वैज्ञानिकों की चेतावनी, लगातार आ रहे भूकंप को नही किया जाना चाहिए नजर अंदाज

उत्तराखंड में मानसून का दौर अभी जारी है। प्रदेश के कई क्षेत्रों में हो रही भारी बारिश के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में जनजीवन अस्त व्यस्त हो रहा है। तो कई मार्ग अवरुद्ध होने और भूस्खलन की घटनाएं सामने आ रही है। वहीं, उत्तराखंड में भूकंप को लेकर भी सूचनाएं प्राप्त हो रही है। इसी क्रम में उत्तराखंड में आज फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि भूकंप की तीव्रता कम थी। भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर की गहराई पर था। ये झटके दोपहर 3 बजकर 31 मिनट पर महसूस हुए। फिलहाल भूकंप से जानमाल के नुकसान की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग अपने अपने घरों से बाहर निकल आए। वहीं लगातार आ रहे इन हल्के झटकों को वैज्ञानिक बड़े खतरे की चेतावनी भी मान रहे है।
आज भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 2.5 मापी गई है। इससे पहले सोमवार को पिथौरागढ़ में भारत-नेपाल सीमा पर भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। वहीं, रविवार को रुद्रप्रयाग जिले में भी भूकंप का हल्का झटका महसूस किया गया। रविवार दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर पर रुद्रप्रयाग में भूकंप महसूस किया गया था। जिसकी तीव्रता 3.3 रिक्टर बताई गई। इसके साथ ही बीते दिनों बागेश्वर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
वैज्ञानिकों की माने तो उत्तराखंड में आ रहे भूकंप के ये हल्के झटके बड़े खतरे का संकेत हैं। उत्तराखंड में भूकंप को लेकर किए गए शोध से इस बात का खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि हिमालय में 200 साल की ऊर्जा एकत्रित हो चुकी है जो कभी भी भूकंप के रूप में बाहर आ सकती है। ऐसे में आशंका है कि उत्तराखंड में इस सदी का सबसे भयानक भूकंप आ सकता है।

मुख्य सचिव ने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के दिए निर्देश

‘‘सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए इनोवेटिव विकल्पों और हरसंभव प्रयासों को संजीदगी से अमल में लायें‘‘। मुख्य सचिव एस.एस.संधु ने सचिवालय सभागार में राज्य स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में संबंधित अधिकारियों को उपरोक्त दिशा-निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि लोगों का जीवन बचाना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए और इसके लिए विभिन्न विभागों को अपने विभागीय स्तर पर तथा सामूहिक समन्वय से जरूरी कदम उठाये जाने चाहिए। सड़क सुरक्षा से संबंधित कार्यों में किसी भी प्रकार की देरी न की जाए और सुधारीकरण के कार्यों की तीव्र प्रगति के लिए नियमित मॉनिटरिंग की जाए।

लाइसेंस जारी करते समय पूरी प्रक्रिया का ठीक ने अनुपालन करें
परिवहन विभाग को निर्देश दिए कि विभिन्न श्रेणी के लाइसेंस बनाते समय ट्रायल-ट्रेस्टिंग की वीडियो रिकॉर्डिंग रखें तथा ट्रायल का डेटा पोर्टल पर अपलोड करें ताकि कोई भी व्यक्ति किसी भी मीडिएटर(मध्यस्थ) के माध्यम से लाइसेंस न बनवा सके। उन्होंने परिवहन विभाग और यातायात पुलिस को निर्देश दिए कि मुख्य चैराहों और मुख्य सार्वजनिक रूट पर सी.सी.टी.वी कैमरे के साथ ही राडार और स्पीड इन्टरसेप्टर तकनीक का इस्तेमाल करें और इस तकनीक को चैपहिया और दो पहिया वाहनों में भी लगाएं। साथ ही इसका नियमित सुपरविजन करते हुए ओवरस्पीडिंग, रैश डाइविंग और सड़क सुरक्षा के प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों पर सक्रियता से एक्शन लेते हुए सड़क सुरक्षा के जोखिम को न्यूनतम करें।
मुख्य सचिव ने लोक निर्माण विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को ब्लैक स्पॉट और वलनरेबल (दुर्घटना की दृष्टि से जोखिम वाले) क्षेत्रों को ए, बी व सी श्रेणी में वर्गीकृत करते हुए तद्नुसार जोखिम की अधिकता के अनुसार सुधारीकरण से संबंधित सभी कार्य संपन्न करने के निर्देश दिये। निर्देशित किया कि जहां तक संभव हो सके सड़क मार्गों पर साईकिल ट्रैक का भी निर्माण करें, विशेषकर औद्योगिक क्षेत्रों में जहां पर कामगारों (श्रमिकों) का आना-जाना रहता है, वहां पर साईकिल ट्रैक जरूर बनायें। विभिन्न रूट पर स्पीड ब्रेकर व रम्बल स्ट्रीप इस तरह से बनायें ताकि औसतन गति से वाहन चलाने वाले को अनावश्यक परेशानी न हो। साथ ही तीव्र गति से वाहन चलाने वाले का वाहन धीमा हो जाए। उन्होंने सड़क सुरक्षा का अच्छी ऐजेंसी से थर्ड पार्टी ऑडिट करवाने और माननीय न्यायालय तथा सड़क सुरक्षा समिति के समय-समय पर प्राप्त होने वाले सुझावों को अमल में लाने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने अवैध मीडियन्स को तत्काल बंद करने, मुख्य मार्ग से 90 डिग्री पर सीधे मिलने वाले संपर्क मार्ग अथवा रास्तों पर जरूरी सुरक्षा उपाय करने और पहाड़ी क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार क्रैश बैरियर लगाने के निर्देश दिए। परिवहन विभाग को निर्देशित किया कि सुरक्षा मानकों का दूसरी बार उल्लंघन करने वाले वाहन चालक के डाइविंग लाईसेंस को छः माह के लिए तथा तीसरी बार उल्लंघन करने पर एक वर्ष के लिए लाईसेंस को निलंबित करें। कहा कि बिना हेलमेट वाहन चलाने वालो से हेलमेट का चार्ज लेते हुए नया हेलमेट दें, साथ ही मानक के अनुरूप जुर्माना की जितनी धनराशि है, उसका 50 प्रतिशत धनराशि भी वसुले।
मुख्य सचिव ने कहा कि दुर्घटना होने के पश्चात् गोल्डन अवर में लोगों का जीवन बचाने में स्वास्थ्य विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और परिवहन विभाग को संयुक्त रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में दुर्घटना में घायल लोगों के त्वरित इलाज हेतु व्यवहारिक समाधान तलाशने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने वीडियो कन्फ्रेसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित पूर्व की जितनी भी मजिस्ट्रेट जांच अभी तक लंबित है, उसका दो माह के भीतर निस्तारण करें, साथ ही आगे से प्रत्येक मजिस्ट्रियल जांच को प्रत्येक हाल में तीन माह के भीतर निस्तारित करें। ऑटोमेटेड टेस्टिंग लेन, डाइविंग स्कूल और फिटनेस टेस्ट लेन बनवाने के लिए भूमि का तत्काल सर्वे किया जाए तथा इस संबंध में यदि निजी संस्थानों का भी सहयोग लिया जा सकता है तो उस पर भी विचार करें। उन्होंने अग्रिम निर्देश देते हुए कहा कि सभी जनपदों में ‘इन्स्टिट्यूट सोशल रेस्पोंसिबिल‘ इनिशिएटिव प्रारंभ करें जिसके अंतर्गत विभिन्न इंजीनियरिंग संस्थानों में अध्यनरत छात्रों, रिटायरमेंट इंजीनियरों अथवा समाज के सक्रिय और रचनात्मक नागरिकों को सड़क सुरक्षा के संबंध में बेहतरीन सुझाव और फीडबैक देने के लिए मंच प्रदान करें। इसके लिए उन्होंने प्रत्येक विकासखण्ड स्तर पर भी उपजिलाधिकारियों की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा समिति गठित करने के निर्देश दिये जिसमें उपरोक्त सभी लोगों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो।
इस दौरान बैठक में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, सचिव अरविन्द सिंह ह्यांकी, रंजीत सिन्हा, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन, प्रभार सचिव विनोद कुमार सुमन, वी. षणमुगम, आयुक्त परिवहन दीपेन्द्र कुमार चैधरी सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

सीएम ने अतिवृष्टि की घटना के बाद जिलाधिकारियों को दिए निर्देश, शीघ्र मुआवजा दिया जाए

उत्तराखंड में कई स्थानों से अतिवृष्टि और भूस्खलन की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने संबंधित जिलाधिकारियों को फोन कर प्रभावितों तक तुरंत सहायता पहुंचाने तथा घायलों के समुचित इलाज और बेघर लोगों के भोजन व रहने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही अधिकारियों को नुकसान का आकलन करते हुए प्रभावितों को अविलंब अनुमन्य सहायता राशि उपलब्ध करवाने के भी निर्देश दिए हैं। किसानों कि फसलों को हुए नुकसान का आँकलन कर शीघ्र मुआवजा देने के लिए भी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं में प्रभावित लोगों को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाने और राष्ट्रीय राजमार्ग सहित अन्य प्रमुख मार्गों पर आवागमन सुचारू करने के लिए राज्य सरकार समुचित प्रबंध कर रही है।

उन्होंने बताया कि विभिन्न स्थानों पर अतिवृष्टि से हुए नुकसान की जानकारी मिलते ही राजस्व पुलिस, पुलिस, प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच कर राहत एवं बचाव कार्यों में जुट गई है।