अखंड ज्ञान के लिए नई शिक्षा नीति हैं विशिष्टः प्रो. अन्न्पूर्णा

अखंड ज्ञान प्राप्ति हेतु सीमाएँ समाप्त करने के लिए नई शिक्षा नीति विशिष्ट है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में परिकल्पनात्मक और लचीलेपन से युक्त बहुपक्षीय नवाचार प्रमुख है। भाषा समेकीकरण का एक बड़ा माध्यम है। जर्मनी, जापान, चीन, कोरिया और इजराइल आदि जैसे देश मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करते हैं। भारतवर्ष एक बहुभाषीय देश है इस दृष्टि से भारतवर्ष में मातृभाषा में शिक्षा एक चुनौती है। इसके लिए अलग-अलग भाषाओं में पाठ्यक्रम तैयार करना और उसके अनुसार शिक्षण पद्धति में परिवर्तन करने का एक बड़ा दायित्व आधुनिक युवा शिक्षाविदों पर है। यह बात प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल, कुलपति, हे.न.ब. गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढवाल, उत्तराखण्ड तथा सदस्या, न्यू एजुकेशन इम्प्लीमंेटेशन कमिटी द्वारा मुख्य अतिथि के रूप में कही गयी।
उन्होंने यह भी कहा कि मल्टीडिसिप्लीनेरी रिसर्च यूनिवर्सिटी (मेरू) नवाचार युक्त शोध के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने जा रही है। प्रो. नौटियाल भारत सरकार के पण्डित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एवं टीचिंग के अन्तर्गत परिचालित फेकल्टी डेवेलपमेंट सेंटर द्वारा दिनांक 12 से 25 मार्च, 2021 तक ‘पेडागॉजिकल टेक्निक्स एंड रिसर्च मैथोडोलॉजी‘ विषय पर चलने वाले रिफ्रैशर कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थी।

डॉ विकास दवे, निदेशक, साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कौशल विकास, रचनात्मकता और मनोवैज्ञानिक तैयारी नई शिक्षा नीति के सर्वाधिक प्रभावी कदम हैं। नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए उन्होंने शिक्षापद्धति के सम्बन्ध में जनसामान्य को भी चिंतन की आवश्यकता पर बल दिया। शिक्षा का मनोवैज्ञानिक विवेचन प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि प्रस्तावित नई शिक्षा नीति मंे ऐसी व्यवस्था की गयी है कि इससे बच्चों में निराशा नहीं आयेगी और वे जीवन की कठिन से कठिन परिस्थिति का सामना करते हुए स्वयं, देश और समाज की उन्नति में सहभागी बन सकें। उन्हांेने कहा कि नैतिक मूल्यों की गिरावट को रोकने और नैतिक उन्नयन हेतु अध्यापकों को ही प्रयास करना होगा।
शिक्षकों को लक्ष्य के प्रति एकाग्रता, समर्पण, टीमवर्क तथा अच्छे प्रशिक्षण की आवश्यकता है। भारतवर्ष को पुनः विश्वगुरु बनाने के लिए भारतीय शिक्षा पद्धति महत्त्वपूर्ण है और इससे ही आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना चरितार्थ हो सकेगी।

फेकल्टी डेवेलपमेंट सेन्टर की निदेशक प्रो0 इन्दु पाण्डेय खण्डूड़ी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए इस रिफ्रैशर कोर्स की विषयवस्तु पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘पेडागॉजी एण्ड रिसर्च मैथोडॉलॉजी‘ में समाहित शिक्षाशास्त्रीय पद्धतियों और शोध प्रविधियों के विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर केन्द्रित होगा। पूरे देश के विभिन्न संस्थानों से लगभग 18 शिक्षाविद् इन प्रतिभागियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण देेंगे। प्रो खण्डूड़ी ने बताया कि दो सप्ताह तक ऑनलाइन चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में केरल, महाराष्ट्र, नई दिल्ली, उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्ड जैसे 7 राज्यों के विभिन्न उच्चशिक्षण संस्थानों के 51 शिक्षक प्रतिभागी ऑनलाइन प्रतिभाग कर रहे हैं।

सत्र का संचालन डॉ0 सोमेश थपलियाल, एसिस्टेंट डायरेक्टर, फेकल्टी डेवेलपमेंट संेटर ने किया। डॉ. कविता भट्ट, रिसर्च एसोसिएट ने अतिथियों का परिचय करवाया तथा डॉ. राहुलकुँवर सिंह, एसिस्टेंट डायरेक्टर ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियो का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दौरान पारुल, बलवीर, जगदम्बा तथा रामेश्वरी इत्यादि भी उपस्थित रहे।

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