सीएम आवास पर फलदार व छायादार पौधे रोपे गए

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में सपरिवार परंपरागत विधि विधान के साथ हरेला पर्व मनाया। हरेला के शुभ अवसर पर मुख्यमंत्री आवास परिसर में मंत्रीगणों व विधायकगणों की पत्नियों ने फलदार एवं छायादार पौधों का रोपण किया। प्रदेश में 16 जुलाई से 15 अगस्त 2022 तक व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया जायेगा।

इस अवसर पर गीता पुष्कर धामी, निर्मला जोशी, डॉ. दीपा रावत, शशिप्रभा अग्रवाल, बबीता पुण्डीर, शशि चमोली, सुबोधिनी शर्मा, कुसुम गैरोला, अनीता दास एवं हेमलता गड़िया ने विभिन्न प्रजाति के फलदार एवं छायादार पौधों का रोपण किया।

गीता पुष्कर धामी ने हरेला पर्व पर उपहार स्वरूप मंत्रीगणों एवं विधायकगणों की पत्नियों को पौधे भी भेंट किए। उन्होंने कहा कि संस्कृति और प्रकृति के संगम से परिपूर्ण यह पावन पर्व हम सभी को पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारे कर्तव्यों का बोध कराता है।

पौधारोपण कर कांग्रेस नेता ने लिया पर्यावरण संरक्षण का संकल्प

प्रगति विहार स्थित वार्ड नं 12 में कांग्रेस नेता जयेन्द्र रमोला के नेतृत्व में स्थानीय पार्षदों, निवासियों सहित छात्रों के साथ पौधरोपण किया। साथ ही ट्री गार्ड लगाकर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य जयेंद्र रमोला ने कहा कि वृक्ष सभी के जीवन के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है जिस प्रकार कोरोना काल में लोगों को प्राण वायु की कमी से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा लोग कृत्रिम प्राण वायु के लिए लोग तड़प रहे थे हम सब के जीवन में ये दिन फिर न आए इसलिए हमे अपने घर में या बाहर अवश्य दो दो पेड़ जरुर लगाने चाहिये इससे पर्यावरण की सुरक्षा के साथ साथ स्वयं भी स्वस्थ रहने को सहायता मिलती है।

पार्षद राकेश सिंह ने कहा कि हम हर वर्ष सांकेतिक रूप से हरेला पर्व पर वृक्षारोपण का कार्यक्रम करते हैं मेरा मानना है कि हमें बृक्ष अवश्य लगाने चाहिये हमें अपने व अपने परिवार जनों के जन्मदिन पर एक बृक्ष लगाना चाहिये ताकि पर्यावरण का बचाव हो सके।

कार्यक्रम में पार्षद भगवान सिंह पंवार, देवेश्वर प्रसाद रतूड़ी, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य सरोजिनी थपलियाल, उत्तम सिंह राणा, सुरेश ध्यानी, छात्र छात्रायें आदि उपस्थित थे।

हरेला पर्व पर सीएम ने एमडीडीए सिटी पार्क में किया पौधारोपण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सहस्त्रधारा हेलीपैड के निकट एम.डी.डी.ए सिटी पार्क में पौधारोपण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड का लोकपर्व हरेला सम्पन्नता, हरियाली एवं पर्यावरण संरक्षण का पर्व है। यह पर्व हमारी सांस्कृतिक धरोहर एवं परंपरा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। वृक्षारोपण का कार्यक्रम केवल सरकारी कार्यक्रम तक ही सीमित न रहे। इसे जन -जन का कार्यक्रम बनाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पौधारोपण के साथ ही उनका संरक्षण हो इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता से आग्रह किया कि मुख्यमंत्री से भेंट के लिए लोग बुके न दें। बुके की जगह पर पौधा भेंट करें। प्रदेश में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण हो हरेला पर्व पर हमें यह संकल्प लेना है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों द्वारा प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए अनेक सराहनीय प्रयास किए गए। हमारी भावी पीढ़ी को हरा भरा उत्तराखंड मिले, इस दिशा में हमें लगातार प्रयास करने होंगे। जल स्रोतों के सूखने पर मुख्यमंत्री ने चिन्ता जताते हुए कहा कि जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में प्रयास करने होंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड संस्कृति और प्रकृति का केंद्र भी है। उत्तराखंड की धरती से पर्यावरण संरक्षण का संदेश विश्वभर में जाए। पौधारोपण एवं अनेक सामाजिक कार्यों से हम सबको अपना योगदान देना होगा । उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यहां के धार्मिक परंपराएं, रीति रिवाज का व्यापक प्रसार हुआ है।

वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि सरकार द्वारा विकास के साथ पर्यावरण संतुलन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उत्तराखंड का संतुलित विकास हो यह हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि कुछ कार्य आत्म संतुष्टि के लिए भी होने चाहिए। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का परिणाम आज सबके सामने है। प्रकृति अनेक रूपों में बदला जरूर लेती है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की धरती लोगों की आस्था का केंद्र है।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्धन, प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी, अपर प्रमुख वन संरक्षक ज्योत्सना सिथलिंग, डी.जी.के शर्मा, जिलाधिकारी देहरादून डॉ. आशीष श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष एमडीडीए रणवीर सिंह चैहान आदि उपस्थित थे।

सीएम ने पौधादान कार्यक्रम में किया प्रतिभाग, हरेला पर्व पर प्रकृति के संरक्षण का लें संकल्प

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार रोड, देहरादून स्थित एक स्थानीय वेडिंग प्वाइंट में हरेला पर्व पर आयोजित पौधादान कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। उन्होंने विधायकगणों एवं अन्य गणमान्यों को पौधारोपण हेतु पौधे दिये और लोगों को अधिक से अधिक पौधारोपण के लिए प्रेरित करने को कहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 16 जुलाई को उत्तराखण्ड में हरेला पर्व मनाया जाता है। प्रकृति के संरक्षण के उद्देश्य से उत्तराखण्ड में हरेला पर्व मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के संरक्षण के लिए हरेला पर्व के अवसर पर सभी को पौधारोपण करने का संकल्प लेना होगा। जुलाई एवं अगस्त माह का समय पौधारोपण के लिए सबसे उपयुक्त है। हमें अपनी परम्पराओं एवं परिवेश को बढ़ावा देना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज विज्ञान तेजी से प्रगति कर रहा है, वैज्ञानिक प्रगति के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में हमें और तेजी से आगे बढ़ना होगा। नमामि गंगे के तहत इस दिशा में सराहनीय प्रयास हुए हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि पर्यावरणीय सन्तुलन बहुत जरूरी है। व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण कर सबको अपने दायित्वों का निर्वहन करना होगा। पीपल एवं बरगद के अधिक वृक्षारोपण पर हमें ध्यान देना होगा।

इस अवसर पर विधायक विनोद चमोली, मुन्ना सिंह चैहान, सहदेव सिंह पुण्डीर, खजानदास, मेयर सुनील उनियाल गामा, देहरादून की जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चैहान, भाजपा के महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट आदि उपस्थित थे।

जल संरक्षण के लिए पौधे लगाना जरुरीः मुख्यमंत्री

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चन्द्रबनी खालसा, क्लेमेंटाउन में वृक्षारोपण किया। वन विभाग द्वारा वन महोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपे गये। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सीजन में प्रदेश में 2 करोड़ पौधे लगाये जायेंगे। वृक्षारोपण अभियान की शुरूआत आज से हो चुकी है। हरेला पर्व पर भी प्रदेश में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया जायेगा। कोविड-19 के कारण अलग-अलग चरणों में पौधे रोपे जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में वनों एवं पर्यावरण के प्रति लोगों में सजगता है। जल संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। पर्यावरण संतुलन के लिए व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण जरूरी है। वृक्षारोपण के साथ ही उनके संरक्षण पर भी विशेष ध्यान देना होगा। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि चन्द्रबनी में वन विभाग द्वारा एक पार्क विकसित किया जायेगा।
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है। प्रकृति के साथ हमें सामंजस्य बनाकर चलना होगा। एक अदृश्य वायरस ने हमें जीवन जीना सिखा दिया है। इस समय का हमें सदुपयोग करना होगा। प्रकृति का दोहन करने पर उसके दुष्परिणाम भी हमें झेलने पड़ते हैं। यह इस वायरस ने दुनिया को सिखा दिया है। राज्य सरकार द्वारा जल एवं वन संवर्द्धन की दिशा में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ कार्य दीर्घकालिक सोच पर आधारित होते हैं, जिसके बाद में सुखद परिणाम देखने को मिलते हैं।
विधायक विनोद चमोली ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण पर इस समय दुनिया का जोर है। कोरोना वायरस ने सबको सोचने पर विवश कर दिया है। यह समय चुनौतियों को अवसर में बदलने का है। मेडिसनल और ऐरोमैटिक प्लांट की दिशा में उत्तराखण्ड में अच्छा कार्य हो रहा है।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख वन संरक्षक जयराज एवं वन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने निर्देश, गैरसैंण ई-विधानसभा बनने की ओर

ग्रीष्म कालीन राजधानी गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जायेगा। पर्यावरण का संरक्षण हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति एवं जैव विविधता को बनाये रखने के लिए हमें जनभागीदारी से प्रयास करने होंगे। यह बात मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सचिवालय में सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियों कांफ्रेंसिंग के दौरान कही। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और मानव के बीच कैसे संतुलन बना रहे, इस दिशा में अनुसंधान की आवश्यकता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड राज्य की पर्यावरण रिपोर्ट की बुक का विमोचन भी किया।

गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जायेगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रीष्म कालीन राजधानी गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जायेगा। उत्तराखण्ड सरकार ने ई-कैबिनेट की शुरूआत की है। हमने अपने ऑफिसों को ई-ऑफिस बनाने का निर्णय लिया। अभी 17 कार्यालय, ई-ऑफिस हो गये हैं। प्रयास है कि राज्य के ब्लॉक स्तर तक जितने भी कार्यालय हैं, इनको ई-ऑफिस बनाया जाय।

हरेला पर्व पर फिजीकल डिस्टेंस रखते हुए व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला पर्व पर फिजीकल डिस्टेंस का पालन करते हुए व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया जायेगा। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि हरेला पर्व पर वृक्षारोपण के लिए जन सहभागिता पर विशेष ध्यान दिया जाय। किसी भी अभियान को सफल बनाने के लिए जन सहयोग बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी अपने जनपदों में नदियों, नौलों, एवं जल के स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में कार्य करें। राज्य सरकार ने मिशन रिस्पना टू ऋषिपर्णा एवं कोसी के पुनर्जीवन का लक्ष्य रखा है। रिस्पना नदी के लिए आईआईटी रूड़की ने प्रोजक्ट रिपोर्ट तैयार की है। इस अभियान के तहत मिशन मोड में कार्य किया जायेगा।

भारत में जैव विविधता को बनाये रखने में उत्तराखण्ड का अहम योगदान
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि भारत में जैव विविधता को बनाये रखने में उत्तराखण्ड का महत्वपूर्ण योगदान है। उत्तराखण्ड में देश की 28 प्रतिशत जैव विविधता पायी जाती है। यहां की जैव विविधता का प्रभाव भारत ही नहीं अपितू सम्पूर्ण विश्व पर पड़ता है। प्रकृति हमें सब कुछ देती है। मानव को प्रकृति के साथ पूरा संतुलन बनाकर आगे बढ़ना होगा। पर्यावरण संतुलन के लिए लोगों में सजगता होना बहुत जरूरी है। हम छोटे-छोटे प्रयासों से भी इस दिशा में अपना योगदान दे सकते हैं। हम भावी पीढ़ी को कैसा पर्यावरण देना चाहते हैं, यह हम पर निर्भर है।

बैठक में जानकारी दी गई कि झाझरा, देहरादून में ‘आनंद वन’ के नाम से सिटी फॉरेस्ट विकसित किया जा रहा है। उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रत्येक जनपद के लिए जनपद स्तरीय प्रदूषण नियंत्रण मैनेजमेंट प्लान बनाया जा रहा है। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम जैव विविधता है। बैठक में मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, प्रमुख सचिव वन आनन्द वर्द्धन, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस.नेगी, प्रमुख वन संरक्षक जयराज, निदेशक उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एस.पी. सुबुद्धि आदि उपस्थित थे।

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