वन्यजीवों से खेती बचाने के लिए ठोस कारगर उपाय करने के निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 19वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए बंदरों और जंगली सूअरों की समस्या को दूर करने के लिए फोकस्ड होकर काम करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने बंदरों के बंध्याकरण के लक्ष्य को दोगुना करने के साथ ही इनका प्रैक्टिकल समाधान प्रस्तुत करने को कहा।
मुख्यमंत्री ने मानव वन्यजीव संघर्ष राहत राशि का वितरण 15 दिनों में सुनिश्चित किए जाने की व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए। वन्यजीवों के हमले में किसी व्यक्ति की मृत्यु पर राहत राशि को 4 लाख से बढ़ाकर 6 लाख रूपए करने का प्रस्ताव जल्द से जल्द कैबिनेट में लाया जाए।
मुख्यमंत्री ने मानव वन्यजीव संघर्ष को कम किए जाने की दृष्टी से आवश्यक कदम उठाने की बात कही। उन्होंने कहा वनों के समीप गांव में सोलर लाइट लगाए जाने, पब्लिक अवेयरनेस, पर्याप्त मात्रा में वन कर्मियों की नियुक्ति के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा जिन स्थानों पर मानव वन्यजीव संघर्ष अधिक होते हैं ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए। ताकि लोगों को पहले चेतावनी दी जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए बायो फेंसिंग पर कार्य किया जाए। इको टूरिज्म, वाइल्ड लाइफ टूरिज्म और बायो फेंसिंग को बोर्ड की बैठक का नियमित एजेंडा बनाया जाए।मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड वाइल्डलाइफ हेल्पलाइन का भी लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री ने बाघों की संख्या में उत्तराखंड के तीसरे स्थान पर रहने पर बधाई देते हुए कहा कि इसमें स्थानीय लोग बधाई के विशेष पात्र हैं। राज्य के क्षेत्रफल को देखते हुए महत्वपूर्ण उपलब्धि है। वाइल्ड लाइफ टूरिज्म की दृष्टि से इसका व्यापक प्रचार किया जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लंबे समय से लंबित टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन भी शीघ्र किया जाए। उन्होंने कहा टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स बनाकर युवाओं को इससे जोड़ा जाए। वनों से लगे ग्रामीण इलाकों के लोगों की वन्यजीव संरक्षण में अहम भूमिका होती है। ऐसे में लोगों को अधिक से अधिक जागरूक भी किया जाए, समय-समय पर वन्यजीव रेस्क्यू एवं रैपिड एक्शन फोर्स की ट्रेनिंग भी लोगो को दी जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चौरासी कुटिया को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को टाइम बाउंड तरीके से काम करना होगा। इसमें विलंब होने पर जिम्मेदारी तय की जायेगी। निर्णयों की क्रियान्विति तभी सम्भव है जब सम्बन्धित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का संशोधन 2022 लाया गया है। इसके अनेक प्रावधान उत्तराखंड के हित में है। इसकी जानकारी संबंधित विभागों के अधिकारियों को जरूर होनी चाहिए।
बैठक में बताया गया कि मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण प्रकोष्ठ और उत्तराखंड मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण निधि की स्थापना की गई है। प्रकोष्ठ के अंतर्गत उत्तराखंड वन्यजीव हेल्पलाइन की भी स्थापना की गई है।
मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि नियमावली का संशोधित प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसमें पूर्व में दी जा रही अनुग्रह राशि को बढ़ाने के साथ ही ततैया और मधुमक्खी से मनुष्य की मृत्यु पर भी अनुग्रह राशि का प्रावधान किया गया है।
बैठक में केबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक रेणु बिष्ट, राम सिंह कैड़ा, मुख्य सचिव एस एस संधु, डीजीपी अशोक कुमार, प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक सहित राज्य वन्य जीव बोर्ड के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

धामी सरकार जिम कार्बेट पार्क को विश्व पटल पर लाने के लिए तैयार कर रही कार्ययोजना

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में आयोजित उत्तराखण्ड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 18वीं बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उनके परिवार को देय अनुग्रह राशि 4 लाख रूपये से बढ़ाकर 6 लाख रूपये दी जायेगी। गंभीर रूप से घायल होने पर अनुग्रह राशि 50 हजार रूपये से बढ़ाकर 1 लाख रूपये दी जायेगी। मानव वन्यजीव संघर्ष में क्षतिपूर्ति के लिए 2 करोड़ रूपये का कॉरपस फण्ड बनाया जायेगा। शिवालिक एलीफेन्ट रिजर्व की पुर्नस्थापना के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया।
राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश में जिम कार्बेट ट्रेल की स्थापना की जायेगी। जिम कार्बेट से जुड़े स्थानों को विश्व पर्यटन मानचित्र में लाने के लिए पर्यटन विभाग के सहयोग से एक कार्ययोजना बनाई जायेगी। इसमें जिम कार्बेट से जुड़े विभिन्न स्थानों पर पट्टिका का निर्माण, ट्रैक मार्गों का जीर्णाेधार किया जायेगा एवं होम स्टे को बढ़ावा दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कार्य चरणबद्ध तरीके से शुरू किये जाएं। राजाजी टाइगर रिजर्व के अन्तर्गत स्थित चौरासी कुटिया का अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार विकास किया जायेगा। यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। पर्यटन विभाग के सहयोग से यह कार्य किया जायेगा। मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में जन सुविधा एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विधानसभा पुरोला के विकासखण्ड मोरी में धौला से वरी सेवा डोखरी 12.9 किमी मोटर मार्ग एवं दुगड्डा ब्लॉक के पुलिण्डा-तच्छाली-स्यालिंगा 5 किमी मोटर मार्ग का निर्माण किया जायेगा। योग एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रामबाड़ा में संग्रहालय एवं छोटी लिनचोली में चिन्तन स्थल के निर्माण किया जायेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए और प्रभावी प्रयासों की जरूरत है। इसके लिए वन विभाग एवं प्रशासन को सामंजस्य से कार्य करना होगा। मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना की सूचना प्राप्त होते ही संबंधितों को अनुग्रह राशि 15 दिन के अन्दर प्राप्त हो जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी को अनावश्यक कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें। उन्होंने कहा कि बुग्यालों के संरक्षण की दिशा में भी विशेष ध्यान दिया जाए। बंदरों से फसलों को होने वाली क्षति को रोकने के लिए प्रभावी प्रयासों की जरूरत है, इसके समाधान के लिए एक व्यापक कार्ययोजना बनाई जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों के संरक्षण एवं मानव वन्य जीव संघर्ष को कम करने के लिए वन विभाग के अधिकारी जन सहयोग भी लें, जन भागीदारी एवं जन सहयोग से अनेक समस्याओं का समाधान हो सकता है। उन्होंने बायो फेंसिंग पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें इकोलॉजी और इकोनॉमी में संतुलन बनाकर आगे बढ़ना है। पर्यावरण संतुलन के साथ ही विकास पर ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण के लिए मिशन लाइफ का जो मंत्र दिया है, उनका अनुसरण कर हमें आगे बढ़ना है। जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए। जलवायु परिवर्तन के शमन की दिशा में हमें प्रभावी प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि आज बैठक में जो निर्णय लिये गये हैं, अगली बैठक में इन निर्णयों पर कार्य प्रगति की पूरा ब्योरा प्रस्तुत किया जाए।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि जंगलों को बचाने के लिए जन सहयोग बहुत जरूरी है। वनों से लोगों की आजीविका बढ़ाने की दिशा में और प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड वन सम्पदाओं वाला राज्य है। पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्तराखण्ड की जिम्मेदार और बढ़ जाती है। प्रदेश में पिछले 5 सालों में हिम तेन्दुओं की संख्या 86 से बढ़कर 121 हो गई है।
बैठक में विधायक रेनू बिष्ट, राम सिंह कैड़ा, अनिल नौटियाल, मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.संधु, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखण्ड डॉ. समीर सिन्हा, एडीजी वी. मुरूगेशन एवं उत्तराखण्ड राज्य वन्यजीव बोर्ड के अन्य सदस्यगण उपस्थित रहे।

हमें राज्य हित के उद्देश्य से कार्य संस्कृति में लाना है सुधारः धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 17वीं बैठक आयोजित हुई। काफी लम्बे समय से बोर्ड की बैठक न होने पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बोर्ड की बैठक नियमित तौर पर समय से आयोजित की जाएं। सरलीकरण, समाधान और निस्तारण के मंत्र पर काम करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में नया वर्क कल्चर लाए हैं। हमें राज्य में जनहित के उद्देश्य से कार्य संस्कृति में सुधार लाना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठको में स्वागत संबंधी औपचारिकताओं को न करते हुए सीधे बैठक के एजेंडा पर चर्चा की जाए। इससे चर्चा के लिये अधिक समय मिल सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठको में केवल बातचीत ही नहीं बल्कि समाधान भी निकले।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास में वन विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। वन संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण और प्रकृति संरक्षण बहुत जरूरी है, साथ ही राज्य का विकास भी जरूरी है। हमें इकोलोजी और ईकोनोमी मे समन्वय बनाकर चलना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने पर प्राथमिकता से काम करना है। खासतौर पर खेती को बंदरों से बचाने के लिये यथासम्भव तकनीक का उपयोग किया जाए। इसका कोई स्थायी समाधान खोजा जाए। हरेला पर्व पर विशेष तौर पर अधिक से अधिक फलदार पेड़ लगाए जाएं। हरेला पर्व केवल वनविभाग तक सीमित न रहे, इसे जन जन का उत्सव बनाना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य स्तर पर अनुमोदन के बाद जो भी प्रस्ताव केंद्र स्तर पर जाते हैं, उनका लगातार फॉलोअप सुनिश्चित किया जाए। इसके लिये जरूरत होने पर अधिकारी विशेष को नियुक्त किया जा सकता है।

उत्तराखण्ड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में सोनप्रयाग से श्री केदारनाथ धाम के लिये रोपवे, गोविंदघाट से हेमकुण्ट साहिब रोपवे सहित विभिन्न प्रकरणों के वन भूमि हस्तांतरणों पर विचार विमर्श किया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष शमन उत्कृष्टता केंद्र और वन्यजीव स्वास्थ्य उत्कृष्टता केंद्र की प्रदेश में स्थापना की जाएगी। स्थानीय समुदायों के सहयोग से प्राइमरी रेस्पोंस टीमों का गठन किया जाएगा जो कि वन व वन्य जीव संरक्षण के साथ ही वनाग्नि को रोकने पर भी काम करेंगी। टाईगर रिजर्व, संरक्षित क्षेत्र व अन्य पर्यटन वन क्षेत्रों में पर्यटकों के बरताव के संबंध में गाईडलाईन बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने इसमें सभी स्टेकहोल्डर्स की सलाह लेने के निर्देश दिये।

बैठक में वन मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक रेणु बिष्ट, अनिल नौटियाल, मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पीसीसीएफ विनोद कुमार सिंघल, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, एल फैनई, सचिव दिलीप जावलकर, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डॉ पराग मधुकर धकाते सहित उत्तराखण्ड राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य उपस्थित थे।

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