कृषि मंत्री ने पर्यावरण मित्रों को सम्मानित किया

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि मुनिकीरेती को स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में प्रदेश में प्रथम स्थान दिलाने में पर्यावरण मित्रों का अहम योगदान है। कोरोनाकाल के दौरान जिस तरह से उन्होंने शहर की सफाई व्यवस्था को दुरस्त रखा, वह काबिले तारीफ है। पर्यावरण मित्रों को उन्होंने पुरस्कार देकर नवाजा।
मंगलवार को नगर पालिका मुनिकीरेती की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में प्रदेश में प्रथम स्थान पाने पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने पालिका के पर्यावरण मित्रों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण मित्रों की मेहनत के दम पर ही चौथी बार मुनिकीरेती पालिका स्वच्छता में अव्वल रही है। उनके काम की सराहना करते हुए उनकी पीठ थपथपाई।
पालिका अध्यक्ष रोशन रतूड़ी और अधिशासी अधिकारी बद्री प्रसाद भट्ट ने अपने कर्मचारियों के काम की तारीफ की। बताया कि पालिका को साढ़े सात लाख रुपये मिले हैं। ईनाम की राशि में सफाई निरीक्षक को 15 हजार और कर्मचारियों को 5715 रुपये दिए जा रहे हैं। मौके पर मंडी समिति अध्यक्ष विनोद कुकरेती, सभासद सुभाष चौहान, बिन्नू चौहान, सुषमा नेगी, मीनू गौडियाल, विनोद सकलानी, धर्म सिंह, मनोज बिष्ट, गजेंद्र सजवाण, बीना जोशी, कुंती उनियाल, कौशल चौहान, रोहित आदि रहे।

कूड़ा लाओ, काफी पियो
पालिकाध्यक्ष रोशन रतूड़ी ने बताया कि पालिका की ओर स्वच्छता में और बेहतर प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत एक कॉफी मशीन खरीदी गई है। जो व्यक्ति कूड़ा लायेगा उसे काफी पिलाई जायेगी। साथ ही इसके साथ उनका पंजीकरण किया जायेगा। लकी ड्रॉ के माध्यम से उन्हें पुरस्कार भी दिया जायेगा।

जहां भी रहूं उत्कृष्ट कार्य करूंगा-भट्ट
मंगलवार को नगर पालिका मुनिकीरेती के ईओ बद्री प्रसाद भट्ट को अध्यक्ष रोशन रतूड़ी समेत समस्त कर्मियों ने भावभीनी विदाई दी। अध्यक्ष ने पुष्प गुच्छ तो कर्मियों ने ईओ स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस दौरान डोईवाला से स्थानांतरित होकर आए ईओ उपेन्द्र तिवारी ने चार्ज संभाला।
पालिकाध्यक्ष रोशन रतूड़ी ने कहा कि कहा कि ईओ बीपी भट्ट मुनिकीरेती पालिका में सिर्फ अधिकारी के तौर नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से जुड़ कर यहाँ पर कार्य किया है। जिसका परिणाम यह रहा कि इस निकाय ने प्रदेश में स्वच्छ सर्वेक्षण में दो बार प्रथम स्थान प्राप्त किया है। कहा कि स्थानांतरण सरकारी विभागों की एक रूटीन प्रक्रिया हैं। ईओ भट्ट ने कहा कि हमें जो जिम्मेदारी दी जाती है, उसे बखूबी ढंग से पूरा करना चाहिए। यहां गंगा किनारे काम करना अच्छा अनुभव सदैव स्मरणीय और बेहतरीन रहेगा। आगे भी यही कोशिश जारी रहेगी कि जहां रहूं वहां उत्कृष्ट कार्य करूं।

टिहरी के अदरक को पहचान दिलाने के लिए अंतराष्ट्रीय अदरक महोत्सव का आयोजन

टिहरी जनपद के अदरक को विश्वभर में पहचान मिलेगी। इसके लिए मुनिकीरेती क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय अदरक महोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। बुधवार को पोखरी, चाका में आयोजित सम्मान समारोह के संबोधन के दौरान कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने यह बात कही।
पोखरी, चाका में भाजपा मंडल के पदाधिकारियों और स्थानीय ग्रामीणों ने नरेंद्रनगर मंडी अध्यक्ष पद पर वीर सिंह रावत को मनोनीत किए जाने पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का आभार जताया। सभी ने कैबिनेट मंत्री और मंडी अध्यक्ष का फूलमालाओं से जोरदार स्वागत किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिले यही सरकार का उद्देश्य है। बताया कि नरेंद्रनगर की मंडी प्रदेश की बेहतरीन मंडियों में शुमार है, इसमें पर्वतीय क्षेत्र का किसान सुनियोजित प्लान के तहत अपने उत्पादों को मंडी में बेच सकेगा। साथ ही मंडी में अत्याधुनिक सुविधाएं होने के कारण ऑफसीजन में भी उचित मूल्य पर उत्पाद बिक सकेंगे। उन्होंने बताया कि किसानों की सुविधा हेतु उत्तरकाशी जनपद में 13 करोड़ की लागत से जल्द मंडी खुलेगी। इसके साथ ही आराकोट में 23 करोड़ की लागत से कोल्ड स्टोरेज भी खोला जाएगा। बताया कि इससे प्रदेश में कृषि उत्पादों के बिचौलियों की भूमिका समाप्त होगी।
मौके पर ब्लाक प्रमुख राजेन्द्र भंडारी, मीना खाती, मंडल अध्यक्ष अरविंद उनियाल, क्रेजी फेडरेशन अध्यक्ष मनीष डिमरी, जिला अध्यक्ष रेखा राणा, रोशनी राणा, गजेंद्र खाती आदि उपस्थित थे।

राफ्ट संचालकों में खुशी, साहसिक रोमांच का सफर हुआ शुरु

पर्यटन व्यवसाय से जुड़े 15 हजार लोगों को पर्यटन विभाग की ओर से अब तक 7 करोड़ की धनराशि वितरित की जा चुकी है। उक्त बात गंगा नदी राफ्टिंग रोटेशन समिति द्वारा साहसिक पर्यटन राफ्टिंग सीजन समारोह के शुभारंभ अवसर पर प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने अपने संबोधन में कहीं।
प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने रविवार को मुनिकीरेती स्थित खारास्रोत में गंगा नदी राफ्टिंग रोटेशन समिति द्वारा साहसिक पर्यटन राफ्टिंग सीजन समारोह का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर राफ्टिंग, एयरो स्पोर्ट्स सेवा प्रदाताओं सहित समस्त पर्यटन कारोबारियों को संबोधित करते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि साहसिक पर्यटन राफ्टिंग सीजन समारोह का शुभारंभ करते हुए उन्हें अपार प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने आयोजन कर्ताओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कोरोना काल के पश्चात साहसिक पर्यटन राफ्टिंग का प्रारंभ होना पर्यटन व्यवसायियों के लिए बेहद ही सुखद है।
पर्यटन मंत्री महाराज ने कहा कि कोविड संक्रमण के चलते आर्थिक मंदी से जूझ रहे चारधाम यात्रा और पर्यटन से जुड़े कारोबारियों के लिए राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। पर्यटन विभाग की ओर से अब तक पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लगभग 15 हजार लोगों को 7 करोड़ की धनराशि वितरित की जा चुकी है।
महाराज ने कहा कि पर्यटन विभाग द्वारा विशेष क्षेत्र एवं गतिविधियों हेतु बनाई गई समितियों के पास अपने संसाधन से पर्यटन विभाग द्वारा स्वीकृत 631 राफ्टिंग प्रति गाइड के हिसाब से 10 हजार रूपये की एकमुश्त आर्थिक सहायता दी गई है। जिस पर 63 लाख 10 हजार की धनराशि व्यय की गयी।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि राज्य सरकार ने सभी पंजीकृत 301 राफ्टिंग, एयरो स्पोर्टस सेवा प्रदाताओं को राहत देते हुए उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा लिए जाने वाले लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क में भी छूट प्रदान की है। इस पर 65 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई।
महाराज ने कहा कि पर्यटन विभाग द्वारा एडवेंचर टूर ऑपरेटरों को भी बड़ी राहत देते हुए 30 लाख 30 हजार रूपये का आर्थिक पैकेज दिया गया है। इसके तहत 303 एडवेंचर टूर ऑपरेटरों को 10 हजार रूपये प्रति फर्म के हिसाब से एकमुश्त आर्थिक सहायता दी गई है।
इस अवसर पर कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, मुनिकीरेती नगर पालिका अध्यक्ष रोशन रतूड़ी, एसीईओ पर्यटन कर्नल अश्वनी पुंडीर, संयुक्त निदेशक पर्यटन विवेक चौहान, जिला साहसिक खेल अधिकारी सोवत राणा, दिनेश भट्ट, विकास भंडारी, हुकम सिंह रावत, रामपाल भंडारी, मदन बडोनी, धनवीर भंडारी, हेमंत चौहान, अनुराग रावत, राजेश पुंडीर, राजेंद्र भंडारी, अजय धमान्दा, लेखराज भंडारी, वीरेंद्र गुसाईं और पंकज भट्ट आदि उपस्थित थे।

कैबिनेट मंत्री ने किया आपदाग्रस्त क्षेत्र का मुआयना, अधिकारियों को दिए निर्देश


कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने धमांदस्यु पट्टी के आपदाग्रस्त क्षेत्रों बवानी, कठ्या, बडल और धौड्याकला का मुआयना किया। उन्होंने जिलाधिकारी टिहरी को यहां सुरक्षा हेतु कार्य करने के लिए निर्देशित किया।

कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि उक्त जगह में बीते 28 अगस्त को आई आपदा से अधिक नुकसान हुआ है। पूरी तरह से मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो चुके काश्तकारों के अधिकांश खेत बह चुके हैं। बताया कि नदी ने यहां अपना रास्ता बदल दिया है इससे यहां लगातार खतरा बना हुआ है। हेतु जिलाधिकारी को सुरक्षात्मक कार्य करने के लिए निर्देशित किया गया है। मौके पर ब्लाक प्रमुख राजेंद्र भंडारी, नगर पालिका अध्यक्ष रोशन रतूड़ी, मनीष डिमरी, प्रधान वंदना, उमेश भंडारी, हुकुम भंडारी, राम भरत, राकेश पांडे, रमेश पुंडीर, प्रशासन एवं अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

नरेंद्र नगर की मंडी से स्थानीय कृषकों की आर्थिक स्थिति होगी मजबूतः सुबोध


नरेंद्रनगर की मंडी स्थानीय कृषकों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगी। प्रधानमंत्री के किसानों की आय को दोगुना करने का संकल्प इस मंडी से अवश्य पूर्ण होगा। सोमवार को नरेंद्रनगर में प्रदेश की नंबर वन नवनिर्मित सहकारी मंडी के उद्घाटन के दौरान कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने यह बातें कही। उन्होंने बताया कि इस मंडी के माध्यम से किसानों का शोषण करने वाले बिचैलियों को रोकने में भी सहायता मिलेगी।

सोमवार दोपहर को वैदिक मंत्रोच्चार के बाद रिबन काटकर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने नरेंद्रनगर में नवनिर्मित सहकारी मंडी का शुभारंभ किया। इसे जनता को समर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को इसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए। आढ़तियों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि लोगों का मंडी के प्रति विश्वास बढ़े। डीजीएम अनिल सैनी ने बताया कि 1.03 हेक्टेअर में नरेंद्रनगर में मंडी परिसर फैला हुआ है। बताया कि यह मंडी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसमें 10 कोल्ड स्टोरेज रूम की सुविधा उपलब्ध हैं। जिनकी सहायता से किसान उचित दाम पर अपनी फल-सब्जी विक्रय कर सकता है।

मौके पर ब्लाक प्रमुख राजेंद्र भंडारी, नगर पालिका अध्यक्ष रोशन रतूड़ी, नगर पालिका अध्यक्ष नरेंद्रनगर राजेंद्र विक्रम सिंह पंवार, गजा पालिकाध्यक्ष मीना खाती, मंडी सचिव नंदिनी उनियाल, डीजीएम एनपी सिंह, महिला जिला मोर्चा अध्यक्ष रेखा राणा, पूर्व राज्य मंत्री रोशन लाल सेमवाल आदि उपस्थित थे।

सप्ताह भर में गंगा रिसार्ट और खाड़ी सीएसएसी में तैयार होगा कोविड सेंटर

मुनिकीरेती में गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस गंगा रिसार्ट और खाड़ी सीएससी में बनाए जा रहे कोविड सेंटर करीब हफ्ते भर में बनकर तैयार होंगे। इनमें आॅक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध होगी। मंगलवार को गंगा रिसार्ट में निर्माणाधीन कोविड सेंटर का निरीक्षण करने पहुंचे कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने यह बात कही।

कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि एक करोड़ की विधायक निधि से गंगा रिसोर्ट और खाड़ी सीएससी में कोविड सेंटर बनाए जा रहे हैं। जिनमें कुल 200 बेडों की सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि बेडों में आॅक्सीजन की सुविधा मुहैया कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। करीब हफ्ते भर में दोनों कोविड सेंटर पूर्ण रूप से बनकर तैयार होंगे। इनके निर्माण से कोरोना के संक्रमण को रोकने एवं गंभीर संक्रमितों के इलाज में काफी सहायता मिलेगी। बताया कि वर्तमान में गंगा रिसोर्ट में 18 से 45 वर्ष की उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है।

इसके बाद कैबिनेट मंत्री ने जीएमवीएन के ऋषिलोक गेस्ट हाउस में बनाए कोविड सेंटर में व्यवस्थाओं को देखा, साथ ही यहां भर्ती मरीजों से उनकी कुशलक्षेम जानी। इस दौरान उन्होंने आला अधिकारियों को भोजन एवं दवाईयों की बेहतर व्यवस्था बनाए रखने के लिए निर्देशित भी किया। कोविड सेंटर में सफाई व्यवस्था को लेकर यहां भर्ती मरीजों ने कैबिनेट मंत्री के समक्ष संतुष्टता जाहिर की।

मौके पर पालिकाध्यक्ष रोशन रतूड़ी, उपजिलाधिकारी युक्ता मिश्र, प्रभारी चिकित्साधिकारी फकोट डाॅ जगदीश जोशी, गंगा रिसार्ट प्रबंधक आरपी ढौंडियाल आदि उपस्थित थे।

कृषि मंत्री ने कहा-रोजगारपरक खेती से प्रदेश के किसानों को जोड़ना होगा

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने सचिवालय में कृषि एवं इससे सम्बद्ध विभागों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विभागीय योजनाओं की जानकारी सभी सीडीओ को होनी चाहिए, इसके लिए विभाग और सीडीओ आपसी समन्वय बनाकर कार्य किए जाएं।
कृषि मंत्री ने विभाग के अधिकारियों से विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी ली। उन्होंने निर्देश दिए कि विभाग एवं सीडीओ द्वारा इनकी लगातार मॉनिटरिंग की जाए। उन्होंने किसानों की आर्थिकी को मजबूती प्रदान करने के लिए अधिकारियों के सुझाव भी मांगे ताकि अच्छे सुझावों को लागू किया जा सके। रेशम विभाग के अधिकारियों से कपड़ा उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए उत्पादन गति बढ़ाए जाने के निर्देश दिए।
कृषि मंत्री ने उनके द्वारा 3 वर्ष पूर्व जिला उद्यान अधिकारी एवं मुख्य उद्यान अधिकारी को एक-एक ग्राम गोद लिए गये गावों की अद्यतन जानकारी ली। उन्होंने कहा कि गोद लिए गए गावों में क्लस्टर बेस्ड कृषि पर अधिक फोकस किया जाए। उन्होंने प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत ड्रिप सिंचाई को प्रायोरिटी के साथ लिए जाने के निर्देश दिए।
कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में विकास के लिए परंपरागत खेती को बढ़ावा देने के साथ ही इनोवेटिव होने की आवश्यकता है। उत्तराखण्ड में 90 प्रतिशत किसान स्मॉल एवं मार्जिनल लेवल के हैं। आत्मनिर्भर भारत योजना के अन्तर्गत एफ पी ओ की नाबार्ड के माध्यम से प्रस्तुतीकरण करवा कर पूर्ण जानकारी गावों तक पहुंचाई जाए।
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश में एरोमैटिक और हर्बल की अत्यधिक संभावनाएं हैं। एरोमा के क्षेत्र में क्लस्टर बेस्ड योजनाएं लायी जाएं। इसके साथ ही, गुलाब के उत्पादन के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में योजना तैयार की जाए। हर्बल रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट को भी औषधीय पौधों के लिए विशेष योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिए। यह क्षेत्र रोजगार एवं आय का एक महत्वपूर्ण श्रोत बन सकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी विभागों के उत्पादों की मार्केटिंग के लिए एक मैकेनिज्म तैयार किया जाए।
उद्यान विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि फलों के ट्रेडिशनल प्लांट्स की प्लांटेशन को छोड़ उच्च गुणवत्ता के प्लांट्स की प्लानिंग को शुरू किया जाए। मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी विकास योजना आत्म निर्भर भारत के अन्तर्गत ऑपरेशन ग्रीन योजना कलैक्टिव फार्मिंग में अधिक ध्यान दिया जाए। लोगों को जानकारी उपलब्ध कराने हेतु योजनाओं का प्रचार प्रसार किया जाए। पर्वतीय क्षेत्रों में मशरूम की खेती को बढ़ावा दिया जाए। पर्वतीय क्षेत्रों में मशरूम के उत्पादन को बढ़ा कर दूसरे कृषि उत्पादों की ओर आकर्षित किया जाए। जनपद स्तर में अधिकारियों को आ रही समस्याओं के लिए कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने शासन के उच्चाधिकारियों को निर्देश दिए कि जनपद स्तर की समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाए। सोइल मैप और उसके अनुरूप फसलों की जानकारी का चार्ट सीडीओ को भी उपलब्ध कराया जाए ताकि उस फसल के अनुरूप योजनाएं बनाई जा सकें।
इस अवसर पर सचिव हरबंश चुग सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी, जनपदों से मुख्य विकास अधिकारी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

उत्तराखंड में पलायन रोकने के लिए कृषि ही मददगारः सुबोध उनियाल

(एनएन सर्विस)
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की 26 वीं बैठक में उत्तराखण्ड के उद्यान, कृषि एवं रेशम विकास विभाग मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं, परन्तु अभी भी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि औषधीय खेती एवं जैविक खेती को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। कृषि उत्पादों का निर्यात भारत सरकार की प्राथमिकताओं में है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने हेतु प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि नई नई फसलों को विकसित किए जाने की आवश्यकता है। इससे उत्पादकता बढ़ेगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि किसानों को इंश्योरेंस के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्यों में छोटे छोटे किसानों की संख्या अधिक है। उनको ध्यान में रखते हुए योजनाओं को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यों में सिंचाई के दायरे को बढ़ाने के प्रयास किए जाएं। नए अध्यादेशों एवं फसल बीमा योजना का लाभ अधिक से अधिक किसानों को पहुंचे इसके प्रयास किए जाएं, ताकि हमारे किसान आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना योगदान दें सकें।
उत्तराखण्ड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य में कृषि महिला आधारित है, इसलिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वुमन फ्रेंडली खेती की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैविक कृषि के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में शामिल है। ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए वनों के वेस्ट मटीरियल से खाद बनाने हेतु योजनाओं पर बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य में जैविक उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु सब्जी और फल फसलों में कीट नियंत्रण के लिए जैविक शोध कार्यक्रम चलाए जाने पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने राज्य के उत्पादों जैसे रेड राईस, राजमा, मंडुवा आदि की उन्नत किस्मों पर भी अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता बताई।
कृषि मंत्री ने पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों के साथ ही कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाले बीजों पर भी रिसर्च किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य के अन्तर्राष्ट्रीय बॉर्डर क्षेत्रों हेतु उचित जलवायु अनुसार फसलों पर अधिकाधिक शोध कराए जाएं ताकि सीमांत क्षेत्रों के किसानों की उत्पादन क्षमता बढ़े। इससे पलायन भी रोका जा सकेगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य में नींबू वर्गीय फलों हेतु कल्मी पौध रोपण के लिए आईसीएआर एवं उद्यान विभाग उत्तराखण्ड द्वारा नींबू वर्गीय फलों के नेटवर्क परियोजना को लागू किए जाने की मांग की। उन्होंने राज्य में आलू उत्पादन की अपार सम्भावनाओं के दृष्टिगत केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखण्ड राज्य में भी क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने की भी मांग की।
इस अवसर पर सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम एवं अन्य विभागीय वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

सीमांत राज्यों में पलायन बड़ी चिंताः नीति आयोग

सचिवालय स्थित वीर चंद सिंह गढ़वाली सभागार में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की उपस्थिति में प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन की समस्या पर चिन्तन विषयक बैठक सम्पन्न हुई।
सदस्य नीति आयोग रमेश चंद द्वारा उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से पलायन पर चिन्ता व्यक्त करते हुए विशेषकर अभाव के कारण हो रहे पलायन को रोकने के लिए कारगर रणनीति बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सीमान्त क्षेत्र में जनसंख्या निर्वात नहीं होना चाहिये क्योंकि ये आबाद गांव सच्चे ‘‘सीमा प्रहरी’’ का कार्य करते हैं। राज्य में कृषि के प्रति घटते रूझान पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने सुझाव दिया गया कि ‘‘लैण्ड लीजिंग’’ कानून में परिवर्तन करके कान्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाना होगा ताकि परती जमीन का उपयोग हो सके। पर्वतीय क्षेत्रों में सेटेलाइट सिटीज को विकसित करने का सुझाव भी दिया गया। उन्होंने समान परिस्थिति के पड़ोसी हिमाचल राज्य की रणनीति का भी अनुभव शामिल करने का अधिकारियों को सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के सीमान्त क्षेत्रों से पलायन होना चिन्ता का विषय है। पलायन से गांव में रह रहे अन्य लोगों में भी असुरक्षा का वातावरण होता है जिससे गांव के अस्तित्व को भी खतरा हो जाता है।
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि विकास के साथ-साथ पलायन सभी राज्यों में हुआ है, परन्तु उत्तराखण्ड सीमान्त क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण यहां गांव खाली होना चिन्ता की बात है। कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की 90 प्रतिशत कृषि वर्षा पर निर्भर है तथा भौगोलिक परिस्थिति के कारण यहां विभिन्न योजनाओं में संचालित अवस्थापना निर्माण कार्यों में लागत अधिक आती है। उन्होंने कहा कि पलायन यहां की गंभीर समस्या है, इसीलिए भारत सरकार से हिमालयी राज्यों हेतु पृथक नीति बनाने का आग्रह किया गया तथा आपदा के मानकों को भौगोलिक स्थिति के अनुरूप सुसंगत करने का अनुरोध किया गया।
बैठक के प्रारम्भ में प्रभारी मुख्य सचिव/अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि राज्य का लगभग 70 प्रतिशत भूभाग वन क्षेत्र है तथा कृषि जोत छोटी एवं वर्षा पर आधारित है। मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा कृषि भूमि की उत्पादकता कम है। उन्होंने सदस्य नीति आयोग का ध्यान आकृष्ट करते हुए गांव के आस-पास छोटे कस्बों को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं में मिलने वाली धनराशि यहां के भौगोलिक परिस्थिति के अनुरूप कम है। उन्होंने गांववासी के कस्बों की ओर रूझान देखते हुए वहां पर्यटन, लघु उद्योगों तथा स्थानीय उत्पादों के व्यवसाय को प्रोत्साहित करने हेतु अधिक से अधिक सहायता की अपेक्षा की, तथा स्थानीय उत्पादों को मूल्यवर्धित रूप देने हेतु तकनीकि एवं ब्रांडिंग के सहयोग हेतु केन्द्रीय सहायता बढ़ाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न स्थानों में वैलनेस सेन्टर स्थापना की भी योजना है। उन्होंने वन औषधि पौध विकास एवं वैलनेस सेन्टर स्थापना गतिविधियों को प्रोत्साहन देने हेतु केन्द्र से सहयोग का अनुरोध किया। अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने राज्य की स्थिति का चित्रण करते हुए अवगत कराया कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के समेकन से ही पलायन की समस्या का निराकरण किया जा सकता है।
बैठक में पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस.नेगी द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन की प्रकृति, परिमाण तथा अन्य पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये। सचिव, नियोजन अमित नेगी द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए राज्य के महत्वपूर्ण आकड़े प्रस्तुत किये गये। अपर मुख्य सचिव द्वारा संक्षेप में राज्य की स्थिति का चित्रण करते हुए अवगत कराया कि सभी कार्यक्रमोंध्क्रियाकलापों के समेकन से ही पलायन की समस्या का सम्यक् निराकरण हो सकेगा।
बैठक में नीति आयोग के सलाहकार जितेन्द्र कुमार और संयुक्त सलाहकार मानस चैधरी ने भी प्रतिभाग किया। बैठक का संचालन अपर सचिव ग्राम्य विकास योगेन्द्र यादव द्वारा किया गया।

कौशिक समिति करेगी आरक्षण रोस्टर नीति का परीक्षण

सरकारी सेवा में सीधी भर्ती के पदों के लिए लागू आरक्षण रोस्टर नीति के परीक्षण के लिए अब मंत्रिमंडलीय समिति का गठन कर दिया गया है। शहरी एवं आवास मंत्री मदन कौशिक इस समिति के अध्यक्ष होंगे। समिति में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल और महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य को बतौर सदस्य शामिल किया गया है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी ने समिति के गठन का शासनादेश जारी किया। समिति जल्द अपनी रिपोर्ट उपलब्ध कराएगी।
शासन ने गत 11 सितंबर को राजकीय सेवाओं, निगमों, सार्वजनिक उद्यमों व शिक्षण संस्थानों में सीधी भर्ती के पदों पर विभिन्न श्रेणियों को प्राप्त आरक्षण व्यवस्था क्रियान्वयन को नई रोस्टर नीति जारी की थी। पुराने रोस्टर में पहला पद अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारी के लिए आरक्षित था, जिसे नए रोस्टर में हटाकर छठे स्थान पर कर दिया है। इस पर कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य को भी एतराज था और उन्होंने मुख्यमंत्री से रोस्टर का परीक्षण कराने का अनुरोध किया था। आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने भी मुख्यमंत्री और राज्यपाल से रोस्टर का परीक्षण कराने और पुराना रोस्टर लागू करने की मांग उठाई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने शासन को रोस्टर का परीक्षण कराने के लिए समिति के गठन के निर्देश दिए थे। इन निर्देशों के क्रम में कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने समिति का गठन कर दिया है।
प्रदेश में सीधी भर्ती के पदों पर निर्धारित आरक्षण रोस्टर नीति के परीक्षण को लेकर गठित मंत्रिमंडलीय समिति पर उत्तराखंड एससी एसटी इम्पलाइज फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष करम राम ने सवाल उठाए है। उनके मुताबिक, फेडरेशन का मानना है कि समिति के तीनों सदस्य नए होने चाहिए। यह सवाल भी उन्होंने उठाया कि जब नए रोस्टर पर प्रदेश सरकार को संदेह है और उसका परीक्षण किया जाना है तो पुराना रोस्टर क्यों नहीं लागू किया गया? उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से पुराना रोस्टर लागू करने की मांग की।
वहीं, उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्पलाइज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी ने कमेटी के गठन का स्वागत किया है। साथ ही आगाह भी किया है कि नए रोस्टर में किसी भी तरह की छेड़छाड़ को सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पुराने रोस्टर में 19 प्रतिशत एससी आबादी के सापेक्ष 20 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा था। नए रोस्टर लागू होने के बाद अब एससी का आरक्षण 19 प्रतिशत है, जो सही है।