प्रदेश में पंचकर्मा केन्द्रों को बढ़ावा देने के निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने शुक्रवार को सचिवालय में आयुष विभाग के अन्तर्गत प्रदेश में पंचकर्मा केन्द्रों को बढ़ावा दिए जाने के सम्बन्ध में बैठक की।
मुख्य सचिव ने कहा कि यह प्रदेश में आयुर्वेद को मजबूती दिए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए आयुर्वेद में पंचकर्मा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऋषिकेश और देहरादून में विश्वस्तरीय पंचकर्मा केन्द्र बनाए जाएं।
मुख्य सचिव ने कहा कि केरला आयुर्वेद को प्रदेश में बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के डॉक्टर्स सहित 100 प्रतिशत स्टाफ को प्रशिक्षण कराया जाए। डॉक्टर्स को प्रशिक्षण हेतु उच्च स्तरीय संस्थानों में भेजे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने इसके लिए सेमिनार भी आयोजित किए जाने की बात कही। कहा कि आयुर्वेदिक संस्थानों और आयुर्वेदिक चिकित्सकों को राज्य से जो भी सहायता चाहिए, उन्हें दी जाएगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि आयुर्वेदिक पद्यति उच्च स्तरीय होने के बावजूद प्रमाणों की कमी के कारण ज्यादा प्रयोग में नहीं ली जाती। उन्होंने कहा कि इसके लिए अनुसंधान और प्रलेखन की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। रिसर्च को बढ़ावा दिए जाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाए। उन्होंने कहा कि जानकारी और प्लेटफॉर्म न मिलने के कारण इस दिशा में किए गए कार्यों की किसी को जानकारी नहीं होती। उन्होंने इसके लिए ई-मैगजीन भी संचालित किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि इसमें सभी के लिए शोध आदि प्रकाशित किए जाएं, ताकि इससे इस दिशा में किए जा रहे कार्यों की सभी को जानकारी हो सके। साथ ही, आमजन को जानकारी के लिए ई-पत्रिका, टीवी चैनल और रेडियो चैनल भी संचालित किए जा सकते हैं।
मुख्य सचिव ने आयुष विभाग को अपनी वेबसाइट भी अपग्रेड करने के निर्देश दिए। कहा कि अपनी वेबसाइट में बीमारी और उनके उपचार के साथ ही प्रदेश में उनसे सम्बन्धित कौन कौन सी सुविधाएं कहां कहां उपलब्ध हैं, सभी प्रकार की जानकारी उपलब्ध करायी जाए। उन्होंने हाईपरटेंशन, डायबिटीज आदि जैसी आम बीमारियों के कारण एवं उपचार को भी इसमें शामिल किए जाने की बात कही।
मुख्य सचिव ने इस क्षेत्र में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे फर्जी डॉक्टर्स और संस्थानों को रोकने हेतु सिस्टम विकसित किए जाने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता बनाए रखने के लिए संस्थानों को रजिस्टर किए जाने के साथ ही मान्यता पर भी कार्य करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर सचिव आयुष डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

आवश्यकता की वस्तुओं को राज्य में ही निर्माण करने पर सीएस का जोर

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने बुधवार को सचिवालय में शासन और विभाग के सभी अधिकारियों के साथ प्रदेश में निवेश योग्य योजनाओं के सम्बन्ध में चर्चा की। उन्होंने नियोजन विभाग से खरीद वरीयता नीति तैयार करने के निर्देश दिए। इस पॉलिसी के तहत विभागों से जानकारी मांगी जाए कि किस विभाग को किस प्रकार की खरीद करनी होती है। इसके अनुसार प्रदेश में ही वस्तुओं आदि का उत्पादन पर फोकस किया जाएगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि इसके लिए प्रत्येक विभाग से एक प्रारूप में सभी प्रकार की जानकारियां मांगी जाएं ताकि प्रदेश में इन खरीदे जाने वाली वस्तुओं का उत्पादन किया जाए। इससे प्रदेश में उत्पादित होने से रोजगार तो उत्पन्न होगा ही साथ ही राज्य में आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार खपत संचालित योजनाओं से प्रदेश को लाभ होगा।
मुख्य सचिव ने लैंड बैंक को पोर्टल पर अपलोड किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विभाग लैंड बैंक पोर्टल पर अपने लिए सबसे उपयुक्त भूमि की तलाश कर सकेगा। इससे उस भूमि पर योजना की सफलता के अधिक सम्भावना होगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पर्यटन विभाग के पास पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए विभिन्न जगहों पर अपनी भूमि हैं। पर्यटन विभाग के लिए पर्यटन से सम्बन्धित गतिविधियों के लिए उसकी लोकेशन बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। और पर्यटन इन भूमियों को प्रयोग करने की योजनाएं बना रहा है, परन्तु आसपास में किसी अन्य विभाग की भूमि है जो पर्यटन की उस योजना के लिए, अधिक अनुकूल है। तो पर्यटन विभाग को अपनी भूमि के बजाय उस अधिक उपयुक्त भूमि पर निवेश करने की आवश्यकता है न कि अपनी भूमि पर। उन्होंने कहा कि विभागों के पास जो भी भूमियां हैं वह सार्वजनिक सम्पत्ति है, जो विभाग को उनके कार्यों के लिए दी गयी है। उन्होंने अधिकारियों द्वारा उनके विभाग की भूमि में उन्हीं के विभाग से सम्बन्धित योजनाओं का ही संचालन हो, की मानसिकता को त्यागे जाने की जरूरत बताया। कहा कि प्रदेश के हित में जिस भूमि का जिस कार्य अथवा योजना के लिए अधिक उपयोगिता होगी, उसी कार्य के लिए प्रयोग की जानी चाहिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखण्ड में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में पोषक अनाजों पर अत्यधिक सम्भावनाएं हैं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को इस दिशा में योजनाएं तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने उद्यान विभाग को हॉर्टी टूरिज्म की दिशा में योजनाएं लाए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने वन विभाग को धनौल्टी की तर्ज पर प्रदेशभर में ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिए जाने की भी बात कही। मुख्य सचिव ने कहा कि देहरादून मसूरी के आवासीय विद्यालय भारत ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। इस प्रकार के आवासीय विद्यालयों पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। इससे सिर्फ इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी जिससे प्रदेश और प्रदेशवासियों को किसी न किसी रूप में लाभ मिलेगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में बहुत से निवेश और उद्योग छोटी-छोटी समस्याओं के कारण अटक जाते हैं। इनकी समस्याओं के निस्तारण के लिए मैकेनिज्म तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए शासन, मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री स्तर पर तीन स्तर में समितियां गठित की जा सकती हैं। पहले स्तर पर शासन स्तर पर समस्या का निराकरण किया जाए। यदि वहां समस्या का निस्तारण नहीं होता तो मुख्य सचिव स्तर पर किया जाएगा उसके बावजूद नहीं हो सकेगा तो मुख्यमंत्री स्तर पर गठित समिति उस समस्या का निस्तारण करेगी।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, डॉ. आर. राजेश कुमार एवं अपर सचिव नियोजन रोहित मीणा सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

तिरंगा फहराने के बाद सीएस बोले-गणतंत्र की सबसे बड़ी जिम्मेदारी हमारी है

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने गुरुवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर सचिवालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों और सचिवालय के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को गणतंत्र दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि भारत की आजादी के बाद, देश का संविधान बनाने वालों ने यह निर्णय लिया कि देश को गणतांत्रिक देश बनाना है। इसके बाद संविधान बनाकर इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। हमारे संविधान का एक महत्त्वपूर्ण अंश यह भी है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को समान अवसर का अधिकार प्राप्त है।
मुख्य सचिव ने कहा कि इसका एक उदाहरण देश के राष्ट्रपति पद पर आसीन द्रौपदी मुर्मू हैं। कठिन परिस्थितियों के बावजूद वे कभी हिम्मत नहीं हारी, और कहां से कहां तक पहुंची। यह हमारे संविधान की ही देन है। भर्तियों में भ्रष्टाचार जैसी घटनाओं के चलते आज उत्तराखण्ड के परिपेक्ष्य में समान अवसर का अधिकार का महत्त्व और भी बढ़ गया है। भर्तियों में भ्रष्टाचार बहुत ही चिंता का विषय है। हमें इसका समाधान ढूंढना है। इससे प्रदेश की नकारात्मक छवि गयी है। यह प्रदेश के लिए एक चुनौती है। शासन प्रशासन में बैठकें आयोजित कर यह निर्णय लिया गया कि पात्र युवाओं को ही नौकरी मिले इसके लिए कठोर कानून बनाया जा रहा है। इस प्रकार की घटनाओं में लिप्त लोगों को उम्र कैद की सजा एवं इन कामों से अर्जित सम्पत्ति की जब्त किए जाने का प्रावधान किया जा रहा है, ताकि यह संदेश जाए कि कोई और इस प्रकार की घटनाएं न करे और पात्र लोगों को ही नौकरी मिल सके। इस समय जो भी यहां बैठा है उसे यह याद रखने की आवश्यकता है कि वह यहां इसलिए बैठा है क्योंकि हमारे संविधान ने हमें समान अवसरों का अधिकार दिया है और अब हमारा यह कर्त्तव्य बनता है कि समान अवसर के अधिकार को हर हालत में लागू कराया जाना हमारी जिम्मेदारी है। हमें यह ध्यान देना होगा कि जाने अनजाने में भी हम से कोई ऐसा निर्णय न हो जिससे समानता का अधिकार नजरअंदाज हो।
मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखण्ड प्राकृतिक दृष्टि से बहुत ही सम्पन्न राज्य है। खूबसूरत पहाड़, दुनिया का वाटर टॉवर कहे जाने वाले बर्फीले पर्वत और नदियां हैं। यहां चारधाम हैं, जहां के दर्शन करने के लिए लोग वर्षों से प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही, उत्तराखण्ड की राजधानी देश की राजधानी के इतने पास है। आज यात्रा की दूरी, किलोमीटर से नहीं बल्कि ट्रेवल टाईम से नापी जाती है। पहले देहरादून से दिल्ली 6 से 7 घंटे लगते थे। अब 4 से 5 लग रहे हैं और बहुत जल्दी ही 2 से सवा दो घंटे लगेंगे। इसलिए 2 घंटे का सफर होने के बाद इसे दिल्ली एनसीआर का हिस्सा भी कहा जाना कोई अचम्भा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इससे दिल्ली एनसीआर का एक प्रतिशत भी टूरिस्ट यहां आना शुरू हो जाएगा तो इससे पर्यटन को एक दम बूस्ट मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इसके लिए हमें तैयार रहना है।
मुख्य सचिव ने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान बहुत अधिक ट्रेफिक होने के कारण सिर्फ पर्यटन की दृष्टि से उत्तराखण्ड आने वाले पर्यटक ट्रेफिक जाम से बचने के लिए चारधाम यात्रा सीजन में आने से बचते हैं। इससे आने वाले भविष्य में प्रदेश के पर्यटन पर बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के भविष्य को बचाने के लिए हमें प्रदेश की सड़कें बचानी होंगी। उन्होंने कहा कि शहरों और सड़कों के किनारे बनने वाले भवनों को सुनियोजित तरीके से बनाए जाने के लिए प्रयास किए जाएं। हमें प्रदेश और प्रदेश की युवा पीढ़ी के लिए सोचते हुए अभी से योजनाओं को बनाना और लागू करना है। हमें सिर्फ आज की परिस्थिति नहीं देखनी बल्कि दीर्घकालिक योजनाएं बनानी हैं, ताकि हम अपने प्रदेश का भविष्य बचा सकें। उन्होंने कहा कि सचिवालय शासन प्रशासन की शीर्ष संस्था है। प्रदेश और प्रदेशवासियों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए हम सभी को अपना-अपना योगदान देना है। हमें प्रदेश के भविष्य को सुरक्षित रखने का सिर्फ विचार ही नहीं रखना बल्कि इसे अपनी भावना बनाना है। उन्होंने कहा कि विचार बदलते रहते हैं भावनाएं नहीं बदलती। आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर हम इतना ही प्रण ले लें कि हमें प्रदेश के भविष्य के लिए ही निर्णय लेने हैं तो आज गणतंत्र दिवस पर यहां एकत्र होना सफल हो जायेगा।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु,एल. फैनाई, सभी सचिव, अपर सचिव सहित सचिवालय के अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।

राज्य हित में है पिरुल को स्वरोजगार से जोड़ना-मुख्य सचिव

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में पिरूल (चीड़ की पत्ती) के निस्तारण एवं अन्य उपयोगों के सम्बन्ध में सम्बन्धित अधिकारियों के साथ बैठक की। इस अवसर पर पिरूल से विद्युत उत्पादन हेतु लगाए गए कुछ प्लांट संचालक भी उपस्थित थे।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जंगलों को आग से बचाने के लिए पिरूल का निस्तारण आवश्यक है। उन्होंने पिरूल के निस्तारण के लिए उसके विभिन्न उपयोगों पर शोध किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पिरूल से ब्रिकेट्स बनाकर ईंधन के रूप में उपयोग की सम्भावनाएं तलाशी जाएं। उन्होंने कहा कि प्रयोग के रूप में स्कूलों में मिड डे मील के लिए प्रयोग हो रहे रसोई गैस आदि के उपलब्ध न होने के समय इन बिकेट्स को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे पिरूल का उपयोग हो सकेगा, इस रोजगार से जुड़े लोगों को एक बाजार भी मिलेगा। साथ ही, जंगलों को आग से बचाया जा सकेगा। उन्होंने पिरूल के निस्तारण के लिए अन्य राज्य क्या कर रहे हैं, इसका भी अध्ययन कराए जाने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि पिरूल को वन उत्पाद की श्रेणी से बाहर किए जाने हेतु शीघ्र शासनादेश किया जाए। इससे पिरुल एकत्र करने वाले लोगों को पिरूल एकत्र करने में सुविधा होगी। उन्होंने पिरूल से विद्युत उत्पादन हेतु लगाए गए प्लांट्स का स्वयं दौरा करने की भी बात कही। कहा कि पिरूल से विद्युत उत्पादन को व्यवहार्य बनाए जाने के लिए और क्या सुधार किया जा सकता है और पॉलिसी में और क्या बदलाव किया जा सकता है, इस पर भी विचार किया जाए।
इसके उपरांत मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों में सोलर प्लांट्स को लगाए जाने हेतु सम्बन्धित अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्य सचिव ने कहा कि सभी सरकारी भवनों एवं स्कूलों की छत पर सोलर प्लांट्स लगाए जाने हेतु शीघ्र कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि एक ओर सोलर एनर्जी पर्यावरण के अनुकूल है, वहीं दूसरी ओर यह विद्युत व्यय को बहुत कम करने में सक्षम है। इसे पूरे प्रदेश में जहां भी संभव हो, सरकारी भवनों में शुरू कराया जाना चाहिए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव अरविन्द सिंह ह्यांकी, बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, विजय कुमार यादव, निदेशक उरेडा रंजना राजगुरु, सचिव वन, अधीक्षण अभियन्ता यूपीसीएल एन.एस. बिष्ट एवं पिरूल प्लांट संचालक महादेव सिंह सहित अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

पर्वतीय क्षेत्रों के उत्पादों की मार्केटिंग कर बाजार उपलब्ध कराने के निर्देश

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सोमवार को सचिवालय में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के साथ बैठक आयोजित की। बैठक के दौरान, मुख्य सचिव ने कहा कि फूड प्रोसेसिंग हमारी ताकत है। पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाला उत्पाद बाजार की कमी, मौसम और यातायात बाधित होने के कारण खराब हो जाता है। यह उत्पाद ऐसे ही बर्बाद न हो इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में ही फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स को बढ़ावा दिया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में बड़े स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां विकसित किए जाएं। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को उत्पादन बढ़ाने के बाद बाजार की चिंता न रहे। इसमें प्राईवेट सेक्टर को बढ़ावा दिया जाए। जो फूड प्रोसेसिंग यूनिट पहले से चल रहे हैं उन्हें और मजबूती प्रदान करने हेतु कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि इससे पर्वतीय क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और रोजगार भी सृजित होगा। उन्होंने सचिव उद्यान को क्लस्टर आधारित पॉलीहाउस पर भी फोकस किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पॉलीहाउस योजना बड़े स्तर पर शुरू करने के लिए बीज, सैपलिंग और रॉ मटीरियल आदि की पूर्व में ही व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि किसी भी योजना के लिए व्यावहारिक दृष्टि से आ रही समस्याओं को जाने बिना और उसके निराकरण के बिना किसी भी योजना का सफल होना असम्भव है। उन्होंने कहा कि उत्पाद को बढ़ावा देने से पहले उसके बाजार की व्यवस्था और किसानों और अन्य हितधारकों को विश्वास में लेना आवश्यक है। किसानों और अन्य हितधारकों से लगातार संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं को समझ कर उनका निराकरण किए जाने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कार्ययोजना और उसकी टाईमलाइन पूर्व में ही निर्धारित किए जाने की बात कही।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव दिलीप जावलकर, बी.वी.आर.सी. पुरषोत्तम, डॉ. पंकज कुमार पाण्डे, अपर सचिव नियोजन रोहित मीणा एवं निदेशक उद्यान एच.एस. बवेजा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आपसी सामंजस्य के साथ समेकित विकास पर ध्यान देना जरुरी

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में गुरुवार को सचिवालय में सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गुड गवर्नेंस की 5वीं कार्यकारी समिति की बैठक सम्पन्न हुयी। इस दौरान मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सतत विकास लक्ष्य को पाने के लिए इनकी साप्ताहिक मॉनिटरिंग की जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु हमें आपसी सामंजस्य के साथ समेकित विकास पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए विभिन्न शिक्षण संस्थानों के साथ लगातार सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने आईआईएम काशीपुर को राज्य के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए भी विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार आईआईटी रूड़की और पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय अपने अपने क्षेत्र में राज्य के विकास के लिए विभिन्न प्रकार से प्रशिक्षण आदि उपलब्ध करा सकते हैं। इसके लिए नियोजन विभाग और संस्थान मिलकर योजना तैयार करें।
मुख्य सचिव ने कहा कि बहुत से ऐसे कार्य हैं जो राज्य सरकार और शिक्षण संस्थान जनहित में करना चाह रहे हैं, परन्तु आपसी संवादहीनता के कारण ये कार्य बाधित हो रहे हैं। विभिन्न शिक्षण संस्थानों की एक समिति बनाकर तिमाही बैठक आयोजित की जाए। राज्य केन्द्रित शोधों के लिए रिसर्च फेलोशिप कार्यक्रम संचालित किए जाएं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की समस्याओं को समझने और उसका समाधान खोजे जाने के लिए सम्बन्धित संस्थान को समस्या का अभिनव समाधान खोजे जाने का कार्य दिया जाए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव मीनाक्षी सुन्दरम, अपर सचिव नियोजन रोहित मीणा सहित विभिन्न शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

अभ्यर्थियों को धामी सरकार की राहत, आवेदन शुल्क नही और ट्रांसपोर्ट का खर्च भी नही लेगी सरकार

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने बताया कि कैबिनेट में निर्णय लिया गया है कि भर्तियों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार द्वारा शीघ्र ही एक सख्त नकल विरोधी कानून लाया जाएगा, जिसमें दोषी को उम्रकैद तक की सजा का प्राविधान किया जाएगा। साथ ही, इस कार्य में अर्जित की गयी सम्पत्ति को भी जब्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोक सेवा आयोग द्वारा लेखपाल की परीक्षा को दोबारा आयोजित किया जाएगा। जिन अभ्यर्थियों ने पूर्व में इसके लिए आवेदन किया है, उन्हें दोबारा आवेदन नहीं करना होगा। न ही इसके लिए कोई फीस देनी होगी। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि उत्तराखण्ड ट्रांसपोर्ट कार्पाेरेशन की बसों में अभ्यर्थियों को किराया नहीं देना होगा, अभ्यर्थियों का प्रवेश पत्र ही उनका यूटीसी की बसों में टिकट माना जाएगा।

जोशीमठ प्रकरण पर नवीन जानकारी के साथ ही बचाव कार्यो में तेजी लाने पर जोर

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में जोशीमठ भू-धंसाव के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी चमोली से क्षेत्र की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली को स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखने के निर्देश दिए। कहा कि प्रभावित क्षेत्र को पूर्ण रूप से खाली करवाया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि भूस्खलन से किसी प्रकार का जानमाल का नुकसान न हो इसके लिए सबसे पहले परिवारों को शिफ्ट किया जाए और उस बिल्डिंग को प्राथमिकता के आधार पर ध्वस्त किए जाए जो अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। जिन स्थानों पर प्रभावित परिवारों को रखा गया है, उन स्थानों पर उनके रहने खाने की उचित व्यवस्था हो। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए कि प्रभावित नागरिकों एवं शासन प्रशासन के मध्य किसी प्रकार का कम्युनिकेशन गैप न हो। उच्चाधिकारी भी लगातार प्रभावित परिवारों के संपर्क रहें और परिस्थितियों पर नजर बनाए रखें।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भू-धंसाव के कारण मोबाइल नेटवर्क भी प्रभावित हो सकता है। मोबाइल टावर अन्यत्र सुरक्षित स्थान में शिफ्ट कर अथवा नए टावर लगा कर संचार व्यवस्था को मजबूत बनाया जाए। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को साथ लेकर एक असेसमेंट कमेटी बनाई जाए। प्रतिदिन पूरे क्षेत्र में टीम भेज कर निरीक्षण करवाया जाए कि पिछले 24 घंटे में क्षेत्र में किस प्रकार का और कितना परिवर्तन हुआ हुआ है, जो भवन अधिक प्रभावित हैं उन्हें प्राथमिकता पर ध्वस्त किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि जोशीमठ के स्थिर क्षेत्र के लिए ड्रेनेज और सीवेज प्लान पर भी काम शुरू किया जाए। भवनों को ध्वस्त करने में विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाए ताकि ध्वस्तीकरण में कोई अन्य हानि न हो। साथ ही, कंट्रोल रूम को 24 घंटे एक्टिव मोड पर रखा जाए, और आमजन को किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में संपर्क करने हेतु प्रचार प्रसार किया जाए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोशीमठ से सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव नितेश कुमार झा, अरविंद सिंह ह्यांकी, डॉ. रंजीत सिन्हा एवं बृजेश कुमार संत सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुक्त गढ़वाल सुशील कुमार एवं जिलाधिकारी चमोली हिमांशु खुराना सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

मुख्य सचिव ने जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर चर्चा की

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में जी-20 शिखर सम्मेलन के तहत् देशी-विदेशी प्रतिभागियों द्वारा मई एवं जून 2023 में प्रस्तावित दौरों के सम्बन्ध में बैठक ली।
मुख्य सचिव ने कहा कि जी-20 सम्मेलन के दौरान हमारे पास देश-विदेश से आए लोगों के समक्ष अपने प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति को दुनिया के कौने-कौने तक पहुंचाने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर है। इसके लिए हमें अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस देने की आवश्यकता है। पर्यटन, संस्कृति, योगा और आयुष हमारी विशेषताएं हैं। प्रदेश के पास इन क्षेत्रों को अधिक से अधिक बढ़ावा देने के लिए एक अच्छा मौका है।
मुख्य सचिव ने कहा कि हर प्रतिभागी के साथ लाइजनिंग ऑफिसर के साथ ही उन्हीं की भाषा का एक गाइड भी उपलब्ध कराया जाए, जो यहां की कोई भी जानकारी उन्हें उपलब्ध करा सके। साथ ही, पर्यटन विभाग उन सभी देशों की भाषा का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करवाए। साथ ही, जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आने वाले प्रतिभागियों को कार्यक्रम स्थल के पास ही अच्छे योगा अनुदेशकों को भी लगाया जाए ताकि यदि कोई योगा सीखना या समझना चाहे तो उन्हें जानकारी मिल सके।
मुख्य सचिव ने कहा कि सम्मेलन के दौरान आमजन की भागीदारी भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेशी प्रतिनिधि मण्डल के रहने खाने एवं सुरक्षा आदि की समुचित व्यवस्था के लिए विदेश मंत्रालय से लगातार सम्पर्क में रहते हुए सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। प्रतिनिधि मण्डल के दौरे के दौरान जिन-जिन विभागों की भूमिका रहेगी, उन विभागों द्वारा अपने स्तर पर कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु समितियां भी गठित कर ली जाएं।
इस अवसर पर सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, दिलीप जावलकर, सचिन कुर्वे, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वी. मुरुगेशन, सचिव डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, आर. राजेश कुमार एवं विनोद कुमार सुमन सहित अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

मुख्य सचिव ने पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने पर दिया जोर

मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में पर्यटन विभाग के साथ पर्यटन के क्षेत्र में प्रदेश में भावी संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की। मुख्य सचिव ने सचिव पर्यटन को पर्यटन प्रदेश में आर्थिकी और रोजगार का महत्त्वपूर्ण साधन है। चारधाम यात्रा के साथ ही प्रदेश के पर्यटक स्थल इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सप्ताहांत में पूरे सालभर अधिकतम पर्यटक दिल्ली एनसीआर से आते हैं, और दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे बन जाने के बाद जब दिल्ली-एनसीआर के पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, उसके लिए हमें अभी से तैयारियां शुरू करनी होंगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि इसके लिए हमें पर्यटकों को नए पर्यटक स्थल और नए साहसिक खेलों को शामिल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश-विदेश में अभी पर्यटन के क्षेत्र में क्या-क्या नया हो रहा है, और उन में से उत्तराखण्ड में क्या-क्या किया जा सकता है, इसकी एक लिस्ट तैयार की जाए। प्रदेश में पर्यटन की दृष्टि से यहां की भौगोलिक एवं प्राकृतिक स्थिति के अनुसार पर्यटन गतिविधियों की 02 कैटेगरी तैयार किए जाने के निर्देश दिए, जिसमें कैटेगरी ‘ए‘ में ऐसी गतिविधियों को रखने के निर्देश दिए जिन्हें तुरन्त शुरू किया जा सकता है एवं कैटेगरी ‘बी‘ में ऐसे गतिविधियां रखी जाएं जिन्हें शुरू किए जाने के लिए पहले कई प्रकार के कार्य किए जाने हैं। प्रदेश में हाई-एंड टूरिस्म को बढ़ावा देने के लिए सम्भावनाएं तलाशी जाएं। फाईव स्टार होटल और रिजॉर्ट्स के क्षेत्र में प्राईवेट क्षेत्र को आकृषित किए जाने के लिए कार्य किया जाए। प्रदेश के शुद्ध वातावरण में ऐस्ट्रॉ विलेज की भी काफी सम्भावनाएं हैं। प्रदेश भर में इसके लिए 5, 10 जगहें चिन्हित कर इसे शीघ्र शुरू किया जाना चाहिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि वाटर स्पोर्ट्स में प्रदेश में अत्यधिक सम्भावनाएं हैं। दिल्ली एनसीआर से अधिकतर पर्यटक राफ्टिंग एवं क्याकिंग आदि साहसिक खेलों के कारण वर्षभर उत्तराखण्ड आते हैं। टिहरी झील में वाटर बाईकिंग, पैरासेलिंग, आदि को तुरन्त शामिल किया जा सकता है। बंजी जम्पिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, वाईल्ड लाईफ सफारी, पैरा ग्लाईडिंग आदि जैसी तुरन्त शुरू की जा सकने वाली गतिविधियों को तुरन्त शुरू कर लिया जाए। इसके लिए प्राईवेट क्षेत्र से आने वाले लोगों को इंटरेस्ट सबवेंशन देकर बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश की खूबसूरती को दिखाने के लिए हैलीकॉप्टर, हॉट एयर बलून आदि से प्रदेश के विभिन्न खूबसूरत पर्यटन स्थलों की एरियल व्यू की व्यवस्था की जा सकती है। इसके लिए ऋषिकेश हरिद्वार जैसी जगह पर लंडन आई ( स्वदकवद म्लम ) जैसी संरचनाओं पर भी विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने पर्यटन विभाग को बड़े शहरों में 5 से 10 जगहों पर स्केटिंग रिंग, आईस हॉकी, लाईट एंड साउंड शॉ आदि के लिए व्यवस्थाएं किए जाने के भी निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि इन गतिविधियों के शुरू होने के लिए प्रशिक्षित लोगों की भी आवश्यकता होगी। इसके लिए पर्यटन विभाग को प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी संचालित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यटकों को प्रदेश में होने वाली समस्त पर्यटन गतिविधियों की जानकारी एक जगह मिल सके इसके लिए पोर्टल को लगातार अपडेट किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने के लिए बजट की कमी नहीं होने दी जाएगी। यदि पॉलिसी में कुछ परिवर्तन करने की आवश्यकता होगी, वह भी किया जाएगा, ताकि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिले और यहां के युवाओं को रोजगार मिले।
इस अवसर पर सचिव पर्यटन सचिन कुर्वे सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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