ट्रांसफार्मर घेरकर किया अतिक्रमण, होटल स्वामी पर हुआ मुकदमा दर्ज

मुनिकीरेती पुलिस ने तपोवन स्थित एक होटल स्वामी को ट्रांसफार्मर घेरकर सड़क पर अतिक्रमण करने के मामले में लोक संपत्ति का विरूपण निवारण अधिनियम में मुकदमा पंजीकृत किया गया है। थानाध्यक्ष मुनिकीरेती राम किशोर सकलानी ने बताया कि तपोवन स्थित लक्ष्मणझूला चैक में निरीक्षण किया गया तो यहां गंदगी पाई गई। इस संबंध में अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत टिहरी गढ़वाल से फोन पर वार्ता कर मौके पर सफाई ठेकेदार को बुलवाया गया तथा सफाई करवाई गई। उन्होंने बताया कि यहां होटल योगा की ओर से ट्रांसफार्मर घेरकर उस पर टिन शेड बनाकर सड़क पर अतिक्रमण किया गया है।

इस पर बिजली विभाग के एसडीओ से वार्ता कर जांच रिपोर्ट देने को कहा गया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में ट्रांसफार्मर के नीचे जेनरेटर सेट लगाना न सिर्फ अतिक्रमण बताया बल्कि इसे जनहानि की संभावना भी बताया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने होटल स्वामी के खिलाफ लोक संपत्ति का विरूपण निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। थानाध्यक्ष ने बताया कि मौके पर तपोवन चैकी इंचार्ज नीरज रावत और ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर मुकेश कुमार को भी तलब कर लक्ष्मण चैक पर खड़े अवैध वाहनों के चालान कराए गए है तथा लावारिस वाहनों को लादकर चैकी भिजवाया गया। थानाध्यक्ष ने लक्ष्मण झूला चैक पर अतिक्रमण करने वालों को भविष्य के लिए भी कड़ी चेतावनी दी है।

ओएलएक्स से बाइक खरीदने के लिए आनलाइन रूपए की ट्रांसफर, अब लगा रहा पुलिस के चक्कर

मुनिकीरेती थाना क्षेत्र में दो लोगों के साथ ओएलएक्स साइट के जरिये ऑनलाइन ठगी करने का मामला सामने आया है। पीड़ितों को बाइक बेचने के नाम 76,500 रुपये की ठगी हुई है। मुनिकीरेती पुलिस ने तहरीर के आधार जांच शुरू कर दी है। मनीष देवराड़ी निवासी कुराड़ थराली, जिला चमोली ने तहरीर दी कि ओएलएक्स के जरिये एक व्यक्ति ने उन्हें बाइक लेने को कहा। उन्हें बाइक की स्थिति सही लगी तो उन्होंने पेटीएम अकाउंट पर 51 हजार रुपये भेज दिए। उन्होंने बताया कि तथाकथित विक्रेता ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर बुलाया। जब वहां कोई मौजूद नहीं मिला तो उसे ठगी का अहसास हुआ।
मनीष ने बताया कि जिस नंबर से उन्हें कॉल आई थी उसकी डिटेल के आधार पर पहचान इरफान खान नामक युवक के रूप में हुई, जबकि उसने अपना नाम विनोद सिंह बताया था। इसी तरह तपोवन नीरगड्डू निवासी सुनील सिंह को भी ओएलएक्स के बहाने शातिर ने ठग लिया। सुनील ने अपनी तहरीर में बताया कि उन्होंने ठग के झांसे में आकर बाइक लेने के लिए पेटीएम अकाउंट से 25,500 की रकम ट्रांसफर कर दी है। अब ठग का नंबर बंद आ रहा है। दोनों की तहरीर मिलने के बाद मुनिकीरेती पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है। इसके लिए साइबर सेल टीम की मदद ली जा रही है।

मुनिकीरेती पुलिस ने बिना वीजा और पासपोर्ट 18 साल से रह रहे विदेशी को पकड़ा

बिना पासपोर्ट और वीजा के पिछले 18 वर्षों से एक विदेशी नागरिक साधुवेश में तीर्थनगरी में डेरा डाले हुए है। कई साल से अवैध निवास कर रहे विदेशी नागरिक के बारे में पुलिस और एलआईयू को शुक्रवार को पता चल पाया। पुलिस सूचना मिलने के बाद मुनिकीरेती क्षेत्र स्थित नावघाट पहुंची। जब नागरिक से उसके वैध दस्तावेज मांगे गए तो उसने काफी देर तक एलआईयू टीम को प्रवचन के झांसे में उलझाए रखा। आखिरकार स्वीकार किया कि उसके पास कोई पासपोर्ट, वीजा या निवास का कोई वैध दस्तावेज नहीं है।
अवैध रूप से निवास कर रहा जर्मन नागरिक जर्गेन रुडोल्फ 1981 में भारत आया था। इस दौरान पिछले 38 साल से वह महाराष्ट्र सहित दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों में रहा। पिछले 18 साल से वह ऋषिकेश क्षेत्र में स्थान बदल-बदल कर रह रहा है। फिलहाल उसका मौजूदा ठिकाना मुनिकीरेती स्थित नावघाट बना हुआ है। वह गंगा किनारे बने सीढ़ी पर टेंट डालकर रह रहा है। अवैध तरीके से रहने की सूचना मिलने के बाद करीब 12 बजे मुनिकीरेती पुलिस और एलआईयू की सब इंस्पेक्टर उमा चैहान अपनी टीम के साथ पूछताछ को पहुंचे। पूछताछ के दौरान जर्गेन रुडोल्फ ने पहले तो आनाकानी की। बाद में अपना मूल निवास भी बताने से इनकार कर दिया।
बाद में उसने कुछ दस्तावेज दिखाए जिसके मुताबिक वह जर्मन नागरिक है, और 1981 में भारत आ गया था। तब से वह गेरुआ वस्त्र पहने पिछले 18 सालों से तीर्थनगरी में अलग-अलग स्थानों पर रह रहा है। एलआईयू एसआई उमा चैहान के मुताबिक अवैध निवास कर रहे जर्मन नागरिक की सूचना संबंधित एंबेसी को दी जाएगी। फिलहाल अभी मामले की पड़ताल की जा रही है। वहीं थाना अध्यक्ष मुनिकीरेती आरके सकलानी का कहना है कि विदेशी नागरिक के अवैध प्रवास संबंधी मामले की गहन छानबीन हो रही है। दस्तावेजों की पड़ताल के बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, विदेशी जर्गन रुडोल्फ का कहना है कि उसके पास वीजा, पासपोर्ट सहित सभी वैध दस्तावेज थे। कई साल पहले कुछ बदमाशों ने रुपयों के लालच में सारे दस्तावेज फाड़कर फेंक दिए। उनके पास पैसे भी नहीं हैं। जर्मन एंबेसी में एक बार मदद की गुहार लगाई थी। इसके बावजूद एंबेसी के लोग सहयोग नहीं कर रहे हैं। रुडोल्फ का कहना है कि अब उसने भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर लिया है। उसका नया नाम आशाराम गिरि है। पूरा विश्व मेरा कुटुंब है। परिवार में कोई नहीं है। मां गंगा ही मेरी सबसे बड़ी शुभचिंतक है।