कोर्ट ने मारपीट, लज्जा भंग जैसे गंभीर धाराओं के आरोपियों को किया दोषमुक्त, पढ़ें जजमेंट के अंश…

वर्ष 2014 में सर्वहारा नगर में घर में घुसकर मारपीट, महिलाओं की लज्जाभंग, जान से मारने की धमकी, निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने सहित अन्य धाराओं के आरोपियों को न्यायालय ने दोषमुक्त किया है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनमोहन सिंह की अदालत में चले वाद में वादी पक्ष के गवाहों का विरोधाभास होना, आरोपियों के अधिवक्ता शुभम राठी की मजबूत पैरवी के चलते आरोपियों को संदेह का लाभ मिला।

अधिवक्ता शुभम राठी ने बताया कि, 11 सितंबर 2014 को सर्वहारा नगर ऋषिकेश निवासी महिला सुषमा ने आईडीपीएल चैकी में तहरीर देकर बताया था कि उनके घर करीब 100 लोगों ने घुसकर मारपीट, गालीगलौच, जान से मारने की धमकी, महिलाओं की लज्जाभंग, निजी संपत्ति पर नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था। इस मामले में पुलिस ने पांच आरोपियों थम्मन सैनी, रामबदन, कुलदीप शर्मा, जयपाल और सुरेश वर्मा पर पांच धाराओं (147,148, 452, 323, 354, 427, 504, 506) में मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार किया था। इसके बाद मामला न्यायालय में विचाराधीन था। वाद विचारण के दौरान एक आरोपी जयपाल की मृत्यु हो गई।

मामले में वादी पक्ष के न्यायालय में पांच गवाह प्रस्तुत हुए। यह सभी एक ही परिवार के आपस में रिश्तेदार थे। न्यायालय के समक्ष सभी गवाहों ने विरोधाभास बयान दिए। साथ ही ऐसे तथ्य गवाहों की ओर से दिए गए, जिनकी सत्यता और विश्वसनीयता पर न्यायालय ने संदेह जताया।

अधिवक्ता शुभम राठी ने बताया कि न्यायालय के समक्ष वादी पक्ष के सभी गवाहों ने जो मारपीट के दौरान चोट लगना बताया था, उनकी पुष्टि चिकित्सीय परीक्षण में सहीं नहीं पाई गई। इसी तरह घटनाक्रम को लेकर पुलिस के आने के समय को सभी गवाहों ने अलग-अलग बताया। यहीं नहीं गवाहों ने घटनाक्रम को लेकर पुलिस को दी तहरीर में करीब 100 लोगों की मौजूदगी होना बताया, जबकि न्यायालय के समक्ष एक ही परिवार के सिर्फ पांच लोग ही गवाह के रूप में प्रस्तुत हुए।

मामले में अधिवक्ता शुभम राठी की मजबूत पैरवी की बदौलत न्यायाधीश मनमोहन सिंह ने वादी पक्ष की ओर से तमाम कमियां व खामियां पाई, जिसके कारण मामला संदिग्ध होना पाया। इन सभी तथ्यों को आधार बनाकर न्यायालय ने आरोपियों थम्मन सैनी, कुलदीप शर्मा, राम बदन और सुरेश वर्मा को आरोपों से दोषमुक्त किया है।

सात साल पूर्व पत्नी की मौत पर कोर्ट ने सुनाया फैसला, पति सहित तीन को 14 साल की सजा

ऋषिकेश में सात साल पुराने दहेज के लिए हत्या मामले में आज प्रथम अपर जिला व सत्र न्यायाधीश मनीष मिश्रा की अदालत ने सजा सुनाई है। मामले में आरोपी पति राजेश तनेजा, सास आशा तनेजा और देवर वरूण तनेजा को न्यायालय ने 14 साल की सजा सुनाई है। साथ ही 10-10 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड जमा न करने की सूरत में सभी सजा प्राप्त अभियुक्तों को छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

बता दें कि एक अक्टूबर 2006 को बबीता निवासी रामनगर नैनीताल का विवाह तुलसी विहार गुमानीवाला निवासी राजेश तनेजा के साथ हुआ। मायके पक्ष ने ससुराल पक्ष पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। साथ ही मारपीट का भी आरोप भी जड़ा था। इसके बाद 17 जून 2013 को बबीता की तबीयत खराब होने पर उसे दून रोड स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में लेकर गए, यहां से सरकारी अस्पताल ले जाने पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।

इस मामले में 18 जून को मृतका के पिता ने ऋषिकेश कोतवाली में पति राजेश तनेजा, सास आशा तनेजा और देवर वरुण तनेजा के खिलाफ दहेज के लिए प्रताड़ित करने सहित हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। इस पर आज एडीजे प्रथम की अदालत ने पति राजेश तनेजा, सास आशा और देवर वरुण तनेजा को दहेज उत्पीड़न और दहेज के लिए हत्या का दोषी करार दिया। सभी को सजा भी सुनाई। न्यायालय ने माना कि महिला की मौत उसके भोजन में जहर मिला कर देने से हुई थी। जिसकी पुष्टि विधि विज्ञान विश्लेषण प्रयोगशाला में मृतका की बिसरा जांच के बाद हुई थी।

पिता और पुत्र को मारपीट के मामले में कोर्ट ने सुनाई एक-एक साल की सजा

मारपीट के एक मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश आलोक राम त्रिपाठी की अदालत ने आरोपी पिता और पुत्र को दोषी पाते हुए एक-एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 1500-1500 रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड न देने पर दोनों को एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा।

मामला 11 अगस्त 2016 का है। बताया गया कि वादी जीत बंधन फल लेने के लिए बड़ी सब्जी मंडी गए थे। यहां पर सुरेश गुप्ता से किसी बात पर कहासुनी हो गई। इसके बाद दोपहर करीब डेढ़ बजे वादी को तारामाता मंदिर मायाकुंड के समीप सुरेश गुप्ता और उसका पुत्र आशीष गुप्ता मिल गए। आरोप था कि दोनों पिता और पुत्र ने वादी के साथ जमकर मारपीट की। इस कारण वादी के मुंह पर चार टांके आए और दो दांत भी टूट गए। वादी की तहरीर के आधार पर पुलिस ने पिता-पुत्र के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर जांच के बाद चार्जशीट न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल की।

इस मामले में राज्य की ओर से सहायक अभियोजन अधिकारी राकेश चंद ने मजबूत पैरवी की। इसके आधार पर न्यायाधीश आलोक राम त्रिपाठी ने आरोपी सुरेश गुप्ता पुत्र बनारसी तथा आशीष गुप्ता पुत्र सुरेश गुप्ता को दोषी पाया। उन्होंने दोषी पिता और पुत्र को एक-एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 1500-1500 रुपये का अर्थदंड भी लगाया।

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