देवभूमि की विधानसभा ने समान नागरिकता कानून पारित कर देश में की नई शुरूआत-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता विधान सभा सदन में बहुमत से पास होने पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं, उन्होंने सदन के सदस्यों तथा उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता का आभार जताया है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि यह उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक पल है जब देवभूमि के अन्दर देवभूमि की विधानसभा सदन से देश के पहले समान नागरिकता कानून को मंजूरी मिली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधान सभा से पारित नागरिकता संहिता कानून संवैधानिक प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 12 फरवरी 2022 को प्रदेश की जनता से समान नागरिक संहिता कानून को प्रदेश में लागू करने का वायदा किया था। आज वह वायदा पूर्ण हो गया है मुख्यमंत्री ने कहा कि जो संकल्प हमारी सरकार ने लिया था वह आज सिद्धि तक पहुँच गया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना ने इस समानता के कानून को लागू करने की प्रेरणा दी है।” यह कानून समानता और एकरूपता का कानून है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा कि यह कानून किसी के विरुद्ध नहीं है। बल्कि यह कानून महिलाओं को कुरीतियों और रूढ़िवादी प्रथा से दूर करते हुए सर्वांगीण उन्नतिका रास्ता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कानून में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, उत्तराधिकार और दत्तक ग्रहण जैसे मुद्दों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इस क़ानून के निर्माण हेतु पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था इसके बाद लगभग 2 सालों के कालखंड में समिति ने हर वर्ग, समुदाय, संप्रदाय के लोगों के साथ बातचीत करते हुए 10 हज़ार से अधिक लोगों के साथ प्रत्यक्ष रूप से बातचीत, करते हुए 72 बैठकों के बाद 2 लाख 33 हज़ार सुझावों को इस कानून में शामिल किया है।मुख्यमंत्री ने अन्य राज्यों से भी अपेक्षा की है वे भी इस कानून की दिशा में आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य हित में जो भी निर्णय लिया जाना उचित होगा वह लिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के संघर्ष के परिणाम स्वरूप उत्तराखण्ड बना है। वे स्वयं खटीमा, मसूरी तथा मुजफ्फरनगर काण्ड के साक्षी रहे है। राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिये गठित विधान सभा की प्रवर समिति की रिपोर्ट के आधार पर विधान सभा द्वारा आंदोलनकारियों को सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण विधेयक को मंजूरी प्रदान करने को भी उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों का सम्मान बताया है।

ऐतिहासिक, सीएम धामी के नेतृत्व में पास हुआ यूसीसी बिल

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक उत्तराखंड 2024 बुधवार को विधानसभा में पारित कर दिया गया। विधेयक पर दो दिनों तक लंबी चर्चा हुई। सत्ता और विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों को लेकर अपने-अपने सुझाव दिए। इस प्रकार उत्तराखंड विधानसभा आजाद भारत के इतिहास में समान नागरिक संहिता का विधेयक पारित करने वाली पहली विधानसभा बन गई है।
मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 को विधानसभा में पेश किया था। आज बुधवार को सदन में विधेयक पर चर्चा के बाद सदन ने इसे पास कर दिया। अब अन्य सभी विधिक प्रक्रिया और औपचारिकताएं पूरी करने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा। विधेयक में सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक कानून का प्रावधान है। महिला-पुरुषों को समान अधिकारों की सिफारिश की गई है। अनुसूचित जनजातियों को इस कानून की परिधि से बाहर रखा गया है।
बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता से किए गए वायदे के अनुसार पहली कैबिनेट बैठक में ही यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई। समिति ने व्यापक जन संवाद और हर पहलू का गहन अध्ययन करने के बाद यूसीसी के ड्रॉफ्ट को अंतिम रूप दिया है। इसके लिए प्रदेश भर में 43 जनसंवाद कार्यक्रम और 72 बैठकों के साथ ही प्रवासी उत्तराखंडियों से भी समिति ने संवाद किया।

कुप्रथाओं पर लगेगी रोक
समान नागरिक संहिता विधेयक के कानून बनने पर समाज में बाल विवाह, बहु विवाह, तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर रोक लगेगी, लेकिन किसी भी धर्म की संस्कृति, मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून से प्रभावित नहीं होंगे। बाल और महिला अधिकारों की यह कानून सुरक्षा करेगा।

यूसीसी के अन्य जरूरी प्रावधान
विवाह का पंजीकरण अनिवार्य। पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं से होना पड़ सकता है वंचित।
पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह पूर्णतः प्रतिबंधित।
सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित।
वैवाहिक दंपत्ति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा।
पति पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास ही रहेगी।
सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार।
सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटी-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार।
मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक।
संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं किया गया है। नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना गया है।
किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी व बच्चों को समान अधिकार दिया गया है। उसके माता-पिता का भी उसकी संपत्ति में समान अधिकार होगा। किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया गया ।
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।
लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा ही माना जाएगा और उस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।

“हमारे देश के प्रधानमंत्री राष्ट्रऋषि नरेन्द्र मोदी विकसित भारत का सपना देख रहे हैं। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर है”
“समान नागरिक संहिता का विधेयक आदरणीय प्रधानमंत्री द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है”
“यूसीसी के इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है”
-पुष्कर सिंह धामी
मुख्यमंत्री उत्तराखंड

मुख्य सचिव ने नवोदय आवासीय विद्यालयों के निर्माण को टेंडर प्रक्रिया शुरु करने के दिए निर्देश

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बुधवार को विधानसभा भवन में उत्तरकाशी के दिवारीखोल तथा रूद्रप्रयाग के तिलवाड़ा में प्रस्तावित राजीव गांधी नवोदय आवासीय विद्यालय की ईएफसी (व्यय वित्त समिति) की बैठक में इन प्रोजेक्ट्स के सम्बन्ध में नाबार्ड से स्वीकृति लेकर जल्द टैण्डर की प्रक्रिया आरम्भ करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने इन विद्यालयों के भवनों के निर्माण के साथ-साथ ही इनमें विभिन्न स्टाफ की भर्तियों के अनुमोदन, फर्नीचर आदि की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग तथा ब्रिडकुल को इन विद्यालयों में दिव्यांग बच्चों के लिए सभी आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था करने, रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, सोलर पैनल एवं सोलर लाइट तथा उरेडा की सहायता से वाटर हीटर लगाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने निर्देश दिए कि इन विद्यालयों में छात्राओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए। विशेषकर विद्यार्थियों की सुरक्षा के दृष्टिगत सीएस ने प्रस्तावित नवोदय विद्यालयों में निर्माण के दौरान इलेक्ट्रिकल विंग का सर्टिफिकेशन लेने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने इन विद्यालयों में पुख्ता वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम बनाने, किचन गार्डन तथा कम्पोस्टिंग की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सीएस ने इन विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की सुविधा तथा ऑनलाइन शिक्षा हेतु बेहतरीन वाईफाई सुविधा उपलब्ध करवाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने इन विद्यालयों में बच्चों से मिलने आने वाले अभिभावकों के लिए अतिथि कक्षों की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उत्तरकाशी के दिवारीखोल तथा रूद्रप्रयाग के तिलवाड़ा में प्रस्तावित राजीव गांधी नवोदय आवासीय विद्यालयों के निर्माण कार्य को 18 महीने के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि राज्य में नवोदय विद्यालयों को सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। उत्तरकाशी के दिवारीखोल तथा रूद्रप्रयाग के तिलवाड़ा में प्रस्तावित राजीव गांधी नवोदय आवासीय विद्यालयों के आरम्भ होने से दूरस्थ एवं दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के स्थानीय बच्चों को लाभ मिलेगा। इन विद्यालयों में बच्चों को अच्छी सुविधाएं दी जानी चाहिए।
210 छात्र-छात्राओं की क्षमता तथा 3973.25 लाख रूपये की लागत से बनने वाले उत्तरकाशी के दिवारीखोल में प्रस्तावित राजीव गांधी नवोदय विद्यालय की कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग है तथा रूद्रप्रयाग के तिलवाड़ा में प्रस्तावित 4486.77 लाख रूपये की लागत से निर्मित होने वाले राजीव गांधी नवोदय आवासीय विद्यालय की कार्यदायी संस्था ब्रिडकुल है।
बैठक में अपर सचिव रंजना राजगुरू, विजय कुमार जोगदण्डे सहित कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग व ब्रिडकुल के सम्बन्धित अधिकारी मौजूद रहे।

मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के प्रोजेक्ट्स को हॉलिस्टिक अप्रोच के साथ पूरा करने के निर्देश

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों के साथ ही उनमें डॉक्टर्स, नर्सिंग ऑफिसर्स, पैरामेडिकल एण्ड एन्सिलरी स्टाफ के पद सृजन आदि की प्रक्रिया भी साथ-साथ संचालित करने की हिदायत स्वास्थ्य विभाग, वित्त विभाग एवं कार्मिक विभाग को दी है। उन्होंने कहा कि इस तरह से निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों का समय पर संचालन शुरू हो पाएगा। मुख्य सचिव ने हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में 216 तथा पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज में 216 डॉक्टर्स के पदों से सम्बन्धित स्थिति को तत्काल स्पष्ट करने के निर्देश वित्त विभाग को दिए हैं। उन्होंने मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के प्रोजेक्ट्स को हॉलिस्टिक अप्रोच के साथ पूरा करने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिए।
मेडिकल टूरिज्म की बेहतरीन संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए सीएस रतूड़ी ने पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज तथा नैनीताल के भवाली स्थित टीबी सेनेटोरियम के सम्बन्ध में एक बैठक पर्यटन विभाग के साथ आयोजित करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में विधानसभा भवन में राजकीय मेडिकल कॉलेज पिथौरागढ़ के ढांचे के गठन में राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार के सापेक्ष संख्या में कम हो रहे पदों के संबंध में बैठक सम्पन्न हुई।
राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती के दृष्टिगत मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य के मैदानी जिलों के समान ही पर्वतीय जिलों में बनने वाले मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों में भी पर्याप्त संख्या में डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ तथा अन्य स्टाफ की व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश स्वास्थ्य, वित्त एवं कार्मिक विभाग को दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज से न केवल पिथौरागढ़ जनपद को बल्कि जनपद चंपावत तथा जनपद बागेश्वर व अल्मोड़ा के एक बड़े भाग की आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं मिलेगी। साथ ही पड़ोसी देश नेपाल द्वारा भी यहाँ की स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने की संभावना बढ़ जायेगी। पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज का संचालन आरम्भ होने के बाद इसके आस-पास के क्षेत्रों में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं अन्य सम्बन्धित सुविधाओं, उद्यमों के विकास एवं स्वरोजगार के नए अवसरों की संभावनाएं भी बढ़ेगी।
बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग को हरिद्वार जिले में मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने गर्भवती माताओं एवं नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य के फॉलोअप हेतु ट्रैकिंग सिस्टम बनाने, सभी गर्भवती महिलाओं की अनिवार्य प्रसवपूर्व जांच (एएनसी) करने, सभी गर्भवती माताओं का संस्थागत प्रसव करवाने के भी निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने मातृ मृत्यु दर की दृष्टि से हाई रिस्क एरियाज में आशा वर्कर हेतु विशेष ऑरियेण्टेशन प्रोग्राम संचालित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने आशा वर्कर्स के कार्यों के मूल्यांकन में मातृ मृत्यु दर को भी शामिल करने के निर्देश दिए हैं।
बैठक में सचिव डा0 आर राजेश कुमार, वी. षणमुगम सहित स्वास्थ्य, वित्त, कार्मिक एवं न्याय विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।

धामी सरकार करने जा रही अपना वादा पूरा, आंदोलनकारियों को मिलेगा आरक्षण

उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिह्नित आंदोलनकारियों के सभी पात्र आश्रित भी राजकीय सेवा में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के हकदार होंगे। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिह्नित आंदोलनकारियों तथा उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण विधेयक पर गठित विधानसभा की प्रवर समिति ने यह सिफारिश की है। मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने समिति की रिपोर्ट सदन पटल पर रखी। बुधवार को रिपोर्ट पर चर्चा के बाद विधेयक को मंजूरी देने की पूरी संभावना है।
प्रदेश सरकार ने आठ सितंबर 2023 को सदन में विधेयक पेश किया था। विधेयक में चिह्नित आंदोलनकारियों व उसके एक आश्रित सदस्य को क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान किया गया था। प्रवर समिति ने इसमें बदलाव करते हुए सभी पात्र आश्रितों को आरक्षण का योग्य माना है। साथ समिति ने आश्रित की परिभाषा में चिह्नित आंदोलनकारी की पत्नी अथवा पति, पुत्र एवं पुत्री जिसमें विवाहित, विधवा, पति द्वारा परित्यक्त, तलाकशुदा पुत्री को भी शामिल किया गया है।
प्रवर समिति ने ये सिफारिश भी की कि 11 अगस्त 2004 को या उसके बाद उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी शासनादेशों के अधीन विभिन्न राजकीय सेवाओं, पदों के लिए राज्य आंदोलनकारियों का चयन और नियुक्ति इस अधिनियम के तहत वैध माना जाए। जिस व्यक्ति का चिह्नीकरण सक्षम अधिकारी द्वारा राज्य आंदोलनकारी के रूप में किया गया हो, उसे प्रमाणपत्र या पहचानपत्र जारी हो। विधेयक में विभिन्न विभागों में तथा समूह घ के पदों पर सीधी भर्ती में नियुक्ति देने में आयु सीमा तथा चयन प्रक्रिया को एक बार शिथिल करने का प्रावधान के स्थान पर समिति ने राज्याधीन सेवाओं में चयन के समय चिह्नित आंदोलनकारियों या उनके आश्रितों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने की सिफारिश की है।

महिलाओं को बराबरी का अधिकारी दिलायेगा यूसीसी

देश के पहले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बिल में किसी धर्म विशेष का जिक्र तो नहीं, लेकिन कई नियमों के बदलाव में रूढ़ि, परंपरा और प्रथा को खत्म करने का आधार बनाया गया है। इद्दत, हलाला को भी प्रत्यक्ष तौर पर कहीं नहीं लिखा गया। हालांकि, एक विवाह के बाद दूसरे विवाह को पूरी तरह से अवैध करार दिया गया है।

इद्दत-हलाला को इस तरह परिभाषित किया
यूसीसी बिल में महिला के दोबारा विवाह करने (चाहे वह तलाक लिए हुए उसी पुराने व्यक्ति से विवाह करना हो या किसी दूसरे व्यक्ति से) को लेकर शर्तों को प्रतिबंधित किया गया है। संहिता में माना गया कि इससे पति की मृत्यु पर होने वाली इद्दत और निकाह टूटने के बाद दोबारा उसी व्यक्ति से निकाल से पहले हलाला यानी अन्य व्यक्ति से निकाह व तलाक का खात्मा होगा। यूसीसी में हलाला का प्रकरण सामने आने पर तीन साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

शाहबानो प्रकरण भी बना यूसीसी का आधार
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने के लिए इंदौर की शाहबानो के मामले को भी आधार बनाया गया। इसमें बताया गया कि कैसे 62 वर्ष की उम्र में शाहबानो को उनके पति ने तलाक दे दिया था। उनके पांच बच्चे थे। वह न्यायालय गईं तो उन्हें 25 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का निर्णय हुआ। इससे असंतुष्ट शाहबानो मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय गईं, जिसने गुजारा भत्ता बढ़ाकर 179.20 रुपये प्रतिमाह कर दिया, मगर पति ने भत्ता देने से इन्कार कर दिया। अप्रैल 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर मुहर लगा दी।

बहु विवाह प्रतिबंधित किया गया
यूसीसी बिल में बहु विवाह को पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया गया है। हर विवाह और तलाक का पंजीकरण ग्राम, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका के स्तर पर ही कराया जाना संभव होगा। इसके लिए पोर्टल भी एक माध्यम होगा। बिल में स्पष्ट किया गया है कि एक विवाह होने के बाद दूसरा विवाह पूर्ण प्रतिबंधित किया गया है।

विवाह की आयु
सभी धर्मों के लिए विवाह की आयु समान की गई है। पुरुष के लिए कम से कम 21 वर्ष और स्त्री के लिए न्यूनतम 18 वर्ष। मुस्लिम पर्सनल लॉ में विवाह की आयु बालिग होने या 15 वर्ष निर्धारित की गई है, लेकिन अब प्रदेश में सबके लिए आयु की एक ही सीमा होगी। हालांकि, ये स्पष्ट किया गया कि इससे किसी धर्म, मजहब, पंथ, संप्रदाय और मत के अपने-अपने रीति रिवाजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। निकाह, आनंद कारज, अग्नि के समक्ष फेरे और होली मेट्रिमोनि रीति रिवाज अपनी मान्यताओं के अनुसार ही होंगे। हालांकि, इसमें ये भी स्पष्ट कर दिया है कि अनुसूचित जनजातियां यूसीसी के दायरे से बाहर रहेंगी।

विवाह का पंजीकरण कराना हुआ अनिवार्य

अगर आपका विवाह 26 मार्च 2010 के बाद हुआ है, तो उसका पंजीकरण कराना होगा। पहले जो करा चुके हैं, उन्हें दोबारा पंजीकरण की जरूरत नहीं होगी। विधानसभा में पेश किए गए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बिल में यह प्रावधान है।
खास बात ये भी है कि कानून लागू होने के छह माह के भीतर पंजीकरण न कराने वालों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। पंजीकरण में गलत तथ्य देने वालों पर 25 हजार का जुर्माना लगेगा। यूसीसी में स्पष्ट किया गया कि विवाह करने वालों में से अगर स्त्री या पुरुष राज्य का निवासी होगा तो उसका पंजीकरण अनिवार्य होगा।
26 मार्च 2010 (उत्तराखंड अनिवार्य विवाह पंजीकरण एक्ट) तक के जो विवाह पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें यूसीसी लागू होने के बाद छह माह के भीतर पंजीकरण कराना होगा। जो पहले से पंजीकृत हैं, उन्हें कानून लागू होने के छह माह के भीतर सब रजिस्ट्रार कार्यालय में घोषणा पेश करनी होगी। 2010 के पूर्व के दंपती चाहें तो अपना पंजीकरण करा सकते हैं, लेकिन उनकी एक से अधिक जीवनसाथी न हों। आयु का मानक पूरा हो रहा हो।

ऐसे होगा पंजीकरण
यूसीसी लागू होने के बाद पति-पत्नी मिलकर एक फार्म भरेंगे। विवाह की तिथि से 60 दिन के भीतर सब रजिस्ट्रार के सामने प्रस्तुत करेंगे। शर्त है कि दोनों में से एक राज्य में निवास करता हो। इसी प्रकार, 2010 के पहले के दंपती के लिए भी औपचारिकताएं होंगी।

सब रजिस्ट्रार, रजिस्ट्रार, रजिस्ट्रार जनरल नियुक्त करेगी सरकार
यूसीसी के तहत राज्य सरकार सचिव स्तर के अधिकारी को रजिस्ट्रार जनरल (महानिबंधक) नियुक्त करेगी। इसके बाद उपजिलाधिकारी स्तर तक के अधिकारियों को रजिस्ट्रार और क्षेत्रों के लिए सब रजिस्ट्रार तैनात किए जाएंगे।

पुरुष की 21, स्त्री की 18 वर्ष आयु
यूसीसी में ये प्रावधान किया गया कि विवाह तभी होगा जबकि पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और स्त्री की न्यूनतम आयु 18 वर्ष हो।

10 से 25 हजार रुपये तक जुर्माना
कोई भी व्यक्ति जो विवाह होने के बाद जानबूझकर पंजीकरण नहीं कराएगा या उपेक्षा करेगा, उस पर सब रजिस्ट्रार 10 हजार का जुर्माना लगा सकते हैं। जो व्यक्ति पंजीकरण में गलत तथ्य प्रस्तुत करेगा या कूटरचित दस्तावेज लगाएगा, उसे तीन माह की जेल और 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों लग सकते हैं। जो सब रजिस्ट्रार पंजीकरण प्रक्रिया, विच्छेद पर 15 दिन के भीतर एक्शन नहीं लेगा, उस पर भी 25 हजार रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।

सब रजिस्ट्रार खुद भी ले सकते हैं संज्ञान
अगर कोई विवाह होता है और उसका पंजीकरण नहीं होता तो सब रजिस्ट्रार इसका खुद भी संज्ञान ले सकेगा। वह नोटिस भेजेगा, जिस पर 30 दिन के भीतर ज्ञापन प्रस्तुत करना होगा। ऐसा न करने पर 25 हजार का जुर्माना लगेगा। पंजीकरण न कराने पर कोई विवाह अविधिमान्य नहीं होगा।

सीएम ने पेश किया यूसीसी, सत्ता पक्ष ने की हौसला अफजाई

विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक सदन में पेश किया। इस दौरान मुख्यमंत्री आत्मविश्वास और उत्साह से लबरेज नजर आए। विधेयक पटल पर रखने के बाद पूरे दिन सदन में डटे रहे। सदन की कार्यवाही स्थगित होने तक सीएम धामी यूसीसी पर चर्चा में शामिल रहे।
बुधवार को यूसीसी बिल सदन में पारित होना तय है। हालांकि विधेयक पर चर्चा जारी है। सदन में पारित होने के बाद उत्तराखंड यूसीसी को लागू करने में देश का पहला होगा। सांविधानिक जरूरत पड़ी तो इस कानून को लागू करने से पहले अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के भेजा जा सकता है।
11 बजे मुख्यमंत्री स्वयं यूसीसी के ड्राफ्ट की प्रति लेकर विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने पहुंचे। माथे पर तिलक, सफेद कुर्ता पैजामा, नारंगी रंग का वास्कट और गले में मफलर पहने धामी आत्मविश्वास से लबरेज दिखे। उनके के चेहरे पर संतुष्टि का भाव भी था। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने प्रदेश की जनता यूसीसी लागू करने का वादा किया था। इस वादे को पूरा करने के लिए सदन में सीएम उत्साहित नजर आए। साथ ही पूरे दिन सदन में डटे रहे। आमतौर पर व्यस्तता के चलते मुख्यमंत्री सदन में कम समय के लिए आते हैं। लेकिन यूसीसी पर चर्चा के लिए सीएम देर शाम तक सदन में रहे।

सवालः समान नागरिक संहिता से आदिवासियों को बाहर क्यों रखा गया?
जवाब : भारत के संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड 25, सहपठित अनुच्छेद 342 के अंतर्गत तथा अनूसूचि छह के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है। ड्राफ्ट समिति ने माना कि प्रदेश में निवास कर रही जनजातियों में महिलाओं की स्थिति प्रदेश में अन्य वर्गों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर है।
सवाल : समान नागरिक संहिता किन पर लागू होगी?
जवाबः राज्य के मूल निवासी व स्थायी निवासियों पर। राज्य सरकार या उसके किसी उपक्रम के स्थायी कर्मचारी, केंद्र या उसके किसी उपक्रम के राज्य में तैनात स्थायी कर्मचारी, राज्य में कम से कम एक वर्ष से निवास कर रहे व्यक्ति, राज्य या केंद्र की योजनाओं के लाभार्थी, जिसने राज्य निवासी होने का लाभ लिया हो।
सवाल : विवाह की आयु में कोई परिवर्तन क्यों नहीं किया गया?
जवाब : मुस्लिम वर्ग के अतिरिक्त सभी वर्गों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु लड़कियों के लिए 18 वर्ष, लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है। मुस्लिम वर्ग के लिए न्यूनतम आयु उसका मासिक धर्म प्रारंभ होने से मानी जाती है। अब सबके लिए यह आयु समान होगी।
सवाल : यूसीसी में आनंद मैरिज एक्ट के लिए क्या कहा गया है?
जवाब : किसी भी वर्ग में विवाह के अनुष्ठानों पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया। सप्तपदि, आशीर्वाद, निकाह, पवित्र बंधन, आनंद कारज, आर्य समाज विवाह, विशेष विवाह अधिनियम को इसमें संरक्षित किया गया।
सवाल : अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम प्रदेश में पहले से लागू है तो अब इसे समान नागरिक संहिता में लाने की जरूरत क्यों?
जवाब : वह अधिनियम समान नागरिक संहिता आने के बाद समाप्त हो जाएगा।
सवाल : अगर कोई विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं कराएगा तो क्या वह निरस्त होगा?
जवाब : ऐसा विवाह निरस्त नहीं माना जाएगा बल्कि उस पर यूसीसी के प्रावधानों के तहत दंडात्मक कार्रवाई होगी।
सवाल : तलाक के लिए समान नागरिक संहिता में क्या तरीके होंगे?
जवाब : बिना न्यायिक प्रक्रिया अपनाए कोई भी विवाह विच्छेद नहीं होगा। ऐसा करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सवाल : समान नागरिक संहिता में पुत्र, पुत्री के बीच संपत्ति का बंटवार क्या समान होगा?
जवाब : हां
सवाल : यूसीसी में मृतक की संपत्तियों का विभाजन कैसे होगा?
जवाबः संपत्ति शब्द को हटाकर संपदा शब्द का प्रयोग यूसीसी में किया गया है। इसमें मृतक की सभी प्रकार की संपत्तियां जैसे चल, अचल, स्वयं अर्जित, पैतृक या जन्गम या संयुक्त, मूर्त या अमूर्त या ऐसी किसी भी संपत्ति में कोई भी हिस्सा, हित या अधिकारी को सम्मिलित किया गया है। यूसीसी लागू होने के बाद पैतृक संपत्ति अब व्यक्ति की स्वयं अर्जित संपत्ति ही मानी जाएगी। और उसका विभाजन उसके उत्तराधिकारियों के बीच स्वयं अर्जित संपत्ति के अनुसार ही किया जाएगा।
सवाल : कोई व्यक्ति अपनी कितनी संपदा की वसीयत कर सकता है?
जवाबः कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपदा की वसीयत कर सकता है। यूसीसी लागू होने से पहले मुस्लिम, ईसाई एवं पारसी समुदायों के लिए वसीयत के पृथक नियम थे, जो अब सबके लिए समान होंगे।

उत्तराखंड के नकलरोधी कानून को मॉडल के रूप में लागू करेगी केंद्र सरकार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार के नकलरोधी कानून को केंद्र सरकार ने भी मॉडल के रूप में लिया है। सोमवार को लोकसभा में केंद्र सरकार ने इसका बिल पेश कर उत्तराखंड के धामी सरकार के कठोर कानून पर भी अपनी मुहर लगा दी है। इधर, मुख्यमंत्री धामी ने केंद्र सरकार के इस निर्णय पर आभार जताया और कहा कि यह कानून नकल माफियों पर करारी चोट करेगा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए कवच बनेगा।
केंद्र सरकार ने आज लोकसभा में लोक परीक्षा अनुचित साधन निवारण बिल पेश किया है। यह बिल जल्द देश में नकलरोधी कानून का रूप लेगा। खासकर उत्तराखंड में इस तरह का कानून मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार ने फरवरी 2023 में लागू किया। यह कानून अब तक देश के सबसे कठोर कानून में शुमार है। अब धामी सरकार के इस नकलरोधी कानून को केंद्र ने भी मॉडल के रूप में लेते हुए , जल्द देशभर में लागू करने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार का यह निर्णय निश्चित ही उत्तराखंड की धामी सरकार के नकलरोधी कानून पर मुहर लगाता है। खासकर धामी सरकार ने भी कठोर नकलरोधी कानून लाकर नकल माफिया की कमरतोड़ कर दी है। कानून लागू होने के बाद इसके परिणाम भी देखने को मिले हैं। पूर्ववर्ती सरकारों में नकल माफियाओं के पूरे तंत्र को ध्वस्त कर धामी सरकार ने बड़ा संदेश दिया है। कानून का परिणाम यह है कि अब राज्य में प्रतियोगी परीक्षाएं न केवल समय पर हो रही हैं। बल्कि रिकॉर्ड समय में परिणाम जारी होने के बाद युवाओं को नौकरी भी मिल रही हैं। उधर, केंद्र सरकार ने आज लोकसभा में सख्त नकलरोधी कानून का बिल पेश करने पर मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है। कहा कि केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में लागू कठोर नकलरोधी कानून जैसा बिल पेश कर हमारा मनोबल बढ़ाया है।

ये है उत्तराखंड का कठोर नकलरोधी कानून
उत्तराखंड के कठोर नकलरोधी कानून में संगठित होकर नकल कराने और अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने वाले मामलों में आजीवन कैद की सजा तथा 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान है। साथ ही आरोपियों की संपत्ति भी जब्त करने की व्यवस्था कानून में है। इसके अलावा नकल करते पकड़े जाने पर 10 वर्ष की सजा के साथ ही 10 लाख रुपये जुर्माना है। अभ्यर्थी के नकल करते पाए जाने पर आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच वर्ष के लिए निलंबित किया जाएगा। दोष साबित होने पर उसे 10 वर्ष के लिए सभी परीक्षा देने से निलंबित कर दिया जाएगा। दोबारा नकल करते पाए जाने पर आरोप पत्र दाखिल करने से पांच से 10 साल के लिए निलंबित किया जाएगा। दोष साबित होने पर उसे आजीवन सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल नहीं होने दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने विभिन्न घोषणाओं को दी वित्तीय स्वीकृति

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री घोषणा के अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र थैलीसैंण को उप जिला चिकित्सालय के रूप में उच्चीकृत किये जाने की स्वीकृति प्रदान की है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र थैलीसैंण के 50 शैय्यायुक्त उप जिला चिकित्सालय के रूप में उच्चीकरण से 1 लाख 02 हजार 673 जनसंख्या लाभान्वित होगी।
वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास योजनान्तर्गत एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय खटीमा, ऊधमसिंह नगर में बाउंड्रीवाल, गेट एवं गार्ड रूम बनाये जाने हेतु 1 करोड़ 83 लाख 78 हजार रू. की भी स्वीकृति प्रदान की है।