मोदी कर रहे भारत की संस्कृति और सभ्यता को बचाने का कार्य-धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को मल्ला महल, अल्मोड़ा में आयोजित आजीविका महोत्सव सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने दृष्टिबाधित बालिका नेहा के लोकगीत गाने पर प्रोत्साहन धनराशि भी प्रदान की।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में लोक संस्कृति की विभिन्न झलक देखने से ही बनती है। अल्मोड़ा जिले में हमेशा से ही लोक संस्कृति को बचाने का कार्य हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की संस्कृति एवं सभ्यता को बचाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा केन्द्र सरकार के नेतृत्व में राज्य सरकार मानसखण्ड कारिडोर मिशन पर कार्य कर रही है जिसके अन्तर्गत पौराणिक मन्दिरों एवं धार्मिक स्थलों का संरक्षण कर इन्हें आपस में जोड़ने पर कार्य किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार लोक संस्कृति के संरक्षण एवं लोक विधाओं को आगे बढ़ाने हेतु प्रतिबद्व है। उन्होंने कहा कि हमें संकल्प के तौर पर पलायन को रोकना होगा। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों एवं विभिन्न संस्थानों द्वारा बनाये जा रहे सभी स्थानीय उत्पादों को राज्य सरकार एक मंच उपलब्ध करायेगी जिससे इन उत्पादों को देश के साथ ही विदेशों में पहचान मिल सके। इस कार्यक्रम में राजस्थानी लोक कलाकारों, श्रीनगर से आयी पाण्डावास टीम द्वारा रंगारंग सुन्दर प्रस्तुत दी गयी।
इस दौरान कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री डा0 धन सिंह रावत, केबिनेट मंत्री रेखा आर्या, सांसद अजय टम्टा, भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश बहुगुणा, विधायक अल्मोड़ा मनोज तिवारी, विधायक कपकोट सुरेश गड़िया, जिलाधिकारी वन्दना, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रदीप कुमार राय, मुख्य विकास अधिकारी अंशुल सिंह सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

ऐतिहासिक जौलजीबी मेला और विकास प्रदर्शनी-2022 का सीएम ने किया शुभांरभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने काली एवं गोरी नदी के संगम स्थल जौलजीबी में आयोजित ऐतिहासिक जौलजीबी मेला एवं विकास प्रदर्शनी-2022 का उद्घाटन रिबन काटकर एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जौलजीबी मेला क्षेत्र के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में बहुत महत्व रखता है। यह मेला भारत, नेपाल एवं तिब्बत के पारस्परिक व्यापार को बढ़ावा देता आ रहा है। यह मेला भारत एवं नेपाल के रिश्तों को ऑक्सीजन देने का काम करता है। मुझे प्रसन्नता है कि यह मेला भारत एवं नेपाल देश के बीच संस्कृति, सभ्यता के साथ-साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ाता आ रहा है। अपनी बचपन की यादों को ताजा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वे बचपन से ही यहां के रीति-रिवाज और संस्कृति को देखते आ रहे हैं। उन्हें बचपन से ही इस मेले से बहुत लगाव रहा है। उन्होंने जनता द्वारा किए गए भव्य स्वागत पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं आप लोगों का बेटा व भाई हूं। मैं जब भी यहां आया हूं मेरा हमेशा गर्मजोशी से स्वागत किया गया है, इसके लिए मैं आप सभी का आभार व्यक्त करता हूं तथा आप लोगों का भी हाथ जोड़कर स्वागत करता हूं।
मुख्यमंत्री ने सीमान्त क्षेत्र के विकास को लेकर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम मानते हैं कि सीमांत क्षेत्रों का ठीक प्रकार से विकास होना चाहिए, हम सीमांत क्षेत्रों में सभी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सीमान्त गांवों के विकास के प्रति बहुत गंभीर है। अब देश के सीमान्त गांव देश के अंतिम गांव न होकर देश के पहले गांव होंगे, उनका संपूर्ण विकास हमारी प्राथमिकता में शामिल है। उन्होंने कहा कि हम जनपद के इस सीमान्त क्षेत्र के विकास के लिए काली नदी पर डबल लेन मोटर पुल का निर्माण कर रहे हैं, जिससे भारत और नेपाल देश के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। हम क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग का भी निर्माण व चौड़ीकरण कर रहे हैं, इस क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग के बन जाने से कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्री इसी मार्ग से होकर जाएंगे, जिससे व्यापार बढ़ेगा तथा क्षेत्र का विकास होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम क्षेत्र के आपदा प्रभावित एलधारा भूस्खलन क्षेत्र का ट्रीटमेंट वरूणावत पर्वत की तर्ज पर करेंगे। मुख्यमंत्री द्वारा इस अवसर पर जौलजीबी मेले हेतु रुपए 5 लाख दिए जाने एवं जौलजीबी संगम स्थल का सौंदर्यीकरण किये जाने की घोषणा की गई। मुख्यमंत्री ने संगम स्थल पर स्थित जालेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली की कामना भी की।
इस अवसर पर क्षेत्रीय सांसद अजय टम्टा, विधायक डीडीहाट बिशन सिंह चुफाल, विधायक धारचूला हरीश धामी, जिलाधिकारी रीना जोशी, एसपी लोकेश्वर सिंह, गिरीश जोशी आदि उपस्थित रहे।

श्री देवभूमि लोक संस्कृति विरासतीय शोभायात्रा समिति ने सम्मानित किया

श्री देवभूमि लोक संस्कृति विरासतीय शोभायात्रा समिति ने रविवार को सम्मान समारोह आयोजित कर महाकुंभ के दौरान देवडोली शोभायात्रा और स्नान कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभाने वाले 80 लोगों को सम्मानित किया।
रविवार को ढालवाला स्थित एक होटल में श्री देवभूमि लोक संस्कृति विरासतीय शोभायात्रा समिति ने सम्मान समारोह आयोजित किया। समारोह का शुभारंभ पूर्व मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी और शिक्षाविद समिति के संस्थापक विद्या दत्त रतूड़ी ने किया। दोनों अतिथियों ने बीते वर्ष हुए महाकुंभ के दौरान देवडोली शोभायात्रा व स्नान कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभाने वाले ढालवाला, ऋषिकेश और टिहरी गढ़वाल क्षेत्र के लोागें को स्मृति चिह्न और देकर मानपत्र प्रदान किया। सम्मानित होने वालों में भगवान सिंह रांगड़, गजेंद्र सिंह कंडियाल, ऊषा भंडारी, द्वारिका बिष्ट,माधुरी चमोली, ज्योति सजवान, रतन सिंह पंवार, डॉ एस. एन. रतूड़ी, चंदन सिंह पोखरियाल, महिपाल बिष्ट, विजयपाल रांगड़, घनश्याम नौटियाल, सुरेंद्र भंडारी, रमेश पैन्यूली, भुवन चंद पंत, विनय उनियाल, धन सिंह रांगड़, राम सिंह सजवाण, माधवानंद रतूड़ी, सुनीता बिष्ट, उषा चमियाला, सरस्वती जोशी आदि सहित कुल 80 लोग शामिल रहे।
कार्यक्रम संचालक डॉ. धीरेंद्र रांगड़ ने बताया कि इन लोगों को संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय द्वारा प्रदत सम्मान पत्र व स्मृति चिह्न वितरित किए गए हैं। मौके पर समिति उपाध्यक्ष बंशीधर पोखरियाल, सचिव द्वारिका प्रसाद भट्ट, शिवप्रसाद चमोली, हर्षमणि व्यास, स्वामी नागेंद्र पुरी महाराज, संजय शास्त्री, स्वामी मुकुंद दास कृष्ण महाराज, भोपाल सिंह चौधरी, आसाराम व्यास, पितांबर दत्त पैन्यूली आदि उपस्थित रहे।

संस्कार भारती के कार्यक्रम से ललित कलाओं को मिला संरक्षण-सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को हरिद्वार रोड स्थित संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में संस्कार भारती द्वारा स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित उत्तराखण्ड कला दर्शन कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ.रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘, विधायक सविता कपूर, ओजस हिरानी, पंकज अग्रवाल भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि संस्कार भारती के प्रयास राष्ट्रप्रेम, साहित्य कला व पुरातन समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समर्पित भाव से बढ़ावा देने वाले रहे है। संस्कार भारती की ललित कलाओं के संरक्षण क्षेत्र में भी सबसे बड़े केन्द्र के रूप में पहचान बनी है। इस क्षेत्र के कलाकारों को संगठन से जोड़ कर राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने का भी कार्य हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड कला संस्कृति एवं साहित्य का संगम है, इसके उत्थान के लिये राज्य सरकार कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि राज्य की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिये उपयुक्त स्थल की पहचान कर इसके लिये भवन बनाने के भी प्रयास किये जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले देश में निराशा एवं मायूसी का वातावरण था। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश को नई पहचान मिली है। हमारे देश की कला, आध्यात्म व योग के साथ ही सांस्कृतिक पहचान भी बनी है। उन्होंने कहा कि पौराणिक कलाकृतियों एवं परम्पराओं के संरक्षण की दिशा में काशी विश्वनाथ कोरडोर का निर्माण सबके सामने है। उन्होंने कहा कि पहले काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिये एक पतला और संकरा रास्ता हुआ करता था, आज वह दिव्य एवं भव्य रूप ले चुका है। प्रधानमंत्री के दृढ़ निश्चय से हमारी समृद्ध संस्कृति को पूरा विश्व जानने लगा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब 90 के दशक में अयोध्या गये थे तो रामलला के टेन्ट में दर्शन होते थे, आज भव्य राममन्दिर का निर्माण प्रारम्भ हो चुका है। राममन्दिर के निर्माण से पूरी अयोध्या का महत्व देश व दुनिया में जा रहा है। इससे पूरे विश्व में हमारी कला व संस्कृति को नई पहचान मिलेगी तथा कला संस्कृति एवं आध्यात्म का समन्वय स्थल बनेगा। इसी प्रकार केदारनाथ मन्दिर परिसर के पुनर्निर्माण से लाखो श्रद्धालु वहां की दिव्यता से अविभूत है। बद्रीनाथ मन्दिर का भी सौन्दर्यीकरण किया जा रहा है।

बग्वाल मेले में पहुंचे सीएम, हजारों श्रद्धालुओं के साथ देखी पौराणिक परंपरा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को चंपावत जिले के देवीधुरा स्थित मां वाराही धाम में लगने वाले प्रसिद्ध बग्वाल मेले में प्रतिभाग किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने माँ वाराही मंदिर में विधि विधान से पूजा कर राज्य की खुशहाली की कामना की एवं मां वाराही धाम में चार खाम सात थोक के बीच खेले जाने वाले प्रसिद्ध पाषाण युद्ध के साक्षी बने। इस अवसर पर उन्होंने देवीधुरा में पुलिस चौकी के निर्माण कार्य किए जाने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा की संस्कृति और संस्कार के इस उत्तराखंड प्रदेश के चम्पावत, देवीधुरा में स्थित मां वाराही धाम को शीश झुकाकर कोटिश प्रणाम करता हूं। इस क्षेत्र में अवस्थित भीम शिला, आदि शक्ति गुफा, एवं समस्त देवी-देवताओं के आशीर्वाद से 2021 को बग्वाल मेले को राजकीय मेला घोषित किया गया था। कोरोना काल में दो साल से प्रतीकात्मक बग्वाल आयोजित की जा रही थी। उन्होंने कहा कि रक्षा बन्धन के शुभ अवसर पर बग्वाल युक्त इस मेले से देवीधुरा चम्पावत की प्रसिद्धि, ख्याति पूरे देश भर में ही नहीं अपितु विदेशों में भी है।
मुख्यमंत्री ने कहा की जोशीमठ के सितूण में स्थित माता सीता के 4 दशक एवं 2 वर्ष बाद हो रहे महायज्ञ में जाने का अवसर प्राप्त हुआ था, जहां माता सीता जी को प्रसन्न किये जाने हेतु उनकी विराजमान पाषाण शिला की अर्चना की जाती है, तो वहीं माँ वाराही देवी को प्रसन्न किये जाने हेतु पाषाण युद्ध अर्थात बग्वाल खेला जाता है। उन्होंने कहा देवीधुरा के बग्वाल पूजन से क्षेत्र में खुशहाली आए, फसलों की अच्छी पैदावार हो, क्षेत्र वासी रोग मुक्त हों, निवासियों को अन्न-धन की प्राप्ति हो, ऐसी मेरी प्रार्थना है। उन्होंने कहा कुमायूं के प्राचीन मंदिरों को भव्य बनाने के लिये मानसखण्ड मंदिर माला मिशन की शुरुआत की गई है। इस मिशन के अन्तर्गत ही माँ वाराही धाम देवीधूरा को भी जोड़ा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा की प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केदारनाथ मंदिर का भव्य एवं दिव्य निर्माण कार्य हुआ है, साथ ही बद्रीनाथ धाम का निर्माण कार्य भी तेजी से किया जाएगा। चार धाम यात्रा में इस साल रिकॉर्ड श्रद्धालु आ रहे हैं। उन्होंने कहा ऑल वेदर रोड के निर्माण कार्य से पर्यटक एवं श्रद्धालुओं का सफर सुगम एवं सुरक्षित हुआ है। संपूर्ण देश प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने कहा हमारी सरकार ने संकल्प लिया है कि हम उत्तराखंड राज्य के 25 वें राज्य स्थापना दिवस पर देश के सर्वश्रेष्ठ राज्य बने।
इस अवसर पर सांसद अजय टम्टा, अध्यक्ष वन विकास निगम उत्तराखंड कैलाश चन्द्र गहतोड़ी, अध्यक्ष जिला पंचायत ज्योति राय, विधायक लोहाघाट खुशाल सिंह अधिकारी, भीमताल राम सिंह कैड़ा, पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, पूर्व सांसद महेंद्र पाल, पूर्व दर्जा मंत्री हयात सिंह मेहरा, आयुक्त कुमाऊं दीपक रावत, पुलिस अधीक्षक देवेंद्र पींचा, मुख्य विकास अधिकारी आर एस रावत, मंदिर समिति के संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगड़िया, अध्यक्ष खीम सिंह लमगड़िया, खाम प्रमुख त्रिलोक सिंह बिष्ट, गंगा सिंह चम्याल, बद्री सिंह बिष्ट, वीरेंद्र सिंह लमगड़िया एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

थौलधार में नागराजा डोली यात्रा में शामिल हुए सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज ग्राम सभा इडियान ब्लॉक थौलधार में गंगा दशहरा के अवसर पर भगवान कांगुडा नागराजा डोली यात्रा में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने नागराजा मंदिर कांगुडा में पूजा अर्चना कर राज्य की खुशहाली एवं समृद्धि की कामना की।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने राजकीय महाविद्यालय कमान्द में विज्ञान संकाय की कक्षाओं का संचालन करने, इंदिरा कटखेत मोटर मार्ग का डामरीकरण द्वितीय चरण, चापड़ा से अंधियारी तक मोटर मार्ग का निर्माण, कांगुडा पंपिंग पेयजल योजना का निर्माण,रौतू की बेली चलीधार मोटर द्वितीय चरण, देवभूमि कांगुडा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की। इस अवसर पर कैन्छु गांव के हाई स्कूल टॉपर मुकुल को सम्मानित भी किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड जब अपनी रजत जयंती मना रहा होगा तब वह देश के एक आदर्श एवं श्रेष्ठ राज्य के रूप में खड़ा होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने केदारनाथ में जो भविष्यवाणी की थी कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक होगा, वह आज सच साबित हो रहा है। आज चारधाम यात्रा पर रिकार्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, व्यवस्थाओं को मध्य नजर रखते हुए रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है। प्रधानमंत्री के 8 साल के कार्यकाल में नए-नए परिवर्तन हुए हैं, जितनी भी योजनाएं बनी है वह गरीबों को समर्पित की गई है। धारा 370 को हटाया गया, अयोध्या में मंदिर परिसर बनाया जा रहा है, केदारनाथ आपदा के बाद 400 करोड़ की लागत से पुनर्निर्माण का कार्य किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य में भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हर गरीब को छत मुहैया कराई जा रही है। उज्जवला योजना के तहत महिलाओं को धुआं रहित करने हेतु गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके साथ ही किसान सम्मान निधि के अंतर्गत किसानों खातों में धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है, अटल आयुष्मान योजना अंतर्गत 5 लाख तक की निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई जा रही है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का कार्य चल रहा है, एम्स ऋषिकेश में हजारों लोग ओपीडी में स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी विकास के कार्य चलते रहे और प्रथम और द्वितीय डोज का शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन का कार्य हुआ है तथा बूस्टर डोज का कार्य भी चल रहा है। देश के बाहर भी वैक्सीन भेजी गई। गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को राशन उपलब्ध कराया गया। आज भारत आत्मनिर्भर देश के रूप में खड़ा हो गया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य में भी एक समान कानून बनाने का संकल्प लिया गया है, इसके तहत समिति कार्य कर रही है। इसके साथ ही एक साल में मुफ्त 3 गैस के सिलेंडर गरीब परिवारों को देने का निर्णय लिया गया है। भ्रष्टाचार पर नकेल कसने हेतु टोल फ्री नंबर 1064 जारी किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार तीन बिंदुओं सरलीकरण, समाधान और निस्तारण के अनुसार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि जिला स्तर के कार्य जिला स्तर पर ही होने चाहिए। जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल इवा आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि जनता की समस्याओं और शिकायतों के निस्तारण हेतु सोमवार का दिन जनता दर्शन हेतु समर्पित किया गया है।
इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार, जिला अध्यक्ष भाजपा विनोद रतूड़ी,
ब्लाक प्रमुख थौलधार प्रभा बिष्ट, मंडल अध्यक्ष रामचंद्र खंडूड़ी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह भुल्लर, अपर जिलाधिकारी रामजी चरण शर्मा, एएसपी राजन सिंह, एसडीएम अपूर्वा सिंह सहित जनप्रतिनिधि जिला उपाध्यक्ष वीरेंदर राणा, वरिष्ठ भाजपा नेता राजेश नौटियाल, प्रधान पढ़ोगी विनोद प्रसाद भट्ट, प्रधान इडियान सरल देवी सहित अन्य अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं ग्रामीण मौजूद रहे।

लोक गायक किशन सिंह पंवार का निधन, श्रद्धाजंलि दी

लोकप्रिय लोक गायक व समाजसेवी किशन सिंह पंवार का लंबी बीमारी के बाद मैक्स हॉस्पिटल देहरादून में निधन हो गया। पूर्णानंद घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
अपने गीतों में लोक जीवन के अनछुए पहलुओं को पिरोने वाले तथा पहाड़ी समाज के यथार्थ व्यथा व चिंतन को गीतों के माध्यम से दर्शाने वाले लोक गायक के साथ-साथ समाज सेवक भी थे। उन्होंने समाज के प्रति समर्पण भाव से स्वयं को समर्पित किया व अनेकों सामाजिक दायित्वों की पूर्ति करते हुये सांस्कृतिक व सामाजिक संस्था प्रतापनगर जलकुर घाटी महापंचायत की स्थापना भी की। ऋषिकेश, श्यामपुर, छिद्दरवाला के लोगों को समाज के प्रति संगठित किया। समाजसेवी डॉ. धीरेंद्र रांगड़ ने पंवार को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि समाजसेवा व संगीत में पंवार का योगदान अतुलनीय था उनका जाना उत्तराखंड के लिये अपूरणीय क्षति है।
प्रतापनगर जलकुर घाटी महापंचायत के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह कंडियाल, देवडोली समिति के भगवान सिंह रांगड़, मनसा देवी महिला जनकल्याण समिति की अध्यक्ष उषा भंडारी, हुकम सिंह रावत, बिमला रावत, महिपाल सिंह बिष्ट, धनसिंह रांगड़, यतेंद्र कंडियाल आदि ने पंवार के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।

उत्तरायणी का त्योहार और मकर सक्रांति का पर्व हिन्दुओं के लिए है महत्वपूर्ण

उत्तराखंड में हर तीज-त्योहार का अपना अलग ही उल्लास है। यहां शायद ही ऐसा कोई पर्व होगा, जो जीवन से न जोड़ता हो। ये पर्व-त्योहार उत्तराखण्डी संस्कृति के प्रतिनिधि भी हैं और संस्कारों के प्रतिबिंब भी। हम ऐसे ही अनूठे पर्व ‘मकरैंण’ से आपका परिचय करा रहे हैं। यह पर्व गढ़वाल, कुमाऊं व जौनसार में अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है।
मकर संक्रान्ति का त्यौहार उत्तराखण्ड में उत्तरायणी, उत्तरैण आदि नामों से जाना जाता है। उत्तरायणी शब्द उत्तरायण से बना है। उत्तरायण मतलब जब सूर्य उत्तर की ओर जाना शुरू होता है। दरअसल, त्योहार एवं उत्सव देवभूमि के संस्कारों में रचे-बसे हैं। पहाड़ की ‘पहाड़’ जैसी जीवन शैली में वर्षभर किसी न किसी बहाने आने वाले ये पर्व-त्योहार अपने साथ उल्लास एवं उमंगों का खजाना लेकर भी आते हैं।
हिन्दुओं के सबसे पवित्र धार्मिक आयोजनों में से एक मकर सक्रांति भी है। सूर्य ग्रह के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 14 जनवरी को पड़ रहा है। मकर संक्रान्ति के दिन गंगा स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व है। साल 1982 में उत्थान मंच में उत्तरायणी मेले का पहली बार आयोजन किया गया था। चार दशक बाद भी पूरे रीति-रिवाजों के साथ इस त्योहार को मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे “संक्रांति” कहा जाता है और तमिलनाडु में इसे “पोंगल पर्व” के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। वहीं असम में “बिहू पर्व” के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस अवसर पर कुमाऊ क्षेत्र के बागेश्वर जिले में प्रसिद्ध उत्तरायणी कौथिक (मेला) का आयोजन किया जाता है। यह उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में आयोजित सबसे बड़े मेलों में से एक है और हर साल 14 जनवरी को आयोजित होने वाले मकर संक्रांति उत्सव के दौरान मनाया जाता है। उत्तरायणी महोत्सव उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में मनाया जाता है। मेले में आने वाले देश-विदेश के पर्यटक व स्थानीय लोग यहां पर होने वाली विभिन्न गतिविधियों के साथ मनोरंजन का भी आनंद लेते हैं। साथ ही, स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठा सकते हैं और राज्य के हस्तनिर्मित शिल्प खरीद सकते हैं। भारत में सबसे लोकप्रिय मेलों में से एक के रूप में जाना जाता है, उत्तरायणी मेला बागेश्वर में शुरू हुआ, लेकिन अब उत्तराखंड के अंदर और बाहर विभिन्न शहरों में फैल गया है। यह त्योहार स्थानीय लोगों के लिए अपनी संस्कृति, विरासत, नृत्य और संगीत को प्रदर्शित करने का एक अवसर है।

यह है घुघुति की कथा
एक राजा था, जिसकी कोई संतान नहीं थी तो मंत्री हर वक्त इस षड्यंत्र में रहता था कि राजा के बाद राज्य उसे मिल जाए। लेकिन एक संत के आशीर्वाद से राजा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई। प्रसन्न होकर रानी मां बेटे को एक माला पहना दी। युवराज थोड़ा बड़ा हुआ और खेलने-कूदने लगा। उसे ये माला बहुत प्रिय थी। रानी अपने बेटे को प्यार से घुघुतिया कहकर बुलाती थी। जब राजकुमार शैतानी करता तो वह कहती कि तंग मत कर नहीं तो तेरी माला कौंवे को दे दूंगी।
फिर वह कहने लगती, काले कौंवा काले घुघुति माला खा ले। यह सुनकर बहुत से कौंवे आ जाते थे। रानी मां उनके लिए भी रोटी और दाने डाल देती। धीरे-धीरे वे कौंवे राजकुमार के मित्र बन गए। उधर मंत्री का षड्यंत्र जारी था। एक दिन उसने राजकुमार का अपहरण कर लिया। जब मंत्री के साथी राजकुमार को लेकर जंगल जा रहे थे तो उसके रोने की आवाज सुनकर बहुत से कौवे आ गए। उन्होंने उसकी घुघती माला पहचान ली और गले से झपट कर उड़ गए। तभी से उत्तराखंड में घुघुती माला बनाए जाने की पंरपरा चल पड़ी। बच्चे घुघुती की बनी माला गले में डाल लेते हैं और कौवों को बुलाते हैं। काले कौवा काले घुघुति माला खा ले। उत्तराखंड की वादियों में ये आवाज आज भी गूंज रही है।

उत्तरायणी का त्यौहार जीवन में सकारात्मक सोच के साथ सदैव कर्म के पथ पर आगे बढ़ने की भी प्रेरणा देता है। यह पावन पर्व मांगलिक कार्यों के शुभारम्भ से भी जुड़ा है। भगवान सूर्य की आराधना का यह पर्व हम सबके जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करता है। कोरोना काल में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोरोना गाइडलाइन का पालन कर पर्व मनाएं। शासन व प्रशासन की ओर से सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं।
-दिलीप जावलकर, सचिव पर्यटन

डांडी कांठी क्लब की स्मारिका 2021 दृढ़ संकल्प का विमोचन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में डांडी कांठी क्लब की स्मारिका 2021 ‘दृढ़ संकल्प’ का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस स्मारिका में डांडी कांठी क्लब द्वारा उत्तराखण्ड की संस्कृति और उत्तराखण्ड आंदोलन की गाथा, लोक संस्कृति, स्थानीय परंपराओं एवं स्थानीय पर्वों के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया गया है। स्मारिका में कोविड संक्रमण के बचाव से संबंधित विभिन्न जानकारियों का भी समावेश किया गया है।
डांडी कांठी क्लब के अध्यक्ष विजय भूषण उनियाल ने कहा कि डांडी कांठी क्लब का उद्देश्य ही सामाजिक सरोकारों को बढ़ावा देना रहा है। अपनी संस्कृति एवं सांस्कृतिक विरासत को विश्व पटल पर रखने का भी हमारा प्रयास है। पर्वतीय क्षेत्रों से दूर रह रहे प्रवासियों को अपनी समृद्ध लोक संस्कृति से परिचित कराना भी क्लब का उद्देश्य रहा है। उन्होंने कहा कि इसी के दृष्टिगत क्लब की स्मारिका दृढ़ संकल्प का प्रकाशन किया गया है।
इस अवसर पर डांडी कांठी क्लब के महासचिव कृष्णानन्द भट्ट, लोक गायक चन्द्र दत्त सुयाल, पार्षद कविन्द्र सेमवाल, नरेश रावत, ललित मोहन लखेड़ा, प्रकाश बडोनी, राम चमोली, राजनीश सेमवाल, राकेश पुरोहित, विजेन्द्र सजवाण, नीरज जोशी, कुलदीप नेगी आदि उपस्थित रहे।

नरेन्द्र सिंह नेगी के जीवन चरित्र पर आधारित पुस्तक ‘‘सृजन से साक्षात्कार’’ का विमोचन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास में प्रसिद्ध लोक गायक एवं गीतकार नरेन्द्र सिंह नेगी के जीवन दर्शन कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर आधारित पुस्तक ‘‘सृजन से साक्षात्कार’’ का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, मोहन उप्रेती, गिरीश तिवारी गिरदा, हीरा सिंह राणा, शमशेर सिंह, जीत सिंह नेगी, चन्द्र सिंह राही सहित प्रदेश के अन्य प्रमुख लोक संस्कृति के रचनाकारों, लोक गायकों के जीवन परिचय एवं रचनाओं का अभिलेखीकरण कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जायेगा। यह कार्य सूचना विभाग अथवा संस्कृति विभाग द्वारा किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर यह भी घोषणा की कि नरेन्द्र सिंह नेगी को पद्म पुरस्कार से सम्मानित करने के लिये राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार को अपनी संस्तुति प्रेषित की जायेगी। नरेन्द्र सिंह नेगी को उनके 73वें जन्मदिन की बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समृद्ध लोक संस्कृति एवं सामाजिक सरोकारों को अपने गीतों एवं संगीत के माध्यम से देश व दुनिया तक पहुंचाने का कार्य नेगी जी ने किया है। वे वास्तव में समाज के सफल नायक के रूप में रहे हैं। उनके गीत राज्य वासियों को अपनी परम्पराओं से जोड़ने में मददगार रहे हैं। नेगी जी ने गढ़वाल कुमाऊं, जौनसार क्षेत्र ही नहीं पूरे उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य किया है। उत्तराखण्ड की पहचान बनायी है। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि नेगी जी अपनी विशिष्ट रचना धर्मिता से समाज को और बेहतर दिशा देने का कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि नेगी जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सही को सही और गलत को गलत बताने का भी संदेश दिया। ऐसे प्रयासों की समाज को जरूरत भी रहती है।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा एवं चिकित्सा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी लोक संस्कृति को बढ़ावा देने में नरेन्द्र सिंह नेगी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि दून विश्वविद्यालय में 25 करोड़ लागत से हिमालयन शोध संस्थान की स्थापना के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में अनेक पहल की गई है।
लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने का उनका प्रयास जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि उनका सदैव प्रयास रहा कि प्रदेश के बाहर नहीं अपने प्रदेश में रहकर अपने लोगों की दुस्वारियों एवं पीड़ा को समाज के सामने ला सकूं। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी वे अपने गीतों के माध्यम से समाज की सेवा करते रहेंगे। मौके पर डॉ योगेश धस्माना, डॉ. नंद किशोर हटवाल, गणेश खुगसाल गणी, संजय दरमोड़ा ने भी नेगी के कृतित्व एवं व्यक्तिव पर प्रकाश डाला तथा उन्हें शुभकामनायें दी।
इस अवसर पर दिनेश शास्त्री, विपिन बलूनी, रामचरण जुयाल, ओ.पी बेंजवाल, मनोज इष्टवाल, कीर्ति नवानी के साथ ही बड़ी संख्या में संस्कृति व सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोग उपस्थित थे।

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