धामी की पहल पर मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना का पुनः शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री आँचल अमृत योजना का पुनः शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना का पुनः शुभारंभ होना बच्चों के विकास एवं उन्हें पर्याप्त पोषण मिलने में बड़ी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार माँ का आंचल बच्चे की धूप-छांव से बचाव करता है, उसी प्रकार आंचल अमृत योजना बच्चों में कुपोषण को दूर करने में निश्चित रूप से सहायक होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया, इससे यह योजना भी कुछ समय तक प्रभावित रही जिसे अब पुनः शुरू कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों में 3 से 6 वर्ष के बच्चों को सप्ताह में 4 दिन निशुल्क फोर्टीफाइड मीठा एवं सुगंधित दूध मिलेगा। उन्होंने कहा इस योजना से प्रदेश के 1 लाख 70 बच्चों को लाभ मिलेगा ,साथ ही बच्चों के पोषण एवं स्वास्थ्य में सुधार होगा। उन्होंने कहा राज्य सरकार बच्चों, महिलाओं, बहनों के लिए हर वह जरूरी योजना लाएगी जिससे उन्हें लाभ पहुंचाया जा सके।
मुख्यमंत्री पोषण योजना के तहत 1 लाख गर्भवती महिलाओं तथा 85 हजार धात्री महिलाओं को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि वे आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की समस्याओं से अवगत है। वे जिन परिस्थितियों में कार्य करती हैं उससे भी वे परिचित हैं। क्योंकि स्वयं उनके बच्चे आंगनबाड़ी केन्द्रों में पढ़े हैं। जिस प्रकार वे बच्चों की इन केन्द्रों में देखभाल के साथ अन्य कार्य करती हैं वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की मांगों से सम्बन्धित प्रस्ताव शीघ्र कैबिनेट में लाया जायेगा। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को रक्षाबन्धन पर एक-एक हजार तथा कोरोना प्रोत्साहन 5 माह तक 2-2 हजार रूपये का भुगतान किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सभी की समस्याओं के समाधान के प्रति कटिबद्ध है। ग्राम प्रधानों के मानदेय में भी 1500 रू. की वृद्धि की गई है। 2001 बैच के पुलिस आरक्षियों को 4500 ग्रेड पे स्वीकृत किया गया है। आशा कार्यकत्रियों का मानदेय 1500 बढ़ाया गया है।
उपनल कार्मिकों के मानदेय में 10 साल की सेवा वालों को 2 हजार तथा उससे उपर की सेवा पर 03 हजार की वृद्धि की गई है। बिजली कार्मिकों की समस्याओं का भी समाधान किया गया है। कोरोना महामारी के कारण पर्यटन एवं स्वास्थ्य कार्मिकों को हुए नुकसान की भरपाई के लिये क्रमशः 200 एवं 205 करोड़ के पैकेज की घोषणा की गई है। युवाअें को सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों में सेवा के अवसर उपलब्ध कराने तथा उनके शारीरिक दक्षता के लिये स्वस्थ्य युवा, स्वस्थ उत्तराखण्ड योजना के तहत सभी न्याय पंचायतों में ओपन जिम खोलने जा रहे हैं। कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के लिये वात्सल्य योजना शुरू की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड में भी तेजी से कार्य हो रहा है। हर क्षेत्र में विकास कार्यों को दुगनी रफ़्तार से किया जा रहा है। उन्होंने कहा हाल ही में आई दैवीय आपदा से निपटने के लिए सरकार ने तेजी से कार्य किया जिसके फलस्वरूप चार धामों की यात्रा पर आये करीब डेढ़ लाख पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में श्री केदारनाथ एवं श्री बदरीनाथ धामों का विकास कार्य तेजी से किया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 11 बच्चों को दूध भी वितरित कर योजना का शुभारम्भ किया।
मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना का संक्षिप्त विवरण देते हुए सचिव महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास सचिव हरिचन्द्र सेमवाल ने बताया कि प्रदेश में 7 मार्च, 2019 को मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना का शुभारंभ किया गया। योजना के अर्न्तर्गत राज्य सरकार द्वारा राज्य के समस्त आंगनवाडी केन्द्रों में आने वाले स्कूल पूर्व शिक्षा के 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों के पोषण एवं स्वास्थ में सुधार के साथ-साथ कुपोषण दर कम करना तथा आंगनवाडी केन्द्रों में बच्चों की संख्या में वृद्धि किये जाने के उददेश्य से यह योजना राज्य में प्रारम्भ की गई।
वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना के तहत प्रदेश के समस्त आंगनवाड़ी केन्द्रों में 3 से 6 वर्ष के बच्चों उपयोगार्थ डेरी विकास विभाग, उत्तराखण्ड के माध्यम से सुगन्धित फोर्टीफाइड मिल्क विटामिन ए व डी युक्त दूध सप्ताह में 4 दिन प्रति बच्चा 10 ग्रा दूध पाउडर से 100 मीली दूध तैयार कर किया गया। राज्य में लगभग कुल 1,70,000 लाभार्थी बच्चों को प्रतिमाह लाभान्वित करते हुये योजनान्तर्गत कुल रू0 6.33 करोड़ का व्यय किया गया। वित्तीय वर्ष 2021-22 में आंगनवाड़ी केन्द्रों में 3 से 6 वर्ष के कुल 256199 बच्चों के उपयोगार्थ माह अक्टूबर से दिसम्बर, 2021 हेतु कुल रू० 4,33,33,000/- की धनराशि का अग्रिम भुगतान दुग्ध पाउडर की आपूर्ति हेतु डेरी विकास विभाग, उत्तराखण्ड को किया गया।
इस अवसर पर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने भी विचार व्यक्त किये, प्रबन्ध निदेशक आंचल जयदीप अरोड़ा के साथ ही कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आंगनवाड़ी कार्यकत्री एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

चमोली और उत्तरकाशी के लिये आधुनिक एम्बुलेंस रवाना

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास में राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम (एन.एच.आई.डी.सी.एल.) द्वारा आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित दो एम्बुलेंसों को जनपद चमोली एवं उत्तरकाशी के लिये फ्लैग ऑफ कर रवाना किया।
मुख्यमंत्री ने एम्बुलेंसों में आकस्मिक उपचार की व्यवस्थाओं का अवलोकन करते हुए एन.एच.आई.डी.सी.एल. के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जनपद चमोली एवं उत्तरकाशी की जनता को समर्पित ये एम्बुलेंस इन क्षेत्रों में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को त्वरित उपचार प्रदान करने में मददगार होगी।
इस अवसर पर अधिशासी निदेशक एन.एच.आई.डी.सी.एल., कर्नल (से.नि.) सन्दीप सुधेरा, महाप्रबन्धक ले. कर्नल वरुण वाजपेई, विनोद पैन्यूली, वी.एस. खेरा, सीएमओ चमोली उमा रावत आदि उपस्थित थे।

एम्स ने कोडिंग करने की जानकारी दी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में आयोजित कार्यशाला में तृतीयक देखभाल वाले अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में आईसीडी-10 की उपयोगिता और इसको बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। बताया गया कि मेडिकल और स्वास्थ्य से संबंधी अनुसंधान के क्षेत्र में हेल्थ रिकॉर्ड का विशेष महत्व होता है।
एम्स ऋषिकेश में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग लखनऊ के क्षेत्रीय कार्यालय के तत्वावधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ’प्रमोट टू यूज ऑफ आईसीडी-10 इन टेरटियरी केयर हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज’ विषय पर आधारित इस कार्यशाला में मेडिकल स्टूडेट्स और कार्यरत मेडिकल स्टाफ को विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई, कि किस प्रकार इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज में मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड की उपयोगिता महत्वपूर्ण है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीन एकेडेमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्मित रोग और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी वर्गीकरण का दसवां संस्करण ’आईसीडी-10’ चिकित्सीय वर्गीकरण की सूचियों का समूह है।
डीन रिसर्च प्रोफेसर वर्तिका सक्सैना ने बताया कि अभी तक भारत के कुछ बड़े अस्पतालों में ही आईसीडी-10 की ऑनलाइन कोडिंग व्यवस्था है। मरीजों के हित के लिए अब उत्तराखंड में भी इसे शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। इसी प्रक्रिया के तहत इस कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर अश्वनी कुमार दलाल ने कहा कि आईसीडी-10 मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड पर आधारित ऐसी स्वास्थ्य प्रणाली है, जिससे चिकित्सकों को मरीज की पूरी हिस्ट्री देखने के लिए अलग-अलग कई रिपोर्ट नहीं पढ़नी पड़ेगी। इस सुविधा से सिर्फ आईसीडी-10 कोड की मदद से मरीज की पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त हो जाएगी।
इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ के उप निदेशक डॉ. सचिन कुमार यादव ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बीमारियों के उपचार के लिए संबंधित रिसर्च, प्रोग्रेस रिपोर्ट अथवा दवा निर्माण आदि में मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड का विशेष महत्व होता है। बताया कि मेडिकल क्षेत्र में जितना बेहतर सूचनाओं का डाटा होगा, उतना ही हमें रिसर्च में मदद मिलेगी। उन्होंने निकट भविष्य में राज्य में आईसीडी-10 के क्रियान्वयन के लिए एम्स ऋषिकेश के सहयोग की आवश्यकता बताई। उन्होंने बताया कि आईसीडी-10 व्यवस्था में रोग और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी वर्गीकरण किया गया है, जिसमें रोगों, उनके लक्षणों, समस्याओं, तथा सामाजिक परिस्थितियों आदि की कोडिंग की गई है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्मित है। इस दौरान कार्यशाला में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के डॉ. वीपी श्रीवास्तव ने आईसीडी-10 के क्रियान्वयन का प्रतिभागियों को विस्तृत प्रशिक्षण दिया। उन्होंने मरीज से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियों को कोडिंग करने की बारिकी से जानकारी दी।
इस बाबत जानकारी देते हुए कार्यशाला के समन्वयक एवं सीएफएम विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. योगेश बहुरूपी ने बताया कि निकट भविष्य में इस कार्यशाला का एम्स ऋषिकेश को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस सिस्टम को राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में सुचारू रूप से लागू करने के लिए एम्स ऋषिकेश पूर्ण सहयोग देगा। कार्यशाला में अस्पताल प्रशासन के प्रोफेसर यूबी मिश्रा, जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. मीनाक्षी धर, फिजियोलॉजी विभाग की डॉ. सुनीता मित्तल, सीएफएम विभाग के डॉ.महेन्द्र सिंह, डॉ. प्रदीप अग्रवाल, डॉ. मीनाक्षी खापरे सहित 100 से अधिक मेडिकल स्टाफ मेंबर्स मौजूद रहे।

सीएम के निर्देश पर हेली एम्बुलेंस से चमोली के तीन मरीज देहरादून में हुए भर्ती

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जिला अस्पताल गोपेश्वर में भर्ती जलने से घायल तीन लोगों को हेली एम्बुलेंस द्वारा देहरादून लाकर कोरोनेशन अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है।
आज मुख्यमंत्री आपदा ग्रस्त क्षेत्रों के निरीक्षण व आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए चमोली व पौङी जिलों के दौरे पर थे। मुख्यमंत्री शुक्रवार को चमोली में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने के बाद जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों का हाल जान रहे थे। अस्पताल में मैठाणा गांव के 6 मरीज भर्ती थे जो गैस सिलेण्डर फटने के कारण बुरी तरह झुलस गए थे। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे कि 30 प्रतिशत से अधिक बर्न मरीजों को तत्काल हेली एंबुलेंस से आज ही कोरोनेशन हॉस्पिटल देहरादून भेजा जाए।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला अस्पताल में भर्ती 6 मरीजों में से 3 मरीजों को रेफर कर हेली एंबुलेंस से देहरादून भेजा गया। कैलाश पुत्र कृपाल लाल उम्र 35 वर्ष तथा प्रिन्स कुमार पुत्र विजेन्द्र उम 29 वर्ष के घर पर गैस सिलेण्डर की आग में 30 प्रतिशत से अधिक बर्न हुए है। जबकि दृष्टि पुत्री विजेन्द्र कुमार उम्र 18 वर्ष जो की गर्भवती होने के साथ बर्न भी हुई है। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए आज रेफर किया गया और हेली एम्बुलेंस द्वारा देहरादून के कोरोनेशन अस्पताल में भर्ती कराया गया।

मासिक धर्म के दौरान साफ सफाई को जरुरी बताया

सेतु फाउंडेशन द्वारा स्वयं सहायता समूह के सदस्यों और अन्य ग्रामीण महिलाओं को सेनेटरी पैड का वितरण किया गया। इस मौके पर संस्था सचिव सरिता भट्ट ने उपस्थित महिलाओं को उन जरूरी दिनों में साफ सफाई रखने से संबंधित जानकारी दी।
संस्था की ओर से सभी प्रतिभागियों को बताया कि मासिक धर्म के दौरान साफ सफाई का ध्यान नहीं रखने से गुप्तांगों में इंफेक्शन का खतरा रहता है। जो आगे चल कर गंभीर समस्या खड़ा कर सकता है। संस्था ने सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करने पर जोर देते हुए उपयोग करने के बाद सुरक्षित स्थान पर डालने को जरुरी बताया। उन्होंने कहा कि यदि महिलाएं कपड़े का इस्तेमाल करती हैं तो एक दिन में दो बार कपड़े को बदले और धोने के बाद धूप में ही अच्छी तरह से सुखाये। कार्यक्रम में सरिता पाल, रंजना, कविता रानी, गुंजन बिष्ट सहित 30 महिलाओं ने प्रतिभाग किया।

विस अध्यक्ष ने राजकीय अस्पताल में कोरोना वारियर्स को किया सम्मानित

कोरोना टीकाकरण अभियान में भारत द्वारा आज 100 करोड़ डोज लगाने के आंकड़े को पार करने पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने ऋषिकेश के राजकीय चिकित्सालय में हेल्थ वर्कर्स को सम्मानित किया। विधानसभा अध्यक्ष ने अस्पताल में उपस्थित स्टाफ नर्स सहित अन्य कर्मियों का माल्यार्पण कर सम्मान किया।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस साल 16 जनवरी को शुरू हुए भारत में सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में आज एक ऐतिहासिक उपलब्धि प्राप्त की है। जिसके लिए सभी देशवासी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हैं। विस अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा की कोरोना महामारी के शुरू होने के बाद भारत को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं जताई गई थीं। 130 करोड़ से ज्यादा की आबादी में सभी पात्र लोगों को टीका लगाने के मैराथन काम को लेकर भारत की क्षमता पर सवाल खड़े किए गए थे। टीके की उपलब्धता को लेकर भी आशंका जताई गई थी। गुजरते वक्त के साथ भारत ने न सिर्फ इन सभी आशंकाओं झुठलाते और सवालों को गलत ठहराते हुए अपने नागरिकों को टीके का सुरक्षा कवच उपलब्ध कराने की राह पर तेजी से आगे बढ़ता रहा बल्कि अब एक अरब डोज लगाने के मील के पत्थर को पार किया है। विधानसभा अध्यक्ष ने इस ऐतिहासिक सफलता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार एवं सभी स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों का आभार व्यक्त किया है।
इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ विजयेश भारद्वाज, डॉ पन्त, डॉ यादव, स्टाफ नर्स राहुल सक्सेना, मण्डल अध्यक्ष ऋषिकेश दिनेश सती, सुमित पंवार, पार्षद शिव कुमार गौतम, पार्षद विपिन पन्त, पार्षद वीरेंद्र रमोला, जयंत किशोर शर्मा, नितिन सक्सेना, राकेश चन्द, तेज बहादुर यादव का सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

विश्व दृष्टि दिवस पर लोगों को नेत्र संबंधी विकार की जानकारी दी

विश्व दृष्टि दिवस के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में नेत्र विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने लोगों से आंखों से संबंधित विभिन्न रोगों के प्रति जागरुक रहने को कहा है। उन्होंने बताया कि जागरुक रहकर व किसी भी नेत्र संबंधी विकार होने पर समय पर उपचार से ही दृष्टिबाधिता की समस्या से बचा जा सकता है। उधर विभाग की ओर से त्रिवेणीघाट पर नेत्र संबंधी विकारों को लेकर जागरुक किया गया।
एम्स ऋषिकेश में नेत्र विभाग के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में चिकित्सकों ने आमजन को आंखों के विभिन्न रोगों, लक्षणों और उनसे बचाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी। नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि देश में लगभग 6 करोड़ लोग विघ्भिन्न तरह के दृष्टिबाधिता रोगों से ग्रसित हैं। उन्होंने बताया कि आम नागरिकों व मरीजों को यह समझना होगा कि शुगर बढ़ने से आंखों की बीमारियों को सीधा नुकसान होता है। इस अवसर पर उन्होंने विश्व दृष्टि दिवस के उद्देश्य पर भी प्रकाश डाला।
ऑफिसिएटिंग डीन प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने कहा कि ’जान है तो जहान है’ तभी सार्थक है, जब हमारी आंखें निरोगी हों और हम संसार को अपनी आंखों से देख सकें। उन्होंने बताया कि वर्तमान भाग-दौड़भरे जीवन और प्रदूषण युक्त वातावरण के कारण जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी आंखों की स्वच्छता व उनकी बीमारियों के प्रति गंभीरता बरते व किसी भी प्रकार की नेत्र संबंधी दिक्कतें सामने आने पर तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें।
कार्यक्रम के दौरान नेत्र विभाग के विभिन्न चिकित्सकों ने प्रोजेक्टर के माध्यम से आंखों की विभिन्न बीमारियों उनके लक्षणों, बचाव और उपचार के बारे में आमजन को विस्तारपूर्वक समझाया। डॉ. हिमानी पाल ने दृष्टिदोष के लक्षण बारीकी से समझाए। बताया कि दृष्टिदोष की समस्या किसी भी उम्र के लोगों में हो सकती है। उन्होंने आंखों से धुंधला नजर आना, पढ़ते समय सिरदर्द होना, दूर व नजदीक का स्पष्ट नहीं दिखाई देना, किताबें पढ़ते समय आंखों से पानी आना आदि बीमारी के लक्षणों, कारण और उनके उपचार के बारे में बताया। डॉ. संध्या यादव ने कार्नियल अंधता के बाबत बताया कि बच्चों में विटामिन-ए की कमी से यह परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कार्निया खराब होने पर कार्निया प्रत्यारोपण की तकनीक विकसित हो चुकी है। उन्होंने जोर दिया कि कार्नियल अंधता से ग्रसित लोगों को इस तकनीक का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है।
डॉ. दिव्या सिन्धुजा ने सफेद मोतिया, डॉ. सुचरिता दास ने काला मोतिया, डॉ. श्री राम जे. ने रेटिना से संबंधित विभिन्न बीमारियों और डॉ. लक्ष्मी शंकर ने कम रोशनी के दौरान पढ़ाई-लिखाई करने व अन्य कार्य करने से आंखों में होने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कम रोशनी में किताबें पढ़ने से आंखों की रेटिना में जोर पड़ता है और उन्हें नुकसान हो सकता है। इसलिए हमेशा पढ़ते समय पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए।
विभाग की फैकल्टी सदस्य डा. रामानुज सामंता ने बताया कि आम लोगों को आंखों के प्रति जागरुक करने के लिए हम सभी को संचार और प्रचार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर सामाजिक जागरुकता लानी होगी। कार्यक्रम में आई बैंक की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. नीति गुप्ता समेत विभाग के कई अन्य चिकित्सक, सीनियर रेजिडेंट्स और स्टाफ सदस्य मौजूद थे। उधर विभाग की ओर से सांयकाल त्रिवेणीघाट पर आयोजित कार्यक्रम में आम जन को नेत्र संबंधी बीमारियों के प्रति जागरुक किया गया।जिसमें विभागाध्यक्ष डा. संजीव मित्तल ने कार्नियल दृष्टिहीनता के मुख्य कारणों के बारे में बताया,जिसमें चोट से जख्म, कुपोषण संक्रमण, रसायनिक जलन, जन्मजात गड़बड़ी, ऑपरेशन के बाद जटिलताएं या संक्रमण संबंधी जानकारी दी। डा. अजय अग्रवाल ने बताया कि काला मोतिया बीमारी के कारणों पर प्रकाश डाला। बताया कि आंख की नस जो दिमाग से जुड़ी होती है उसके खराब होने से यह बीमारी होती है, इससे रोशनी को जितना नुकसान हो जाता है वह दोबारा ठीक नहीं की जा सकती। उन्होंने काला मोतिया के लक्षण आंख लाल होना, लगातार सिर दर्द होना, देखने का दायरा छोटा होना बताया। आई बैंक की निदेशक व कार्निया स्पेशलिस्ट डा. नीति गुप्ता ने कार्निया दृष्टिहीनता के बाबत विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया घ्कि इसका समाधान सिर्फ कार्निया प्रत्यारोपण ही है। बताया कि कार्निया आंख की पुतली होती है, बीमारी, जख्म अथवा अन्य किसी भी कारण से पुतली खराब हो जाए तो कार्निया प्रत्यारोपण ही इसका एकमात्र समाधान है। इस दौरान उन्होंने लोगों से नेत्रदान के लिए आगे आने की अपील भी की, उन्होंने बताया कि नेत्रदान से ही कार्निया प्राप्त कर नेत्रहीनों का जीवन रोशन किया जा सकता है।

धामी का विजन सफल, सभी पात्र लोगों को वैक्सीन लगाने वाला राज्य बना उत्तराखंड

उत्तराखण्ड राज्य, पूर्ण रूप से पात्र लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन की प्रथम डोज लगाये जाने वाला राज्य बन गया है। मीडिया सेंटर सचिवालय में आयोजित प्रेसवार्ता में यह जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी प्रदेशवासियों को इसके लिये बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने राज्य को आवश्यकतानुसार वैक्सीन की पर्याप्त संख्या में डोज उपलब्ध कराए जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नियत समय से पहले ही इस लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है। इसमें स्वास्थ्य, पुलिस विभागों सहित अन्य विभागों के कार्मिकों, विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं, मीडिया, और सभी प्रदेशवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
मुख्यमंत्री ने पहली डोज लेने वाले लोगों से दूसरी डोज भी समय पर लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि जैसे ही 18 वर्ष से कम आयु वालों के लिए वैक्सीनैशन की अनुमति मिलेगी, राज्य सरकार इनका वैक्सीनैशन भी जल्द करवाने का प्रयास करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड भारत सरकार के मार्गदर्शन में 16 जनवरी 2021 से सफलतापूर्वक कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। टीकाकरण अभियान को बढ़ावा देने के लिए राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
राज्य में 18 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 7729466 पात्र लाभार्थियों का कोविड-19 वैक्सीनेशन किया जाना था। जिसमें सबसे पहले हेल्थ केयर वकर्स का टीकाकरण प्रारम्भ किया गया जिसके पश्चात फ्रंटलाइन वर्कर्स फिर 60 से अधिक आयु और 45-59 आयु के गम्भीर रोगों से ग्रसित रोगियों का टीकाकरण प्रारम्भ किया गया, जिसके पश्चात 18 वर्ष से अधिक आयु के समस्त लाभार्थियों का टीकाकरण प्रारम्भ किया गया जिसमें गर्भवती महिलायें एवं दिव्यांग नागरिक भी सम्मिलित है।
राज्य में दिनांक 16 अक्टूबर, 2021 तक कुल 99.6 प्रतिशत हेल्थ केयर वर्कर्स, 99.2 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स और 18 वर्ष से अधिक आयु के 96.1 प्रतिशत लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीनेशन की प्रथम डोज लगायी जा चुकी है तथा अन्य शेष लाभार्थियों में गर्भवती महिलाये (जिनको उचित परामर्श प्रदान कर जागरूक किया जा रहा है. और उनके द्वारा सहमति व्यक्त करने पर ही उन्हें वैक्सीन लगायी जा रही है)। इस प्रकार राज्य में लगभग समस्त इच्छुक लाभार्थियों को वैक्सीन की प्रथम डोज लगायी जा चुकी है।
वैक्सीनेशन के संबंध में प्रत्येक ग्राम सभा और वार्ड मेम्बर से उनके क्षेत्र में समस्त पात्र लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन की प्रथम डोज लगाये जाने का प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा रहा है। जिसके क्रम में उत्तराखण्ड राज्य में पूर्ण रूप से पात्र लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन की प्रथम डोज लगायी जा चुकी है। वर्तमान में राज्य में द्वितीय डोज, गर्भवती महिलाओं, दिव्यांग एवं मानसिक रोग से ग्रसित एवं अन्य लाभार्थियों का टीकाकरण यथावत चलता रहेगा।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, डॉ. धन सिंह रावत, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, अपर सचिव सोनिका, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉक्टर तृप्ति बहुगुणा उपस्थित थे।

टेली हेल्थ कंसल्टेशन से स्वास्थ्य सुविधाओं को बनाया जायेगा और बेहतर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल एवं आईआईटी रुड़की के संयुक्त तत्वावधान में उड़ान एक आउटरीच “टेली हेल्थ कंसल्टेशन” बनाया गया है, जिसे शनिवार को लांच किया गया। बताया गया ​कि इसका उद्देश्य सुदूर क्षेत्रों में जरुरतमंद लोगों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। गौरतलब है कि अभी कोविड-19 महामारी पूर्णरूप से खत्म नहीं हुई है, लिहाजा कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए निकट भविष्य में आने वाली स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के दृष्टिगत एम्स की ओर से इस ऐप को तैयार किया गया है,जिसके माध्यम से अति दुर्गम स्थानों के लोग एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञों से ​चिकित्सकीय परामर्श ले सकेंगे। इस ऐप की खाशियत यह है कि जिन सुदूरवर्ती क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा नहीं हो, ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी इस ऐप के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधा व चिकित्सकीय परामर्श ले सकते हैं।
शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत चतुर्वेदी व एम्स ऋषिकेश के संकायाध्यक्ष (शैक्षणिक) प्रो. मनोज गुप्ता ने उड़ान मॉडल का संयुक्तरूप से वर्चुअल उद्घाटन किया। इस अवसर पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने अपने संबोधन में सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य की चिंता एवं उसके निराकरण के लिए एम्स ऋषिकेश और आईआईटी रुड़की का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने आश्वस्त किया कि बहुत जल्दी ही वह विशेषज्ञों के साथ इस विषय पर विस्तृत चर्चा करेंगे। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत चतुर्वेदी ने कहा कि स्वास्थ्य लाभ को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए तैयार उड़ान मॉडल आईआईटी रुड़की और एम्स ऋषिकेश की पहल सराहनीय है। उन्होंने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य प्रदेश के कोने-कोने तक जनमानस को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करना है और इसके लिए आईआईटी हर कदम पर एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों के साथ है।
एम्स के संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि टेलीमेडिसिन ने स्वास्थ्य जगत में अनोखा आयाम प्रस्तुत किया है, उन्होंने उम्मीद जताई कि एम्स ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल एवं आईआईटी रुड़की के संयुक्त तत्वावधान द्वारा तैयार किया गया यह मॉडल उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य को लेकर एक नया मोड़ लाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सोशल आउटरीच सेल उत्तराखंड के सुदूर क्षेत्रों में अब तक एक लाख से अधिक मरीजों के स्वास्थ्य की देखभाल करने के अलावा सैकड़ों स्वास्थ्य शिविर, जनजागरुक एवं अन्य सामाजिक विषयों पर शिविर आयोजित कर चुका है।
एम्स के सोशल आउटरीच सेल के नोडल ऑफिसर डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि कोविड-19 की दूसरी लहर के अनुभवों से यह ऐप बनने की प्रेरणा मिली है, अपने अनुभव साझा करते हुए डा. संतोष ने बताया कि जब उन्होंने देखा कि सुदूरवर्ती व दुर्गम क्षेत्रों में संपर्क साधना बहुत ही मुश्किल हो रहा है, जिससे कि ग्रामीणों को स्वास्थ के संबंध में समय पर उचित चिकित्सकीय परामर्श नहीं मिल पा रहा है, तो इसी के मद्देनजर इस मॉडल को तैयार करने का विचार आया है। उन्होंने बताया कि उड़ान मॉडल द्वारा हम ऐसे क्षेत्रों में पहुंच पाएंगे, जहां इंटरनेट नहीं है, यह ऐप 5 चरणों में कार्य करेगा। जिसमें सर्वाधिक बीमारी वाले गांवों को चिह्नित करके संस्थान के द्वारा उक्त गांवों में बीमारियों से बचाव के लिए ठोस रूपरेखा तैयार की जाएगी। उद्घाटन कार्यक्रम में संस्थान के डीएचए प्रोफेसर यूपी मिश्रा, सीएफएम विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वर्तिका सक्सेना, प्रोफेसर ब्रिजेंद्र सिंह, डा. मोहित ढींगरा, प्रो. डी. के. त्रिपाठी, डॉ. कुमार सतीश रवि, डॉ. योगेश के अलावा रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत, वरिष्ठ पुस्तकालयाध्यक्ष संदीप सिंह, विधि अधिकारी प्रदीप पांडेय आदि मौजूद थे।

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