पुस्तकें हमारी मित्र, कभी साथ नही छोड़ती

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को नेशनल बुक ट्रस्ट तथा उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड शासन द्वारा परेड ग्राउंड में आयोजित देहरादून पुस्तक मेले के शुभारंभ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। देहरादून पुस्तक मेले का शुभारंभ संयुक्त रुप से राज्यपाल डॉ कृष्णकांत पाल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तथा उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
उपस्थित छात्र छात्राओं तथा पाठको को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 10 दिवसीय पुस्तक मेला सभी छात्रों और पाठको के लिए एक अच्छा अवसर है। पुस्तकों के बिना हमारा जीवन अधूरा है। पुस्तके मात्र छपी सामग्री ही नहीं है बल्कि यह ज्ञान का स्रोत है। यदि हम पुस्तकों का महत्व समझें तो यह हमारे जीवन में सुख का आधार है। उन्होंने छात्रों से कहा कि यदि उन्हें दोस्ती करनी है तो पुस्तकों से करें। पुस्तके ऐसी मित्र है जो कभी साथ नहीं छोड़ती। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी पढ़ने की आदत पर विशेष बल देते हैं। आज आईटी, ई-लाइब्रेरी, डिजिटल बुक्स के लोकप्रिय होने से तकनीकी क्षेत्र में संक्रमण काल चल रहा है। हमारे समक्ष चुनौती है कि हमें डिजिटल भी होना है तथा पुस्तकों का महत्व बनाए रखना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम संकल्प ले सकते हैं कि एक घंटा धार्मिक, सांस्कृतिक, तकनीकी, विज्ञान, ललित कला आदि से संबंधित पुस्तकें पढ़ें। उन्होंने पंचायत स्तर पर पुस्तक मेले आयोजित करने की बात कही।

सैनिक आश्रितों के छात्रवृत्तियों और प्रोत्साहन राशि में वृद्धि करने का निर्णय

उत्तराखण्ड सैनिकों के कल्याण के लिए कार्य करें पुनर्वास संस्था: राज्यपाल
देहरादून।
उत्तराखण्ड के राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड सैनिक पुनर्वास संस्था की महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें संस्था के कार्यकलापों की गहन समीक्षा की गई तथा कई अहम निर्णय लिए गए।
पूर्व सैनिकों के कल्याण की दृष्टि से 1945 में स्थापित इस संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संस्था को लीज पर उपलब्ध कराई गई 482.785 एकड कृषि भूमि तथा 940.143 एकड़ वन भूमि के अधिकाधिक व्यावसायिक लाभ की सारी सम्भावनाएं खोजने औैर उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की दृष्टि से राज्यपाल द्वारा अपर मुख्य सचिव कृषि डा. रणबीर सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है जो 2 माह के अन्तर्गत अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
तीन वर्ष बाद आहूत इस बैठक में राज्यपाल ने कहा कि पुनर्वास संस्था के आय के स्रोत में वृद्धि के लिए उद्यमिता कौशल के साथ इस बेशकीमती व उपजाऊ भूमि का दोहन करना होगा। इससे संस्था के वित्तीय घाटे को लाभ में परिवर्तित किया जाना आसान होगा। उन्होंने ‘कमर्शियल कैश क्रौप’ (नकदी फसलें) लगाने पर विशेष बल देते हुए कहा कि इस सम्बंध में पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की विशेषज्ञता का लाभ लिया जाना सर्वाधिक उपयुक्त होगा।
राज्यपाल ने जखोली रूद्रप्रयाग में निर्माणाधीन सैनिक स्कूल केे लिए संस्था की निधि से निर्गत रू0 5 करोड़ की धनराशि की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार से कराने के लिए आवश्यक कार्यवाही के निर्देश भी दिए। इसके साथ ही संस्था को प्राप्त कृषि और वन भूमि के लीज नवीनीकरण/विस्तार पर भी यथाशीघ्र कार्यवाही किए जाने की अपेक्षा भी की गई।
उन्होंने यह भी कहा कि सैनिक विधवाओं द्वारा निर्मित उत्पादों के विक्रय की व्यवस्था सुनिश्चित होनी जरूरी है। इसके लिए सभी राजकीय प्रदर्शनियों/मेलांे में एक्स सर्विस मैन के लिए एक निःशुल्क काउंटर उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। राज्यपाल द्वारा, संस्था की निधि का उपयोग केवल पूर्व सैनिकों के परिवार तथा सैनिक विधवाओं के कल्याणार्थ एवं पुनर्वास योजनाओं पर ही किए जाने के निर्देश दिए गए। आज की बैठक में विभिन्न छात्रवृत्तियों और प्रोत्साहन राशि में वृद्धि किए जाने का भी निर्णय लिया गया।
इस समीक्षा बैठक में 05 अप्रैल, 2013 की बैठक में उठाये गये बिन्दुओं के अनुपालन, लीज पर दी गई कृषि हेतु भूमि को गैर कृषि उपयोग के प्रबन्धन की स्थिति सहित संस्था के विगत वर्षोें के आय-व्यय, 2016-17 के प्रस्तावित बजट पर चर्चा और अनुमोदन की औपचारिकताओं के साथ ही पूंजीगत लाभ, गत वर्षों में लिए गए नीतिगत निर्णयों आदि विषयों पर विचार-विमर्श के दौरान राज्यपाल ने कहा कि संस्था की बैठक नियमित रूप से आहूत की जानी चाहिए।
आज की इस बैठक में मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, अपर मुख्य सचिव एस.रामास्वामी, अपर मुख्य सचिव (कृषि) डा. रणबीर सिंह, सचिव सैनिक कल्याण आनन्द वर्द्धन, सचिव राज्यपाल अरूण ढौंडियाल, सब एरिया जीओसी मेजर जनरल एस सब्बरवाल तथा निदेशक सैनिक पुनर्वास ब्रिगेडियर केबीचंद सहित संस्था के अनेक अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।