एसआईटी जांच में दोषी शिक्षकों पर कठोर कार्रवाई के पक्ष में मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में प्रबंध तंत्र द्वारा निजी स्रोत से शिक्षण कार्य हेतु रखे गए पी.टी.ए. शिक्षकों के मानदेय के सम्बन्ध में बैठक आयोजित हुई। बैठक में पी.टी.ए. शिक्षकों की नियुक्ति में पारदर्शिता, निर्धारित आवश्यक अर्हता एवं योग्यता के साथ ही नियमानुसार सम्यक प्रकियाओं के तहत कार्यवाही किये जाने पर विचार किया गया। इस सम्बन्ध में दिसम्बर, 2016 में जारी शासनादेश के अनुसार कार्यवाही किये जाने पर भी सहमति बनी। बैठक में विद्यालयी शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव वित्त अमित नेगी एवं सचिव विद्यालयी शिक्षा आर. मीनाक्षी सुन्दरम के साथ ही अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि शिक्षा के व्यापक हित में योग्यता पर ध्यान दिया जाय, एस.आई.टी की जांच में गलत तरीके से शिक्षक बनने वालो के विरूद्व अविलम्ब योग्य अधिकारियों की समिति गठित कर सुनवाई की कार्यवाही आरंभ की जाय। उन्होंनें कहा कि इस सम्बन्ध में त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिये समर्पित कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार अधिकारियों को समिति में रखा जाय। उन्होंने कहा कि समय समय पर स्कूलों का निरीक्षण किया जाए। जिन स्कूलों में कम बच्चे है अथवा जिस कैम्पस में कई स्कूल संचालित हो रहे है उनका आपस में विलय कर छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की जाए। इसके लिए यदि परिवहन की सुविधा दी जानी हो तो उसकी व्यवस्था की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि योग्य शिक्षक ही शिक्षा का भला कर सकते है तभी छात्रों को अच्छी शिक्षा भी उपलब्ध हो सकती है। हमें हर हाल में शिक्षा की गुणवत्ता बनाये रखनी होगी।
वहीं, मुख्यमंत्री ने प्रदेश में संचालित विभिन्न अशासकीय प्राप्त विद्यालयों को अनुदान दिये जाने के सम्बन्ध में स्पष्ठ कार्ययोजना के निर्धारण पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में जनवरी 2017 में जारी शासनादेश में निर्धारित मानकों के अनुसार कार्यवाही अमल में लायी जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभागीय कार्यकलापों के क्रियान्वयन में शासन द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उक्त शासनादेश में इस सम्बन्ध में विस्तृत दिशा-निर्देश भी स्पष्ट किये गये है। शासनादेश में निर्धारित मानकों में व्यवस्था है कि जूनियर हाईस्कूल स्तर पर प्रति छात्र एक हजार रूपये अथवा अधिकतम एक लाख, हाईस्कूल स्तर पर एक हजार पांच सौ प्रति छात्र अथवा अधिकतम दो लाख एवं इण्टर स्तर पर प्रति छात्र दो हजार रूपये अथवा अधिकतम तीन लाख प्रतिह वर्ष जो कम हो की धनराशि विद्यालयों को टोकन राशि उपलब्ध करायी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों की शिक्षा के व्यापक हित में यदि आवश्यकता हो ते इस धनराशि को पुननिर्धारण पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे विद्यालयों मं अध्यपाक की व्यवस्थाओं एवं फीस निर्धारण आदि की भी कार्ययोजना निर्धारित की जानी चाहिए। हमारा उद्देश्य छात्रों को शिक्षा का बेहतर अनुकूल माहौल उपलब्ध कराना है।

मानकों के विपरीत शिक्षण संस्थाओं के दस्तावेजों पर उत्तराखंड में शिक्षक कर रहे नौकरी!

उत्तराखंड के चर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रही एसआइटी ने पौड़ी जिले के तकरीबन एक हजार शिक्षकों के मूल शैक्षणिक प्रमाण पत्रों को कब्जे में ले लिया है। एसआइटी अब इन प्रमाण पत्रों की सत्यता की जांच करने के साथ फर्जी प्रमाण पत्रों पर नौकरी पाने वाले अन्य शिक्षकों पर भी शिकंजा कसेगी।
उत्तराखंड में शिक्षक भर्ती में हुए घोटाले की जांच में जुटी एसआइटी फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ दस्तावेजी साक्ष्य जुटाने में लगी है। इसी क्रम में एसआइटी ने पौड़ी के एक हजार शिक्षकों के दस्तावेज कब्जे में लेकर पड़ताल शुरू कर दी है। दरअसल, प्रदेश के शासकीय और अशासकीय स्कूलों में बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थी शिक्षक की नौकरी पाने में कामयाब रहे, जिनके शैक्षिक प्रमाण पत्र या तो पूरी तरह फर्जी थे या सूबे में उनकी मान्यता ही नहीं थी। मामला प्रकाश में आने पर विभागीय स्तर से हुई जांच के पहले चरण में ऐसे 41 शिक्षक पकड़े गए थे। तभी से यह आशंका जताई जा रही थी कि फर्जी या अमान्य प्रमाण पत्रों पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों की संख्या पांच हजार के करीब हो सकती है। एसआइटी ऐसे ही शिक्षकों के प्रमाण पत्रों को कब्जे में लेने की कार्रवाई कर रही है। सूत्रों की मानें तो अकेले पौड़ी जिले में ही एक हजार शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों को कब्जे में ले लिया गया है। एसआइटी अब इन प्रमाण पत्रों की वास्तविकता व सत्यता की बारीकी से जांच करेगी।

गैर राज्यों के हैं अधिकांश प्रमाण पत्र
अब तक की जांच में सामने आया है कि आरोपी शिक्षकों ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और बिहार आदि राज्यों से बनवाए गए फर्जी प्रमाण पत्रों पर नौकरी हासिल कर ली थी। इनमें कई ऐसे भी हैं जो मानकों के विपरीत भारतीय शिक्षा परिषद लखनऊ, ¨हदी साहित्य सम्मेलन, महिला ग्राम विद्यापीठ प्रयाग (उप्र) जैसे शिक्षण संस्थानों की डिग्री पर नौकरी कर रहे थे।

पौड़ी जिले से कब्जे में लिए गए प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराया जाएगा। सत्यापन में संबंधित बोर्ड या संस्थान प्राप्त होने वाली रिपोर्ट के आधार पर आगे कदम उठाए जाएंगे।
श्वेता चौबे, एएसपी सीबीसीआईडी/एसआईटी, प्रभारी