खुशखबरीः 207 और बीमारियों का इलाज अटल आयुष्मान योजना से हो सकेगा

एक जनवरी से अटल आयुष्मान योजना के गोल्डन कार्ड पर 207 अतिरिक्त बीमारियों का इलाज मुफ्त में हो सकेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने योजना में 1350 बीमारियों के इलाज पैकेज को बढ़ाकर 1557 कर दिया है। उधर, केंद्र ने 275 बीमारियों के इलाज पैकेज की दरों में 10 से 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। ये दरें एक जनवरी से लागू होंगी।

अटल आयुष्मान योजना में पांच लाख का मुफ्त इलाज कराने के लिए अभी तक विभिन्न प्रकार की बीमारियों के हिसाब से 1350 इलाज के पैकेज निर्धारित किए गए थे। गोल्डन कार्ड धारक को इन्हीं पैकेज के अनुसार अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा थी। लेकिन अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने योजना में 207 तरह की बीमारियों को योजना में शामिल कर 1557 पैकेज तय किए हैं।

नई बीमारियों के इलाज का पैकेज योजना के सिस्टम में अपलोड किया जा रहा है। वहीं, प्राधिकरण ने निजी अस्पतालों की आपत्ति के बाद 275 बीमारियों के इलाज पैकेज की दरों में बढ़ोतरी की है। इसमें बाईपास सर्जरी, ब्रेस्ट कैंसर सर्जरी, गाल ब्लेडर में पथरी, पेसमेकर स्टेंट, घुटना प्रत्यारोपण समेत अन्य बीमारियों का इलाज शामिल है।

हालांकि बढ़ी हुईं दरों का मरीज पर किसी तरह का आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। क्योंकि गोल्डन कार्ड पर मरीजों को पांच लाख तक मुफ्त इलाज कराने की सुविधा है। इसका भुगतान केंद्र व राज्य सरकार की ओर से किया जाता है। राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के अध्यक्ष दिलीप कुमार कोटिया ने बताया कि कि जिन बीमारियों के इलाज पैकेज की दरें बढ़ाई गई हैं, वे एक जनवरी से लागू की जाएगी।

क्या हकीकत में देश की सबसे बड़ी एफआइआर उत्तराखंड में लिखी जा रही? जानिए…

कहा जा रहा है कि देश की सबसे बड़ी एफआइआर अपने राज्य में दर्ज होने जा रही है। अभी तक पांच दिन में 43 पेज की लिखत-पढ़त हो चुकी है। जबकि अभी 11 पेज और लिखा जाना बाकी है। इन पेजों के लेखाजोखा में पुलिस के भी पसीने छूट रहे हैं। इसके पीछे का कारण स्वास्थ्य विभाग है। जिसने आयुष्मान योजना में हुए घोटाले की जांच रिपोर्ट ही पुलिस को एफआइआर के रूप में दे दी है। वहीं एसएसपी ऊधमसिंहनगर बरिंदरजीत सिंह का इस बारे में कहना है कि देश की सबसे बड़ी एफआइआर है, ऐसा कहना संभव नहीं है। इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। एफआइआर लंबी है, इसलिए समय अधिक लग रहा है। विवेचक को विवेचना करने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। तथ्यों के आधार पर विवेचना की जाएगी।
आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अटल आयुष्मान योजना के तहत एमपी मेमोरियल अस्पताल और देवकी नंदन अस्पताल में भारी अनियमितताएं पकड़ी थीं। जांच में सामने आया कि अस्पताल के संचालक नियमों के खिलाफ मरीजों के फर्जी इलाज के बिलों का क्लेम वसूल रहे हैं। एमपी अस्पताल में मरीजों के डिस्चार्ज होने के बाद भी उनको कई-कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती दिखाया गया। इसके अलावा आइसीयू में भी क्षमता से ज्यादा रोगियों का इलाज होना बताया गया। मामले की पूरी जांच के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पूरी जांच रिपोर्ट ही पुलिस को एफआइआर दर्ज करने के लिए दे दी। स्वास्थ्य विभाग की जांच ही पुलिस के गले की फांस बनी हुई है। यदि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जांच का निष्कर्ष निकालकर दिया गया होता तो पुलिस को इतनी दिक्कतें नहीं झेलनी पड़तीं। हालांकि बांसफोड़ान पुलिस चैकी में देवकी नंदन अस्पताल संचालक पुनीत बंसल के खिलाफ 22 पेज की एफआइआर लिखी जा चुकी है। जबकि अभी एमपी मेमोरियल अस्पताल के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का सिलसिला जारी है।
एफआइआर को लिखने में लिपिक के सामने सबसे बड़ी दिक्कत भाषाएं बनी हुई हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एफआइआर लिखने को दी गई जांच रिपोर्ट हिंदी-अंग्रेजी और गणित की भाषा में है। जिससे एक पेज लिखने में घंटों का समय लग रहा है। हालांकि मैनुअली लिखे जाने के साथ ही एफआइआर को साथ ही साथ पुलिस के सॉफ्टवेयर सीसीटीएनएस दर्ज किया जा रहा है। कटोराताल पुलिस चैकी में एमपी मेमोरियल अस्पताल के खिलाफ लिखी जा रही एफआइआर में अभी तक आठ रिफिल लग चुके हैं। जबकि अभी तीन-चार रिफिल और खर्च हो सकते हैं। इतना ही नहीं एफआइआर को लिखने में लिपिक को प्रतिदिन 14 घंटे का समय देना पड़ रहा है। जिसके बाद अन्य काम किए जा रहे हैं।

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