मुख्यमंत्री ने समाज कल्याण विभाग में चयनित 26 अभ्यर्थियों को दिए नियुक्ति पत्र


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा चयनित समाज कल्याण विभाग के अन्तर्गत 26 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किये। जिसमें 15 सहायक लेखाकर एवं 11 कनिष्ठ सहायक शामिल हैं।

मुख्यमंत्री ने नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वाले सभी अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सभी चयनित कार्मिक लगन व कड़ी मेहनत के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे और राज्य के विकास व जनसेवा के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि समाज कल्याण विभाग के तहत केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा अनेक जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं का प्रत्येक पात्र व्यक्ति को समय पर लाभ मिले, समाज कल्याण विभाग की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने कार्यक्षेत्र की शुरूआत के दौरान ही दिनचर्या बनाते हैं और नियमित दिनचर्या के साथ कार्य करते हैं, तो सभी कार्य सुगमता से पूर्ण होते हैं। कार्यक्षेत्र में ईमानदारी और अनुशासन के साथ कार्य करने और लोगों की मदद करने की भावना सबके मन में होनी चाहिए। जब हम सही भावना से कोई कार्य करते हैं, तो इससे मन में संतुष्टि का भाव होता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। विभिन्न विभागों के माध्यम से अनेक भर्ती प्रक्रियाएं गतिमान हैं। भर्ती परीक्षाएं पूर्ण पारदर्शिता के साथ कराने के लिए राज्य में सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। इस कानून के लागू होने के बाद से सभी भर्ती परीक्षाएं पूर्ण पारदर्शिता से हुई है।

इस अवसर पर सचिव समाज कल्याण बृजेश कुमार संत, निदेशक समाज कल्याण आशीष भटगाई उपस्थित थे।

राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान के बच्चों के साथ सीएम ने सुनी मन की बात

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान, देहरादून के सभागार में संस्थान एवं समाज कल्याण विभाग के राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय अधोईवाला के बच्चों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मन की बात सुनी। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वालों को वैश्विक पहचान दिलाने का कार्य किया है। प्रधानमंत्री ने मन की बात में गोवा में 06 से 08 जनवरी 2023 को आयोजित पर्पल फेस्ट का जिक्र किया जिसमें 50 हजार से अधिक लोग शामिल हुए। जिसमें दिव्यांगजनों के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए अनेक सराहनीय कार्य हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत के प्रस्ताव पर ही संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा हर साल 21 जून को योग दिवस एवं वर्ष 2023 को अन्तरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष मनाने को मंजूरी मिली। उन्होंने कहा कि राज्य में भी जी-20 के तहत जो दो बैठकें होंगी, उनमें मिलेट के व्यंजन भी परोसे जायेंगे। मिलेट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का यह हमारे पास सुनहरा अवसर है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ई-कचरा के सही निस्तारण के लिए प्रधानमंत्री जी ने चिंता व्यक्त की है, ई-कचरे को एकत्रित कर उसकी री-साइकिलिंग के लिए ई-बेस टेक्नोलॉजी को हमें राज्य में बढ़ावा देना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा ई-कचरे के लिए रूड़की की एटेरो री-साइकिलिंग की ई-बेस टेक्नोलॉजी का जिक्र किया गया। उन्होंने रूड़की की एटेरो री-साइकिलिंग की ई-बेस टेक्नोलॉजी द्वारा ई-कचरे के लिए विकसित की गई तकनीक की सराहना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान एवं राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय अधोईवाला के बच्चों के साथ प्रधानमंत्री की मन की बात सुनकर उन्हें बहुत अच्छा लगा। उन्होंने बच्चों के साथ बातचीत कर उनका हौंसला भी बढ़ाया।

खदरी खड़कमाफ में बहुउद्देशीय शिविर का आयोजन, लोगों ने उठाया लाभ

न्याय पंचायत श्यामपुर की ग्राम सभा खदरी खड़कमाफ में समाज कल्याण विभाग के द्वारा एक बहुउद्देशीय शिविर का आयोजन किया गया। मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम प्रधान संगीता थपलियाल ने की। शिविर में समाज कल्याण विभाग की विभिन्न पेंशनों की जानकारी दी गई और पात्र व्यक्तियों के द्वारा आवेदन पत्र भी जमा किए गए।
शिविर में खाद्य एवं पूर्ति विभाग के द्वारा राशन कार्ड से जुड़ी समस्या का निराकरण भी किया गया। उद्यान विभाग के द्वारा ग्रामीणों को सब्जियों के बीज वितरण किए गए। तहसील ऋषिकेश में उपस्थित क्षेत्रीय लेखपाल के द्वारा आय प्रमाण पत्र/निवास प्रमाण पत्र जाति प्रमाण पत्र आदि को बनवाने हेतु आवश्यक दस्तावेजों प्रमाण पत्रों की जानकारी भी दी गई। स्वास्थ्य विभाग की ओर से डॉक्टरों द्वारा दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने हेतु आवश्यक जानकारी प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त पंचायती राज विभाग के द्वारा ग्रामीणों को मौके पर ही परिवार रजिस्टर की नकल पेंशन हेतु प्रस्ताव प्रदान किए गए।।
कार्यक्रम में उपस्थित ब्लाक प्रमुख डोईवाला भगवान सिंह पोखरियाल, खंड विकास अधिकारी भगवान सिंह नेगी, सहायक खंड विकास अधिकारी जेएम रावत, एसएल जोशी सहायक समाज कल्याण अधिकारी महेश प्रताप, डीएन उपाध्याय, रजत, मुकेश कुकरेती, धर्मेंद्र कंडारी, अजय पांडे, विकास दुमका श्रीकांत रतूड़ी, बीना चौहान ,प्रमिला चंदोला, समाजसेवी शांति प्रसाद थपलियाल, जीतराम थपलियाल आदि मौजूद रहे।

कैबिनेट फैसले में एससी-एसटी और ओबीसी छात्र-छात्राओं को मिली बड़ी राहत

देहरादून। उत्तराखंड समाज कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति योजना के तहत कक्षा नौ तक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के 42 हजार से अधिक छात्रों को पिछले वर्षों से अटकी छात्रवृत्ति मिल सकेगी। प्रदेश मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को यह फैसला लिया।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में समाज कल्याण विभाग के इस प्रस्ताव के तहत राज्य के बजट से आठ करोड़ 15 लाख 34 हजार रुपये जारी करने का निर्णय लिया गया। अब राज्य सरकार अपने बजट से इन छात्रों की छात्रवृत्ति देगी। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के करीब वर्ष 2017-18 व 2018-19 के 22 हजार 492 छात्रों के लिए तीन करोड़ 79 लाख 19 हजार रुपये की धनराशि के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। जबकि ओबीसी के वर्ष 2018-19 के छह हजार और वर्ष 2019-20 के 14 हजार 142 छात्रों के लिए चार करोड़ 36 लाख 15 हजार रुपये मंजूर किए गए।

कैबिनेट ने कोविडकाल में छात्रवृत्ति के आवेदनों में 100 प्रतिशत भौतिक सत्यापन न होने के कारण जिलाधिकारी को अधिकार दिया कि वह रैंडम आधार पर 10 प्रतिशत सूची का सत्यापन करेंगे। साथ ही विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऑनलाइन फार्म भरने में यदि कोई गलती छूट जाती है तो आवेदन रद न किया जाए, बल्कि गलती सुधारने का अवसर दिया जाए।

शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि बैठक में कुल 16 प्रस्ताव आए, जिनमें से 15 पर निर्णय हुआ, जबकि एक प्रस्ताव स्थगित हुआ। उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश राज्य के लिए आवंटित ऐसे कर्मचारी जो लंबे समय से उत्तराखंड में कार्यरत हैं, उन्हें यह लिखकर देना होगा कि वे उत्तराखंड कैडर में रहना चाहते हैं, लेकिन वरिष्ठता सूची में उन्हें उत्तराखंड मूल संवर्ग के कर्मचारियों से नीचे रहना होगा। ऐसा करने पर उनके वेतन या भत्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने दिया जाएगा।

निकाय में घर होने पर भी जिपं अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख सदस्यता नहीं जाएगी

परिसीमन के कारण जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के अध्यक्षों, ब्लाक प्रमुखों, व सदस्यों के घर यदि शहरी निकाय में आए हैं तो उनकी सदस्यता समाप्त नहीं होगी। प्रदेश मंत्रिमंडल ने पंचायती राज अधिनियम के तहत संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कौशिक के मुताबिक, जब वे चुने गए थे, तब वे उनके घर ग्रामीण क्षेत्र में थे।

कुंभ के कार्य को कई हिस्सों में बांटने का अधिकार

कैबिनेट ने आयुक्त और मेलाधिकारी को कुंभ गतिमान और अस्थाई कार्यों को तेजी से पूरा करने के लिए उनके अधिकारों में बढ़ोतरी की है। वे एक कार्य को कई हिस्सों में बांट सकेंगे। उन्हें एक सप्ताह के भीतर टेंडर करने होंगे। स्वीकृत गतिमान कार्यों में आवश्यकता होने पर वे 50 प्रतिशत खर्च की सीमा स्वयं बढ़ा सकेंगे। राज्य सरकार ने आयुक्त को पांच करोड़ और मेलाधिकारी को दो करोड़ के काम कराने का अधिकार पहले ही दे रखा है।

यूपी की दो कार्यदायी संस्थाएं बाहर, आरईएस को 10 करोड़ के काम

कैबिनेट ने अपनी कार्यदायी संस्था की सूची से यूपी राजकीय निर्माण निगम और यूपी समाज कल्याण निर्माण निगम को बाहर कर दिया है। राज्य की सूची में 21 कार्यदायी संस्थाएं हैं। साथ ही कैबिनेट ने ग्रामीण अभियंत्रण विभाग(आरईएस) को अब पांच करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ तक के कार्य करने का अधिकार दे दिया है। आरईएस शहरी निकाय व प्राधिकरण के कार्यों में सैंटेज नहीं लेगा।

अशासकीय स्कूलों और कॉलेजों के संस्कृत शिक्षकों का मानदेय बढ़ेगा

प्रदेश के अशासकीय स्कूल और कॉलेजों के संस्कृत के शिक्षकों का मानदेय बढ़ेगा। बृहस्पतिवार को कैबिनेट की बैठक में इसके प्रस्ताव को पास किया गया। कहा गया कि संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह निर्णय लिया गया है।

प्रदेश में अशासकीय स्कूलों में पढ़ा रहे संस्कृत के शिक्षकों को अब तक दस हजार रुपये मानदेय मिलता था, लेकिन अब पांच साल से बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों को 15 हजार रुपये मानदेय मिलेगा।

जबकि पांच से दस साल से पढ़ा रहे शिक्षकों को 25 हजार रुपये एवं दस साल से अधिक समय से पढ़ा रहे शिक्षकों को 30 हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा। इसके अलावा जो शिक्षक यूजीसी के मानक के अनुसार पीएचडी और एमफिल करने वाले हैं उन्हें पांच हजार रुपये हर महीने अतिरिक्त मानदेय दिया जाएगा।

ये फैसले भी हुए
– हरिद्वार में ध्यानकुंज के समीप साधु संतों की भू समाधि के लिए सिंचाई विभाग की 4.384 हैक्टेयर भूमि दी जाएगी ।
– अल्मोड़ा में चैबटिया में दिगौत में केंद्रीय विद्यालय बनेगा। सिंचाई खंड की भूमि 0.206 हैक्टेयर भूमि निशुल्क आबंटित होगी।
– पर्यटन विकास परिषद में तकनीकी कर्मचारियों की छह पदों की मंजूरी।
– राज्य औषधि नियंत्रक सेवा नियमावली को मंजूरी।
– कोविड में ली गई 140 एंबुलेंस का संचालन मैसर्स कैंप संस्था करेगी। कुंभ में काम आएंगी ये एंबुलेंस। 132 एंबुलेंस पहुंची।

वृद्धावस्था पेंशन में चयन प्रक्रिया गलत होने से साढ़े दस लाख की वित्तीय हानि

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने समाज कल्याण विभाग की करोड़ों रूपए की वित्तीय गड़बड़ी का खुलासा किया है। कैग के अनुसार विभाग ने वृद्धावस्था पेंशन योजना की चयन प्रक्रिया में कई गलतियां की है। इससे साढ़े 10 लाख रूपए की वित्तीय हानि हुई है।

कैग ने राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) के डेटा बेस की जांच में पाया कि 1,17,454 लाभार्थियों में से केवल 49,924 के मामलों में ही बीपीएल पहचान संख्या अंकित थी। शेष 67,530 लाभार्थियों ने बीपीएल पहचान संख्या नहीं दी। इनमें से 8,134 लाभार्थियों के अभिलेखों की जांच में 76 प्रतिशत यानी 6184 ऐसे लोगों को भी पेंशन बांट दी गई, जो बीपीएल की श्रेणी में नहीं थे। इससे विभाग को 7.25 करोड़ की चपत लगी। 614 प्रकरणों में विभाग ने 17 लाख रुपये अधिक भुगतान किया, जबिक 85 लाभार्थियों को डबल पेंशन देकर 21 लाख रुपये की वित्तीय हानि की।

लाभार्थियों के गलत आकलन से विभाग पर 87.89 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा। वर्ष 2015-16 से 2017-18 के दौरान सरकार ने 7,65,599 लाभार्थियों के लिए 235.08 करोड़ की मांग की। इसके सापेक्ष उसे 180.48 करोड़ रुपये मिले। लेकिन विभाग ने 6,46,687 लाभार्थियों को 268.37 करोड़ वितरित किए। इसके चलते राज्य सरकार पर 87.89 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा। ऐसा 33.29 करोड़ रुपये केंद्र से कम मांग के कारण हुआ।

विभाग में पेंशन भुगतान के लिए 12.36 करोड़ रुपये की धनराशि दी गई थी। ये धनराशि न तो बांटी गई न सरकार को समर्पित की गई। इसमें राज्यांश 11.08 करोड़ रुपये और केंद्राश 1.28 रुपये था। कैग को विभाग ने जवाब नहीं दिया कि पांच जिला कोषागारों में यह धनराशि क्यों पड़ी रही।

कैग ने पाया कि वर्ष 2017-18 में चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत और यूएस नगर में 34,551 लाभार्थियों को धन की कमी के चलते 15.25 करोड़ रुपये की बकाया पेंशन का भुगतान नहीं किया गया। वर्ष 2016 में 6,703 बुजुर्गों की पेंशन रोक दी गई। आधार कार्ड की अवधि बढ़ाए जाने के बावजूद बकाया पेंशन 7.79 करोड़ का भुगतान नहीं किया गया।

ये कमियां भी आईं सामने
1. पेंशन मामलों के अनुश्रवण व मूल्यांकन के लिए राज्य और जिलास्तर पर समितियां नहीं बनाई गई। राज्य स्तरीय समिति मुख्य अधिकारी की अध्यक्षता में गठित होनी है, जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष की अध्यक्षता में जिलास्तरीय समिति का गठन होना था। लेकिन लेखा अवधि में ये दोनों समितियां नहीं बनीं।
2. कैग ने पाया कि विकास खंड, जनपद, नगर पालिका स्तर पर शिकायत निवारण प्रणाली का गठन नहीं किया गया। जबकि एनएसएपी के इसे लेकर दिशा-निर्देश हैं।
3. एनएसएपी की गाइडलाइन के हिसाब से विभाग में सोशल ऑडिट की भी व्यवस्था नहीं थी। कैग ने भौतिक सत्यापन की भी कमी पकड़ी।

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