मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने किया ऋषिकेश में जानकी झूला पुल का लोकार्पण


मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गंगा नदी पर टिहरी से पौड़ी को जोड़ने वाले जानकी झूला पुल का लोकार्पण किया। मुनिकीरेती गंगा नदी में निर्मित यह झूला पुल 48.85 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ है। इसकी लंबाई 346 मीटर है, यह पैदल के साथ दोपहिया वाहनों के लिए भी उपलब्ध है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र ही ऋषिकेश में अभिनव कला वाला ग्लास युक्त बजरंग पुल का भी लोकार्पण किया जायेगा। यह पुल भी डोबरा-चांठी की भांति देश व दुनिया के लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनेगा। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही सिंगटाली एवं बीन नदी पर भी एकेश्वर क्षेत्र के लिये पुल का निर्माण किया जायेगा। योजनाओं के निर्माण के लिये पूरी एकमुश्त धनराशि स्वीकृत की जा रही है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य में पिछले साढ़े तीन साल में 250 से अधिक पुलों के निर्माण का रिकार्ड बना है। इन पुलों में सीमांत क्षेत्रों में बनने वाले पुल भी शामिल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रदेश में परम्परा से हटकर कार्य करना आरम्भ किया है। अब योजनाओं के निर्माण के लिये 2-4 करोड़ स्वीकृत करने के बजाय योजना की लागत का पूरा बजट तथा एक साल में अधिकतम व्यय होने वाली पूरी धनराशि स्वीकृत की जा रही है। डोबरा चांठी पुल के लिये 88 करोड़ एकमुश्त स्वीकृत होने का ही परिणाम रहा कि आज यह पुल बनकर जनता को समर्पित कर दिया गया है। हमारी सोच लक्ष्य पूरा करने की है।

14 वर्ष की लंबी यात्रा के बाद बना जानकी झूला पुल
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि 14 वर्ष के लंबी यात्रा के बाद आज जानकी पुल का मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा लोकार्पण किया। इस पुल लोकार्पण केवल आवागमन का ही माध्यम नहीं है। नौजवानों को रोजगार की संभावनाओं को बलवती बनाना भी है। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश विविध विविधताओं को समेटे हुए है।

जानकी सेतु लोगों के विश्वास, आस्था एवं सपनों को यथार्थ करने का प्रतीक
विधायक ऋतु खण्डूड़ी ने कहा कि जानकी सेतु ऋषिकेश एवं यमकेश्वर क्षेत्र के लिए विश्वास, आस्था एवं सपनों को यथार्थ करने का प्रतीक है। यह पुल उत्तराखण्ड में आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र एवं सुविधाजनक होगा।

इस अवसर पर पालिकाध्यक्ष रोशन रतूड़ी, मेयर ऋषिकेश अनिता मंमगाई, गढ़वाल मण्डल विकास निगम के उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार सिंघल, सचिव लोक निर्माण विभाग आरके सुधांशु, जिलाधिकारी टिहरी इवा आशीष श्रीवास्तव, एसएसपी टिहरी डॉ. वाईएस रावत आदि उपस्थित रहे।

आर्कषण का केन्द्र बनेगा कांच का झूला पुल

ऋषिकेश में आवाजाही के लिए बंद कर दिए गए पुराने लक्ष्मण झूला के विकल्प के रूप में प्रदेश सरकार जो नया झूला पुल तैयार करने जा रही है, वो कांच का दिखेगा।
अपर मुख्य सचिव (लोनिवि) ओम प्रकाश ने विभाग को झूला पुल को मजबूती के साथ आकर्षक बनाने के लिए ग्लास के आकार में डिजाइन करने को कहा है।
झूला पुल का डिजाइन व डीपीआर तैयार करने को पहले ही 50 लाख रुपये का प्रावधान किया जा चुका है। लोनिवि के मुख्य अभियंता अयाज अहमद के नेतृत्व में इंजीनियरों की एक टीम नया पुल बनाने के स्थान का चयन करने की प्रक्रिया में जुटी है।
यमकेश्वर की विधायक ऋतु खंडूड़ी नए झूला पुल के निर्माण की मांग को लेकर अपर मुख्य सचिव से मिली थी। उन्होंने एसीएस को एक पत्र भी सौंपा। इस पर एसीएस ने उन्हें अवगत कराया किया कि सरकार नया झूला पुल बनाने का पहले ही फैसला कर चुकी है।
उन्होंने बताया कि ये प्रयास हो रहा है कि नया झूला पुल कांच का बनाया जाए ताकि वो आवागमन की सुविधा देने के साथ दर्शनीय भी हो। इस बारे में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने यह जानकारी भी दी कि इस पुल को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि उस पर पैदल चलने वालों और दुपहिया वाहनों के लिए अलग-अलग लाइन होगी। उस पर टेंपू या अन्य तिपहिया वाहन पुल में दाखिल भी नहीं हो पाएंगे।

किसी भी सूरत में नहीं खुलेगा पुराना झूला पुल
अपर मुख्य सचिव (लोनिवि) ओम प्रकाश से साफ कर दिया कि लक्ष्मण झूला पुल को किसी भी सूरत में नहीं खोला जाएगा। उन्होंने विधायक खंडूड़ी को कहा कि सुरक्षा को देखते हुए ही सरकार ने पुल से आवागमन पर रोक लगाई है।

लक्ष्मणझूला में आवाजाही को लेकर मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों से साझा किए विचार

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि लक्ष्मण झूला उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर है। पिछले 90 सालों से यह देश व दुनिया के पर्यटकों व श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र रहा है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण झूला को संरक्षित करने के लिए यथा संभव प्रयास किये जायेंगे। इस पुल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर आवाजाही दुबारा शुरू होने की स्थिति के सम्बन्ध में विशेषज्ञों से और सुझाव लिये जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारी हेरिटेज प्रोपर्टी है। इसे ठीक करने के सभी विषयों पर कार्य किया जायेगा। विशेषज्ञों की राय के बाद इसकी रेट्रोफिटिंग पर ध्यान दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारम्भ में इसके एक स्क्वायर मीटर में 200 किलो भार क्षमता आंकी गई थी। वर्तमान में इसका पिलर झुक रहा है, आज आधुनिक तकनीक के दौर में इसे कैसे ठीक किया जा सकता है यह देखा जायेगा। मुख्यमंत्री का कहना है कि इस पुल से जन भावानायें जुड़ी हैं, इसका भी हमें ध्यान रखना होगा।
मंगलवार को ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से भेंट की, उन्होंने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि उनके संस्थान के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा लक्ष्मण झूला का जीर्णोद्धार किया जा सकता है। ग्राफिक ऐरा के प्रो. पार्थो सेन ने कहा कि अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग करके इस पुल को बचाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पुल के लिए तकनीकी अध्ययन आई.आई.टी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है उनकी सलाह के मद्देनजर ही जन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसमें आवाजाही बन्द की गई है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भी यदि इसके संरक्षण में कोई तकनीकी जानकारी प्राप्त हो सकती है तो इस दिशा में भी पहल की जा सकती है। उन्होंने ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से सभी तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि आईआईटी की रिपोर्ट के हर पहलू का गहनता से अध्ययन किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से कोई भी लापरवाही नहीं बरती जायेगी जरूरत पड़ने पर लक्ष्मण झूला को बचाने के लिए अन्य विशेषज्ञों की राय भी ली जायेगी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय से डा. सुभाष गुप्ता, डा. अंकुश मित्तल, डा. संजीव कुमार, डा. पवन कुमार इमानी, डा. प्रदीप जोशी, श्रीपर्णा शाह व अर्चना रावत उपस्थित थे।