टिहरी झील में आगामी 24 नवंबर से शुरू होने जा रहा टिहरी अंतरराष्ट्रीय एक्रो फेस्टिवल

उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र में टिहरी झील सबसे तेजी से उभरता हुआ नया स्थल है। एडवेंचर टूरिज्म के शौकीनों के लिए यह स्थान हॉट फेवरेट साबित हो रहा है। यही वजह है कि डेस्टिनेशन उत्तराखंड के अंतर्गत राज्य की धामी सरकार द्वारा यहां नियमित रूप से विभिन्न आयोजन किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब टिहरी झील में 24 से 28 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय टिहरी एक्रो फेस्टिवल 2023 का आयोजन होने जा रहा है।
उत्तराखंड में साहसिक खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि डेस्टिनेशन उत्तराखंड को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए राज्य सरकार पूरी तन्मयता के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को साहसिक पर्यटन के खेलों के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा नित नए आयोजन किये जा रहे हैं। टिहरी झील में आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय एक्रो फेस्टिवल इस दिशा में नए आयाम स्थापित करेगा।

देश-विदेश के 135 पायलट करेंगे भागीदारी
नवंबर में, राज्य टिहरी झील में पहली बार अंतरराष्ट्रीय एक्रो फेस्टिवल 2023 की मेजबानी करने जा रहा है। टिहरी एक्रो फेस्टिवल 2023, 24 नवंबर को शुरू होगा और 28 नवंबर को समाप्त होगा। इस रोमांचकारी इवेंट में प्रतिस्पर्धा करने के लिए 35 अंतर्राष्ट्रीय पायलट और 100 भारतीय पायलट भाग लेंगे। इस आयोजन में एक्रो फ्लाइंग, सिंक्रो फ्लाइंग, विंग सूट फ्लाइंग, डी-बैगिंग जैसे कई साहसिक कार्य देखने को मिलेंगे।
टिहरी के जिला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी ने बताया कि टिहरी झील में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें देश-विदेश से खिलाड़ी प्रतिभाग करेंगे। उन्होंने बताया कि आयोजन के दौरान यूफोरिया, पांडवास जैसे नामी बैंड भी शाम के समय अपनी प्रस्तुति देंगे।

इंस्टाग्राम पर उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने वीडियो शेयर करते हुए ये लिखा…
लुभावने टिहरी एक्रो फेस्टिवल का अनुभव करें, जिसमें 150 से अधिक विस्मयकारी हवाई कलाबाज़ों का जमावड़ा है, जो 24-28 नवंबर, 2023 तक होने वाला है। मंत्रमुग्ध होने के लिए तैयार रहें क्योंकि ये प्रतिभाशाली कलाकार अपने उल्लेखनीय कौशल, ताकत और कलात्मक चालाकी का प्रदर्शन करेंगे। यह असाधारण घटना एक अविस्मरणीय माहौल का वादा करती है जो आपको पूरी तरह मंत्रमुग्ध कर देगी। इस सनसनीखेज अवसर को हाथ से न जाने दें-अपने कैलेंडर पर निशान लगाएं और इस अविस्मरणीय उत्सव का हिस्सा बनें।

होम स्टे, साहसिक और पर्यटन निवेश प्रोत्साहन के लिए उत्तराखंड पर्यटन को मिला सर्वश्रेष्ठ स्टाल पुरस्कार

देहरादून। उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के सहयोग से अयोजित तीन दिवसीय इंडिया ट्रेवल मार्ट (आईटीएम) का शनिवार को समापन हो गया। इसमें यात्रियों को आकर्षक पैकेज और अनूठे पर्यटन स्थल की विस्तार से जानकारी दी गई। भारत प्रमुख बी2बी ट्रैवल एंड टूरिज्म शोकेस और कॉन्क्लेव के पहले दो दिन यात्रा व्यापार के संबंध में विस्तार से चर्चा की गयी। जबकि मार्ट के अंतिम दिन शनिवार को घरेलू व अन्य पर्यटन की संभावनाओं से रूबरू कराया गया। इस मौके पर ट्रैवल एजेंटों, पैन इंडिया के टूर संचालकों और उत्तराखण्ड पर्यटन व गुजरात पर्यटन के अधिकारियों के लिए विशेष सत्र का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के समापन के मौके पर उत्तराखण्ड पर्यटन को होम स्टे, साहसिक और पर्यटन निवेश प्रोत्साहन व गुजरात पर्यटन को धोलावीरा (विश्व यूनेस्को विरासत स्थल) और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बढ़ावा देने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्टाल पुरस्कार से नवाजा गया।

उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के उपनिदेश योगेन्द्र कुमार गंगवार ने कहा कि उत्तराखण्ड में पर्यटन के लिए पहले से तय गंतव्य के रूप में विकसित करने के लिए उत्तराखण्ड लगातार काम कर रहा है। कार्यक्रम का उददेश्य यात्रियों के लिए यात्रा को और अधिक मनोरंजक तथा परेशानी मुक्त बनाना है। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से यात्रियों को विभिन्न आकर्षक पैकेज और अनूठे पर्यटन स्थलों की जानकारी दी गई।

आईसीएम ग्रुप के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजय गुप्ता ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में शोकेस और कॉन्क्लेव की निरंतर सफलता भारत में यात्रा सेवाओं की बढ़ती मांग और घरेलू और बाहर जाने वाले यात्रियों की खर्च करने की शक्ति को दर्शाती है। उन्होंने यह भी कहा, आईटीएम देहरादून ने उत्तराखण्ड और पैन इंडिया के ट्रैवल एजेंटों और टूर ऑपरेटरों के साथ बी2बी और नेटवर्किंग का अवसर प्रदान किया।

आईटीएम देहरादून के अवसर पर उत्तराखंड पर्यटन, गुजरात पर्यटन के अधिकारियों और भीमताल, हरिद्वार, देहरादून, मसूरी, दिल्ली के अन्य होटल व्यवसायियों और देहरादून से टूर ट्रैवल एसोसिएशन और मीडिया के बीच वीडियो प्रस्तुतियों के साथ बातचीत सत्र का आयोजन किया गया। सत्र के दौरान, राज्य पर्यटन अधिकारियों ने कम ज्ञात स्थलों (अहमदाबाद से पोलो वन दिवस यात्रा), वन्यजीव पर्यटन, विरासत पर्यटन, एडवेंचर और ईको टूरिज्म, धार्मिक और तीर्थ पर्यटन, समुद्र तट, रुचि के स्थान, व्यंजन, मेला और त्योहारों पर प्रकाश डाला गया।

इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स (आईएटीओ), ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (टीएएआई), एसोसिएशन ऑफ डोमेस्टिक टूर ऑपरेटर्स ऑफ इंडिया (एडीटीओआई), आउटबाउंड टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ओटीओएआई), एडवेंचर टूर जैसे ट्रैवल ट्रेड एसोसिएशन, ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एटीओएआई), इंडिया गोल्फ टूरिज्म एसोसिएशन (आईजीटीए), महाराष्ट्र टूर ऑर्गनाइजर्स एसोसिएशन (एमटीओए), द आईएएआई एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएआई), ट्रैवल ट्रेड एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश (टीटीएयूपी), एंटरप्रिंग ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन, (ईटीएए), ट्रैवल एजेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएएफआई), टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन (टीओए), टूरिज्म लीडर्स क्लब (टीएलसी), और ट्रैवल मैगज़ीन- ट्रैवल मेल द्वारा प्रतिभाग किया गया।

गंगा की लहरों में देश-विदेश के खिलाड़ियों ने दिखाया अपना जौहर

उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) के सहयोग से द एडवेंचर स्पोर्ट्स सोसाइटी की ओर से आयोजित तीन दिवसीय गंगा क्या महोत्सव के पहले दिन देश-विदेश के खिलाड़ियों ने गंगा की लहरों में अपना जौहर दिखाया। फूलचट्टी के निकट गंगा गोल्फ कोर्स रैपिड के पास दसवें गंगा क्याक महोत्सव का गुरुवार को मुख्य अतिथि कर्नल अश्विनी पुंडीर, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (साहसिक पर्यटन) यूटीडीबी ने रिबन काटकर शुभारंभ किया। प्रतियोगिता में ऋषिकेश, अरूणांचल प्रदेश, नेपाल, लद्दाख समेत ऑस्ट्रेलिया के 62 खिलाड़ी प्रतिभाग कर रहे हैं।

कर्नल अश्विनी पुंडीर, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (साहसिक पर्यटन) यूटीडीबी ने बताया कि उत्तराखंड साहसिक एवं रोमांचक खेलों के लिए एक बेहतरीन स्थान है। ऋषिकेश में हो रहे गंगा क्याक महोत्सव में भाग ले रहे देश-विदेश के खिलाड़ियों ने पहले दिन अपना हुनर दिखा कर साहसिक खेलों की महत्वता और उससे जुड़े रोमांच को दर्शाने का काम किया है। प्रदेश में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभाग की ओर से लगातार काम किया जा रहा है।

द एडवेंचर स्पोर्ट्स सोसाइटी अध्यक्ष भीम सिंह चौहान और सचिव हरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि बीते वर्षों की तरह इस बार भी आयोजित गंगा क्याक महोत्सव 17 से 19 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। यह प्रतियोगिता यमकेश्वर के फूलचट्टी के पास आयोजित की जा रही है। इसमें विदेशी प्रतियोगियों में खासा उत्साह है। उन्होंने बताया कि महोत्सव में भारत के ऋषिकेश से 45, लद्दाख से एक, अरुणाचल से तीन, नेपाल के 12 खिलाड़ी प्रतिभाग कर रहे हैं। महोत्सव में इस बार प्रतियोगिता के विजेताओं को सात लाख रुपये के नकद पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।

तीन दिवसीय महोत्सव में प्रोफेशनल, बिग्नर्स और महिला वर्गों के लिए प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही है। गंगा क्याक महोत्सव में चार प्रतियोगिताएं प्रमुख हैं, जिनमें स्प्रिंट, जाइंट स्लालोम, बोटर क्रॉस व मास बोटर क्रॉस प्रतिस्पर्धा शामिल है। सभी प्रतिस्पर्धाओं में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को ओवरऑल चौंपियन घोषित किया जाएगा, जिसे एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। वहीं एक भारतीय खिलाड़ी को बेस्ट इंडियन पैडलर चुना जाएगा, जिसे पचास हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए निम का प्रशिक्षण शिविर शुरु

उत्तराखंड में साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए देश-दुनिया को दर्जनों नामचीन पर्वतारोही देने वाले उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) प्रदेश के युवाओं को कम ऊंचाई पर ट्रेकिंग, पहाड़ पर चढ़ने और राहत व बचाव की बारीकियां सिखाएंगे। सात दिन तक चलने वाले कम ऊंचाई पर ट्रेकिंग गाइड प्रशिक्षण कार्यक्रम का सोमवार को शुभारंभ हुआ।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने यूटीडीबी व निम के संयुक्त तत्वावधान में चलने वाले सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहे अभ्यर्थियों को शुभकामनाऐं दी। पर्यटन मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में साहसिक खेलों की अपार संभावनाऐं हैं। साहसिक पर्यटन उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्रामीण के लिए रोजगार सृजित करने में अहम भूमिका निभाएगा। यह राज्य के साहसिक पर्यटन क्षेत्र मंू एक नवीनतम कदम है, जो राज्य में साहसिक पर्यटन को नई ऊचाईयां देगा। इससे उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन को एक नई पहचान मिलेगी। प्रदेश भर के युवाओं को इससे जोड़कर उन्हें साहसिक खेलों में भविष्य बनाने में मदद मिलेगी।

यूटीडीबी के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (साहसिक पर्यटन) कर्नल अश्विन पुंडीर ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर बताया कि प्रदेश में स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से ट्रेकिंग ट्रक्शन सेंटर होम स्टे अनुदान योजना को लागू किया गया था। योजना के तहत प्रदेश के छह जिलों में 13 ट्रेकिंग ट्रक्शन सेंटर में 73 गांवों को अधिसूचित किया गया है। इन अधिसूचित गांवों से इच्छुक युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए विभाग की ओर से निम के साथ मिलकर सात दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। पहले चरण में पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग और टिहरी गढ़वाल के 49 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए निम और यूटीडीबी के बीच जुलाई माह में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए थे।

उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में कम ऊंचाई पर ट्रेकिंग गाइड प्रशिक्षण के लिए 4 बैच संचालित किए जाने प्रस्तावित है, जिसमें लगभग 260 युवा व युवतियों को स्वरोजगार से जोड़े जाने की योजना है। प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद युवाओं को निम और यूटीडीबी द्वारा संयुक्त रूप से पाठ्यक्रम पूर्णता प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर मयूर दीक्षित जिलाधिकारी उत्तरकाशी, ले. कर्नल योगेश धूमल, वाइस प्रिंसिपल नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, रनवीर सिंह नेगी थल क्रीड़ा विशेषज्ञ, जगमोहन सिंह रावत मुख्य प्रशिक्षक नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, प्रकाश खत्री जिला पर्यटन अधिकारी उत्तरकाशी, निम क्यूरेटर विशाल रंजन मौजूद रहे।

पर्यटन विभाग में पंजीकृत होम स्टे की मार्केटिंग पर विशेष ध्यान रखेंः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में सिंचाई, शहरी विकास, पर्यटन, युवा कल्याण, परिवहन और आवास विभागों की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि पार्किंग स्थलों के लिए एक स्टैंडर्ड मॉडल बनाया जाए। विभिन्न उद्देश्यों के लिए भवन-निर्माण का जरूरत के अनुसार हो। पर्यटन स्थलों, शहरी क्षेत्रों में बनाए जाने वाले शौचालयों की गुणवत्ता का निरीक्षण सुनिश्चित किया जाए। नगर पंचायत भवन निर्माण को प्राथमिकता दी जाए। साहसिक खेल निदेशालय की स्थापना जल्द से जल्द की जाए। इको टूरिज्म पॉलिसी बनाई जाए। अगले वर्ष वैलनेस समिट की तैयारी शुरू की जाए। पर्यटन विभाग में पंजीकृत होम स्टे की मार्केटिंग पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

आवास विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर स्वीकृत मल्टी-पार्किंग के लिए किसी विशेषज्ञ एजेंसी से एक समान मॉडल बनवा लिया जाए। इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि पर्वतीय क्षेत्रों में पार्किंग स्थल विकसित करने में कंक्रीट का भारी भरकम स्ट्रक्चर न बनाया जाए। आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाए। जहां अधिक आवश्यकता न हो, वहां ओपन पार्किंग की व्यवस्था की जाए। बताया गया कि विभिन्न स्थानों के मास्टर प्लान बनाने की प्रक्रिया चल रही है।

कूड़ा निस्तारण में सेग्रीगेशन की प्रक्रिया को अपनाया जाए
शहरी विकास विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरी क्षेत्रों के सभी शौचालयों की गुणवत्ता का निरीक्षण करवा लिया जाए। कूड़ा निस्तारण के लिए सेग्रीगेशन की व्यवस्था की जाए। जगह-जगह लगाए जाने वाले साईनेज में समरूपता हो। बताया गया कि नरेंद्र नगर में गंगा पथ पर मैरीन ड्राईव का निर्माण कुम्भ के तहत कराया जाएगा। पौड़ी में कूड़ा निस्तारण के लिए कार्यवाही गतिमान है। विद्युत शवदाह गृह चित्रशिला घाट, रानीबाग के लिए आंगणन प्रेषित किया गया है। मसूरी में भी वैंडर जोन बनाया जाएगा।

पुनर्जीवन अभियान के लिए जिलों में नदियां चिन्हित
सिंचाई विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने प्रत्येक जिले में एक-एक नदी के संरक्षण व संवर्धन के काम में तेजी लाई जाए। बूढ़ाकेदार में आस्था पथ निर्माण, सहसपुर में मालडूग जलाशय निर्माण व कपकोट में सरमूल सौधारा के विकास के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को जल्द पूरा किया जाए। बताया गया कि जनपद देहरादून में रिस्पना, अल्मोड़ा में कोसी, नैनीताल में शिप्रा, उधमसिंहनगर में कल्याणी, रूद्रप्रयाग में क्वाली-सौंदा, मरगांव-सेमल्ता, ढोढा-कोतली, चमोली में मोटूगांव, पौड़ी में लंगेरीगाड़ व सीलगाड़, हरिद्वार में पीलीनदी, उत्तरकाशी में कमलनदी, टिहरी में हेवल नदी, पिथौरागढ़ में गुर्जीगाड़, चम्पावत में गोडी नदी को चिन्हित किया गया है। गैरसैंण में झील निर्माण के लिए कार्य गतिमान है। बाढ़ सुरक्षा के कार्य नाबार्ड के तहत कराए जा रहे हैं। देहरादून, ऋषिकेश, हल्द्वानी, रूड़की, हरिद्वार व भगवानपुर में ड्रेनेज प्लान का प्रोक्योरमेंट रूल्स के तहत क्यू.सी.बी.एस. करा लिया गया है। नैनीताल झील के संरक्षण के लिए 3 करोड़ 17 लाख रूपए की राशि स्वीकृत की जा चुकी है।

इको टूरिज्म पॉलिसी बनाई जाएगी
पर्यटन विभाग की समीक्षा में मुख्यमंत्री ने कहा कि केदारनाथ में गौरीकुण्ड मंदिर के समीप कुण्ड निर्माण में उसके प्राचीन स्वरूप को बरकरार रखते हुए किया जाए। साहसिक खेल निदेशालय की स्थापना जल्द से जल्द की जाए। इको टूरिज्म पॉलिसी बनाई जाए। पर्यटन विभाग में पंजीकृत होम स्टे की मार्केटिंग पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। बताया गया कि प्रत्येक जनपद में एक-एक नए पर्यटन स्थल विकसित करने के लिए मास्टर प्लान के अनुसार डीपीआर बनाई जा रही है। टिहरी के कोटी कालोनी में साहसिक पर्यटन की गतिविधियां की जा रही हैं। पर्यटन विभाग के अंतर्गत अभी तक 1700 होम स्टे पंजीकृत किए जा चुके हैं जबकि 600 जल्द ही हो जाएंगे। पौड़ी में कण्डोलिया के सौंदर्यीकरण और श्रीनगर-पौड़ी, खिर्सू-लैंसडौन को टूरिस्ट सर्किट के रूप में विकसित करने के लिए आवश्यक धनराशि अवमुक्त की गई है।

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