जानिए कैसा था पंत का जीवन, क्यों हर किसी की यादों में जिंदा है प्रकाश पंत

प्रकाश पंत के बारे में अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि फार्मासिस्ट होने के बावजूद उन्होंने वित्त, संसदीय व विधायी कार्यों में महारथ हासिल की। वित्त विशेषज्ञ के तौर पर जीएसटी काउंसिल में उन्हें और उनके सुझावों को भरपूर तवज्जो दी गई। कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। ये पंक्तियां कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत पर सटीक बैठती हैं।
1977 में छात्र राजनीति में वह सक्रिय हुए और सैन्य विज्ञान परिषद में महासचिव चुने गए। पेशे से फार्मासिस्ट पंत ने 1984 में सरकारी सेवा को त्याग कर समाजसेवा के लिए सियासत का रास्ता चुना। 1988 में नगर पालिका परिषद पिथौरागढ़ के सदस्य चुने जाने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अविभाजित उत्तर प्रदेश में 1998 में वह विधान परिषद के सदस्य चुने गए और वहां भी अपने सवालों के जरिये छाप छोड़ी।
9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य का जन्म हुआ तो उन्हें अंतरिम विधानसभा के स्पीकर की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस दौरान उन्होंने अपने संसदीय ज्ञान और विधायी कौशल का बखूबी परिचय दिया। 2007 में भाजपा की सरकार में पंत संसदीय कार्य, विधायी, पेयजल, श्रम, निर्वाचन, पुनर्गठन व बाह्य सहायतित परियोजनाएं मंत्री के तौर पर अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया।
इस दौरान भी उनके संसदीय ज्ञान और विधायी कौशल को हर किसी ने सराहा। भाजपा की मौजूदा सरकार में भी वह कैबिनेट मंत्री के रूप में संसदीय कार्य, विधायी, भाषा वित्त, आबकारी, पेयजल एवं स्वच्छता, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग का दायित्व देख रहे थे। इस कार्यकाल में तो वह वित्त के विशेषज्ञ के तौर पर उभरे, तो हर मोर्चे पर सरकार को संभालते भी आए। वित्त में उनकी महारथ को जीएसटी काउंसिल ने भी सराहा। काउंसिल में पंत को भरपूर तवज्जो दी गई और वित्त मंत्रियों के समूह में उन्हें भी शामिल किया गया। वित्त पर अपनी मजबूत पकड़ के साथ ही जीएसटी की बारीकियों की जानकारी के बूते उन्होंने कई सुझाव काउंसिल को दिए।
जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के मद्देनजर वार्षिक टर्नओवर की सीमा से संबंधित मसले को सुलझाने में उनकी अहम भूमिका रही। यही नहीं, जीएसटी के फायदों के बारे में व्यापारियों व कारोबारियों को समझाने और उनकी दिक्कतों को हल करने के चलते वह व्यापार व कारोबारी जगत से जुड़े लोगों में खासे लोकप्रिय थे। उनके संसदीय ज्ञान और विधायी कौशल का हर कोई मुरीद था। सत्ता पक्ष भी और विपक्ष भी। जब कभी सरकार किसी विषय पर कहीं भी उलझी तो उसे निकालने में वह संकटमोचक बनकर उभरे। प्रदेश हित को उन्होंने सर्वोपरि रखा और इसके लिए सदन और सदन के बाहर संघर्ष किया। मौजूदा विधानसभा के अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल कहते हैं कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से कैबिनेट मंत्री पंत का सहयोग मिलता रहा। उनके संसदीय ज्ञान को हमेशा याद रखा जाएगा।

चला गया उत्तराखंड की सियासत का महारथी

काबीना मंत्री प्रकाश पंत यानी मृदु व्यवहार, बेहद सरल, सौम्य और मुस्कराता चेहरा। पक्ष हो या विपक्ष समेत तमाम सियासी दलों के विधायक हों या अन्य नेता सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सहयोग करने को हमेशा प्रकाश पंत तत्पर रहे। महज 59 साल की आयु में उत्तराखंड की सियासत का ये अजातशत्रु एकाएक गंभीर बीमारी के चंगुल में फंसकर सभी को छोड़कर चला गया। सत्तारूढ़ दल भाजपा के साथ ही विपक्षी दलों ने भी उनके निधन को राज्य के लिए सदमा बताया है। पंत की शख्सियत को बयां करते हुए कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन कहते हैं कि वह मेरे गुरु रहे हैं। मेरे पिता काजी मोईनुद्दीन भी उनका बहुत आदर करते थे। अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से ही प्रकाश पंत राज्य में भाजपा की सियासत का अहम हिस्सा रहे।

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प्रदेश भाजपा के दिग्गजों में शुमार होने के बावजूद प्रकाश पंत ने पार्टी के भीतर भी और बाहर विपक्षी दलों के साथ भी राजनीतिक द्वेष-विदेश से दूरी बनाए रखी। भाजपा की वर्ष 2007 में बगैर बहुमत के सत्ता में वापसी के दौरान राजनीतिक अनिश्चितता के दौर रहा हो या वर्ष 2017 में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलने के दौरान मुख्यमंत्री पद के लिए भी उनका नाम उछला, लेकिन पंत ने खुद को पद के विवाद से भी दूर रखा।
उनके इस व्यवहार को भी पार्टी के भीतर सम्मान की नजर से देखा जाता रहा है। पंत की खासियत ये भी रही कि उन्होंने मेहनत से जुटाए ज्ञान को बांटने में दलीय आग्रह को दूर रखा। इस वजह से विपक्षी दलों के विधायक भी उनके प्रशंसक रहे। पहले स्पीकर और फिर विधायी व संसदीय कार्यमंत्री रहते हुए विधायी ज्ञान में जो महारत हासिल की, उसे सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के विधायकों से भी उन्होंने साझा किया। इसी वजह से कांग्रेस के विधायक काजी निजामुद्दीन उनके निधन को संसदीय लोकतंत्र के लिए गहरा आघात करार दिया। उन्होंने कहा कि पंत के सानिध्य में घंटों बैठकर उन्होंने विधायी ज्ञान हासिल किया। उनके पिता व अंतरिम सरकार में विधायक रहे काजी मोईनुद्दीन ने पंत को खास इज्जत दी। उनके कहने पर ही उन्होंने प्रकाश पंत से बतौर गुरु संसदीय ज्ञान हासिल किया।
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भावुक टिप्पणी की कि प्रकाश पंत के निधन की खबर ने तन-मन दोनों को तोड़कर रख दिया। उत्तराखंड की राजनीति का अजातशत्रु चला गया। परिजनों व तुम्हारे चाहने वालों के लिए सांत्वना के शब्द ढूंढकर भी नहीं मिल पा रहे हैं।

उत्कृष्ट विधायक चुने गए थे प्रकाश पंत
काबीना मंत्री प्रकाश पंत को वर्ष 2008 में उत्कृष्ट विधायक के पुरस्कार से भी नवाजा गया था। उत्कृष्ट विधायक पुरस्कार की शुरुआत उक्त वर्ष से हुई थी। गंभीर बीमारी के चलते काबीना मंत्री प्रकाश पंत के असामयिक निधन से उत्तराखंड की सियासत में लंबे समय तक रिक्तता महसूस की जाएगी। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अंतरिम सरकार के पहले स्पीकर रहने के बाद उन्हें भाजपा की सरकारों में सात वर्ष तक विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री रहने का मौका मिला। वर्ष 2007 में प्रदेश की भाजपा सरकार और फिर 2017 में वर्तमान भाजपा सरकार में वह विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाले हुए थे। उत्तराखंड में अभी तक यह जिम्मेदारी सबसे ज्यादा संभालने का रिकार्ड उन्हीं के नाम है। उन्होंने लगातार दूसरी बार वित्त मंत्री का प्रभार भी संभाला।

राष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में याद रहेंगे पंत
कैबिनेट में वित्त मंत्री प्रकाश पंत राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज भी थे। पंत ने कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर मेडल प्राप्त किए हैं। निशानेबाजी के शौकीन पंत अपने व्यस्त कार्यक्रम में से भी शूटिंग के लिए समय निकाल ही लेते थे। उत्तराखंड के लोकप्रिय नेता प्रकाश पंत का बुधवार को गंभीर बीमारी के चलते निधन हो गया। राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले प्रकाश पंत राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी थे। पंत ने वर्ष 2004 में कोयम्बटूर में हुई जीबी मावलंकर शूटिंग प्रतियोगिता में लक्ष्य को सटीक भेदते हुए रजत पदक पर निशाना लगाया था।
इस प्रतियोगिता में प्रकाश पंत ने वेटरन वर्ग में एमपी-एमएलए कोटे से प्रतिभाग किया था। इसके अलावा 2004 में ही देहरादून में हुई राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पंत ने स्वर्ण पदक पर निशाना साधा था। उत्तरांचल राज्य रायफल संघ के महासचिव शूटर सुभाष राणा ने बताया कि संघ द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में वह लगातार हिस्सा लेते रहते थे। इसके अलावा जब भी वह फ्री रहते थे, ऐकेडमी में निशानेबाजी करने आते थे। उन्होंने उत्तरांचल राज्य रायफल संघ की ओर से प्रकाश पंत को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

पंत को याद कर जब भावुक हो गए सीएम त्रिवेंद्र
प्रकाश पंत के असामयिक निधन से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उस समय भावुक हो गए, जब उन्होंने पंत के साथ बिताए 30 साल की स्मृतियों का जिक्र किया। एक वीडियो में मुख्यमंत्री ने पंत की स्मृतियों को मीडिया से साझा किया। उन्होंने बताया कि किस तरह महज 40 साल की छोटी उम्र में अपनी काबिलियत के बूते वे पहली अंतरिम विधानसभा के अध्यक्ष बने। फरवरी में बजट सत्र के दौरान बजट भाषण पढ़ते हुए जब पंत बेसुध हुए, उस वक्त का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि उन्हें इसके बाद दिल्ली में संजय गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया।
टेस्ट के नतीजे आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने मुझे बताया कि प्रकाश पंत को एडवांस स्टेज का कैंसर है, जो बहुत रेयर किस्म का है। बहुत चिंता हुई। जब उन्हें उपचार के लिए अमेरिका ले जाया जा रहा था तो एक रात पहले मैंने उनसे रात 11 बजे अस्पताल में मुलाकात की। तब प्रकाश पंत ने मुझे कहा, मैं अमेरिका से स्वस्थ होकर लौटूंगा। आज उनके निधन की सूचना मिली। ये बयां करते करते मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का गला रुंध गया और आंखों से आंसू छलक आए।

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जावड़ेकर ने राज्य सरकार को दी बड़ी राहत

केंद्र सरकार ने उत्तराखंड सरकार को बड़ी राहत प्रदान की है। केन्द्र सरकार ने पौड़ी गढ़वाल स्थित श्रीनगर एनआइटी मामले में राज्य के रुख पर अपनी मुहर लगा दी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को नई दिल्ली में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि एनआइटी श्रीनगर का कैंपस नहीं बदला जाएगा। श्रीनगर में आइटीआइ और रेशम बोर्ड की भूमि पर अस्थायी रूप से नया कैंपस बनाया जाएगा। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों के बाद अब बचे हुए शिक्षकों को भी राहत देने का भरोसा दिलाया है। शिक्षा के अधिकार के तहत राज्य को मिलने वाली राशि का बकाया जल्द देने की सहमति भी केंद्र सरकार ने जताई है।
एनआइटी श्रीनगर पर गठित हाईपावर कमेटी ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मौजूदगी में ही हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा की। यह सहमति बनी कि एनआइटी श्रीनगर कैंपस नहीं बदलेगा। समिति की रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया कि सुमाड़ी की भूमि संस्थान के निर्माण के लिए किसी भी तरह अनुपयुक्त नहीं रही है। इस अवसर पर उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ धन सिंह रावत मौजूद थे।

नोडल अधिकारी के जरिये इस नदी का होगा पुनरूद्धार

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अल्मोड़ा में कोसी नदी के पुनरूद्धार के संबंध में बैठक की। उन्होंने कहा कोसी नदी के पुनरूद्धार में आम जन की सहभागिता हो, इस बात का हमें विशेष ध्यान रखना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य स्तर पर एक अधिकारी की नियुक्ति की जायेगी जो कोसी नदी पुनरूद्धार के कार्यों में सहयोग प्रदान करेंगे।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कोसी नदी के पुनरूद्धार के लिए कोसी कैचमेंट एरिया से जुड़े ग्रामीण जिन्हें अभी भी रसोई गैस कनैक्शन उपलब्ध नहीं हुए है, उन्हें रसोई गैस कनैक्शन प्राथमिकता से उपलब्ध कराये जाने को कहा। उन्होंने कहा कि कोसी कैचमेंट एरिया में जहां पर भी चैकडैम बनाये गये हैं, वहां पर देसी गुलाब के पेड़ लगाये जाय। इससे एक ओर जहां चैकडैमो को मजबूती मिलेगी वहीं दूसरी ओर मधुमक्खी पालन मंे भी यह उपयोगी सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को कोसी कैचमेंट एरिया में खस घास लगाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि कोसी नदी के चारों तरफ चौड़ी पत्ती के पेड़ सहित फलदार पौधरोपण अधिकाधिक हो, इसके लिए विशेष अभियान चलाना होगा।

उन्होंने कहा कि कोसी कैचमेंट एरिया से जुड़े प्रत्येक ग्राम का हर व्यक्ति इस अभियान से जुड़े इसकी हमें विशेष पहल करनी होगी। इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे लोगों द्वारा भी सहयोग प्रदान करने की बात की जा रही है। प्रारंभिक तौर पर हमें मनरेगा के माध्यम से इस कार्य को आगे बढ़ाना होगा। भविष्य में इसके लिए बजट प्राविधानित किया जायेगा ताकि इस अभियान को और अधिक गति मिल सकें। उन्होंने कहा कि कोसी कैचमेंट एरिया के विकास के लिये कार्य योजना बनायी जा रही है।

जानिये, कौन सा मंत्री आपकी समस्या को सुलझा सकता है!

सरकार अब सीधे जनता के दरवाजो पर दस्तक देगी। जिसके लिए मुख्यंत्री नें एक मास्टर प्लान तैयार किया है। जनता से सीधे सरोकार को लेकर आज भाजपा कार्यालय में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक जहां जिलो के दौरों में प्रभारी मंत्री समेत जिलाधिकारियो को समय-समय पर जनता के बीच संवाद स्थापित करने के आदेश जारी हो चुके है। वही एक तरफ अब माह में एक बार मुख्यमंत्री खुद कुमाऊ मंडल के पार्टा कार्यालय हल्द्वानी जाकर जनता की समस्याओ का सीधा निस्तारण करेंगे। वहीं, पार्टी कार्यालय में भी इसी तरह की व्यवस्था लागू की जा रही है। सरकार ने सीधे जनता से सरोकार को लेकर एक बृह्द योजना बनाई है, जिससे पूरी सरकार समय-समय पर जनता के बीच मौजूद रहकर जनका की समस्याओ का निस्तारण कर सकेगी। वहीं, इसे जनता और सरकार के बीच संवाद के रूप में एक बेहतर पहल के रूप में देखा जा रहा है।

जानियें, कौन मंत्री किस दिन लगायेगा दरबार
सोमवार को कृषि मंत्री सुबोध उनियाल
मंगलवार को वन मंत्री हरक सिंह रावत
बुद्धवार को वित्त मंत्री प्रकाश पंत
गुरुवार को परिवहन व समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य
शुक्रवार पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज
शनिवार को उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत
रविवार को महिला एंव बाल विकास राज्य मंत्री रेखा आर्य

इसके साथ ही किसी भी मंत्री की अनुपस्थिति में पार्टी कार्यालय में बैठने की जिम्मेदारी शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक समेत शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डे संभालेंगे। सरकार नें एक तरफ जहां पहले जनता दरवार से जनता के बीच पहुचने की कोशिश की है। वहीं, प्रभारी मंत्रियो के जरिए सरकार नें पूरे प्रदेश में जनता से संवाद स्थापित करने का प्रयास किया। अब हफ्ते के 7 दिन सरकार नें जनता से जुडने के लिए पार्टी कार्यलय को अपना ठिकाना बनाया है।

अच्छा प्रर्दशन करें तो निकायों को मिल सकती है 75 लाख की धनराशि

स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम में स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रथम तीन स्थान पाने वाले नगर निगम, नगर पालिका को क्रमशः 75, 50 एवं 25 लाख रूपये का पुरस्कार दिया जाएगा। यह घोषणा एक स्थानीय होटल में स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन तकनीकी एवं स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 विषय पर दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्याशाला में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्यशाला उत्तराखण्ड में स्वच्छता कार्यक्रम के अभियान को मजबूती देगी। यह हमारे लक्ष्यों को पूर्ण करने में मददगार होगी। उन्होंने कहा कि स्वच्छता कार्यक्रम के लिए मानसिंकता में बदलाव की आवश्यकता, आम व्यक्ति की जागरूकता एवं सहभागिता से यह लक्ष्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। ठोस अपशिष्ठ एवं प्रबन्धन की दिशा में आधुनिक तकनीक और शोध की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी के माध्यम से हम बडा से बडा लक्ष्य प्राप्त कर सकते है। सरकारी स्तर पर स्वच्छता कार्यक्रम की महत्ता को दर्शाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वच्छता के प्रयासों को कर्मचारियों के वार्षिक प्रवृष्टि में अंकित किया जायेगा।
नगर विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि स्वच्छता कार्यक्रम में नवीन तकनीकी के प्रयोग हेतु स्थानीय निकायों को अपनी आमदनी बढाने के प्रयासों पर बल देना होगा। शहरी विकास मंत्री ने कहा कि मार्च 2018 तक शत-प्रतिशत शौचालय ओडीएफ, डोर-टू-डोर कलेक्शन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जायेगा। इसके अतिरिक्त शत-प्रतिशत एलईडी का लक्ष्य प्राप्त किया जायेगा। उन्होंने कहा कि नगर निगम कि कार्य संस्कृति से अन्य नगर पालिका प्रभावित होती है। इसलिए नगर निगम की जिम्मदारी स्वच्छता के सन्दर्भ में अधिक है।
सचिव शहरी विकास राधिका झा ने कहा कि प्रदेश सरकार स्वच्छता के कार्यक्रम को लेकर संवेदनशील है। जिलाधिकारियों को साप्ताहिक नगर आयुक्त एवं अधिशासी अधिकारियों, नगर निगम के साथ समीक्षा बैठक करने के निर्देश दिये गये है। राज्य स्तरीय कार्यशाला में स्वच्छता विषय पर शपथ ली गई एवं स्वच्छता कार्यक्रम की एक मार्गदर्शिका पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।
कार्यक्रम के दौरान स्वच्छता विषय के इनोवेटिव टेक्नोलाॅजी के प्रयोग सम्बन्धी देशभर के विशेषज्ञों द्वारा आयोजित प्रदर्शनी लगायी गयी है।

शिक्षक अपने पद की गरिमा बनाये रखेंः सीएम

‘‘योग्य शिक्षक संसाधनों की कमी को भी पूरा कर सकते है। शिक्षकों को अपने पद की गरिमा को बनाये रखना चाहिए। बच्चों के विकास में प्यार और अनुशासन दोनों ही आवश्यक है। छात्रों को किताबी ज्ञान के अलावा संस्कार देना भी आवश्यक हैं।‘‘ मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा। गुरूवार को सर्वे आॅफ इण्डिया आॅडिटोरियम, हाथीबड़कला में आयोजित उत्तराखण्ड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ देहरादून के सम्मानित सेवानिवृत्त शिक्षक-शिक्षिकाओं के विदाई समारोह में प्रतिभाग के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र उपस्थित शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि बच्चों को शिक्षा के साथ ही संस्कार देना भी आवश्यक है। संस्कारो की बुनियाद व्यक्ति के प्रारम्भिक जीवन में ही पड़ जाती हैं तथा जब आवश्यकता होती है तो यह उभर कर आते है। इस कार्य में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। योग्य व्यक्ति या शिक्षक संसाधनों की कमी भी पूरा कर सकते है।
अपने स्कूली जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले के समय में जब सुविधाओं का अत्यन्त अभाव था तब भी अध्यापकों ने कठिन परिस्थितियों में अपनी समर्पित सेवाऐ दी। हम उनका आभार व्यक्त करते है। उन्होनें कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज प्राइमरी शिक्षकों में लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं हैं। महिलाऐं अपने घर की जिम्मेदारी के साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभा रही हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सरकार शिक्षकों के हित में लिए गए निर्णय समयबद्ध रूप से पूरे करने के प्रयास करेगी।

जीएसटी में हिमालयी राज्यों को छूट देने पर सीएम ने जताया आभार

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश में ऐसे उद्योगों को जिन्होने जीएसटी लागू होने के पूर्व केन्द्रीय उत्पाद शुल्क में छूट का फायदा उठाया था वर्ष 2027 तक बजटीय सहायता दिये जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इससे ऐसे उद्योग जो राज्य से बाहर जा रहे थे, उनको राज्य में ही रोकने में सहायता तो मिलेगी ही, साथ ही नये उद्योग की स्थापना के लिये और अनुकूल वातावरण तैयार होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योग बढ़ने से रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड की जनता की ओर से केन्द्र सरकार का आभार प्रकट किया। मुख्यमंत्री ने गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास पर नमामि गंगे परियोजना के एक कार्यक्रम के उपरांत पत्रकारों से अनौपचारिक वार्ता के दौरान यह बयान दिया।
पिथौरागढ़ में प्राकृतिक आपदा से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार लगातार राहत कार्य कर रही है। मौसम खराब होने के कारण हैलीकाॅप्टर नहीं उड़ पा रहे हैं। एक हैलीकाॅप्टर को धारचूला में ही रखा गया है ताकि आपातकालीन परिस्थितियों में हैलीकाॅप्टर की सुविधा उपलब्ध करायी जा सके। एनडीआरएफ, एसडीआआरएफ, आईटीबीपी, सेना एवं स्थानीय लोग लगातार राहत कार्यों में लगे हुए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में रहने एवं खाने की निशुल्क सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। प्रभावित क्षेत्र में चिकित्सा टीम द्वारा मेडिकल कैम्प के माध्यम से प्रभावितों के साथ ही स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क एवं पैदल मार्ग की मरम्मत आदि का कार्य किया जा रहा है। दो चिकित्सा टीमों द्वारा मालपा तथा सिमखोला में चिकित्सा कैंप लगाकर कर स्वास्थ्य परीक्षण तथा दवा वितरित की जा रही है। भ्रष्टाचार से जुड़े प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सीबीआई में काम कर चुके पूर्व अधिकारियों को लेकर एक टीम बनायी जाएगी, ताकि भ्रष्टाचार से जुड़े मसलों की जांच समय से पूरी की जा सके। इससे भ्रष्टाचार से जुड़े मसलों के निस्तारण में तेजी आएगी।

हाईकमान सुलझा पायेगा मदन कौशिक और सतपाल महाराज के समर्थकों में मारपीट का मामला!

हरिद्वार का घटनाक्रम अब भाजपा हाईकमान के दरवाजे पर आ गया है। हाईकमान अब मामले में दोनों मंत्रियों के बीच सुलह करवायेगा, ऐसी उम्मीद की जा रही है। दो कैबिनेट मंत्रियों के समर्थकों के सार्वजनिक रूप से आमने-सामने आ जाने से भाजपा की किरकिरी हो रही है। वहीं अनुशासित पार्टी की छवि को भी इस घटनाक्रम से नुकसान पहुंचा है। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद मंत्रिमंडल में नंबर दो की हैसियत के मंत्री हैं। इसी साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव के जरिये महाराज ने राज्य की राजनीति में कदम रखा। उत्तराखंड में भाजपा की भारी भरकम जीत के बाद वह भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, हालांकि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उन पर पुराने पार्टी कार्यकर्ता त्रिवेंद्र सिंह रावत को तरजीह दी।
वहीं, हरिद्वार के विधायक मदन कौशिक भी भाजपा के कद्दावर नेताओं में शामिल हैं। विधानसभा चुनावों में लगातार जीत दर्ज करते आ रहे कौशिक की छवि तेजतर्रार नेता की है। कौशिक के कद का अंदाजा इस बात ये लगाया जा सकता है कि उन्हें प्रदेश सरकार के प्रवक्ता की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी दी गई है।
गुरुवार को हुए टकराव के बाद जिस तरह पार्टी नेता और विधायक साफ तौर पर दो खेमों में बंटे नजर आए, उससे यह भी स्पष्ट हो गया कि चिंगारी काफी वक्त से सुलग रही थी और मौका सामने आते ही इसने असंतोष की आग कर रूप ले लिया। हालांकि, अब प्रदेश नेतृत्व इस असहज स्थिति से निबटने के लिए आगे आ गया है। इससे समझा जा रहा है कि जल्द इस प्रकरण का पटाक्षेप हो जाएगा।

प्रदेश अध्यक्ष ने बताया हादसा
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने हरिद्वार की घटना को महज एक हादसा बताया है। कहाकि यह दो मंत्रियों के बीच टकराव जैसी कोई बात नहीं है। दरअसल, हरिद्वार में जलभराव को लेकर स्थानीय जनता में आक्रोश था। प्रशासन अगर आश्रम प्रबंधन से इस सिलसिले में पूछ लेता, तो यह नौबत आती ही नहीं।
उन्होंने कहा कि यह मामला सतपाल महाराज के आश्रम के लोगों और नगर निगम कर्मचारियों के बीच का है। इसे बेवजह राजनैतिक रूप से तूल नहीं देना चाहिए। मैंने दोनों मंत्रियों से इस संबंध में बात की है। परिवार का मामला है, जल्द सुलझा लिया जाएगा।

हरक सिंह ने कराया ठेकेदारों का अनशन खत्म

आंदोलनरत ठेकेदारों और शासन में मांगों को लेकर सहमति बन गई है। इसके बाद ठेकेदारों ने धरना स्थगित कर दिया है। प्रदेशभर के ठेकेदार लंबित भुगतान की मांग को लेकर देहरादून ठेकेदार कल्याण के बैनरतले आंदोलनरत थे। यमुना कालोनी स्थित लोनिवि मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन के साथ ही ठेकेदारों ने 10 अगस्त को सीएम आवास कूच करने का निर्णय लिया था। मगर, इससे पहले विकासनगर के विधायक मुन्ना सिंह चौहान की पहले पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने ठेकेदारों को वार्ता के लिए बुलाया। विधानसभा में सचिव, विभागीय अधिकारियों की मौजूदगी में हुई वार्ता के बाद समिति की सभी मांगों पर सहमति बनी हैं। मंत्री ने कहा कि राज्य सेक्टर से 100 करोड़ का तत्काल भुगतान किया जाए। इसमें पुराने भुगतान को प्राथमिकता दी जाएगी। कहा कि 25 लाख से ऊपर के कार्य ई-टेंड¨रग से ही होंगे। जीएसटी पर भी शासन निर्णय लेगा। एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद सिंह पुंडीर ने बताया कि उनकी मांगें मान ली गई हैं। कुछ देर बाद बाद मंत्री हरक सिंह रावत और विधायक मुन्ना सिंह चौहान यमुना कॉलोनी पहुंचे। जहां धरने पर बैठे ठेकेदारों की हड़ताल खत्म कराई।

फेसबुक पेज से जनता के बीच जायेगी उत्तराखंड सरकार

सोशल मीडिया में जनता के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने के मकसद से आज फेसबुक के पॉलिसी प्रोग्राम मैनेजर (साउथ एशिया) नितिन सलूजा ने राज्य के सचिव और निदेशक स्तर के अधिकारियों केे साथ सोशल मीडिया पर जनता के साथ सीधा और प्रभावी संवाद स्थापित करने पर चर्चा की। सचिवालय में आयोजित कार्यशाला में सलूजा ने अधिकारियों को बताया कि कैसे सोशल मीडिया के जरिए जनता के साथ प्रभावी संवाद स्थापित करके उनकी समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
सलूजा ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर उत्तराखण्ड, देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है, जिसका हर विभाग फेसबुक के माध्यम से जनता से जुड़ा हो। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देशों के अनुसार सभी प्रमुख विभागों के अधिकारी अपने अपने विभागों के फेसबुक पेज बनाएंगे और फेसबुक के माध्यम से जनता की समस्याओं को सुनेंगे। अधिकारी विभागों के फेसबुक पेज दिन प्रतिदिन विभागों की उपलब्धियों को अपडेट करेंगे।
कार्यशाला में बताया गया कि अधिकारियों को विभागों की उपलब्धियों और कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी फेसबुक पर अपडेट करनी होगी जिससे सोशल मीडिया के जरिए जनता को इनकी जानकारी मिल सके और जनता योजनाओं का लाभ ले सके। विभागों के फेसबुक पेज पर जनता की शिकायकतों को भी सुना जा सकता है और उनका त्वरित निस्तारण भी किया जा सकता है। विभागों को बेहतर क्रियान्वयन के लिए जनता अलग अलग विभागों के फेसबुक पेज पर सीधे अपने सुझाव दे सकती है, जिससे जनता के प्रति विभागों की जवाबदेही पहले से ज्यादा असरदार हो जाएगी। फेसबुक की पहुंच आज दुनिया के कोने कोने तक है इस वजह से फेसबुक पेज का इस्तेमाल करके विभागों की पहुंच हर घर तक, खासतौर से युवा वर्ग तक आसानी से हो सकती है।