’लोक संस्कृति के उत्थान के लिए नगर निगम कटिबद्धः मेयर

ऋषिकेश का गंगा का तट आज गढ संस्कृति के ऐतिहासिक कार्यक्रमों का गवाह बना। एक से एक दिलकश उत्तराखंडी प्रस्तुतियों से कलाकारों ने हर किसी का मन मोह लिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही मेयर अनिता ममगाई ने कहा गढ़वाल की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए नगर निगम सदैव प्रयासरत रहेगा। महा गंगा आरती के बाद महाकुंभ के मौके पर त्रिवेणी घाट पर हिमालय निनाद कार्यशाला के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तूतियों के साथ उत्तराखंडी वाद्य यंत्रों की लाजवाब प्रस्तूतियां दी गई। गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी की गरिमामयी मोजूदगी में आयोजित कार्यक्रम में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही मेयर ने कहा अपनी संस्कृति को बचाने और इसे आगे बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है।

उन्होंने प्रवासियों से गांव में जाकर अपने पूर्वजों की विरासत को आगे बढ़ाने की अपील भी की। इससे पूर्व गंगा स्तूति के साथ शुरू हुए कार्यक्रम में उत्तराखंडी पोशाकों ने कलाकारों ने अपनी अविरल प्रस्तुतियों से कार्यक्रम में मोजूद हर किसी का मन मोह लिया। इस अवसर पर कल्याण सिंह रावत, महंत लोकेश दास, कृष्ण आचार्य, शंकर तिलक, सुरेंद्र मोघा, संजीव चैहान, दिव्या बेलवाल, पंकज शर्मा, रामरतन रतूड़ी, कमलेश जैन, कमला गुनसोला, ज्योति सजवाण, डॉ सर्वेश उनियाल, गणेश कुकशाल, विजेंद्र मोघा, विजय बडोनी, बंशीधर पोखरियाल, सुनील थपलियाल आदि उपस्थित रहे।

लोक कलाकारों को प्रोत्साहित करें और पहाड़ी वाद्य यंत्रों की ध्वनि को करें स्वीकार

आज के वक्त में जहां आधुनिक वाद्य यंत्रों ने अपने पैर पसार लिए है, वहीं उत्तराखंड में आज भी अपनी संस्कृति को संजोए रखने के प्रयास जारी हैं। विलुप्ति की दहलीज पर इन पहाड़ी वाद्य यंत्रों की ध्वनि को जो कोई भी सुनता है, मंत्रमुग्ध ही हो जाता है और इसे संचालित करने वाले लोक कलाकारों की प्रशंसा किए नहीं थकता। यह मनोरमणीय आनंद आप भी लें सकते है। इसके लिए ऋषिकेश में सात दिवसीय कार्यशाला आयोजित हो रही है, रविवार को कार्यशाला का दूसरा दिन है। यहां हर तरह के पहाड़ी वाद्य यंत्रों को न सिर्फ देखने का मौका आप को मिल सकता है, बल्कि इससे निकलने वाले हर सुर का आप आनंद ले सकते है, तो देर न करें। इस कार्यशाला में लोक वाद्य में बजाए जाने वाली तालों और चालो का आपसी सामंजस्य की चरणबद्ध तरीके से प्रस्तुति के लिए कलाकारों को समयबद्व होकर अपने प्रस्तुतीकरण का अभ्यास कराया जाएगा।


इससे पूर्व नगर निगम ऋषिकेश और नमामि गंगे प्रकोष्ठ उमंग हेमवतीनन्दन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय श्री नगर गढ़वाल के संयुक्त तत्वावधान उत्तराखण्डी लोक वाद्यों पर केन्द्रित कार्यशाला हिमालयी निनाद का शुभारंभ मेयर अनिता ममगाईं ने किया। कहा कि उत्तराखंड की लुप्त हो रही वादन कला की संस्कृति को जागृत करने के लिए यह अनोखा प्रयास किया जा रहा है, वह सराहनीय ही नहीं बल्कि अनुकरणीय भी है। लोककला के संरक्षण के लिए किया जा रहा यह प्रयास कलाकारों का मनोबल बढ़ाने में सहयोग करेगा।

कार्यशाला के उपरांत कार्यक्रम की प्रस्तुति के लिए वृहद कार्यक्रम नगर की हद्वय स्थली त्रिवेणी घाट में आयोजित किया जायेगा। विभिन्न पर्व, मेलों व संस्कारों में गाए जाने वाले लोक गीतों को बेहद खास बनाने में पहाड़ के वाद्य यंत्रों का विशेष स्थान है। एक दौर में परंपरागत वाद्य यंत्रों का वादन बहुतायत से होता था, लेकिन आधुनिकता की चकाचैंध से यहां के परंपरागत वाद्य यंत्रों की धुनें अब कभी कभार ही सुनाई देती हैं।

कार्यक्रम के संयोजक गणेश खुगशाल गणी ने बताया कि वोकल फोर लोकल के लिए नगर निगम ने पर्वतीय अंचल की लोक संस्कृति के प्रतीक यहाँ के लोक वाद्यों की कर्णप्रिय धुनों को संजोने के लिए नायाब पहल की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के संरक्षण में इन वाद्य यंत्रों का संव‌र्द्धन बेहतर ढंग से हो सकता है इसके लिए कोशिश की जानी चाहिए। कार्यशाला के माध्यम से जो कलावंत पारंगत होंगे वे इस धरोहर को आगे बढ़ाने के लिए इसमें रूचि रखने वाले युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए कार्य करेंगे यही इस अभिनव कार्यशाला आयोजन का मुख्य उद्देश्य है।गणी ने बताया कि कार्यशाला पूर्ण होने पर गंगा घाट पर कार्यक्रम आयोजित कर एक प्रस्तुतिकरण किया जाएगा जिसमें तमाम कलाकार उत्तराखंडी वेशभूषा में अपनी प्रस्तुति देंगे।

कलाकारों के बारे में जानकारी देते हुए गणी ने बताया कि कार्यशाला में ढोली गजेंदर लाल ढांढरी पौड़ी से दमौ वादक परअजय चंद्रबदनी टिहरी से मशकवीन वादक विनोद चन्द्रबदनी से नगाडा वादक गोविंद लाल भरतपुर रामनगर से, रौंटी वादक सुरेंद्र प्रकाश जखल अल्मोड़ा से, रणसिंहा वादक अनिलबर्मा और मुन्ना दास चकराता से डौंर वादक पवन चैहान चैंदकोट नौंगांवखाल से, थाली वादक सौरभ नेगी धरासू मवालस्यूं, हुड़का वादक सुरेन्द्र बैसवाल सिल्ला भटवेड़ी देहरादून से बांसुरी वादक कैलाश ध्यानी गिंवाली लैंसडौन तथा कार्यशाला निर्देशक मोछंग वादक रामचरण जुयाल इस कार्यशाला में पौड़ी से आकर प्रतिभाग कर रहे हैं।

डॉ सर्वेश उनियाल (उमंग प्रकोष्ठ हेमवतीनन्दन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्व विद्यालय)ने उद्घाटन समारोह की मुख्य अतिथि मेयर अनिता ममगांई को स्मृति चिह्न भेंट कर उनका अभिनन्दन किया। कार्यक्रम में राज्य परियोजना प्रबंधन ग्रुप नमामि गंगे उत्तराखण्ड के संदीप उनियाल, नमामि गंगे की सह संयोजक नेहा नेगी आदि ने भी शिरकत की।

मेयर अनिता ममगाई ने किया वाद्य यंत्रों की कार्यशाला का शुभारंभ

उत्तराखण्डी संस्कृति के पारम्परिक वाध्य यंत्रों की कार्यशाला का मेयर अनिता ममगाई ने शुभारंभ किया। कार्यशाला में युवाओं को पारंपरिक लोक वाद्य यंत्रों का प्रशिक्षण दिया जायेगा। साथ ही लोक वाद्य यंत्र, उसके महत्व, उपयोगिता, वैज्ञानिक व आध्यात्मिक तथ्यों की जानकारी दी जाएगी।

आज पर्वतीय अंचल की लोक संस्कृति के प्रतीक ढोल, दमाऊं व हुड़के की कर्णप्रिय धुनों को संजोने के लिए केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय, उमंग संस्था के प्रयास और नमामि गंगे के सहयोग से जीएमवीएन सभागार में सात दिवसीय कार्यशाला विधिवत रूप से शुरू हो गई। इस मौके पर मेयर अनिता ममगाईं ने कहा कि उत्तराखंड के संगीत में प्रकृति का वास है। यहां के गीत, संगीत की जड़ें प्रकृति से जुड़ीं हैं। समय के साथ यहां के गीत संगीत धूमिल होने लगे हैं, पुराने लोक वाद्य यंत्रों की जगह नए वाद्य यंत्रों ने ले ली है। इसके चलते युवा पीढ़ी अपने पारंपरिक वाद्य यंत्रों से दूर होती जा रही है। मेयर अनिता ने कहा कि उत्तराखंड के लोक वाद्य यंत्रों का महत्व जितना आध्यात्मिक है, उससे ज्यादा इनमें वैज्ञानिकता भरी हुई है, लेकिन वर्तमान में अनेक लोक वाद्य यंत्र विलुप्ति के कगार पर हैं। जिन्हें सामूहिक प्रयास से संजोया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि लोक वाद्यों में आंचलिक संस्कृति की छाप होती है। इन वाद्य यंत्रों का संस्कृति विशेष के जन जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने प्रशिक्षकों से विभिन्न वाध्य यंत्रों की विस्तृत जानकारी भी ली। इस दौरान गणेश कुकशाल, रामचरण जुयाल, डॉ सर्वेश उनियाल एवं वाह्य यन्त्र कलाकार, पार्षद विजय बडोनी, विजेंद्र मोगा, पवन शर्मा, यसवंत रावत, नेहा नेगी, प्रकांत कुमार, अक्षत खेरवाल, राजू शर्मा, रेखा सजवाण, मोजूद रहे।

पूर्णागिरी मेला हुआ शुरू, कोविड नियमों का करना होगा पालन

टनकपुर (चंपावत)। उत्तराखंड के चंपावत में विश्व प्रसिद्ध पूर्णागिरि मेला आज से शुरू हो गया है। मां पूर्णागिरि धाम में हर साल होली के अगले दिन से तीन माह का मेला लगता है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने मेला अवधि 30 दिन तय की है। 30 मार्च से शुरू हो रहा मेला 30 अप्रैल तक चलेगा। मेले में कोरोना से बचाव के लिए श्रद्धालुओं को सरकार की गाइडलाइन का पालन करना होगा।

10 हजार श्रद्धालु ही एक दिन में कर सकेंगे दर्शन, पंजीकरण भी अनिवार्य

मेला मजिस्ट्रेट एसडीएम हिमांशु कफल्टिया ने बताया कि ककरालीगेट से मुख्य मंदिर तक पथ प्रकाश, अस्थायी शौचालय, यात्रि विश्राम शेड आदि व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं। जगह-जगह श्रद्धालुओं की थर्मल स्क्रीनिंग से जांच की व्यवस्था की गई है। सुरक्षा नोडल अधिकारी सीओ अविनाश वर्मा ने बताया कि कुंभ मेले के कारण फिलहाल जिले का ही फोर्स मेले की सुरक्षा व्यवस्था संभालेगा। कुंभ मेले की ड्यूटी में गई फोर्स भी वापस मंगा ली गई है।

रोडवेज चलाएगा दस बसें
पूर्णागिरि मेले में इस बार भी रोडवेज टनकपुर से पूर्णागिरि के लिए दस बसें चलाएगा। एआरएम संचालन केएस राणा ने बाताया कि पूर्णागिरि मार्ग पर चलाने को दस बसों की व्यवस्था की गई है। बसों का संचालन रोडवेज बस स्टेशन से किया जाएगा।

नहीं चलेगी मेला स्पेशल ट्रेन
पूर्णागिरि मेले के लिए फिलहाल मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन नहीं होगा। अलबत्ता एक अप्रैल से त्रिवेणी एक्सप्रेस का संचालन शुरू हो जाएगा। यात्रियों को रूटीन ट्रेनों, रोडवेज की बसों या फिर निजी वाहनों से ही दर्शन के लिए आना होगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने अपने दफ्तर की नेमप्लेट ऐपण कला में लगवाई

उत्तराखंड की पारंपरिक ऐपण कलाकृति को नया आयाम मिल रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हालिया दिल्ली दौरे पर केंद्रीय मंत्रियों को ऐपण कलाकृति भेंट कर ऐपण को नया जीवन दिया है। सीएम ने अपने दफ्तर की नेमप्लेट भी ऐपण कला में लगवाई है। इस पहल के बाद ऐपण कला से जुड़ी बेटियों को नई आस जगी है।

सीएम त्रिवेंद्र के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट के मुताबिक ऐपण को नई पहचान दिलाने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने सराहनीय प्रयास किए हैं। रमेश भट्ट खुद भी अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और नैनीताल जिलों में ऐपण पर काम कर रही बेटियों से रूबरू हो चुके हैं। ऐपण पर बने उनके वीडियो को फेसबुक पर लाखों लोग देख चुके हैं।

रमेश भट्ट बताते हैं कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने ऐपण को प्रोत्साहन देने में खासी रुचि दिखाई है। सीएम ने अपने दफ्तर की नेमप्लेट भी ऐपण में बनवाई है और सभी मंत्रियों व अफसरों को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया है। सीएम अल्मोड़ा में ऐपण प्रदर्शनी के दौरान कई बेटियों से मुलाकात कर चुके हैं जो ऐपण को अपनी आजीविका से जोड़ रही हैं। अब पिछले दिनों दिल्ली दौरे पर सीएम त्रिवेंद्र ने केंद्रीय मंत्रियों को एक के बाद एक ऐपण गिफ्ट देकर मजबूत सांस्कृतिक संदेश दिया है। रमेश भट्ट ने उम्मीद जताई है कि ऐपण को विश्वव्यापी पहचान दिलाने में ये प्रयास कारगर साबित होंगे।

सीएम त्रिवेंद्र ने केदारखंड झांकी के कलाकारों को सम्मानित किया

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ, दिल्ली में उत्तराखण्ड की झांकी में प्रतिभाग करने वाले कलाकारों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। राजपथ पर उत्तराखण्ड राज्य की ओर से ‘‘केदारखण्ड’’ की झांकी प्रस्तुत की गई। उत्तराखण्ड की झांकी को देश में तीसरे स्थान के लिए पुरस्कृत किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि झांकी के सभी 12 कलाकारों को 25-25 हजार रूपये पारितोषिक दिये जायेंगे।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड की झांकी को देश में तीसरा स्थान प्राप्त होने पर सभी कलाकारों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखण्ड की झांकी को तीसरा स्थान मिला यह राज्य के लिए गर्व की बात है। राज्य बनने के बाद उत्तराखण्ड की झांकी को पहली बार शीर्ष तीन झांकियों में स्थान मिला। उत्तराखण्ड की थीम झांकी में स्पष्ट दिख रही थी। उन्होंने झांकी बनाने वाले कलाकारों को भी इसके लिए बधाई दी।

सचिव सूचना दिलीप जावलकर ने कहा कि उत्तराखण्ड की झांकी ‘‘केदारखण्ड’’ में टीम लीड-उप निदेशक सूचना केएस चैहान के नेतृत्व में 12 कलाकारों ने प्रतिभाग किया। झांकी का थीम सांग ‘‘जय जय केदारा’’ था। कलाकारों ने राज्य का गौरव बढ़ाया है।

टीम लीडर-उप निदेशक सूचना केएस चैहान ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद 12 बार उत्तराखण्ड की झांकी गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ में प्रदर्शित की गई। पिछले चार सालों से प्रतिवर्ष उत्तराखण्ड की झांकी प्रदर्शित की गई।

मुख्यमंत्री ने जिन कलाकारों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया उनमें उप निदेशक सूचना केएस चैहान, मोहन चन्द्र पाण्डेय, विशाल कुमार, दीपक सिंह, देवेश पंत, वरूण कुमार, रेनु, नीरू बोरा, दिव्या, नीलम, अंकिता नेगी शामिल हैं।

अनूठी लोक कला व संस्कृति के लिए दुनिया भर में उत्तराखंड की बनी विशिष्ट पहचानः डा. राजे

अंतरराष्ट्रीय गढवाल महासभा ने आज पलायन पर अधारित व्यंग गढ़वाली गीत ‘‘बौ कु तमासू’’ लांच किया गया। प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य अपनी अनूठी लोककला और संस्कृति के लिए जाना जाता है। राज्य की कुछ लोक विधाओं ने तो देश और दुनिया में अपनी खास पहचान भी बना ली है। उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति के दीदार लोक कलाओं और लोक विधाओं को अब गति मिलने लगी है।लिहाजा देश और दुनिया में लोग उत्तराखंड की लोक कला और संस्कृति के बारे में जानने को उत्सुक हो रहे हैं।

पलायन पर आधारित व्यंग गीत का लोकार्पण गढ़वाल महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी एवं लोक गायक दक्ष नौटियाल ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी ने कहा कि महासभा लगातार उत्तराखंड की महान गढ संस्कृति के प्रचार प्रसार में सक्रिय भूमिका निभा रही है। यह तमाम कार्यक्रम पूरे वर्ष भर आगे चरणबद्ध तरीके से निरंतर जारी रहेंगे। लोक गायक दक्ष नोटियाल ने बताया कि उनका ये नया गीत ए के फिल्म्स के बैनर तले रिलीज किया गया है ।जिसमे पहाड़ के पानी, संस्कृति सुंदरता के साथ ही पलायन की समस्या को मुख्य रूप से गीत के माध्यम से दर्शाया गया है।

बताया कि आज आधुनिक दौर में चकाचैंध के कारण युवा पीढ़ी लगातार अपने पहाड़ से पलायन कर मैदानी क्षेत्रों की ओर अग्रसर होती जा रही है पहाड़ में निवास कर रहे बूढ़े मां बाप अपने बच्चों के बाहर वापस लौटने की आस लगाए बैठे रहते हैं। जबकि पहाड़ में अब तमाम संसाधन उपलब्ध हो चुके हैं ,बावजूद उसके अभी भी पलायन जारी है। गीत को सुबोध व्यास द्वारा लिखा गया है, जिसका संगीत शैलेंद्र सेलू द्वारा तैयार किया गया है। इस अवसर पर अंकित नैथानी, मंगलेश बिजल्वाण, बीरेंद्र ममगई, बबलू नोटियाल, मनमोहन डिमरी, राहुल कटैत, प्रदीप डिमरी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने लांच किया रमेश भट्ट का गीत ‘मेरी शान उत्तराखंड’

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को मुख्यमंत्री आवास में अपने मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट के चर्चित गीत ’मेरी शान उत्तराखण्ड’ को लॉन्च किया। इस गीत की खासियत ये है कि इसमें उत्तराखंड के पहाड़ों की खूबसूरती और संस्कृति के दर्शन तो हैं ही, अपनी मेहनत से उत्तराखण्ड की तकदीर में बदलने में जुटे युवाओं की प्रेरक कहानियां भी हैं। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने इस गीत की सराहना करते हुए कहा कि राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में युवाओं को बताने तथा स्वरोजगार को प्रेरित करने की दिशा में यह गीत सराहनीय प्रयास है। इससे निश्चित रूप से हमारे युवाओं को रिवर्स माइग्रेशन की भी प्रेरणा मिलेगी।

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने बताया कि उनके द्वारा पिछले महीनों में स्वरोजगार यात्रा के दौरान प्रदेश के कई जिलों का भ्रमण कर स्वरोजगार की दिशा में उत्कृष्ट कार्य कर रहे लोगों से लगातार संवाद किया तथा उनके अनुभवों को जानते रहे। युवाओं को सरकार की योजनाओं की जानकारी देने के साथ साथ उनकी प्रेरक कहानियों को अपने सोशल मीडिया पर भी वे शेयर करते रहे हैं। उनके वीडियोज को सोशल मीडिया पर लाखों लोगों द्वारा देखा जाता है। इससे न सिर्फ स्वरोजगार के लिए अन्य युवाओं को प्रेरणा मिली, बल्कि स्वरोजगार के क्षेत्र में सरकारी योजनाओं की जानकारी भी युवाओं तक पहुंची।

कहा कि इसी अनुभव के आधार पर उन्होंने यह गीत तैयार किया है। जिसमें उत्तराखण्ड की प्राकृतिक सुंदरता और संस्कृति की झलक के साथ स्वरोजगार की दिशा में अच्छा काम कर रहे युवाओं को भी दिखाया गया है। गीत के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति के बारे में तो बताया ही गया है साथ ही ये भी बताने का प्रयास किया गया है, कि किस तरह पहाड़ की विषम परिस्थितियों से निकल कर युवा, देश-विदेश में अपने हुनर का डंका बजा रहे हैं। मेरी शान उत्तराखण्ड गीत के बोल हिंदी में हैं। शिल्पा प्रोडक्शन के तहत बने इस गीत का निर्देशन अजय ढौंडियाल ने किया है, संगीत ईशान डोभाल ने जबकि कैमरा व संपादन सन्दीप कोठारी ने किया है।

इस अवसर पर सीएम के ओएसडी धीरेंद्र पंवार, अपर सचिव सुरेश जोशी, विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते, मुख्य निजी सचिव विक्रम चैहान, वरिष्ठ प्रमुख निजी सचिव केके मदान, हेम चंद्र भट्ट, कपिल चैहान आदि उपस्थित थे।

गढ़वाल महासभा कार्यालय में लांच हुआ भक्तिगी नंदा नारेणी

अंतर्राष्ट्रीय गढ़वाल महासभा के प्रदेश कार्यालय में नवरात्रि के मौके पर साहब आकांक्षा प्रोडक्शन हाउस का नया भक्ति गीत ’नंदा नारेणी’ का भव्य लोकर्पण किया गया।

महासभा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित भक्ति गीत नंदा नारेणी का लोकार्पण टीवी अभिनेता अर्जुन तनवर, महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी, लोक गायक साहब सिंह रमोला ने सँयुक्तरूप से किया। प्रोडक्शन हाउस निर्माता निर्देशक लोकगायक साहब सिंह रमोला ने बताया कि नवरात्रि पर आधारित उनके इस नये भक्ति गीत नंदा नारेणी की शूटिंग गंगोत्री धाम एवं हर्षिल उत्तरकाशी की सुंदर वादियों में कई गयी है। भक्ति गीत में उनके साथ लोक गायिका आकांक्षा रमोला ने अपना मधुर स्वर दिया है। भक्ति गीत नंदा नारेणी के गीतकार हरभजन सिंह पंवार,संगीत रंजीत सिंह, छायांकन सोनी कोठियाल,संपादन मोहित कुमार एवं नृत्य निर्देशक अरुन फरांसी है।

महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी ने मुख्यातिथि अर्जुन तनवर को छोटे पर्दे पर अबतक एकदर्जन से अधिक टीवी सीरियल में उनके द्वारा किये गए दमदार अभिनय हेतु शाल ओढ़ाकर एवं माता रानी का चित्र भेंटकर सम्मानित किया। डॉ नेगी ने कहा कि गीत के माध्यम से कोरोना जैसे महामारी से निपटकर विजय प्राप्ति एवं सभी लोगो के लिए सुख शांति, स्वास्थ्य लाभ हेतु मां नंदा की आराधना की गई है। इस मौके पर लोक कलाकार सुनील सेमवाल, दिगपाल रमोला, अंजली वर्मा, मोनिका पंवार, मनोज नेगी आदि उपस्थित थे।

केदारनाथ में नेपाल भवन को संग्रहालय के रूप में संरक्षित करने का प्रस्ताव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निगरानी में किए जा रहे अवस्थापना स्थापना संबंधी कार्यों की प्रगति का जायजा लेने सचिव संस्कृति, भारत सरकार राघवेंद्र सिंह तथा सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर केदारनाथ धाम पहुंचे। उन्होंने आदि शंकराचार्य की समाधि, नेपाल भवन तथा केदारनाथ लिंचोली मार्ग का निरीक्षण किया।

सचिव पर्यटन जावलकर ने सचिव, भारत सरकार को केदारनाथ में चल रहे विकास कार्यों की प्रगति से रूबरू कराया। कहा कि आदि शंकराचार्य की समाधि पर चल रहे कार्यों को यथाशीघ्र पूर्ण करने के निर्देश कार्यदाई संस्था को दिए गए। इस दौरान उनके साथ प्रसिद्ध उद्योगपति सज्जन जिंदल भी उपस्थित रहे। ज्ञातव्य है कि जिंदल स्टील वक्र्स द्वारा केदारनाथ विकास कार्यों के लिए बड़ी मात्रा में सहयोग राशि उपलब्ध करवाई गई है जिसके माध्यम से शंकराचार्य समाधि स्थल पर निर्माण कार्य संचालित किए जा रहे हैं। भारत सरकार के संस्कृति सचिव द्वारा इस अभूतपूर्व योगदान के लिए उद्योगपति जिंदल का विशेष आभार व्यक्त किया गया।

मौके पर अधिकारियों ने नेपाल भवन का भी निरीक्षण किया और स्थान स्वामी से वार्ता कर इसे संग्रहालय के रूप में संरक्षित करने का प्रस्ताव दिया। सचिव, भारत सरकार की ओर से कुछ स्थानीय घरों का भी निरीक्षण किया गया, इसमें अस्थाई तौर पर संग्रहालय को संचालित किया जा सके। भारत सरकार के संस्कृति सचिव द्वारा केदारनाथ लिंचोली मार्ग का भ्रमण किया गया। जिसमें उनके द्वारा किन्ही चार स्थलों (पडावौं) को धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु ध्यान केंद्र के रूप में विकसित करने का विश्वास दिलाया गया।

देवस्थानम बोर्ड को शासन से पूर्ण सहयोग मिल रहाः सचिव पर्यटन

पर्यटन सचिव जावलकर ने कहा कि राज्य में पर्यटकों के लिए आवाजाही खोल दी गई है। देशभर के श्रद्धालुगण अब देवस्थान पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर चार धामों की यात्रा पर आ सकते हैं। कहा कि देवस्थानम बोर्ड को अपना कार्य केवल पूजा अर्चना तक सीमित न रखते हुए यात्रियों की सेवा के लिए अतिरिक्त कार्य करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड को शासन की ओर से पूर्ण सहयोग दिया जा रहा है। बोर्ड के अधिकारी- कर्मचारियों से इस बात की अपेक्षा है कि वे वृहद स्तर पर उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु अपने विजन को विशाल करेंगे।

30 हजार श्रद्धालु कर चुके हैं बाबा केदार के दर्शन
उन्होंने बताया कि अब तक 30,000 श्रद्धालुओं द्वारा बाबा केदार के दर्शन किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटकों के लिए राज्य के द्वार खोले जाने से चारों धामों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है इससे स्थानीय होटल एवं रिजॉर्ट व्यवसायी, घोड़ा व्यवसाई, छोटे कारोबारियों तथा पर्यटन क्षेत्र के अन्य हित धारकों को लाभ पहुंचेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

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