नई शिक्षा नीति का लक्ष्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करना है-अग्रवाल

श्री देवसुमन विश्वविद्यालय की ओर से भौतिक विज्ञान में उन्नति, समाजिक कल्याण को बढ़ावा देने तथा सतत विकास और एनईपी के विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ क्षेत्रीय विधायक व मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने दीप प्रज्वलित कर किया।
शुक्रवार को विश्वविद्यालय के ऋषिकेश कैंपस में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम दिन डॉ अग्रवाल ने कहा कि सुव्यवस्थित, सुसंगठित और क्रमबद्ध ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैं। हमारे देश में प्राचीन काल से ही विज्ञान के साथ-साथ भौतिक का महत्व रहा है।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि हमारा राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम, एक सकारात्मक अभियान था, न कि केवल एक विदेशी हुकुमत से पीछा छुडाने की साधारण बात। कहा कि इसी अभियान ने आधुनिक विज्ञान को तकनीकी एवं उद्योगों के लिए तैयार करना शुरू किया।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि कार्य केन्द्रित शिक्षा में भौतिकी शिक्षक का अपना महत्व है। समाज में आधुनिकीकरण की आवश्यकता के लिए और वैज्ञानिक अभिवृद्धि के विकास को भौतिक विज्ञान की महत्वता और भी बढ़ जाती है।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य सतत विकास के लिए 2030 के एजेण्डे के चौथे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करना है। यह देश की पारंपरिक मूल्य प्रणालियों का निर्माण करती है और साथ ही प्रत्येक छात्र की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षा प्रणाली को अधिक अनुभवात्मक, वैज्ञानिक, रचनात्मक और व्यक्तिगत बनाने हेतु अनेक सुधार प्रस्तुत करती है।
डॉ अग्रवाल ने विश्वास जताते हुए कहा कि इस संगोष्ठि में भौतिक एवं आभासीय माध्यम से जुड़े विषय विशेषज्ञ एवं शोधार्थी संगोष्ठी के विषय पर व्यापक विचार विमर्श करेंगे तथा एक ऐसे निष्कर्ष पर पहुंचेंगे जो कि देश की उन्नति एवं उसे विश्वगुरू बनाये रखने में अनोखे आयाम स्थापित करेगा।
इस अवसर पर श्री देव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एनके जोशी, प्राचार्य ऋषिकेश परिसर प्रोफेसर एनएस रावत, पार्षद शिवकुमार गौतम, छात्र संघ महासचिव अमन पांडे, छात्र संघ उपाध्यक्ष केशव पोरवाल, पूर्व छात्र संघ विश्वविद्यालय प्रतिनिधि नितिन सक्सेना, प्रोफेसर सुरेंद्र सिंह, प्रोफेसर गुलशन ढींगरा, प्रोफेसर वाईके शर्मा, प्रोफेसर वीके गुप्ता, प्रोफेसर वीएन गुप्ता, प्रोफेसर आशीष शर्मा, डॉ दयाधर दीक्षित, प्रोफेसर कल्पना पंत, प्रोफेसर समिता बसेरा, प्रोफेसर समिता बडोला, डॉ प्रीति खंडूरी, डॉक्टर सीमा बेनीवाल सहित सैकड़ो की संख्या में प्रोफेसर व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा मेधावी छात्रवृत्ति योजना का हुआ शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ननूरखेड़ा स्थित शिक्षा निदेशालय में राज्य के विद्या समीक्षा केन्द्र का लोकार्पण किया। इस अवसर पर राज्य के 141 पी.एम.श्री विद्यालयों एवं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आवासीय विद्यालय का शिलान्यास भी किया गया। मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने राज्य में मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा मेधावी छात्रवृत्ति योजना एवं मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना का शुभारंभ भी किया। कार्यक्रम में एन.डी.ए एवं आई.एम.ए में चयनित कैडेट को पुरस्कार की धनराशि भी प्रदान की गई।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज राज्य में केंद्र सरकार सहायतित “विद्या समीक्षा केन्द्र“ एवं “पीएम श्री योजना“ का शुभारंभ किया गया है, यह प्रदेश के लिए हर्ष का विषय है। इसके लिए उन्होंने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द प्रधान का आभार भी व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि विद्या समीक्षा केंद्र विद्यालय, छात्रों एवं अध्यापकों से संबंधित सभी आंकड़ों को रियल टाइम आधार पर संकलित करेगा तथा छात्र आकलन के आधार पर शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के लिए सभी का मार्गदर्शन करेगा। इस केंद्र में आज से अध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं की रियल टाइम ऑनलाइन उपस्थिति प्रारम्भ भी हो गई है। इस केंद्र का उपयोग शीघ्र ही शिक्षा विभाग से सम्बन्धित मानव संसाधन पोर्टल, विद्यालय में उपलब्ध संसाधनों के ऑनलाइन रख-रखाव, ऑनलाइन स्थानान्तरण, ऑनलाइन नियुक्ति, ऑनलाइन मॉनिटरिंग आदि के लिए भी किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड अग्रणी राज्यों में से है, जहां केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर प्रारम्भ की गई योजनाओं को जनहित में सबसे पहले क्रियान्वित किया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का शुभारंभ उत्तराखण्ड ने सबसे पहले किया। पीएमश्री योजना के तहत राज्य में 141 स्कूल इस योजना के अन्तर्गत विकसित किए जा रहे हैं। इसके लिए भारत सरकार द्वारा 72 करोड़ की धनराशि स्वीकृत भी की गई है। इस सहयोग के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केंद्रीय शिक्षा मंत्री का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए अनेक कार्य किये जा रहे है। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में बालिकाओं के लिए 40 कस्तूरबा गांधी आवासीय छात्रावास संचालित हैं, जिनमें सभी सुविधाएं निःशुल्क प्रदान की जा रही हैं।

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विद्या समीक्षा केन्द्र के गुजरात मॉडल को लागू करने वाला पहला राज्य उत्तराखण्ड है। जिसमें अभी 05 हजार स्कूल जोड़े गये हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर-नवम्बर तक प्रदेश के सभी 22 हजार स्कूलों को सभी डाटा के साथ जोड़ने के अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं। राज्य के कक्षा 01 से 12वीं तक के लगभग 23 लाख 50 हजार विद्यार्थी इस विद्या समीक्षा केन्द्र से जुड़ेंगे। राज्य के 01 लाख 22 हजार से अधिक शिक्षकों का डाटा भी इसमें रहेगा। विद्या समीक्षा केन्द्र के माध्यम से बच्चों एवं शिक्षकों की प्रतिदिन की उपस्थिति का पता चलेगा। दीक्षा टीवी एवं इन्टरनेट के माध्यम से पढ़ाई की व्यवस्था विद्या समीक्षा केन्द्र में रहेगी। राज्य के सभी डायट, को जोड़ने एवं शिक्षकों की कैपिसिटी बढ़ाने की व्यवस्था इसमें बनाई जा रही है। स्कूली शिक्षा की सभी जानकारी विद्या समीक्षा केन्द्र में रहेगी।

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 दार्शनिक तत्व है। 21वीं सदी की भारत की नई पीढ़ी ज्ञान के आधार पर विश्व का नेतृत्व करने वाली है। राज्य में मॉडल स्कूल के रूप में प्रारंभिक चरण में पी.एम.श्री के तहत 141 स्कूलों का चयन किया गया है। उच्च शिक्षा में राज्य में मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा प्रोत्साहन छात्रवृत्ति योजना और मुख्यमंत्री शोध प्रोत्साहन योजना शुरू करने का सराहनीय कार्य हुआ है। उन्होंने कहा कि जी 20 के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ग्लोबल मॉडल के रूप में स्वीकृति करा दी। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल भारत के 30 करोड़ विद्यार्थियों के लिए ही नहीं, विश्व के विकसित देशों के विद्यार्थियों के लिए नया बैंचमार्क बना रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रसार के लिए केन्द्र सरकार की ओर से राज्य को पूरा सहयोग दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड उन्हें अपने गृह राज्य की तरह ही प्रिय है।

प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड विद्या समीक्षा केन्द्र का शुभारंभ करने वाला गुजरात के बाद देश का दूसरा राज्य है। माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाला देश का पहला राज्य उत्तराखण्ड बना। राज्य में शुरू की गई उच्च शिक्षा मेधावी छात्रवृत्ति योजना में विभिन्न संकायों में स्नातक स्तर पर छात्र-छात्राओं को प्रतिवर्ष महाविद्यालय स्तर/विश्वविद्यालय परिसर स्तर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को क्रमशः 03 हजार रुपये, 02 हजार रुपये एवं 1500 प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जायेगी। स्नातक अंतिम वर्ष के उपरान्त प्रथम स्थान, द्वितीय स्थान तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने पर एकमुश्त पुरस्कार राशि के रूप में क्रमशः 35 हजार रुपये, 25 हजार रुपये एवं 18 हजार रुपये दिये जायेंगे।

विभिन्न संकायों में विषयवार स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययनरत छात्र-छात्राओं प्रतिवर्ष महाविद्यालय स्तर / विश्वविद्यालय परिसर स्तर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने पर क्रमशः 05 हजार रुपये, 03 हजार रुपये एवं 02 हजार रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जायेगी। परा स्नातक अंतिम वर्ष के उपरान्त प्रथम स्थान, द्वितीय स्थान तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने पर एकमुश्त पुरस्कार राशि के रूप में क्रमशः 60 हजार रुपये, 35 हजार रुपये तथा 25 हजार रुपये की धनराशि दी जायेगी। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य राज्य के उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध / अन्वेषण एवं नवाचार के वातावरण का सृजन करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों और मूल्यों के अनुरूप उत्कृष्ट शिक्षा और शोध के केन्द्र के रूप में संस्थाओं को विकसित करते हुए शिक्षकों एवं छात्रों को शोध एवं नवाचार के लिए प्रोत्साहित करना है।

इस अवसर पर सांसद नरेश बंसल, विधायक उमेश शर्मा काऊ, भारत सरकार के अपर शिक्षा सचिव विपिन कुमार, उच्च शिक्षा सचिव शैलेश बगोली, विद्यालयी शिक्षा सचिव रविनाथ रमन, महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी एवं शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

सीएम और शिक्षा मंत्री ने 129 सहायक अध्यापकों को सौंपे नियुक्ति पत्र

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने ननूरखेड़ा, देहरादून स्थित शिक्षा निदेशालय में सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र प्रदान किये। सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया के द्वितीय चरण में कुल 129 सहायक अध्यापकों (एलटी) को नियुक्ति पत्र प्रदान किये गये। सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया के प्रथम चरण में 880 सहायक अध्यापकों (एलटी) को नियुक्ति प्रदान की गई। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में एक मंच व प्लेटफार्म बनाया जायेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी चयनित शिक्षकों को शुभकामना देते हुए कहा कि नियुक्ति पाने वाले सभी शिक्षकों पर भविष्य के कर्णधारों को तैयार करने की बड़ी जिम्मेदारी है। सभी अपने कार्यक्षेत्र में पूरी ऊर्जा एवं नवाचार के साथ कार्य करें। जन सेवा करने का जो मौका मिला है, ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा के साथ अपने कार्यों का निर्वहन करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत ने आजादी के अमृत काल में प्रवेश कर दिया है। नये भारत के निर्माण में हमारे युवा पीढ़ी की अहम भूमिका होगी। हमारे नौनिहालों के भविष्य के निर्माण में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सशक्त, समृद्ध एवं शक्तिशाली भारत के रूप में तेजी से आगे बढ़ रहा है। वैश्विक स्तर पर भारत को अलग पहचान मिली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत वसुधैव कुटुंबकम् की भावना से आगे बढ़ रहा है। कोरोना काल में भारत ने अनेक देशों को कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध कराई। भारत को जी-20 की अध्यक्षता करने का अवसर मिला। देश के अनेक हिस्सों में जी-20 की बैठकें आयोजित की गई। उत्तराखण्ड में जी-20 की तीन बैठकें आयोजित की गई। इन बैठकों से उत्तराखण्ड को भी वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आर्थिकी को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। दिसम्बर में राज्य में इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया जा रहा है। राज्य में युवाओं को रोजगार के पूरे अवसर मिले, इसके लिए रोजगार एवं स्वरोजगार की दिशा में तेजी से कार्य किये जा रहे हैं। राज्य में सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। इस कानून के लागू होने के बाद से अभी तक साढ़े पांच लाख से अधिक अभ्यर्थी प्रतियोगी परिक्षाओं में भाग ले चुके हैं। सभी परीक्षाएं पारदर्शिता के साथ पूर्ण की जा रही हैं।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सहायक अध्यापकों की नियुक्ति होने से कई स्कूलों में अध्यापकों की कमी पूरी होगी। उन्होंने सभी चयनित शिक्षकों से कहा कि शुरूआती सालों में दुर्गम क्षेत्रों में सेवा जरूर करें। उन्होंने कहा कि सहायक अध्यापकों का अभी मंडल केडर है, इसे स्टेट कैडर बनाने पर विचार किया जा रहा है। स्कूलों में जो गेस्ट फैकल्टी कार्य कर रहे हैं, उनकी जायज मांगे पूरी की जायेगी। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में बैकलॉग के लगभग शत प्रतिशत पद भरे गये हैं, माध्यमिक शिक्षा में भी 80 प्रतिशत बैकलॉग के पद भरे गये हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखण्ड को देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।
इस अवसर विधायक उमेश शर्मा काऊ, सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन, अपर सचिव रंजना राजगुरू, महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी, भाजपा महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।

उच्च शिक्षा मंत्री की मौजूदगी में प्रादेशिक परिषद की विशेष बैठक में पारित हुये कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव

प्रदेश में स्काउट्स एंड गाइड्स का दायरा बढ़ाया जायेगा। जिसके लिये संस्कृत विद्यालयों से लेकर विद्यालयी शिक्षा, उच्च शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा व मदरसों में भी स्काउट्स एवं गाइड्स की इकाईयों की स्थापना की जायेगी ताकि वर्ष 2025 तक प्रदेश में स्काउट्स एंड गाइड्स तथा रोवर रेंजर्स के रूप में एक लाख से अधिक छात्र-छात्राओं का पंजीकरण किया जा सके। स्काउट्स एंड गाइड्स अपने पारिवारिक एवं सामाजिक दायित्वों के साथ-साथ राष्ट्रीय कार्यक्रमों भी बढ़-चढ़कर भागीदारी निभायेंगे। इसके लिये विभागीय अधिकारियों वार्षिक कार्ययोजना तैयार करेंगे।

भारत स्काउट्स एंड गाइड्स उत्तराखंड के प्रादेशिक अध्यक्ष एवं विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में आज देहरादून स्थित राज्य मुख्यालय में प्रादेशिक परिषद की विशेष बैठक आहूत की गई। जिसमें परिषद द्वारा स्काउट्स एंड गाइड्स को लेकर कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किये गये। डॉ. रावत ने बताया कि प्रदेश में स्काउट्स एंड गाइड्स का दायरा बढ़ाया जायेगा, जिसके लिये विद्यालयी शिक्षा, उच्च शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा से लेकर संस्कृत विद्यालयों एवं मरदसों में स्काउट्स एंड गाइड्स की इकाईयां स्थापित की जायेंगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 में जब उत्तराखंड अपनी स्थापना का रजत जयंती बना रहा होगा। तबतक प्रदेशभर में एक लाख से अधिक स्काउट्स एंड गाइड्स तथा रोवर रेंजर्स पंजीकृत करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा स्काउट्स गाइड्स तथा रोवर रेंजर्स को समय-समय पर प्रदेशभर में चलाये जाने वाले नशा मुक्ति अभियान, रक्तदान एवं रक्तदाता पंजीकरण अभियान, सड़क सुरक्षा अभियान, नये मतदाता अभियान एवं साक्षरता आदि अभियानों से भी जोड़ा जायेगा ताकि सभी स्काउट्स गाइड्स अपने जीवन में पारिवारिक एवं सामाजिक दायित्वों के साथ-साथ राष्ट्रीय दायित्वों का भी निर्वहन कर सकें।

डा. रावत ने बताया कि उत्तराखंड आपदा के दृष्टिगत एक संवेदनशील प्रदेश है जिसको देखते हुये 10 हजार स्काउट्स गाइड्स तथा रोवर्स रेंजर्स को आपदा प्रबंधन संबंधी प्रशिक्षण भी दिया जायेगा ताकि आपदा के दौरान इन स्वयं सेवकों से आपदाग्रस्त क्षेत्रों में सहयोग लिया जा सके। बैठक में निर्णय लिया गया कि अप्रैल 2024 में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय स्तर के 11वीं एशिया-पैसेफिक रिजनल स्काउट लीडर्स समिट के अयोजन हेतु लगने वाली बिड़ में प्रतिभाग किया जायेगा यदि इस आयोजन का मौका उत्तराखंड को मिलता है तो यह राज्य के लिये बड़ी उपलब्धि होगी। बैठक में स्काउट गाइड के प्रादेशिक भवन निर्माण, वाहन एवं अन्य ढ़ाचागत सुविधाओं का प्रस्ताव आगामी वित्तीय वर्ष हेतु शासन को भेजे जाने का भी निर्णय लिया गया। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि स्काउट्स गाइड्स की गतिविधियों के संचालन के लिये वर्षिक कार्ययोजना तैयार की जायेगी ताकि प्रदेशभर में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में समयबद्धता व एकरूपता बनी रही।

बैठक में प्रादेशिक मुख्य आयुक्त भारत स्काउट एंड गाइड उत्तराखंड एवं निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी, प्रादेशिक आयुक्त वंदना गर्ब्याल, रघुनाथ लाल आर्य, राज्य सचिव आर.एम. काला, मुख्य आयुक्त डी.आर.एन. भारती, उपाध्यक्ष प्रो. ए.एस. उनियाल, डॉ. अनीता चमोला, डॉ. सांई किरन तोमर सहित प्रदेश एवं जिला स्तर के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

बेहतर प्रदर्शन करने वाले यूनिट लीडर्स किये सम्मानित
भारत स्काउट्स एंड गाइड्स उत्तराखंड के प्रादेशिक अध्यक्ष एवं विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि जनवरी 2023 में राजस्थान में आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय जम्बूरी में स्काउट्स एंड गाइड्स द्वारा सभी 16 प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया और नेशनल कमिशनर शील्ड प्राप्त की। इसी प्रकार उच्च शिक्षा के अंतर्गत महाविद्यालयों ने सामुहिक सामुदायिक कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति शील्ड प्रतियोगिता अपने नाम की। अंतराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले ओलिव अवार्ड में भी राज्य की टीम ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर एशिया पैसिफिक क्षेत्र में देश व राज्य का नाम रोशन किया। इस अवसर पर डॉ. रावत ने बेहतर प्रदर्शन करने वाले स्काउट्स एंड गाइड्स के विभिन्न जनपदों के यूनिट लीडर्स को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

आधुनिक आईटी लैब व छात्रावास से लैस होंगे मॉडल कॉलेज

उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत 20 राजकीय महाविद्यालयों का कायाकल्प कर उन्हें शोध आधारित मॉडल कॉलेज के रूप में विकसित किया जायेगा। इसी प्रकार 6 राजकीय महाविद्यालयों में कला व विज्ञान संकाय के लिये नये पीजी ब्लॉक बनाये जायेंगे। इसके लिये राज्य सरकार ने रूपये 159 करोड़ से अधिक की धनराशि स्वीकृत कर दी है।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत शोध आधारित मॉडल कॉलेज विकसित करने में जुटी है। इसके लिये प्रदेश के 20 राजकीय महाविद्यालयों का चयन कर उनमें आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिये रूपये 129 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर दी है। इसी तरह राज्य के 6 राजकीय महाविद्यालयों में कला एवं विज्ञान संकाय के पृथक पीजी ब्लॉकों के निर्माण के लिये रूपये 30 करोड़ मंजूर कर कुल 159 करोड़ से अधिक की धनराशि स्वीकृत कर दी है। उन्होंने बताया कि स्वीकृत धनराशि से राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रूद्रपुर, काशीपुर, चम्पावत, बागेश्वर, पिथौरागढ़, हल्द्वानी, रानीखेत, कोटद्वार, नरेन्द्रनगर, नई टिहरी, उत्तरकाशी, थलीसैंण, गैरसैंण, लक्सर, गोपेश्वर, डाकपत्थर, रायपुर, अगस्त्यमुनि सहित कुमाऊं विश्वविद्यालय का डीबीएस परिसर तथा सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा परिसर में जरूरी संसाधन जुटाकर मॉडल कॉलेज बनाये जायेंगे। इन महाविद्यालयों में महिला एवं पुरूष छात्रावास सहित अति आधुनिक आई.टी. लैब तथा ई-लर्निंग कक्षों का निर्माण किया जायेगा।

डॉ. रावत ने बताया कि महिला व पुरूष छात्रावासों में तमाम सुविधाओं के साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित किये जायेंगे। इसके अलावा छात्र-छात्राओं के लिये पार्किंग, डाईनिंग हाल, किचन, दिव्यांग कक्ष एवं रैम्प तथा वार्डन ऑफिस भी बनाये जायेंगे। विभागीय मंत्री डॉ. रावत ने बताया कि प्रदेश के 6 राजकीय महाविद्यालयों राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय स्याल्दे, बेरीनाग एवं कपकोट में कला संकाय भवन तथा राजकीय महाविद्यालय टनकपुर, थत्युड एवं सोमेश्वर में विज्ञान संकाय के भवनों का निर्माण किया जायेगा। उन्होंने बताया कि मॉडल कॉलेजों एवं पीजी कॉलेजों में निर्माण कार्यों को शीघ्र शुरू करने के लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं ताकि तय समय निर्माण कार्यों को पूरा किया जा सके और छात्र-छात्राओं का इसका लाभ मिल सके।

राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा के लिये रूपये 159 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की है। जिसके तहत प्रदेश के 20 मॉडल कॉलेजों में अति आधुनिक आईटी लैब एवं छात्रावास का निर्माण किया जायेगा जबकि 6 राजकीय महाविद्यालयों में कला एवं विज्ञान संकाय के लिये भवन बनाये जायेंगे। हमारा ध्येय प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप छात्र-छात्राओं को गुणवत्ता, रोजगार एवं शोधपरक शिक्षा उपलब्ध कराना है।
-डॉ. धन सिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड सरकार।

चयनित एलटी शिक्षकों को शीघ्र वितरित होंगे नियुक्ति पत्रः धन सिंह रावत

प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा के पाठ्यक्रम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) द्वारा संचालित चन्द्रयान अभियानों को शामिल किया जायेगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं। सभी राजकीय विद्यालयों में कार्यक्रमों का आयोजन कर शिक्षक दिवस को धूमधाम से मनाया जायेगा। इस अवसर पर राज्य से लेकर ब्लॉक स्तर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित भी किया जायेगा। हाल ही में चयनित एलटी शिक्षकों को आगामी 6 सितम्बर को नियुक्ति पत्र सौंपकर प्रथम तैनाती दी जायेगी।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज अपने शासकीय आवास पर विद्यालयी शिक्षा विभाग की बैठक ली। जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। मीडिया को जारी बयान में डॉ. रावत ने बताया कि चन्द्रयान-3 अभियान की सफलता ने देश एवं दुनिया में भारतीय मेधा का परचम लहराया है। बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के उद्देश्य से राज्य के विद्यालयी शिक्षा पाठ्यक्रम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) द्वारा संचालित चन्द्रयान अभियानों को शामिल किया जायेगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को विज्ञान वर्ग के अंतर्गत कक्षा 6वीं से 12वीं तक के लिये चरणवद्ध पाठ्यक्रम तैयार करने को कहा गया है। आगामी 5 सितम्बर को सभी राजकीय विद्यालयों में शिक्षक दिवस को धूमधाम से मनाया जायेगा। इसी के साथ उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को राज्य से लेकर ब्लॉक स्तर पर सम्मानित किया जायेगा। इसके अलावा हाल ही में चयनित एलटी शिक्षकों को आगामी 6 सितम्बर को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाथों नियुक्ति पत्र सौंपे जायेंगे। जिसकी तैयारी के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दे दिये गये हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि कतिपय विद्यालय ऐसे हैं जहां पर शिक्षक तैनात हैं लेकिन उनके विषय में छात्र-छात्राओं की संख्या शून्य है। ऐसे शिक्षकों को अन्यत्र विद्यालयों में जहां पर संबंधित विषय में छात्र पंजीकृत हों समायोजित किया जायेगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को सूची तैयार कर कार्रवाई करने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न राजकीय विद्यालयों में कार्यरत संविदा शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिये सितम्बर प्रथम सप्ताह में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर ठोस निर्णय लिया जायेगा ताकि उनकी समस्याओं का संतोषजनक समाधान निकाला जा सके। इसके साथ ही उन्होंने विभागीय अधिकारियों को आपदा से क्षतिग्रसत विद्यालयों के आपदा मद से शीघ्र मरम्मत एवं निर्माण कराने के भी निर्देश दिये।

बैठक में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी, निदेशक बेसिक शिक्षा आर.के. उनियाल सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

उच्च शिक्षा में नौकरी के लिए चयनित अभ्यर्थियों को सीएम ने दिए नियुक्ति पत्र

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में उच्च शिक्षा विभाग के अन्तर्गत चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किये। उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में उच्च शिक्षा विभाग में कनिष्ठ सहायक के पद पर 43 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। मुख्यमंत्री ने चयनित 17 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किये। शेष सभी अभ्यर्थियों को भी उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्ति पत्र भेजे जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने सभी चयनित अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सभी चयनित अभ्यर्थी अपने कार्यक्षेत्र में पूरी ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा के साथ कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने आप सभी को सेवा का अवसर प्रदान किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि बेहतर कार्यशैली से सभी राज्य के विकास में योगदान देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर कार्य करने के लिए समय प्रबंधन का विशेष ध्यान रखना होगा। टाइम टेबल के हिसाब से अपनी दिनचर्या बनानी जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। इसके लागू होने के बाद सभी भर्ती परीक्षाएं पूर्ण पारदर्शिता के साथ सम्पन्न हुई है। इस कानून के लागू होने के बाद से राज्य में 05 लाख से अधिक लोग प्रतियोगी परिक्षाएं दे चुके हैं। योग्य अभ्यर्थियों का कई परीक्षाओं में चयन भी हो रहा है। उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे सभी अभ्यर्थियों से पूरे मनोयोग से तैयारी करने को कहा है।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगौली, अपर सचिव डॉ. आशीष श्रीवास्तव एवं उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

उच्च शिक्षा मंत्री ने बैकलॉग खत्म कर लम्बित परीक्षाफल शीघ्र जारी करने के दिए निर्देश

उच्च शिक्षा में शैक्षिक कैलेंडर प्रभावी रूप से लागू करने के लिये सभी राजकीय विश्वविद्यालयों को स्पष्ट निर्देश दे दिये गये हैं। इससे उच्च शिक्षा की तमाम शैक्षिक गतिविधियां समय पर पूरी हो सकेंगी। विश्वविद्यालय प्रशासन को समय पर परीक्षाओं का आयोजन कर तत्परता से परीक्षा परिणाम घोषित करने को कहा गया है। इसके अलावा बैकलॉग खत्म कर विभिन्न परीक्षाओं के लंबित परीक्षा परिणाम को भी शीघ्र जारी करने के निर्देश दिये गये हैं। भविष्य में शैक्षणिक सत्र में एकरूपता लाने के लिये विश्वविद्यालयों को एक सप्ताह के भीतर वार्षिक प्लान तैयार कर शासन को अवगत कराने को कहा गया है। साथ ही विश्वविद्यालयों में लम्बे समय से रिक्त चल रहे शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर पदों को आवश्यकतानुसार प्रतिनियुक्ति अथवा सेवा स्थानांतरण के आधार पर भरने के निर्देश शासन व विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों को दिये गये हैं।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज विधानसभा स्थित सभाकक्ष में राजकीय विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने शैक्षिक कैलेंडर को प्रभावी तरीके से लागू न कर पाने पर अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। विभागीय मंत्री डॉ. रावत ने बताया कि विश्वविद्यालयों में एनईपी एवं यूजीसी की गाइडलाइन के अनुरूप शैक्षिक कैलेंडर सख्ती से लागू करने के लिये विश्वविद्यालय प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दे दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि शैक्षिक कैलेंडर प्रभावी रूप से लागू न होने से विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में तमाम शैक्षिक एवं अन्य गतिविधियां प्रभावित हो जाती है जिसका खामियाजा सीधे तौर पर छात्र-छात्राओं को उठाना पड़ता है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा परीक्षाओं का आयोजन तथा परीक्षा परिणाम समय पर जारी ने करने पर विभागीय मंत्री ने दो टूक कहा कि भविष्य में ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। उन्होंने विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव एवं परीक्षा नियंत्रक को परीक्षाओं के आयोजन एवं परीक्षाफल नियत समय पर घोषित करने के लिये केन्द्रीय मूल्यांकन व्यवस्था लागू करने को कहा। साथ ही परीक्षा आयोजन एवं परीक्षा मूल्यांकन की मॉनिटिरिंग करने एवं बैकलाग को खत्म कर लंबित रिजल्ट को शीघ्र जारी करने के निर्देश दिये। डॉ. रावत ने बताया कि विश्वविद्यालयों में लम्बे समय से कई महत्पपूर्ण पद रिक्त चल रहे जिस कारण विश्वविद्यालयों का कामकाज प्रभावित हो रहा है। उन्होंने शासन एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों को सीधी भर्ती होने तक रिक्त पदों को प्रतिनियुक्ति अथवा सेवा स्थानांतरण के आधार पर भरने के निर्देश दिये। इसके लिये उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को एक माह के भीतर कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालय अपने यहां संचालित पाठ्यक्रमों एवं छात्र संख्या को ध्यान में रखते हुये शैक्षणिक गतिविधियों को समय पर पूरा करने के लिये एक सप्ताह के भीतर वार्षिक प्लान तैयार कर शासन को भी अवगत करायें। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि विश्वविद्यालयों के अंतर्गत शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन व क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की लेटलतीफी के लिये संबंधित कुलपति, कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक को जिम्मेदार माना जायेगा।

बैठक में सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगोली, अपर सचिव प्रशांत आर्य, कुलपति मुक्त विवि प्रो. ओ.पी.एस. नेगी, कुलपति श्रीदेव सुमन विवि प्रो. एन.के. जोशी, कुलपति कुमाऊं विवि प्रो. डी.एस. रावत, कुलपति दून विवि प्रो. सुरेखा डंगवाल, कुलपति एस.एस.जे. विवि अल्मोड़ा प्रो. जे.एस. बिष्ट, कुलपति संस्कृत विवि प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री, रूसा सलाहकार प्रो. एम.एस.एम. रावत, प्रो. के.डी. पुरोहित, संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा प्रो. ए.एस. उनियाल सहित विश्वविद्यालयों के कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक एवं अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

उच्च शिक्षण संस्थानों में 14 अगस्त तक ही होंगे प्रवेशः शैलेश बगोली
उच्च शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि वर्तमान शैक्षिक सत्र के लिये उच्च शिक्षण संस्थानों में 14 अगस्त तक ही छात्र-छात्राओं से प्रवेश हेतु आवेदन लिये जायेंगे। इसे उपरांत प्रवेश हेतु कोई समय सीमा नही बढ़ाई जायेगी। उच्च शिक्षा सचिव शैलेश बगोली ने बताया कि सभी एफिलिएटिंग यूनिवर्सिटीज के कुलपतियों को अपने-अपने संबद्ध शिक्षण संस्थानों के प्राचार्यों एवं निदेशकों के साथ ऑनलाइन बैठक कर प्रवेश प्रक्रिया के लिये निर्धारित समय सीमा का सख्ताई से पालन कराने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में पहली बार स्नातक स्तर पर प्रवेश हेतु समर्थ पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की गई। जिसके अंतर्गत अभी तक 84 हजार 513 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश हेतु अपना पंजीकरण कराया। इसके साथ ही ऑनलाइन पंजीकरण से छूटे छात्र-छात्राओं को 14 अगस्त तक ऑफलाइन पंजीकरण का मौका दिया गया ताकि प्रवेश से वंचित छात्र-छात्राएं अपने निकटतम महाविद्यालयों में सीधा अपना पंजीकरण करा सकेंगे, इससे उनका साल बर्बाद होने से बचाया जा सके।

पीएम श्री स्कूल योजना के द्वितीय चरण में अधिक से अधिक स्कूल हों शामिल

भारत सरकार द्वारा संचालित पीएम-श्री योजना के अंतर्गत द्वितीय चरण के लिये विद्यालयों के चिन्हीकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जिसमें सूबे के अधिक से अधिक स्कूलों को शामिल करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों दे दिये गये हैं। इस संबंध में सभी जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों एवं खंड शिक्षा अधिकारियों को पीएम-श्री पोर्टल पर आवेदन कर विद्यालयों की सम्पूर्ण जानकारी अपलोड करने को कहा गया है साथ ही चिन्हित विद्यालयों के भौतिक निरीक्षण की रिपोर्ट निदेशालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये हैं

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि भारत सरकार की महत्वकांक्षी पीएम-श्री योजना के अंतर्गत द्वितीय चरण में विद्यालयों के चयन की ऑनलाइन प्रक्रिया एक अगस्त से शुरू हो चुकी है। जिसके तहत 21 अगस्त तक विद्यालयों द्वारा चयन हेतु आवेदन किया जाना है। जिनका 31 अगस्त तक जनपद स्तर सत्यापन तथा 5 सितम्बर तक राज्य स्तर सत्यापन एवं चयन का कार्य पूरा किया जायेगा। इसके उपरांत 15 सितम्बर तक भारत सरकार द्वारा चयनित विद्यालयों की सूची जारी कर दी जायेगी। डॉ. रावत ने बताया कि इस योजना के प्रथम चरण के अंतर्गत राज्य से 232 स्कूलों का चिन्हिकरण कर भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था, जिनमें से भारत सरकार ने 142 विद्यालयों को अपनी स्वीकृत प्रदान की। उन्होंने बताया कि योजना के द्वितीय चरण में प्रदेश के अधिक से अधिक विद्यालयों को शामिल करने के लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं। जिसके तहत अपने अपने जनपदों में चिन्हित विद्यालयों की सम्पूर्ण सूचनाएं विद्यालय स्तर से नियत समय में पीएम-श्री पोर्टल पर अपलोड कराना होगा। साथ ही विकासखंड एवं जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा चिन्हित विद्यालयों का भौतिक निरीक्षण कर प्रामणीकरण रिपोर्ट राज्य स्तरीय अधिकारी को उपलब्ध कराने के निर्देश दे दिये गये हैं।

राज्य सरकार ने 10वीं और 12वीं के 94 मेधावी छात्रों को सम्मानित किया

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को आई.आर.डी.टी. सभागार, सर्वे चौक देहरादून में आयोजित 10वीं एवं 12वीं परीक्षा में उत्तीर्ण मेधावी छात्र-छात्राओं के ‘सम्मान समारोह’ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की ओर से 94 मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी मेधावियों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें गर्व का अनुभव हो रहा है, आज वे प्रदेश के उन सर्वश्रेष्ठ बच्चों से मिल रहे हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर यह दिखाया है कि शिखर पर जाने के लिए एक स्पष्ट उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता है। शिक्षा से जीवन की सभी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। शिक्षा में भक्ति जैसी सारगर्भिता होनी चाहिए। उन्होंने मेधावी विद्यार्थियों से कहा कि यह जीवन की प्रारंभिक सीढ़ी है। जीवन की प्रत्येक सीढ़ी पर आपको चुनौतियां मिलेंगी, जिन पर आपको विवेक और बुद्धि के बल पर पार पाना होगा। न तो मेहनत का कोई विकल्प होता है और न ही शॉर्ट कट कभी हमें स्थायी सफलता की ओर ले जाता है। इसलिए हमें विकल्प रहित संकल्प लेकर लगातार मेहनत करनी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रश्न पत्र के माध्यम से ही जीवन में हमेशा परीक्षा नहीं आती। कई बार ऐसी चुनौतियां आती हैं, जिनका समाधान अपनी पूरी मेधा लगाकर ही पाया जा सकता है। कार्य करने का अवसर जिस भी क्षेत्र में मिले उस क्षेत्र में लीडर की भूमिका में कार्य करें, उस कार्य के प्रति अपना सर्वश्रेष्ठ दें। चुनौतियों का धैर्यपूर्वक सामना करते हुए अपने पुरुषार्थ के बल पर मंजिल प्राप्त करना ही वास्तविक सफलता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी देश का सामाजिक एवं आर्थिक विकास उस देश में विद्यार्थियों को मिलने वाली शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नए युग की नई चुनौतियों से निपटने के लिए नई शिक्षा नीति को हमारे सम्मुख रखा गया। नई शिक्षा नीति से जहां एक ओर स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा को नए आयाम प्राप्त होंगे वहीं इससे सभी वर्ग के लोगों को समानता के आधार पर शिक्षा प्राप्त करने के अवसर भी मिलेंगे। स्कूली स्तर पर कौशल विकास से युवा कार्य कुशल बनेंगे। नई शिक्षा नीति के माध्यम से बच्चों को रोजगार परक शिक्षा के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने में भी सहायता मिलेगी। इससे शोध एवं अनुसंधान को भी बढ़ावा मिलेगा तथा विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच विकसित होगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देश का प्रथम राज्य है जिसने स्कूली शिक्षा में नई शिक्षा नीति को लागू किया है।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के लिए राज्य में तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं। देश की रैंकिंग में हमारे 5 विश्वविद्यालयों के नाम हैं। इस बार एनडीए एवं सीडीएस की परीक्षा में राज्य से सर्वाधिक बच्चे चयनित हुए। राज्य में पहली बार मेधावियों को सम्मान देने का कार्य मुख्यमंत्री द्वारा किया गया है। राज्य सरकार छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए समर्पित सरकार है। सरकार द्वारा मेधावी बच्चों के लिए चार छात्रवृत्ति योजनाएं चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि स्कूलों की प्रवक्ता व एलटी शिक्षकों की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए प्रधानाचार्यों को नामित किया गया है। प्रदेश में अंक सुधार परीक्षा आयोजित की जा रही है।

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