स्टाफ नर्स किया मृतक रोगी का मोबाइल चोरी, पुरूष मित्र के साथ अरेस्ट

देहरादून के एक अस्पताल में स्टाफ नर्स की करतूत ने सभी को चैका दिया। दरअसल एक मृतक रोगी का महंगा मोबाइल स्टाफ नर्स ने अपने मित्र की मदद से चोरी कर लिया। पुलिस जब पीड़ित की तहरीर पर छानबीन शुरू की तो दोनों आरोपी पकड़ में आए।

शिकायतकर्ता अमनदीप गिल पुत्र स्व. अवतार सिंह गिल निवासी 156-फेज-02, बसन्त विहार देहरादून ने बताया कि बीते 21 अप्रैल को उनके पिता का स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हे मैक्स अस्पताल, देहरादून में भर्ती कराया था। उपचार के दौरान उनकी आठ मई को मृत्यु हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल में ही उनके पिता का महंगा मोबाइल फोन चोरी हो गया। बताया कि उक्त फोन में बहुत ही जरूरी और कान्फिडैशियल डाटा है।

पुलिस ने तहरीर के आधार पर छानबीन शुरू की। मालूम चला की अन्य रोगियों के साथ भी चोरी की वारदातें हुईं है। यही नहीं, कोविड महामारी के दौरान जीवन रक्षक दवायें व रेमीडिसीवर इंजेक्शन भी चोरी करके बाहर भेजे जाने की घटना का उल्लेख भी नर्सिंग स्टाफ द्वारा हुआ। पुलिस ने मोबाइल पर चल रहे दो नंबरों के आधार पर मोबाइल को प्राप्त किया।

सीओ डालनवाला जूही मनराल ने आरोपी की पहचान रूकइया पुत्री मोबिन निवासी संस्कृति लोक काँलोनी, ब्राहमणवाला, थाना पटेलनगर, देहरादून के रूप में कराई। बताया कि आरोपी स्टाफ नर्स के पद पर कार्यरत है और उसके साथी पुरूष मित्र सलमान अहमद पुत्र खुशनुद निवासी नगीना, मोहम्मदपुर त्रिलोक, बिजनौर यूपी हाल निवासी चुक्खुवाला मोहल्ला थाना कोतवाली नगर, देहरादून के रूप में कराई।

पहाड़ी राज्य पसंद थे साइबर ठगों को, देहरादून को तभी चुना

अगर आपसे कोई ये पूछे कि क्या कोई दसवीं फेल साइबर ठगी कर सकता हैै? तो आपका जवाब नहीं होगा, परंतु आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देहरादून के 97 बैंक खातों के एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार कर 37 लाख से अधिक की ठगी करने वाले शातिर साइबर ठग दसवीं पास भी नहीं है। एसटीएफ की टीम इन साइबर शातिरों को कोल्हापुर (महाराष्ट्र) से गिरफ्तार कर देहरादून पहुंच गई। आरोपियों की पहचान गैंग का मास्टरमाइंड रामवीर, जगमोहन और सुनील के रूप में हुयी। एसटीएफ ने आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया। अब दून पुलिस कस्टडी में लेकर आरोपियों से पूछताछ करेगी। गांधी रोड स्थित एसटीएफ मुख्यालय पर एसएसपी रिदिम अग्रवाल ने पत्रकारों को बताया कि उत्तराखंड में एटीएम क्लोनिंग के अब तक की सबसे बड़ी वारदात को अंजाम देने के बाद फरार चल रहे तीनों आरोपियों को कोल्हापुर में गिरफ्तार कर लिया गया था। गैंग के काम करने के तरीकों का खुलासा करते हुए उन्होंने बताया कि एटीएम क्लोनिंग गैंग का सरगना रामवीर पुत्र स्व. राजपाल निवासी ग्राम बरहाना थाना बेरी जिला झज्जर (हरियाणा) है, जो खुद 10वीं फेल है।
उसने वर्ष 2012 में पड़ोस के गांव के सुनील पुत्र धर्मपाल निवासी खराबड़ रोहतक हरियाणा से एटीएम के कीपैड में तिल्ली फंसा कर एटीएम ठगी का गुर सीखा। इसके बाद उसने कई कारनामे किए। बाद में रामवीर ने अपने गांव के जगमोहन पुत्र देवेंद्र को साथ लेकर गिरोह बना लिया। इसके बाद तीनों ने साइबर तकनीकी में माहिर शख्स से एटीएम क्लोनिंग के गुर सीखे। एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि रामवीर, सुनील और जगमोहन ने स्कीमर के जरिये एटीएम कार्ड का डाटा चोरी करने के तरीके का पहली बार इस्तेमाल किया था। तीनों ने 30 जून को नेहरू कॉलोनी के धर्मपुर में पीएनबी के एटीएम में स्कीमर डिवाइस और कैमरा फिट किया और एक जुलाई को उसे निकालकर हरियाणा चले गए। मगर तकनीकी कारणों से डिवाइस में डाटा कॉपी नहीं हुआ। तीनों सात जुलाई को फिर देहरादून आए और इस बार आरोपियों ने राजीवनगर में एसबीआइ के एटीएम में स्कीमर डिवाइस और कैमरा फिट किया। आसपास के एटीएम के कीपैड पर ग्लू लगाकर उन्हें निष्क्रय कर दिया, ताकि लोग एसबीआइ के एटीएम में ही आएं। यहां से चोरी किए डाटा के सहारे कुल 103 एटीएम कार्डों का क्लोन तैयार किया। उन्होंने बताया कि रामवीर 10वीं फेल होने के बाद भी साइबर फ्रॉड का माहिर है, जबकि उसके अन्य साथी ग्रेजुएट हैं। साइबर ठगों के गैंग का खुलासा और गिरफ्तारी करने पर डीजीपी अनिल के रतूड़ी ने 20 हजार, आइजी एसटीएफ दीपम सेठ ने दस हजार व एसएसपी एसटीएफ ने ढाई हजार रुपये का इनाम दिया है।
पहाड़ी राज्यों को बनाते थे निशाना
रामबीर ने पूछताछ में बताया कि पहाड़ी भोले-भाले होते हैं। जल्दी शक भी नहीं करते हैं। एटीएम बूथ के अंदर दो से तीन लोगों के घुसने पर भी एतराज नहीं करते हैं। यही वजह रही कि रामबीर ने जम्मू-कश्मीर और लेह-लद्दाख में ठगी के बाद उत्तराखंड के देहरादून को क्लोनिंग के लिए चुना।