उत्तराखंडः ईवीएम छेड़छाड़ के डर से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मिला सचेत रहने का आदेश

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिए सभी को 10 मार्च का इंतजार है। लेकिन राजनीतिक दलों ने अभी से गुणा भाग लगाना शुरू कर दिया है। इस बीच कांग्रेस को ईवीएम से छेड़छाड़ का डर सता रहा है। इसलिए गणेश गोदियाल औऱ हरीश रावत ने कार्यकर्ताओं को सचेत रहने को कहा है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने फेसबुक पर सभी कार्यकर्ताओं के लिए लिखा है कि सभी जिला अध्यक्ष औऱ कार्यकर्ता अपने अपने क्षेत्र में ईवीएम की निगरानी करें। गोदियाल ने पार्टी के सभी जिलाध्यक्षों और उम्मीदवारों से अपील करते हुए कहा कि परिणाम वाले दिन यानी दस मार्च तक स्ट्रांगरूम व मतगणना स्थलों की निगरानी करें। गोदियाल की पोस्ट के कई मायने समझे जा रहे हैं। पार्टी के जिलाध्यक्ष और कांग्रेस उम्मीदवारों की बैचेनी भी इससे बढ़ चुकी है। पदाधिकारी स्ट्रांग रूम की सुरक्षा को लेकर अपने स्तर से निगरानी बढ़ाने की तैयारी करने लगे हैं।

30 सितम्बर तक सभी 13 जिलों में आयोजित होंगे 240 शिविर, मौके पर होगा आवेदनों का निस्तारण


अगले 30 दिनों में राज्य में स्वरोजगार से जुड़ी योजनाओं के निर्धारित लक्ष्यों को समय से पूरे करने का काम अभियान के रूप में चलेगा। युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने और उनकी विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए सभी जनपदों में ’स्वरोजगार शिविर’ लगाये जायेंगे। इन शिविरों में जिला स्तरीय अधिकारी एवं बैंक के अधिकारी स्वरोजगार से जुड़ी योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही मौके पर ही आवेदकों की समस्याओं का समाधान करेंगे। इस माह 30 सितम्बर से पहले ये शिविर आयोजित कर लिए जाऐंगे। शिविरों के आयोजन का रोस्टर सभी जिलों के मुख्य विकास अधिकारियों ने शासन को उपलब्ध करवा दिया है।

प्रदेश में स्वरोजगार की योजनाओं के आवेदनों के निस्तारण के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार पूरे प्रदेश में कार्यवाही शुरू हो गई है। प्रदेश के सभी 13 जिलों में 30 सितम्बर से पहले स्वरोजगार शिविर आयोजित होंगे। बीते 5 अगस्त को समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वरोजगार योजनाओं के जुड़े आवेदकों के ऋण की प्रक्रिया यथाशीघ्र पूरी करने के निर्देश दिए थे। उनके निर्देश के बाद सभी जनपदों में विकासखंड स्तर पर स्वरोजगार शिविरों के आोजन का रोस्टर तैयार कर लिया गया है। इसके तहत अलग- अलग स्थानों में अल्मोड़ा जनपद में 45, उत्तरकाशी में 11, चमोली में 9, देहरादून में 16, टिहरी गढ़वाल में 9, पौड़ी गढ़वाल में 15 तथा जनपद रुद्रप्रयाग में 7 स्वरोजगार शिविरों का आयोजन किया जाएगा।

इसके अलावा जनपद उधमसिंहनगर में 11, पिथौरागढ़ में 21, बागेश्वर में 16, हरिद्वार में 13, नैनीताल 28 और चंपावत में 39 स्वरोजगार शिविर लगेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वरोजगार से जुड़ी योजनाओं के निर्धारित लक्ष्यों को समय से पूरे करने के निर्देश आधिकारियों को दिए हैं। उनका कहना है कि सरकारी नौकरियां सीमित होने के कारण स्वरोजगार से आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त होगा। खासकर पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड स्वरोजगार से ही आर्थिक समृद्धि की ओर आगे बढ़ सकता है।

सीएम तीरथ सिंह रावत ने शाही स्नान पर पहुंचे श्रद्धालुओं का पुष्पवर्षा कर किया स्वागत, लिया संतो का आर्शीवाद

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने आज हरिद्वार में हर की पैड़ी पहुंचकर मां गंगा से प्रदेशवासियों की खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामना की।

इस अवसर पर शाही स्नान के लिए मां गंगा के तट पर आए साधु-संतों और श्रद्धालुओं का मुख्यमंत्री ने स्वागत किया। इस अवसर पर श्री गंगा सभा के पदाधिकारियों ने भी मुख्यमंत्री का गंगाजली, प्रसाद और चुनरी भेंट कर स्वागत किया।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सभी साधु-संतों का आभार माना। मुख्यमंत्री ने कहा कि महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर मां गंगा में शाही स्नान करने के लिए श्रद्धालु रात से ही जुटने लगे थे। जनता की सुविधा के लिए हमारी सरकार ने सभी इंतजाम कर रखे हैं। कई श्रद्धालुओं ने अलसुबह स्नान किया और वे सुरक्षित अपने घरों को लौटे। इसके पश्चात अखाड़े के साधु-संतों का स्नान शुरू हुआ और सभी ने शांतिपूर्ण तरीके से स्नान किया। सभी अखाड़े के साधु संतों का स्नान होने के पश्चात फिर जनता ने स्नान किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभ में जनता के लिए कोई भी रोक-टोक नहीं है, किसी से भी सख्ती नहीं की जाएगी। उन्होंने जनता से निवेदन किया कि कोविड-19 से बचाव की गाइडलाइन का पालन करने के साथ ही मास्क पहनने व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज कुंभ का प्रथम शाही स्नान है। इसे विशेष बनाने के लिए सभी साधु-संतों का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि सभी साधु-संत काफी खुश नजर आ रहे हैं साथ ही प्रशासन भी जनता की समस्याएं दूर करने के लिए मुस्तैदी से लगा है। उन्होंने कहा कि दिव्य, भव्य और सुरक्षित कुंभ के आयोजन के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।

उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ली पद व गोपनीयता की शपथ

उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत ने पद व गोपनीयता की शपथ ग्रहण की। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राजभवन में उन्हें शपथ दिलाई। तीरथ छात्र राजनीति से ही सक्रिय रहे हैं। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद खंडूरी के सबसे करीबी लोगों में शामिल तीरथ सिंह को 2012 के विधानसभा में चुनाव में चैबट्टाखाल सीट से मैदान में उतारा गया, जहां उन्होंने जीत हासिल की। फरवरी 2013 में उन्हें पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई और 2015 में उन्हें प्रदेश की राजनीति से हटाकर राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व दे दिया गया।

एक नजर में तीरथ सिंह रावत

पिता का नामः कमल सिंह रावत
जन्मतिथिः नौ अप्रैल 1964
निवासीः ग्राम सीरों, पट्टी असवालस्यूं, पौड़ी गढ़वाल।
शिक्षाः हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र में परास्नातक।

राजनीतिक सफर

1983 से 1988 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे। उसके बाद अभाविप के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री, गढ़वाल विवि में छात्र संघ अध्यक्ष व छात्र संघ मोर्चा (उत्तर प्रदेश) में प्रदेश उपाध्यक्ष रहे। भाजयुमो (उत्तर प्रदेश) के प्रदेश उपाध्यक्ष व राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे।

1997 में पहली बाद उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित।
2000 में राज्य गठन के बाद उत्तराखंड की अंतरिम सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री का दायित्व।
2007 में भाजपा के प्रांतीय महामंत्री बने।
2012 के विस चुनाव में चैबट्टाखाल से जीत हासिल की।
2013 में उत्तराखंड दैवीय आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष रहे।
वर्ष 2013 में ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।

पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद खंडूरी के सबसे करीबी लोगों में शामिल तीरथ सिंह को 2012 के विधानसभा में चुनाव में चैबट्टाखाल सीट से मैदान में उतारा गया, जहां उन्होंने जीत हासिल की। फरवरी 2013 में उन्हें पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई और 2015 में उन्हें प्रदेश की राजनीति से हटाकर राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व दे दिया गया।

मैंने कभी भी यहां पहुंचने की कल्पना नहीं की

उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि मुझ पर भरोसा करने के लिए लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी चीफ का धन्यवाद करता हूं। मैं पार्टी का ऐसा कार्यकर्ता हूं जो एक छोटे गांव से आता है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं यहां पहुंचूंगा। मैं जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की कोशिश करुंगा।

जानिए तीरथ सिंह रावत के बारे में खास बातें…
राज्य के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत 2000 में उत्तराखण्ड के प्रथम शिक्षा मंत्री चुने गए थे।
वर्ष 1997 में वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य के सदस्य निर्वाचित हुए।
इसके बाद 2007 में उत्तराखण्ड के प्रदेश महामंत्री चुने गए थे। उसके बाद वह उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं।
वर्तमान में तीरथ सिंह रावत भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के साथ साथ गढ़वाल लोकसभा से सांसद भी हैं।
पौड़ी सीट से भाजपा के उम्मीदवार के अतिरिक्त 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रभारी भी बनाया गया था।
तीरथ ने गढ़वाल विवि के बिड़ला परिसर श्रीनगर से छात्र राजनीति शुरू की।
वर्ष 1992 में वह सबसे पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से गढ़वाल विवि बिड़ला परिसर श्रीनगर के छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े और जीते।
इसके बाद वे अभाविप के प्रदेश संगठन मंत्री, भाजयुमो में प्रदेश उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रहे।
2019 के लोकसभा चुनाव में तीरथ ने गढ़वाल संसदीय सीट से संसदीय राजनीति में पहला कदम रखा था।
पौड़ी-गढ़वाल सीट पर भाजपा प्रत्याशी तीरथ सिंह रावत ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी मनीष खंडूड़ी को हराया था। तीरथ को 506980 और मनीष खंडूरी को 204311 वोट मिले थे।
वर्ष 2012 में विधानसभा चैबट्टाखाल से विधायक चुने जाने के बाद वर्ष 2013 में उन्हें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया।
वर्ष 2017 में सिटिंग विधायक होते हुए टिकट कटने के बाद पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी सौंपी।
वर्तमान में तीरथ हिमाचल प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। रामजन्मभूमि आंदोलन में दो माह तक जेल में रहे तीरथ ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
नवनिर्वाचित गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश अध्यक्ष, प्रभारी और प्रत्याशी के रुप में शत-प्रतिशत परिणाम दिए।
तीरथ को 2013 में भाजपा के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में गईं।
लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी ने तीरथ को गढ़वाल सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के साथ ही हिमाचल प्रदेश के प्रभारी का दायित्व भी सौंपा।
उन्होंने अपनी जीत के साथ हिमाचल प्रदेश की चारों सीटें जिताकर पार्टी में खुद के कद को और मजबूत किया।

त्रिवेंद्र के खिलाफ षड्यंत्रकारी फिर हुए बेनकाब

देहरादून। उत्तराखंड राज्य बने हुए 20 वर्ष गुजर गए। मगर, राजनीति के मामले में यहां कभी स्थिरता नहीं ठहरती है। पुराना रिकाॅर्ड खंगाला जाए तो यह साफ तौर पर सामने आ जाता है कि जब भी किसी भी पार्टी का मुख्यमंत्री बना है, उसे हटाने के नित नए षड्यंत्र गढ़े जाते है। किसी न किसी बहाने राजनीतिक चर्चाएं गर्म रहती है, ताकि सरकार को अस्थिर किया जा सके। इस बार भी ऐसा ही देखने को मिला। जब तेजी से सोशल मीडिया और कुछ चैनलों में प्रायोजित खबरे चलाई गई कि सीएम त्रिवेंद्र बदले जा सकते है। मगर, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हर बार की ही तरह इस बार भी विरोधियों को पराजित कर दिया।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भले ही गली-गली में जाकर भुट्टे न खाते हो, किसी दुकान पर जाकर जलेबी न खाते हो। मगर, वह कभी अपने लोगों को झूठे वादे करके बेवकूफ नहीं बनाते है। सीएम की छवि बेहद ही सरल और स्पष्टवादी रही है। शायद यही कारण है कि कुछ लोग उन्हें पसन्द न भी करते हों। इसके बावजूद सीएम त्रिवेंद्र अपनी माटी और राज्य के विकास के लिए वचनबद्ध है। जब से त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीएम का पद ग्रहण किया है। तभी से उनके विरोधी उन्हें सत्ता से बाहर करने में लगे हुए है। जिसके लिए समय-समय पर ऐसी अफवाहें चलाई जाती रही है, की सीएम अब हटे तब हटे। अब जबकि त्रिवेंद्र सरकर अपने चार साल पूरे करने जा रही है और एनडी तिवारी के बाद त्रिवेंद्र ही ऐसे सीएम होंगे। जो पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे, तब फिर से ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होने जा रहा है। जो कि शर्मनाक है।

अब उत्तराखंड की जनता भी समझ चुकी है कि राज्य में प्रचंड बहुमत की त्रिवेंद्र सरकार ही मजबूत नेतृत्व दे सकती है। बीते रोज देहरादून में केवल कोर ग्रुप की बैठक आयोजित हुई, जिस पर त्रिवेंद्र के विरोधी सक्रिय हुए और खूब अफवाहें फैलाई गई। लेकिन फिर वही हुआ, जो इन 4 सालों में हुआ, त्रिवेंद्र अजेय है और उनके विरोधी पस्त है। अजेय त्रिवेंद्र फिर से राज्य में भाजपा की सरकार बनाने जा रहे है।

उत्तराखंड को मिला अवार्ड आफ एक्सीलेंस

उत्तराखण्ड को 18 वें सीएसआई एसआईजी ई-गवर्नेस अवार्ड 2020 दिया गया है। यह अवार्ड उत्तराखण्ड को राज्यों की श्रेणी में ई-मंत्रीमंडल के लिए दिया गया है। लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने उत्तराखण्ड को ई-मंत्रीमंडल और उत्तराखण्ड ऑडिट मैनेजमेंट के लिये पुरस्कार प्रदान किये। उत्तराखण्ड की ओर से यह पुरस्कार एनआईसी के एसआईओ के0नारायण तथा संयुक्त सचिव गोपन विभाग ओमकार सिंह ने यह पुरस्कार प्राप्त किये।

उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रविन्द्र जैसवाल, उप-सचिव गोपन विभाग अजीत सिंह एवं उत्तराखंड ऑडिट मैनेजमेंट सिस्टम टीम के रजत मेहरा, नोडल ऑफिसर, ऑडिट सेल उत्तराखंड, तकनीकी निदेशक, एनआईसी नरेन्दर सिंह नेगी उपस्थित थे।

ज्ञातव्य है कि नॉन-प्रोफिट सोसायटी सीएसआई ई गवर्नेस में विभिन्न श्रेणियों में बेहतर कार्य के लिए अवार्ड देती है। उत्तराखण्ड में ई-कैबिनेट की पहल को ई-गवर्नेस की दिशा में बङा कदम मानते हुए अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया है। संस्था द्वारा इसे बेस्ट प्रेक्टीसेज के अंतर्गत अन्य राज्यों के साथ भी साझा किया गया।

उत्तराखण्ड को यह पुरस्कार प्राप्त होने पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गोपन विभाग एवं एनआईसी के अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि गुड गवर्नेस के लिए ई-गवर्नेस बहुत जरूर है। ई-कैबिनेट, ई-ऑफिस, ई-डिस्ट्रिक्ट, सीएम हेल्पलाईन आदि महत्वपूर्ण पहल हैं। कोशिश है कि लोगों को सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक लाभ मिले।

इस अवसर पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने भी ने गोपन विभाग एवं एनआईसी के अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि ई-कैबिनेट की पहल करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है। उत्तराखण्ड में ई-कैबिनेट के मॉडल पर दूसरे राज्यों में भी विचार किया जा रहा है। सचिवालय के लगभग सभी अनुभागों में ई-ऑफिस प्रारंभ किया जा चुका है। सूचना तकनीक के प्रयोग से प्रशासनिक कार्यकुशलता में सुधार हुआ है।

ऋषिकेश की प्रतिभावान कात्यायनी व शिल्पा हुई सम्मानित

उत्तराखंड की प्रतिभाओं को आगे लाने के साथ-साथ उनको सम्मानित कर प्रोत्साहित करने की परंपरा को जारी रखते हुए अतंर्राष्ट्रीय गढ़वाल महासभा ने दिल्ली में जज बनकर देवभूमि को गौरवान्वित करने वाली कात्यायनी शर्मा कंडवाल को सम्मानित किया। उधर ऋषिकेश की बेटी शिल्पा भाटिया के सांख्यिकी अधिकारी बनने पर उसका भी महासभा की और से अभिनंदन किया गया।

महासभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी के नेतृत्व में महासभा से जुड़े पदाधिकारियों ने देहरादून रोड स्थित शिल्पा भाटिया के आवास पर जाकर उसकी सफलता पर उनका अभिनंदन किया गया।इस अवसर पर डॉ नेगी ने कहा कि अर्थ एवं सांख्यिकी अधिकारी पद के लिए आयोजित परीक्षा में सफलता हासिल कर योग नगरी की होनहार बेटी शिल्पा ने देवभूमि का नाम रोशन किया है। इस मौके पर उन्होंने शिल्पा की मां श्रीमती नीलम भाटिया के संघर्षों को भी सलाम किया।इससे पूर्व महासभा के पद्दाधिकारी प्रगति विहार स्थित भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष कुसुम कंडवाल के आवास पर पहुंचे जहां उनकी पुत्रवधू कात्यायनी शर्मा कंडवाल के दिल्ली में जज बनने पर महासभा की ओर से उन्हें शॉल ओढ़ाकर एवं माता रानी के चित्र को भेंटकर सम्मानित किया गया। इस अवसर डॉ शशी कंडवाल, मीनाक्षी भाटिया, उत्तम सिंह असवाल, अंकित नैथानी, मयंक भट्ट, मनोज रौतेला आदि उपस्थित थे।

कर्नल सीएम नौटियाल की पुस्तकों का सीएम ने किया विमोचन

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में कर्नल सी.एम. नौटियाल द्वारा लिखित पुस्तकों ‘सतीत्व का श्राप’ एवं ‘ अनुबंध ’ का विमोचन किया।

मुख्यमंत्री ने लेखक के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि समाज को सही राह दिखाना लेखकों एवं साहित्यकारों का दायित्व होता है। इन पुस्तकों में कर्नल नौटियाल ने सतीत्व का श्राप पुस्तक में जहां एक ओर समाज में व्याप्त कुरीतियों को सामने लाने का प्रयास किया है वही यह भी सन्देश देने का प्रयास किया है कि समाजिकता के विरूद्व मनुष्य चाहे अपने किये गये अपराधों को कितना भी छिपाने का प्रयास करें, पीड़ित की अन्तर्रात्मा को पहुंची ठेस का प्रतिफल अपराधी को अवश्य मिलता है। ‘अनुबंध’ उपन्वास में भी लेखक ने मानवीय संवेदनाओं एवं सम्बन्धों को अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई आपदा के दंशों का मानवता पर पड़ने वाले प्रभावों को भी इसमें निरूपित किया गया है।

पुस्तक के लेखक कर्नल सी.एम. नौटियाल ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए पुस्तकों के बारे में जानकारी दी।

सीएम ने मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना का किया शुभारंभ

सोलर फार्मिंग द्वारा स्वरोजगार के लिए उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना का विधिवत शुभारम्भ हो गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार मे आयेजित कार्यक्रम में योजना का शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचलित इस योजना में 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जाएंगी। प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी अनुमन्य होंगे।
बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका, जिलाधिकारी बैंकों से समन्वय बनाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंकों की इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखें। स्वरोजगार योजनाओं को सकारात्मक तरीके से लिए जाने की जरूरत है। डीएलसीसी बैठकों में स्वरोजगार योजनाओं की समीक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता से हो। हम सभी का दायित्व है कि युवा बिना किसी परेशानी के स्वरोजगार योजनाओं से लाभ उठा सकें।
भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक समय न लगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के आवेदन की प्रक्रिया को सरलतम रखा जाए। भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। जो टार्गेट तय किए जाते हैं, वे निर्धारित समयावधि में जरूर पूरे हो जाने चाहिए। संबंधित अधिकारी योजना के प्रति पूरी तरह से समर्पित होकर काम करें। कोविड के कारण व्यर्थ चले गए चार माह की भरपाई अगले आठ माह में करनी है। इसलिए दोगुनी ऊर्जा से काम करना होगा।
स्वरोजगार और हरित ऊर्जा का उत्पादन मुख्य उद्देश्य
सचिव ऊर्जा राधिका झा ने बताया कि प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना, योजना का लक्ष्य है। इसमें 25 किलोवाट क्षमता के ही सोलर प्लांट अनुमन्य किए जाएंगे। राज्य के स्थाई निवासी अपनी निजी भूमि या लीज पर भूमि लेकर सोलर पावर प्लांट की स्थापना कर सकते हैं।
इटीग्रेटेड फार्मिंग से होगी आय
इंटीग्रेटेड फार्मिंग की इस योजना में सोलर पैनल लगाने के साथ उसी भूमि पर मौन पालन, फल, सब्जी और जड़ी-बूटी आदि का उत्पादन भी किया जा सकता है। संयंत्र स्थापित की जाने वाली भूमि पर जलवायु आधारित औषधीय और स्कन्ध पादपों के बीज निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना में 10 हजार परियोजनाएं पात्र आवेदकों को आवंटित किए जाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए वर्षवार और जिलावार लक्ष्यां का निर्धारण एमएसएमई के सहयोग से किया जा रहा है। इसमें एमएसएमई की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत अनुमन्य अनुदान और मार्जिन मनी व लाभ मिल सकेंगे। एमएसएमई के आनलाईन पोर्टल के माध्यम से इच्छुक पात्र व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। इसमें शैक्षिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं होगी। योजना का क्रियान्वयन उरेडा द्वारा किया जाएगा।
परियोजना के तकनीकी मानक
तकनीकी मानकों की जानकारी देते हुए बताया गया कि 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र आवंटित किए जाएंगे। इसके लिए लगभग 1.5 से 2 नाली भूमि की आवश्यकता होगी। 40 हजार रूपए प्रति किलोवाट की दर से कुल लागत लगभग 10 लाख रूपए सम्भावित है। राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है। योजना के अंतर्गत आवंटित परियेजना से उत्पादित बिजली को यूपीसीएल द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (पीपीए) किया जाएगा।
यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध
लाभार्थी सहकारी या किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण ले सकता है। सहकारी बैंक द्वारा इस योजना के लिए 8 प्रतिशत की ब्याज दर पर 15 वर्षों के लिए ऋण दिया जाएगा। चयनित लाभार्थी को अपनी भूमि के भू-परिवर्तन के बाद मोर्टगेज करने के लिए लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। तकनीकी समिति द्वारा उपयुक्त पाए गए आवेदकों को परियोजना का आवंटन जिला स्तर पर करने के लिए जिलाधिकरी की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है। पूरी प्रक्रिया में समय सीमा का विशेष ध्यान रखा गया है। परियोजना आवंटन पत्र मिलने के बाद लाभार्थी द्वारा यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध किया जाएगा। लाभार्थी द्वारा परियेजना आवंटन पत्र, यूपीसीएल के साथ अनुबंध की प्रति, और अन्य आवश्यक अभिलेख जमा कराने के सात दिन के भीतर महाप्रबंधक, जिला उद्योग संबंधित बैंक शाखा को अग्रसारित कर देंगे। इसके 15 दिनों के भीतर बैंक शाखा से स्वीकृति या अस्वीकृति सूचना लाभार्थी को बता दी जाएगी।

अटल टनल का उद्धाटन कर बोले पीएम, पहाड़ के लोगों को पता है दूरी कम होने का मतलब

हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी विश्व की सबसे लंबी सुरंग अटल टनल का शुभारंभ किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टनल का उद्धाटन करते हुए इसे ऐतिहासिक बताया। कहा कि दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। मेरा सौभाग्य है कि अटल टनल का उद्धाटन करने का अवसर उन्हें प्राप्त हुआ है। हिमाचल प्रदेशों के करोड़ों लोगों के साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी का भी सपना साकार हुआ है।

बता दें कि अटल सुरंग दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। इसकी लंबाई 9.02 किलोमीटर है जो मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ेगी। इससे पहले यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग छह महीने तक संपर्क से कटी रहती थी। मगर अब हर मौसम में सफर जारी रहेगा। इस सुरंग से मनाली और लेह के बीच की पीएम मोदी ने कहा कि अटल टनल लेह, लद्दाख की लाइफ लाइन बनेगी। लेह-लद्दाख के किसानों और युवाओं के लिए भी अब देश की राजधानी दिल्ली और दूसरे बाजारों तक पहुंच आसान हो जाएगी। इस अटल टनल से मनाली और केलॉन्ग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी। पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है।

…तो 2040 में पूरा होता टनल का काम
पीएम मोदी ने आगे कहा कि साल 2002 में अटल ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था। अटल सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया। हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था। एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती।

हमने 26 साल का काम छह साल में किया
प्रधानमंत्री बोले, अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई। नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई। सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया।

इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने फीता काटकर सुरंग का उद्घाटन किया। मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग आदि उपस्थित थे।

एक नजर अटल सुरंग पर…
अटल सुरंग को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। मोदी सरकार ने दिसम्बर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था, जिनका निधन पिछले वर्ष हो गया।

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