कैबिनेट मंत्री से मिले परिवहन व्यवसायी, आर्थिक पेैकेज देने की लगाई गुहार

उत्तराखंड परिवहन महासंघ के सदस्यों ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी से मुलाकात कर परिवहन व्यवसायियों को राहत देने की मांग की। इस पर मंत्री गणेश जोशी ने उन्हें आश्वास्त किया कि जल्द ही इस संदर्भ में आर्थिक पैकेज की घोषणा होने वाली है।

मुलाकात के दौरान परिवहन व्यवसायियों ने वाहनों की समर्पण अवधि बढ़ाने, आर्थिक मदद देने, इंश्योरेंस व परमिट की अवधि बढ़ाने सहित कई मांगें रखीं। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि जल्द ही परिवहन व्यवसायियों के लिए राहत पैकेज घोषित किया जाने वाला है। इससे सभी परिवहन व्यवासियों को लाभ होगा। अन्य मांगों पर भी सकारात्मक कार्यवाही जल्द की जाएगी। प्रतिनिधिमंडल में महासंघ अध्यक्ष सुधीर राय, यातायत पर्यटन विकास सहकारी संघ के उपाध्यक्ष नवीन चंद्र रमोला, टीजीएमओसी के पूर्व अध्यक्ष बलवीर सिंह रौतेला, संचालक मेघ सिंह चैहान, रोटेशन यात्रा प्रभारी मदन कोठारी आदि शामिल रहे।

आखिर किसका था दबाव, पुलिस ने 30 घंटे तक जहरीली शराब का मामला दबाए रखा!

जहरीली शराब कांड के सामन के आने के बाद पता चला कि 30 घंटे तक घटना में पर्दा डाले रखने वाली पुलिस ने गुरुवार सुबह से शुक्रवार दोपहर तक हुई चार मौतों को डेंगू का प्रकोप बताकर पिंड छुड़ाना चाहा था। यही नहीं, इन चारों शवों का पोस्टमार्टम कराने की पुलिस ने जहमत भी नहीं उठाई। ऐसे में मृतकों के परिवारजन शवों का अंतिम संस्कार भी कर चुके थे। जब मामला बिगड़ा तो पुलिस को होश आया और आनन-फानन में दो शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। हैरत की बात है कि राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, सचिवालय, जिलाधिकारी आवास व एसएसपी आवास के महज एक किमी के दायरे एवं विधायक आवास से महज 20 मीटर दूर पथरिया पीर इलाके में जहरीली शराब से मौत का कहर बरपा। लेकिन पुलिस शुक्रवार दोपहर तक इस मामले को डेंगू की आड़ में ‘दफन’ करने की कोशिशों में जुटी रही।
यहां तक की जहरीली शराब से चार मौत की सूचना के बाद भी पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम कराना जरूरी नहीं समझा। पीड़ित परिवारों का कहना था कि गुरुवार रात ही तीन मौतों की सूचना विधायक गणेश जोशी और संबंधित पुलिस अधिकारियों को दे दी गई थी, लेकिन पुलिस ने कोई जरूरी कदम नहीं उठाए। आरोप हैं कि जांच करने के बजाय पुलिस पीड़ित परिवारों पर दबाव बनाकर दावा करती रही कि डॉक्टरों ने मौत की वजह डेंगू बताई है। मामले में पुलिस न केवल सवालों में है बल्कि उसकी भूमिका भी संदेह के घेरे में है। पथरिया पीर इलाके में जो कुछ हुआ, वह तंत्र की भूमिका को कठघरे खड़ा कर रहा है। हैरानी यह कि थाने की पुलिस ही नहीं बल्कि जनप्रतिनिधि भी मामले को दबाने की जुगत भिड़ाते रहे।
शहर के बीचों-बीच हुए इस घटनाक्रम के 30 घंटे बाद भी सरकार पूरी तरह अनजान रही। शुक्रवार शाम विधायक के आवास पर हंगामे की सूचना पर सरकार को मामले की भनक लगी और शाम सात बजे अफसरों से रिपोर्ट मांगी गई। छह मौत की जानकारी के बाद सरकार हरकत में आई। पथरिया पीर कांड ने सरकार से लेकर प्रशासनिक तंत्र को हिलाकर रख दिया। इसके गुनाहगार कौन थे, इन्हें पनाह कौन दे रहा था, यह सामने आना अभी बाकी है। इस बीच, सरकार ने फौरी कार्रवाई करते हुए शहर कोतवाल शिशुपाल सिंह नेगी, धारा चैकी इंचार्ज कुलवंत सिंह, आबकारी आयुक्त सुशील कुमार ने दो आबकारी निरीक्षकों शुजात हसन व मनोज फत्र्याल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने कोतवाली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया था कि इलाके में अवैध तरीके से शराब बेचे जाने की एक नहीं कई बार शिकायत की गई थी,। एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि इस प्रकरण में सीओ सिटी की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस की भूमिका की जांच एसपी देहात प्रमेंद्र डोबाल को सौंपी गई है। यह भी देखा जा रहा है कि शराब कहां से आती थी और कैसे बेची जाती थी? क्या वाकई में इलाकाई पुलिस को इस बात की जानकारी थी। इसके लिए इलाके के सीसीटीवी फुटेज से लेकर कॉल डिटेल रिकार्ड तक चेक किए जाएंगे। जो भी दोषी होगा, वह किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून के नेशविला रोड में जहरीली शराब के सेवन से हुई जनहानि पर दुख प्रकट किया है। उन्होंने घटना की मजिस्ट्रीयल जांच के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि सुनिश्चित किया जाएगा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव, डीजीपी व आबकारी आयुक्त को इस मामले में दोषी पाए जाने वालों पर शीघ्र कारवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने महानिदेशक स्वास्थ्य व सीएमओ देहरादून को चिकित्सालयों में भर्ती लोगों को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भी निर्देशित किया है।

समाज में महिलाओं को हुनरमंद बनाया जाना समय की जरूरतः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देहरादून की शहरी बस्ती चीड़ोवाली-कंडोली में उत्तराखण्ड महिला समेकित विकास योजना के अन्तर्गत कामन फेसिलिटी सेन्टर के अधीन संचालित द्विवर्षीय महिला कौशल प्रशिक्षण केन्द्र का शुभारम्भ किया। इस प्रशिक्षण केन्द्र में 120 स्थानीय महिलाओं को जूट व सूती बैग बनाने आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में महिलाओं को हुनरमंद बनाया जाना समय की जरूरत है। यदि महिलायें मजबूत हुई तो परिवार, समाज व देश मजबूत होगा। उन्होंने महिला व पुरूषों को समाज के विकास की गाड़ी के दो पहिए बताते हुए कहा कि दोनों सशक्त होंगे तो निश्चित रूप में समाज में बदलाव आयेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में खेती आदि के संसाधनों की सुविधा के साथ ही जीविका के साधनों का विकल्प रहता है, जिसका शहरी क्षेत्रों में अभाव रहता है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में जमीन आदि की कमी के कारण यह सुविधायें नहीं उपलब्ध हो पाती हैं। इसके लिये जरूरी है कि शहरों की गरीबों को दूर करने के लिये यहां की महिलाओं को हुनरमंद बनाया जाय, कौशल विकास के जरिये हम वेस्ट को बेस्ट में बदल सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिये राज्य सरकार द्वारा प्रभावी पहल की जा रही है। उद्यमिता के क्षेत्र में महिलायें 5 हजार तक ओवर ड्राफ्ट ले सकती हैं। महिला समूओं को एग्रोबेस उद्यम के लिये 5 लाख तक शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। हमारा उद्देश्य महिलाओं को दिये गये ऋण के सदुपयोग करने वाला बनाना है। ग्राम लाइट योजना व देव भूमि प्रसाद योजना महिलाओं को आर्थिक स्वावलम्बन की राह दिखा रही है। महिला समूह पहाड़ी भोजन भी तैयार कर रही है। पौड़ी में आयोजित कैबिनेट बैठक में उन्हीं के द्वारा तैयार किया गया भोजन परोसा गया। कम लागत में सबको खाना खिलाने का यह अच्छा प्रयास रहा। इससे एक प्रकार की उद्यमिता भी विकसित हुई है। यह सब हुनरमंद होने का ही परिणाम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष केदारनाथ में महिला समूहों ने 2 करोड़ का प्रसाद बिक्री किया। प्रदेश के 625 मन्दिरों में देवभूमि प्रसाद योजना का शुभारम्भ किया जा रहा है। मंशादेवी, बदरीनाथ, जागेश्वर, बागेश्वर से भी इसकी शुरूआत हो गयी है, इसका परिणाम है कि आज चैलाई 55 रू. किलो बिक रहा है। उन्होंने महिलाओं से उत्पादों की बेहतर पैकिंग पर ध्यान देने को कहा। इसमें लोगों का आकर्षण उत्पादों के प्रति बढ़ता है। यदि हम छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देंगे तो अपने उत्पादों की बिक्री में भी मदद मिलेगी। उन्होंने महिलाओं से पुष्प उत्पादन, धूप-अगरबत्ती बनाने की दिशा में भी आगे आने को कहा। पर्यावरण अनुकूल सामग्री के उत्पादन से उसकी मांग देश व दुनिया में बढ़ेगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कामन फेसिलिटी सेन्टर व प्रशिक्षण केन्द्र का भी निरीक्षण किया तथा प्रशिक्षार्थी महिलाओं से भी संवाद किया। मुख्यमंत्री ने परियर में वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दिया। क्षेत्रीय विद्यायक गणेश जोशी ने कहा कि इस प्रकार की पहल महिलाओं के आर्थिक उन्नयन में मददगार होती है, उन्होंने कहा कि महिलाओं की मजबूती समाज की मजबूती से जुड़ी है। महिलाओं को स्वालम्बी बनाने के लिये उन्हें प्रशिक्षित करने की भी उन्होंने जरूरत बतायी। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि महिला समेकित विकास योजना के तहत जानकी देवी एजुकेशन वेलफेयर सोसाइटी द्वारा इस प्रशिक्षण केन्द्र का संचालन किया जा रहा है। पालीथीन के स्थान पर जूट व सूती व फाइबर से बने विभिन्न उत्पादों व अन्य सामग्री का प्रशिक्षण एवं निर्माण यहां पर महिलाओं द्वारा किया जायेगा। इस अवसर पर निदेशक महिला एवं बाल विकास झरना कमठान, संस्था के चेयरमैन संजय जोशी, सचिव कविता चतुर्वदी और प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलायें आदि उपस्थित थे।