योगी और त्रिवेन्द्र के पैतृक गांव से लागू होगी चकबंदी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पैतृक गांव खैरासैंण और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पैतृक गांव पंचूर में सबसे पहले चकबंदी की जाएगी। इसके लिए राजस्व विभाग ने दोनों गांवों में चकबंदी के लिए पड़ताल की प्रक्रिया पूरी कर ली है। वहीं, पौड़ी जनपद के कुछ गांवों में चकबंदी की अनुमति दी गई है।
राजस्व विभाग के अपर सचिव एसएस बल्दिया ने बताया कि चकबंदी एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम -2018 की नियमावली में संशोधन की तैयार चल रही है। ताकि 20 किसान भी चकबंदी के लिए तैयार होते हैं तो सरकार उसे कानूनी रूप से मंजूरी देगी। दरअसल, पहाड़ों में क्लस्टर खेती के जरिये किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार का चकबंदी पर फोकस है। इसकी शुरुआत खैरासैंण और पंचूर गांव से की गई है। राजस्व विभाग की टीम ने दोनों गांवों में किसानों की सहमति से चकबंदी के लिए कृषि भूमि की पड़ताल पूरी कर ली है।
वहीं, पौड़ी के तंगोली और बीरोंखाल में चकबंदी की अनुमति दे दी गई है। प्रदेश सरकार किसानों को भी चकबंदी के प्रति जागरूक करेगी। इसके लिए चकबंदी पर डॉक्यूमेंट्री तैयार कर पंचायतों को दी जाएगी।

पहाड़ों में बिना चकबंदी के संभव नहीं है दोगुनी आय
प्रदेश सरकार ने 2022 तक किसानों की दोगुनी आय करने का संकल्प लिया है, लेकिन पहाड़ों में बिखरी कृषि जोत पर किसानों की आय बढ़ाना संभव नहीं है। इसके लिए सरकार का चकबंदी पर फोकस है। जिससे किसान एक ही जगह पर क्लस्टर खेती अपनाकर फसलों की पैदावार को बढ़ा सकें। चकबंदी से किसान को कृषि कार्य पर कम मेहनत करनी पड़ेगी और फसलों की देखभाल भी अच्छी तरह से हो सकेगी।

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