कांग्रेस विधायकों ने मेज तोड़ी और गोले फेंके तो स्पीकर ने किया सभी को निलंबित

उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को विपक्षी कांग्रेस सदस्यों ने विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव को निरस्त किए जाने के अध्यक्ष ऋतु खंडूरी के निर्णय का विरोध करते हुए जमकर हंगामा काटा। इसके कारण विधानसभा की कार्यवाही ​कई बार स्थगित हुई और 15 विधायकों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया गया। प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में जारी बजट सत्र के दूसरे दिन शून्य काल में जसपुर से कांग्रेस सदस्य आदेश चौहान ने उधमसिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला सदन में रखा था जिसे अध्यक्ष ने अदालत में विचाराधीन होने की सरकार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए निरस्त कर दिया। इस निर्णय से असंतोष जताते हुए कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के सामने पहुंच गए। सुरक्षाकर्मियों के उन्हें रोकने के बावजूद कई सदस्य इस दौरान धक्कामुक्की पर उतर आये जिसके कारण विधानसभा के प्रभारी सचिव हेम चंद्र को अपना आसन छोड़कर उठना पड़ा। इसके बाद भी सदस्य, ​सचिव की मेज पर चढ़कर अपना आक्रोश व्यक्त करते रहे। चौहान के साथ ही हरिद्वार के पिरान कलियर से कांग्रेस सदस्य फुरकान अहमद भी मेज पर चढ़कर हंगामा करने लगे। उन्होंने विधानसभा की नियमावली की किताब फाड़ कर सदन में कागज भी फेंके।
इस दौरान, अध्यक्ष सदस्यों को शांत रहने और अपनी सीट पर बैठने की अपील करती सुनाई दीं लेकिन जब उनकी बात नहीं सुनी गयी तो उन्होंने हंगामे में शामिल सभी विधायकों को दिन भर के लिए निलंबित कर दिया और सदन की कार्यवाही दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
संवाददाताओं से बातचीत में खंडूरी ने सदन में सदस्यों के उग्र प्रदर्शन को गलत बताते हुए कहा कि सदन में मेज को तोड़ना और विधानसभा के प्रभारी सचिव को धक्का देना बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर उनके निर्णय को लेकर सदस्यों को किसी तरह की समस्या थी तो इसे बातचीत कर सुलझाया जा सकता था लेकिन बातचीत के बजाय सदन के अंदर उग्र प्रदर्शन किया गया जो सही नहीं है। खंडूरी ने कहा, प्रभारी सचिव को धक्का देने, उनकी मेज पर चढ़ने और नियमावली पुस्तिका को फाड़ने के बजाय विधायक अलग से मेरे पास आ सकते थे। इस हंगामे में वरिष्ठ विधायक भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सदस्यों का व्यवहार कल भी राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदन की गरिमा के अनुरूप नहीं था और आज भी उन्होंने इसे दोहराया। इस व्यवहार को गलत बताते हुए अध्यक्ष ने कहा कि इसीलिए सभी सदस्यों को दिन भर के लिए निलंबित कर दिया गया।
तीन बजे के बाद कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भी निलंबित विधायकों ने सदन नहीं छोड़ा और हंगामा किया जिसकी वजह से कार्यवाही चार बार और स्थगित करनी पड़ी। पांच बार स्थगित होने के बाद शाम पांच बजे सदन की कार्यवाही राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के साथ आरंभ हुई लेकिन विधायक फिर अध्यक्ष के आसन के सामने आकर नारेबाजी करने लगे।

मोर्चा ने जम्मू और कश्मीर बनने से बचाने को आखिर क्यों दिया ज्ञापन

जन संघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी नेतृत्व में तहसील घेराव/प्रदर्शन कर बेरोजगारों के आंदोलन को फंडिंग करने वाले व पत्थर बरसाने वाले पत्थरबाजों को चिन्हित कर इनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन उप जिलाधिकारी, विकासनगर को सौंपा। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नेगी ने कहा कि लगभग 20-25 दिन पहले एसएसपी/डीआईजी, देहरादून दिलीप सिंह कुंवर ने दावा किया था कि बेरोजगार आंदोलन को कुछ कोचिंग सेंटस व राजनीतिक दलों के कुछ नेताओं द्वारा किसी खास मकसद से फंडिंग की गई, लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी पुलिस मामले का पर्दाफाश नहीं कर पाई, जोकि अपने आप में एक सवालिया निशान खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि उक्त फंडिंग मामले का पर्दाफाश होना देशहित में बहुत जरूरी है। अगर इसी प्रकार फंडिंग के माध्यम से आंदोलन हुए तो उत्तराखंड जैसे प्रदेश को जे एंड के जैसा प्रदेश बनने में देर नहीं लगेगी। अगर आंदोलन में कोई फंडिंग नहीं हुई है तो डीआईजी का बयान निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है।
नेगी ने कहा कि फंडिंग के माध्यम से आंदोलन करने को उकसाने वाले व पत्थरबाजों के आकाओं/साजिशकर्ताओं पर भी रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। मोर्चा महासचिव आकाश पंवार व दिलबाग सिंह ने कहा कि पुलिस प्रशासन की नाकामी के चलते बेरोजगारों पर लाठीचार्ज की नौबत आई, जिसकी मोर्चा घोर निंदा करता है एवं पुलिस-प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग सरकार से करता है।
घेराव/प्रदर्शन में विजय राम शर्मा, विनय कांत नौटियाल, हाजी असद, सलीम (मुजीब-उर-रहमान), बृजलाल टम्टा, के.सी. चंदेल, भजन सिंह नेगी, जयकृत नेगी, जयदेव नेगी, इदरीश, प्रवीण शर्मा पिन्नी, अमित जैन, रहबर अली, किशन पासवान, भगत सिंह नेगी, विक्रम पाल, मुकेश पसबोला, रूपचंद, शहजाद, राजेंद्र पंवार, नरेंद्र तोमर, आशीष सिंह, दीपांशु अग्रवाल, दिनेश राणा, इंतजार अली, अमित कुमार, गोविंद सिंह नेगी, सलीम मिर्जा, गुरविंदर सिंह, सुशील भारद्वाज, मनोज राय, संजय पटेल, कुंवर सिंह नेगी, संगीता चौधरी, प्रदीप सिंह, नीरज ठाकुर, प्रमोद शर्मा, देव सिंह चौधरी, चौधरी मामराज, प्रवीण कुमार, मो. आसिफ, जयपाल सिंह, फकीर चंद पाठक, विनोद रावत, सुरजीत सिंह, मदन सिंह, संध्या गुलेरिया आदि मौजूद रहे।

देश का सबसे कड़ा नकल विरोधी कानून लागू होने के बाद सकुशल संपन्न हो चुकी हैं तीन परीक्षाएं

देश का सबसे कड़ा नकल विरोधी कानून उत्तराखंड में धामी सरकार लागू कर चुकी है और इसके लागू होने के बाद से राज्य में तीन परीक्षाएं निर्विघ्न रूप से सम्पन्न भी हो गई हैं। ऐसे में परीक्षार्थियों को भरमाने वालों को सरकार के लगातार छात्र हितैषी कदम रास नहीं आ रहे। यही वजह है कि छात्रों पर अपना बस न चलता देख विघ्नसंतोषियों ने परीक्षाओं को लेकर तमाम तरह के भ्रम फिर से फैलाने शुरू कर दिए हैं।
ये पुष्कर सिंह धामी ही हैं जिन्होंने परीक्षाओं में विगत कई वर्षों से चल रही धांधलियों का न केवल खुलासा करने की हिम्मत जुटाई बल्कि किसी के दबाव में न आते हुए बड़े से बड़े को जेल के अंदर डाल दिया। अब तक 60 से ज्यादा लोगों को विभिन्न परीक्षाओं में जेल भेजने वाले धामी यहीं नहीं रुके उन्होंने राज्य के युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करते हुए देश का सबसे कड़ा कानून भी लागू करने में देर नहीं लगाई। जब विघ्नसंतोषियों और विरोधियों को लगने लगा कि यहां उनकी अब दाल नहीं गल रही तो उन्होंने पहले तो छात्रों को सीबीआई जांच के लिए बरगलाने का काम शुरू किया लेकिन राज्य के समझदार छात्र इस बात को समझ गए कि उन्हें केवल सीबीआई जांच के नाम पर मोहरा बनाया जा रहा है। जब छात्रों को भरमाने वालों को लगा कि अब तो उनकी राजनीति नहीं चल पा रही तो अबकी बार कनिष्ट सहायक भर्ती परीक्षा को लेकर ये फैला दिया कि परीक्षा के चारों सेट एक ही थे। यहां समझने की जरूरत है कि केवल सेट ही एक से आए। इससे कहीं ये साबित नहीं हो रहा कि परीक्षा में किसी तरह की कोई नकल हुई या फिर पेपर लीक हुआ लेकिन इस मामले को बेवजह अपना उल्लू सीधा करने के लिए कल से ही हवा देने के कुप्रयास किये जा रहे हैं। बता दें कि नकल विरोधी कानून लागू होने के बाद पीसीएस, कनिष्ठ सहायक व एक अन्य जो परीक्षा हुई उसमें कहीं भी कोई पेपर लीक, नकल होने जैसी बातें सामने नहीं आई। अब यही बात विघ्नसंतोषियों को हजम नहीं हो पा रही। छात्रों के बीच बैठे बेहरुपीये किसी भी तरह से अपने चेहरे को चमकाने और खुद को राजनीति में फिट करने के लिए कुछ भी करने को तैयार बैठे हैं जबकि युवा अब इनकी सारी बात समझ रहा है। वह समझ रहा है कि कौन चुनाव लड़ने की फिराक में उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है।

राजस्व प्राप्ति की समीक्षा में सीएम ने अधिकारियों को दिये निर्देश

विभागों द्वारा लक्ष्य के सापेक्ष अधिक से अधिक राजस्व प्राप्ति के प्रयास किये जाएं। विभिन्न विभागों एवं राजस्व बढ़ाने के लिए अन्य राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस का भी गहनता से अध्ययन किया जाए। जिन विभागों का लक्ष्य के हिसाब से राजस्व प्राप्ति कम है, इसके कारणों का गहनता से अध्ययन किया जाए, जहां पॉलिसी में सुधार की आवश्यकता है, वो करवाई जाए। ये निर्देश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में राजस्व प्राप्ति की स्थिति की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को दिये।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि अगले वित्तीय वर्ष के लिए अप्रैल में राजस्व लक्ष्य प्राप्ति के सबंध में बैठक की जायेगी। जिसमें सभी विभाग लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपनी पूरी योजना बतायेंगे। जिन विभागों का अभी लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति कम है, मुख्यमंत्री ने उन विभागों के सचिवों को निर्देश दिये कि इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक इसको अधिक से अधिक बढ़ाने के प्रयास किये जाएं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि ऊर्जा, खनन एवं वन विभाग में राजस्व प्राप्ति बढ़ाने के लिए विभागों को विशेष प्रयासों की जरूरत है। विभागीय सचिव राजस्व बढ़ाने के लिए इसकी नियमित समीक्षा करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व प्राप्ति को बढ़ाने के लिए विभागों को ऑनलाईन सिस्टम पर अधिक ध्यान देना होगा। ऑनलाईन व्यवस्थाओं से जहां सबको कार्य करने में सुविधा होती है, वहीं सिस्टम पारदर्शी भी होता है। आधुनिक तकनीक के प्रयोग पर अधिक ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन क्षेत्रों में लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति में कठिनाई आ रही है, इन समस्याओं के समाधान के लिए विभागीय सचिवों को ही रास्ता निकालना है। किसी भी समस्या के समाधान के लिए जब पूरा विश्लेषण होता है तो उसका समाधान अवश्य निकलता है।
बैठक में जानकारी दी गई कि राजस्व प्राप्ति के मुख्य स्रोत में एसजीएसटी, नोन-जीएसटी, स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन फीस,परिवहन, स्टेट एक्साइज ड्यूटी में लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति की स्थिति अच्छी है। ऊर्जा, वन एवं खनन में लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति में और प्रयासों की जरूरत है।
बैठक में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर के. सुधांशु, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, दिलीप जावलकर, अरविन्द सिंह ह्यांकी, सचिन कुर्वे, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, एच.सी. सेमवाल, बृजेश कुमार संत, प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल, अपर सचिव गण एवं विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष उपस्थित रहे।

सुब्रमण्यम स्वामी कल हरिद्वार में करेंगे प्रेसवार्ता

पूर्व कानून मंत्री व बीजेपी के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी 26 और 27 फरवरी को हरिद्वार प्रवास पर रहेंगे। इस दौरान स्वामी विधानसभा के बर्खास्त कर्मचारियों के पक्ष में प्रेस को संबोधित भी करेंगे।
बता दें कि विगत दिनों उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र के अनुसार अपनी बेबाकी के लिए मशहूर पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने विधानसभा कर्मियों के निष्कासन को पूरी तरह से गलत बताया और सरकार को सर्वदलीय बैठक बुलाकर या किसी अन्य स्तर से जो भी सम्भव हो, कर्मचारियों के पक्ष में न्याय संगत कार्यवाही करने का सुझाव दिया था। उन्होंने पत्र में कहा था कि एक ही राज्य में एक ही तरह से लगे कर्मचारियों के साथ अलग अलग भेदभाव किया जाना ठीक नही है। सुब्रमण्यम स्वामी ने पिछले दिनों विधानसभा के बर्खास्त कर्मचारियों के पक्ष में उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखकर नई हलचल पैदा कर दी थी।
बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी का हरिद्वार भ्रमण का दो दिवसीय प्रोटोकॉल भी जारी हो चुका है। गौरतलब है कि सुब्रमण्यम को जेड कैटेगरी की सुरक्षा प्राप्त है। प्रशासन ने उनके आगमन को लेकर व्यवस्थाएं चाक-चौबंद की है। उनके प्रोटोकॉल के अनुसार 26 तारीख को वह 8 बजे दिल्ली से सड़क मार्ग से चलेंगे। उसके बाद हरिद्वार में पहुंचकर राज्य अतिथि आवास, डामकोठी में 2.30 बजे से 3.30 बजे तक पत्रकार वार्ता के दौरान प्रेस को संबोधित करेंगे। सुब्रमण्यम स्वामी हरिद्वार में गंगा आरती सहित अन्य कार्यक्रमों में भी प्रतिभाग करेंगे।

शहरी विकास मंत्री ने निर्माण कार्यों का किया निरीक्षण

शहरी विकास मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने उत्तराखंड शहरी क्षेत्र विकास एजेंसी के अंतर्गत पेयजल, सीवरेज और ड्रेनेज तथा सड़क निर्माण कार्य का निरीक्षण किया। इस दौरान मंत्री डॉ अग्रवाल ने निर्माण कार्य पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सरकार विकास कार्यों पर विशेष ध्यान दे रही है जबकि अधिकारी सरकार को पलीता लगा रहे हैं। मंत्री डॉ अग्रवाल की नाराजगी पर अधिकारियों ने मई 2023 तक गडढ़ा भरने, नाली तथा सड़क बनाने का कार्य पूर्ण करने की बात कही। वही, मंत्री डॉ अग्रवाल ने सड़क तथा सीवरेज के लिए बनाए जा रहे मेनहोल को खुलवाकर इसमें उपयुक्त ईंट की गुणवत्ता पर सवाल उठाया और सैंपल को जांच के लिए भेजने के निर्देश दिए।
गुरुवार को मंत्री डॉ अग्रवाल देहराखास टीएचडीसी कॉलोनी पहुंचे। यहां बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने मंत्री डॉ अग्रवाल के समक्ष अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि यहां जगह-जगह सड़क के बीचो बीच बड़े गडढे़ हो रखे हैं जिनमें अकसर वाहन धंस जाते हैं। साथ ही रात्रिकाल में लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं।
मौके पर मंत्री डॉ अग्रवाल ने भी स्थानीय लोगों की समस्या को सही पाया। उन्होंने कहा कि जनता के लिए सरकार विकास कार्य करती है, ऐसे में यदि विकास कार्यों से जनता ही असंतुष्ट हो तो यह किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगा।
इस पर अधिकारियों ने मंत्री को आश्वासन देते हुए कहा कि मई 2023 तक गडढ़ा भरने, नाली व सड़क निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा। इस पर मंत्री अग्रवाल ने कहा कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता का विशेष ख्याल रखा जाए।
इस दौरान मंत्री ने निर्माणाधीन कच्ची सड़क का भी निरीक्षण किया। यहां रखी ईंट की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए मेनहोल को खुलवाया और ईट को निकालकर जांच करने के लिए निर्देश दिए। उन्होंने 1 माह से बंद नाली निर्माण कार्य को भी शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए।
इस दौरान यूयूएसडीए की निदेशक वंदना राजगुरु, अपर निदेशक विनय मिश्रा, मण्डल अध्यक्ष अजय शर्मा, महामंत्री दिनेश सती, महिला मोर्चा मण्डल अध्यक्ष वैजंती माला, उपाध्यक्ष बबली रावत, पार्षद आलोक कुमार, पार्षद राजपाल पयाल, शशि मोहन जोशी, अजय शर्मा, भगवती डोभाल, परियोजना प्रबंधक विपिन तिवारी, सहायक अभियन्ता पवन टोलिया, कनिष्ठ अभियंता शैलेन्द्र भट्ट, मिथिलेश कुमार, टाटा कन्सल्टिंग इंजीनिर्यस के विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
बता दे कि 72.36 करोड की लागत से निर्माण कार्य किया जाना है, जिसमें 13.68 करोड का व्यय किया जा चुका है। इसमें 29 कि0मी0 का सीवरेज नेटवर्क बिछाया जाना था। क्षेत्र में नालियों का निर्माण तथा सड़क सुधार का कार्य भी युद्धस्तर पर किया जा रहा है।

प्लास्टिक को ना कहने की आदत ही पर्यावरण को बचाएगी-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को आईटी पार्क देहरादून स्थित गौरा देवी पर्यावरण भवन में उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आयोजित प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट कार्यशाला को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने राज्य की पहली वेस्ट टू एनर्जी प्लांट, काशीपुर ईकाई का वर्चुअल एवं प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट पर आधारित लघु फिल्म का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट पर आधारित स्टॉलों का अवलोकन भी किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस कार्यशाला में प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाली चुनौतियों के निस्तारण के सबंध में की जाने वाली चर्चा निश्चित रूप से राज्य में पर्यावरण के मानक व स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में कारगर सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि आज हमारे घरों, उद्योगों, होटलों, रेस्टोरेंट, प्रतिष्ठानों से निकलने वाला प्लास्टिक वेस्ट हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। इस चुनौती से निपटने के लिए हमें आधुनिक तकनीक से प्लास्टिक कचरे के रिसाइक्लिंग तकनीक को विकसित करने की दिशा में जागरूक और संवेदनशील बनने की आवश्यकता है। सिंगल यूज प्लास्टिक को हमारे जीवन की उपयोगिता से बाहर करने की दिशा में हम सबको सामूहिक रूप से अधिक गंभीर होने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्लास्टिक उत्पादन से संबंधित उद्योगध्इकाई द्वारा ई.पी.आर रजिस्ट्रेशन के सम्बन्ध में उत्तर भारत में उत्तराखण्ड वर्तमान में अग्रणी है, जो निश्चित रूप से एक गौरव का विषय है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस कार्यशाला में किया जाने वाला मन्थन निश्चित रूप से हमारे उद्यमियों और आम जनता को अपने प्रतिष्ठान, घर, शहर और गांव के साथ ही पूरे राज्य को स्वच्छ बनाने में सहयोग करेगा। अब समय आ गया है कि हमें उत्तराखण्ड में वेस्ट टू वैल्थ और वेस्ट टू एनर्जी की दिशा में काम करने की ओर अग्रसर होना होगा। अब सर्कुलर इकोनॉमी का कॉन्सेप्ट आ चुका है, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में कारगर साबित होगा। कचरे को सिर्फ कचरा न समझ कर एक संसाधन के तौर पर देखने की आवश्यकता है। इससे आम लोगों को आजीविका के साथ-साथ रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध होंगे। आज देश में कई स्टार्टअप इस दिशा में नई तकनीक व उत्पाद के साथ सामने आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता अभियान, शौचालय निर्माण, नमामि गंगे अभियान जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत करके सम्पूर्ण विश्व को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक रहने का संदेश दिया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश में स्वच्छ भारत अभियान के द्वारा तथा अन्य स्वच्छता कार्यक्रमों के माध्यम से प्लास्टिक हटाओ अभियान में तेजी आयी है। प्लास्टिक व अन्य प्रकार के वेस्ट मैनेजमेंट हेतु रिड्यूस, रियूज और रीसाइकिल के सिद्धान्त को अपनाते हुए भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा नीति, गाईडलाईन्स व एसओपी बनाये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में शुरू किया गया मिशन लाईफ हर व्यक्ति के जीवन से जुड़ा विषय है। यदि हम अपनी जीवनशैली में थोड़ा सा बदलाव करे तो आज पर्यावरण प्रदूषण की जो बड़ी चुनौती हमारे सामने खड़ी है, उससे निपटा जा सकता है और धरती को एक बड़े खतरे से बचाया जा सकता है। पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित जीवनशैली व दिनचर्या को अपनाते हुए हम पूरे विश्व को यह सन्देश दे सकते हैं कि हमारे प्रदेश व देश के नागरिक पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग व प्रतिबद्ध हैं।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण आर.के सुधांशु, निदेशक पर्यावरण एस. पी सुबुद्धि, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव सुशांत पटनायक, संयुक्त निदेशक पर्यावरण नितेश मणि, वर्चुअल माध्यम से विधायक त्रिलोक सिंह चीमा, जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर युगल किशोर पंत एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

विद्युत दरों के संबंध में जनसुनवाई की तिथियां जारी

प्रस्तावित विद्युत दरों के सम्बन्ध में विद्युत नियामक आयोग द्वारा जनसुनवाई आयोजित की जा रही है। आयोग के समक्ष उत्तराखण्ड पावर कॉरपोरेशन लि., पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लि०, यूजेवीएन लि० तथा एस०एल०डी०सी० द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए दायर ए०आर०आर० एवं टैरिफ प्रस्ताव वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए सहीकरण तथा वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए वार्षिक निष्पादन समीक्षा पर उपभोक्ताओं व अन्य सम्बन्धित संस्थाओं, व्यक्तियों से सुझावों/मतों को जानने हेतु उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग द्वारा जन सुनवाई आयोजित की जा रही है।
सचिव विद्युत नियामक आयोग के अनुसार प्रदेश में जन सुनवाई के प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार 22 फरवरी, 2023 को प्रातः 10ः30 बजे से 01 बजे तक सभागार, नगर निगम, रूद्रपुर (उधम सिंह नगर), 24 फरवरी को प्रातः 10ः30 बजे से 12ः30 बजे तक सभागार, जिला पंचायत कार्यालय पिथौरागढ़, दिनांक 27 फरवरी को प्रातः 11 बजे से दोपहर 01 बजे तक सभागार नगर पालिका परिसर श्रीनगर गढ़वाल तथा 01 मार्च में प्रातः 10ः30 बजे से 01 बजे तक (उद्योग/अघरेलू श्रेणी उपभोक्ता) एवं अपरान्ह 03 बजे से सांय 5 बजे तक (उघोग/अघरेलू श्रेणी को छोडकर अन्य शेष सभी श्रेणी के उपभोक्ता) देहरादून स्थित सुनवाई कक्ष उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग, विघुत नियामक भवन, माजरा देहरादून में आयोजित की गई है।
सचिव विद्युत नियामक आयोग ने बताया है कि टैरिफ दरों के प्रस्ताव के सम्बन्ध में यदि कोई भी व्यक्ति या संस्था अपना मत आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना चाहते हैं तो वे जन सुनवाई में प्रतिभाग कर सकते हैं। टैरिफ याचिका प्रस्तावों का अवलोकन आयोग की वैबसाइट www.uerc.gov.in पर किया जा सकता है।

सभी समस्याओं का हल निकालने का हो रहा प्रयास-राधा रतूड़ी

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने मंगलवार को सचिवालय में मीडिया को जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा आन्दोलनरत अभ्यर्थियों द्वारा उठाये गये सभी मुद्दों को गम्भीरता से लेते हुए स्वस्थ एवं सौहार्दपूर्ण संवाद से उनकी सभी समस्याओं को हल करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य सरकार अभ्यर्थियों के हितों के लिए सदैव आगे बढ़ कर बातचीत करने एवं समाधान निकालने हेतु तत्पर है। राज्य के युवाओं की सबसे बड़ी मांग थी की नकल विरोधी कानून को सख्त बनाया जाय।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य सरकार ने युवाओं की मांग को गम्भीरता से लेते हुए अत्यन्त अल्पावधि में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून उत्तराखण्ड में लागू किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कानून केवल राज्य सरकार द्वारा सरकारी भर्ती के लिए आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं पर लागू होगा। स्कूलों और डिग्री कॉलेज की परीक्षाओं में यह लागू नहीं होगा। केंद्र सरकार की राज्य में आयोजित की जाने वाली भर्ती परीक्षाओं पर यह कानून लागू नहीं होगा। एसीएस राधा रतूड़ी ने कहा कि युवाओं द्वारा यूकेएसएसएससी एवं लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में पाई गई अनियमितताओं के सम्बन्ध में चल रही एसआईटी एवं एसटीएफ की जांच का पर्यवेक्षण उच्च न्यायालय के न्यायधीश से करवाने की मांग की गई थी। इस पर राज्य सरकार ने अपनी सहमति दे दी है। युवाओं की अपील पर लोक सेवा आयोग के परीक्षा नियंत्रक को भी हटा दिया गया है। इस पद पर अन्य अधिकारी की तैनाती कर दी गई है। इस प्रकार से जो भी मुद्दे आन्दोलनरत अभ्यर्थियों ने सरकार एवं अधिकारियों के समक्ष रखे थे, उन सभी का निराकरण कर दिया गया है। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा बनाया गया नकल विरोधी कानून देश का सबसे सख्त कानून है। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि युवाओं के हितों से खिलवाड़ करने वाले या अनुचित तरीके इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही छात्रों को दिग्भर्मित करने, बरगलाने तथा भ्रामक खबरों के प्रचार-प्रसार करने वालों के विरूद्ध भी सख्त कार्यवाही की जाएगी। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि गत 12 फरवरी को आयोजित की गई राजस्व उप निरीक्षक (पटवारी ध्लेखपाल) की परीक्षा राज्य के 13 जनपदों के 498 परीक्षा केन्द्रों पर पूरी पारदर्शिता एवं शान्तिपूर्ण तरीके से आयोजित की गई।
इस अवसर पर सचिव शैलेश बगौली, एडीजी (लॉ एण्ड ऑर्डर) वी. मुरूगेशन व अपर सचिव जगदीश प्रसाद काण्डपाल मौजूद रहे।

आयोग ने कहा-अफवाह का हिस्सा ना बनें, नही तो नए अध्यादेश के तहत होगी कार्रवाई

राजस्व उप निरीक्षक परीक्षा 2022 की लिखित परीक्षा दिनांक 12 फरवरी, 2023 (रविवार) को पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न 01 बजे तक राज्य के 13 जनपदों में कुल 498 परीक्षा केन्द्रों पर सकुशल आयोजित की गयी। उक्त परीक्षा में कुल आवेदित अभ्यर्थियों 1,58,210 के सापेक्ष 1,03,730 अभ्यर्थी उपस्थित हुए। उक्त उपस्थिति 65.60 प्रतिशत रही।
कतिपय अभ्यर्थियों द्वारा प्रश्नपत्र की पेपर सील की गोपनीयता के सम्बन्ध में व्यक्त संदेह और भ्रांतियों के सम्बन्ध में अवगत कराना है कि प्रश्नपत्र प्रेस द्वारा बॉक्सों शील्ड किया जाता है। उक्त बॉक्सों के अंतर्गत लिफाफों में (पाली बैग्स) प्रश्न पत्र शील्ड होते हैं। गोपनीय सामग्री के प्रेस से आयोग में उपलब्ध होने व आयोग से जनपदों को उपलब्ध कराये जाने तथा परीक्षा तिथि को कोषागार से सेक्टर मजिस्ट्रेट के माध्यम से परीक्षा केन्द्रों को उपलब्ध कराते समय अर्थात प्रत्येक स्तर पर वीडियोग्राफी की जाती है। उक्त गोपनीय सामग्री वाले बॉक्स प्रधानाचार्य व केन्द्र प्रभारी के कक्ष में कक्ष निरीक्षक की उपस्थिति में खोले जाते हैं, जिसकी वीडियोग्राफी की जाती है। प्रत्येक प्रश्नपत्र पर पेपर शील लगी होती है, जिसकी कभी-कभी यातायात के दौरान टूटने की संभावना हो सकती है। उक्त प्रश्नपुस्तिका की पेपर शील को कक्ष निरीक्षक के निर्देश पर अभ्यर्थियों द्वारा खोला जाता है ताकि सभी अभ्यर्थियों को समान अवसर व समय मिल सके। अतः प्रश्नपत्र की गोपनीयता संरक्षित है तथा कतिपय अभ्यर्थियों द्वारा व्यक्त संदेह निर्मूल है। कतिपय लोगों द्वारा इस विषय मे भ्रामक खबरें फैलाई जा रही है, जिनके विरुद्ध नए नकल विरोधी अध्यादेश के सुसंगत प्राविधानो के तहत कार्यवाही की जाएगी।