विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर काबीना मंत्री ने लोगों से की निकोटिन छोड़ने की अपील

कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने अंतरराष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस पर जन जागरूकता पर जोर देने को कहा है। उन्होंने तम्बाकू, निकोटीन, बीड़ी, सिगरेट के दुष्प्रभाव बताते हुए इसकी जगह सौंफ, इलायची को बेहतर बताया।
कहा कि हर वर्ग और हर उम्र के व्यक्ति के लिए तंबाकू या उससे बने उत्पादों, बीड़ी, सिगरेट आदि का सेवन हानिकारक है। खुद इस तरह के उत्पाद बनाने वाली कंपनियां भी इससे होने वाले दुष्परिणामों को भी बताती हैं। उन्होंने कहा कि भारत में तकरीबन 2700 लोग तंबाकू या इससे बनने वाले उत्पादों का सेवन करने से मृत हो जाते हैं। भारत में 50 फ़ीसदी लोग दूसरों के द्वारा बीड़ी सिगरेट के सेवन से निकलने वाले हुए से प्रभावित होते हैं। कहा कि उत्तराखंड में यह संख्या 85 फीसदी है।

कहा कि सरकार ने तंबाकू एवं अन्य तंबाकू उत्पाद जैसे गुटखा, खैनी, जर्दा, तंबाकू वाले मसाले, बीडी, सिगरेट, हुक्का, सिगार ऐसे तमाम उत्पादों को 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए प्रतिबंधित किया है। ने आग्रह करते हुए कहा कि तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट की जगह इलायची, सौंफ को अपनाएं।
उन्होंने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के पांचवें संस्करण की रिपोर्ट का जिक्र किया। बताया कि रिपोर्ट में उत्तराखंड में 33.7 फ़ीसदी लोग तंबाकू, गुटका बीड़ी सिगरेट का सेवन, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 36.9 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 27.5 फ़ीसदी लोग होना बताया है।
उन्होंने तंबाकू या इससे जुड़े कोई भी उत्पाद को नहीं अपनाने का आग्रह किया।

विश्व तम्बाकू निषेध दिवसः प्रत्येक वर्ग की भूमिका से तंबाकू सेवन पर लग सकता है प्रतिबंध


प्रतिवर्ष तंबाकू का सेवन करने वाले दस में से एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, इस पर रोक लगाने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को अपनी भूमिका निभानी होगी। तंबाकू का सेवन न केवल मुंह के कैंसर का कारण है अपितु यह फेफड़ों में भी कैंसर पैदा करता है।

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर अपने संदेश में एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकान्त ने कहा कि तम्बाकू हृदय की कोरोनरी वाहिकाओं को प्रभावित करता है। इसकी वजह से हृदय में रक्त की आपूर्ति की कमी हो जाती है। इसे इस्कीमिक या कोरोनरी हृदय रोग कहते हैं। मुंह के कैन्सर का प्रमुख कारण तम्बाकू ही है। सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. एसपी अग्रवाल ने बताया कि तम्बाकू का सेवन करने वाले लोगों में अन्य लोगों की तुलना में कैन्सर का खतरा 6 से 8 गुना ज्यादा होता है। यदि तम्बाकू सेवन करने वाला व्यक्ति शराब का भी आदी हो तो फिर यह खतरा 10 गुना बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि स्कूल-कालेज के अध्यापकों, समाजसेवी संस्थाओं, जनप्रतिनिधियों और समाज के प्रत्येक वर्ग को इस मामले में जागरूकता लाने की आवश्यकता है।

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