ऑल वेदर रोड परियोजना के निर्माण कार्य की गति बढ़ाने के निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में ऑल वेदर रोड परियोजना की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना राष्ट्रीय एवं सामरिक महत्व की महत्वपूर्ण परियोजना है, इसके क्रियान्वयन मे आ रही कठिनाइयों का प्राथमिकता के आधार पर समयबद्धता के साथ निराकरण किया जाय। उन्होने कहा कि चार धाम ऑल वेदर रोड योजना राज्य सरकार के साथ ही भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है। इस योजना को निर्धारित अवधि के अन्दर पूर्ण किया जाना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 889 कि0मी0 की लगभग 11700 करोड़ की यह योजना राज्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। योजना के पूर्ण होने पर चारधाम यात्रा मार्ग पर आवागमन में सुविधा होने के साथ ही सीमान्त क्षेत्रों तक आवाजाही में आसानी होगी। यह योजना इस क्षेत्र के विकास की नई राह भी प्रशस्त करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क निर्माण में आ रही कठिनाइयों को नियमित रूप से सभी सम्बन्धित विभाग नियमित रूप से समीक्षा कर उनका निराकरण करें। इस सम्बन्ध में भारत सरकार के स्तर से जो स्वीकृतियां प्राप्त की जानी है। उन्हें सन्दर्भित किया जाय। भारत सरकार द्वारा पूरा सहयोग दिया जा रहा है इसके लिए धनराशि की भी कोई कमी नही है। मुख्यमंत्री ने उर्जा विभाग को सड़क निर्माण में बाधक विद्युत लाईनों को तुरन्त शिफ्ट करने के भी निर्देश दिये। उन्होंने कार्यदायी संस्थाओं को सभी आवश्यक सहयोग एवं सुविधाये भी दिये जाने को कहा है। मुख्यमंत्री ने पेयजल विभाग को पेयजल लाइन शिफ्ट करने के भी निर्देश दिये। सड़क निर्माण में बाधक वृक्षों के कटान की स्वीकृति के लिए भी शीघ्र कार्यवाही करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भागीरथी इको सेंसिटिव जोन के अन्तर्गत सड़क निर्माण के लिए 15 दिन के अन्दर इन्वायरमेंट इम्पेक्ट एसेसमेंट की व्यवस्था की जाय। ताकि इस क्षेत्र में बनने वाली सड़क निर्माण में भी तेजी आ सके। मुख्यमंत्री ने चारधाम सड़क मार्ग पर किये जाने वाले वृक्षारोपण की योजना भी तैयार करने को कहा। इसके साथ ही सड़को के आस-पास स्थापित किये जाने वाले पेट्रोल पंप, विश्राम स्थलों, इको पार्को के लिए भी स्थान चिन्हित किये जाय। उन्होंने अतिरिक्त भूमि पर महिला स्वयं सहायता समूहो के लिए कियोस्क बनाये जाने की भी बात कही। मुख्यमंत्री ने भूमि अधिग्रहण का मुवाअजा प्राप्त करने वाला कोई भी व्यक्ति छूटने न पाये इसका भी ध्यान रखने को कहा। कार्यदायी संस्थाओं को निर्माण सामाग्री नियमित रूप से उपलब्ध होती रहे इसकी भी व्यवस्था की जाय।
समीक्षा बैठक में आल वेदर रोड निर्माण के लिये कार्यदायी संस्थाओं में लोक निर्माण विभाग द्वारा ऋषिकेश-रूद्रप्रयाग (140कि0मी0), एन.एच.आई.डी.सी.एल एवं बीआरओ द्वारा रूद्रप्रयाग-माणा (160 कि0मी0), बीआरओ एवं पीआईयू ऋषिकेश-धरासू (144 कि0मी0), एनएचआईडीसीएल एवं बीआरओ धरासू-गंगोत्री (124 कि0मी0), एनएचआईडीसीएल एवं पीडब्लूडी धरासू-यमुनोत्री (95 कि0मी0), पीडब्लूडी रूद्रप्रयाग-गौरीकुंड (76 कि0मी0), पीडब्लूडी टनकपुर-पिथौरागढ़ (150 कि0मी0) में सात पैकेजों पर चल रहे निर्माण कार्यों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में बताया गया कि 672 की0मी0 के 40 स्वीकृत कार्यों पर निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है। अन्य अवशेष सड़को के निर्माण हेतु स्वीकृति प्रक्रिया गतिमान है।
बैठक में मुख्य सचिव ओम प्रकाश, प्रमुख सचिव आनन्द वर्धन, सचिव आर0के0सुधांशु, नीतेश झा, सुशील कुमार, अपर सचिव नीरज खेरवाल, डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट आदि उपस्थित थे।

सस्ती दरों को मिलेंगी कर्मचारियों को मिलेंगी रोजमर्रा की वस्तुएं

उत्तराखंड सरकार का सहकारिता विभाग राज्य के पांच लाख से अधिक कर्मचारियों को सीधा लाभ पहुंचाने जा रहा है। उत्तराखंड राज्य कर्मचारी कल्याण निगम को विभाग पुनर्जीवित करने जा रहा है। इसमें कर्मचारियों को रोजमर्रा में प्रयोग होने वाली वस्तुएं सस्ती दरों पर मिल सकेंगी। इस योजना का शुभारंभ जुुलाई माह में होगा। 

योजना के तहत उत्तराखंड राज्य कर्मचारी कल्याण निगम ने सृष्टि डिपार्टमेंटल स्टोर से एमओयू कर लिया है। अनुबंध की शर्तों के तहत राज्य कर्मचारियों, शिक्षकों, निकायों के कर्मचारियों को स्टोर में उपलब्ध छूट के अतिरिक्त न्यूनतम ढाई प्रतिशत से लेकर पांच प्रतिशत तक की छूट मिलेगी। इसके लिए कर्मचारियों को एक कार्ड जारी किया जाएगा। अभी यह फायदा कर्मचारियों को देहरादून में सृष्टि के डिपार्टमेंटल स्टोर से मिलेगी। अगस्त तक इस योजना को प्रदेश के अन्य जिलों में भी ले जाने की योजना है। श्रीनगर और हरिद्वार से बोर्ड ऑफ गर्वनर को भी प्रस्ताव मिल गए हैं। 
2400 से अधिक प्रोडेक्ट की रेंज सृष्टि डिपार्टमेंटल स्टोर के पास उपलब्ध है। इसमें ग्रोसरी से लेकर फैशन, किचन सहित अन्य सामान उपलब्ध हैं। अधिकारियों के मुताबिक सृष्टि का सेल आउटपुट करीब ढाई करोड़ रुपये प्रति माह है। 

17 प्रतिशत अधिकतम छूट सामान के खरीदने पर कर्मचारियों को मिलेगी। स्टोर को कहा गया है कि वह ढाई से पांच प्रतिशत तक की अतिरिक्त छूट उपलब्ध कराए। मतलब ये कि स्टोर अगर दस प्रतिशत की छूूट अपने ग्राहकों को दे रहा है तो वह कर्मचारियों को न्यूनतम 12.5 प्रतिशत की छूट देगा जो अधिकतम 17 प्रतिशत तक हो सकती है। 2015 में इस निगम का गठन किया गया था। उस समय अपर मुख्य सचिव इसके अध्यक्ष थे। तक से यह निगम बंद था। अब सहकारिता सचिव को इस निगम का अध्यक्ष और अन्य विभागों के सचिवों को सदस्य बनाया गया है। 

उत्तराखंड के विकास में डेरी योजनाओं को करना होगा शामिलः मुख्यमंत्री

(एनएन सर्विस)
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत समेकित सहकारी विकास परियोजना व गंगा गाय महिला डेरी योजना में दुधारू पशु क्रय कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है जहां मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना जैसी योजना प्रारम्भ की गई है। इसमें कोविड-19 से प्रभावित होकर वापिस लौटे प्रवासियों के साथ ही युवाओं और महिलाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। उद्योग विभाग के तहत योजना प्रारम्भ करने के साथ ही अन्य विभिन्न विभागों की योजनाओं को भी इसमें समावेशित किया गया है। मुख्यमंत्री ने दूधली में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत समेकित सहकारी विकास परियोजना व गंगा गाय महिला डेरी योजना में दुधारू पशु क्रय कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

स्वरोजगार से ही आत्मनिर्भर भारत सम्भव
मुख्यमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए स्वरोजगार की राह पर चलना होगा। हमने प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारम्भ की है। इसमें ऋण व अनुदान की व्यवस्था की गई है। लगभग 150 प्रकार के काम इसमें लिए गए हैं। लाभार्थी अपनी रूचि और अनुभव के आधार पर इनमें से कोई भी काम शुरू कर सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने 20 लाख करोड़ रूपए का पैकेज दिया है। इसमें देश के आर्थिक ढांचे को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया है। राज्य में भी इसी क्रम में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का न केवल प्रारूप बनाया गया बल्कि इसका धरातल पर क्रियान्वयन भी शुरू किया जा चुका है। जिला योजना में स्वरोजगार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।

बद्री गाय के संरक्षण व दुग्ध उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य राज्य में दूध की उपलब्धता को बढ़ाना भी है। इसीलिए निर्णय लिया गया कि योजना के तहत दुधारू पशु राज्य के बाहर से लाए जाएंगे। साथ ही बद्री गाय के संरक्षण पर काम किया जा रहा है। बद्री गाय के घी की बाजार कीमत काफी अधिक है। कोशिश की जा रही है कि इनकी दुग्ध क्षमता को बढ़ाया जा सके। इसमें कुछ सफलता भी मिली है।

घर लौटे प्रवासियों के लिए रोजगार के अवसर
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड़-19 की स्थितियों से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में प्रवासी भाईयों को उनके घर पहुंचाया गया है। उनके स्वास्थ्य, भोजन आदि की व्यवस्था की गई। इसके साथ ही इनमें से जो लोग अब उत्तराखण्ड में रहकर ही काम करना चाहते हैं, उनके लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में व्यवस्था की गई है। मनरेगा में 36 हजार नए रजिस्ट्रेशन करते हुए काम उपलब्ध कराया गया है।

20 हजार दुधारू पशु का लक्ष्य
सहकारिता एवं दुग्ध विकास मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है, जहां मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की शुरूआत हुई है। कोरोना की महामारी के बाद उत्तराखण्ड वासियों के लिए मुख्यमंत्री जी ने यह बड़ी सौगात दी है। इस योजना के तहत प्रदेश के लाखों लोगों को रोजगार दिया जायेगा। डेरी विकास विभाग में राष्ट्रीय सहकारी विकास परियोजना के अंतर्गत डेरी क्षेत्र के लिए कुल 444.62 करोड़ रूपए स्वीकृत हैं। इसके तहत राज्य के दुग्ध सहकारी संघों के सुदृढ़ीकरण, कोल्ड चैन की स्थापना के साथ ही तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध कराने और प्रोत्साहन के लिए ऋण एवं अनुदान की व्यवस्था की गई है। योजना के अंतर्गत लगभग 5400 लाभार्थियों को 20 हजार दुधारू पशु राज्य के बाहर से क्रय कराए जाने का लक्ष्य रखा गया है। योजना के पहले वर्ष चालू वित वर्ष में लगभग 2800 लाभार्थियों को 10 हजार दुधारू पशु क्रय कराए जाएंगे। योजना के तहत इकाई लागत का 65 प्रतिशत ऋण, 10 प्रतिशत लाभार्थी अंशदान और एनसीडीसी व राज्य अंतर्गत संचालित गंगा गाय महिला डेरी योजना से कुल 25 प्रतिशत अनुदान दिये जाने की व्यवस्था है। दुधारू पशुओं का बीमा पशुधन बीमा योजना में किया जाएगा। पूरे प्रदेश में 500 मिल्क बूध की स्थापना की जा रही है। डेरी के क्षेत्र में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं। राज्य सरकार का प्रयास है कि इस क्षेत्र में प्रदेश के 10 हजार से अधिक लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि अगले दो महिने में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में पशु मेले लगाये जायेंगे।

इस अवसर पर उत्तराखण्ड वन पंचायत सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष करन बोहरा, भाजपा के जिलाध्यक्ष शमशेर सिंह पुण्डीर, मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रवीन्द्र दत्त, सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, निदेशक डेरी विकास जीवन सिंह नगन्याल, दुग्ध संघ से विजय रमोला, हरेन्द्र पाल सिंह आदि उपस्थित थे।

कंट्रोल रूम से मुख्यमंत्री ले रहे राहत और बचाव कार्यो का फीडबैक

मुख्यमंत्री के कैम्प कार्यालय में बेहतर समन्वय के लिए केन्द्रीकृत कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहां से मुख्यमंत्री, आवश्यकतानुसार कोविड-19 के लिए स्थापित सभी जिला कंट्रोल रूम और राज्य कंट्रोल रूम से फीडबैक प्राप्त कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने फोन पर राज्य के विधायकगणों से बात कर उनके क्षेत्रों में कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति और बचाव हेतु प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में फीडबैक लिया। मुख्यमंत्री ने विधायकगणों को अपने क्षेत्र में लगातार सम्पर्क बनाए रख कर लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करने और लॉकडाऊन में घर पर ही रहने के लिये प्रेरित करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें लोगों सतर्क और सावधान करने के साथ ही उनकी आवश्यकताओं का भी ध्यान रखना है। कोई भी गरीब भूखा न रहे। बाहर से आए लोगों पर लगातार नजर रखनी है। क्वारेंटाईन किए गए लोगों में से कोई इसका उल्लंघन करता है तो तुरंत प्रशासन को जानकारी दें। अगर किसी को खांसी, जुकाम, बुखार जैसी समस्या हो तो स्वास्थ्य विभाग को सूचित करे ताकि उचित इलाज हो सके। विधायकगण अपने समर्थकों व कार्यकर्ताओं को भी प्रेरित करें। हमारे पास केवल और केवल यही एक समाधान है कि हम सामाजिक दूरी बनाकर रखें। हम सोशल डिस्टेंस बनाकर रखें। इसका स्वयं भी पालन करें और औरों को भी इसका पालन करने हेतु जागरूक करें।

वहीं, सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में संत निरंकारी मंडल के जोनल इंचार्ज हरभजन सिंह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को कोरोना महामारी हेतु सहायता राशि के रूप में 50 लाख रूपये का चेक सौंपा। इस मौके पर हरभजन सिंह ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर संत निरंकारी मिशन के प्रदेश में स्थित सभी सत्संग भवनों को आइसोलेशन के लिए प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संत निरंकारी मिशन कोरोना वायरस से लड़ाई में प्रदेश सरकार की हर सम्भव सहायता करेगा। उन्होंने कहा कि मिशन द्वारा जरूरतमंदों को राशन, सेनेटाइजर, मास्क इत्यादि भी वितरित की जा रही है।

लोकतंत्र के प्रति देशवासियों का बढ़ा विश्वासः ओम बिरला

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने बुधवार को भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों एवं सचिवों के 79वें वार्षिक सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया। भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों एवं सचिवों का उत्तराखण्ड में पहला सम्मेलन है।

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां पूरी पारदर्शिता के साथ चुनाव होते हैं। लोकतंत्र के प्रति देशवासियों का विश्वास बढ़ा है, इसके परिणामस्वरूप 17वें लोक सभा चुनाव में 67.40 प्रतिशत मतदान हुआ। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि संसदीय सत्र में सभी सदस्यगणों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिले। 17वीं लोक सभा के गठन के बाद पहला सत्र 37 दिन तक चला।, इसमें 35 विधेयक पारित हुए। इस दौरान एक दिन भी संसद की कार्यवाही स्थगित नहीं हुई। प्रश्नकाल एवं शून्यकाल में सदस्यों के अधिकतम प्रश्नों को रखने का मौका दिया। पहली बार निर्वाचित होने वाले सदस्यों को सदन में अधिक से अधिक बोलने के लिए आग्रह किया। पहले सत्र में संसद की 125 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी रही। दूसरे सत्र में भी सदस्यों को चर्चा करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया गया, इस सत्र में भी 115 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी रही।

लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि 2021 में इस सम्मेलन को 100 साल पूरे होंगे, जबकि 2022 में भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनायेगा। हमारा प्रयास है कि लोकतंत्र के इन मंदिरों में सभी की जनता के प्रति जवाबदेही हो। विधानसभा सदन अधिक से अधिक चले इसके लिए भी इस सम्मेलन में चर्चा होगी। हमारा प्रयास होगा कि जो भी लक्ष्य निर्धारित करें, वह अवश्य पूर्ण हो।

सदन का अध्यक्ष एक अभिभावक की तरहः सीएम
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने इस सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह पहला मौका है जब उत्तराखंड को इस तरह के आयोजन की मेजबानी मिली है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। एक स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र में आप जैसे लोगों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सदन का अध्यक्ष एक अभिभावक की तरह होता है। सदन में सबको अधिकतम अवसर देना, सबकी सुनने का दायित्व होता है, इसके लिए विशेष कौशल की जरूरत होती है, जिसका सभी बड़ी कुशलता से निर्वहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जिस तरह लोक सभा में कार्य हो रहा है, वह एक ऐतिहासिक कार्य हो रहा है। लोकसभा अध्यक्ष श्री बिड़ला जी ने कुशलता से सदन को संचालित किया है। उत्तराखण्ड में भी विधानसभा अध्यक्ष जी ने विधानसभा में सदस्यों को अधिकतम प्रश्न उठाने का मौका दिया है।

उत्तराखंड धर्म एवं आध्यात्म का केंद्रः प्रेमचंद
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों एवं सचिवों को सम्मेलन पहली बार आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में संविधान की दसवीं अनुसूची, शून्य काल सहित सभा के अन्य साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र का सुदृढ़ीकरण, क्षमता तथा निर्माण आदि विषयों पर चर्चा होगी। इस अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड के धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में जो भी मंथन होगा, उसके भविष्य में बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड विधानसभा को प्लास्टिक मुक्त किया गया है। उत्तराखण्ड गंगा, यमुना का उद्गम स्थल है, इसके साथ ही उत्तराखण्ड के चारों धामों सहित ऋषिकेश एवं हरिद्वार का पौराणिक काल से धार्मिक महत्व है। उत्तराखण्ड धर्म एवं आध्यात्म का केन्द्र रहा है। उत्तराखण्ड में नंदा देवी राजजात यात्रा का ऐतिहासिक महत्व है।

प्लास्टिक मुक्त दून बनाने में देहरादून वासियों का भरपूर सहयोग मिल रहाः त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को ‘‘पॉलीथीन मुक्त ग्रीन दून मिशन ’’ अन्तर्गत नगर निगम, देहरादून द्वारा आयोजित मानव श्रृंखला कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। पॉलीथीन मुक्त, स्वच्छ एवं सुंदर दून बनाने के उद्देश्य से आयोजित 50 किमी की इस विशाल मानव श्रृंखला में एक लाख से अधिक लोगों ने प्रतिभाग किया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मियांवाला चौक से राजपुर रोड होते हुए घंटाघर तक मानव श्रृंखला में प्रतिभाग कर रही जनता का उत्साहवर्धन किया। प्रातः 10ः00 बजे, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं मेयर देहरादून सुनील उनियाल गामा ने मानव श्रृंखला में शामिल होकर देहरादून को स्वच्छ-सुंदर एवं पॉलीथीन मुक्त बनाने के लिए जनता से आह्वान किया। इस मानव श्रृंखला में जनप्रतिनिधियों, स्वयं सेवी संस्थाओं, शासन एवं प्रशासन के अधिकारियों व कर्मचारियों तथा स्कूली बच्चों ने प्रतिभाग किया। यह मानव श्रृंखला, मियांवाला से मसूरी डायवर्जन, घंटाघर, जीएमएस रोड, सहारनपुर रोड होते हुए घंटाघर तक बनाई गई।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का जो आह्वान किया है, देहरादून इसमें लीड ले चुका है। उन्होंने सभी प्रदेश वासियों को पॉलीथीन मुक्त उत्तराखण्ड बनाने में सकारात्मक सहयोग देने पर उनका आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक मुक्त, स्वस्थ-सुंदर एवं ग्रीन दून बनाने के लिए सभी देहरादून वासियों का पूरा सहयोग मिल रहा है। हमने पॉलीथीन मुक्त दून बनाने का संकल्प लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्लास्टिक का इस्तेमाल, सामाजिक बुराई बन गई है। मानव जीवन एवं जीव-जन्तुओं पर इसके अनेक दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। पॉलीथीन मुक्त देहरादून के लिए नगर निगम देहरादून द्वारा जो अभियान चलाया जा रहा है, इसके काफी अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। प्रदेश को पॉलीथीन मुक्त बनाने के लिए जन सहयोग के साथ ही सभी को पॉलीथीन का उपयोग न करने का दृढ़ निश्चय करना होगा।

मेयर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि स्वच्छ एवं ग्रीन दून के लिए देहरादून नगर निगम द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। पॉलीथीन के बहिष्कार के लिए व्यापक स्तर पर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। पिछले तीन माह में जन जागरूकता से देहरादून में पॉलीथीन के उपयोग में 70 प्रतिशत कमी आयी है। जन सहयोग से जल्द ही देहरादून को पूर्ण रूप से सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त किया जायेगा।

सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल न करे प्रदेश की जनताः सीएम

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने की प्रदेश वासियों से सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करने की अपील की है। उन्होंने प्रदेश वासियों से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बन्द करने की अपील की है। इसके प्रति जन जगरूकता के लिये देहरादून में 5 नवम्बर को बनायी जा रही मानव श्रृंखला में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का भी उन्होंने आम जनता से अनुरोध किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 50 कि.मी. लम्बी इस मानव श्रृंखला में लगभग एक लाख लोग सम्मिलित होंगे। इसमें स्कूली छात्र, कर्मचारी, व्यापारी, सभी सामाजिक एवं नागरिक संगठनों द्वारा भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी। यह श्रृंखला मियांवाला से मसूरी डायवर्जन, घंटाघर, जीएमएस रोड, सहारनपुर रोड होते हुए फिर घंटाघर तक बनायी जायेगी।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि हम जिस सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कर रहे हैं इससे अनेक बीमारियां पैदा हो रही हैं। यह मानव मात्र के लिए ही नहीं अपितु पशुओं एवं समुद्री जीवों के लिये भी यह हानिकारक है। उन्होंने कहा कि इसके दुष्प्रभाव से जंगली जानवर भी पीड़ित होने लगे हैं। हाथी के पेट में भी प्लास्टिक पहुंचना हमारे लिए चिन्ता का विषय है। उन्होंने कहा कि पालीथीन से बरसात में नालियां जाम हो जाती हैं, जिससे जल भराव की स्थिति पैदा होने के साथ ही तमाम अन्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। उन्होंने समाज के व्यापक हित में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करने का संकल्प लेने की सभी से अपेक्षा की है।

एक्जीक्यूटिव इंजीनियर की अनुमति के शटडाउन नही होगा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को सचिवालय में ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा विभाग की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने ऊर्जा विभाग को गत वर्ष के राजस्व में न्यूनतम 200 करोड़ रूपये की वृद्धि करने का लक्ष्य दिया। मुख्यमंत्री ने ऊर्जा विभाग को प्रदेश में निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए हर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि जे0ई0 और ए0ई0 ही नही बल्कि एक्जीक्यूटिव इंजीनियर भी फील्ड में दिखें। विद्युत चोरी के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया जाय और विशेष रूप से बड़े बिजली चोरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाय। बिजली चोरी रोकने तथा राजस्व वृद्धि के लिये जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी जो वर्षो से एक ही जगह पर जमे हों उनका स्थानांतरण किया जाय। बिना एक्जीक्यूटिव इंजीनियर की अनुमति के शटडाउन न किया जाय। जब भी किसी आवश्यक कार्य के लिए बिजली शटडाउन लेना हो तो उसका जनता में व्यापक प्रचार किया जाए। अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही से बिजली आपूर्ति में बाधा स्वीकार नहीं की जाएगी। जूनियर इंजीनियर से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक की चरित्र पंजिका में उनकी परफॉर्मेंस बिजली सप्लाई की नियमितता के आधार पर भी देखी जाएगी। मुख्यमंत्री ने राज्य की सौर ऊर्जा नीति में 5 मेगावाट तक के प्रोजेक्ट केवल उत्तराखण्ड के निवासियों के लिए रखने के निर्देश दिये। इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जायेगा। बताया गया कि वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से राज्य में 597 मिलियन यूनिट बिजली की खपत कम हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उपजाऊ भूमि पर सोलर प्लाण्ट परियोजनाए न लगाई जायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली सप्लाई में ए0टी0 एण्ड टी0 (एग्रीगेट टेक्निीकल एण्ड कमर्शियल लॉसेस) को कम किया जाए। वर्ष 2016-17 के 16.72 प्रतिशत हानियों को इस वर्ष अधिकतम 15 प्रतिशत तक सीमित किया जाय। उल्लेखनीय है कि एक प्रतिशत ए0टी0 एण्ड टी0 हानियां कम होने पर राज्य को लगभग 100 करोड रुपए तक की बचत होगी। जिन क्षेत्रों में बिजली चोरी की घटनाएं अधिक होती है, उन्हें चिन्हित कर वहां ओवरहेड लाइनों को ए0बी0 केबिलों से बदला जाए। इस वर्ष 2000 कि0मी0 ओवरहेड एल0टी0 लाइनों को ए0बी0 केबिलों से बदले जाने का लक्ष्य है। बताया गया कि राज्य के 15745 आबाद ग्रामों में 15681 विद्युतीकृत है। मुख्यमंत्री ने शेष 64 ग्रामों को इस वर्ष के अंत तक विद्युतीकृत करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने दूरस्थ सीमांत इलाकों में लगभग 8000 घरों हेतु सोलर ब्रीफकेस की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने विद्युत उत्पादन की आधुनिक एम0आई0एस0टी0 (मिस्ट) तकनीकि का अध्ययन कर किसी एक स्थान पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के निर्देश भी दिए। उत्तराखंड जल विद्युत निगम को इस वर्ष के लिए निर्धारित 4876 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन लक्ष्य को बढ़ाकर कम से कम 5000 मिलियन यूनिट करने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो जल विद्युत परियोजनाएं न्यायालय वाद या किसी अन्य कारण से रुकी हुई हैं, उनके अतिरिक्त बाकी योजनाओं पर निगम पूरा ध्यान केंद्रित करें। बताया गया कि 120 मेगावॉट ब्यासी परियोजना वर्ष 2018 दिसम्बर तक तैयार हो जायेगी। उत्तरकाशी की पिलंगाड-1 (2.25 मेगावॉट) योजना इस वर्ष दिसम्बर तक पूरी हो जायेगी। चमोली में उरगम (3.0 मेगावॉट) तथा पौड़ी में दुनाव (1.5 मेगावॉट) योजना अगस्त के अंतिम सप्ताह से प्रारम्भ हो जायेगी। दुनाव परियोजना टेस्टिंग प्रक्रिया में है। राज्य के दस हजार से कम जनसंख्या वाले 36 शहरों में 192 करोड़ की लागत से बिजली सुधारीकरण किया जाना है। इस वर्ष अप्रैल से जून तक बिजली चोरी के लगभग 486 अभियोग पंजीकृत किये गये हैं। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष अप्रैल-जून अवधि के बिजली आपूर्ति की नियमितता और अवधि में सुधार हुआ है। बैठक में सचिव ऊर्जा राधिका झा, अपर सचिव रणवीर सिंह चौहान सहित ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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