विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति को विशिष्ट पहचान दिलाई

आज स्वामी विवेकानंद की जयंती पर अभाविप के द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सरस्वती विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य राजेंद्र पांडे के द्वारा स्वामी विवेकानंद के जीवन पर प्रकाश डाला गया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद युवाओं के आदर्श रहे हैं क्योंकि उन्होंने भारत के वेदों साहित्य और हिंदू धर्म का बहुत गहन अध्ययन कर उसका प्रचार प्रसार विदेशों तक किया। भारतवर्ष की महानता को संपूर्ण विश्व में प्रकाशित किया। इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष एबीवीपी प्रवीन रावत ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को उठो जागो और तब तक लक्ष्य ना मिल जाए तब तक कर्म करते रहो सफलता अवश्य मिलेगी की प्रेरणा दी। साथ ही स्वामी विवेकानंद बहुत अल्प समय में संपूर्ण विश्व में भारतवर्ष को वह पहचान दिला गए जो आज तक भी धूमिल नहीं पड़ी है।
इस अवसर पर प्रांत मंत्री काजल थापा ने कहा कि इस तरह की गोष्ठियों के द्वारा महापुरुषों के विचारों को जन-जन तक पहुंचाया जाता है और एक उत्कृष्ट समाज के निर्माण में भी सहायता मिलती है।
पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष एवं जिला प्रमुख विवेक शर्मा ने कहा कि हम जल्द ही एक ऐसी मुहिम चलाएंगे जिससे प्रत्येक युवा को स्वामी विवेकानंद जी के विचारों से रूबरू कराया जाएगा क्योंकि हमारा युवा विवेकानंद के विचारों को सबसे ज्यादा पसंद करता है जिसके लिए संगठन को कार्य करना होगा। इस अवसर पर विभाग प्रमुख अमित गांधी, विनोद चौहान प्रांत खेल प्रमुख, प्राची सेमवाल, वीरेंद्र चौबे, अंकुर अग्रवाल सहित एबीवीपी के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

महाराष्ट्र सरकार का अभाविप ने फूंका पुतला, पत्रकार अर्णब को रिहा करने की मांग


पत्रकार व संपादक अर्णब गोस्वामी को बिना वारंट हिरासत में लेने की घटना का विरोध एबीवीपी की स्वर्गाश्रम व लक्ष्मणझूला इकाई ने किया। कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र सरकार का पुतला दहन कर प्रदर्शन किया और अर्णब गोस्वामी को जल्द ही रिहा कर निष्पक्ष जांच करने की मांग भी की। विद्यार्थी परिषद महाराष्ट्र सरकार और उसके पुलिस द्वारा प्रेस फ्रीडम की धांधली की निंदा करता है।

नगर मंत्री राहुल बडोनी ने कहा जो लोग भारत तो अघोषित आपातकाल के तहत होने की बात करते हैं उसके पास आज की पेशकश के लिए मुक बधिरता है जब महाराष्ट्र में राजनीति के लिए प्रेस स्वतंत्रता को बंधक बना लिया गया था। लोकतंत्र का चैथा स्तंभ महाराष्ट्र खतरे में है और हम लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए खड़े हैं।

प्रदर्शन के दौरान विभाग संयोजक विनोद चैहान, पूर्व नगर मंत्री शुभम झा, नगर सह मंत्री सुमित भंडारी, कॉलेज इकाई अध्यक्ष अनिरुद्ध शर्मा, अरुण, विवेक भारती, अंकित, उमेश यादव आदि उपस्थित रहे

जय प्रकाश के आंदोलन से जुड़े और शुरु हुआ जे पी नड्डा का राजनैतिक सफर

जे पी नड्डा का पूरा नाम जगत प्रकाश नड्डा। लो-प्रोफाइल रहकर विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के हाई-प्रोफाइल नेता बनने का उनका सफर काफी लंबा रहा है। जेपी आंदोलन से प्रभावित होकर राजनीति में कदम रखने वाले नड्डा ने अपनी छवि एक प्रभावी और कुशल रणनीतिकार की बनाई। भाजपा का नेतृत्व बदलता रहा लेकिन पार्टी में उनकी हैसियत कभी नहीं बदली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संगठन में उनकी पैठ बढ़ती रही। वह पुराने नेतृत्व के भी करीब रहे तो आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के भी भरोसेमंद माने गए। अब पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद यह कहना मुनासिब ही होगा कि वे भाजपा की ताकतवर तिकड़ी का हिस्सा बन गए हैं।
बिहार में जन्मे नड्डा को किशोयरअवस्था में ही पता लग गया था कि वह राजनीति के लिए बने हैं और राजनीति उनके लिए। जब 16 बरस के थे तो जेपी आंदोलन से जुड़ गए। लिहाजा, राजनीति का ककहरा मंझे राजनेताओं के दौर में सीखने को मिला। इसके बाद सीधे छात्र राजनीति से जुड़ गए। उनकी काबिलियत देखते हुए ही 1982 में उन्हें उनकी पैतृक जमीन हिमाचल में विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बनाकर भेजा गया। वहां छात्रों के बीच नड्डा ने ऐसी लोकप्रियता हासिल कर ली थी कि उनके नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश विवि के इतिहास में पहली बार एबीवीपी ने जीत हासिल की।
1983-84 में वे विवि में एबीवीपी के पहले अध्यक्ष बने। 1977 से 1990 तक करीब 13 साल के लिए एबीवीपी समेत कई पदों पर रहे। 1989 में तत्कालीन सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार की लड़ाई के लिए राष्ट्रीय संघर्ष मोर्चा बनाया। 1991 में 31 साल की उम्र में भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर उभरे। छात्र राजनीति में तप चुके नड्डा 1993 में पहली बार हिमाचल प्रदेश में विधायक बने। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हिमाचल के स्वास्थ्य मंत्री रहे तो वन एवं पर्यावरण, विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री का जिम्मा भी संभाला।
2012 में राज्यसभा पहुंचे और कई संसदीय समितियों में रहे। तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी की टीम में राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता रहे। अपने सौम्य स्वभाव, सादगी और मेहनतकश छवि से उन्होंने भाजपा में अलग नाम बनाया है। संगठन से लेकर चुनाव मैनेजमेंट में उन्होंने महारत हासिल कर ली है। आगे अगर वह अमित शाह की जगह लेने जा रहे हैं तो इसके पीछे उनके द्वारा शाह जैसा कारनामा कर दिखाना भी बड़ी वजह है। बीते पांच बरसों में भाजपा में नड्डा ने कई जिम्मेदारियां सफलतापूर्वक निभाई हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी मुख्यालय से देशभर में पार्टी के अभियान की निगरानी की थी तो 2019 में उनके पास उत्तर प्रदेश का प्रभार था। जाहिर है जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी, जिसमें वे सफल भी रहे। सपा-बसपा गठबंधन के बाद जहां भाजपा को यूपी में आधी सीटें मिलने के आसार जताए जा रहे थे, वहां पार्टी ने 62 सीटें जीतीं। इस चुनाव में वह फिर से कुशल रणनीतिकार साबित हुए और पार्टी को 49.6 फीसदी वोट दिलाने का करिश्मा कर दिखाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ नड्डा के नजदीकी रिश्ते रहे हैं। मोदी जब हिमाचल के प्रभारी हुआ करते थे तब से दोनों के बीच अच्छे समीकरण बने रहे हैं। दोनों अशोक रोड स्थित भाजपा मुख्यालय में बने आउट हाउस में रहते थे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्रालय भी संभाला।
इस बार जब उन्होंने शपथ नहीं ली तो लगभग तय माना जा रहा था कि पार्टी अध्यक्ष का पद जगत प्रकाश नड्डा के लिए ही रखा गया है, जिस पर सोमवार को मुहर भी लग गई। एक नई पारी के साथ 59 वर्षीय नड्डा सबसे शक्तिशाली दल के शीर्ष पर पहुंच गए हैं। उनके लिए पहली सबसे बड़ी चुनौती पश्चिम बंगाल में भाजपा के सरकार बनाने के मिशन को पूरा करना रहेगी।

छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर बागी शिवम ने लहराया परचम, पूर्व में रह चूके हैं विवि प्रतिनिधि

मैं ईश्वर की शपथ खाकर कहता हूं कि मैं अपने कर्तव्यों व जिम्मेदारियों का पूर्ण निष्ठा के साथ निर्वहन करूंगा। साथ ही राजकीय ऑटोनॉमस महाविद्यालय में शिक्षा को आगे ले जाने के लिये हर संभव तत्पर रहंूगा। कुछ इसी पंक्ति के साथ राजकीय महाविद्यालय के विजयी उम्मीदवारों ने शपथ ग्रहण समारोह में पद की मर्यादा की कसम खायी। इस वर्ष मतदान का प्रतिशत 79 रहा। जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 3 प्रतिशत आगे रहा।
उत्तराखंड राज्य के एकमात्र ऑटोनॉमस कॉलेज के छात्रसंघ चुनाव में एनएसयूआई के सर्मिर्थत व एबीवीपी के बागी प्रत्याशी ने अध्यक्ष पद पर कब्जा कर अपने प्रतिद्वंद्वी व एबीवीपी के प्रत्याशी विजय जुगरान को 328 मतो के अंतर से हरा कर एबीवीपी को सबक सिखाया है। वहीं महासचिव पद पर पहली बार मुस्लिम समुदाय से आने वाले व एनएसयूआई के प्रत्याशी इमरान खान ने ऑर्यन के शिखर भंडारी को 101 मतों से पराजित किया। इसी प्रकार उपाध्यक्ष पद पर एनएसयूआई के प्रत्याशी अजय कुमार जायसवाल 1522 मतो के साथ विजयी रहे। वहीं सह-सचिव पद एबीवीपी के प्रत्याशी कार्तिक शर्मा को 1423 मतो के साथ विजयी घोषित किया गया। कोषाध्यक्ष पद पर एनएसयूआई की निकिता पंत को 1238 मतों के साथ सफल उम्मीदवार बनाया गया। विश्व विद्यालय पद पर एबीवीपी के रवि कुमार 1256 मतों के साथ विजयी करार दिये गये। वहीं शाम सात बजे सफल उम्मीदवारों को शपथ ग्रहण दिलवायी गयी।
बारिश के दौरान भी कम नहीं हुआ छात्रों का उत्साह
सुबह आठ बजे से मतदान के शुरू होने के दो घंटे यानी दस बजे से बारिश ने अपनी दस्तक दे डाली। बावजूद छात्र-छात्राओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। बारिश के दौरान ही छात्रसंघ चुनाव में लड़ रहे उम्मीदवारों के प्रशंसक कॉलेज परिसर के बाहर नारेबाजी कर समर्थन हासिल करते दिखे।
किसी ने दीदी कहा, तो किसी ने जोड़े हाथ
छात्रसंघ चुनाव के दौरान सभी उम्मीदवार कॉलेज के प्रवेश द्वार के आगे एक पंक्ति में खड़े थे। इस दौरान वह अपने-अपने पक्ष में मत डालने के लिये अपने से छोटी उम्र की लड़कियों को दीदी तक कह रहे थे, तो कोई मतदान को अपने पक्ष में खींचने की कोशिश में हाथ जोड़ता भी दिखा।
चुनाव के दौरान समर्थकों में टकराव की स्थिति भी रही
छात्रसंघ चुनाव में अपने-अपने समर्थकों के पक्ष में नारेबाजी कर रहे छात्र गुटों में टकराव की स्थिति भी बनी। ऑर्यन गुट के समर्थक वोटर को अपने पाले में वोट डलवाने के लिये एक घेरा बनाकर चल रहे थे। इस पर दूसरे गुट के समर्थकों ने घेरा तोड़ना चाहा तो इस दौरान हल्की धक्का-मुक्की भी देखने को मिली। हालांकि मौके पर मौजूद पुलिस बल ने भीड़ को मौक्े पर ही अलग-थलग कर मोर्चा संभाला।
नहीं रहा स्वच्छता का ध्यान
एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छ भारत अभियान की मुहिम चला रहे है, तो दूसरी ओर छात्रसंघ चुनाव में समर्थकों ने पोस्टर व पंपलेट से पूरी सड़कों में मानों एक चादर सी बिछा दी हांे।
चुनाव में दिखे बाहरी युवक
छात्रसंघ में भीड़ जुटाने के लिये शहर व आस-पास क्षेत्र के इंटर कॉलेजों व प्राइवेट संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को भी शामिल किया गया था।
शपथ-ग्रहण के बाद जुलुस का मौका दिया
सफल उम्मीदवारों को क्षेत्राधिकारी मंजूनाथ टीसी ने कॉलेज के प्रवेश द्वार से लेकर बड़ी मंडी के समीप लगे बैरिकैडिंग तक जुलुस निकालने की अनुमति दी।
उम्मीदवारों को पुलिस ने गाड़ी में बिठा, छुड़वाया घर
बैरिकैडिंग तक जुलुस निकालने के बाद सीओ मंजूनाथ टीसी के आदेश पर सभी सफल उम्मीदवारों को पुलिस की गाड़ी में बिठा कर सम्मान पूर्वक घर पहुंचाया गया।

एनएसयूआई के कई पूर्व पदाधिकारियों ने एबीवीपी का दामन थामा

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शराब की राजनीति व फंड के नाम पर चंदा उगाही का लगाया आरोप
ऋषिकेश।
ऋषिकेश प्रेस क्लब सभागार में एनएसयूआई के दिग्गज छात्र नेता राजेन्द्र सिंह बिष्ट, वर्तमान छात्र संघ अध्यक्ष संदीप शर्मा, विपुल पोखरियाल, मयंक रवानी, अमित गांधी ने एबीवीपी की प्रेस कांफ्रेस में संगठन की सदस्यता ली। एबीवीपी छात्र नेताओं ने सभी का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने एनएसयूआई नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए। कहा कि एनएसयूआई सिर्फ शराब की राजनीति कर रही है। उन्होंने संगठन में कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान नही मिलने पर भी रोष जताया। कहा कि एनएसयूआई के पास फंड मांगने के सिवाय कोई कार्य नहीं है। कहा, छात्र नेताओं में सबसे ज्यादा मुकदमें एनएसयूआई के छात्र नेताओं पर ही दर्ज हैं। बताया कि एबीवीपी के सिद्धांत ज्ञान, चरित्र और एकता से प्रेरणा लेकर उन्होंने संगठन की सदस्यता ली।
प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम की तस्वीर भी छात्र संघ चुनाव में देखने को मिली। सीएम पर छोटी सोच रखने के आरोप भी लगे। तंज कसते हुए कहा कि ऐसे छात्र नेता किस काम के जो अपनी ही सरकार होने बावजूद महाविद्यालय की 200 मीटर सड़क तक स्वीकृत नही करा सके। इस मौके पर कौशल बिजल्वाण, संजीव चौधरी आदि समेत कई छात्रनेता मौजूद थे।

एबीवीपी को मजबूती मिली
लंबे समय ये हाशिये पर चल रही एबीवीपी में छात्र नेता राजेन्द्र सिंह बिष्ट, वर्तमान छात्र संघ अध्यक्ष संदीप शर्मा, विपुल पोखरियाल, मयंक रवानी, अमित गांधी के आने से उत्साह देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार छात्र संघ चुनाव के बाद संगठन छात्र नेताओं को महत्वपूर्ण दायित्व भी सौंपने पर विचार कर रहा है।

तो शराब विरोधी अभियान क्या है
पुरानी कहावत है कि समय बुरा आये तो ऊंट पर बैठे व्यक्ति को कुता भी काट देता है। ऐसा ही हुआ जब प्रेस क्लब में पूर्व एनएसयूआई छात्र नेताओं ने स्वयं ही कह दिया कि एनएसयूआई शराब की राजनीति करती है। उन्होंने छात्र नेताओं की पोल खोल कर रख दी। अब बात निकली है तो दूर तक जायेगी ही।