विधायकों के 10-10 प्रस्तावों पर एसीएस ने त्वरित कार्यवाही के दिए निर्देश

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने समस्त अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों तथा सचिवों को विधायकगणो द्वारा उपलब्ध कराये गए विकास के 10-10 प्रस्तावो पर त्वरित एवं समयबद्ध कार्यवाही के निर्देश देते हुए कहा है कि मुख्यमन्त्री द्वारा विगत वर्ष 16 सितम्बर, 2022 को समस्त विधायकगणो से अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए जनहित से जुड़ी 10-10 विकास योजनाओं के प्रस्ताव उपलब्ध कराये जाने का अनुरोध किया गया था। इस सम्बन्ध में विधायकगणों से प्राप्त प्रस्तावों में से मुख्यमन्त्री द्वारा विगत में संलग्न सूची के अनुसार 110 घोषणाएं किया जाना संज्ञानित है।
अपर मुख्य सचिव रतूड़ी ने इस सम्बन्ध में सम्बंधित अधिकारियों को प्रभावी कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। एसीएस ने विधायक गणों के 10-10 प्रस्तावों में से की गयी घोषणाओं या भविष्य में की जाने वाली घोषणाओं में तत्काल शासनादेश निर्गत करते हुए घोषणाओं को मूर्त रूप दिये जाने की समयबद्ध कार्यवाही के भी निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही घोषणाओं के 10-10 प्रस्तावों में से जो योजनाएं विभागीय स्तर पर पूर्व से घोषित है अथवा संचालित हैं, उनका चिन्हीकरण करते हुए संलग्न सूची का भाग बनाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि प्राप्त प्रस्तावों में यदि किसी जिलाधिकारी द्वारा कोई प्रस्ताव अपरिहार्य कारणों से उपयुक्त न होने सम्बन्धी आख्या दी गयी है, तो सम्बन्धित विधायकगण से चर्चा उपरान्त नए प्रस्ताव जिलाधिकारी से प्राप्त कर लिए जाएं। इसके साथ ही विधायकगणों से प्राप्त प्रस्तावों में से ऐसे प्रस्ताव जिनमें व्यय न्यून है, या व्यय नहीं होना है, ऐसे प्रस्तावों को चिन्हित करते हुए तत्काल घोषणा का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने कहा कि प्राप्त प्रस्तावों में त्वरित एवं समयबद्ध कार्यवाही हेतु सम्बन्धित विभाग एवं विशेष कार्याधिकारी से साप्ताहिक प्रगति आख्या प्राप्त कर अनुश्रवण कर लिया जाए। इसके साथ ही एसीएस ने जानकारी दी कि माननीय विधायकगणों से प्राप्त प्रस्तावों में त्वरित व समयबद्ध कार्यवाही किये जाने की दृष्टि से विशेष कार्याधिकारी की तैनाती की जा चुकी है।

पीएम के सात सालः जेपी नड्डा ने दिया भाजपा सांसदों, विधायकों और पदाधिकारियों को टास्क

देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के सात साल पूरे होने पर 30 मई को भाजपा सांसद, विधायक, सभी मोर्चे व अन्य पदाधिकारी देशभर में एक लाख गांवों का भ्रमण कर सेवा कार्य करेंगे। इस दौरान 50 हजार यूनिट रक्त भी एकत्र किया जाएगा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों और संगठन महामंत्रियों के साथ वर्चुअल माध्यम से हुई बैठक में इस संबंध में निर्देश दिए। इस कड़ी में प्रदेश भाजपा ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने कहा कि प्रत्येक सांसद को दो गांवों का भ्रमण करना होगा। मंत्री किसी गांव को चिह्नित कर वर्चुअल माध्यम से जनता से जुड़ेंगे। इसके अलावा विधानसभा क्षेत्र, जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम स्तर पर भी जिम्मेदारी तय होगी। भ्रमण के दौरान गांवों में मास्क, सैनिटाइजर, राशन किट, दवाई, काढ़ा समेत जरूरी सामग्री वितरित की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में आक्सीमीटर से ग्रामीणों का आक्सीजन लेबल चेक करने के साथ ही आरटीपीसीआर टेस्ट की व्यवस्था कराई जा सकती है। सभी मोर्चो को रक्तदान शिविरों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने निर्देश दिए कि सभी जगह गांव चिह्नित कर लिए जाएं, ताकि 30 मई को सहूलियत रहे। प्रदेश अध्यक्ष कौशिक ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशों के क्रम में पार्टी ने तैयारियों में जुट गई है।

स्पीकर अग्रवाल और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा के बिना होगा मानसून सत्र

इस वर्ष विधानसभा उत्तराखंड का मानसून सत्र एक ही दिन का रहेगा। कोरोना के चलते यह निर्णय लिया गया है। साथ ही इस सत्र में स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश गैर मौजूद रहने वाले है। यह दोनों की कोरोना की चपेट में है।

विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी उपसभापति रघुनाथ सिंह चैहान निभाएंगे। वहीं नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी उप नेता प्रतिपक्ष करण माहरा निभाएंगे। अब सिर्फ एक दिन का ही विधानसभा सत्र होगा। ऐसे में राज्य सरकार के पास एक ही दिन का समय है, जिसमें अध्यादेश और विधेयक लेकर आएगी और उसी दिन उन्हें पास भी कराएगी। इस सत्र में प्रशनकाल नहीं होगा।

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चैहान की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने बताया कि विधानसभा का मानसून सत्र एक दिवसीय होगा। 23 सितंबर को होने वाले सत्र में प्रश्नकाल नहीं होगा। विपक्ष की ओर से चार विषयों पर कार्यस्थगन लाया जाएगा। शून्यकाल में नियम 300 की सूचनाएं ली जाएंगी। उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान भोजनावकाश से पहले करीब 20 अध्यादेश विधेयक के रूप में पेश किए जाएंगे। भोजनावकाश के बाद इन पर चर्चा के साथ ही इन्हें पारित कराया जाएगा।

विधायकों के वेतन कटौती विवाद का सरकार ने निकाला हल, अध्यादेश लाने के दिए संकेत

संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने विधायकों के वेतन कटौती विवाद को समाप्त करने का मन बना लिया है। उनके संकेत से साफ झलक रहा है कि उत्तराखंड सरकार विधायकों के वेतन कटौती को लेकर अध्यादेश लाने का विचार कर रही है। उन्होंने कहा है कि कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि सभी विधायक अपने भत्ते व वेतन का 30 प्रतिशत जमा करेंगे। अब विधानसभा में क्या निर्णय हुआ, इसकी जानकारी नहीं है, अगर जरूरत पड़ेगी तो अध्यादेश लाया जाएगा। बतादें कि कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया है कि कोविड फंड के नाम पर भाजपा सरकार ने वेतन कटौती का निर्णय लिया, लेकिन उसके विधायकों ने कैबिनेट के फैसले के अनुरूप वेतन कटौती नहीं कराई। 

कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण खराब वित्तीय स्थिति के चलते प्रदेश सरकार ने विधायकों के वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती का फैसला किया था। प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय के बाद इसका शासनादेश जारी हो गया। हालांकि शुरुआत में वेतन कटौती को लेकर यूपी की तर्ज पर अध्यादेश लाने की बातें हुईं। लेकिन सरकार ने अध्यादेश लाने से परहेज किया।

कैबिनेट के फैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों को पत्र लिखकर वेतन कटौती पर अपनी सहमति देने को कहा। विधायकों की जैसी और जिस प्रकार की सहमति प्राप्त हुई, विधानसभा सचिवालय ने उसी तरह की कटौती की। इसका नतीजा यह हुआ कि विधायकों के वेतन से चार तरह की कटौतियां हो रही हैं। कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने आरटीआई से यह तथ्य का खुलासा किया। जिस पर कांग्रेस ने भाजपा विधायकों पर तंज किया। अब यह विवाद काफी तूल पकड़ चुका है। सत्ता पक्ष के विधायक भी इस खुलासे से असहज हैं।