वरिष्ठ भाजपाई स्व. सुरेश चंद शर्मा को भाजपा ने दी श्रद्धांजलि

जनसंघ व भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं नगर पालिका परिषद ऋषिकेश के पूर्व उपाध्यक्ष और पूर्व प्रधानाचार्य डॉ सुरेश चंद्र शर्मा के आकस्मिक निधन पर आज पार्टी कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ। स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि डॉ. सुरेश चंद शर्मा का जाना पूरे ऋषिकेश के लिए अपूर्ण क्षति है। उन्होंने जीवन पर्यंत राष्ट्र विचारों से ओतप्रोत होकर समाज हित में कार्य किया। सुरेश चंद जी एक प्रखर वक्ता थे उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करते हुए राष्ट्र विचारों को महत्व दिया।

ऋषिकेश मंडल अध्यक्ष दिनेश सती ने कहा डा. सुरेश चंद्र शर्मा द्वारा पार्टी व संगठन को दिये गये योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने ऋषिकेश नगर में पार्टी को मजबूत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।

इस अवसर पर राज्य मंत्री कृष्ण कुमार सिंघल, संजय शास्त्री, कुसुम कंडवाल ने सुरेश चंद शर्मा के आकस्मिक निधन पर अपनी शोक संवेदना व्यक्त की। श्रद्धांजलि सभा में संदीप गुप्ता, उषा जोशी, इंद्र कुमार गोदवानी, देवेंद्र सकलानी, संजय व्यास, जितेंद्र अग्रवाल, राकेश अग्रवाल, शिव कुमार गौतम, नितिन सक्सेना, अनुराग पयाल, विवेक शर्मा, असरफी रणावत, सरोजनी नेगी, माधव नौटियाल, अनिल चैहान, धर्मपाल गुप्ता, कमलेश जैन, राजकुमारी पंत, शारदा सिंह, सरोज डिमरी, जयंत किशोर शर्मा, संजय व्यास, अनीता रैना, कमलेश जैन, उषा नेगी, बीना देवी, विवेक शर्मा, संजीव पाल, सुमित पंवार आदि उपस्थित रहे।

हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका को वापस लेने के मूड़ में है वन मंत्री

उत्तराखंड में 2016 के हॉर्स-ट्रेडिंग केस में सीबीआई द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग केस में चल रही जांच मामले बीजेपी नेता हरक सिंह रावत हाईकोर्ट से अपनी याचिका वापस ले सकते हैं। कोर्ट को इस बारे में जानकारी दे दी गई है।

बता दें कि सीबीआई जांच मामले में हरक सिंह रावत ने याचिका दाखिल की है। उन्होंने सीबीआई की जांच को कैबिनेट द्वारा निरस्त कर एसआईटी जांच को चुनौती दी है। पूरे मामले पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी, जिसके बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है. सीबीआई ने हरक सिंह रावत को भी आरोपी बनाया है।

यह है पूरा घटनाक्रम
गौरतलब है कि 2016 में विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप में किए गए एक स्टिंग में केंद्र सरकार ने 2 अप्रैल, 2016 को राज्यपाल की मंजूरी के बाद सीबीआई जांच शुरू की थी। तब राज्य में कांग्रेस सरकार की बहाली हो गई और सरकार ने कैबिनेट बैठक में सीबीआई जांच को निरस्त कर मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया। इसके बाद भी सीबीआई ने जांच जारी रखी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को जांच के लिए 9 अप्रैल, 2016 को समन भेजा।

सीबीआई के लगातार समन भेजे जाने को हरीश रावत ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि राज्य सरकार ने 15 मई, 2016 को सीबीआई जांच के आदेश को वापस ले लिया था और एसआईटी का गठन कर दिया गया था। इसलिए सीबीआई को इस मामले की जांच का कोई अधिकार ही नहीं है। सीबीआई की पूरी कार्रवाई को निरस्त किया जाए। हाईकोर्ट ने सीबीआई को केस की जांच जारी रखने की इजाजत देते हुए यह कहा था कि कोई भी कदम उठाने से पहले उसे हाईकोर्ट की अनुमति लेनी होगी।

बहरहाल, हरीश रावत के सामने सीबीआई केस के रूप में बड़ी चुनौती है. 70 की उम्र पार कर चुके हरीश रावत के लिए राजनीति का यह दौर इतना भारी पड़ेगा इसका अंदाजा उन्हें शायद ही रहा हो। केस दर्ज होने के बाद अब उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।