छीटाकशीं और छेडछाड से परेशान हिंदुओं का पलायन!

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रुक नही रही सपा सरकार में हिंदुओं के पलायन की घटना
कैराना के बाद अलीगढ की घटना से प्रदेश का माहौल गर्म
उत्तर प्रदेश।
अलीगढ़ में दो समुदायों के बीच झड़प के बाद एक पक्ष के लोगों ने अपने घरों और दुकानों के बाहर संपत्ति बिकाऊ होने के बोर्ड टांग दिए हैं। अलीगढ़ में दुकान के बाहर टंगे बोर्ड इशारा कर रहे हैं कि यहां सब कुछ ठीक नही है। अलीगढ़ में इस बोर्ड पर लिखा है कि जान है तो जहान है, ये दुकान बिकाऊ है।
अलीगढ़ के बाबरी मंडी में ये बोर्ड जिन घरों और दुकानों के बाहर लगे हैं वो हिंदुओं के बताए जा रहे हैं। आरोप है कि छेड़छाड़ और मारपीट की घटनाओं से तंग आकर कुछ हिंदू परिवार यहां से पलायन कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार रात को बाबरी मंडी इलाके में एक हिंदू महिला से छेड़छाड़ की गई और विरोध करने पर उसके परिवार वालों पर पत्थरबाजी हुई। इस घटना को लेकर गुरुवार को हिन्दू समुदाय ने जमकर हंगामा भी किया। एम पक्ष के लोगों ने पुलिस पर आरोपियों को बचाने का आरोप भी लगाये है।
सूत्रों की मानें तो आएं दिन छीटाकशीं और छेडछाड की घटना से नाराज होकर एक पक्ष के लोगों ने अपने स्थानों से चले जाने में ही भलाई समझी। लोगों का आरोप है कि पुलिस जबरदस्ती मकान और दुकान बिकाऊ हैं के बोर्ड हटवा रही है ताकि मामला ज्यादा न गरमाए।
आरोप है कि सरकार के दबाव में पुलिस समुदाय विशेष के लोगों पर कार्रवाई नहीं कर रही है। बाबरी मंडी के स्थानीय लोगों के अनुसार यहां के हालात इतने भयावह है कि स्कूल जाते समय बच्चियों और बाजार जाते समय महिलाओं पर छींटाकशी होती है।
वहीं मामला बढता देख पुलिस घटना को मामूली छेड़छाड़ का मामला बताकर आरोपियों की गिरफ्तारी की बात कह रही है हालांकि पुलिस ने माना है कि इस वजह से इलाके में तनाव है। उत्तर प्रदेश में कैराना और मुजफ्फरनगर की घटना पर पहले भी सियासत गर्मायी थी, वहीं एक बार फिर हिंदू पलायन को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। बीजेपी और समाजवादी पार्टी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे है।
अलीगढ़ के सांसद ने बताया कि स्थानीय सूत्रों के माध्यम से इस घटना की जानकारी मिली है। उन्होंने प्रशासन के आला अधिकारियों से वार्ता कर आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार सिर्फ एक समुदाय विशेष की बात करती है, मुसलमानों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि किसी को पलायन करने की जरुरत नही है।
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी की सरकार में हिंदुओं का पलायन को लेकर भाजपा आक्रमक बनी हुई है। पूर्व में कैराना में हिंदुओं के कथित पलायन को लेकर काफी बवाल मचा था। अब बडा सवाल यह है कि अलीगढ़ में भी कुछ वैसा ही माहौल बन रहा है या राजनीतिक पार्टियां अपन रोटियां सेकने के लिए माहौल को गर्मा रही है।

एक मां बोलीं, बताइए बेटी को कहां पेश करूं?

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लखनऊ।
दयाशंकर सिंह की मां ने लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में मायावती के साथ बीएसपी के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी व अन्य के खिलाफ शिकायत दी। अपनी शकायत में उन्होंने लिखा है कि बीएसपी के प्रदर्शन में उनके परिवार को धमकाने वाले व महिला विरोधी नारे लगाए गए। उन्होंने न्युज एजेंसी (एएनआई) से बात करते हुए कहा कि मेरे बेटे ने कुछ भी गलत नहीं किया लेकिन हम फिर भी क्षमा मांगते हैं।
मायावती पर अमर्यादित टिप्पणी करने के आरोपी बीजेपी के पूर्व वरिष्ठ नेता दयाशंकर सिंह का पुलिस कोई सुराग लगा पाने में नाकाम रही है। वहीं, परिवार पर चौतरफा हमला झेल रही दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह ने भी मायावती के खिलाफ लखनऊ में केस दर्ज कराया है। स्वाति सिंह ने कहा कि कल तक मेरे साथ कोई नहीं था। लेकिन आज कई लोग मेरे साथ आए हैं। कहा कि मेरी सास ने एक शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत में मेरा नाम भी जोड़ दिया गया है।
स्वाति सिंह ने कहा कि वह अपने पति का कोई बचाव नही कर रही है। लेकिन एक तरफ मायावती के खिलाफ टिप्पणी करने पर बवाल हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ हमारे खिलाफ अर्मादित टिप्पणी का कोई विरोध नही किया जा रहा है। इस देश में क्या एक ही बात के लिए दो अलग-अलग कानून है? उन्होंने बसपा कार्यकर्ताओं से तल्खी में पूछा कि बताएं हम अपी बहु-बेटियों को लेकर कहां आएं?
उधर, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) अध्यक्ष मायावती पर अमर्यादित टिप्पणी करने के आरोपी बीजेपी के पूर्व नेता दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी के लिए 36 घंटे का अल्टीमेटम दिए जाने के बीच पुलिस उनका कोई सुराग लगा पाने में नाकाम रही है। पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा ने बताया कि सिंह की गिरफ्तारी के लिए उनके संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है, लेकिन उनका अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। इससे पहले सिंह के छोटे भाई धर्मेंद्र सिंह को कल पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था, लेकिन पुलिस को सिंह के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल सकी। पूछताछ में धर्मेन्द्र लगातार यही कहते रहे कि सिंह 21 जुलाई को तड़के गोरखपुर चले गए थे। उसके बाद उनका सिंह से कोई संपर्क नहीं हुआ है।
झा ने बताया कि पुलिस ने गुरुवार रात बैरिया स्थित सिंह के मामा के घर पर भी दबिश दी थी, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। सिंह का मोबाइल फोन भी 20 जुलाई की रात एक बजे से स्विच ऑफ है।

200 करोड़ का सॉफ्ट लोन दे केन्द्र सरकार200 करोड़ का सॉफ्ट लोन दे केन्द्र सरकार200 करोड़ का सॉ200 करोड़ का सॉफ्ट लोन दे केन्द्र सरकार

सीएम हरीश रावत ने पीएम से मांगा सहयोग
देहरादून।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उत्तराखण्ड की चीनी मिलों के लिए केन्द्र सरकार से 200 करोड़ का सॉफ्ट लोन उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया है।
अपने पत्र में मुख्यमंत्री रावत ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया है कि राज्य में 8 चीनी मिलें हैं जिनमें से 5 मिलें सार्वजनिक व सहकारी क्षेत्र की एवं 3 निजी क्षेत्र की हैं। राज्य में चीनी मिलों ने पिराई सीजन 2015-16 में कुल 28.37 लाख मीट्रिक टन गन्ने की पिराई की और 2.73 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन किया गया। इस सीजन में गन्ना किसानों का कुल देय भुगतान रू0 790.57 करोड़ था। राज्य सरकार द्वारा चीनी मिलों को साफ्ट लोन व विभिन्न प्रकार की रियायतें उपलब्ध करवाईं गईं। चीनी मिलों द्वारा रू0 573.71करोड़ का भुगतान किसानों को किया जा चुका है परंतु अभी भी रू0 216.86 करोड़ का भुगतान किया जाना बाकी है।
मुख्यमंत्री रावत ने पत्र में बताया है कि लगभग 1 लाख 75 हजार से अधिक गन्ना किसान उŸाराखण्ड की चीनी मिलों से जुड़े हुए हैं। पिछले पिराई सीजन में केन्द्र सरकार द्वारा जनवरी 2015 में लोन पैकेज घोषित किया गया था। राज्य सरकार द्वारा भी गन्ना किसानों व चीनी मिलों को गन्ना खरीद टैक्स, एन्ट्री टैक्स, गन्ना सोसाईटी कमीशन व मण्डी समिति टैक्स आदि में छूट दी गईं। परन्तु ये उपाय भी चीनी मिलों को उबारने व गन्ना किसानों के पूर्ण भुगतान के लिए पर्याप्त नहीं रहे।
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि इस वित्तीय संकट के चलते गन्ना मिलें अपने मरम्मत व रख-रखाव कार्य करने में सक्षम नहीं रहेंगी, जिसका विपरीत प्रभाव अगले पिराई सीजन 2016-17 पर भी पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से उत्तराखण्ड की गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को सुनिश्चित करने के लिए रू0 200 करोड़ का सॉफ्ट लोन उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया।

नवजोत सिद्धू के इस्तीफे से भाजपा ने बनाई दुरी

पार्टी नेता कुछ भी कहने से सीधे बच रहे
नई दिल्ली।
भाजपा नेता नवजोत सिद्धू के इस्तीफे से तिलमिलाई भाजपा ने अब इस प्रकरण पर चुप्पी साधने में ही भलाई समझी है। तीन बार के अमृतसर लोकसभा सीट से सांसद रहे सिद्धू ने सोमवार को अचानक राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया था, उनके साथ उनकी पत्नी नवजोत कौर ने भी भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया है। सूत्रों की मानें तो भाजपा के स्टार प्रचारक सिद्धू आम आदमी पार्टी से पंजाब के सीएम पद के दावेदार हो सकते है।
पूर्व क्रिकेटर सिद्धू अपनी पत्नी संग पिछले दो वर्षो से पंजाब की अकाली दल सरकार को कटघरे में खड़ा करते आये है। जिससे भाजपा व अकाली दल में कई बार खटास पैदा हो चुकी है। भाजपा हाईकमान अकाली दल से कोई नाराजगी मोल नही लेना चाहता है। इसके चलते सिद्धू अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे थे। सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने नवजोत सिद्धू को आप में शामिल होने को कहा था।
बरहाल नशे के कारोबार के चलते पंजाब में अकाली व भाजपा सरकार की बुरी स्थिति हो चली है। ऐसे में सिद्धू का अचानक चले जाना और चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार करना मंहगा साबित हो सकता है। वहीं, भाजपा नेता दबी जुबान से सिद्धू पर निष्क्रीय रहने का आरोप लगा रहे है।

भाजपा के साथ केन्द्र सरकार की किरकिरी

अरुणाचल में कांग्रेस सरकार बहाल करने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से केन्द्र को गहरा झटका लगा
उत्तराखंड सीएम हरीश रावत बोले सच्चाई की जीत

उत्तराखंड की तर्ज पर अरुणांचल प्रदेश में भी सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सरकार को बहाल कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से केन्द्र की भाजपा सरकार को गहरा झटका है। उत्तराखंड सीएम ने कोर्ट के निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए सच्चाई की जीत बताया है।
गौरतलब है कि कांग्रेस के कई विधायक अरुणांचल प्रदेश में भाजपा के साथ चले गये थे। जिससे सरकार पर संकट गहरा गया था। भाजपा ने मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए सरकार गठन करने की भरपूर कोशिश की। कुछ हद तक भाजपा संगठन को कामयाबी तो मिली लेकिन मामला कोर्ट तक चला गया। कोर्ट से उत्तराखंड की तरह मामला कांग्रेस के पक्ष में चला गया। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद अरुणांचल में कांग्रेस की सरकार बनते दिख रही है।

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