संत समाज ने मंत्री अग्रवाल से की शराब का स्टोर निरस्त करने की मांग

अखिल भारतीय संत समिति तथा विरक्त वैष्णव मंडल के संत समाज ने शराब के डिपार्टमेंट स्टोर को निरस्त करने की मांग को लेकर क्षेत्रीय विधायक व मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल को उनके जनसंपर्क अधिकारी के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया है।

बैराज रोड़ स्थित कैंप कार्यालय में बड़ी संख्या में साधु-संत पहुंचे। यहां मंत्री डा. अग्रवाल के जनसंपर्क अधिकारी ताजेंद्र सिंह नेगी को संत समाज ने ज्ञापन दिया। ज्ञापन के जरिए उन्होंने बताया कि देश ही नहीं विदेशों में भी ऋषिकेश की पहचान तीर्थस्थल के रूप में होती है। यहीं नहीं ऋषिकेश में आध्यात्म, योग और मन की शांति के लिए श्रद्धालु तथा पर्यटक बड़ी संख्या में प्रत्येक वर्ष पहुंचते है।

संत समाज ने दुख प्रकट करते हुए कहा कि इन दिनों एम्स व सीमा डेंटल कॉलेज के निकट तथा नटराज चौक के निकट अंग्रेजी शराब का डिपार्टमेंट स्टोर आवंटित होने से तीर्थनगरी की छवि धूमिल हो रही है, जिसकी संत व साधु समाज निंदा करता है।

संत समाज ने कहा कि तीर्थनगरी में शराब का डिपार्टमेंट स्टोर खुलने से जहां धार्मिक भावनाएं आहत होंगी। वहीं, युवा पीढ़ी पर भी बुरा असर पड़ेगा। संत समाज ने एक स्वर में शराब के आवंटित स्टोर को निरस्त करने की मांग की। साथ ही निरस्त न होने पर चेतावनी देते हुए कहा कि संत व साधु समाज द्वारा आंदोलन करते सड़क पर उतरकर विरोध किया जाएगा।

इस मौेके पर अध्यक्ष विरक्त वैष्णव मंडल महामंडलेश्वर दयाराम दास जी महाराज, अध्यक्ष अखिल भारतीय संत समिति स्वामी गोपालाचार्य जी महाराज, महामंडलेश्वर वृंदावन दास जी महाराज, महंत निर्मल दास जी महाराज, महंत छोटनदास जी महाराज, महंत रवि प्रपन्नाचार्य जी महाराज, स्वामी करूणाकरण दास जी महाराज, स्वामी रविन्द्र दास जी महाराज, स्वामी प्रकाशानंद, स्वामी हरिदास जी महाराज, स्वामी हरिचरण जी महाराज, स्वामी भरतदास जी महाराज, स्वामी अखंडानंद सरस्वती, स्वामी राम मिलन दास, स्वामी राम पदम दास, स्वामी प्रेमदास, स्वामी सुरेश दास, स्वामी परमेश्वर दास, स्वामी मोहनदास, स्वामी महावीर दास, स्वामी प्रमोद दास आदि संत समाज उपस्थित रहे।

श्री भरत मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का हुआ शुभारंभ

श्री भरत मंदिर में ब्रह्मलीन महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी की पुण्य स्मृति मे नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुआ। व्यास पीठ पर काशी विश्वनाथ की पावन धरती से आए पूज्य संत डा रामकमलदास वेदांती जी महाराज के ने कथा का श्रवण कराया।

उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा के महत्व बताते हुए कहा कि कथा की सार्थकता जब ही सिध्द होती है, जब इसे हम अपने जीवन में व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शंाति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण, भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है।

श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।

भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है

सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है, इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बच्चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है।

कथा के प्रथम दिवस पर श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य जी महाराज, श्री हर्षवर्धन शर्मा, वरुण शर्मा जी, कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारीजी महामंडलेश्वर स्वामी ललिता नंद जी महाराज, हरी चेतनानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर ईश्वर दास जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास जी महाराज, महामंडलेश्वर अरुण दास जी, सतपाल ब्रह्मचारी जी आदि संत महात्मा की उपस्थिति में श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ।

पंडित रवि शास्त्री को चादर पहनाकर सौंपी महंताई, संतों की मौजूदगी में हुआ पट्टाभिषेक

आज मुनिकीरेती स्थित श्री दर्शन महाविद्यालय में आयोजित वार्षिक उत्सव के दौरान सभी संत महात्माओं की अगुवाई में पंडित रवि शास्त्री जी महाराज का पट्टाभिषेक किया गया। इस अवसर पर पंडित रवि शास्त्री जी को तुलसी मानस मंदिर का महंत घोषित किया गया।

आज दर्शन महाविद्यालय के समापन समारोह के शुभ अवसर पर बैकुंठ वासी राघवाचार्य जी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर सभी महामंडलेश्वर महंतों के द्वारा एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के संयुक्त तत्वाधान में आज पंडित रवि शास्त्री जी को महंताई चादर पाकर उन्हें महंत घोषित किया। महामंडलेश्वर दयाराम दास जी महाराज ने कहा कि आज से पंडित रवि शास्त्री जी का नया नाम महंत रवि प्रपन्नाचार्य जी महाराज के नाम से कहलाया जाएगा। उन्हें आज संत समाज के द्वारा उनका रवि प्रपन्नाचार्य जी महाराज के नाम से संबोधित किया जाएगा।

इस अवसर पर माननीय कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल जी ने नए वर्तमान बने महंत रवि प्रपन्नाचार्य जी महाराज को बधाई देते हुए कहा कि आज जहां हम अपनी संस्कृति विरासत को होते जा रहे हैं वहीं इस समय युवा संतो के द्वारा हमारी संस्कृति विरासत को यह युवा संत आगे निकली।

इस मौके पर महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास जी महाराज, महामंडलेश्वर गुरुचरण मिश्र, महामंडलेश्वर विष्णु दास जी महाराज, महंत अखंडानंद जी महाराज, महंत मनोज प्रपन्नाचार्य जी महाराज, महंत जगदीश प्रपन्नाचार्य जी महाराज, महंत कृष्णानंद जी महाराज, रामानुजाचार्य, गोपालाचार्य, महंत लोकेश दास, दर्शन महाविद्यालय के अध्यक्ष बंशीधर पोखरियाल, सचिव संजय शास्त्री, कोषाध्यक्ष राजीव लोचन, माधव मैथानी, शांति प्रसाद मैणानी, कमल डिमरी, कुमार अरोड़ा, इंद्र कुमार गोदवानी, गुरु प्रसाद बिजल्वाण आदि मौजूद रहे।

महंत रामकृपालु को श्रद्धांजलि देकर नए महंत बने श्याम चरण महाराज

श्री भरत मिलाप आश्रम में आज ब्रह्मलीन महंत रामकृपालु महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। वहीं, श्याम चरण दास महाराज नए महंत बनाए गए।

मायाकुंड में श्री भरत मिलाप आश्रम में आयोजित पट्टाभिषेक कार्यक्रम के शुभारंभ में सभी आगन्तुकों ने ब्रह्मलीन महंत रामकृपालु महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री विरक्त वैष्णव षड्दर्शन संप्रदाय के महामंडलेश्वर रामानंद आश्रम के महंत स्वामी अभिराम दास महाराज की अध्यक्षता एवं महामंडलेश्वर ईश्वर दास महाराज के संचालन में श्याम चरण दास महाराज का पट्टाभिषेक किया गया। उन्हें महंताई की चादर ओढ़ाकर श्री भरत मिलाप आश्रम के महंत की जिम्मेदारी सौंपी गई। ब्रह्मलीन राम कृपालु दास महाराज के शिष्य गोपाल बाबा ने बताया कि श्याम चरण दास महाराज उनके गुरु भाई हैं और उन्हें आश्रम की जिम्मेदारी मिली है।

मौके पर महामंडलेश्वर अभिराम दास महाराज, रामेश्वर दास महाराज, महामंडलेश्वर दयाराम दास महाराज, महामंडलेश्वर ईश्वर दास महाराज, रामानुजाचार्य गोपाल आचार्य महाराज, डॉ. नारायण दास महाराज, महंत दुर्गादास, महंत विष्णु दास, महामंडलेश्वर राम नरेश आचार्य, लोकेश दास महाराज, पुजारी वृंदावन दास महाराज, सुरेश दास महाराज, केदारनाथ श्रीनिवास, विजयानंद महाराज, मां साध्वी वंदना मिश्रा, मेयर अनीता मंमगाईं, अरविंद पांडे, परमानंद दास महाराज, पंडित रवि शास्त्री, राम चैबे, अभिषेक शर्मा, गुरविंदर सलूजा, आईडी जोशी, रमाकांत भारद्वाज, धीरेंद्र जोशी, अमित गांधी, मनोज तिवारी आदि उपस्थित रहे।

दिवंगत स्वामी रामकृपालुदास का ब्रह्ममुहूर्त में हुआ साकेतवास

श्रीभरत मिलाप आश्रम, मायाकुण्ड, ऋषिकेश के प्रणेता सन्तप्रवर यथानाम तथागुण से परिपूर्ण मधुरभाषी वयोवृद्ध भगवद्भक्तिभूषण स्वामी रामकृपालु दास महाराज का 81 वर्ष की अवस्था में साकेतवास हो गया।

बीते रोज वह उच्चरक्तचाप से प्रभावित थे, उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था। जहा आज सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उनका साकेतवास हो गया। तदुपरान्त वैष्णवसन्त समाज के महनीय सन्त-महापुरुषों और महाराजश्री के शिष्यों के परस्पर निर्णय से भगवन्नाम संकीर्तन के साथ उन्हें रामानन्द घाट, मायाकुण्ड, भगवतीगङ्गा जी के तट पर, महाराज जी के परमस्नेही श्रद्धेय गोपाल बाबा जी के द्वारा वैष्णसम्प्रदाय के विधान के अनुसार महाराजश्री का दाह-संस्कार किया गया। विरक्त वैष्णव मंडल ऋषिकेश एवं समस्त संत समाज गुरु मां आनंदमूर्ति मां की देखरेख में महाराज सिंह का दाह संस्कार संपन्न हुआ महाराज की अंतिम यात्रा में देश-विदेश एवं भारत से सभी भक्तों ने अपनी संवेदना प्रकट की महाराज के अचानक जाने से पूरे संत समाज विरक्त समाज प्रभु प्रेमी भक्तों में दुख की लहर छा गई।

इस अवसर पर महामण्डलेश्वर परमश्रद्धेय वन्दनीय अभिरामदास महाराज, ब्रह्मपुरी से पधारे महामण्डलेश्वर दयाराम महाराज, सुरेशदास महाराज, के ज्येष्ठ गुरुभाई , महामंडलेश्वर ईश्वर दास महाराज, महामंडलेश्वर दया राम दास महाराज, रामानुजाचार्य गोपालाचार्य, महंत लोकेश दास, सीताराम दास, पुजारी वृंदावन दास स्वामी शंकर तिलक महाराज, परमानंद महाराज, श्यामाचरणदास महाभाग, पंडित रवि शास्त्री, हरियाणा से पधारी गुरुमाँ देवी शिष्या साध्वी माँ जी, संत सीतारामदास, लखनऊ से पधारे आचार्य अरविन्द, डा० बीके वर्मा, रोहित मिश्र, ब्रह्मचारी पं० दीपक देव, रमाकांत भारद्वाज, अभिषेक शर्मा, राम चैबे, जितेंद्र अग्रवाल, संदीप गुप्ता, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, मेयर अनिता, आदि देश के अनेक प्रान्तो से पधारे महाराज के प्रेमी और शिष्यगणों ने उन्हें अपनी भावभीनी विदाई दी।

संत समाज ने की नागरिकों से अपील, गंगा में न डालें पूजन सामाग्री

गंगा में राफ्टिंग का संत समाज विरोध नहीं करता है, मगर राफ्टिंग की आड़ में गंगा में मादक पदार्थ लेकर पर्यटकों का जाना से अमर्यादित है। इससे गंगा तो दूषित हो ही रही है, साथ ही आस्था पर भी ठेस पहुंचती है, तो ऐसे लोग जो गंगा में मादक पदार्थ लेकर आते है, इसका विरोध संत समाज करता है। संत समाज सरकार से यह भी मांग करता है कि इसके लिए कानून बनाया जाए। यह बात महामंडलेश्वर ईश्वरदार महाराज ने कही।

आज नमामि गंगे और अखिल भारतीय संत समिति की महाकुंभ 2021 को लेकर मायाकुंड स्थित कृष्ण कुंज आश्रम में आयोजित की गई। इसमें नमामि गंगे के प्रदेश प्रमुख कपिल गुप्ता व उनकी टीम ने संत समाज के साथ एक स्वर में ऋषिकेश में भी महाकुंभ को लेकर विकास कार्य किए जाने पर सहमति बनाई। साथ ही गंगा की अविरलता को बनाए रखने के लिए लोगों से भी अपील की। संत समाज ने कहा कि गंगा में पूजन सामग्री न प्रवाहित की जाए। संतों की ओर से निश्चित तिथि पर गंगा की सफाई के लिए प्रयास किए जाएं। कुंभ में स्नान के लिए त्रिवेणी घाट का विस्तार किया जाए।

इस मौके पर महामंडलेश्वर दयाराम दास, महामंडलेश्वर गणेश दास, महंत केशव स्वरूव ब्रह्मचारी, महंत बलवीर सिंह, महंत सुखवीर सिंह, महंत स्वामी अखंडानंद महाराज, महंत गोपाल गिरी, महंत लोकेश दास, पंडित रवि शास्त्री, जुगल किशोर शर्मा, संतोष मुनि, अभिषेक शर्मा, हर्षित गुप्ता, मिंटू तिवारी, पंकज गुप्ता, प्रदीप कोहली, सिमरन गाबा, दिनेश शर्मा, अशोक अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

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