कुभ क्षेत्र को केबल लैस बनाने के लिए बिजली व गैस पाइप लाइन के निर्माण में तेजी लाएंः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को मेला नियन्त्रण भवन हरिद्वार में कुम्भ मेला 2021 की आयोजन व्यवस्थाओं की शासन के उच्चाधिकारियों एवं सभी अखाड़ो के प्रतिनिधियों के साथ व्यापक समीक्षा की। इस अवसर पर नगर विकास मंत्री मदन कौशिक, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, सचिव नगर विकास शैलेश बगोली, गढ़वाल आयुक्त रविनाथ रमन, मेलाधिकारी दीपक रावत, आईजी मेला संजय गुंज्याल, अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि, महामंत्री मंहत हरिगिरी सहित सभी अखाड़ो के प्रतिनिधि तथा सभी सम्बन्धित अधिकारी मौजूद थे। इस अवसर मुख्यमंत्री ने संत महात्माओं को सम्मानित भी किया।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि आगामी कुम्भ मेला दिव्य एवं भव्यता के साथ आयोजित हो, इसके लिये समेकित प्रयासों पर ध्यान दिया जाय, सभी विभागों को अपनी जिम्मेदारी भी समझनी होगी। आगामी कुम्भ मेले में लगभग 12 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना के दृष्टिगत व्यवस्थाये सुनिश्चित की जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी कुम्भ मेले की ऐसी व्यवस्थायें होनी चाहिए ताकि यह आयोजन भविष्य के आयोजनों के लिये मिसाल बने। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुम्भ मेले में बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध कराने के साथ ही नेत्र चिकित्सा के लिए नेत्र कुम्भ भी आयोजित किया जाय। उन्होंने कुम्भ क्षेत्र को केबल लैस बनाने के लिये बिजली व गैस पाइप लाइन को अण्डर ग्राउंड किये जाने में भी तेजी लाने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरिद्वार को जोड़ने वाली सभी सड़को एवं पुलों के निर्माण मंे तेजी लाई जाय। इसके लिये दो या तीन शिफ्ट में कार्य करने की प्रक्रिया अपनायी जाय।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि स्थाई प्रकृति के काम अक्टूबर 2020 तक पूरे कर लिए जाएं। समयबद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। इस वैश्विक मेले में बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालु, राज्य के दूसरे पर्यटन स्थलों में भी जा सकते हैं। तमाम तरह की सुविधाएं विकसित करने मे आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग करने पर भी उन्होंने बल दिया।

नगर विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कुम्भ मेला की सफलता सभी के सामुहिक प्रयासों से जुड़ी है। इस कुम्भ में बेहतर व्यवस्थायें कर देश व दुनिया के श्रद्वालुओं को आवश्यक व्यवस्थायें करानी होगी। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी अपनी जिम्मेदारी समझे। उन्होंने संत महात्माओं के सुझावों पर भी ध्यान देने को कहा। अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि तथा महामंत्री महंत हरिगिरि ने कुम्भ क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने, आन्तरिक सड़को के निर्माण साफ सफाई पेयजल पेशवाई मार्गो के निर्माण मेला क्षेत्र की भूमि को अतिक्रमण से मुक्त करने अखाड़ो को भूमि उपलब्ध कराने, अखाड़ो के निर्माण के लिये आवश्यक धनराशि की उपलब्धता की बात कही। उन्होंने मेले के सफल आयोजन के लिये पूरा सहयोग का भी आश्वासन दिया।

महाकुंभ में भीड़ प्रबंधन की जो प्लानिंग हो, उसे कई बार परखा जाए

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वर्ष 2021 में हरिद्वार में होने वाले महाकुम्भ की तैयारियों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि महाकुम्भ की व्यवस्थाएं, इसकी दिव्यता और भव्यता के अनुरूप हों। महाकुम्भ में देश-विदेश से आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए हर आवश्यक सुविधा जुटाई जाए। सुरक्षा में किसी तरह की चूक की गुंजाईश नहीं रहनी चाहिए। इसके लिए भीड़ प्रबंधन की जो भी प्लानिंग की जाए, उसे बार-बार परख भी लिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे स्वयं महाकुम्भ की तैयारियों पर नजर रख रहे हैं। समय-समय पर तैयारियों के स्थलीय निरीक्षण के साथ इसकी समीक्षा भी करते रहेंगे।

हरिद्वार महाकुम्भ 2021, दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक व आध्यात्मिक मेला होगा। वैश्विक स्तर के इस मेले में दुनिया भर के देशों से करोड़ों श्रद्धालु आएंगे। इसमें किसी भी स्तर पर कोई लापरवाही क्षम्य नहीं हो सकती है। मुख्यमंत्री ने शासन स्तर पर भी महाकुम्भ की तैयारियों की नियमित मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने, कुम्भ मेलाधिकारी को दैनिक तौर पर तैयारियों का स्थलीय निरीक्षण करने को कहा है। शासन स्तर से किसी भी तरह की आवश्यकता होने पर तत्काल अवगत कराया जाए। महाकुम्भ की तैयारियों में संत महात्माओं का मार्गदर्शन लेना सुनिश्चित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि स्थाई प्रकृति के काम अक्टूबर 2020 तक पूरे कर लिए जाएं। समयबद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। इस वैश्विक मेले में बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालु, राज्य के दूसरे पर्यटन स्थलों में भी जा सकते हैं, इसलिए कुम्भ मेले के दौरान लोगों को प्रदेश के पर्यटन स्थलों की जानकारी देने के लिए पर्यटन सूचना केंद्र स्थापित किए जाएं। तमाम तरह की सुविधाएं विकसित करने मे आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षा व भीड़ प्रबंधन मे तैनात किए जाने वाले पुलिसकर्मियों का व्यवहार कुशल होना जरूरी है। सुरक्षा के लिए हर आवश्यक व्यवस्था समय से कर ली जाए। रेलवे व निकटवर्ती दूसरे राज्यों के अधिकारियों से समन्वय रखा जाए। स्नान घाटों सहित पूरे कुम्भ क्षेत्र में सफाई की पूरी व्यवस्था रहे। श्रद्धालुओं के लिए स्वास्थ्य, पेयजल, पार्किंग, आवास व शौचालय की सम्पूर्ण सुविधा रहनी चाहिए।

मुनिकीरेती पुलिस ने बिना वीजा और पासपोर्ट 18 साल से रह रहे विदेशी को पकड़ा

बिना पासपोर्ट और वीजा के पिछले 18 वर्षों से एक विदेशी नागरिक साधुवेश में तीर्थनगरी में डेरा डाले हुए है। कई साल से अवैध निवास कर रहे विदेशी नागरिक के बारे में पुलिस और एलआईयू को शुक्रवार को पता चल पाया। पुलिस सूचना मिलने के बाद मुनिकीरेती क्षेत्र स्थित नावघाट पहुंची। जब नागरिक से उसके वैध दस्तावेज मांगे गए तो उसने काफी देर तक एलआईयू टीम को प्रवचन के झांसे में उलझाए रखा। आखिरकार स्वीकार किया कि उसके पास कोई पासपोर्ट, वीजा या निवास का कोई वैध दस्तावेज नहीं है।
अवैध रूप से निवास कर रहा जर्मन नागरिक जर्गेन रुडोल्फ 1981 में भारत आया था। इस दौरान पिछले 38 साल से वह महाराष्ट्र सहित दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों में रहा। पिछले 18 साल से वह ऋषिकेश क्षेत्र में स्थान बदल-बदल कर रह रहा है। फिलहाल उसका मौजूदा ठिकाना मुनिकीरेती स्थित नावघाट बना हुआ है। वह गंगा किनारे बने सीढ़ी पर टेंट डालकर रह रहा है। अवैध तरीके से रहने की सूचना मिलने के बाद करीब 12 बजे मुनिकीरेती पुलिस और एलआईयू की सब इंस्पेक्टर उमा चैहान अपनी टीम के साथ पूछताछ को पहुंचे। पूछताछ के दौरान जर्गेन रुडोल्फ ने पहले तो आनाकानी की। बाद में अपना मूल निवास भी बताने से इनकार कर दिया।
बाद में उसने कुछ दस्तावेज दिखाए जिसके मुताबिक वह जर्मन नागरिक है, और 1981 में भारत आ गया था। तब से वह गेरुआ वस्त्र पहने पिछले 18 सालों से तीर्थनगरी में अलग-अलग स्थानों पर रह रहा है। एलआईयू एसआई उमा चैहान के मुताबिक अवैध निवास कर रहे जर्मन नागरिक की सूचना संबंधित एंबेसी को दी जाएगी। फिलहाल अभी मामले की पड़ताल की जा रही है। वहीं थाना अध्यक्ष मुनिकीरेती आरके सकलानी का कहना है कि विदेशी नागरिक के अवैध प्रवास संबंधी मामले की गहन छानबीन हो रही है। दस्तावेजों की पड़ताल के बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, विदेशी जर्गन रुडोल्फ का कहना है कि उसके पास वीजा, पासपोर्ट सहित सभी वैध दस्तावेज थे। कई साल पहले कुछ बदमाशों ने रुपयों के लालच में सारे दस्तावेज फाड़कर फेंक दिए। उनके पास पैसे भी नहीं हैं। जर्मन एंबेसी में एक बार मदद की गुहार लगाई थी। इसके बावजूद एंबेसी के लोग सहयोग नहीं कर रहे हैं। रुडोल्फ का कहना है कि अब उसने भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर लिया है। उसका नया नाम आशाराम गिरि है। पूरा विश्व मेरा कुटुंब है। परिवार में कोई नहीं है। मां गंगा ही मेरी सबसे बड़ी शुभचिंतक है।

कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर, हरिद्वार, यूएसनगर और देहरादून में बांग्लादेशियों की पहचान करवाएंगे सीएम

राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को उत्तराखंड में लागू करने के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने संकेत दिए है। सीएम ने हरिद्वार, यूएसनगर और देहरादून को इस मामले में ज्यादा संवेदनशील माना है। उन्होंने कहा कि चूंकि उत्तराखंड सीमांत प्रदेश है, इसकी सीमा पर शुरू से ही घुसपैठ का अंदेशा रहा है। इसके अलावा मैदानी जिलों में गैर उत्तराखंडी आबादी का फैलाव हुआ है।

यह सवाल तब और भी अधिक ध्वनित हुआ जब हरिद्वार जिले के पिरान कलियर में नासिर नामक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ा गया। इस व्यक्ति ने पुलिस को बताया कि वो बांग्लादेश के ढाका का नागरिक है। इस खुलासे के बाद से हरिद्वार में रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशियों की घुसपैठ एक बड़ी पहेली है। जिसे हल करने के लिए भाजपा विधायक संजय गुप्ता मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी तक से बार-बार मांग उठा चुके हैं।

करोड़ो की संख्या में श्रद्धालु कुंभ में पहुंचे, इसके लिए करेंगे प्रचार प्रसार

2021 के हरिद्वार महाकुम्भ को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए मुख्यमंत्री आवास स्थित कैम्प कार्यालय में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी महाराज एवं महासचिव हरि गिरी महाराज के साथ बैठक की।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 2021 में हरिद्वार में भव्य महाकुंभ का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि 11 अक्टूबर 2019 को हरिद्वार में अखाड़ा परिषदों के साथ सकुशल कुंभ कराने के लिए बैठक की जायेगी। आखाड़ा परिषद के सभी संतों के सुझावों को सरकार गम्भीरता से लेगी। भव्य एवं सुन्दर कुंभ कराने के लिए सरकार कृत संकल्प है। करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार कुंभ में आयें, इसके लिए व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जायेगा और इसके साथ ही उनकी सुख-सुविधा का पूरा ध्यान भी रखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुम्भ मेले की तैयरियों में संत समाज के साथ निरंतर संवाद बनाए रखा जाएगा। कुंभ मेला प्रारम्भ होने से पूर्व हरिद्वार में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं पूर्ण कर ली जायेंगी। संत समाज का हमें निरंतर सहयोग मिलता रहा है। संत समाज के सुझावों को ध्यान में रखते हुए महाकुम्भ के लिए सुनियोजित कार्ययोजना बनाई जायेगी।

शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि आगामी महाकुंभ एक बड़ी चुनौती है। सकुशल कुंभ कराने के लिए विस्तृत कार्य योजनाएं बनाई जा रही है। संत समाज के आशीर्वाद से सकुशल कुंभ का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि कुंभ में स्वच्छता का विशेष ध्यान दिया जायेगा।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी महराज ने कहा कि महाकुभ में सुरक्षा व्यवस्था में अखाड़ा परिषदों द्वारा पूरा सहयोग दिया जायेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि कुंभ मेले में होने वाले स्थाई प्रकृति के कार्यों की शुरूआत जल्द ही शुरू हो जाये। अखाड़ा परिषदों के लिए स्थान समय पर चिन्हित कर लिये जाए। उन्होंने अखाड़ों के लिए स्थाई प्रकृति के कार्य करने पर भी बल दिया। महाकुंभ में अखाड़ों के रहने का कलेण्डर बने व उसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी हो। मेले के लिए पार्किंग स्थल, सड़कों के चौड़ीकरण, पुलों के निर्माण, एवं सुचारू आवागमन हेतु अभी से ही सुनियोजित कार्ययोजना बन जाए। सुझाव दिया कि कुंभ मेले के लिए गंगा की स्वच्छता के साथ ही हरिद्वार की सफाई व्यवस्था का भी विशेष ध्यान रखा जाए।

मधुबन आश्रम संचालक परमानंद पर लगे गंभीर आरोप, इन धाराओं में हुआ मुकदमा

मधुबन आश्रम संचालक परमानंद दास महाराज पर ट्रस्टियों ने संपत्ति का उपयोग निजी तौर पर करने, आश्रम की आय का गबन करने सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं। ट्रस्टियों ने संचालक की नियुक्ति पर भी सवाल पैदा किए हैं। ट्रस्टियों ने थाना मुनिकीरेती में तहरीर भी दी है। तहरीर के आधार पर पुलिस ने आश्रम संचालक परमानंद दास महाराज के खिलाफ अमानत कर खयानात, धोखाधड़ी तथा गबन का मुकदमा दर्ज कर लिया है।

घटनाक्रम के अनुसार, बुधवार को स्कॉन न्यू वृंदावन ईस्ट ट्रस्ट के सदस्य आरके माहेश्वरी, डॉ. रवि खतान्हार, हेमंत ठाकुर, रविंद्र मल्ल्या मधुबन आश्रम पहुंचे। यहां मधुबन आश्रम की सिक्योरिटी ने उन्हें आश्रम में प्रवेश नहीं करने दिया। ट्रस्टियों ने इसका कड़ा विरोध जताया। उन्होंने आश्रम संचालक को उनसे बात करने को कह, लेकिन संचालक ने उनसे कोई बात नहीं की। इसके बाद वहां हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची, और किसी तरह हंगामे को शांत कराया। इसके बाद ट्रस्टियों ने थाना पहुंच तहरीर दी।

उन्होंने बताया कि ट्रस्ट का गठन 1986 में किया गया था। ट्रस्ट मुंबई में रजिस्टर्ड है। ट्रस्ट की ओर से मधुबन आश्रम पर भक्तियोग स्वामी को मंदिर की पूजा अर्चना के लिए नियुक्त किया गया था, जिनकी 12 अप्रैल वर्ष 2017 को हो गई। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अपने को आश्रम संचालक बताने वाला व्यक्ति धोखाधड़ी तथा कुछ स्थानीय लोगों की मिलीभगत से संचालन कर रहा है, जबकि ट्रस्ट की ओर से इन्हें नियुक्त नहीं किया गया है। साथ ही ट्रस्ट के बैंक अकाउंट के बजाए निजी अकाउंट पर चढ़ावे की धनराशि डाली जा रही है। साथ ही आश्रम की संपत्ति को निजी तौर पर प्रयोग में लाया जा रहा है। तहरीर के आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।

थानाध्यक्ष मुनिकीरेती राम किशोर सकलानी ने बताया कि ट्रस्ट के सदस्यों की ओर से दिए गए कागजात के आधार पर यह प्रतीत होता है कि उक्त लोग ही ट्रस्टी हैं तथा वर्तमान में आश्रम का संचालन कर रहे प्रेम प्रकाश राणा उर्फ परमानंद दास अवैध रूप से आश्रम पर बैठे हैं। उन्होंने बताया कि आरोपी के खिलाफ अमानत पर खयानात, धोखाधड़ी तथा गबन का मुकदमा दर्ज कर लिया है।

मैनेजर से आश्रम संचालक बन बैठा परमानंद
बुधवार को आश्रम ट्रस्टियों ने बताया कि वर्तमान में स्वयं को आश्रम का संचालक बताने वाला प्रेम प्रकाश राणा उर्फ परमानंद दास पूर्व में मंदिर के रेस्टोरेंट का मैनेंजर के पद पर तैनात था। ट्रस्ट की ओर से नियुक्त भक्तियोग स्वामी की मृत्यु के पश्चात परमानंद दास ने स्वयं साधु बनकर अपने को स्वयंभू महाराज घोषित कर दिया है।

ट्रस्ट ने बैंक अकाउंट कराया फ्रीज
ट्रस्ट के सदस्यों ने कहा कि परमानंद दास की ओर से आश्रम में ठहरने वाले श्रद्धालुओं से लिए जाने वाला शुल्क तथा मंदिर के दानपात्र पर आने वाला शुल्क अपने निजी अकाउंट में डाला जा रहा है। उन्होंने इस पर जब परमानंद दास से वार्ता करनी चाही तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया। इस पर ट्रस्ट ने आश्रम के पंजाब नेशनल बैंक के अकाउंट को फ्रीज करा दिया है।

ऑन लाइन बुकिंग के जरिये दिया जा रहा कमरा
परमानंद दास पर ट्रस्ट के सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया है कि उक्त व्यक्ति ने आश्रम को निजी होटल बनाया हुआ है। यहां ऑनलाइन बुकिंग के जरिये टूरिस्टों को महंगे दाम पर कमरा दिया जा रहा है। इसका ट्रस्ट घोर विरोध करता है। साथ ही यहां अपने परिवार के सभी सदस्यों को बैठा रखा है।

परमानंद बोले, जो ट्रस्टी नहीं, वह कर रहे दावा
मधुबन आश्रम संचालक परमानंद दास महाराज ने कहा कि उक्त लोग जो ट्रस्टी होने का दावा कर रहे हैं, दरअसल वह ट्रस्ट के सदस्य ही नहीं हैं। आश्रम का ट्रस्ट वर्ष 1986 में आठ सदस्यीय बना था। इनमें से छह ट्रस्ट के सदस्य ठीक से काम नहीं कर रहे थे तथा मधुबन आश्रम को स्कॉन ट्रस्ट के साथ मिलाकर खुर्दबुर्द करना चाहते थे। ट्रस्ट के मुख्य आर्बिटर किरतनानंद भक्तिपाद ने वर्ष 1995 में इन्हें पत्र भेजकर निकाल दिया था। उक्त सारे पत्र हमारे पास सुरक्षित है। किरतनानंद भक्तिपाद की मृत्यु के बाद यह लोग भक्तियोग स्वामी के पास भी गए, लेकिन वह भी इनके झांसे में नहीं आए। इसके बाद यह लोग सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिले और झूठी कहानी सुनाई। बुधवार को अमित रावत नामक व्यक्ति आश्रम पहुंचा और सीएम के आदेश का हवाला देकर निकाले गए इन छह ट्रस्टियों को कब्जा दिलाने की बात कहने लगा। जब हमने इनका प्रस्ताव नहीं स्वीकार किया। तो पुलिस में जाकर झूठी तहरीर दी और झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया। परमानंद दास ने पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए और कहा कि पुलिस ने बिना जांच पड़ताल किए उनके ऊपर गंभीर धाराएं लगा दी हैं।

लक्ष्मणझूला पुलः वैकल्पिक पुल को मिले तीन करोड़ रूपए

राज्य सरकार ने विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला के पास वैकल्पिक पुल का निर्माण कराने के लिए प्रथम चरण के तहत वित्तीय प्रावधान कर दिया है। शासन ने शुक्रवार को सेतु निर्माण के लिए 3.360 करोड़ रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी। नया वैकल्पिक पुल 150 मीटर का होगा। लोनिवि के उपसचिव जीवन सिंह ने वित्तीय स्वीकृति का शासनादेश जारी किया।

प्रदेश सरकार पुराने और जर्जर हो चुके लक्ष्मण झूला पुल से आवाजाही पहले ही प्रतिबंधित कर चुकी है। आवाजाही पर रोक लगाने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोक निर्माण विभाग को जल्द से जल्द वैकल्पिक झूला पुल तैयार करने के निर्देश दिए थे।

उनके निर्देश पर लोक निर्माण विभाग की टीम स्थलीय निरीक्षण करने के बाद सर्वेक्षण में जुट गई। विभाग ने शासन को प्राथमिक आगणन रिपोर्ट सौंपी थी। जिस पर वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई है। अब वित्तीय प्रावधान करने के बाद लोक निर्माण विभाग को झूला पुल निर्माण की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इस रिपोर्ट के आधार पर शासन अगले चरण की वित्तीय स्वीकृति प्रदान करेगा।

अलग-अलग कूड़े का उठान और उपयोग पर कोरिया करेगा सहयोग

नगर निगम ऋषिकेश की संकरी गलियों में अब कूड़ा उठान के लिए ई-रिक्शा का सहारा लिया जाएगा। इसके लिए नगर निगम प्राथमिकता पर काम कर रहा है। शुरुआती चरण में निगम क्षेत्र की गलियां और घर से गलियों के बाहर तक आने की दूरी का आंकलन किया जा रहा है। इसके बाद ही ई-रिक्शा की जरूरत का अंदाजा लग पाएगा। बृहस्पतिवार को मेयर अनिता ममगाईं ने एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) और केईआईटीआई (कोरिया एनवायरमेंट इंडस्ट्री एवं टेक्नालॉजी इंस्टीट्यूट) के प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता के दौरान यह जानकारी दी। नगर निगम में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर प्री फिजिबिलिटी रिपोर्ट के लिए केईआईटीआई और एडीबी ज्वाइंट मिशन के लिए बैठक आयोजित हुई। इस दौरान तीनों नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों तथा क्षेत्र के व्यापारियों, स्कूल प्राध्यापकों आदि ने ऋषिकेश में ठोस अपशिष्ट पदार्थों को लेकर अपने-अपने सुझाव दिए। बता दें कि एडीबी नगर निगम ऋषिकेश को कूड़ा प्रबंधन के लिए फंड जारी कर रहा है जबकि केईआईटीआई से सही तरह से कूड़ा प्रबंधन के लिए सुझाव लिए जा रहे हैं। बैठक में पालिकाध्यक्ष मुनिकीरेती रोशन रतूड़ी, नगर पंचायत जौंक अध्यक्ष माधव अग्रवाल, शहरी विकास विभाग से सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर रवि पांडे, एडीबी से बागेश कुमार, सैमदास गुप्ता, नगर आयुक्त चतर सिंह चैहान, अधिशासी अधिकारी पालिका मुनिकीरेती बद्री प्रसाद भट्ट, केईआईटीआई से स्यूंगडू किम, येचांम जोंग, टाडातेरु ह्यासी, ली सैंग क्यू आदि उपस्थित रहे।


पब्लिक का सहयोग होना जरुरीः प्रो. किम
कोरिया एनविरोनमेंट इंडस्ट्री एवं टेक्नालॉजी इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर व ठोस अपशिष्ट के एक्सपर्ट स्यूंगडू किम ने कहा कि कूड़ा निस्तारण की योजना को पूरा करने के लिए तीन चरण आवश्यक हैं। पहला पब्लिक का साथ, दूसरा टेक्निकल और तीसरा फाइनेंस। उन्होंने कहा कि शुरूआती दौर में छह माह तक इसका रोडमैप तैयार होगा। इसके बाद डीटीआर तैयार होगी। उन्होंने बताया कि कोरिया में नगर का कूड़ा आर्गेनिक, रिसाइकिल तथा डिस्पोजल के रूप में बनता है। वहां घरों से कूड़ा उठान के लिए कूड़ा बैग अलग-अलग साइज में दिए गए हैं। जितना बड़ा बैग होगा, उतना ही ज्यादा चार्ज होगा। उन्होंने बताया कि वहां मंडी से निकलने वाले कूड़े को तुरंत जानवरों को आहार के रूप में दिया जाता है।

सीसीटीवी कैमरों से रखेंगे नजर
पालिकाध्यक्ष ने बताया कि क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों के लिए पुलिस को 17 लाख तथा नगर पालिका को 25 लाख रुपए मिले हैं। इन सीसीटीवी कैमरों के जरिए रात में खुले में कूड़ा डालने वालों पर नकेल कसी जा रही है। इसी क्रम में नियमों का उल्लंघन करने वालों पर चालान की कार्रवाई की जा रही है। रोशन रतूड़ी ने बताया कि हमारे यहां सफाई कर्मियों को समय से वेतन जारी किया जा रहा है। इससे कर्मचारियों का मनोबल हमेशा बरकरार रहता है। दूसरी ओर नगर निगम की कार्यप्रणाली पूरी तरह से लचर दिखी। यहां तमाम दावों के बावजूद न तो सड़कों से आवारा पशु हट पाए, आउटसोर्सिंग कर्मियों के बकाया वेतन का मामला भी विवादों में रहा। इसके अलावा तमाम कोशिशों के बावजूद कूड़े का निस्तारण बेहतर ढंग से नहीं हो पा रहा है।


मुनिकीरेती पालिका कूड़ा निस्तारण में अव्वल
नगर पालिका मुनिकीरेती ने स्वच्छता के मामले में नगर निगम ऋषिकेश को आइना दिखाया है। बृहस्पतिवार को निगम में हुई बैठक में पालिकाध्यक्ष रोशन रतूड़ी ने एडीबी और केईआईटीआई की टीम के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश की। उन्होंने बताया कि उनकी पालिका क्षेत्र में प्रति परिवार को 20 रुपये में थैला दिया गया है। पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगाने के लिए लोगों में चालान की कार्रवाई के जरिये भय बनाने पर काम किया जा रहा है। क्षेत्र में प्रतिदिन 12 टन कूड़ा एकत्र होता है, इसमें से आठ टन हरिद्वार भेजा जाता है, चार टन को रिसाइकिल कर गड्ढे भरने के उपयोग में लाया जा रहा है। मुनिकीरेती पालिका में प्रत्येक घर में गमला दिया गया है। इसमें गीले कूड़ा का इस्तेमाल खाद के रूप में किया जा रहा है। सूखा कूड़ा पालिकाकर्मी उठाते हैं।

सुझावों पर एक नजर…
– छोटी गलियों से कूड़ा उठान के लिए डिब्बे उपलब्ध कराए जाएं
– कूड़ा डंपिंग की व्यवस्था आबादी क्षेत्र से दूर इलाके में हो
– पॉलिथीन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए
– गंगा नदी में पूजन सामग्री न डाली जाए
– पॉलिथीन की जगह जूट के उत्पाद वितरित कर प्रचलन में लाएं
– गीला कूड़ा और सूखा कूड़ा अलग-अलग उठाया जाए
– वार्डों से कूड़ा उठान से पूर्व गोविंदनगर ट्रंचिंग ग्राउंड से कूड़ा हटाया जाए
– वैकल्पिक तौर पर आईडीपीएल कांवड़ मेला पार्किंग स्थल पर कूड़ा डंप हो
– गीले कूड़े को घर में ही खाद बनाने का हुनर सिखाया जाए
– कूड़े के प्लास्टिक से फर्नीचर बनाने का उपक्रम प्रचलन में लाया जाए

लक्ष्मणझूला में आवाजाही को लेकर मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों से साझा किए विचार

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि लक्ष्मण झूला उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर है। पिछले 90 सालों से यह देश व दुनिया के पर्यटकों व श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र रहा है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण झूला को संरक्षित करने के लिए यथा संभव प्रयास किये जायेंगे। इस पुल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर आवाजाही दुबारा शुरू होने की स्थिति के सम्बन्ध में विशेषज्ञों से और सुझाव लिये जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारी हेरिटेज प्रोपर्टी है। इसे ठीक करने के सभी विषयों पर कार्य किया जायेगा। विशेषज्ञों की राय के बाद इसकी रेट्रोफिटिंग पर ध्यान दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारम्भ में इसके एक स्क्वायर मीटर में 200 किलो भार क्षमता आंकी गई थी। वर्तमान में इसका पिलर झुक रहा है, आज आधुनिक तकनीक के दौर में इसे कैसे ठीक किया जा सकता है यह देखा जायेगा। मुख्यमंत्री का कहना है कि इस पुल से जन भावानायें जुड़ी हैं, इसका भी हमें ध्यान रखना होगा।
मंगलवार को ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से भेंट की, उन्होंने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि उनके संस्थान के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा लक्ष्मण झूला का जीर्णोद्धार किया जा सकता है। ग्राफिक ऐरा के प्रो. पार्थो सेन ने कहा कि अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग करके इस पुल को बचाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पुल के लिए तकनीकी अध्ययन आई.आई.टी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है उनकी सलाह के मद्देनजर ही जन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसमें आवाजाही बन्द की गई है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भी यदि इसके संरक्षण में कोई तकनीकी जानकारी प्राप्त हो सकती है तो इस दिशा में भी पहल की जा सकती है। उन्होंने ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से सभी तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि आईआईटी की रिपोर्ट के हर पहलू का गहनता से अध्ययन किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से कोई भी लापरवाही नहीं बरती जायेगी जरूरत पड़ने पर लक्ष्मण झूला को बचाने के लिए अन्य विशेषज्ञों की राय भी ली जायेगी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय से डा. सुभाष गुप्ता, डा. अंकुश मित्तल, डा. संजीव कुमार, डा. पवन कुमार इमानी, डा. प्रदीप जोशी, श्रीपर्णा शाह व अर्चना रावत उपस्थित थे।

जल पुलिस के जवानों के पास नहीं हैं सुरक्षा उपकरण, फिर भी बचा रहे लोगों को

ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर गंगा में डूबने से बचाने के लिए 40वीं वाहिनी पीएससी की ई कंपनी तैनात है। लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात इन जवानों के पास खुद के बचाव के बुनियादी उपकरण नहीं हैं। हालात यह है कि लोगों को बचाने में इन जवानों को सड़ चुके लाइफ जैकेट के सहारे गंगा की लहरों जूझना पड़ रहा है।

ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर प्रतिदिन करीब 15 से 20 हजार लोग गंगा स्नान, पितृ तर्पण के लिए पहुंचते हैं। इस घाट पर प्रतिदिन टिहरी डैम से पानी भी छोड़ा जाता है। इससे यहां पानी का बहाव बढ़ जाता है। कई बार गंगा स्नान के दौरान लोग दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। किसी भी अप्रिय घटना से बचाने के लिए इस घाट पर उत्तराखंड पुलिस की एक जल चौकी भी है। यहां नौ जवान हर समय मुस्तैद रहते हैं, लेकिन गंभीर बात यह है कि इन जवानों के पास जरूरी सुरक्षा उपकरण नहीं हैं। वर्ष 2010 में मिलीं लाइफ जैकट अभीतक बदली नहीं गई हैं। फिलवक्त लाइफ जैकेट की हालात काफी खराब हो चुकी है। जैकेट के अंदर का फॉम गल चुका है। सिलाई उधड़ चुकी है। अमूमन लाइफ जैकेट की मियाद दो साल होती है। इसके बाद निष्प्रयोज्य मान ली जाती है। बहरहाल यात्रियों के साथ किसी दुर्घटना की स्थिति में जल पुलिस के जवानों को इन्हीं सड़ चुकीं लाइफ जैकेट के सहारे गंगा की लहरों से जूझना पड़ता है। जल पुलिस के हेड कांस्टेबल मदन सिंह चौहान ने बताया कि जल चौकी पर नौ जवान हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान जवानो की संख्या बढ़ाई जाती है।

यह सामान है उपलब्ध
सामान संख्या
लाइफ जैकेट्स 12
लाइफ ब्वाय 02
थ्रो बैग 02
सर्चिंग कांटा 02
साइकिल 02

इन सामानों की है दरकार
सामान संख्या
लाइफ जैकेट्स 10
लाइफ बाय 03
थ्रो बैग 03
सर्चिंग कांटा 02
राफ्ट 01
डीप डाइवर 01
40वीं वाहनी पीएससी ई-कंपनी के कंपनी कमांडर वीरेन्द्र सिंह चौहान का कहना है कि विभागीय मुख्यालय देहरादून को जरूरी उपकरणों की सूची भेजी गई है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर राफ्ट हरिद्वार तथा मुनिकीरेती कार्यालय से रेस्क्यू के लिए भेजी जाती है।

503 Service Unavailable

Service Unavailable

The server is temporarily unable to service your request due to maintenance downtime or capacity problems. Please try again later.

Additionally, a 503 Service Unavailable error was encountered while trying to use an ErrorDocument to handle the request.