कर्मचारियों के लिए 24 सितम्बर की बैठक महत्वपूर्ण

सचिवालय संघ द्वारा लगातार की गयी मांग पर विधान सभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री जी द्वारा की गयी घोषणा के अनुरूप 11 प्रतिशत महंगाई भत्ते को 24 सितम्बर 2021 की कैबिनेट मे प्रस्तुत कर दिये जाने की जानकारी आज वित्त विभाग के सक्षम अधिकारियो द्वारा सचिवालय संघ को दी गयी है तथा साथ ही इसी माह के वेतन मे डीए बढोत्तरी कर दिये जाने का आश्वासन दिया गया है।
साथ ही गोल्डन कार्ड को लेकर स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सचिवालय संघ को दिये गये आश्वासन के अनुरूप प्रकरण पर वित्त विभाग की सहमति प्रदान कर दी गयी, जिसे आगामी कैबिनेट बैठक मे प्रस्तुत करने का प्रयास युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इस मामले मे सचिवालय संघ अपने स्टैंड पर यथावत कायम है। 24 सितम्बर की कैबिनेट बैठक मे गोल्डन कार्ड की खामियो को दुरूस्त करने का प्रस्ताव न लाये जाने पर सचिवालय परिसर मे स्वास्थ्य मंत्री की वादाखिलाफी पर गोल्डन कार्ड के प्रतिकूल शासनादेश की होली जलाये जाने का कार्यक्रम यथावत किया जायेगा।
डीए की बढोत्तरी व गोल्डन कार्ड की खामियो को दुरूस्त किये जाने के प्रस्ताव को सचिवालय संघ व कार्मिक, पेंशनर्स की भावनाओ के अनुरूप 24 सितम्बर की कैबिनेट मे पारित कर दिये जाने पर सचिवालय संघ द्वारा मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री का आभार व धन्यवाद ज्ञापित किया जायेगा।

कार्मिकों को राज्य की उन्नति और कर्तव्यों के प्रति जागरुक किया

मुख्य सचिव डॉ एस.एस.संधु द्वारा सचिवालय में उच्चस्थ अधीनस्थ कार्मिकों और अन्य नागरिकों की उपस्थिति में ध्वजारोहण करते हुए सभी को 75वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
इस दौरान देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हुए मुख्य सचिव ने लोगों से अपील की कि देश के बलिदानियों ने जिस मकसद से आजादी के लिए असहनीय कष्ट सहे-संघर्ष किया हमें उस मकसद को नहीं भूलना चाहिए। शहीदों ने जिस भारत की परिकल्पना की थी हम उसको पूरा करने में कितने सफल हुए, हम कहाँ पहुँचे, आगे क्या कुछ किया जाना है इस पर सभी लोग इस अवसर पर मंथन करें। देश का नागरिक संपूर्ण देश का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए हमें ऐसे राष्ट्रीय पर्व को मात्र औपचारिकता के तौर पर ना देखकर देश सेवा अर्थात् अपने नागरिकों के जीवन को ऊँचा उठाने के बारे में सोचना चाहिए।
उन्होंने उदाहरण दिया कि 1947 से पहले प्रत्येक भारतीय नागरिक के पास केवल 2 विकल्प थे, पहला आसान रास्ता जिसमें कुछ लोग अंग्रेजों से मिल गये। उन्होंने उपाधियां पाई, जमीन-जायदाद बनाई तथा बाकि भारतीय नागरिकों को गुलाम बनाने में अंग्रेजों का साथ दिया। लेकिन कुछ ऐसे फ्रीडम फाइटर थे जिन्होंने दूसरा कठिन रास्ता चुना जिनको अंग्रेजों और उनके समर्थक आतंकवादी कहते थे। याद करो अंडमान निकोबार (कालापानी की सजा) की वो सलाखें जहाँ पर अंगेज इन देशभक्तों को अनन्त यातनायें देते थे। रोजाना असंभव टास्क दिया जाता था जिसको पूरा करना संभव ही नहीं होता था तथा पूरा ना कर पाने पर रोंगटे खड़े करने वाला दर्द दिया जाता था। मुख्य सचिव ने कहा कि उन लोगों को क्या पड़ी थी इतना दर्द सहने की, वे भी अन्य चाटूकारों की तरह अंग्रेजों से मिल सकते थे। लेकिन उन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए सोचा। कहा कि इनके जीवन से हम क्या सीख पाये।
कहा कि सचिवालय शीर्ष कार्यालय होता है जहाँ देश-प्रदेश की नीतियां बनती है यहाँ पर भी फाइल को डील करते समय 2 विकल्प होते है पहला आसान विकल्प-रूकावट डालने वाला। एक व्यक्ति ने नीचे से टिप्पणी लिख दी और ऊपर के सब उसी अनुसार चलते गये कि ये काम नहीं हो सकता। इस कार्यप्रणाली से फाइलों का बोझ कम होता जरूर दिखता है लेकिन नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने वाला मकसद तो अधूरा रह जाता है। एक दूसरा विकल्प भी होता है कठिन विकल्प जिसमें फाइल को डील करते समय थोड़ा चिन्तन मनन की जरूरत होती हैं। इसमें इस भावना से काम किया जाता है कि यदि प्रस्ताव अच्छा है तो यदि नियम भी आड़े आ रहे है। तो नियमों को परिवर्तित भी कराया जा सकता है। कहा कि आजकल बहुत लोग सोशल मीडिया में तो बहुत देशभक्ति दिखाते हैं किन्तु व्यावहारिक जीवन में वे उस पर खरे नहीं उतरते उसके विपरीत आचरण करते नजर आते हैं। हमें समाधान का हिस्सा बनना है, समस्या का नहीं। कहा कि ऐसा नहीं कि देश में अच्छे लोग नहीं है, देश में बहुत से अच्छे लोग भी हैं जिनके चलते ये देश मजबूती से प्रगति के पथ पर अग्रसर हो रहा है।
इस दौरान मुख्य सचिव द्वारा सचिवालय में कोविड-19 के दौरान टीकाकरण में उत्कृष्ट सेवाएं दे रहे कार्मिकों को सम्मानित भी किया गया। इनमें वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ0 विमलेश जोशी, चीफ फार्मासिस्ट एम.पी. रतूड़ी, ए0एन0 एम0 वन्दना रावत, सुनीता सिंह व सुनीता चमोली, एम्बुलेंस चालक पिताम्बर चमोली, सहायक समीक्षा अधिकारी चारूचन्द्र गोस्वामी, कम्प्यूटर सहायक गुमन सिंह व अनूप सिंह नेगी, सुपरवाइजर रतन सिंह रावत, प्रवीण सिंह व भगवती प्रसाद, सफाई कर्मी राधे व अक्षम शामिल थे। इसके अतिरिक्त मुख्य सचिव ने एथलीट व फिटनेस क्लब के उन सदस्यों को जिन्होंने 15 कि0मी0 दौड़ राष्ट्रीय ध्वज के साथ पूरी की थी उनका आभार व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी।
इस दौरान ध्वजारोहण के अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, मनीषा पंवार, व आनन्द बर्धन, प्रमुख सचिव आर.के.सुधांशु व एल. फेनई, सहित सभी सचिव, प्रभारी सचिव, उच्चस्थ-अधीनस्थ कार्मिक व अन्य नागरिक उपस्थित थे।

मनमानी का केन्द्र बना उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में हुईं भर्तियों की शासन ने जांच बैठा दी है। शासन ने कुलसचिव से बिंदुवार सभी भर्तियों पर रिपोर्ट तलब की है। अपर सचिव राजेंद्र सिंह की ओर से कुलसचिव को भेजे गए आदेश में पिछले वर्षों में हुईं भर्तियों में की गई अनियमितता की जांच रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने विवि में पीआरडी के माध्यम से की जा रहीं भर्तियों और पिछले दो माह में पीआरडी से हुईं भर्तियों की रिपोर्ट भी मांगी है।

इसके अलावा नर्सिंग भर्ती, प्रोफेसर पदों पर सीधी भर्ती, विवि द्वारा अपने स्तर से शासन द्वारा नियुक्त कुलसचिव को हटाते हुए नए कुलसचिव की नियुक्ति, लेखा अधिकारी, सहायक लेखा अधिकारी के पद प्रमोशन के पद एवं वित्त विभाग के पद विज्ञापन जारी करने की स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है।

शासन ने योग अनुदेशकों के पदों पर जारी रोस्टर को बदलने, माइक्रोबायोलॉजिस्ट के पदों पर भर्ती में नियमों का अनुपालन न करने, बायोमेडिकल संकाय व संस्कृत में असिस्टेंट प्रोफेसर एवं पंचकर्म सहायक के पदों पर विज्ञप्ति प्रकाशित करने और फिर रद्द करने, विवि में पद न होते हुए भी संस्कृत शिक्षकों को प्रमोशन एवं एसीपी का भुगतान करने, बिना शासन की अनुमति बार-बार विवि द्वारा विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकालने और रोक लगाने, विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विवि द्वारा गठित समितियों के गठन की विस्तृत सूचना देने के निर्देश दिए गए हैं। विवि में पिछले दो माह में 60 से अधिक युवाओं पीआरडी जवानों को भर्ती कर दिया गया है, जिस पर सवाल उठ रहे हैं।

मनमानी का अड्डा बना आयुर्वेद विवि
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय मनमानी का अड्डा बन गया है। शासन से जिस अधिकारी को कुलसचिव बनाकर भेजा जाता है, उसे विवि प्रशासन की ओर से खुद ही हटाकर नए कुलसचिव की नियुक्ति की जाती है। भर्तियों में न रोस्टर का कुछ अता-पता है और न ही शासन का कोई संज्ञान। आखिरकार अब जांच के निशाने पर अब कई अधिकारी आ गए हैं।

आयुर्वेद विवि में वर्ष 2017 से लगातार नियमों की अनदेखी की जा रही है। पूर्व कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों के बाद से भी यहां मनमानी का सिलसिला जारी है। शासन ने 2017 से अब तक की नियुक्तियों को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। फिर चाहे प्रोफेसर की भर्ती हो या नर्सिंग स्टाफ की। हद तो तब है कि जो पद विवि में हैं ही नहीं, उन पदों पर प्रमोशन और एसीपी का भुगतान किया जा रहा है।
नियमानुसार भर्तियों के लिए शासन की अनुमति जरूरी होती है लेकिन विवि के अधिकारी किसी की अनुमति की जरूरत ही महसूस नहीं कर रहे हैं। हालात यह हैं कि खुद ही विज्ञप्ति जारी की जाती है और खुद ही उसे रद्द कर दिया जाता है। युवा भटक रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।

पीआरडी से भर्तियों की बरसात
आयुर्वेद विवि में ताजा मामला पीआरडी के माध्यम से होने वाली भर्तियों का है। यहां पिछले दो माह में ही बिना शासन की अनुमति, बिना नियमों का पालन किए 60 से अधिक नौजवानों को पीआरडी के माध्यम से भर्ती कर दिया गया है। सवाल उठ रहे हैं कि विवि के अधिकारी किसी शह पर यह भर्तियां कर रहे हैं।

मनमानी का आलम यह है कि एक अधिकारी को बुलाया, कार्यमुक्त किया फिर रख लिया गया। इसी तरह आयुर्वेद विवि में आयुष विभाग से एक अधिकारी को पहले बुलाया गया, फिर कार्यमुक्त किया गया और फिर वहीं रख लिया गया। इस पूरे प्रकरण में शासन को संज्ञान में ही नहीं लिया गया है। ऐसे तमाम प्रकरण हैं, जिसमें मनमानी खुलकर सामने आ रही है। 

चारधामः उत्तराखंड के लोग अब एक जुलाई से कर सकेंगे दर्शन

(एनएन सर्विस)
प्रदेश सरकार ने केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में एक जुलाई से प्रदेश में रह रहे लोगों को दर्शन करने की अनुमति दे दी है। इसके लिए ऑनलाइन पास की व्यवस्था रहेगी। यदि कोई व्यक्ति दूसरे राज्य से आया है तो उसे क्वारंटीन के सभी दिशानिर्देशों का पालन करने के बाद ही चारधाम में दर्शन करने की अनुमति दी जाएगी। चारों धामों में दर्शन के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही सैनिटाइजर रखने के साथ ही मास्क पहनना अनिवार्य होगा। 

एक रात ठहरने की मिली अनुमति
बोर्ड की ओर से जारी एसओपी के अनुसार दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालु को धाम के विश्राम गृह में एक रात ही ठहरने की अनुमति होगी। आपातकालीन स्थिति, सड़क बाधित होने और स्वास्थ्य संबंधी परेशानी में ही जिला प्रशासन की अनुमति से इसे बढ़ाया जा सकेगा। जिस लोगों के धाम क्षेत्र में होटल, रेस्टोरेंट, धर्मशाला, ढांबे और अन्य परिसंपत्तियां हैं, वे मरम्मत कार्य के लिए प्रशासन की अनुमति से जा सकेंगे और एक दिन से ज्यादा ठहर सकेंगे। 

बुुजुर्ग और बच्चों के लिए नियम
कोरोना संक्रमण को देखते हुए चारधाम में 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग और 10 साल से कम आयु के बच्चों को जाने की अनुमति नहीं होगी। 

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इसका रखना होगा ध्यान 
कोरोना संक्रमण को देखते हुए धामों के मंदिरों में बाहर से लाए गए प्रसाद और चढ़ावे पर रोक रहेगी। मूर्तियों को छूने पर भी प्रतिबंधित रहेगा। मंदिर में प्रवेश से पहले हाथ और पैर धोना अनिवार्य होगा। 

सचिवालय में विजिटर्स को मिली अनुमति
एक जुलाई से सचिवालय में आगंतुकों (विजिटर्स) को प्रवेश मिल सकेगा। पहले चरण में एक दिन में अधिकतम 50 लोगों को ही प्रवेश मिल पाएगा। निजी सचिवों की ऑनलाइन मंजूरी के बाद प्रवेश पत्र आगंतुकों को जारी किए जाएंगे। अपर मुुख्य सचिव (सचिवालय प्रशासन) राधा रतूड़ी ने इस संबंध में आदेश जारी किए। कोविड-19 महामारी की रोकथाम के चलते मई और जून में सचिवालय प्रशासन ने सचिवालय में आगंतुकों के प्रवेश को पहले सीमित किया था, उसके बाद उनके प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। यह रोक अनलॉक 1.0 में भी जारी रही, लेकिन अब अनलॉक 2.0 में प्रदेश सरकार के स्तर पर दी जा रही ढील के क्रम में सचिवालय प्रशासन ने भी सचिवालय में प्रवेश की व्यवस्था लचीली कर दी है।

मुख्यमंत्री ने आपदा से हुए नुकसान का आकंलन करने के दिए निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य में घटित प्राकृतिक आपदाओं एवं दुर्घटनाओं से हुए नुकसान आदि के आंकलन, क्षतिपूर्ति, योजनाओं की मरम्मत में हुए वास्तविक व्यय का विवरण 30 सितम्बर तक शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारियों को आपदा मद में 71 करोड़ धनराशि पूर्व में उपलब्ध करायी जा चुकी है। इसके अतिरिक्त भी जिलाधिकारियों को 30 करोड़ और उपलब्ध कराये गये हैं। उन्होंने कहा कि आपदा राहत एवं इससे हुए नुकसान की भरपाई के लिय धन की कमी आड़े नहीं आने दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने आपदा के दौरान त्वरित कार्यवाही के लिये सभी सम्बन्धित आधिकारियों के प्रयासों की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आपदा से लगभग रू. 300 करोड़ की क्षति होने का अनुमान है। जिलाधिकारियों से इस संबंध में आपदा से हुए नुकसान का पूर्ण विवरण 30 सितम्बर तक प्राप्त होने के बाद इसकी सूचना तद्नुसार केन्द्र सरकार को उपलब्ध कराई जायेगी।
सचिवालय में शासन के उच्चाधिकारियों एवं सभी जिलाधिकारियों के साथ आपदा से हुए नुकसान एवं राहत कार्यों की जनपदवार समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा राहत एवं इससे हुए नुकसान की भरपाई के लिये धन की कमी नहीं होने दी जायेगी। उन्होंने निर्देश दिये कि आपदा से क्षतिग्रस्त सडकों, पुलों, पेयजल, बिजली, विद्यालय भवनों की मरम्मत का कार्य त्वरित गति से पूर्ण किया जाए। उन्होंने चार धाम यात्रा आरम्भ होने की स्थिति का भी जायजा लिया तथा इसके लिए भी सभी आवश्यक व्यवस्थाएं यथा समय पूर्ण करने को कहा।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये हैं कि आपदाग्रस्त योजनाओं की मरम्मत के आंगणनों की स्वीकृति में भी विलम्ब न किया जाये। उन्होंने जिन जनपदों में अपेक्षा से कम वर्षा हुई है वहां उत्पन्न सूखे की स्थिति का भी आंकलन करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने सेब की फसल को हुए नुकसान का आंकलन तथा सेब को बाजार तक लाने की भी व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा, इसके लिये यदि अतिरिक्त धनराशि की जरूरत हो तो उसकी भी व्यवस्था की जायेगी। बैठक में सचिव आपदा प्रबन्धन अमित नेगी ने बताया कि प्रदेश में इस वर्ष 15 जून से 14 सितम्बर 2019 तक आपदा से संबंधित 1124 घटनायें हुई हैं, जिसमें 70 लोगों की मृत्यु, 73 घायल तथा 4 लोग लापता हुए हैं। 235 भवन पूर्ण क्षतिगसत तथा इतने ही आंशिक क्षतिग्रस्त हुए हैं। 92 बड़े तथा 356 छोटे पशुओं की हानि तथा 21 गोशालाओं को नुकसान हुआ है, जबकि आपदा से 205 पेयजल योजनाओं तथा 29 विद्युत लाइनों को नुकसान पहुंचा है।

विभागों में रिक्त चल रहे पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश

प्रदेश में बेरोजगारों को जल्द राहत मिलने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विभिन्न विभागों में रिक्त चल रहे पदों पर जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने राज्य लोक सेवा आयोग, अधीनस्थ चयन सेवा आयोग और विभागों के बीच समन्वय बनाने और समयबद्ध भर्ती कराने के लिए भर्ती कैलेंडर बनाने के निर्देश दिए। कार्मिक विभाग नियमित रूप से इस कैलेंडर का परीक्षण करेगा। बैठक में यह बात सामने आई कि विभागों में डीपीसी न होने का एक बड़ा कारण कर्मचारियों की वार्षिक चरित्र पंजिका (एसीआर) का समय से पूरा न होना है। इस पर मुख्यमंत्री ने समय से कर्मचारियों की एसीआर न लिखने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में प्रदेश के सरकारी महकमों में रिक्त चल रहे पदों पर भर्ती प्रक्रिया की प्रगति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया विवाद रहित और पारदर्शिता के साथ की जाए। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को कहा कि आयोग को भेजे जाने वाले अधियाचन व सेवा नियमावली स्पष्ट रखी जाएं ताकि मामले न्यायालय में न जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दस प्रतिशत आर्थिक आरक्षण को शामिल करने के लिए विभागों को जो अधियाचन वापस भेजे गए हैं, उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए आवश्यक कार्यवाही की जाए। लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल (सेनि) आनंद सिंह रावत ने बताया कि आयोग स्तर पर 852 पदों पर भर्ती प्रक्रिया और 3080 पदों पर डीपीसी की प्रक्रिया चल रही है। 883 पदों पर आवश्यक संशोधन के लिए विभागों को वापस भेजा गया है।
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के अध्यक्ष एस राजू ने कहा कि आयोग ने 3177 पद अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के माध्यम से भरने के लिए चिह्नित किए हैं। इनमें 2564 पद तकनीकी अर्हता व 613 पद गैर तकनीकी अर्हता के हैं। अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी ने कहा कि अभी तक कुल 32 विभागों ने रिक्त पदों के संबंध में जानकारी दी है। इन विभागों में लगभग 18 हजार पद रिक्त हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने इन पदों पर भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू कराने के निर्देश दिए।
बैठक में अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव शैलेश बगोली, नीतेश झा, डॉ. भूपिंदर कौर औलख, हरबंस सिंह चुघ, सुशील कुमार, लोक सेवा आयोग के सचिव राजेंद्र कुमार और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

इन्वसर्ट समिट का असर, 28686 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद

प्रदेश में आठ माह पूर्व हुए निवेश सम्मेलन का असर धरातल पर दिखने लगा है। सम्मेलन के दौरान किए गए समझौतों के बाद 98 योजनाओं पर काम होना शुरू हो गया है। इनमें तकरीबन 13261.83 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है। इन योजनाओं के धरातल पर उतरने से लगभग 28686 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
प्रदेश में बीते वर्ष अक्टूबर में दो दिवसीय निवेश सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन में लगभग एक करोड़ बीस लाख करोड़ रुपये निवेश के प्रस्तावों पर हस्ताक्षर हुए। इससे सरकार खासी उत्साहित भी थी। आठ माह बाद जो तस्वीर सामने आई है उसके मुताबिक प्रदेश में अभी तक 98 प्रस्तावों पर काम शुरू हो गया है। इनमें सबसे अधिक कार्य उद्योग के क्षेत्र में हुआ है। इसमें 32 योजनाओं पर काम चल रहा है, जिसमें 3692 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद जताई गई है। वहीं, स्वास्थ्य सेवाओं और परिवार कल्याण के क्षेत्र में 26 योजनाओं पर काम चल रहा है और इसमें 861 करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है। रोजगार के लिहाज से देखें तो सूचना प्रौद्योगिकी में सबसे अधिक उम्मीदें हैं। इसके तहत यहां पांच योजनाओं पर काम चल रहा है। इनमें 3217 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है और इससे 11730 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना जताई गई है। निवेश के लिहाज से सबसे ज्यादा उम्मीदें पशुपालन क्षेत्र में हैं। इसके तहत तीन योजनाओं पर काम हो रहा है, जिसके अंतर्गत 3850 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है।
मुख्य सचिव उद्योग मनीषा पंवार ने मंत्रिपरिषद के सामने ये आंकड़े प्रस्तुत किए। यह भी बताया गया कि निवेश सम्मेलन में हुए करार के अलावा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के 211, सूचना प्रौद्योगिकी के दो बड़ी योजनाओं पर भी काम हो रहा है, जिनमें 2700 करोड़ का निवेश और 10832 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।

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