महिला आरक्षण पर बोले सीएम राज्य की महिलाओं के सर्वागींण विकास के लिए जरुरी है आरक्षण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने महिला क्षैतिज आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट से रोक मिलने का स्वागत किया है। राज्य सरकार ने एक साल के भीतर सरकारी विभागों में 19 हजार भर्तियां करने का लक्ष्य रखा है।
शुक्रवार को महिला क्षैतिज आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सीएम धामी ने त्वरित टिप्पणी की है। सीएम धामी की मंजूरी के बाद ही महिला आरक्षण को यथावत रखने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। उसी पर सर्वाेच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर स्टे दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के प्रदेश की महिलाओं के हित में दिए गए फ़ैसले स्वागत किया। कहा कि हमारी सरकार प्रदेश की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। राज्य सरकार ने महिला आरक्षण को यथावत् बनाए रखने के लिए अध्यादेश लाने के लिए भी पूरी तैयारी कर ली थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में भी समय से अपील करके प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की।
सीएम धामी पहले ही साफ कर चुके हैं कि एक वर्ष के भीतर सरकार ने विभिन्न सरकारी विभागों में 19 हजार नई भर्तियों का फैसला लिया है। ताजा आदेश के बाद अब इन भर्तियों में तेजी आने की उम्मीद है। दरअसल, पहले उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग भर्ती घपला और फिर हाईकोर्ट के 30 फीसदी महिला आरक्षण पर रोक के बाद भर्ती प्रक्रिया थम गई। इससे बेरोजगार अभ्यर्थियों में आक्रोश पनप रहा था, लेकिन अब फिर भर्तियों की राह जोर पकड़ सकती हैं।

एक्ट बनाने से नहीं फंसेगा फेंच
उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में अभी महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण सिर्फ एक जीओ के आधार पर मिल रहा है। 18 जुलाई, 2001 को नित्यानंद स्वामी सरकार ने इसकी शुरूआत की थी। तब 20 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था। तब से सरकार ने इसके लिए कोई एक्ट नहीं बनाया है, जिससे भविष्य में भी इस जीओ को चुनौती मिल सकती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार को यह लाभ यथावत देने के लिए अध्यादेश या फिर विधानसभा के पटल पर विधेयक लाना होगा, ताकि इसे कानूनी तरह से अमली जामा पहनाया जा सके। पिछले माह हुई बैठक में कैबिनेट मुख्यमंत्री को महिला आरक्षण को लेकर अध्यादेश लाने की मंजूरी देने को अधिकृत भी कर चुकी है।

न्याय विभाग से भी इसका परीक्षण कराया जा चुका है। चूंकि, फिलहाल सरकार को राहत मिल चुकी है तो अध्यादेश या फिर विधेयक दोनों में कोई एक विकल्प सरकार चुन सकती है। एक्ट बनने से भविष्य में राज्य में महिला आरक्षण पर पेंच नहीं फंसेगा।

एसएलपी में ये दिए थे तर्क
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी में आरक्षण यथावत रखने के लिए विभिन्न तर्क दिए थे। इसमें कहा गया था कि उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न हैं और पर्वतीय महिलाओं की विकट जीवन शैली है। चूल्हे से लेकर खेत-खलिहान सभी उन्हीं के जिम्मे है। वहीं, सरकारी नौकरियों में महिलाओं का प्रतिनिधत्व काफी कम है। लिहाजा समाज के मुख्य धारा में महिलाओं को शामिल करने के लिए उनके लिए क्षैतिज आरक्षण जरूरी है।

कई राज्यों में है महिला आरक्षण
विभिन्न राज्यों में सभी महिलाओं को सरकारी नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण देने का प्रावधान है। इनमें बिहार में सबसे अधिक 35 फीसदी आरक्षण है, जबकि मध्यप्रदेश और राजस्थान में 30-30 फीसदी आरक्षण है। यूपी ने भी 20 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया था, लेकिन वर्ष 2019 में इलाहाबादा हाईकोर्ट में चुनौती मिलने के बाद इस पर रोक लगी है।

कब क्या हुआ
18 जुलाई, 2001 में नौकरियों में मिला था स्थानीय महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण
24 जुलाई, 2006 में एनडी सरकार में इसमें बढ़ोत्तरी कर 30 फीसदी किया
10 अक्तूबर,2022 में हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगाई
24 अगस्त, 2022 को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन की दायर

वहीं, वित्त, संसदीय, शहरी विकास व आवास, पुनर्गठन व जनगणना मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने राज्य में 30 प्रतिशत महिला आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का स्वागत किया है। राज्य सरकार ने इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट में ठोस पैरवी की थी। उसी के परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को यथावत रखने का आदेश सुनाया है। डा. अग्रवाल ने कहा कि जहां उत्तराखंड राज्य यहां की महिलाओं के संघर्ष के बाद प्राप्त हुआ। महिलाओं के लिए यह राज्य सदैव ऋणी रहेगा। उत्तराखंड में महिलाओं को मां, बहन और बेटी के रूप में पूजा जाता है।
डा. अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस वक्त में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जब पूरा उत्तराखंड अपना लोकपर्व इगास मना रहा है। आज ही के दिन ग्राम्य विकास विभाग द्वारा लखपति दीदी योजना परवान चढ़ी है। डा. अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने लखपति दीदी योजना में स्वयं सहायता समूह के माध्यम से एक वर्ष में एक लाख से अधिक की आय अर्जित करने वाली महिलाओं को लखपति दीदी के रूप में सम्मानित किया।
डा. अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में कार्यरत है, 2025 तक सरकार ने सवा लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य निश्चित किया है।

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