सूची में नाम न होने से नहीं दे सकें बालिग मतदान, वहीं दो नाबालिग ने सूची में नाम होने से डाला वोट

नगर पालिका से उच्चीकृत होकर नगर निगम के पहले ही चुनाव में चुनाव आयोग की पोल खुलकर सामने आ गई। ऋषिकेश नगर निगम में पांच नाबालिगों के नाम वोटर लिस्ट में पाये गये। इनमें से दो नाबालिग ने वोट भी डाला। जबकि तीन किसी कारणवश वोट नहीं डाल सके। वहीं, कई लोगों के नाम मतदाता सूची से ही नदारद रहे।

ऋषिकेश नगर निगम के अंतर्गत आवास विकास कॉलोनी के सुनील नागपाल ने बताया कि इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर उनका नाम दर्ज है। जबकि कमीशन द्वारा की गई वोटर लिस्ट में उनका नाम ही नहीं है। जबकि इससे पूर्व के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उन्होंने वोट डाला था। उन्होंने बताया कि ऐसा सिर्फ उनके ही साथ नहीं हुआ है। बल्कि कई लोगों के साथ हुआ है। उन्होंने इसकी शिकायत इलेक्शन कमीशन को मेल के माध्यम से भेजी है।

बनखंडी वार्ड नंबर 18 के निवासी जितेन्द्र पाल पाठी के अनुसार उनके परिवार के पांच नाबालिग बच्चों को नाम वोटर लिस्ट में चढ़ा हुआ है। इन पांच नाबालिगों में से दो ने रविवार को मतदान केंद्र जाकर वोट भी डाला है। उन्होंने बताया कि उनके परिवार से तानिया पुत्री इंद्रजीत उम्र 13 वर्ष, निखिल पुत्र हजमोह उम्र 10 वर्ष ने श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज जाकर मतदान किया। जबकि भविष्य पुत्र इंद्रजीत उम्र 10 वर्ष, अभय पुत्र हजमोह उम्र 10 वर्ष, तन्मय पुत्र इंद्रजीत उम्र 09 वर्ष किसी कारण वश मतदान को नहीं पहुंच सकें। जितेन्द्र ने कहा कि इन नाबालिग बच्चों के नाम वोटर लिस्ट में होने से यह बात से साफ उजागर है कि जिन कर्मचारियों की गलती से इनका नाम लिस्ट में चढ़ाया गया। वह उस समय अपने होश में नहीं होंगे। बहरहाल आयोग ने इन नाबालिगों को वोट डालने का अधिकार दिया है। तो दो ने वोट भी डाला है।

किरायेदार के सत्यापन में नहीं काटेगी पुलिस मालिक का सीधा चालान

पुलिस महानिदेशक ने सेवा का अधिकार आयोग के निर्देश के क्रम में सभी जिलों को जारी किए दिशा निर्देश के तहत अब पुलिस सत्यापन के दौरान सीधे मकान मालिक का चालान नहीं करेगी। पहले नोटिस जारी कर सत्यापना की स्थिति स्पष्ट करेगी।

देहरादून की पटेलनगर पुलिस ने सत्यापन के दौरान आइएसबीटी के पास एमडीडीए आवासीय परियोजना निवासी जनार्दन प्रसाद ध्यानी का चालान काट दिया था। जबकि उन्होंने पहले से किरायेदार का सत्यापन करा रखा था। इस कार्रवाई के विरोध में ध्यानी ने सेवा का अधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। प्रकरण पर सुनवाई करते हुए आयोग के मुख्य आयुक्त आलोक कुमार जैन ने पाया कि पुलिस की लापरवाही के चलते मकान मालिक को सीजेएम कोर्ट में एक हजार रुपये खर्च करने पड़े और आर्थिक, मानसिक परेशानी से भी गुजरना पड़ा।

आयोग ने पुलिस की इस कार्रवाई पर द्वितीय अपीलीय अधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से जवाब तलब किया था। आयोग ने पूछा था कि क्या सत्यापन के दौरान पुलिस के पास मकान मालिकों के आवेदन का विवरण नहीं रहता है। हालांकि, उनकी तरफ से चौंकाने वाला जवाब मिला कि संबंधी थाना पुलिस के लिए यह संभव नहीं है कि वह सत्यापन रजिस्टर को साथ लेकर चले। इस उत्तर को आयोग ने वाजिब नहीं पाया और पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा कि सत्यापन के विवरण के बिना इस तरह मकान मालिकों का चालान किया जाना उचित नहीं है। जब शासकीय तंत्र के पास सूचना है तो नागरिकों को परेशान किया जाना किसी भी दशा में ठीक नहीं।

लिहाजा, दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए कि जिन मकान मालिकों ने सत्यापन करा लिया है, उनका चालान न किया जाए। इसी क्रम में पुलिस महानिदेशक ने जिलों को दिशा-निर्देश जारी किए और यह आदेश प्रदेशभर के लिए नजीर भी बन गया है।

यूपी और उत्तराखंड की बसों के अस्थाई परमिट की व्यवस्था हुई खत्म, दोनों सरकारों ने लिया फैसला

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पारस्परिक परिवहन समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस मौके पर सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि इस समझौते के बाद अब यूपी और उत्तराखंड की जनता को परिवहन में बेहतर सुविधा मिलेगी। पिछले 18 सालों से चला आ रहा इंतजार अब खत्म हो गया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि दोनों राज्यों की सरकारें समाधान में विश्वास करती हैं। दोनों ही सरकारें राज्य के विकास के लिये निरंतर कार्यरत है। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा भी की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच परिवहन समझौता होने से दोनों राज्यों के बीच बसों का आवागमन बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि हम सब साझी विरासत का हिस्सा है। इसलिए आने वाले दिनों में हमारे संबंध और अधिक प्रगाढ़ होंगे।

इस समझौते से अब यूपी परिवहन निगम की बसें उत्तराखंड में 216 मार्गों पर एक लाख 39 हजार किलोमीटर चलेंगी। वहीं उत्तराखंड की बसें यूपी में 335 मार्गों पर दो लाख 52 हजार किलोमीटर हर रोज चलेंगी।

उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में यूपी से उत्तराखंड जा रहीं और वहां से यूपी आ रहीं बसों का संचालन अस्थाई परमिट के आधार पर हो रहा है। परमिट की अवधि खत्म हो जाने के बाद दोनों राज्य एक-दूसरे की सीमा में प्रवेश करने वाली बसों को रोक दिया जाता है। इसके चलते बस यात्रियों को अत्यंत परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इस समझौते के होने के बाद दोनों राज्यों को अपनी बस चलाने के लिए किसी परमिट की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही अस्थाई परमिट की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह व उत्तराखण्ड के परिवहन मंत्री यशपाल आर्य भी उपस्थित थे।

कोर्ट में पेश होने पर उमेश कुमार बोला, मेरे खिलाफ हुई साजिश

उत्तराखंड में स्टिंग के जरिये राजनेताओं और नौकरशाहों को ब्लैकमेलिंग करने के आरोप में अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी तृतीय रिंकी साहनी की अदालत ने समाचार प्लस चैनल के मालिक उमेश कुमार को आठ नवंबर तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। वहीं, उमेश शर्मा पर पत्रकार आयुष गौड़ ने आरोपों को फिर से दोहराकर कई नई बातें बताई।

समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार को रविवार को उप्र के गाजियाबाद में एटीएस एडवांटेज सोसायटी के टावर नंबर 19 से गिरफ्तार किया गया था। उमेश पर उसके ही चैनल के कर्मचारी आयुष गौड़ ने उत्तराखंड के नेताओं और नौकरशाहों का स्टिंग करने का दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। मुख्य आरोपित उमेश जे कुमार को लेकर पुलिस टीम रविवार रात करीब तीन बजे देहरादून पहुंची। यहां पुलिस अधिकारियों ने उससे पांच घंटे तक पूछताछ की।

सोमवार पूर्वाह्न् करीब 11 बजे पुलिस उसे लेकर अदालत पहुंची। पुलिस ने अदालत में अभी तक की जांच रिपोर्ट रखी। इसके बाद अदालत ने आरोपित का पक्ष भी सुना। हालांकि बचाव पक्ष ने दिल्ली से अपने वकील को बुला रखा था, लेकिन अदालत में आरोपित ने खुद ही अपना पक्ष रखा। करीब चार घंटे तक दोनों पक्ष अदालत में मौजूद रहे। उनका पक्ष सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को आठ नवंबर तक न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने के आदेश दिए। पेशी के दौरान कचहरी परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।

उमेश कुमार ने कहा मेरे खिलाफ हुई साजिश
उमेश कुमार ने अदालत में अपनी पैरवी करते हुए साजिश के तहत फंसाये जाने की बात कही। उसने यह भी कहा कि सरकार उसके पीछे पड़ी है और उसे और उसके परिवार को जान का खतरा हो सकता है।

ये अभी भी बाहर घूम रहे
नेताओं और नौकरशाहों का स्टिंग करने की साजिश के मामले में देहरादून के राजपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज है। इस मुकदमे में उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि के निलंबित कुल सचिव मृत्युंजय मिश्र के साथ ही प्रवीण साहनी, सौरभ साहनी और राहुल भाटिया भी नामजद हैं। ये चारों अभी गिरफ्त से बाहर हैं।

हाईकोर्ट के इस फैसले से सांसद आदर्श गांव में बसे पांच सौ परिवारों को खतरा

नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की खंड पीठ ने ऊधमसिंह नगर की ग्राम पंचायत सरपुड़ा के बग्गाचौवन में रिजर्व फॉरेस्ट से चार माह में अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी किये है। न्यायालय के इस आदेश के बाद सांसद आदर्श गांव बग्गाचौवन में बसे करीब पांच सौ परिवारों पर बेदखली का खतरा पैदा हो गया है।

शुक्रवार को न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की खंडपीठ ने ऊधमसिंह नगर के खटीमा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत सरपुड़ा निवासी होशियार चंद की जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिका में होशियार चंद ने कहा है कि उनकी ग्राम पंचायत में बग्गाचौवन को मिला दिया गया। सरपुड़ा ग्राम पंचायत की आबादी 2116 तथा मतदाता 1365 हैं। 50 फीसद आबादी अनुसूचित जाति के लोगों की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि ग्राम पंचायत सरपुड़ा के विकास कार्यों व जनसुविधाएं बग्गाचौवन के लोगों को दी जा रही हैं। जिससे उनकी ग्राम पंचायत का विकास थम गया है।

हाईकोर्ट ने ऊधमसिंह नगर जिले की ग्राम पंचायत सरपुड़ा के बग्गाचौवन में रिजर्व फॉरेस्ट से चार माह में अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के इस आदेश से सांसद आदर्श गांव बग्गाचौवन में बसे करीब पांच सौ परिवारों पर बेदखली का खतरा पैदा हो गया है। गांव को सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने सांसद आदर्श योजना के अंतर्गत गोद लिया है।

शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की खंडपीठ ने ऊधमसिंह नगर के खटीमा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत सरपुड़ा निवासी होशियार चंद की जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिका में होशियार चंद ने कहा है कि उनकी ग्राम पंचायत में बग्गाचौवन को मिला दिया गया। सरपुड़ा ग्राम पंचायत की आबादी 2116 तथा मतदाता 1365 हैं। 50 फीसद आबादी अनुसूचित जाति के लोगों की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि ग्राम पंचायत सरपुड़ा के विकास कार्यों व जनसुविधाएं बग्गाचौवन के लोगों को दी जा रही हैं। जिससे उनकी ग्राम पंचायत का विकास थम गया है।

याचिका में कहा गया है कि इस वजह से मूल ग्रामीण सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं। सड़क, खड़ंजा, शौचालय, स्कूल, वृद्धावस्था, विधवा पेंशन, राशन कार्ड आदि के लिए बजट सरपुड़ा के लिए मंजूर होता है, जबकि विकास बग्गाचौवन का होता है, लिहाजा बग्गाचौवन को ग्राम पंचायत सरपुड़ा से अलग कर दिया जाए। यहां के पांच सौ परिवारों ने रिजर्व फॉरेस्ट की 517 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा किया हुआ है। यह राजस्व भूमि भी नहीं है। खंडपीठ ने चार माह के भीतर रिजर्व फॉरेस्ट से अतिक्रमण हटाने के आदेश पारित किए।

ग्रामीणों की एकता ने दिखाया रंग, बुजुर्ग को ले गये अस्पताल

यमकेश्वर प्रखंड के कसाण गांव में स्थिति इतनी दयनीय है कि यहां के स्थानीय ग्रामीण सड़क न होने के कारण किसी बीमार व्यक्ति को कुर्सी की पालकी बनाकर ले जाने को मजबूर है। पिछले एक दशक से यहां सड़क की समस्या बनी हुयी है। मगर, यहां सड़क का निर्माण न हो सका।

यमकेश्वर प्रखंड के डांडामंडल क्षेत्र में स्थित कसान गांव 11 वर्ष पूर्ण तब सुर्खियों में आया था जब यहां बादल फटने से कुछ घर जमींदोज हो गए थे। 14 अगस्त 2007 की रात यहां आई इस आपदा में 4 लोगों की मौत हो गई थी। इस गांव की पीड़ा का कोई हल नहीं निकल पाया है।

आपदा पीड़ित होने के बावजूद प्रभावित लोगों का विस्थापन नहीं हो पाया। जितने भी लोग यहां रह रहे हैं वह विपरीत हालत में भी गांव की अवधारणा को पूरा करने के साथ पलायन जैसी समस्या को चुनौती दे रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार गांव से मुख्य सड़क करीब 4 किलोमीटर दूर है। यहां तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है। किसी तरह से लोग आवागमन बनाए रखे हैं। विकट हालत तब हो जाते हैं जब गांव में कोई गंभीर रूप से बीमार हो जाए। स्थानीय ग्रामीण सोहन ने बताया कि सोमवार को स्थानीय नागरिक देवेंद्र सिंह राणा की तबीयत खराब हो गई। आसपास क्षेत्र में पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी। बीमार को चिकित्सालय तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती थी।

गांव वालों ने हिम्मत दिखाई कुर्सी में डंडे बांधकर उसे पालकी बनाया गया। इस कुर्सी में बीमार को बिठाकर किसी तरीके से पहाड़ी इलाके के ऊंचे-नीचे 4 किलोमीटर लंबे सफर किया गया। मुख्य मार्ग पर पहुंचने के बाद निजी वाहन के जरिए बीमार को ऋषिकेश चिकित्सालय लाया गया। ग्रामीणों ने बताया कि जो लोग गांव में बसे हैं वह सड़क की मांग कर रहे हैं। मगर जो लोग गांव छोड़कर दिल्ली और अन्य जगह बस गए हैं। उनमें से कुछ लोग सड़क का यह कहकर विरोध कर रहे हैं कि सड़क हमारे खेतों से होकर नहीं जानी चाहिए।

नहीं हो रही कम गौहरीमाफी के लोगों की दुश्वारियां

गौहरीमाफी में नदी का जलस्तर कुछ कम हो गया है। जिस कारण लोग नदी में आर-पार आ जा रहे है। मगर, कई जगहों पर गहरे गड्ढों के कारण जोखिम अभी भी बरकरार है। मगर, इसके बावजूद यहां लोग जान जोखिम में डालकर राशन व सिलेंडर सिर पर रखकर पानी के बीच में ही आ जा रहे है।

शुक्रवार को गांव की तरफ आ रही नदी की धारा को पूरी तरह डायवर्ट कर दिया गया। इसका असर यह हुआ कि लोग पैदल नदी से आर-पार जा पा रहे हैं। लेकिन रपटे बहने व सड़के टूट जाने से वाहनों का आवागमन शुरू नहीं हो पाया। सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता एसएस ममगाईं ने बताया कि जेसीबी से लगातार वर्क किया जा रहा है। फिलहाल गांव की तरफ आ रही नदी की धारा को डायवर्ट तो कर दिया गया है लेकिन यह अस्थायी उपाय है। अभी राहत कार्य जारी रहेंगे। जल्द ही तार-जाल भी डाले जाएंगे ताकि कटाव को रोका जा सके।

वहीं मौसम साफ रहने से लोगों को राहत जरूर मिली है लेकिन बाढ़ का खतरा अभी टला नहीं। नदी का जलस्तर घटने से चारों तरफ बाढ़ के गहरे जख्म साफ दिखाई देने लगे हैं। सबसे ज्यादा नुकसान सड़के व खेतों को पहुंचा है। नदी का जलस्तर घटते ही लोग दैनिक जरूरत का सामान जुटाने निकल पड़े। सड़कें व रपटे टूटे होने की वजह से वाहनों का आवागमन अभी संभव नहीं है। लोगों ने सिर राशन व ईंधन सिर पर रख कर अपने घर तक पहुंचाया। बता दें कि बीते 16 दिन से बाढ़ में घिरे गौहरीमाफी के 300 परिवारों का तहसील से सड़क सम्पर्क पूरी तरह कटा हुआ है।

गांव के आंतरिक मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। तिब्बती कालोंनी के पास सड़क व रपटा बह गया है। आनंदमयी स्कूल के पास टिहरी फार्म एक नंबर को जोड़ने वाला कांजवे और बारात घर के पास पुलिया व सड़क टूटी हुई है। कई खेत नदीं में समा गए है। कई घरों के भीतर व आंगन में मिट्टी व मलवा जमा हो गया है। वहीं एसडीआरएफ की टीम भी वापस लौट गई। ग्राम प्रधान सरिता रतूड़ी ने बताया कि मौसम साफ रहने से लोगों को राहत मिली है। लेकिन सड़कें टूटी हुई हैं। इनकी जल्द मरम्मत की जरूरत है, ताकि वाहनों की आवाजाही शुरू हो सके। उन्होंने बताया कि बिजली के 18 पोल बह गए हैं। हालांकि आपूर्ति बनाए रखने के लिए ऊर्जा निगम ने वैकल्पिक इंतजाम किए हैं।

बाढ़ की समस्या से बावजूद गौहरीमाफी के ग्रामीण पेश कर रहे मिशाल

बाढ़ की समस्या से जूझते हुये ग्रामीण दैनिक राशन की समस्या से जूझ रहे है। लेकिन इसी बीच सभी ग्रामीण आपस में मिल जुलकर भोजन आदि कर रहे है। इससे गौहरीमाफी गांव के ग्रामीणों ने एक मिशाल पेश की है।

बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों के बीच पहुंचकर हालात का जायजा लेने पर यह बात सामने आई कि गांव में करीब 50 परिवार ऐसे हैं जिनके घरों में राशन व अन्य खाद्य सामग्री पूरी तरह खत्म हो गई है। कुछ घरों में ईंधन व रसोई गैस उपलब्ध नहीं है। कहीं चीनी तो कहीं नमक खत्म हो गया है। गांव की छोटी दुकानों में सामान उपलब्ध नहीं है।

कई घरों में बारिश का पानी घुसा हुआ है। घरेलू सामान खराब हो गया है। लोगों के पास ठीक से रात काटने को जगह नहीं बची है। लेकिन ग्रामीणों के बीच परस्पर सहयोग एक दूसरे के लिए बना हुआ है। लोग एक दूसरे की मदद कर रहे हैं। कई घरों में सामूहिक भोज बन रहा है। गांव की युवा इस काम में बढ़-चढ़कर जुटे हैं। युवा एक दूसरे के घरों में जाकर जानकारी जुटा रहे हैं और मदद के लिए हाथ बढा रहे हैं।

सोमवार रात को जब कई घरों में बारिश का पानी घुसा तो युवाओं ने की मदद से ही लोग सुरक्षित जगह पर पहुंचे। रात को गंगा प्रेम हॉस्पिस के पास आठ घरों में बाढ़ का पानी घुस गया। इन लोगों को स्थानीय युवाओं ने ही सुरक्षित जगह पर पहुंचाया गया। रात को ही गंगा प्रेम हॉस्पिस की तरफ से भोजन का प्रबंध किया गया।

युवाओं के इस जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है। लोगों को भरोसा है प्रकृति उनकी पीड़ा को समझेगी और संकट जल्द दूर होगा। वहीं बाढ़ प्रभावितों, एसडीआरएफ व् राहत कार्य में सहयोग कर रहे लोगों के लिये भी स्थानीय लोगों की मदद से आनंदमयी स्कूल में भोजन व्यव्स्था की गयी है। देर शाम बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए राशन सामग्री पंचायत घर में पहुंच गई। जिला पूर्ति अधिकारी विपिन कुमार ने बताया कि पीड़ित परिवारों तक पहुंचाने के लिए राशन उपलब्ध करा दी गयी है। जरूरत पड़ने पर और भी राशन भेजी जाएगी।

क्या हुआ जब ग्रामीणों ने एसडीआरएफ टीम की मदद को किया मना

एसडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू अभियान चलाकर सौंग नदी की बाढ़ से घिरे गौहरीमाफी के परिवारों को जरूरी सामान उपलब्ध कराया है। मगर, चाहे शासन हो या प्रशासन दोनों की यहां की समस्या का निदान करने में विफल साबित हो रहे है। यहां अभी तक बाढ़ पीड़ितों की मदद करने में शायद कुछ दिन और लग सकते है।
क्षेत्र में एसडीआरएफ की टीम लगातार रेस्क्यू अभियान चलाये हुये है। सोमवार को भी टीम को संसाधन जुटाने में पांच घण्टे से अधिक का समय लग गया। जिससे लोगों आक्रोशित होने लगे। इस दौरान रेस्क्यू कर लाया जा रहा एक युवक पानी की लहरों में गोता खा गया। हालांकि टीम ने उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया लेकिन इससे ग्रामीण भड़क उठे। गुस्साए लोगों ने प्रशासन पर उनकी जान से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी।

कुछ लोगों ने एसडीआरएफ की रैपिड की रस्सियां काट दी। हंगामा बढ़ता देख एडीआरएम वित्त वीएस बुदियाल और एसडीएम हरगिरि ने किसी तरह लोगों को समझाया। वहीं ग्रामीणों ने रैपिड में बैठने से मना कर दिया। इसके बाद रेस्क्यू रोक दिया गया। वहीं निर्देश के बाद भी रायवाला प्राथमिक केंद्र से चिकित्सक क मौके पर नहीं आए। हैंडपंप से दूषित पानी निकलने की वजह से संक्रामक व जल जनित रोगों के फैलने का खतरा बढ़ रहा है। दोपहर बाद फिर से रेस्क्यू शुरू किया गया।

एसडीएम हरगिरि ने बताया कि जिन घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है वहां से लोगों को आनंदमयी स्कूल में बने राहत कैंप में लाया गया है। गांव में रसद, रसोई गैस व् अन्य जरुरी सामग्री पहुंचाने का काम मंगलवार से शुरू किया जाएगा। जरुरी सामग्री मंगा ली गयी है, वितरण के लिए और सूची बनाने का काम चल रहा है।

आपदा से निपटने की तैयारियों को लेकर सीएम ने की समीक्षा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत राज्य में आपदा से निपटने को लेकर सचेत नजर आ रहे हे। इसलिये समय-समय पर जिलों के जिलाधिकारियों से आपदा को लेकर तैयारियों की समीक्षा कर रहे है। मंगलवार को भी सीएम ने समीक्षा बैठक ली। वीडियों कान्फें्रसिंग के माध्यम से उन्होंने आपदा की तैयारियों की समीक्षा ली। उन्होंने कहा कि आपदा के निपटने में धन की कमी नहीं आनी चाहिए। उन्होंने आपदा प्रबंधन संबधी प्रशिक्षण सुनिश्चित कराने के सुझाव जिलाधिकारियों को दिए।

मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों से विस्तृत जानकारी लेते हुये कहा कि प्रशासन को किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा। सभी आवश्यक प्रबंध पहले ही सुनिश्चित कर लिए जाये। आकस्मिक परिस्थितियों में कम्यूनिकेशन टूटना नहीं चाहिए। रेस्पान्स टाईम सबसे महत्वपूर्ण है। जल्द से जल्द घटना स्थल तक पहुंचना और प्रभावितों को राहत उपलब्ध करवाने की व्यवस्था हो। चिन्हित आश्रय स्थलों पर भोजन, पेयजल, कैरोसीन, दवाईयां व अन्य आवश्यक सामग्री की व्यवस्था सुनिश्चित हो। राशन की क्वालिटी समय-समय पर चौक कर ली जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अर्धसैन्य बलों के साथ भी समन्वय स्थापित किया जाए। सेना से भी आपदा की स्थिति में पूरा सहयोग मिलेगा। इस संबंध में सेना प्रमुख से उनकी बात हुई है। प्रचार माध्यमों से बाहर से आने वाले पर्यटकों को आगाह किया जाए कि वे नदियों के समीप न जाएं। कन्ट्रोल रूम 24 घंटे संचालित हों। मुख्यमंत्री ने ट्रैफिक प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए।

बैठक में सभी जिलाधिकारियों द्वारा विस्तार से जानकारी दी गई। बताया गया कि संवेदनशील भूस्खलन क्षेत्रों में वैकल्पिक मार्ग चिन्हित किए गए हैं। वर्षा से बाधित होने वाले मार्गों को कम से कम समय में खोला जा सके, इसके लिए जेसीबी, क्रेन व मानव संसाधनों को संवेदनशील स्थानों पर पहले से ही तैनात किया जा रहा है। जगह-जगह बनाए जाने वाले आश्रय स्थलों पर भोजन, पेयजल, कैरोसीन, दवाईयां व अन्य आवश्यक सामग्री की व्यवस्था की गई है। अधिकारियों व कर्मचारियों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। मॉक ड्रिल भी समस-समय पर आयोजित की जाती है।

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