राम मंदिर के निर्माण के लिए एक माह का वेतन देकर एम्स निदेशक ने पत्नी सहित पेश की मिशाल

अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए एम्स ऋषिकेश में कार्यरत चिकित्सक व अन्य कर्मचारी भी सहयोग के लिए आगे आ रहे हैं। मंदिर निर्माण के लिए जनसहभागिता सुनिश्चित करने के लिए जुटी विभिन्न संगठनों के प्रति​निधियों का कहना है कि ​संस्थान में कार्यरत कर्मचारी उन्हें अपनी सामर्थ्य अनुसार आर्थिक सहयोग प्रदान कर रहे हैं। इस अभियान के तहत एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत व उनकी धर्मपत्नी वरिष्ठ सर्जन प्रोफेसर बीना रवि ने अपनी एक-एक महीने की तनख्वाह दानस्वरूप भेंट की है।
गौरतलब है कि इन दिनों विभिन्न संस्थाएं भव्य मंदिर निर्माण को लेकर जनसहयोग की अपील कर रही हैं,जिसके तहत विभिन्न इलाकों में लोगों से आर्थिक सहयोग एकत्रित किया जा रहा है। नेशनल मेडिकोज एसोसिएशन एम्स शाखा इसके लिए आगे आई है।

नेशनल मेडिकोज एसोसिएशन की शाखा अध्यक्ष डा. मीनाक्षी धर व आरडीए के अध्यक्ष डा. विनोद ने बताया कि संस्थान के फैकल्टी, चिकित्सकों व अन्य कर्मचारियों से सहयोग राशि एकत्रित की जा रही है।

डा. विनोद के अनुसार लोग इस कार्य में अपने स्तर पर भी बढ़चढ़कर प्रतिभाग कर रहे हैं। बताया कि कई लोग अभियान से जुड़े सदस्यों से संपर्क कर अपनी सामर्थ्य अनुसार सहयोग राशि प्रदान कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि अब तक काफी संख्या में चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, एमबीबीएस व नर्सिंग छात्र-छात्राओं के साथ ही संस्थान के सुरक्षाकर्मी व अन्य स्टाफ के लोग उन्हें आर्थिक सहयोग प्रदान कर रशीद प्राप्त कर चुके हैं।

इसी क्रम में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत व वरिष्ठ शल्य चिकित्सक प्रो.बीना रवि ने अपनी एक- एक माह की तनख्वाह दानस्वरूप भेंट कर सहभागिता की है।
इस अभियान में डा.रविराज, डा.जितेंद्र, डा.आनंद, डा.अजय, डा.शिशिरा,कौशल, संकेत, रवेंद्र,बलराज, नवीन, दिव्यांश आदि सक्रिय रूप से प्रतिभाग कर रहे हैं।

एम्स ऋषिकेश में ब्रेन हैमरेज का एन्यूरिज्म क्वाइलिंग द्वारा हुआ सफल इलाज

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में चिकित्सकों ने एक पेशेंट की ब्रेन हैमरेज के सफल इलाज को अंजाम दिया है। पेशेंट को बीते दिनों हेलीकॉप्टर से एम्स ऋषिकेश पहुंचाया गया था। गौरतलब है कि पौड़ी गढ़वाल निवासी एक चिकित्सक जो कि बीती दो अक्टूबर को अस्पताल में अचानक चक्कर खाकर गिर गए थे, जिन्हें राज्य सरकार की ओर से एयरलिफ्ट कर उसी शाम को एम्स हेलिपैड पर उतारा गया था। सीटी स्कैन में उनको ब्रेन हैमरेज पाया गया था। और एंजियोग्राफी में नस फटने के कारण एन्युरिज्म पाया गया। चिकित्सकों के अनुसार उनके दिमाग की एक नस फट गई थी। जिसे इंडोवैस्कुलर क्वाईलिंग या एन्यूरिज्म क्वाइलिंग द्वारा ठीक किया गया।

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने इस सफलता के लिए चिकित्सकों के प्रयास को सराहनीय बताया। उन्होंने बताया कि संस्थान में मरीजों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जा रही है। निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि राज्य में एयर एंबुलेंस सेवा व एम्स परिसर में हेलीपैड की सुविधा उपलब्ध होने से मरीज को तत्काल एम्स पहुंचाया जा सका, जिससे तत्काल उनका उपचार शुरू हो सका।

पारंपरिक तरीके में क्षतिग्रस्त नस को दिमाग की सर्जरी द्वारा क्लिप किया जाता है। इस नवीनतम इंडोवस्क्युलर तकनीक में सिर को बिना खोले ईलाज सम्भव है। इंटरवेंशनल न्यूरो रेडियोलाजिस्ट डॉ. संदीप बुडाठोकी ने बताया कि इस प्रक्रिया को जांघ के पास 2.5 एमएम का सुराग करके वहां से नसों के जरिए कैथेटर को ब्रेन हेमरेज वाली जगह पर पहुंचाया गया व वहां पर दिमाग के हैमरेज वाले हिस्से को क्वायल किया गया। उन्होंने बताया कि मरीज अब पूरी तरह से खतरे से बाहर है। उन्होंने बताया कि मरीज के जीवन को बचाने में दो चीजों की भूमिका अहम रहीं। जिनमें हेमरेज के तत्काल बाद उन्हें एयरलिफ्ट करके एम्स ऋषिकेश पहुंचाने व इंडोवैस्कुलर क्वाइलिंग विधि से उपचार करना रहा। उन्होंने बताया कि इस विधि से उपचार करने से मरीज जल्दी रिकवरी कर सकेगा।