कोर्ट ने लापरवाही से वाहन चलाने के आरोपी को साक्ष्यों के अभाव में किया बरी

न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश ने लापरवाही से वाहन चलाने के सात सात पुराने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए आरोपी को साक्ष्यों के विरोधाभास होने पर दोषमुक्त किया है। मामला वर्ष 2015 का है जो थाना रायवाला में दर्ज किया गया था।

रायवाला पुलिस ने कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में बताया कि 20 अगस्त 2015 को शिकायर्ती महिला अनिता उनियाल ने तहरीर दी। बताया कि उनके पति अकेले अपनी मोटरसाइकिल यूके014-9465 से ऋषिकेश से रायवाला की ओर जा रहे थे। आरोप लगाया कि विपरीत दिशा से छोटा हाथी आया और उनके पति को जोरदार टक्कर मारकर भाग गया। उनके पति को राजकीय चिकित्सालय ले जाया गया। इस मामले में पुलिस ने लापरवाही से वाहन चलाने पर विनोद पुत्र रामसेवक पर लापरवाही से वाहन चलाने सहित कई अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।

मामले में पीड़ित पक्ष के पति गिरीश चंद उनियाल की 23 अगस्त 2015 को अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी।

अधिवक्ता पवन शर्मा ने न्यायालय को इस मामले में विभिन्न तर्क दिए।
1. बताया कि पुलिस द्वारा मौके पर जो नक्शा नजरी बनाई गई, वह चश्मदीनों की मौजूदगी के बजाए वादिनी की मौजूदगी में बनी है, जबकि वादिनी घटना के वक्त अपने मृतक पति के साथ नहीं थी। लिहाजा उन्हें घटनास्थल की सही से जानकारी न होने के कारण पुलिस का नक्शा नजरी बनाना संदेहापरक है।
2. अधिवक्ता ने न्यायालय को यह भी बताया कि आरोपी विनोद पुत्र रामसेवक 20 अगस्त 2015 को न ही वाहन चला रहा था और न ही घटना स्थल पर मौजूद था, ऐसे में पुलिस द्वारा यह कहना कि विनोद द्वारा लापरवाही से वाहन चलाना गलत है।
3. अधिवक्ता ने न्यायालय को यह भी बताया कि वादिनी की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों में विरोधाभास है, दरअसल जिन्हें पुलिस चश्मदीन गवाह बता रही है, उन सभी ने अपने बयानों में घटना होते देखने से स्वीकार नहीं किया है।
वहीं, न्यायिक मजिस्ट्रेट उर्वशी रावत ने तमाम दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने माना कि अभियोजन पक्ष की ओर से जो साक्ष्य प्रस्तुत किए गए, उन सभी में विरोधाभास है। अतः न्यायालय ने मजबूत सबूतों के अभाव में आरोपी विनोद पुत्र रामसेवक निवासी चंद्रेश्वर नगर धोबीघाट को दोषमुक्त किया है।

उत्तराखंड की पहली महिला स्पीकर बनेंगी ऋतु खंडूडी भूषण, आज नामांकन किया दाखिल

राज्य की पांचवीं विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष पद पर गुरुवार को बीजेपी से कोटद्वार विधायक ऋतु खंडूडी भूषण ने नामांकन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर धामी, कैबिनेट मंत्रियों में प्रेमचंद अग्रवाल, सुबोध उनियाल, रेखा आर्य सहित कई विधायक मौजूद थे।

कोटद्वार विधानसभा से विधायक ऋतु खंडूडी भूषण ने उत्तराखंड विधानसभा के इतिहास में पहली महिला प्रत्याशी के रूप में विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए नामांकन भरा। विधानसभा सचिव के कार्यालय में नामांकन प्रक्रिया पूर्ण की गई। बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए 24 एवं 25 मार्च नामांकन की तिथि रखी गई है जबकि 26 मार्च को सदन में विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचन किया जाएगाद्य इस दौरान मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों और विधायकों द्वारा ऋतु खंडूडी भूषण को बधाई एवं शुभकामनाएं दी गई।

नामांकन के दौरान प्रस्तावक में खजान दास, मुन्ना सिंह चौहान, सरिता आर्या, दुर्गेश लाल, चंदन राम दास, प्रमोद नैनवाल, सविता कपूर, उमेश शर्मा, विनोद कंडारी, महेश जीना, भरत चौधरी, भोपाल राम टम्टा, बिशन सिंह चुफाल, सतपाल महाराज, मदन कौशिक, कैलाश चंद्र गहतोडी मौजूद रहे।
वहीं समर्थक में सुरेश गढ़िया, बृज भूषण गैरोला, राम सिंह केड़ा, शैला रानी, सुरेश चौहान, मोहन सिंह बिष्ट, शक्ति लाल, रेणु बिष्ट, शिव अरोड़ा, अनिल नौटियाल, सौरभ बहुगुणा, रेखा आर्य, सुबोध उनियाल, दीवान सिंह बिष्ट मौजूद रहे।

नामांकन भरने के बाद ऋतु खंडूडी भूषण ने केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि उत्तराखंड राज्य में महिलाओं के सम्मान करते हुए विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए उन्हें प्रत्याशी बनाया गया। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद वह प्रदेश की जनता की अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य करेंगी साथ ही सदन की संसदीय परंपराओं के निर्वहन के लिए प्रतिबद्ध रहेंगी। उन्होनें कहा की वह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करेंगे। साथ ही पद की गरिमा का पालन करेंगी।

विश्व क्षय दिवस पर एमआईटी में राष्ट्रीय क्विज प्रतियोगिता का हुआ आयोजन

ढालवाला स्थित मॉडर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में विज्ञान विभाग और आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में विश्व क्षय दिवस पर ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता आयोजित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत संस्थान निदेशक रवि जुयाल, कोआर्डिनेटर आईक्यूएसी प्रो. ज्योति जुयाल, विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. कौशल्या डंगवाल, कार्यक्रम समन्वयक डा. सुनील कुमार सिंह, उप समन्वयक डा. माधुरी कौशिश ने संयुक्त रूप से किया।

कहा कि तपेदिक या ट्यूबरकुलोसिस एक संक्रामकबीमारी है, यदि इसे प्रारंभिक अवस्था में नहीं रोका गया तो यह जानलेवा साबित हो सकती है। यह रोग एक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है, जो मनुष्यों के फेफड़ों के साथ-साथ हड्डियों, आंतों, मूत्र तथा प्रजनन अंगों पर बुरा असर डालता है। ये बीमारी भी कोरोना के जैसे ही फैलती है। विभिन्न प्रकार की औषधियों से इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इस क्विज़ में देशभर से 175 से अधिक प्रतियोगियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में डा. कमलेश कुमार भटट, डा. अनिता पांडेय, अश्विनी कुमार, शुभम ग्वाड़ी आदि शामिल रहे।

जन विकास मंच ने सीएम को भेजा ज्ञापन, यह रखी अहम मांग

उत्तराखंड जन विकास मंच के कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जिलाधिकारी के माध्यम से चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग उत्तराखंड में समूह ‘ग’ के अंतर्गत स्वास्थ्य कार्यकर्ता (महिला) के रिक्त पदों पर 2018 में आवेदन कर चुके अभ्यर्थियों को भी वन टाइम रिलैक्सेशन दिए जाने हेतु ज्ञापन प्रेषित किया।

मंच के अध्यक्ष आशुतोष शर्मा ने कहा कि सन 2018 में हजारों की संख्या में स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिला आवेदन किया था परंतु उस पर परीक्षा ना हो पाई और विज्ञप्ति रद्द हो गई पुनः सन 2022 में नई विज्ञप्ति में 824 पद आए परंतु आयु सीमा अधिक होने के कारण पूर्व में आवेदन करे हुए अभ्यर्थी आवेदन करने योग्य नहीं रह गए हैं अतः आपसे निवेदन है कि जनहित में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को एक अतिरिक्त अवसर प्रदान किया जाए

ज्ञापन देने वालों में अधिवक्ता राकेश थपलियाल, अधिवक्ता चंदन सिंह राणा, अधिवक्ता अजय ठाकुर आदि उपस्थित रहे।

कैबिनेट में सीएम को भाजपा संगठन ने सौंपा दृष्टि पत्र

देहरादून। धामी सरकार की पहली केबिनेट के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी संगठन ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सरकार का दृष्टि पत्र सौंपा।

प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक तथा प्रदेश महामन्त्री संगठन अजेय कुमार ने सीएम को दृष्टि पत्र सौंपा। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि जनता ने भाजपा और भाजपा के दृष्टि पत्र पर भरोसा किया है और सरकार उस पर पूरी तरह से खरी उतरेगी। उन्होंने कहा कि युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व मे मंत्रिमंडल के सदस्य राज्य को तरक्की की दिशा मे ले जाने के लिए अधिक ऊर्जा से कार्य करेंगे। इस अवसर पर प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट मंत्री मंडल के सभी सदस्य उपस्थित रहे।

कैबिनेट के बाद सीएम धामी ने की प्रेसवार्ता, लिए फैसलों की दी जानकारी

उत्तराखण्ड सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाई जाएगी। कैबिनेट बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह जानकारी दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड हमारे भारत का एक ऐसा जीवंत राज्य है जिसकी संस्कृति और विरासत सदियों से भारतीय सभ्यता के मूल में समाहित रही है। भारतीय जनमानस के लिए उत्तराखंड एक देवभूमि है, जो कि हमारे वेदों-पुराणों, ऋषियों-मनीषियों के ज्ञान और आध्यात्म का केंद्र रही है। भारत के कोने कोने से लोग बड़ी आस्था और भक्ति के साथ उत्तराखंड आते है। इसलिए उत्तराखंड की सांस्कृतिक – आध्यात्मिक विरासत की रक्षा अहम है। 130 करोड़ लोगों की आस्था का केंद्र माँ गंगा का उद्गम स्थल भी उत्तराखंड ही है। भारत का मुकुट हिमालय, और उसकी कोख में पनपती प्रकृति उत्तराखंड की धरोहर हैं। इसलिए उत्तराखंड में पर्यावरण की रक्षा भी अहम है।

उत्तराखंड देश के लिए सामरिक दृष्टि से भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है। दो देशों की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा होने के कारण भारत के लिए इस राज्य का भौगोलिक और रणनीतिक महत्व काफी बढ़ जाता है। इसलिए राष्ट्ररक्षा के लिए भी उत्तराखंड की भूमिका अहम है।

उत्तराखंड के नागरिकों का भारतीय सेनाओं के साथ एक लंबा और गौरवशाली संबंध रहा है। यहाँ के लोगों ने पीढ़ी दर पीढ़ी अपने आपको देश की सुरक्षा के लिए समर्पित किया है। इस धरती के कितने ही वीर सपूतों ने देश के लिए अपने सर्वाेच्च बलिदान दिये हैं। यहाँ लगभग हर परिवार से कोई पिता, कोई बेटा, कोई बेटी देश के किसी न किसी हिस्से में हमारी सेनाओं के माध्यम से मातृभूमि की सेवा में जुटा है।

उत्तराखंड की सांस्कृतिक आध्यात्मिक विरासत की रक्षा, यहाँ के पर्यावरण की रक्षा और राष्ट्र रक्षा के लिये उत्तराखंड की सीमाओं की रक्षा ये तीनो ही आज उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए अहम है। इस दृष्टि से नई सरकार ने अपने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद पहली कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया कि न्यायविदों, सेवानिवृत्त जजों, समाज के प्रबुद्ध जनो और अन्य स्टेकहोल्डर्स की एक कमेटी गठित करेगी जो कि उत्तराखंड राज्य के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करेगी। इस यूनिफॉर्म सिविल कोड का दायरा विवाह-तलाक, ज़मीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिये समान क़ानून चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों, होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ये यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम होगा और संविधान की भावना को मूर्त रूप देगा। ये भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 की दिशा में भी एक प्रभावी कदम होगा, जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की संकल्पना प्रस्तुत करता है। सर्वाेच्च न्यायालय ने भी समय-समय पर इसे लागू करने पर ज़ोर दिया है। साथ ही, इस महत्वपूर्ण निर्णय में हमें गोवा राज्य से भी प्रेरणा मिलेगी, जिसने एक प्रकार का यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करके देश में एक उदाहरण पेश किया है।

उत्तराखंड में जल्द से जल्द यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने से राज्य के सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों को बल मिलेगा। इससे राज्य में सामाजिक समरसता बढ़ेगी, जेंडर जस्टिस को बढ़ावा मिलेगा, महिला सशक्तिकरण को ताकत मिलेगी, और साथ ही देवभूमि की असाधारण सांस्कृतिक आध्यात्मिक पहचान को, यहाँ के पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी मदद मिलेगी। उत्तराखंड का यूनिफॉर्म सिविल कोड दूसरे राज्यों के लिए भी एक उदाहरण के रूप में सामने आएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उपरोक्त पृष्ठभूमि में उदेश्य को प्राप्त करने के लिए उत्तराखण्ड राज्य में रहने वाले सभी नागरिकों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को नियंत्रित करने वाले सभी प्रासंगिक कानूनों की जांच करने और मसौदा कानून या मौजूदा कानून में संशोधन के साथ उस पर रिपोर्ट करने के लिए विवाह, तलाक, सम्पत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार से सम्बंधित लागू कानून और विरासत, गोद लेने और रख रखाव और संरक्षता इत्यादि के लिए एक विशेषज्ञों, वुद्धिजीवियों और हितधारकों की एक समिति मा० उच्चतम न्यायालय / मा० उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश / मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में, गठित करने का प्रस्ताव है। राजपत्र में अधिसूचना के माध्यम से उत्तराखण्ड सरकार उपरोक्तानुसार एक समिति का गठन करेगी जिसमें उसकी संरचना, संदर्भ की शर्तें आदि का भी उल्लेख रहेगा।

मुख्यमंत्री आवास में रहकर धामी ने पुनः सत्ता पाकर तोड़ा मिथक

अब इसे संयोग कहें या फिर उत्‍तराखंड में पीएम मोदी की प्रचंड लहर की भाजपा ने लगातार दोबारा पूर्ण बहुमत प्राप्‍त किया। इस विधानसभा चुनाव में कई मिथक टूटे हैं। जिनमें से एक मिथक यह भी था कि जो भी मुख्‍यमंत्री न्यू कैंट रोड स्थित नए मुख्यमंत्री आवास में रहने आया, वह कुर्सी पर ज्यादा दिन टिक नहीं पाया। हालांकि पुष्‍कर सिंह धामी खटीमा सीट से हार गए थे, लेकिन भाजपा विधायक दल की बैठक में उन्‍हें नेता चुना गया। जिसके बाद आज बुधवार को उन्होंने उत्‍तराखंड के 12वें मुख्‍यमंत्री के रूप में शपथ ली। इसके साथ ही उन्‍होंने सालों से चले आ रहे मुख्यमंत्री आवास के दुभार्ग का मिथक भी तोड़ दिया है।

मुख्‍यमंत्री आवास को लेकर बड़ा मिथक
इस मुख्‍यमंत्री आवास को लेकर बड़ा मिथक जुड़ा हैं। हालांकि पुष्‍कर सिंह धामी इस आवास में रहे। कहा जाता है कि जो भी मुख्‍यमंत्री इस आवास में रहने आया उसे सत्ता गंवानी पड़ी। राज्य गठन से पहले यहां राज्य अतिथि गृह हुआ करता था। राज्य गठन के बाद पहली अंतरिम सरकार में इसे मुख्यमंत्री आवास बना दिया गया। सूबे की पहली सरकार में मुख्यमंत्री रहे नित्यानंद स्वामी और दूसरे मुख्यमंत्री रहे भगत सिंह कोश्यारी ने इसे केवल कैंप कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया था। लेकिन पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त मिली।
कांग्रेस के सत्ता में आने पर पहली सरकार में मुख्यमंत्री बने नारायण दत्त तिवारी इस आवास में पूरे पांच साल रहे। इसके बाद पुराने भवन को ध्वस्त कर नई इमारत बनाने का फैसला लिया गया।

पर्वतीय वास्तुकला के आधार पर बनाई गई इमारत
करोड़ों की लागत से यह इमारत पर्वतीय वास्तुकला के आधार पर बनाई गई। 2007 में भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री बने भुवन चंद्र खंडूड़ी के समय इस भवन का निर्माण कार्य पूरा हुआ। वह अपने परिवार के साथ यहां रहे, लेकिन बीच में ही उन्हें मुख्‍यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद नए मुख्यमंत्री डाक्‍टर रमेश पोखरियाल निशंक भी यहां रहे और उनकी भी कुर्सी चली गई। उनके बाद भाजपा ने फिर से मुख्यमंत्री के रूप में भुवन चंद्र खंडूड़ी को मुख्यमंत्री बनाया। तब भुवन चंद्र खंडूड़ी ने इस आवास को केवल कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया। लेकिन 2012 के चुनाव में भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ी।

हरीश रावत ने इस आवास से बनाई थी दूरी
इसके बाद कांग्रेस सरकार सत्ता में आई और विजय बहुगुणा मुख्‍यमंत्री बनकर इस आवास में पहुंचे। लेकिन दो वर्ष का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही उनकी सत्ता चली गई। इसके बाद मुख्यमंत्री बने हरीश रावत ने इस आवास से दूरी बनाए रखी। लेकिन वर्ष 2017 में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। नए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने अब इस मिथक को तोड़ने के लिए वास्तुशास्त्र का भी सहारा लिया। जब पुष्‍कर सिंह धामी मुख्‍यमंत्री बने तो वह इस आवास में रहने लगे। 2022 के विधानसभा चुनाव में वह अपनी सीट से हार गए, लेकिन मुख्यमंत्री की दौड़ में जीत गए।

विधानसभा अध्यक्ष पद पर रितु खंडूरी का नाम जोरों पर, मगर आधिकारिक पुष्टि नहीं

विधानसभा अध्यक्ष को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज है। कई दिग्गज नेता इस पद को लेकर लॉबिंग में लगे हैं। वहीं सोशल मीडिया में चर्चाओं का माहौल गर्म है कि भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी को विधानसभा स्पीकर बनाए जाने का फैसला किया है। अभी इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। आपको बता दें कि रितु कोटद्वार से विधायक चुनकर आई हैं। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कोटद्वार से उनकी यह जीत कई मायनों में खास रही है। कोटद्वार सीट से चुनाव जीतकर उन्होंने अपने पिता की हार का बदला लिया था।

रितु खंडूरी भूषण ने कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी के खिलाफ 3687 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। रितु दूसरी बार मैदान में उतरीं थीं। 2022 के विधानसभा चुनाव में रितु खंडूरी को बीजेपी ने आखिरी समय पर यमकेश्वर से हटाकर कोटद्वार सीट से प्रत्याशी बनाया था।
कौन है रितु खंडूरी
रितु खंडूरी भूषण का जन्म नैनीताल में 29 जनवरी 1965 को एक फौजी परिवार में हुआ। मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के राधाबल्लभ पुरम गांव निवासी उनके पिता मेजर जनरल (रिटा.) भुवन चंद्र खंडूरी तब एक फौजी ऑफिसर थे। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीतकर वाजपेयी सरकार में मंत्री भी बने।

खंडूरी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी बने और प्रदेश की राजनीति में एक चर्चित नाम रहें। रितु की शुरुआती शिक्षा अपने पिता की फौजी पोस्टिंग के साथ कई स्थानों पर हुई। उन्होंने मेरठ के रघुनाथ गर्ल्स कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। उसके उपरांत उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया और दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लिया। 2006 से 2017 तक उन्होंने नोएडा स्थित एमिटी विश्वविद्यालय में फैकल्टी के रूप में भी कार्य किया। उत्तराखंड की राजनीति में बीसी खंडूरी के बेहद साफ छवि रही है। रितु को भी लोगों को भरपूर प्यार मिला है।

स्पीकर और विस उपाध्यक्ष के पद पर टिकी है मंत्रिमंडल में शामिल न होने वाले विधायकों की नजर

पुष्कर सिंह धामी सरकार की कैबिनेट में शामिल होने से चूक गए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की नजर अब विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर टिक गई है। पार्टी के भीतर इस पद के लिए लॉबिंग की चर्चा भी शुरू हो गई है। दरअसल बुधवार को परेड ग्राउंड में हुए धामी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे तीन नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। जबकि हरिद्वार के विधायक और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी कैबिनेट में जगह पाने में असफल रहे हैं। इसी तरह कोटद्वार में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जीत दर्ज करने वाली विधायक ऋतु खंडूरी को भी मंत्री बनाए जाने की चर्चाएं थी लेकिन उनका नाम भी कैबिनेट में नहीं आ पाया है।

ऐसे में अब पूर्व मंत्री बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल, अरविंद पांडे के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को विधानसभा अध्यक्ष की दौड़ में बताया जा रहा है। भाजपा सूत्रों ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष के लिए अभी तक पार्टी की ओर से कोई भी नाम तय नहीं है। हालांकि एक दो दिन में इस पर तस्वीर साफ होने की उम्मीद है।

विस उपाध्यक्ष के लिए भी कई नाम
मंत्रिमंडल में जगह न पा सकने वाले नेताओं की नजर विधानसभा अध्यक्ष के साथ ही विस उपाध्यक्ष की कुर्सी पर भी है। पार्टी के कई विधायक चौथी, तीसरी और दूसरी बार जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। ऐसे में इन विधायकों को विधानसभा उपाध्यक्ष की कुर्सी मिलने की उम्मीद है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ, राजपुर रोड विधायक खजानदास आदि के नाम चर्चा में हैं।

विस अध्यक्ष का चुनाव जल्द
विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया अगले एक दो दिनों में होने की उम्मीद है। राजभवन की ओर से इस संदर्भ में नोटिफिकेश जारी होगा जिसके बाद विधानसभा सचिवालय की ओर से नामांकन और चुनाव की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। विधानसभा का बजट सत्र मार्च आखिर में होना है ऐसे में जल्द ही विस अध्यक्ष के लिए चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है। जल्द ही भाजपा की ओर से भी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए नाम तय कर दिए जाएंगे।

503 Service Unavailable

Service Unavailable

The server is temporarily unable to service your request due to maintenance downtime or capacity problems. Please try again later.

Additionally, a 503 Service Unavailable error was encountered while trying to use an ErrorDocument to handle the request.