10 फरवरी से ड्रोन से होगी राज्य के मगरमच्छ और घड़ियालों की गिनती

10 फरवरी से राज्य में मगरमच्छों और घड़ियालों की गिनती ड्रोन कैमरे से हो सकेगी। दस दिन के भीतर यह काम पूरा हो जाने की उम्मीद है। इसी के साथ उत्तराखंड देश में पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां मगरमच्छ और घड़ियालों की गिनती ड्रोन से होगी।

वन विभाग ड्रोन फोर्स नेपाल और उत्तर प्रदेश की सीमा के अंदर उत्तराखंड के चार वन वृत्त में काम करेगी। नेपाल सीमा से सटी शारदा नदी, हरिद्वार के शिवालिक वृत्त, राजाजी टाइगर रिजर्व और कार्बेट पार्क के 6370 वर्ग किलोमीटर में लगभग 12 साल बाद मगरमच्छ व घड़ियाल की गणना करेगा। गणना में राज्य की नदियों, झीलों, दलदल में छोटे और हाई क्वालिटी ड्रोन कैमरों की सहायता ली जाएगी। शारदा नदी, गोला नदी, गंडोर टुंबड़िया, रामगंगा, नानक सागर, बाण गंगा, कालागढ़ जलाशयों में पानी के बहाव के अनुरूप ड्रोन कैमरों को फिक्स किया जाएगा। इन कैमरों की प्रतिदिन की वीडियोग्राफी का विश्लेषण किया जाएगा। मगरमच्छ और घड़ियालों की गणना के बाद वन विभाग की ड्रोन फोर्स पूरे उत्तराखंड के वन क्षेत्र की निगरानी करेगा। उत्तराखंड में मगरमच्छ और घड़ियाल की गणना वर्ष 2008 में की गई थी। तब गणना में सामने आया था कि प्रदेश में 123 मगरमच्छ व 223 घड़ियाल हैं।

प्रभागीय वनाधिकारी हरिद्वार आकाश वर्मा बताते है कि ड्रोन का इस्तेमाल मगरमच्छों की गणना में किया जाएगा। इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। हालांकि हरिद्वार वन प्रभाग में दो साल से निजी ड्रोन की मदद ले रहे हैं।

डॉ. धकाते ने बनाई थी ड्रोन फोर्स
देशभर में उत्तराखंड ने सबसे पहले ड्रोन फोर्स बनाई है। ड्रोन फोर्स बनाने का श्रेय वन संरक्षक कुमाऊं जोन डॉ. पीएम धकाते को जाता है। डॉ. पीएम धकाते ड्रोन फोर्स के जन्मदाता एवं समन्वयक हैं। उनका दावा है कि ड्रोन फोर्स वन तस्करी रोकने और वनों की सुरक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होगी। पर्यावरण मित्र रविंद्र मिश्रा का कहना है कि ड्रोन फोर्स इस कार्य में शत प्रतिशत परिणाम देगी। ड्रोन फोर्स से वनों की सुरक्षा में मदद तो मिलेगी और जल्दी नतीजे प्राप्त होंगे।

हवाई हादसा, बोइ्रंग विमान में सवार 170 यात्रियों की मौत

ईरान-अमेरिका तनाव के बीच तेहरान में यूक्रेन का एक यात्री विमान बोइंग 737 दुर्घटना का शिकार हो गया। इस विमान में सवार कुल 170 यात्रियों की मौत हो गई है। ईरानी मीडिया के हवाले से कहा जा रहा है कि यह दुर्घटना तकनीकी खामी के कारण हुआ है।
विमान ने तेहरान के इमाम खुमैनी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से यूक्रेन की राजधानी कीव के बोर्यस्पिल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे लिए उड़ान भरी थी। बताया जा रहा है कि दुर्घटना का कारण तकनीकी खामी हो सकती है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रवक्ता रजा जाफरजादेह ने बताया कि यह विमान तेहरान के दक्षिण पश्चिमी इलाके में दुर्घटना का शिकार हुआ है। जांचदल और बचाव कर्मी दुर्घटनास्थल पर पहुंचें हालांकि उन्हें कोई भी जिंदा नहीं मिला।
वहीं, ताजा हमले के बाद अमेरिका ने तत्काल प्रभाव से ईरान और इराक के ऊपर से किसी भी अमेरिकी फ्लाइट के गुजरने पर पाबंदी लगा दी है। अमेरिका को आशंका है कि ईरान समर्थित विद्रोही संगठन अमेरिकी हवाई जहाजों को निशाना बना सकते हैं। कुछ दिनों पहले भी अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि विद्रोहियों के पास विमान को मार गिराने वाली मिसाइलें हैं।
बता दें कि अमेरिकी एयर स्ट्राइक में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या किए जाने के बाद बुधवार को जवाबी कार्रवाई करते हुए ईरान ने इराक में मौजूद अमेरिका के अल-असद एयरबेस पर कई रॉकेट दागे। पेंटागन के अनुसार उसके एयरबेस पर एक दर्जन से ज्यादा मिसाइलें दागी गई हैं। इस एयरबेस पर अमेरिका के साथ गठबंधन सेनाएं तैनात हैं। इस हमले में अमेरिकी गठबंधन सेना को कितना नुकसान हुआ है इसकी सटीक जानकारी नहीं मिल सकी है।

पहाड़ों में बर्फबार से बढ़ी परेशानी, पशुओं के लिए चारा उपलब्ध कराना बना चुनौती

मौसम विभाग ने आज देहरादून सहित राज्य के कई हिस्सों में बारिश के साथ ओले और भारी बर्फबारी का अलर्ट जारी किया है। ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी में स्थानीय लोगों और पर्यटकों को किसी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए जिला प्रशासन ने सभी विभागों को सतर्क कर दिया है।
प्रदेश भर में आज सुबह से ही अधिकांश जगह बादल छाये रहने से कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इसके बाद दून में बूंबाबांदी शुरू हो गई। वहीं, बर्फबारी के बाद अब पहाड़ी इलाकों में खून जमाने वाली ठंड पड़ रही है। कुमाऊं में आज काशीपुर, रामनगर में धूप खिली है। पंतनगर, अल्मोड़ा, लोहाघाट, चंपावत और रुद्रपुर में बादल छाए हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग की मानें तो मौसम विभाग की ओर से जारी अलर्ट के हिसाब से जिले में सभी विभागों को सतर्क कर दिया है। इसके लिए यदि किसी विभाग के पास संसाधनों की कमी है तो वह जिला प्रशासन से संपर्क कर सकता है। लोक निर्माण विभाग, जल संस्थान आदि विभागों के कर्मचारियों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जेसीबी, चूना और नमक आदि के साथ तैनात रहने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
लोनिवि और राजमार्ग को बर्फबारी वाले स्थानों पर जेसीबी की तैनाती, चूना आदि की व्यवस्था करने के निर्देश दिये गये है। वैकल्पिक मार्गों से यातायात सुचारु कराना। अपने-अपने विभागीय गेस्ट हाउस को अलर्ट मोड पर रखना जिससे किसी भी स्थिति में पर्यटकों और स्थानीय जनता को इनमें शिफ्ट करने में दिक्कत न हो।
जल संस्थान व पेयजल निगम को बर्फबारी के कारण पानी जमने और पाईप लाइन क्षतिग्रस्त होने की दशा में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा गया है।
विद्युत विभाग से विद्युत आपूर्ति बाधित होने के तत्काल बाद स्थिति को सामान्य बनाने काम प्रमुख रूप से करने के निर्देश दिये गये है।
गौरतलब है कि पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के बाद रविवार को मौसम साफ हुआ तो बर्फबारी का लुत्फ उठाने के लिए ऊंची चोटियों पर पर्यटकों का हुजूम उमड़ पड़ा। बड़ी संख्या में पर्यटकों ने लोखंडी, धारना धार, देववन, बुधेर पहुंच बर्फबारी का लुत्फ उठाया। दिनभर ऊंची चोटियां पर्यटकों से गुलजार नजर आई हालांकि, शाम चार बजे बाद चलने वाली ठंडी हवाओं ने लोगों को सिहरन का एहसास करा दिया।
शाम को चली ठंडी हवाओं के चलते तापमान माइनस में चला गया। रविवार को चकराता का अधिकतम तापमान छह डिग्री और न्यूनतम -01 डिग्री रहा। शाम ढलते ही लोगों के घरों और दुकानों में अलाव जल उठे।बर्फबारी के चलते होटल मभी फुल हो गए। सोमवार को भी बड़ी संख्या में पर्यटकों के चकराता और आसपास की ऊंची चोटियों का रुख करने का अनुमान है।
गोपेश्वर जिले में हो रही बर्फबारी ने दूरस्थ गांव के लोगों की दुश्वारियां बढ़ा दी हैं। जिले में 30 से अधिक गांवों में इस समय बर्फ की चादर बिछी हुई है। अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में घरों के ऊपर तक कई फीट बर्फ जमी हुई है।
चारों तरफ बर्फ पड़ने से मवेशियों के लिए चारा पत्ती की समस्या आ गई है। ठंड के कारण नलों में पानी जम रहा है, जिससे लोग प्राकृतिक स्रोत का सहारा ले रहे हैं। पाणा गांव की बीना देवी, शांति देवी, सीमा देवी, अनीता देवी सहित अन्य लोगों ने बताया कि पिछले बर्फबारी से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। बर्फबारी का नजारा देखने के लिए रविवार को पर्यटन नगरी धनोल्टी और काणाताला क्षेत्र बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचे, लेकिन पर्यटकों को चंबा-धनोल्टी मार्ग पर सुबह से लेकर अपराह्न तक जाम की समस्या से जूझना पड़ा। बर्फ के ऊपर पाला गिरने से वाहन रपटने के कारण बार-बार मार्ग पर जाम लगता रहा। जाम को देखते हुए पुलिस प्रशासन को बुरांशखंडा और कद्दूखाल में बैरियर लगाकर वाहनों को रोकना पड़ा।

सीएम त्रिवेन्द्र से पीएम को वर्ष 2022 तक कृषकों की आय दोगुना करने का दिया वचन

भारत सरकार द्वारा उत्तराखंड को वर्ष 2017-18 में खाद्यान्न उत्पादन श्रेणी-2 के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। गुरूवार को तुमकुर, कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं कृषि मंत्री सुबोध उनियाल को यह पुरस्कार प्रदान किया। इस अवसर पर राज्य के दो प्रगतिशील किसानों, कपकोट की कौशल्या व भटवाड़ी के जगमोहन राणा को भी सम्मानित किया गया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताकर उन्हें वर्ष 2022 तक कृषकों की आय दोगुना करने का संकल्प दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एक नवोदित राज्य है, जिसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 53.48 लाख हेक्टेयर में कृषि का क्षेत्रफल मात्र 11.21 प्रतिशत है, इसका 56 प्रतिशत भाग पर्वतीय कृषि के अन्तर्गत आता है, जिसमें 89 प्रतिशत कृषि असिंचित एवं वर्षा आधारित है। प्रदेश में 92 प्रतिशत लघु एवं सीमान्त जोत के कृषक हैं। भारत सरकार के मार्ग-निर्देशन तथा प्रदेश के कृषकों एवं कृषि विभाग के प्रयास से उत्पादन में वृद्धि के फलस्वरूप प्रदेश अनाज उत्पादन में अपनी आवश्यकता की पूर्ति करते हुए आत्मनिर्भर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि योजना के पात्र लाभार्थियों की संख्या 8.38 लाख है, जिनमें से 6.84 लाख कृषक लाभान्वित किए जा चुके हैं, 6.72 लाख कृषकों को प्रथम किस्त, 6.56 लाख कृषकों को द्वितीय, 6.00 लाख कृषकों को तृतीय एवं 4.34 लाख कृषकों को चतुर्थ किस्त का भुगतान किया गया है, शेष कृषकों को भी योजना से जोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री मानधन योजना में पात्र कृषकों का चयन कर उनके पंजीकरण की कार्यवाही गतिमान है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में परम्परागत जल श्रोत सूख रहे हैं। पर्यावरणीय असंतुलन से नमी कम होती जा रही है। मृदा एवं जल संरक्षण पर विशेष ध्यान देते हुये जल संचय संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। गत 2 वर्षों में विभिन्न जल संचय संरचनाओं के निर्माण से 2250 हेक्टेयर सिंचन क्षेत्रफल में वृद्धि हुयी है। प्रदेश में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अन्तर्गत वर्ष 2018-19 तक समस्त कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। उर्वरकों का वितरण नवम्बर 2017 से डी.बी.टी. के माध्यम से प्रारम्भ किया गया है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में मौसम खरीफ में चावल, मण्डुवा तथा मौसम रबी में गेहूॅ एवं मसूर (जनपद पौड़ी एवं पिथौरागढ़) प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत सम्मिलित हैं। वर्ष 2018-19 में कुल 1.38 लाख कृषक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं 55000 कृषक पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत बीमित हुए। दोनों योजनाओं में 84687 कृषकों को 7236.69 लाख क्लेम का भुगतान हुआ है। वर्ष 2019-20 में दोनों योजनाओं के अन्तर्गत 1.73 हजार कृषक बीमित हुए हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड में कुल 27 मण्डियां संचालित हैं, जिनमें से वर्तमान तक 16 मण्डियां ई-नाम योजना से जुड़ी है। ई-नाम के माध्यम से कृषि उत्पाद को विक्रय करने पर कृषकों को 70 करोड़ के ई-भुगतान किये गये हैं। व्यापारियों के मध्य आन-लाईन ट्रेंड को प्रोत्साहित करने हेतु मण्डी शुल्क में 10 प्रतिशत की छूट का प्राविधान किया गया है। प्रदेश सरकार का लक्ष्य कृषि उत्पादों के विपणन की समुचित व्यवस्था के लिए प्रत्येक न्याय-पंचायत पर कलैक्शन सेन्टर स्थापित करने का कार्य प्रारम्भ किया गया है।

पारंपरिक खाद्यान्नों का अपना विशिष्ट स्वादः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रविवार को मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल 2019 के अंतर्गत उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा आयोजित उत्तराखंड फूड फेस्टिवल में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने मसूरी कार्निवाल में शामिल पर्यटकों व अन्य लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि फूड फेस्टिवल के माध्यम से राज्य के व्यंजनों को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने होटल व्यवसायियों से अपने मैन्यू में स्थानीय व्यंजनों को शामिल करने को कहा। उन्होंने कहा कि हमें अपनी लोक संस्कृति, परंपरा एवं खानपान पर गर्व होना चाहिए। हमारे उत्पाद देश व दुनिया में अपनी पहचान बनाये इसके भी प्रयास होने चाहिए। हमारे पारंपरिक खाद्यान्न पौष्टिकता से भरपूर हैं, इनका अपना विशिष्ट स्वाद है, इसकी बेहतर ब्रांडिंग के जरिये हम इनकी पहचान बनाने में सफल हुए तो इससे इनके उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा तथा ग्रामीण आर्थिकी को मजबूती मिलेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस अवसर पर श्रेष्ठ व्यंजन बनाने वालों को पुरस्कृत भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य का प्राकृतिक सौंदर्य बेजोड़ है, यह प्रकृति का हमें अनमोल उपहार है, उन्होंने कहा कि राज्य में नये पर्यटन स्थलों के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। मसूरी एवं नैनीताल जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल आज जैसे हैं, उन्हें इस स्वरूप में आने में लगभग 200 साल लगे हैं। किसी स्थान को विकसित होने में समय लगता है। राज्य सरकार पर्यटन को बढावा देने के लिए 13 जिलों में 13 नये गंतव्यों को विकसित कर रही है। आल वेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन एवं एयर कनेक्टिविटी के विस्तार से संबंधित कार्य तेजी से चल रहे हैं।

राज्य में फिल्मांकन को प्रोत्साहन देने के लिए भी अवस्थापना सुविधाओं का विकास किया जा रहा है, इसके लिए आरामदायक उत्तम श्रेणी के बड़े होटलों की स्थापना एवं फिल्मांकन के अनुकूल स्थलों की पहचान पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देहरादून-मसूरी रोपवे के निर्माण से पर्यटकों को आवागमन में सुविधा होगी, इस दिशा में कार्यवाही गतिमान है। मसूरी में पार्किंग समस्या के समाधान की दिशा में भी कारगर प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर लगाये गये विभिन्न स्टालों का भी अवलोकन किया तथा उनके प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया।

छह मिनट के वीडियो गीत में दिखेगी उत्तराखंड की सौंदर्यता, सीएम ने किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में रमेश भट्ट द्वारा गाए उत्तराखंडी वीडियो गीत ‘जै जै हो देवभूमि’ को रिलीज किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ छह मिनट में देवभूमि उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं नैसर्गिक प्राकृतिक सौन्दर्य को प्रस्तुत करने का प्रयास रमेश भट्ट ने अपने इस वीडियो गीत में किया है। उनका यह प्रयास उत्तराखण्ड को नई पहचान दिलाने में मददगार होगा। उन्होंने कहा कि इस वीडियो गीत के माध्यम हम समूचे उत्तराखण्ड का सिंहावलोकन कर सकते हैं।

यह गीत प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सांस्कृतिक विरासत व लोक संस्कृति को भी बढ़ावा देने में सहायक होगा। उनकी भावनायें उत्तराखण्ड से जुड़ी हैं, उनके इस गीत में गीत संगीत अभिनय की व्यापक झलक मिलती है।

रमेश भट्ट बहुमुखी प्रतिभा के धनीः त्रिवेन्द्र
सीएम ने रमेश भट्ट को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताते हुए राज्य के प्रति उनके लगाव एवं समर्पण की भी सराहना की। उन्होंनें कहा कि समाज में छिपी प्रतिभाओं को निखारने तथा उन्हें अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किये जाने के प्रयास किये जाने चाहिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा जागर गायिका पद्म बसंती बिष्ट, शिक्षक प्रोफेसर के.डी. सिंह आदि को सम्मानित भी किया गया।

विस अध्यक्ष और सांसद ने की सराहना
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल तथा सांसद अजय भट्ट ने भी रमेश भट्ट के इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमारी लोक संस्कृति हमारी पहचान है। यह वीडियो देश व दुनिया के लोगों को उत्तराखण्ड आने का भी आमन्त्रण देता है। रमेश भट्ट के गुरू श्री के.डी.सिंह ने कहा कि इस अवसर पर उन्हें सम्मान देकर श्री भट्ट ने गुरू शिष्य परम्परा को जीवन्तता प्रदान की है। उन्होंने इस प्रयास को मिट्टी के ऋण से उऋण होने जैसा प्रयास बताया।

गीत से राज्य की अदभुत संुदरता के होंगे दर्शनः रमेश भट्ट
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने कहा कि इस गीत में उत्तराखंड की सुंदरता के अद्भुत दृश्य दिखाने के प्रयास किये गये हैं। इसमें उत्तराखंड के उच्च हिमालयी चोटियों, आध्यात्मिक- धार्मिक स्थलों, सांस्कृतिक मेलों, पहाड़ की संस्कृति और जैव विविधता के दर्शन होंगे। इस गीत के बोल स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी ने लिखे हैं। इस गीत को नए कलेवर में पेश करने का उन्होंने प्रयास किया है।

देश में मोस्ट फिल्म फ्रेडली स्टेट बनने से राज्य में फिल्मांकन को मिलेगा बढ़ावाः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को मुख्यमंत्री आवास में मीडिया से अनौपचारिक वार्ता करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड को 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के अन्तर्गत मोस्ट फिल्म फ्रेडली स्टेट का प्रथम पुरस्कार प्रदान किये जाने से राज्य में फिल्मांकन एवं पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

उन्होंने इसे राज्य हित से जुड़ा विषय बताते हुए कहा कि यह पुरस्कार उत्तराखण्ड द्वारा फिल्म उद्योग के लिए मन से दरवाजे खोलने का परिणाम है। राज्य में फिल्म उद्योग को आगे बढ़ाने, फिल्म निर्माण के लिए सहज माहौल तैयार करने, हुनर और कला के लिए प्रोत्साहन, बंद पड़े सिनेमा हॉल को फिर से खोलने के लिए प्रोत्साहित करने, फिल्म विकास कोष का निर्माण, फिल्म निर्माण के लिए पहले से प्रोत्साहन देने की योजना जारी रखने, अन्य सक्रिय भागीदारियों के अलावा उत्तराखण्ड फिल्म निर्माण के अलावा उत्तराखण्ड फिल्म विकास समिति का निर्माण के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया गया है।

उन्होंने कहा कि फिल्म उद्योग जगत ने भी अब माना है कि उत्तराखण्ड एक बेहतर डेस्टिनेशन है। उन्होंने कहा कि राज्य में फिल्मांकन को बढ़ावा देने के लिए और सार्थक प्रयास किये जायेंगे।

चारधाम सहित हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी से एक बार फिर ठंड बढ़ी

उत्तराखंड में मौसम के मिजाज में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला है। प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में एक बार फिर से हिमपात होने से ठंड में एकाएक बढ़ोत्तरी हुई है। चार धाम के साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिमपात से कड़ाके की ठंड जारी है। प्रदेश के आठ शहरों में न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस से भी कम है। इतना ही नहीं अधिकतम तापमान भी सामान्य से पांच से सात डिग्री सेल्सियस कम बना हुआ है। देहरादून स्थित राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार शनिवार को प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश और बर्फबारी के आसार हैं, वहीं निचले इलाकों में बादल छाए रहेंगे और हल्की बूंदाबांदी भी संभव है।
उत्तराखंड में शीतलहर का असर बना हुआ हैं। मसूरी, चमोली के जोशीमठ और कुमाऊं के चम्पावत में पारा तीन डिग्री सेल्सियस से भी कम है। शीतलहर के असर को देखते हुए हरिद्वार और नैनीताल में शुक्रवार को एक से बारहवीं तक के स्कूलों में अवकाश रहा। वहीं देहरादून में स्कूलों के समय में बदलाव किया गया है। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि रविवार तक प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टरबेंस) का प्रभाव बना रहेगा। बताया कि इस दौरान उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग व पिथौरागढ़ जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश व बर्फबारी हो सकती है।
गंगा घाटी में भारी हिमपात से ठंड का कहर अपने चरम पर है। हाल ये है कि भीषण ठंड के कारण झाला से लेकर गंगोत्री तक कई झरने और नाले जम चुके हैं। गंगोत्री में भागीरथी (गंगा) के जिस हिस्से में बहाव कम है वहां भी पानी बर्फ बन चुका है। शीतलहर के कारण हर्षिल घाटी और गंगोत्री में पेयजल संकट गहरा गया है। लोग पानी का इंतजाम बर्फ गलाकर कर रहे हैं। गंगोत्री में इन दिनों 55 और भैरवघाटी में 40 लोग रह रहे हैं। ठंड के कहर का सबसे अधिक असर 2500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में है। जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 65 किमी दूर गंगोत्री की ओर सुक्की टॉप गांव से लेकर गंगोत्री तक अपनी सुंदरता बिखेरने वाले 40 से अधिक झरने व नाले जम चुके हैं। हर्षिल घाटी के आठ गांवों के अलावा गंगोत्री को पेयजल आपूर्ति करने वाले पेयजल स्रोत जम गए हैं।
हर्षिल के लोगों का कहना है कि हर्षिल घाटी में पाइपों के अंदर पानी जम चुका है। ऐसे में लोगों को पीने के पानी के लिए बर्फ पिघलानी पड़ रही है। झाला और धराली के बीच जो छोटी नदियां गंगा में मिलती हैं, उनका पानी भी मुहाने पर जम चुका है। शीतलहर के कहर से बर्फ बने नाले और झरने पर्यटकों को रोमांचित कर रहे हैं। लेकिन, स्थानीय लोगों के लिए के लिए यह किसी सजा से भी कम नहीं है।

गुजरात में नागरिकता संशोधन कानून लागू, मिलेगी 3500 हिन्दुओं को नगारिकता

गुजरात में आज से नागरिकता संशोधन कानून पर अमल शुरू हो जाएगा। गुजरात के गांधीधाम और कच्छ में पाकिस्तान से आए 3500 हिंदुओं को नागरिकता दी जाएगी। बताया जा रहा है कि इस दौरान केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया भी उपस्थित रहेंगे।
पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों से आए ये हिंदू शरणार्थी कच्छ, मोरबी, राजकोट और बनासकांठा में रह रहे हैं। पंजीकरण करने के बाद इनके बारे में सूचना केंद्रीय गृहमंत्रालय को भेजी जाएगी।
इसके साथ ही गुजरात पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जिसने नागरिकता संशोधन कानून के अनुसार शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करेगा। अधिकांश शरणार्थी सोढ़ा राजपूत समाज से हैं। ये सभी गुजराती भाषा बोलते हैं। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से प्रताड़ना के कारण ये शरणार्थी पलायन कर भारत पहुंचे हैं। इनमें से कई ऐसे भी हैं जो पिछले 15-20 सालों से भारत में रह रहे हैं।

देशभर में हाई अलर्ट जारी
देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर दिल्ली समेत कई राज्यों में हाई अलर्ट जारी है। यूपी के संभल में नागरिकता कानून के विरोध के दौरान 19 दिसंबर को हुई हिंसा के मामले में समाजवादी पार्टी के नेताओं, सांसद शफीकुर्रहमान बर्क और फिरोज खान सहित 17 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है। अलीगढ़ में रेड अलर्ट जारी है। नागरिकता कानून का विरोध कर रहे एएमयू छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई के बाद शुक्रवार की नमाज के मद्देनजर भारी सुरक्षा तैनात की गई। इसकी जानकारी अलीगढ़ के जिला मजिस्ट्रेट ने दी।

लोकतंत्र के प्रति देशवासियों का बढ़ा विश्वासः ओम बिरला

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने बुधवार को भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों एवं सचिवों के 79वें वार्षिक सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया। भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों एवं सचिवों का उत्तराखण्ड में पहला सम्मेलन है।

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां पूरी पारदर्शिता के साथ चुनाव होते हैं। लोकतंत्र के प्रति देशवासियों का विश्वास बढ़ा है, इसके परिणामस्वरूप 17वें लोक सभा चुनाव में 67.40 प्रतिशत मतदान हुआ। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि संसदीय सत्र में सभी सदस्यगणों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिले। 17वीं लोक सभा के गठन के बाद पहला सत्र 37 दिन तक चला।, इसमें 35 विधेयक पारित हुए। इस दौरान एक दिन भी संसद की कार्यवाही स्थगित नहीं हुई। प्रश्नकाल एवं शून्यकाल में सदस्यों के अधिकतम प्रश्नों को रखने का मौका दिया। पहली बार निर्वाचित होने वाले सदस्यों को सदन में अधिक से अधिक बोलने के लिए आग्रह किया। पहले सत्र में संसद की 125 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी रही। दूसरे सत्र में भी सदस्यों को चर्चा करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया गया, इस सत्र में भी 115 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी रही।

लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि 2021 में इस सम्मेलन को 100 साल पूरे होंगे, जबकि 2022 में भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनायेगा। हमारा प्रयास है कि लोकतंत्र के इन मंदिरों में सभी की जनता के प्रति जवाबदेही हो। विधानसभा सदन अधिक से अधिक चले इसके लिए भी इस सम्मेलन में चर्चा होगी। हमारा प्रयास होगा कि जो भी लक्ष्य निर्धारित करें, वह अवश्य पूर्ण हो।

सदन का अध्यक्ष एक अभिभावक की तरहः सीएम
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने इस सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह पहला मौका है जब उत्तराखंड को इस तरह के आयोजन की मेजबानी मिली है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। एक स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र में आप जैसे लोगों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सदन का अध्यक्ष एक अभिभावक की तरह होता है। सदन में सबको अधिकतम अवसर देना, सबकी सुनने का दायित्व होता है, इसके लिए विशेष कौशल की जरूरत होती है, जिसका सभी बड़ी कुशलता से निर्वहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जिस तरह लोक सभा में कार्य हो रहा है, वह एक ऐतिहासिक कार्य हो रहा है। लोकसभा अध्यक्ष श्री बिड़ला जी ने कुशलता से सदन को संचालित किया है। उत्तराखण्ड में भी विधानसभा अध्यक्ष जी ने विधानसभा में सदस्यों को अधिकतम प्रश्न उठाने का मौका दिया है।

उत्तराखंड धर्म एवं आध्यात्म का केंद्रः प्रेमचंद
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों एवं सचिवों को सम्मेलन पहली बार आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में संविधान की दसवीं अनुसूची, शून्य काल सहित सभा के अन्य साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र का सुदृढ़ीकरण, क्षमता तथा निर्माण आदि विषयों पर चर्चा होगी। इस अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड के धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में जो भी मंथन होगा, उसके भविष्य में बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड विधानसभा को प्लास्टिक मुक्त किया गया है। उत्तराखण्ड गंगा, यमुना का उद्गम स्थल है, इसके साथ ही उत्तराखण्ड के चारों धामों सहित ऋषिकेश एवं हरिद्वार का पौराणिक काल से धार्मिक महत्व है। उत्तराखण्ड धर्म एवं आध्यात्म का केन्द्र रहा है। उत्तराखण्ड में नंदा देवी राजजात यात्रा का ऐतिहासिक महत्व है।

503 Service Unavailable

Service Unavailable

The server is temporarily unable to service your request due to maintenance downtime or capacity problems. Please try again later.

Additionally, a 503 Service Unavailable error was encountered while trying to use an ErrorDocument to handle the request.