आरोप सही नही पाये जाने पर न्यायालय ने आरोपित को किया दोषमुक्त

अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश मन मोहन सिंह की अदालत ने धोखाधड़ी के आरोप से एक आरोपी को दोषमुक्त किया है।
दरअसल, देवेंद्र सूद की ओर से न्यायालय में परिवाद दायर किया गया था। जिसमें बताया गया था कि उनकी आरोपी कय्यूम निवासी ग्राम करौंदी भगवानपुर रूड़की जिला हरिद्वार से वर्षों पुरानी दोस्ती है। 4 नवंबर 2008 को कय्यूम उनकी देहरादून रोड ऋषिकेश स्थित फैक्ट्री के कार्यालय पर आया और रूड़की में जमीन को लेकर 35 लाख रूपये उधार मांगे। साथ ही उधार की रकम ब्याज सहित 10 दिसंबर 2008 तक देने की बात कही। इसके अलावा यह बात भी कही कि तय समय तक उधार की रकम न दे पाने पर 70 लाख रूपये देगा और रूड़की में खरीदी गई जमीन भी देवेंद्र सूद के नाम करेगा। परिवादी देवेंद्र सूद ने अपने परिवाद में न्यायालय को मौके पर प्रत्यक्ष गवाह की बात भी कही थी। परिवाद में इस बात का भी जिक्र किया गया कि कय्यूम ने न ही तय समय पर उधार की रकम वापस दी। बल्कि साफ मना करने के साथ जान से मारने तक की धमकी तक दी गई। इस पर उन्होंने अपने अधिवक्ता के जरिए न्यायालय में कय्यूम के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया।
अधिवक्ता कपिल शर्मा और उनके सहयोगी राजेश साहनी ने न्यायालय को बताया कि कय्यूम एक निर्धन व्यक्ति है अतः उसकी हैसियत इतनी नहीं है कि वह इतनी भारी भरकम धनराशि से जमीन खरीद सके। न्यायालय ने अधिवक्ता कपिल शर्मा और राजेश साहनी की दलील को सही पाया। इसके अलावा परिवादी देवेंद्र सूद की ओर से न्यायालय में प्रस्तुत गवाह भी अपनी बात को बता पाने में असमर्थ रहे।
न्यायालय ने अधिवक्ता कपिल शर्मा और राजेश साहनी की मजबूत पैरवी की बदौलत आरोपी कय्यूम को दोषमुक्त किया है।

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