगी की व्यस्तता से क्लांत पर्यटक यहां आध्यात्मिक सुकून और शरीर में नई ऊर्जा पाते हैं।

खिली धूप वाले दिन में आप साफ आकाश और चहचहाते पंछियों का दर्शन कर सकते हैं। चीड़, बांज, देवदार से ढके सुंदर पथ और उनके अगल-बगल हरियाली काई और दिलचस्प वनस्पतियां प्रत्येक इंसान में मौजूद भ्रमण-अनुरागी को चिंताओं से मुक्त कर देते हैं और उसे जीवन के वास्तविक अर्थ की खोज हेतु उन्मुख करते हैं। पहले खो जाने का ऐहसास और फिर अपनी आत्मा से जुड़ने का अनुभव व्यक्ति को छोटी-छोटी चीजों के महत्व के बारे में भी जागृत कर देता है। इस निराले शहर में आने वाला सैलानी प्रकृति के मध्य आनंद का पान करते हुए स्वयं को संपूर्ण अनुभव करता है।

कोविड-19 महामारी के इस दौर में ’वर्केशन’ शब्द भी लोकप्रिय हो रहा है, खासकर उत्तराखंड में। जो लोग प्राकृतिक सुषमा एवं शांति के संगम की तलाश में हैं, जहां पर दफ्तरी कार्य करने की उनकी क्षमता बढ़ जाए, उनके लिए खिरसु सही विकल्प है।

खिरसु की संभावनाओं और उत्तराखंड के अहम पर्यटन स्थल के तौर पर उसके विकास के बारे में उत्तराखंड पर्यटन के सचिव दिलीप जावलकर ने कहा, ’’उत्तराखंड में खिरसु जैसे बहुत से सुंदर स्थल हैं जिन पर अब तक पर्यटकों का अधिक ध्यान नहीं गया है। इस कोरोनाकाल में वर्केशन का ट्रैंड राज्य में फलफूल रहा है। हम इस आपदा को अवसर में बदलने के लिए निरंतर कार्यरत हैं तथा उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों के लिए हम ऐसे और कई विकल्प पेश करते रहेंगे।’’

खिरसु में वर्केशन सुविधाओं एवं पर्यटकों के आगमन के बारे में पौड़ी जिले के पर्यटन विकास अधिकारी कुशल सिंह नेगी ने कहा, ’’खिरसु पौड़ी के बाहरी क्षेत्र में स्थित है, यह वास्तव में सैलानियों के लिए एक छुपा हुआ खजाना है। सरकार द्वारा पर्यटन संबंधी प्रतिबंध हटा दिए जाने के बाद से पर्यटकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। किसी भी राज्य का खालिस स्थानीय खानपान भी वह कारक होता है जो विभिन्न इलाकों के सैलानियों को आकर्षित करता है। इसी तथ्य के फलस्वरूप हमारे खिरसु में बासा होमस्टे की स्थापना हुई है जिसे यहां की स्थानीय महिलाओं द्वारा चलाया जाता है। वे अतिथियों को अत्यंत सुस्वादु भोजन परोसती हैं और लोक कथाएं भी सुनाती हैं। ऐसे कुछ अन्य प्रोजेक्ट भी निर्माणाधीन हैं जैसे बासा होमस्टे 2, हंटर हाउस और फिशरी होमस्टे।

सैर-सपाटे के लिए नजदीकी स्थल

ज्वाल्पा देवी मंदिरः यह प्रसिद्ध मंदिर है जो पौड़ी-कोटद्वार मार्ग पर स्थित है, पर्यटकों के बीच यह जगह खूब जानीमानी है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि यहां शुद्ध हृदय से की गई प्रार्थनाएं अवश्य फलीभूत होती हैं। यह मंदिर पूरे साल भर खुला रहता है। हर साल नवरात्रों में यहां एक बड़ा धार्मिक मेला लगता है जिसमें पूरे क्षेत्र भर से लोग आते हैं। यहां बिना खर्च के कई विवाह भी सम्पन्न किए जाते हैं।

घंडीयाल देवता मंदिरः घंडियाल देवता का प्राचीन मंदिर स्थानीय भक्तों के बीच प्रसिद्ध है। इन्हें रक्षक देव भी कहा जाता है और मान्यता है कि ये देवता अभिमन्यु का अवतार हैं जो कि भगवान शिव के उपासक थे। घंडियाल मेला इस मंदिर का बहुत बड़ा आकर्षण है। यह 9 दिन 9 रात तक चलता है। आसपास के इलाकों में रहने वाले श्रद्धालु उच्च धार्मिक जज्बे के साथ इस मेले में भाग लेते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।

खिरसु से आगे पर्यटकों के लिए घूमने वाले स्थल

श्रीनगरः यह शहर राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित है। किसी जमाने में यह शहर गढ़वाल के राजाओं की राजधानी हुआ करता था, इस क्षेत्र में राज्य के विस्तार के लिए श्रीनगर की बहुत अहमियत थी। आज यहां गढ़वाल विश्वविद्यालय का केन्द्र है। इस क्षेत्र का यह सबसे बड़ा नगर है।

देवलगढ़ः खिरसु से श्रीनगर की दिशा में यह 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गढ़वाल साम्राज्य की प्रमुख गढ़ राजधानियों में से एक है। यह साम्राज्य कितना समृद्ध हुआ करता था इसकी बानगी यहां आकर देखने को मिलती है। राज राजेश्वरी मंदिर और गौरी देवी मंदिर इस इलाके के मुख्य आकर्षण हैं।

उल्कागढ़ीः खिरसु (चैबट्टाखाल) से तीन किलोमीटर के फासले पर है उल्कागढ़ी। इसे एक छोटे मंदिर, उल्केशवरी मंदिर के लिए जाना जाता है तथा गढ़वाल साम्राज्य के बहुत से ढांचे भी इस इलाके में देखने को मिल जाएंगे।

पौड़ीः पौड़ी गढ़वाल का जिला मुख्यालय और गढ़वाल मंडल के आयुक्त का मुख्यालय भी यहां स्थित है। खिरसु से यह 20 किलोमीटर और श्रीनगर से 32 किलोमीटर है। पौड़ी के खूबसूरत हिल स्टेशन में औपनिवेशिक वास्तुशिल्प की शैली में कई टूरिस्ट बंगलो बने हुए हैं। यहां ठहरने के लिए आपको कई प्राइवेट होटल मिल जाएंगे। इस शहर में एक बड़ा बाजार भी है जहां से शॉपिंग के शौकीन आसपास के गांवों के निवासियों द्वारा बनाई गई स्थानीय वस्तुएं खरीद सकते हैं।

लैंसडाउनरू देश भर के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सबसे लंबे इतिहास वाला एक हिल स्टेशन है। यह हिल स्टेशन मोटर मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा है। यहां आकर आप शहर की भागमभाग जीवन से आराम मिल सकता है। लैंसडाउन में लंबे सप्ताहांत के ब्रेक के लिए पर्यटक आकर आनंद ले सकते हैं।

जानिए कौन से हैं उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल क्षेत्रों के लोकप्रिय व्यंजन

अब उत्तराखण्ड के कई रेस्तरां भी अपने मेनू में राज्य के स्थानीय व्यंजनों को प्रमुखता से स्थान दे रहे हैं। दूसरे प्रकार के व्यंजनों से लेकर सैंडविच की दुकानों तक सभी प्रकार के विभिन्न रेस्तरांओं में भी पहाड़ी व्यंजन अपनी जगह बना रहे हैं। ये स्थानीय व्यंजन इन्हें सही मायने में प्रतिस्पर्धा से अलग खड़ा करने और पर्यटकों को इम्युनिटी बूस्टर के विदेशी स्रोतों के विकल्पों की पेशकश कर रहे हैं।

आइए कुछ विशेष लोकप्रिय व्यंजनों की खासियत समझते हैं-
काफुली -उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल क्षेत्र में प्रसिद्ध शाकाहारी पकवानों में से एक काफुली काफी स्वादिष्ट व्यंजन है जिसका आनंद ज्यादातर सर्दियों के मौसम में लिया जाता है। इसे पालक, लाई और मेथी के पत्तों से बनाया जाता है। लोहे की कड़ाही में पकाया जाने वाले इस स्थानीय व्यंजन को गर्म चावल के साथ खाने का आनंद ही अलग है। स्थानीय भाषा में इसे कापा भी कहा जाता है, यह एक पौष्टिक व्यंजन है जो आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी और ई जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध है।

पहाड़ी मसूर की दाल – मसूर की दाल उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल दोनों क्षेत्रों का प्रसिद्ध स्थानीय व्यंजन है। स्वास्थ्य लाभ के संदर्भ में, यह रक्त कोशिकाओं के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, हड्डियों को मजबूत और आंखों की दृष्टि शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। देसी घी, चपातियों और चावल के साथ इस पहाड़ी मसूर दाल का आनंद लिया जाता है।

भट्ट के डूबके -भट्ट के डूबके कुमाऊँ क्षेत्र का एक पारंपरिक पकवान है। उच्च प्रोटीन और फाइबर के साथ समृद्ध, यह भट्ट या काले सोयाबीन के साथ बनाया जाता है। इस पारंपरिक पकवान को देखते हुए मुंह में पानी आने लगता है, भट्ट के डूबके पाचन में मदद करने के साथ ही रक्तचाप को कम करता है और विटामिन ई और अमीनो एसिड का एक बड़ा स्रोत भी है

झंगोरे की खीर -उत्तराखंड में पैदा होने वाला झंगोरा एक प्रकार का अनाज है जिससे गढ़वाल क्षेत्र में झंगोरे की खीर बनाई जाती है। यह एक स्वादिष्ट स्वीट डिश के रूप में उत्तराखंड में काफी लोकप्रिय है। झंगोरे की खीर में दूध को मिलाया जाता है जिससे एक अनूठा स्वाद आता है।

भांग की चटनी -उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले व्यंजनों में भांग की चटनी है। यह भुने हुए भांग के बीज और भुने जीरे के साथ नींबू का रस, मिर्च और हरी धनिया पत्ती से तैयार किया जाता है। स्वाद बढ़ाने के लिए अन्य व्यंजनों के साथ प्रोटीन से समृद्ध भांग की चटनी को खाने के लिए परोशा जाता है। भांग का प्रयोग सर्दियों में पहाड़घ्ी सब्जियों में भी किया जाता है।

कंडाली का साग -कंडाली का साग उत्तराखंड में तैयार किए जाने वाले लोकप्रिय गढ़वाली व्यंजनों में से एक है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध स्थानीय पौधों में से एक कंडाली का उपयोग इस व्यंजन को तैयार करने में किया जाता है। कंडाली का साग आयरन, फॉर्मिक एसिड, विटामिन ए और फाइबर से समृद्ध होता है। पर्यटक राज्य में आकर चपाती या चावल के साथ इस व्यंजन का आनंद ले सकत हैं।

उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन और व्यंजनों को लोकप्रिय बनाने के लिये किये जा रहे प्रदेश सरकार के प्रयासों का लाभ पर्यटकों को आकर्षित करने में मिलेगा। कोविड महामारी के दौरान लोगों के खानपान के व्यवहार में जो बदलाव आया है, उसका लाभ उत्तराखंड को उसके व्यंजनों की विविधता के चलते मिलना सुनिश्चित है। प्रदेश सरकार का मिशन और विजन उत्तराखंड को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अग्रणी पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में स्थान दिलाना है।

सीएम त्रिवेंद्र ने पर्वतारोहियों को प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मानित

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आईटीबीपी सीमाद्वार परिसर में गंगोत्री-2 पर्वतारोहण एवं 6 पीक आरोहण फ्लैग इन सैरेमनी में प्रतिभाग किया। आईटीबीपी द्वारा सितम्बर माह में 06 अनाम चोटियों पर पर्वतारोहण हेतु दल भेजा गया जिसका नेतृत्व सैक्टर देहरादून आईटीबीपी की उपमहानिरीक्षक अर्पणा कुमार द्वारा किया गया। 08 सदस्यों के दल ने उत्तराखण्ड के उच्च हिमालय की 06 हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाली चोटियों का आरोहण किया। आईटीबीपी द्वारा एक और पर्वतारोहण अभियान उप सेनानी दीपेन्द्र मान के नेतृत्व में उत्तरकाशी से 21615 फीट की ऊंचाई पर गंगोत्री-2 चोटी का सफलतापूर्वक आरोहण कर तिरंगा फहराया। इस दल में 26 पर्वतारोही थे।

मुख्यमंत्री ने इन सभी पर्वतारोहियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि आईटीबीपी के जवानों ने शौर्य, दृढ़ता एवं कर्मनिष्ठा का परिचय देते हए अपनी ड्यूटी के साथ पर्वतारोहण के क्षेत्र में नया रिकॉर्ड कायम किया है। आशा है कि चुनौतियों को स्वीकार करने वाले इन हिमवीरों ने आगे भी लक्ष्य तय किये होंगे। उन्होंने कहा कि आईटीबीपी और उत्तराखण्ड का गहरा रिश्ता है। अभी उत्तराखण्ड के 11 हजार लोग आईटीबीपी में सेवारत हैं एवं उत्तराखण्ड से 40 हजार लोग अपनी सेवाएं आईटीबीपी में दे चुके हैं। आईटीबीपी शौर्य एवं संवेदना का दूसरा नाम है। अपने परिवार से दूर रहकर हमारे जवान सीमान्त क्षेत्रों में सेवाएं देकर देश की रक्षा के लिए अपने शौर्य का परिचय दे रहे हैं। उत्तराखण्ड आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है, आईटीबीपी ने आपदाओं के समय राज्य सरकार को पूरा सहयोग दिया है। दुर्गम क्षेत्रों में जाकर इन जवानों ने अपना लोहा मनवाया है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आईटीबीपी के साथ मजबूती के साथ खड़ी है। राज्य सरकार की ओर से आईटीबीपी को हर संभव सहयोग दिया जायेगा। आज उत्तराखण्ड विश्वभर में पर्यटन के क्षेत्र में आकर्षण का केन्द्र है। पर्यटन गतिविधियों में प्रदेश में चारधाम यात्रा, ईको टूरिज्म, ट्रेकिंग, एडवेंचर, विंटर स्पोर्ट्स शामिल हैं। 13 डिस्ट्रिक 13 न्यू डेस्टीनेशन पर राज्य सरकार कार्य कर रही है। उत्तराखण्ड शासन ने आईटीबीपी के साथ एक एमओयू हस्ताक्षरित किया है, जिसमें माँ गंगा के सौन्दर्यीकरण के साथ-साथ वाटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए टिहरी बांध से में व्यावसायिक क्षमता, उत्कृष्ट कार्य, पर्यटन व स्वरोजगार बढ़ाने के लिए मिलकर कार्य करेंगे। टिहरी लेक में एडवेंचर की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए आईटीबीपी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

इस अवसर पर आईटीबीपी के महानिरीक्षक उत्तरी सीमांत नीलाभ किशोर, उपमहानिरीक्षक कुंवर पाल सिंह, मंधीर एक्का, रणजीत सिंह, निम के कर्नल अमित बिष्ट आदि उपस्थित थे।

साथी ऐप को उत्तराखंड सरकार ने किया शुरू, पर्यटकों का बढ़ेगा भरोसा

केंद्र सरकार के सभी राज्यों द्वारा एक नई पहल के अंतर्गत साथी ऐप बनाया गया है जो आतिथ्य उद्योग के मूल्यांकन, जागरूकता और प्रशिक्षण प्रणाली के लिए है। इसी क्रम में साथी ऐप को प्रदेश सरकार ने भी शुरू किया है। जो पर्यटकों और हितधारकों के बीच भरोसा और विश्वास बनाये रखने पर केंद्रित है

यह पहल वर्तमान में होटल, रेस्तरां, बी2बी-होमस्टे पर लागू है। साथी ऐप को तीन चरणों में विभाजित किया गया हैं। कोविड 19 के दिशा-निर्देशों का सही तरीके से पालन करने के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन, क्षमता निर्माण, जो होटल व्यवसायी, रेस्तरां और अन्य लोगों की क्षमता बनाने में मदद करेगा। साइट मूल्यांकन, जो अंतराल की पहचान करने के लिए भूमि कार्यान्वयन पर जाँच करता है। अभी तक साथी ऐप में प्रदेश के 320 इकाइयों ने अपना पंजीकरण कराया है।

भारत सरकार द्वारा चलायी जा रही इस पहल के बारे में बात करते हुए, पर्यटन मंत्री, सतपाल महाराज ने कहा, ‘‘साथी कोविड-19 की चुनौतियों का सामना करने के लिए आतिथ्य उद्योग के साथ मदद और भागीदारी है। इस पहल के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह हमारे माननीय पीएम नरेंद्र मोदी की आत्म निर्भर भारत के विजन के साथ जुड़ा हुआ है। मैं उत्तराखंड के सभी संबंधित हितधारकों से अनुरोध करूंगा कि वे इस पहल में सक्रिय रूप से खुद को पंजीकृत करें और इसका पूरा लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि साथी को अधिक लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है इसके लिए यात्रा एग्रीगेटर जैसे मेकमाईट्रिप, गोआईबीबो के साथ जोड़ा जा सकता है, ताकि बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच बनायी जानी संभव हो सके।

सचिव पर्यटन, दिलीप जावलकर ने कहा, “साथी ऐप के माध्यम से संसाधनों का प्रचार-प्रसार होने से उत्तराखण्ड राज्य में पर्यटन को नया आयाम मिलेगा। साथी ऐप से पर्यटन उद्योग में हमारे हितधारकों को सशक्त बनाने के साथ ही स्वरोजगार के अवसर भी सुलभ होंगे।

दो चरणों में होगा लच्छीवाला नेचर पार्क का पुननिर्माण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लच्छीवाला नेचर पार्क के पुनर्निमाण संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस नेचर पार्क का निर्माण दो चरणों में किया जायेगा। जिस पर 1008.35 लाख का व्यय आगणित है। इसके लिये कैम्पा मद में भी एक करोड़ की धनराशि प्रविधानित है।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा जनपद पौड़ी के विधानसभा क्षेत्र चैबटाखाल के विकासखण्ड एकेश्वर में पाटीसैंण तछवाड़ एकेश्वर मोटर मार्ग के सुधारीकरण एवं डामरीकरण के लिये 306.42 लाख तथा विधानसभा क्षेत्र घनसाली के अंतर्गत कोट से चैठारा होते हुए हुन्ण तक मोटर मार्ग निर्माण हेतु 28.04 लाख की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री घोषणा के तहत विकास खण्ड जयहरीखाल के अन्तर्गत मोलखण्डी अकरी तथा मोलखण्डी सकरी हेतु मोटर मार्ग नव निर्माण हेतु भी मुख्यमंत्री द्वारा 17.24 लाख की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पौत्रियों के विवाह को सरकार ने दी धनराशि
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जनपद देहरादून, पौड़ी उत्तरकाशी एवं बागेश्वर के 06 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पौत्रियों के विवाह हेतु 3 लाख की धनराशि स्वीकृत की है। इस प्रकार 50 हजार की धनराशि प्रति आवेदक को उपलब्ध होगी।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा उत्तराखण्ड मुक्त विश्व विद्यालय हल्द्वानी में अतिथि गृह, कुलपति आवास एवं बहुउदेश्यीय भवन हेतु फर्नीचर फिक्सिंग कार्य हेतु 928.55 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की है। यह धनराशि विश्व विद्यालय द्वारा स्वयं के संसाधनों से व्यय की जायेगी।

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