ऑपरेशन क्लीन से कश्मीर में होगा आंतकवादियों का सफाया

पिछले वर्ष जुलाई में जब हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी को मारा था, उसके बाद से ही घाटी में घुसपैठ जारी है और माहौल लगातार तनावपूर्ण बना हुआ है। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत खुद कई बार घाटी का दौरा कर चुके हैं। वर्ष 1990 के बाद से घाटी में आतंकियों को खदेड़ने के बाद सबसे बड़ा ऑपरेशन ऑपरेशन क्लीन अप लॉन्च हो चुका है। सेना ने मई में कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन की शुरुआत के साथ ही आतंकियों के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान शुरू किया था। इस समय घाटी में करीब 4,000 से ज्यादा सेना के जवान, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान इस ऑपरेशन का हिस्सा हैं।
शनिवार को सेना ने कश्मीर के सोपोर में लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को मार गिराया। इसके साथ ही अब तक इस वर्ष सेना ने 122 आतंकियों का खात्मा कर डाला है। दिसंबर 2016 तक सेना ने घाटी में करीब 120 आतंकी मारे थे। आतंकियों के मारे जाने की आंकड़ें मे इजाफा होगा, इस बात की पूरी गारंटी है। सेना ने घाटी से आतंकियों के सफाए के लिए डेडलाइन तय की है। इस डेडलाइन के तहत घाटी में सर्दियों के शुरू होने से पहले सेना ने सभी आतंकियों को मार गिराने और घाटी को आतंकियों से आजाद कराने का लक्ष्य तय किया है। सेना ने कश्मीर के आतंकियों के खिलाफ अब अपनी रणनीति बदल ली है। मई में जब हिजबुल कमांडर सबजार भट को मार गया था तो उस ऑपरेशन ने साफ कर दिया था कि सेना किस तरह से कश्मीर खासतौर पर साउथ कश्मीर में मौजूद आतंकियों के खिलाफ आक्रामक हो गई है।

गिलानी के बेटे की मांग, आने जाने का खर्च दे एनआईए

टेरर फंडिंग के सिलसिले में दिल्ली बुलाये गये हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नसीम ने भारत सरकार से अजीब मांग की है। अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का छोटा बेटा नसीम गिलानी की मांग है कि जम्मू-कश्मीर सरकार उसे श्रीनगर से दिल्ली और दिल्ली से वापस श्रीनगर जाने का खर्च दे। अंग्रेजी वेबसाइट एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनआईए चीफ शरद कुमार तब आश्चर्यचकित रह गये जब उनके डेस्क पर अलगाववादी नेता नसीम गिलानी की ओर से एक पत्र आया। जम्मू कश्मीर के शेर ए कश्मीर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर नसीम गिलानी ने इस पत्र के जरिये कहा है कि एनआईए को सीधे उसे समन भेजने के बजाए यूनिवर्सिटी को भेजना चाहिए, ताकि वो दिल्ली आने जाने का खर्चा विश्वविद्यालय से ले सके। नसीम गिलानी ने कहा कि एनआईए को समन मेरे विश्वविद्यालय को भेजना चाहिए ताकि मैं महंगाई और ट्रेवलिंग एलाउंस ले सकूं। फिलहाल एनआईए ने नसीम की इस अपील को मान लिया है कि लेकिन उन्हें लगता है कि नसीम की इस मांग का मकसद कुछ और है।
बता दें कि टेरर फंडिग के इस केस में एनआईए ने लगभग आधा दर्जन अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार किया है। इसमें सैयद अली शाह गिलानी का दामाद अल्ताफ अहमद शाह भी शामिल है। रिपोर्ट्स के मुताबिक नसीम गिलानी चाहता है कि यूनिवर्सिटी के जरिये समन मिलने पर वो ऐसी स्थिति पैदा कर दे ताकि एनआईए उसे पूछताछ के लिए अल्ताफ अहमद शाह के आमने-सामने ना ला सके। इस मामले में नसीम गिलानी का बड़ा भाई नईम गिलानी भी एनआईए के रडार पर है, लेकिन समन भेजे जाने के बावजूद बीमारी का बहाना बनाकर वो एनआईए के सामने पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुआ है।
बता दें कि हुर्रियत नेताओं पर आरोप है कि इन लोगों ने प्रतिबंधित आतंकी संगठनों हिज्बुल मुजाहिद्दीन और लश्कर ए तैयबा के साथ मिलकर कश्मीर घाटी में हिंसा और हंगामा करने के लिए पाकिस्तान से फंड लिया। एनआईए ने इसी मामले में हुर्रियत के नेताओं को गिरफ्तार किया है। एनआईए को उम्मीद है कि पूछताछ के दौरान ऐसा सबूत मिलेगा जिससे सैयद अली शाह गिलानी पर भी मुकदमा चलाया जा सके। खबर है कि प्रवर्तन निदेशालय से पूछताछ के दौरान इस मामले में गिरफ्तार शबीर शाह ने गिलानी की ओर इशारा किया है और कहा है कि पाकिस्तान से आने वाले फंड का बड़ा हिस्सा गिलानी के पास जाता था। जांच एजेंसियां अब इस मामले में सबूत इकट्ठा कर रही हैं।

आंतकवादियों को जरुरत का सामान मुहैया कराते थे हुर्रियत के नेता

एनआइए द्वारा छापेमारी के दौरान हिज्बुल मुजाहिद्दीन और लश्कर ए तैयबा के लेटरहेड बरामद हुए जिससे यह खुलासा होता है कि घाटी में टेरर फंडिंग एक नहीं दोनों ओर से होता रहा है।
हुर्रियत अधिकारियों को आतंकवादी अपने एटीएम के तौर पर उपयोग कर रहे हैं। यहां तक कि पैसे के लिए ये अलगाववादियों को धमकी तक देते थे और एनआइए को मिले दस्घ्तावेज से पता चलता है कि समय-समय पर लश्कर और हिज्बुल मुजाहिद्दीन अलगाववादियों को फंड पहुंचाते रहते हैं।
घाटी में सक्रिय लश्कर और हिज्बुल के स्थानीय कमांडर अपने बीमार साथियों के इलाज और अन्य कारणों से हुर्रियत अलगाववादियों से धन की मांग करते हैं। यहां तक कि हजारों-लाखों रुपये के अलावा मोबाइल फोन की भी मांग होती है। एनआइए ने हुर्रियत के कई सदस्यों को हिरासत में लिया हुआ है, इन पर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन से आर्थिक समर्थन हासिल कर तनाव फैलाने का आरोप है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, मोहम्मद अमीन भट्ट द्वारा लिखे गए पत्र में तहरीक-ए-हुर्रियत प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी के करीबी अयान अकबर खांडे से 5 लाख रुपयों की मांग की। जम्मू-कश्मीर हिज्बुल मुजाहिद्दीन के लेटरहेड पर लिखी इस चिट्ठी में लिखा था, नोटबंदी के कारण आर्थिक संकट के हालातों से निपटने के लिए तुरंत 5 लाख रुपयों की जरूरत है। पत्र के अंत में धमकी भी दी गयी है जिसमें खांडे को कहा गया है कि 4 दिनों के अंदर पैसे भेज दें नहीं तो अंजाम के लिए तैयार रहें, जो परिवार तक जा सकता है। खांडे उन 7 अलगाववादियों में से एक है, जिन्हें सोमवार को एनआइए ने गिरफ्तार किया।
नोटबंदी के बाद उर्दू में लिखे गए खत में भी कुछ ऐसी ही बातें लिखी थीं। हिज्बुल के लेटरहेट वाले इस खत में लिखा था, हमें इस समय पैसों की सख्त जरूरत है क्योंकि सुरक्षा और नोटबंदी के कारणों से हमें बाहर से पैसे नहीं मिल रहे। 30 फरवरी को आपके पैसे लौटा दिए जाएंगे। इंशाअल्लाह हम 4 दिनों तक आपका इंतजार करेंगे। अगर आप कुछ नहीं करते तो अपने और अपने परिवार के अंजाम के आप खुद जिम्मेदार होंगे।