राज्य में वन सेक्टर में होने वाला पूंजी निवेश देश और दुनिया के लिए भी उपयोगी साबित होगाः सुबोध उनियाल


उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में समृद्ध जैव विविधता से परिपूर्ण और विपुल वन संपदा वाले उत्तराखंड राज्य में इकोनॉमी और इकोलॉजी का बेहतर समन्वय व संतुलन कायम रखते हुए वन एवं इससे जुड़े सेक्टर्स में निवेश को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया। समिट के दौरान इस सिलसिले में आयोजित विशेष सत्र में कहा गया कि वन एवं इससे जुड़े सेक्टर्स राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास का प्रमुख जरिया बनने की पूरी सामर्थ्य रखते हैं। जलवायु परिवर्तन व कार्बन उत्सर्जन की वैश्विक चुनौतियों को नियंत्रित करने में भी यह सेक्टर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। लिहाजा राज्य में वन सेक्टर में होने वाला पूंजी निवेश देश और दुनिया के लिए भी उपयोगी साबित होगा।

उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के वन एवं इसस जुड़े सेक्टर्स पर निवेश की संभावनाओं पर परिचर्चा के लिए आयोजित सत्र की अध्यक्षता करते हुए राज्य के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखंड का 71 प्रतिशत भूभाग वनों से आच्छादित है। यहां पर 11230 वन पंचायतें हैं जिनसे 20 लाख लोग जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि वनों के संरक्षण व संवर्द्धन तथा इससे जुड़ी आर्थिक गतिविधियों में स्थानीय जन-समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित कर वनों से स्थानीय लोगों के परंपरागत लगाव व जुड़ाव को कायम रखने पर सरकार ने विशेष ध्यान दिया है। वन सेक्टर्स से संबंधित निवेश में भी पारिस्थितिक संतुलन और स्थानीय लोगों के हितों को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इन्डस्ट्रियल फ्रेंडली वातावरण के साथ ही इकोनॉमी और इकोलॉजी में समन्वय बनाते हुए कार्बन उत्सर्जन को कम करने पर सरकार का विशेष ध्यान है। वन मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में ईको-टूरिज्म, जड़ी-बूटियों तथा संगंध पौधों के उत्पादन व संग्रहण के साथ ही प्रसंस्करण जैसे वनाधारित परियोजनाओं की व्यापक संभावनाएं हैं। जिसके लिए कई निवेशक आगे आए हैं। योग, वेलनेस टूरिज्म, आयुर्वेद जैसे क्षेत्रों में भी निवेशकों ने काफी रूचि दिखाई है। राज्य में तीन लाख करोड़ से अधिक के पूंजी निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में किया जाने वाला निवेश पूरी तरह सुरक्षित और बेहतर रिटर्न देने वाला साबित होगा। सरकार निवेशकों को हरसंभव सहयोग देगी। उनियाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उत्तराखंड को वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित किए जाने के आह्वान ने राज्य के आर्थिक विकास की नई संभावनाओं के द्वार दुनिया के सामने खोल कर रख दिए हैं। जिससे जल्द ही सार्थक परिणाम सामने आएंगे और उत्तराखंड दुनिया में डेस्टीनेशन वेडिंग के प्रमुख केन्द्र के रूप में उभरेगा। उन्होनें कहा उद्योग जगत से अपने सीएसआर फंड का उपयोग वनों के संरक्षण में करने का आह्वान करते हुए कहा कि इसके जरिए मानवता की बड़ी सेवा की जा सकती है।

कार्यक्रम में उत्तराखंड के प्रमुख सचिव वन आर.के. सुधांशु ने वन व इसे जुड़े क्षेत्रों में निवेषन की संभावनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि कुदरत ने उत्तराखंड को समुद्र के अलावा अन्य तमाम प्राकृतिक संसाधनों से सजाया-संवारा है। इस प्राकृतिक संपदा का राज्य के विकास और राज्यवासियों के कल्याण के लिए बेहतर इस्तेमाल करने के साथ ही देश व दुनिया के पर्यावारणीय सुरक्षा के हित में सदुपयोग करने के लिए उद्योग जगत व निवेशकों के द्वारा की जाने वाली हर एक सार्थक पहल का राज्य सरकार हर पल स्वागत करने को तत्पर है। उद्योग जगत इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ेगा तो सरकार चार कदम आगे बढाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में रहना व निवेश करना प्राकृतिक व आर्थिक दृष्टिकोण से निश्चित तौर पर सुकून भरा सिद्ध होगा।

कार्यक्रम में उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख (हॉफ) अनूप मलिक तथा पीसीसीएफ समीर सिन्हा ने निवेशकों का स्वागत और आभार व्यक्त किया। इस मौके पर उद्योग जगत से श्री श्री तत्व के सीईओ तेज कटपिटिया ने समुदाय के स्वामित्व वाले वनों में औषधीय पादपों के उत्पादन हेतु निवेश के बारे में विचार रखे। पूर्व आईएफएस एवं एफएससी के कंट्री डायरेक्टर सुरेश गैरोला ने फॉरेस्ट सर्टिफिकेशन के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में रिन्यू पावर के सीनियर मैनेजर अनूप जकारिया और टेरी के एसोसिएट फैलो वरूण ग्रोवर ने कार्बन क्रेडिट के क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर और सेंचुरी पल्प एंड पेपर्स के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डा. ए.पी. पाण्डे ने प्रकाष्ठ आधारित उद्योगों में उत्तराखण्ड के ग्लोबल इन्वेस्टमेंट हब के तौर पर स्थिति के बारे में विचार रखे।

केंद्रीय वन मंत्री के साथ सीएम ने किया राजाजी नेशनल पार्क का भ्रमण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव एवं प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने शनिवार को मोतीचूर रेंज में राजाजी नेशनल पार्क का भ्रमण किया। इस अवसर पर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के वन क्षेत्र से लाई गई एक बाघिन को राजाजी टाइगर रिजर्व के मोतीचूर वन क्षेत्र में बाड़े से छोड़ा गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राजाजी नेशनल पार्क का यह क्षेत्र पर्यटन हब बने, लोग यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को देखने आएं, इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। आज राजाजी नेशनल पार्क के मोतीचूर रेंज में एक बाघिन को छोड़ा गया है। इकोलॉजी और इकोनॉमी में संतुलन बनाए रखने एवं पर्यावरण के संरक्षण और संवर्द्धन की दिशा में निरंतर कार्य किए जा रहे हैं।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक, मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक समीर सिन्हा उपस्थित थे।

हमें राज्य हित के उद्देश्य से कार्य संस्कृति में लाना है सुधारः धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 17वीं बैठक आयोजित हुई। काफी लम्बे समय से बोर्ड की बैठक न होने पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बोर्ड की बैठक नियमित तौर पर समय से आयोजित की जाएं। सरलीकरण, समाधान और निस्तारण के मंत्र पर काम करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में नया वर्क कल्चर लाए हैं। हमें राज्य में जनहित के उद्देश्य से कार्य संस्कृति में सुधार लाना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठको में स्वागत संबंधी औपचारिकताओं को न करते हुए सीधे बैठक के एजेंडा पर चर्चा की जाए। इससे चर्चा के लिये अधिक समय मिल सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठको में केवल बातचीत ही नहीं बल्कि समाधान भी निकले।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास में वन विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। वन संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण और प्रकृति संरक्षण बहुत जरूरी है, साथ ही राज्य का विकास भी जरूरी है। हमें इकोलोजी और ईकोनोमी मे समन्वय बनाकर चलना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने पर प्राथमिकता से काम करना है। खासतौर पर खेती को बंदरों से बचाने के लिये यथासम्भव तकनीक का उपयोग किया जाए। इसका कोई स्थायी समाधान खोजा जाए। हरेला पर्व पर विशेष तौर पर अधिक से अधिक फलदार पेड़ लगाए जाएं। हरेला पर्व केवल वनविभाग तक सीमित न रहे, इसे जन जन का उत्सव बनाना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य स्तर पर अनुमोदन के बाद जो भी प्रस्ताव केंद्र स्तर पर जाते हैं, उनका लगातार फॉलोअप सुनिश्चित किया जाए। इसके लिये जरूरत होने पर अधिकारी विशेष को नियुक्त किया जा सकता है।

उत्तराखण्ड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में सोनप्रयाग से श्री केदारनाथ धाम के लिये रोपवे, गोविंदघाट से हेमकुण्ट साहिब रोपवे सहित विभिन्न प्रकरणों के वन भूमि हस्तांतरणों पर विचार विमर्श किया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष शमन उत्कृष्टता केंद्र और वन्यजीव स्वास्थ्य उत्कृष्टता केंद्र की प्रदेश में स्थापना की जाएगी। स्थानीय समुदायों के सहयोग से प्राइमरी रेस्पोंस टीमों का गठन किया जाएगा जो कि वन व वन्य जीव संरक्षण के साथ ही वनाग्नि को रोकने पर भी काम करेंगी। टाईगर रिजर्व, संरक्षित क्षेत्र व अन्य पर्यटन वन क्षेत्रों में पर्यटकों के बरताव के संबंध में गाईडलाईन बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने इसमें सभी स्टेकहोल्डर्स की सलाह लेने के निर्देश दिये।

बैठक में वन मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक रेणु बिष्ट, अनिल नौटियाल, मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पीसीसीएफ विनोद कुमार सिंघल, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, एल फैनई, सचिव दिलीप जावलकर, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डॉ पराग मधुकर धकाते सहित उत्तराखण्ड राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य उपस्थित थे।

जीएमओयू की बसें दौड़ेंगी कंडी रोड, रामनगर व कोटद्वार के बीच सफर होगा आधा


देहरादून। कोटद्वार से लेकर रामनगर तक की जनता के लिए अच्छी खबर है। कोटद्वार-रामनगर जाने वाले कंडी मार्ग पर जीएमओयू की बस का संचालन फिर से किया जाएगा। यह फैसला को वन मंत्री हरक सिंह रावत ने वन मुख्यालय में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में लिया।

कंडी मार्ग पाखरों-मोरघट्टी-कालागढ़-रामनगर के बीच अब गढ़वाल मोटर्स ऑनर्स यूनियन लिमिटेड (जीएमओयू) की बस सेवा शुरू होगी। शुक्रवार को वन मुख्यालय में वन मंत्री हरक सिंह की बैठक में यह फैसला किया गया। इस मार्ग के शुरू होने पर कोटद्वार और रामनगर के बीच दूरी आधी रह जाएगी।

वन मुख्यालय में इस सड़क पर जीएमओयू की बसों के संचालन का फैसला होने के बाद मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग की ओर से कांर्बेट पार्क प्रशासन से भी बस संचालन की अनुमति का आदेश जारी करने का निर्देश जारी किया। पहले इस रूट पर जीएमओयू की बस का संचालन होता था। हाईकोर्ट के आदेश पर बसों का संचालन रोक दिया गया।

वन मंत्री हरक सिंह के मुताबिक हाईकोर्ट ने निजी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई थी। जीएमओयू की बसें सार्वजनिक परिवहन का हिस्सा हैं। इसके बावजूद इन बसों के संचालन पर अधिकारियों ने रोक लगाई। इस रूट से रामनगर और कोटद्वार के बीच करीब 80 किलोमीटर का ही फासला रह जाता है। यूपी होते हुए जाने पर यह रूट 160 किलोमीटर का है।

निजी वाहनों को अनुमति नहीं

निजी वाहन से इस रूट का इस्तेमाल करने के लिए अभी अनुमति की जरूरत पड़ेगी। वन मंत्री के मुताबिक इस रूट पर बस संचालन होने पर सामान्य यात्रियों का सबसे अधिक राहत मिलेगी। पर्यटकों के लिए पाखरों से अब जिप्सियों का संचालन किया जा रहा है। अब तक 15 जिप्सियों का पंजीकरण भी हो चुका है।

कोटद्वार-कांडा-ढिकाला रूट को भी मंजूरी, 25 से संचालन शुरू

कोटद्वार से कांडा होते हुए कार्बेट के ढिकाला जोन तक अब आसानी से पहुंचा जा सकेगा। यह रूट भूस्खलन के कारण वन क्षेत्र में आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया था। हरक सिंह के मुताबिक कार्बेट फाउंडेशन से मिले फंड से इस रूट की मरम्मत कराई गई। अब यह मार्ग आवाजाही के लिए खोला जाएगा। 25 दिसंबर को खुद वे इस रूट पर परिवहन संचालन का शुभारंभ करेंगे।

कोविड के दौरान आयुष और होम्योपेथी की ओर लोगों का रूझान बढ़ा हैः त्रिवेंद्र सिंह

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के साथ वन, सेवायोजन एवं कौशल विकास, श्रम तथा आयुष विभाग की समीक्षा की।
वन विभाग- वन विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि उत्तराखण्ड के वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बुकिंग के लिए सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया जाय। ऑनलाईन बुकिंग के लिए एप्प विकसित किया जाए। लकड़ी एवं आरबीएम के लिए लोगों को एप्लाई करने के बाद निश्चित समयावधि में अनुमति मिल जाय, इसके लिए लोगों को अनावश्यक परेशानी न हो। लोगों के हक-हकूकों का पूरा ध्यान रखा जाय। इसको सेवा के अधिकार के तहत सम्मिलित किया जाय। व्यावसाईयों के लिए जो रवन्ने जारी हो रहे हैं, उनकी चेक पोस्ट पर नियमित चेकिंग की जाए।
कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि कार्बेट टाइगर रिजर्व के अन्तर्गत ढेला ‘रेस्क्यू सेन्टर’ एवं पाखरो ‘टाइगर सफारी’ की स्थापना का कार्य प्रगति पर है, गर्जिया टूरिज्म जोन की स्थापना की जा रही है। धनगढ़ी म्यूजियम का उच्चीकरण किया जा रहा है।
आयुष विभाग- आयुष विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने निर्देश दिये कि आयुष विभाग द्वारा लोगों को योग, प्रणायाम डाइट चार्ट एवं आयुष से संबधित विभिन्न गतिविधियों के बारे में विभिन्न माध्यमों से जागरूक किया जाय। कोविड के दौरान आयुष और होम्योपेथी की ओर लोगों का रूझान बढ़ा है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रयास किये जाय कि अधिकांश जगह पर लोगों को आयुष, होम्योपैथी एवं ऐलोपैथिक सुविधाएं मिल जाये। जिन जनपदों में आयुष विभाग का अपना भवन नहीं हैं, जिलाधिकारियों के माध्यम से लंबे समय से खाली सरकारी भवनों या स्कूलों में व्यवस्था की जाय। चरक डांडा में अन्तरराष्ट्रीय शोध संस्थान के लिए जल्द डीपीआर बनाई जाय।
आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि कोविड के दौरान आयुष विभाग द्वारा 02 लाख से अधिक काढ़ा के रूप में सुरक्षा किट वितरित की गई। आयुष विभाग द्वारा प्री कोविड और पोस्ट कोविड किट तैयार की गई है।
सेवायोजन एवं कौशल विकास- सेवायोजन एवं कौशल विकास की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन 25 आईटीआई को अपग्रेड किया जा रहा है। उनमें प्रशिक्षण की बेहतर व्यवस्था के साथ ही प्रशिक्षण लेने वाले विद्यार्थियों के प्रतिभा प्रदर्शन एवं प्रोत्साहित करने के लिए प्रोडक्शन एवं मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जाय।
श्रम विभाग- श्रम विभाग की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि वर्ष 2017 में उत्तराखण्ड दुकान और स्थापन अधिनियम में संशोधन किया गया जिसके अंतर्गत दस से कम कर्मकार नियोजित करने वाले दुकानों एवं स्थापनां को पंजीयन की आवश्यकता नहीं रह गई है। पंजीयन एक बार किया जायेगा। नवीनीकरण की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है।

डोबरा-चांठी पुल से जाने पर हरक सिंह रावत का रास्ता ग्रामीणों ने रोका

डोबरा-चांठी पुल के रास्ते सेम मुखेम मंदिर परिवार के साथ जा रहे वन मंत्री हरक सिंह रावत को ग्रामीणों ने जाने नहीं दिया। ग्रामीणों की जिद के आगे हरक सिंह रावत को हारना पड़ा और उन्हें दूसरे रास्ते से जाने पर मजबूर होना पड़ा।

दरअसल कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत अपने परिवार सहित प्रताप नगर के सेम मुखेम मंदिर में दर्शनों के लिए जा रहे थे। इस दौरान जल्दी मंदिर पहुंचने के लिए वन मंत्री का काफिला डोबरा चांठी पुल के ऊपर से गुजर रहा था। पुल के दूसरी तरफ चांठी गांव की तरफ रोलाकोट गांव के ग्रामीण पिछले एक सप्ताह से विस्थापन की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। ग्रामीणों ने उनका काफिला रोक लिया और अपनी समस्याएं बताई। बताया कि लंबे समय से ग्रामीण विस्थापन की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार उनका विस्थापन नहीं कर रही है।

आनंद वन पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनेगा, सीएम ने सिटी फाॅरेस्ट का किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं वन मंत्री डॉ. हरक सिह रावत ने झाझरा वन रेंज परिसर में उत्तराखण्ड सिटी फॉरेस्ट ‘आनंद वन’ का लोकार्पण किया। झाझरा में विकसित किये गये इस सिटी फारेस्ट में उत्तराखण्ड के विभिन्न प्रजातियों की जीव-जन्तुओं एवं प्राकृतिक दृश्यों को प्रतिकृतियों के माध्यम से दिखाया गया। इसे नेचर एजुकेशन सेंटर के रूप में विकसित किया गया है। जिसमें विभिन्न प्रजातियों के जीव-जन्तुओं एवं वनस्पतियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इस वर्ष नवरात्रि के प्रथम दिवस से यह सिटी फारेस्ट सेंटर आम जन के लिए खोला जायेगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि झाझरा में वन विभाग द्वारा प्रकृति से छेड़छाड़ किये बिना अच्छी सिटी फॉरेस्ट तैयार किया गया है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि इसमें केवल प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया गया है। आनंद वन में उत्तराखण्ड की उपकृति को दिखाने का अच्छा प्रयास किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की जो संस्कृति ग्राम की परिकल्पना है। इसकी झलक भी लोगों को यहां पर देखने को मिले। जिसमें उत्तराखण्ड की संस्कृति, शिल्प, देवस्थानों एवं परम्पराओं के बारे में भी लोगों को जानकारी मिले। इसके बारे में जरूर विचार किया जाय, कि यहां पर उत्तराखण्ड की आंशिक झलक लोगों को देखने को मिले। उन्होंने कहा कि यह सिटी पार्क पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केन्द्र बनेगा। मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि इस सिटी पार्क पर एक लघु फिल्म बनाई जाय।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि एक सिटी फॉरेस्ट हल्द्वानी में विकसित किया जा रहा है। प्रकृति से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। मनुष्य ने जो भी प्राप्त किया है, वह प्रकृति से सीखकर किया है। प्रकृति और मानव के बीच संतुलन बनाये रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। दुनिया प्रकृति के संरक्षण के लिए जागरूक हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में उत्तराखण्ड में जल संरक्षण की दिशा में अनेक कार्य किये गये। 25 मई 2017 से व्यापक स्तर पर जल संचय अभियान चलाया गया। कोसी एवं रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण के लिए व्यापक स्तर पर पौधारोपण किया गया।

कैंपा के जरिए 10 हजार लोगों को मिलेगा रोजगारः डा. हरक
वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि यह सिटी फॉरेस्ट वन विभाग द्वारा समाज को एक धरोहर के रूप में सौंपा जा रहा। हल्द्वानी और ऋषिकेश में भी थीम बेस्ड सिटी पार्क बनाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने वन विभाग को 10 हजार लोगों को रोजगार का जो लक्ष्य दिया गया है, वह पूरा किया जायेगा। इस वर्ष कैम्पा के माध्यम से 400 करोड़ रूपये के कार्य किये जायेंगे। जिसमें 10 हजार से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा जायेगा। भारत सरकार के सहयोग से देहरादून एवं कोटद्वार में नगर वन बनाने की योजना बनाई जा रही है। राज्य के अनेक विकासखण्डों में नेचर वन बनाने की योजना बनाई गई है। जल संवर्द्धन के साथ ग्रेविटी वाटर की दिशा में वन विभाग द्वारा कार्ययोजनाएं बनाई गई हैं।

503 Service Unavailable

Service Unavailable

The server is temporarily unable to service your request due to maintenance downtime or capacity problems. Please try again later.

Additionally, a 503 Service Unavailable error was encountered while trying to use an ErrorDocument to handle the request.