मंत्री अग्रवाल ने डेंगू की रोकथाम को लेकर बुलाई बैठक

कैबिनेट मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने डेंगू की रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार से वार्ता कर फीडबैक लिया, जबकि स्वास्थ्य महानिदेशक व सीएमओ देहरादून के साथ बैठक की। इस दौरान डेंगू को लेकर तेजी से जन जागरूकता अभियान चलाने के भी निर्देश दिए।

विधानसभा स्थित कार्यालय कक्ष में बैठक कर मंत्री डा. अग्रवाल ने डेंगू की रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग से किये जा रहे प्रयासों की जानकारी ली। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि डेंगू की जहां ज्यादा संख्या पाई जा रही है, उन जगहों को कंटेनमेंट जोन बनाया जा रहा है। बताया कि सभी अस्पतालों में डेंगू वार्ड बनाए गए है।

मंत्री डा. अगवाल ने कहा कि डेंगू के लार्वा को नष्ट करने के लिए डोर-टू-डोर अभियान चलाया जाए। लार्वा पाए जाने पर उसे मौके पर ही नष्ट करते हुए आसपास के क्षेत्रों में भी कड़ाई से अभियान चलाएं।

मंत्री डा. अग्रवाल ने कहा कि लोगों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व अन्य माध्यमों से डेंगू से बचाव की जानकारी दें। उन्होंने कहा कि लोगों को मच्छर दानी का प्रयोग तथा पूरे बाजू के कपड़े पहनने के लिए प्रेरित भी करें। इसके अलावा अस्पतालों में डेंगू के वार्ड पर्याप्त मात्रा में रखे जाएं।

मंत्री डा. अग्रवाल ने कहा कि देहरादून में डेंगू का प्रकोप ज्यादा है, लिहाजा इसके लिए सभी को कमर कसनी होगी। कहा कि डेंगू को चुनौती के रूप में लेते हुए सभी विभागीय अधिकारी व कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी का पूर्णतया निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि शहरी विकास विभाग से भी समन्वय बनाते हुए डेंगू की रोकथाम में मदद ली जाए।

बैठक में स्वास्थ्य महानिदेशक डा. विनीता शाह, सीएमओ डा. संजय जैन, डा. पंकज सिंह आदि उपस्थित रहे।

आपदाकाल में गर्भवती महिलाओं को हरसंभव सुविधा प्रदान की जाएः सीएम


राज्य में मातृ मृत्यु दर को कम करने एवं गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य में मातृ मृत्यु दर कम करने एवं गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल और आपदाकाल में गर्भवती महिलाओं को अगर एयर लिफ्ट करने की जरूरत पड़ने पर उन्हें निकटवर्ती सुविधा युक्त चिकित्सालयों में पहुँचाया जाए। मुख्यमंत्री ने इस बाबत सचिव स्वास्थ्य से विस्तृत कार्ययोजना बनाने को कहा है।
मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ मातृ मृत्यु दर एवं गर्भवती महिलाओं की देखभाल को लेकर आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए और प्रभावी प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने गर्भवतियों के स्वास्थ्य की देखभाल को लेकर भी आवश्यक निर्देश दिये।

स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने इस दौरान अवगत कराया कि राज्य में हुई प्रत्येक मातृ मृत्यु की गहन समीक्षा की जा रही है। साथ ही सभी गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व रजिस्ट्रेशन गर्भावस्था के प्रारम्भ से ही सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, सभी गर्भवती महिलाओं को न केवल स्थानीय आशा / ए०एन०एम० के माध्यम से समय से प्रसवपूर्व जाँच कराने की सलाह दी जा रही है, बल्कि निर्धारित समय पर केन्द्रीकृत कॉल सेन्टर (104 कॉल सेन्टर) से भी कॉल कर निकटवर्ती स्वास्थ्य केन्द्र से जांच कराये जाने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है।
स्वास्थ्य सचिव ने अवगत कराया कि सभी गर्भवती महिलाओं का बर्थ प्लान (जिसमें नजदीकी जांच केन्द्र एवं प्रसव केन्द्र की सूचना भी सम्मिलित है) तैयार रखा जा रहा है और सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के 18 से 22 वें हफ्ते में निःशुल्क अल्ट्रासाउण्ड की व्यवस्था की जा रही है। इस हेतु घर से लाने एवं वापस भेजने हेतु निःशुल्क परिवहन की व्यवस्था 102 ( खुशियों की सवारी ) के माध्यम से की जा रही है। इसके अलावा, संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने हेतु सभी जनपदों में (विशेषतः आपदाकाल में मार्ग बाधाओं के दृष्टिगत चिन्हित क्षेत्रों से) गर्भवती महिलाओं को संभावित प्रसव तिथि से लगभग 15 दिन पूर्व जिला चिकित्सालय के पास संचालित किये जा रहे वन स्टॉप सेंटर में ठहरने की व्यवस्था की जा रही है। यह व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के समन्वय से की जा रही है। इस माध्यम से आपदाकाल में प्रसव की स्थिति होने पर प्रसूता को निकटवर्ती जिला चिकित्सालय में भर्ती कराकर संस्थागत/ सुरक्षित प्रसव कराये जाने की व्यवस्था है। सड़क मार्ग से दूर अवस्थापित तथा आपदाकाल में रोड ब्लॉक के दृष्टिगत गर्भवती महिलाओं को डोली / पालकी के माध्यम से रोड हैड / 108 एम्बुलेंस तक लाने वाले दल हेतु रूपये 2000/- प्रति केस की व्यवस्था की गई है। इस डोली / पालकी व्यवस्था को समस्त आपदा प्रभावी क्षेत्रों तथा रोड हैड से दूर अविस्थापित गांव को आच्छादित किये जाने हेतु प्रयास किये जा रहे हैं।

आपदाकाल में सामान्य स्वास्थ्य केन्दों से गर्भवती महिला को आवश्यकतानुसार हेलीकॉप्टर के माध्यम से निकटतम ऐसे चिकित्सालय जिसमें सीजेरियन ऑपरेशन की व्यवस्था हो तक पहुँचाने की सुविधा प्रदान की जायेगी। इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि प्रसव के उपरान्त भी सभी गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं का निर्धारित अन्तराल पर उनके घर पर ही स्वास्थ्य परीक्षण किये जाने की व्यवस्था सुचारू है। साथ ही किसी भी जोखिम की स्थिति में सर्न्दभण किये जाने हेतु निःशुल्क वाहन की व्यवस्था उपलब्ध है। हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली महिलाओं का विशेष ध्यान रखते हुये ससमय अतिरिक्त आवश्यक जांचे कराये जाने की व्यवस्था है। इस हेतु निर्धारित प्रोत्साहन राशि रू0 300/- समय से सीधे आशा के खाते में जमा करायी जा रही है। गर्भवती महिलाओं को केन्द्र सरकार के माध्यम से जननी सुरक्षा योजना के अर्न्तगत संस्थागत प्रसव कराने पर ग्रामीण क्षेत्रों में रू0 1400 /- एवं शहरी क्षेत्रों में रू0 1000 / – सीधे लाभार्थी के खातों में दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने भी इस हेतु अपने स्तर से ईजा बोई शगुन योजना के अर्न्तगत रू0 2000/- की अतिरिक्त व्यवस्था की है, जिससे निसन्देह संस्थागत तथा सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा मिलेगा।

बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, विनय शंकर पांडेय, सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी आदि उपस्थित रहे।

उत्तराखंड फार्मासिस्ट नियमावली जारी करने के अधिकारियों को मिले निर्देश

पिछले आठ वर्षों से भंग चल रही स्टेट फार्मासिस्ट काउंसिल का शीघ्र गठन किया जायेगा, इसके लिये विभागीय अधिकारियों को काउंसिल की गठन की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दे दिये गये हैं। इसके अलावा उत्तराखंड फार्मासिस्ट नियमावली को शीघ्र जारी करने के लिये भी अधिकारियों को कहा गया है। विभाग में चार धाम यात्रा एवं वीआईपी ड्यूटी के अंतर्गत पूल में रखे गये फार्मासिस्टों के 63 पदों को शीघ्र क्रियाशील किया जायेगा।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज विधानसभा स्थित सभाकक्ष में डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन उत्तराखंड के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। जिसमें एसोसिएशन के विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई। डॉ. रावत ने बताया कि पिछले आठ वर्षों से भंग चल रही स्टेट फार्मासिस्ट काउंसिल का शीघ्र गठन किया जायेगा, इसके लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि कांउसिल के गठन के उपंरात प्रदेश में फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 का कढ़ाई से पालन किया जायेगा। शासन स्तर पर लम्बित उत्तराखंड फार्मासिस्ट नियमावली को जारी करने के लिये विभागीय अधिकारियों को मौके पर ही निर्देश दे दिये गये हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि संगठन की मांग पर चार धाम यात्रा एवं वीआईपी ड्यूटी के अंतर्गत पूल में रखे गये फार्मासिस्ट एवं चीफ फार्मासिस्ट के 63 पदों को शीघ्र क्रियाशील किया जायेगा। बैठक में फार्मासिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री के समक्ष फार्मासिस्ट का नाम परर्वित करते हुये फार्मेसी अधिकारी करने, चिकित्सा शिक्षा विभाग में फार्मासिस्टों के रिक्त 119 पदों के सापेक्ष स्वास्थ्य विभाग से विकल्प के आधार पर भरने, बड़े चिकित्सालयों में कार्य के आधार पर फार्मासिस्टों के पद बढ़ाने, फार्मासिस्ट संवर्ग की वरिष्ठता सूची जारी करने, उत्तर प्रदेश की तर्ज पर पोस्टर्माटम भत्ता दिये जाने सहित एक दर्जन मांग रखी। जिस पर विभागीय मंत्री ने अपनी सहमति जताते हुये स्वास्थ्य महानिदेशक को सभी मांगों पर प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजने के निर्देश दिये।

बैठक में महानिदेशक स्वास्थ्य डा. विनीता शाह, निदेशक डा. भारती राणा, अपर निदेशक डा. मीतू शाह, उप सचिव के.के. शुक्ला, सहायक निदेशक डा. जे.एस. चुफाल, डिप्लोमा फार्मासिस्ट के प्रदेश अध्यक्ष जी.बी. नौटियाल, प्रदेश महामंत्री आर.एस.ऐरी, संरक्षक पी.एस. पंवार, प्रदेश कोषाध्यक्ष के.आर. आर्य, मंडलीय सचिव गढ़वाल आर.एस. रावत, प्रदेश संप्रेक्षक उर्मिला द्विवेदी सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

एम्स में भर्ती 1600 से अधिक कोविड रोगी हुए स्वस्थ्य

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में 90 वर्षीय बुजुर्ग महिला से कोरोना हार गया है। जी हां, यहां कोरोना संक्रमित होने के बाद से बुजुर्ग महिला को भर्ती किया गया था। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ होकर घर लौट गई है।

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने कहा कि निर्धन व्यक्ति को समुचित और बेहतर मेडिकल सुविधा देने के लिए एम्स प्रतिबद्ध है। जिस वक्त कोविड चरम पर था और अन्य अस्पताल कोविड रोगियों का इलाज करने में असमर्थता जाहिर कर रहे थे, उस दौरान कोविड मरीजों का इलाज करने में एम्स ने प्राथमिकता रखी। कहा कि कोविड मरीजों के इलाज के लिए एम्स में पर्याप्त मात्रा में बैड, आईसीयू और वेंटिलेटर्स का प्रबंध किया गया है। हेल्थ केयर वर्करों की सराहना करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए हेल्थ केयर वर्कर्स की टीम ने जोखिम उठाते हुए दिन-रात अपनी जिम्मेदारी निभाई है।

डीन हॉस्पिटल अफेयर्स प्रो. यूबी मिश्रा ने बताया कि एम्स में कोविड काल शुरू होने के बाद से अब तक 1600 से अधिक कोविड मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं। इन मरीजों में 90 साल की वृद्ध महिला से लेकर 1 दिन का नवजात शिशु तक का मरीज शामिल हैं। उन्होंने बताया कि 90 साल की वृद्धा मूलरूप से टिहरी गढ़वाल जिले के कीर्तिनगर विकासखंड के अंतर्गत मूलधार गांव की निवासी है। कोविड पाॅजिटिव इस वृद्धा को बीती 8 सितम्बर को एम्स में भर्ती किया गया था। इसे पहले से अस्थमा की बीमारी की शिकायत थी और कोरोना संक्रमित होने के बाद इसे सांस लेने में अत्यधिक तकलीफ हो रही थी। 17 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद पूर्ण स्वस्थ होने पर इसे 25 सितम्बर को डिस्चार्ज कर दिया गया था।

कहा कि कोविड मरीजों का ग्राफ कुछ कम हुआ है, लेकिन इसका खतरा अभी टला नहीं है। इस बीमारी के प्रति जरा सी लापरवाही फिर से भारी पड़ सकती है। उधर, 90 वर्षीय वृद्धा मौली देवी के पौत्र चैदहबीघा, ऋषिकेश निवासी दीपक कंडारी ने बताया कि उनकी दादी आजकल गढ़वाल में है और पूर्णतौर से स्वस्थ है। अपनी दादी के बेहतर उपचार के लिए उन्होंने एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों का आभार जताया।

सोनू सूद के आग्रह पर एम्स ऋषिकेश में हुआ महिला का सफल आॅपरेशन, एक्टर ने लिखा थैंक्स

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के चिकित्सकों ने बीते डेढ़ साल से पेट में तेज दर्द और उल्टी की गंभीर समस्या से ग्रसित एक 26 वर्षीया महिला के पेट के ट्यूमर के सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया है। बिहार मूल की उक्त महिला को उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश तक पहुंचाने में फिल्म अभिनेता सोनू सूद की अहम भूमिका रही है। एम्स के कोरोना नोडल अधिकारी डा. मधुर उनियाल ने इसे अपनी फेसबुक पेज पर साझा किया था।

बिहार के आरा जिला निवासी 26 वर्षीय इस महिला को पिछले डेढ़ साल से उल्टी के साथ पेट में अत्यधिक दर्द से पीड़ित थी। महिला का पहले एम्स पटना और उसके बाद दिल्ली एम्स में सघन स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जिसमें चिकित्सकों ने पाया कि महिला के पेन्क्रियाज में काफी बड़े आकार का ट्यूमर बन चुका है। जिसकी वजह से उक्त महिला को पिछले डेढ़ साल से लगातार पेट में असहनीय दर्द की शिकायत रहने लगी थी। इसके अलावा वह लगातार उल्टी होने की समस्या से भी ग्रसित थी।

गंभीर बीमारी के बावजूद पटना और दिल्ली एम्स में महिला के उपचार में हो रहे विलंब के चलते एक्टर सोनू सूद ने उसके त्वरित इलाज के लिए ऋषिकेश एम्स से संपर्क साधा। जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने महिला रोगी की गहनता से जांच की। उन्होंने पाया कि महिला के पेट में बना ट्यूमर बड़ी ही जटिल स्थिति में है, जिसमें अधिक विलंब होने पर उसकी जान को खतरा भी हो सकता है। लिहाजा उसकी तत्काल सर्जरी का निर्णय लिया गया, एम्स के सर्जीकल गैस्ट्रो विभाग के विशेषज्ञों की टीम ने इस महिला के ट्यूमर का सफलतापूर्वक आपरेशन को अंजाम दिया। सफल सर्जरी करने वाली टीम में शल्य चिकित्सा के डा. मधुर उनियाल, डा. अभिषेक अग्रवाल और एनेस्थिसिया विभाग के डा. वाईएस पयाल व डा. अजीत कुमार शामिल थे।

निदेशक प्रो. रविकांत ने इस सफलता के लिए चिकित्सकों की टीम को बधाई दी है। कहा कि एम्स ऋषिकेश में जटिलतम बीमारियों के उपचार के लिए वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि सभी रोगियों को आधुनिकतम व बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जाए।

इस बाबत जानकारी देते हुए डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने बताया कि महिला का यह ऑपरेशन बहुत ही चुनौतीपूर्ण था। अग्नाशय के बिल्कुल नजदीक बन चुके ट्यूमर की वजह से उसकी स्थिति काफी जटिल हो चुकी थी। लेकिन एम्स के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अपने अनुभव से इस जटिल सर्जरी में सफलता प्राप्त की है। डीन प्रो. मनोज गुप्ता ने बताया कि महिला रोगी के ट्यूमर का ऑपरेशन बीती 11 सितंबर-2020 को किया गया, जबकि रविवार 20 सितंबर को महिला को एम्स अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

गौरतलब है कि इस महिला का संस्थान में हुए सफल ऑपरेशन के लिए फिल्म अभिनेता सोनू सूद ने अपने ट्यूटर एकाउंट और फेस बुक में एम्स ऋषिकेश का विशेष आभार व्यक्त किया है। उन्होंने उल्लेख किया है कि जब पटना और दिल्ली एम्स में उक्त महिला के उपचार की व्यवस्था नहीं हो पाई, तो ऐसे में ऋषिकेश एम्स ने न केवल महिला की जान बचाई है, बल्कि निहायत कम समय में उसे ठीक कर डिस्चार्ज भी कर दिया है। इसके लिए एक्टर सूद ने निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत सहित ऑपरेशन टीम के विशेषज्ञ चिकित्सकों का भी विशेष आभार जताया है।

कोरोना टेस्ट के नाम पर चल रहा खेल, जांच रिपोर्ट में हर किसी को बता रहे पाॅजीटिव

उत्तराखंड में कोरोना जांच के नाम पर निजी लैब चांदी काट रहे है। राजधानी में एक निजी लैब के सैंपल को सस्पेंड करते हुए शासन ने जांच बैठा दी है। निजी लैब संचालक 50 फीसदी जांच में पाॅजीटिव रिपोर्ट थमा रहे है।

देहरादून के जिलाधिकारी के निर्देश पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अनुज डिमरी ने पैथकाइंड लैब की सैंपलिंग पर रोक लगा दी। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के ये बात गले नहीं उतर र ही थी कि महज आठ कर्मचारी एक दिन में 250 व्यक्तियों के सैंपल कैसे ले सकते हैं। एक ही व्यक्ति का सैंपल लेने के लिए संबंधित व्यक्ति की आइडी बनाने, सैंपल किट तैयार करने, सैंपल लेने में ही अच्छा खासा वक्त लग जाता है। साथ ही लैब की तरफ से रियल टाइम एंट्री भी नहीं की जा रही थी।

इसमें भी अचरज वाली बात ये है कि जो सैंपल दिल्ली भेजे जा रहे हैं, उनकी रिपोर्ट उसी दिन ली जा रही है। वहीं लैब से जांच कराने वालों के दर्ज नंबर व पते भी गलत निकल रहे हैं। ऐसे में कोरोना की स्थिति में मरीजों पर निगरानी रखने में भी दिक्कत है। इस पर मुख्य चिकित्साधिकारी ने लैब प्रबंधकों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। जवाब ने देने पर लैब पर विधिक कार्रवाई भी हो सकती है।

मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने सचिवालय में हुई समीक्षा बैठक में कहा कि देहरादून में नागरिकों से शिकायतें मिल रही हैं कि कुछ निजी लैब में टेस्ट कराने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है, जबकि सरकारी अस्पताल में उसी व्यक्ति की रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। ये भी शिकायतें आ रही हैं कि देहरादून की कुछ निजी लैब से लगभग 50 प्रतिशत लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी देहरादून को निर्देश दिए कि निजी लैब में पॉजिटिव पाए गए व्यक्तियों का सरकारी लैब में भी टेस्ट कराया जाए। यदि किसी लैब की रिपोर्ट गलत पाई गई तो फिर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

विधानसभा अध्यक्ष कोरोना संक्रमित, सोशल मीडिया के जरिए स्वयं दी जानकारी

उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए है। उन्होंने इसकी जानकारी स्वयं सोशल मीडिया के जरिए दी है। उन्होंनें बताया कि शासकीय आवास पर उन्होंने एंटिजन टेस्ट कराया है, इसमें वह पाॅजीटिव पाए गए हैं। उन्होंने अपील की है कि जो भी लोग उन्हें संपर्क में आए हैं, वह स्वयं आइसोलेट हो जाएं। उन्होंने कहा कि सावधानी बरते और स्वयं भी सुरक्षित रहे और अपने संपर्क में आने वाले लोगों को भी सुरक्षित रखें।

भारत में भी हर रोज कोविड-19 मामले बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से रविवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 54,00,619 हो गई है। पिछले 24 घंटों में (शनिवार सुबह 8 बजे से लेकर रविवार सुबह 8 बजे तक) कोरोना के 92,605 नए मामले सामने आए हैं।

इस दौरान देश में 1133 कोरोना संक्रमितों की मौत भी हुई है। 24 घंटे में 94,612 लोग ठीक हुए हैं। अब तक कुल 43,03,043 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। 86,752 लोगों की जान गई है। 10,10,824 एक्टिव केस हैं। रिकवरी रेट की बात करें तो यह मामूली बढ़ोतरी के बाद 79.67 प्रतिशत पर पहुंच गया है। पॉजिटिविटी रेट 7.67 प्रतिशत है।

फ्रंट लाइन वॉरियर्स पर भारतीय सेना ने हेलीकॉप्टर से बरसाए फूल

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में आयोजित कार्यक्रम में रविवार को भारतीय सेना ने संस्थान के कोरोना फ्रंट लाइन वॉरियर्स को सम्मानित किया। इसी दौरान कोरोना वायरस कोविड19 संक्रमित मरीजों की चिकित्सकीय सेवा से जुड़े चिकित्सकों,नर्सिंग ऑफिसर्स व अन्य सहकर्मियों के सम्मान में आसमान से सेना के हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई।

रविवार को एम्स ऋषिकेश में भारतीय सेना की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कोविड19 से ग्रसित मरीजों की चिकित्सा सेवा में दिन- रात जुटे कोरोना फ्रंट लाइन वॉरियर्स के सम्मान स्वरूप हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए गए। निदेशक प्रो. रविकांत कहा कि संस्थान कोविड19 की जंग के लिए पूरी तरह से राज्य सरकार के साथ है।संस्थान इससे ग्रसित मरीजों को तत्परता के साथ चिकित्सकीय सेवाएं प्रदान करता रहेगा। इस अवसर पर सेना के रायवाला कैंट के कमांडर ब्रिगेडियर आकाश बजाज ने एम्स निदेशक को भारतीय सेना की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता, वरिष्ठ सर्जन व आईबीसीसी प्रमुख प्रो. बीना रवि, डीन अस्पताल प्रशासन प्रो. यूबी मिश्रा आदि को सम्मानित किया।

खुशखबरीः सरकार ने ओपीडी में सस्ता इलाज देने की तैयारी की

अटल आयुष्मान योजना में कार्ड धारकों को अब ओपीडी में भी सस्ता इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने की तैयारी स्वास्थ्य विभाग कर रहा है। मंत्रिमंडल की अगली बैठक में इस प्रस्ताव को लाया जाएगा।
वर्तमान में आयुष्मान योजना के तहत मरीज के भर्ती होने पर भी पांच लाख रुपये तक कैशलेस इलाज की सुविधा है। ओपीडी में इलाज कराने वाले मरीजों का योजना का लाभ नहीं मिलता है।
अब सरकार सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में भी मरीजों को भी इलाज मुहैय्या कराने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए दो अलग-अलग श्रेणियों के लिए दरें तय की जाएगी।
त्रिवेंद्र सरकार ने अटल आयुष्मान योजना के तहत कार्डधारकों को ओपीडी में भी कैशलेस इलाज उपलब्ध कराने के लिए कवायद शुरू कर दी है। जिन लोगों के पास आयुष्मान योजना का हेल्थ कार्ड होगा।
उन्हें सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में कैशलेस इलाज की सुविधा मिल सकेगी। जिसमें पंजीकरण शुल्क, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई, सिटी स्कैन, ब्लड और शुगर जांच, एक्स-रे समेत अन्य जांचें शामिल होंगी। जबकि जिन लोगों के पास कार्ड नहीं है, उन्हें इलाज की सुविधा नहीं मिलेगी।

प्रदेश में 31 लाख लोगों के बन चुके कार्ड
प्रदेश में अब तक अटल आयुष्मान योजना के तहत 31 लाख लोगों के हेल्थ कार्ड बनाए गए हैं। जिसमें 44 हजार 460 लोगों ने योजना में अपना इलाज कराया है। इन पर करीब 45 करोड़ की धनराशि खर्च हुई है। माना जा रहा है कि ओपीडी में इलाज की सुविधा मिलने से प्रदेश में कार्ड धारकों की संख्या 50 से 60 लाख तक पहुंच सकती है।
स्वास्थ्य विभाग के सचिव नितेश कुमार झा ने बताया कि अटल आयुष्मान योजना में कार्ड धारकों को सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में इलाज की सुविधा देने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है। जिसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा।

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