इंपोर्ट ड्यूटी घटने से सोने की कीमत में आ सकती है कमी

कम होते व्यापारिक घाटे के चलते केंद्र सरकार सोने की इंपोर्ट ड्यूटी घटाने का फैसला कर सकती है। वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। सोने पर आयात शुल्क घटाए जाने से स्थानीय मार्केट में कीमतें कम होंगी और मांग में इजाफा हो सकता है। बीते करीब 6 सप्ताह से सोने की कीमतें अपने उच्चतम स्तर पर चल रही हैं। जून में पहली बार कीमतों में मामूली गिरावट के बाद अब एक बार फिर से इजाफे का दौर है।
1 जुलाई से गोल्ड ज्वैलरी पर सेल्स टैक्स बढ़ाने का फैसला लिए जाने के बाद सोने की स्मगलिंग बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में सरकार इस पर लगाम लगाने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी कम करने का फैसला ले सकती है। भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के जॉइंट सेक्रटरी मनोज द्विवेदी ने कहा, फिलहाल चालू खाता घाटे में सुधार हो रहा है और इंपोर्ट ड्यूटी घटाने का फैसला बजट में ही लिया जाना चाहिए था। कॉमर्स मिनिस्ट्री ने वित्त मंत्रालय से सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने का फैसला होना है। हालांकि यह साफ नहीं है कि मंत्रालय की ओर से कब यह फैसला लिया जाएगा। इस मामले पर वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। चालू खाता घाटे में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने अगस्त, 2013 में गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी 10 पर्सेंट करने का फैसला लिया था।

श्रमिकों को मिलेगा नया न्यूनतम वेतन का लाभ

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नए वेतन विधेयक (नए वेज कोड बिल) को मंजूरी दे दी है, जिससे देशभर में चार करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। इसमें मजदूरों से जुड़े चार कानूनों को मिलाया गया है, इससे सभी क्षेत्रों में न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित होगी।
बताया जा रहा है कि वेतन लेबर कोड बिल में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, वेतन भुगतान कानून 1936, बोनस भुगतान अधिनियम 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 को एक साथ जोड़ा गया है। मसौदे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई है।
इस विधेयक में केंद्र सरकार को सभी क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारित करने का अधिकार देने की बात कही गई है। साथ ही उसके फैसले को सभी राज्यों को मानना होगा। हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा तय की गई न्यूनतम मजदूरी से अधिक राज्य सरकारें अपने-अपने क्षेत्र के हिसाब से बढ़ा सकती हैं। इस बिल को 11 अगस्त को समाप्त हो रहे मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा।
नए न्यूनतम मजदूरी मानदंड सभी कर्मचारियों पर लागू होगा। फिलहाल केंद्र और राज्य का निर्धारित न्यूनतम वेतन उन कर्मचारियों पर लागू होता है, जिन्हें मासिक 18,000 रुपए तक वेतन मिलता है। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार सभी उद्योगों के श्रमिकों के लिए एक न्यूनतम वेतन तय हो सकेगा। इसमें वो भी शामिल हो जाएंगे, जिन्हें 18,000 रुपए से अधिक वेतन मिलता है।
इससे पहले, श्रम मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने राज्यसभा को लिखित जवाब दिया कि श्रमिकों पर द्वितीय राष्ट्रीय आयोग ने सिफारिश की है कि मौजूदा मजदूर कानूनों को व्यापक रूप से कामकाज के आधार पर चार या पांच लेबर कोड्स में बांटा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंत्रालय मजदूरी पर चार लेबर कोड्स को ड्राफ्ट करने वाला है, जिसमें औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा, कल्याण और सुरक्षा, और कामकाजी परिस्थितियां, शामिल हैं।

पंतजलि के सहयोग से बदलेगी प्रदेश के किसानों की आर्थिकी

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और बाबा रामदेव की मौजूदगी में राज्य सरकार और पतंजलि के बीच सहयोग कार्यक्रम पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया। इस दौरान मुख्य रूप से 5 क्षेत्रों में आपसी सहयोग पर सहमति बनी।
मुख्यमंत्री आवास पर हुए इस कार्यक्रम में उत्तराखण्ड को जैविक कृषि और जड़ीबूटी राज्य बनाना, राज्य के मोटे अनाज की व्यवसायिक खपत को बढ़ाना, राज्य में आयुष ग्रामों की स्थापना करना, एक विशाल गोधाम (गाौ शाला) की स्थापना करना और पर्यटन को बढ़ावा देना सम्मिलित है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यह सारे सेक्टर राज्य की समृद्धि और खुशहाली की दृष्टि से गेम चेंजर साबित होंगे। इन सारे क्षेत्रों में संभावनाओं पर अभी तक काफी विचार-विमर्श हुआ है, लेकिन अब इस क्षेत्र में कुछ कर दिखाने की जरूरत है। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार कड़े और साहसिक फैसले लेने से नहीं हिचकेगी।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वो एक महीन के अन्दर सभी क्षेत्रों में ठोस कार्ययोजना तैयार करें, जिसको लेकर ठीक एक महीने बाद समीक्षा बैठक की जाएगी और ठोस कार्ययोजना के आधार पर राज्य सरकार और पतंजलि के बीच आवश्यक समझौते भी किये जायेंगे। मुख्यमंत्री का कहना है कि जड़ीबूटी, औद्यानिकी, योग, आयुर्वेद और पर्यटन से राज्य के लोगों की आमदनी बढ़ाने पर कार्य किया जायेगा। पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन रोकना और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना बहुत आवश्यक है।

किसानों की मदद करेगा पतंजलि
इस दौरान स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि संस्थान उत्तराखण्ड के किसानों को उनके उत्पादों के लिए प्रतिवर्ष एक हजार करोड़ रूपये से अधिक का भुगतान करने में सक्षम है। सिक्किम जिसे हाल ही में ऑर्गेनिक स्टेट का दर्जा दिया गया है, उससे कही अधिक भूभाग पर उत्तराखण्ड में ऑर्गेनिक खेती हो रही है।

नए पर्यटक स्थलों पर स्थापित होंगे पतंजलि आयुष ग्राम
कहा कि पतंजलि राज्य के उत्पादों के लिए बाईबैक सिस्टम बना रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के 13 जिले 13 नये पर्यटन स्थल बनाने के लक्ष्य की सराहना करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि सभी नये पर्यटन स्थलों पर पतंजलि आयुष ग्राम की स्थापना में सहयोग देने को तैयार है।

विशाल गौशाला तैयार करने की योजना
यह भी कहा कि राज्य सरकार के सहयोग से एक विशाल गोशाला की स्थापना करने की योजना है, जिसमें 40 से 60 लीटर दूध देने वाली गायों की नस्ल तैयार की जायेगी। वहीं कार्यक्रम में मौजूद आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि की रिसर्च लैब और अन्य सुविधाओं को आयुर्वेद के शोधार्थियों और शिक्षकों के लिए खोला जायेगा। पतंजलि के 300 से अधिक वनस्पति विज्ञानी राज्य की एक-एक जड़ीबूटी और पौधे का सर्वेक्षण कर उनका डॉक्यूमेंटेशन कर सकते हैं।

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने गुपचुप तरीके से गजट नोटिफिकेशन जारी किया

देहरादून।
समूह ‘ग’ की परिधि में आने वाले ग्राम्य विकास विभाग में ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी के पदों पर निर्धारित योग्यता तकनीकी तरीके से बढ़ा कर पहाड़ के युवाओं को इन पदों से दूर करने का षडयत्र उजागर हुआ है। इसके लिए योग्यता में बदलाव लाने वाले प्रावधानों को गुपचुप तरीके से गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। निकट भविष्य में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी के सैकड़ों पदों का अधियाचन पहुंचा है। इन पदों से सीधे तौर पर पहाड़ में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र बाहर हो जाएंगे।
ग्राम्य विकास अधिकारी के जिन पदों पर अब तक इंटरमिडिएट अर्हता थी। अब उसे स्नातक कर दिया गया है। स्नातक में भी कृषि, विज्ञान, अर्थशास्त्र, कामर्स होना अनिवार्य है। पहाड़ों में विज्ञान के शिक्षकों का नितांत अभाव है, इसलिए जो विज्ञान पढ़ता है मैदानों में ही आता है। इंटरमिडिएट में कृषि विषय किसी भी पहाड़ के इंटर कालेज में नहीं है, यही स्थिति कामर्स की भी है। इस तरह ग्राम्य विकास अधिकारी के लिए इस तरह की अर्हता तय कर पर्वतीय क्षेत्र के अभ्यर्थियों को सीधे तौर पर इससे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
इसके लिए बाकायदा गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। निकट भविष्य में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ग्राम विकास अधिकारी के 400 से अधिक पदों पर भर्ती करने का जा रहा है। इन पदों की भर्ती के लिए यह नई अर्हता लागू हो जाएगी। इसका मतलब यह है कि पहाड़ के इंटर कालेजों में पढ़ने वाले छात्र छात्राए इन पदो के लिए पहली ही सीढ़ी में अनर्ह हो जाएंगे। क्योंकि इंटर में जिन छात्रों के पास कृषि, विज्ञान, अर्थशास्त्र, कामर्स विषय होंगे वही ग्रेज्युयेशन में इन विषयों के साथ पढ़ेगा। पहाड़ से इंटर मिडिएट करके आने वाला छात्र इन विषयों को कैसे पढ़ पाएगा?
उत्तराखंड के निवासियों की भर्ती के लिए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन किया गया था। जो राज्य गठन के पंद्रह साल बाद हो पाया। अब इस आयोग के दायरे में आने वाले सबसे अधिक पदों पर इस तरह की अर्हता लगाकर एक क्षेत्र विशेष के लोगों को बड़ी चोट पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड अधिकांश मामलों में उत्तर प्रदेश की नकल करता रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश में परंपरा रही है कि यदि किसी पद की योग्यता में बदलाव करना आवश्यक हो तो उसके लिए बाकायदा कमेटी का गठन किया जाता है। कमेटी इसके समाज के सभी वर्गों में पढ़ने वाले प्रभावों का आंकलन करती है, साथ ही कई बार जन सुनवाई कर जन सामान्य के पक्ष को भी सुना जाता रहा है। इसके बाद ही योग्यता में परिवर्तन किया जाता है। उत्तराखंड में कुछ अधिकारी अपनी मानसिकता थोपकर इस तरह के निर्णय ले रहे हैं। चुपचाप गजट नोटिफिकेशन जारी कर परीक्षा के ठीक पहले उसे सामने लाया जा रहा है, ताकि प्रभावित पक्ष को इसका विरोध करने का भी मौका तक न मिले। एक क्षेत्र विशेष के युवाओं को टारगेट कर ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी के पदों से पूरी तरह उन्हें दरकिनार करने की यह कार्यवाही निंदनीय है। गौरतलब है कि इस पदों पर अर्हताएं शासन स्तर पर तय होती हैं, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग इसे लागू करता है।

आम आदमी को ट्राई दे रहा सौंगात, दो रुपये में इंटरनेट कनेक्शन

भारत के आम नागरिकों के लिए खुशखबरी! टेलीकॉम रेगुलेटर (ट्राई) भारत में पब्लिक वाई-फाई सुविधा देने की योजना पर काम कर रहा है। इन वाई-फाई हॉटस्पॉट्स को पब्लिक डेटा ऑफिस (पीडीओ) के नाम से जाना जाएगा। ये पीडीओ फोन बूथ की तरह ही होंगे। इस पॉयलट प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने के लिए ट्राई ने कंपनियों को आमंत्रित किया है।
इन वाई-फाई के प्लान्स शुरुआत में 2 रुपये से लेकर 20 रुपये तक होंगे। ट्राई का कहना है कि इससे भारत के लोगों को आसानी से सस्ता इंटरनेट उपलब्ध होगा और नेटवर्क से लोड भी कम हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट का मकसद वाई-फाई ऐक्सेस नेटवर्क इंटरफेस पर बेस्ड ओपन सिस्टम तैयार करना है, जिसके लिए आवेदनकर्ताओं से सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। ट्राई दो-तीन दिन के भीतर आर्किटेक्चर डॉक्युमेंट जारी करने जा रहा है। इस सिस्टम से छोटी-छोटी दुकानों पर भी कंपनियां ऐसे पीओडी बना पाएंगी। इसके लिए किसी भी तरह के लाइसेंस की जरूरत तो नहीं होगी लेकिन टेलीकॉम विभाग के पास रजिस्ट्रेशन और यूजर्स का केवाईसी लेना जरूरी होगा।
इस पॉयलेट प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने के लिए कंपनियां 25 जुलाई तक अपनी डीटेल्स भेज सकती हैं। इस प्रोजेक्ट के बाद भारत में वाई-फाई हॉटस्पॉट की संख्या 31000 हो जाएगी।
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सरकार बदली तो समय आयीं पेंशन

दयाशंकर पाण्डेय
समाज कल्याण विभाग की ओर से दी जाने वाली पेंशन लाभार्थियों के खाते में आनी शुरू हो गई है। मार्च तक की पेंशन के तीन हजार रुपये बुधवार को कई लाभार्थियों के खातें में आ गए। लाभार्थियों ने समय से पेंशन खाते में आने पर खुशी जताई है।
सरकार बदलने का पहला असर समाज कल्याण विभाग के पेंशन लाभार्थियों को देखने को मिल रहा है। समाज कल्याण विभाग की ओर से वृद्धा, विकलांग और विधवा को आजीविका चलाने के लिए हर माह पेंशन दी जाती है। लेकिन लंबे समय से विभाग की ओर से पेंशन के लाभार्थियों को समय से पेंशन नहीं मिल पा रही थी। बुधवार को ऋषिनगरी के कई पेंशन लाभार्थियों को उनके खाते में तीन हजार रुपये जमा होने का एसएमएस आया।
पेंशन लाभार्थी सुषमा, प्यारी देवी, सरस्वती देवी, मुन्नी, दुलारी आदि ने बताया कि समाज कल्याण विभाग से कभी भी समय पर पेंशन नहीं आती है, लेकिन सरकार बदलने के बाद तीन माह (जनवरी से मार्च) तक के तीन हजार रुपये बुधवार को खाते में डिपॉजिट हुए है। समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने विभाग के भ्रष्टाचार को लेकर सख्त टिप्पणी की थी। अधिकारियों को समय से पेंशन जारी करने के निर्देश दिये थे।

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