स्वास्थ्य सचिव ने डेंगू और चिकनगुनिया को लेकर सभी जिलों के डीएम, सीएमओ व नगर निगम को जारी किए कड़े निर्देश

राज्य में डेंगू व चिकनगुनिया के मरीजों को देखते हुए उनकी रोकथाम व उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को गाइडलाइन जारी की है। जिलाधिकारियों व सीएमओ को 20 बीस महत्वपूर्ण बिंदुओं की गाइडलाइंस जारी की गई है। सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार लगातार डेंगू व चिकनगुनिया रोकथाम के लिए लगातार समीक्षा बैठकें कर रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सुझाव पर स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू व चिकनगुनिया मरीजों के उपचार व रोकथाम के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा विगत वर्षों से डेंगू व चिकनगुनिया रोग राज्य में एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में परिलक्षित हो रहा है। डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग का वेक्टर एडिज मच्छर है। जुलाई से नवम्बर माह तक का समय डेंगू वायरस के संक्रमण के लिये अनुकूल होता है। डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग एक मच्छर जनित रोग है जो कि कूलर, फूलदान, गमले, खुली पानी की टंकी, पुराने टायर, एकत्रित कबाड, इत्यादि में जमा पानी में पैदा होते हैं। डेंगू रोग के रोकथाम के लिए जन सहभागिता अत्यन्त आवश्यक है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग की समुचित रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु अन्य समस्त विभागों की भी महत्वपूर्ण भागीदारी होती है। समस्त विभागों द्वारा डेंगू रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु उनके द्वारा की जाने वाली गतिविधियां समयान्तर्गत की जायें। डेंगू मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए की जाने वाली समस्त गतिविधियां समस्त विभाग निरन्तर करते रहें ताकि डेंगू के मच्छर को पनपने से रोका जा सकें और इसकी सूचना जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरन्तर प्राप्त की जाए। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग पर रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु ब्लाक वार Micro Plan बनाकर कार्यवाहिया करना सुनिश्चित करे व उक्त माइक्रोप्लान राज्य एन०वी०बी०डी०सी०पी० यूनिट को प्रेषित किये जायें। नगर निगमों द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया जाये ताकि डेंगू रोग के मच्छरों को पनपने से रोका जा सके।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग की समुचित रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु अन्य समस्त विभागों की भी महत्वपूर्ण भागीदारी होती है। समस्त विभागों द्वारा डेंगू रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु उनके द्वारा की जाने वाली गतिविधियां समयान्तर्गत की जायें।

1. डेंगू मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए की जाने वाली समस्त गतिविधियां समस्त विभाग निरन्तर करते रहें ताकि डेंगू के मच्छर को पनपने से रोका जा सकें और इसकी सूचना जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरन्तर प्राप्त की जाए।

2. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग पर रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु ब्लाक वार Micro Plan बनाकर कार्यवाहिया करना सुनिश्चित करे व उक्त माइक्रोप्लान राज्य एन०वी०बी०डी०सी०पी० यूनिट को प्रेषित किये जायें।
3. नगर निगमों द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया जाये ताकि डेंगू रोग के मच्छरों को पनपने से रोका जा सके।

4. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग पर नियंत्रण हेतु लार्वा निरोधात्मक कार्यवाहियां (सोर्स रिडक्शन) एक कारगर व उपयुक्त उपाय है, जिसके लिए नगर निगम/नगर पालिका आशा कार्यकत्री व अन्य विभागों के सहयोग से टीमें बनाकर क्षेत्र में कार्यवाही की जाए।

5. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग को महामारी का रूप लेने से रोकने के लिए नगर निगम/नगर निकाय द्वारा आवश्यकतानुसार फॉगिग की जाये।
6. जनजागरूकता व जनसहभागिता हेतु आई०ई०सी० संसाधनो का समुचित्त व समयान्तर्गत उपयोग करें।

7. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोकथाम हेतु स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य विभागों जैसे नगर निगम, शिक्षा विभाग, ग्राम्य एवं शहरी विकास, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, लोक निर्माण, जल संस्थान, जल निगम आदि के सहयोग व अंतर्विभागीय समन्वय हेतु जनपद स्तर पर बैठकों का समय से आयोजन किया जाए व उनके कार्यवृत्त राज्य एन०वी०बी०डी०सी०पी० यूनिट को प्रेषित किये जायें।

8. डेंगू के उपचार एवं नियंत्रण हेतु भारत सरकार की गाईडलाइन “National Guidelines for Clinical Management of Dengue fever” (संलग्न) को समस्त राजकीय एवं निजी चिकित्सालायों/चिकित्सकों को आवश्यक कार्यवाहियों हेतु उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।

9. जनपदों के चिकित्सालयों (जिला/बेस व मेडिकल कालेज) में भारत सरकार की गाईडलाइनके अनुसार आवश्यक कार्यवाही जैसे पृथक डेंगू आईसोलेशन यार्डतैयार करमच्छरदानी (LLIN) युक्त पर्याप्तबेड की उपलब्धता, Standard Case Management आदि सुनिश्चित करें एवं डेंगू आइसोलेशन वार्ड के लिए नोडल अधिकारी नामित करें।

10. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोगियों के समुचित प्रबन्धन हेतु अपने जनपद में चिकित्सा केन्द्रों को पूर्ण रूप से कार्यशील रखें व उनमें पर्याप्त स्वास्थ्य मानव संसाधन जैसे चिकित्सक, नर्स आदि की व्यवस्था सुनिश्चित रखें।

11 . डेंगू पीडित गम्भीर रोगियों (DHF/DSS) हेतु Platelets की उपलब्धता सुनिश्चित करें। 12. डेंगू जांच केन्द्रो में समय से आवश्यक सामग्री जैसे ELISA जांच किट व अन्य जांच सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये।

13. डेंगू रोगियों की शुरूआती चरण में पहचान हेतु, फीवर सर्वे किये जायें, लक्षणों के आधार पर डेंगू रोग की संदिग्धता होने पर जांच की जाये।

14. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोगी पाये जाने की स्थिति में रोगी के घर के आस-पास लगभग 50 घरों की परिधि में आवश्यक रूप से Space/ Focal Spray कराने के साथ साथ जनपदीय आर०आर०टी० द्वारा क्षेत्र में सघन फीवर सर्विलेन्स एवंलार्वा निरोधात्मक कार्यवाहियां (सोर्स रिडक्शन) कराएँ।

15. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग की रोकथाम के लिए आम जनमानस का सहयोग अत्यन्त आवश्यक है व जन जागरूकता ही एक कारगर उपाय है। अतः आप अपने स्तर से प्रभावी प्रचार प्रसार करवायें। प्रचार प्रसार सामग्री की सापट प्रति संलग्न।

16. स्वास्थ्य विभाग व आई०एम०ए० प्रतिनिधियों / निजी चिकित्सालयों/पैथोलोजी लैबों के मध्य समन्वय बैठक (CME Meeting/Workshop) की जाये ताकि आमजन में डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग के प्रति व्यापत भ्रान्ति/भय को दूर किया जा सके। दृष्टिगत जनपद स्तर पर जिला कार्ययोजना मे भी

17 . किसी भी प्रकार की आकस्मिक / आपातकालीन आवश्यकता के डेंगू के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया जाये।

18. मीडिया को डेंगू एवं चिकनगुनिया सम्बन्धित संवेदनशील सूचनायें व सकारात्मक जानकारी सम्बोधित करने हेतु जनपद स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के किसी एक अधिकारी को Media Spokes person अधिकृत किया जाये।

19. जनमानस को डेंगू सम्बन्धित जागरूकता एवं समुचित जानकारी प्रदान करने के लिये राज्य मुख्यालय पर Integrated Helpline क्रियाशील है जिसका टोल फ्री नं० 104 है। इसी प्रकार जनपद स्तर पर डेंगू के संक्रमण काल (माह जून से नवम्बर तक) के दौरान कन्ट्रोल रूम स्थापित कर उक्त दूरभाष न० से राज्य एन०वी०बी०डी०सी०पी० यूनिट को अवगत करायें।

20. डेंगू एवं चिकनगुनिया की दैनिक रिर्पोट (केस शून्य होने पर भी) संलग्न प्रारूप पर सायं 4:00 बजे तक नियमित रूप से राज्य स्तर पर E-mail- uknvbdcp@gmail.com पर भेजना सुनिश्चित करें। अतः उपरोक्तानुसार समयबद्ध कार्यवाही कर, कृत कार्यवाही से अधोहस्ताक्षरी को अवगत कराना सुनिश्चित करें।

चारधाम यात्रा 2024ः 11 भाषाओं में जारी की गई है हेल्थ एडवायजरी

चारधाम यात्रा 2024 के लिये शासन ने चार धाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच को मानक प्रचालन कार्यविधि जारी कर दी है। इसके अंतर्गत यात्रियों को यात्रा पर आने से पहले और यात्रा के दौरान उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दी गई है। इस बार यात्रा मार्ग पर 50 स्थानों पर स्वास्थ्य केंद्र बनाए जा रहे हैं। यहां पर यात्रियों की उच्च रक्तचाप व मधुमेह समेत 28 मानकों पर जांच की जाएगी।

सचिव स्वास्थ्य डा आर राजेश कुमार ने बताया कि यात्रा के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पर्यटन विभाग की वेबसाइट क्रियाशील हो गई है। इसमें स्वास्थ्य संबंधी एक कालम भी रखा गया है। इसमें यात्री अपने स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भरेंगे, जो उन्हें जरूरत के समय उपचार उपलब्ध कराने में मदद करेगी।

सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि चार धाम यात्रा के लिए मानक प्रचालन कार्यविधि 11 भाषाओं में तैयार की गई है। इसे हिंदी व अंग्रेजी के अलावा गुजराती, मराठी, तेलगु समेत नौ भाषाओं में तैयार कर संबंधित राज्यों को भेजा गया है। उन्होंने बताया कि चार धाम में बनाए बनाए जाने वाले स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक व स्वास्थ्य कार्मिकों के साथ ही स्वास्थ्य मित्रों की तैनाती भी की जाएगी।

यहां दवा व आक्सीजन सिलिंडर समेत सभी जरूरी उपकरण रखे जाएंगे। स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों के साथ ही छह से अधिक प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी तैनात किए गए हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ ही एक दर्जन से अधिक प्रशिक्षित स्टाफ की तैनाती की गई है।

सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि यात्रा मार्गों पर हेल्थ एटीएम भी लगाए जा रहे हैं। यहां ब्लड प्रेशर, शुगर, वजन, लंबाई, शरीर का तापमान, शरीर में आक्सीजन आदि की जांच की जाएगी। इसमें काम करने वाले तकनीकी स्टाफ को पूरा प्रशिक्षण दिया गया है।

सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए टेलीमेडिसन की भी सुविधा रखी गई है। इनके द्वारा किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति में 24 घंटे विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह प्राप्त की जा सकती है।

सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि चारधाम यात्रा में उत्तराखंड के अलावा दूसरे राज्यों के चिकित्सक भी अपनी सेवाएं देने के इच्छुक रहते हैं। ऐसे में सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों को पत्र लिखकर चारधाम यात्रा की अवधि में कार्य करने के इच्छुक चिकित्सकों की जानकारी मांगी गई है।

सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि बदरीनाथ व केदारनाथ धाम में स्थापित चिकित्सालयों के लिए उपकरणों की खरीद शुरू कर दी गई है। जल्द ही उपकरण चिकित्सालयों में पहुंच जाएंगे। इससे इस वर्ष इन दोनों धामों में श्रद्धालुओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी।

कैबिनेट ने स्वास्थ्य विभाग से जुड़े फैसलों पर लगाई मुहरः डॉ आर राजेश कुमार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कई अहम फैसलों पर मुहर लगी। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने अवगत कराया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के प्रयासों से स्वास्थ्य सेवाओं को राज्य के अंतिम छोर तक बेहत्तर बनाने के प्रयास लगातार जारी हैं। इसी कड़ी में आज कैबिनेट बैठक में देश और प्रदेश में आम जनमानस की लाईफ लाइन कही जाने वाली अटल आयुष्मान योजना को लेकर बड़ा फैसला हुआ। इससे हजारों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। इसके तहत आयुष्मान भारत अटल आयुष्मान योजनान्तर्गत राजकीय चिकित्सालयों द्वारा लाभार्थियों को उपलब्ध करायी गयी चिकित्सा उपचार सुविधा के सापेक्ष चिकित्सालयों को प्रदान की जाने वाली क्लेम धनराशि पैकेज की दरों का 100 प्रतिशत अंश का भुगतान करने को लेकर किया गया। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने अवगत कराया कि 14 सितम्बर, 2018 के प्रस्तर 2.8 में राजकीय चिकित्सालयों द्वारा अर्जित क्लेम धनराशि का विभाजन किया गया है। उक्त शासनादेश में विहित व्यवस्था में क्लेम धनराशि के 50 प्रतिशत अंश का भुगतान राजकीय चिकित्सालयों को किये जाने का प्राविधान है। इस व्यवस्था के कारण डायलिसिस केन्द्रों को आयुष्मान भारत अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के अन्तर्गत किये गये उपचार के बीजकों के भुगतान में आ रही व्यवहारिक दिक्कतों के समाधान हेतु संशोधन के लिए आज मंत्रिमण्डल द्वारा सहमति प्रदान कर दी गयी है। इससे राजकीय चिकित्सालयों मे पी०पी०पी० मोड पर संचालित डायलिसिस केन्द्रों के संबंधित सेवा प्रदाताओं को पैकेज की दरों का 100 प्रतिशत भुगतान होगा और लाभार्थियों को डायलिसिस की सेवा निर्बाध रूप से प्राप्त होगी।

इसके साथ ही स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने अवगत कराया कि इन्वेस्टर सम्मिट के दौरान इन्वेस्टेबल प्रोजेक्ट के रूप में चिन्हित स्वास्थ्य इकाइयों को दीर्घकालिक लीज पर निजी सेवा प्रदाता द्वारा संचालन किये जाने पर भी आज कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है। इसके तहत देहरादून के हर्रावाला क्षेत्र में 300 बेड के कैंसर चिकित्सालय और हरिद्वार जनपद में स्थित 200 बेड के मातृ एवं शिशु चिकित्सालय, चौन राय महिला चिकित्सालय को पीपीपी मोड पर देने के लिए मंत्रिमंडल ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है। स्वास्थ्य सचिव ने कहा इन चिकित्सालयों को पीपीपी मोड पर देने से उपकरण क्रय, मानव संसाधन योजन तथा संचालन पर होने वाले व्यय की बचत होगी। साथ ही क्षेत्रीय जनता को गुणवत्तापरक विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधायें तथा निदान की सुविधा प्राप्त होगी। अभी तक यह सुविधायें क्षेत्र में उपलब्ध नहीं है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा 300 बैड के कैंसर चिकित्सालय हर्रावाला, देहरादून का निर्माण एन०एच०एम० के माध्यम से भारत सरकार तथा राज्य सरकार (90 अनुपात 10) के सम्मिलित वित्तीय के सहयोग से कुल 20403.49 स्क्वायर मीटर पर रू० 106.84 करोड़ की लागत से किया गया है। इसके साथ ही 200 बैड के मातृ एवं शिशु चिकित्सालय, चौन राय महिला चिकित्सालय परिसर, जनपद-हरिद्वार का निर्माण एन०एच०एम० के माध्यम से भारत सरकार तथा राज्य सरकार (90 अनुपात 10) के सम्मिलित वित्तीय के सहयोग से कुल 17341.42 स्क्वायर मीटर पर रू0 38.85 करोड़ की लागत से किया गया है।

स्वास्थ्य सचिव ने कहा इन दोनों संस्थानों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा निदान हेतु संवेदनशील उपकरण क्रय एवं संचालन हेतु आवश्यक तकनीकि दक्षता के दृष्टिगत उक्त दोनों चिकित्सा संस्थान उपयुक्त निजी सेवाप्रदाता द्वारा दीर्घकालिक संचालन हेतु प्रस्तावित किये जा रहे हैं। इन चिकित्सालयों के संचालन से आमजन को कैंसर से सम्बन्धित समस्त जाँच, परामर्श, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी तथा अन्य उच्च स्तरीय निदान, जिसमें शल्य क्रिया भी सम्मिलित है, सुलभ हो जायेगी तथा इस प्रकार की सेवाओं हेतु आमजन को प्रदेश से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इसी प्रकार मातृ एवं शिशु चिकित्सालय के संचालन से न केवल उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी अपितु मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी कम करने में सहायता मिलेगी।

अच्छी खबरः चंपावत के आयुष्मान आरोग्य मंदिर गैरीगोठ की बड़ी उपलब्धि, उत्तराखंड को पहली बार मिला एनक्यूएएस नेशनल सर्टिफिकेशन पुरस्कार

देहरादून। राज्य के चंपावत जनपद के आयुष्मान आरोग्य मंदिर गैरीगोठ को स्वास्थ्य सेवा में बेहतर कार्य के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आष्वासन मानक (एनक्यूएएस) सर्टिफिकेशन दिया गया है। उत्तराखंड के किसी स्वास्थ्य केंद्र को पहली बार यह पुरस्कार मिला है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने इस उपलब्धि के लिए गैरीगोठ टीम को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह प्रदेष के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उनके मुताबिक प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा देने का प्रयास किया जा रहा है।

हर मानकों पर फिट रहा केंद्र
राष्ट्रीय गुणवत्ता आष्वासन मानक के तहत गर्भवती महिलाओं की देखभाल, नवजात की देखभाल, किशोर अवस्था के दौरान स्वास्थ की देखभाल गर्भावस्था एवं प्रसव के दौरान देखभाल, परिवार नियोजन, गर्भनिरोधक सेवाएँ और अन्य प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ, संचारी रोगों का प्रबंधनः राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम, सामान्य संचारी रोगों का प्रबंधन और गंभीर साधारण बीमारियों और छोटी बीमारियों के लिए सामान्य बाहा रोगी देखभाल, गैर-संचारी रोगों और टीबी और कुष्ठ रोग जैसी पुरानी संचारी बीमारियों की जांच, रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन, बुनियादी मौखिक स्वास्थ्य देखभाल, सामान्य नेत्र एवं ईएनटी समस्याओं की देखभाल आदि मानक तय किये जाते हैं। इनके आधार पर ही एनक्यूएएस सर्टिफिकेषन किया जाता है।

02 लाख 16 हजार की मिलेगी धनराशि
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक स्वाति भदौरिया ने कहा राष्ट्रीय गुणवत्ता अस्वाशन मानकों को प्राप्त करने के लिए विगत 01 वर्ष से प्रयास किया जा रहा था। औषधियों की कमी, उपकरणों, लैब जाँच की सुविधा न होना, प्रषिक्षण, बजट की आपूर्ति इत्यादि। जिसके लिए समय-समय पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं राज्य स्तर पर समन्वय स्थापित कर समस्याओं का निराकरण किया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक स्वाति भदौरिया ने कहा इसके साथ ही प्रषिक्षण हेतु राज्य स्तर एवं रीजनल कुमांऊ मंडल रुपेश मंमगाईं द्वारा महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया गया। आयुष्मान आरोग्य मन्दिर गदिगोठ से सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संजय सामंत एवं उनकी पूरी टीम ए०एन०एम०, आशाओं के भरकस प्रयत्नों के उपरान्त ही राष्ट्रीय गुणवत्ता अस्वाशन मानकों का प्रमाणीकरण की अहर्ता प्राप्त की गयी है। जिसका उद्देश्य आरोग्य मंदिर की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करना जिससे जन समुदाय को निम्नांकित प्रकार की गुणवत्ता युक्त सेवाओं का लाभ मिल सके। स्टेट क़्वालिटी नोडल ऑफिसर- Quality Assurance Program डॉक्टर मुकेश राय ने बताया कि भारत सरकार द्वारा आयुष्मान आरोग्य मंदिर गैरीकोठ को दो लाख सौलह हजार की धनराशि से सम्मानित किया जायेगा। जनमानस को गुणवत्तापूर्व इलाज देने के लिये राज्य निरंतर प्रयारत है।

गुणवत्तापूर्ण हेल्थकेयर पर फोकस
स्वास्थ्य सचिव डा. आर राजेष कुमार ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। राज्य के सभी अस्पतालों में बुनियादी ढांचा मजबूत हुआ है। प्राथमिकता के आधार पर राज्य के अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की जा रही है। उन्होंने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य के प्रति जन-जागरूकता में वृद्धि तथा गुणवत्तापूर्ण हेल्थकेयर की बढ़ती मांग के चलते हमें निरंतर बढ़ती आबादी की स्वास्थ्य संबंधित जरूरतों को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र का भी सहयोग ले रहे हैं। सरकार व निजी क्षेत्र के सम्मिलित प्रयासों से हम हर क्षेत्र तक स्तरीय हेल्थकेयर सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही जन-समुदाय के जीवन की गुणवत्ता को भी सुधार करने को प्रयासरत हैं। राज्य सरकार ने हरिद्वार मेडिकल कॉलेज, हर्रावाला देहरादून स्थित 300 बेड के सुपर स्पेशलिटी कैंसर अस्पताल, मोतीनगर हल्द्वानी स्थित 200 बेड के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, हरिद्वार स्थित 200 बेड के एमसीएच सेंटर को लीज-ऑन एंड ट्रांसफर मॉडल पर निजी क्षेत्र के सहयोग से संचालित करने का निश्चय किया है।

गौरतलब है कि क्यालिटी एश्योरेंस मानकों के तहत चिकित्सा इकाइयों को गुणवत्ता एवं उत्तम स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए राज्य स्तर से निरंतर सहयोग प्रदान किया जाता है। जिला क्वालिटी एश्योरेंस टीम एवं आयुष्मान आरोग्य मंदिर गैरीगोठ की टीम के फैसीलिटीइंचार्ज, नर्सिंग टीम एवं हाउसकीपिंग टीम ने यह सर्टिफिकेषन प्राप्त करने में अहम योगदान दिया है।

स्वास्थ्य विभाग ने जारी की उत्तराखंड में कोरोना को लेकर एडवाइजरी

देहरादून। प्रदेश सरकार कोविड-19 के नए वेरिएंट जेएन-1 को लेकर सतर्क हो गयी है। प्रदेश भर में कोरोना के इस नए वेरिएंट को लेकर एडवाइजरी जारी की गयी है। स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार ने कुछ राज्यों में जेएन.1 वेरिएंट के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में प्रदेश के सभी जिलों और अस्पतालों के लिए एडवाइजरी जारी की गयी है कि कोरोना की रोकथाम के लिए हरसंभव प्रयास किये जाएं।
स्वास्थ्य सचिव डा. आर. राजेश कुमार ने सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश जारी किये हैं कि अस्पतालों में कोविड से बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का पालन करें। साथ ही सांस, फेफड़े और हृदय रोगियों की निगरानी की जाएं और उनके इंन्फुंएजा की जांच की जाए। अस्पतालों से ऐसे मरीजों की सभी जानकारी इंटीग्रेटिड हेल्थ इंफोरमेशन प्लेटफार्म पोर्टल में दर्ज करने के निर्देश भी दिये गये हैं। इसके साथ ही लोगों को श्वसन स्वच्छता के प्रति भी जागरूक किया जाएं।
गौरतलब है कि प्रदेश में अब तक कोविड-19 के नए वेरिएंट जेएन.1 का कोई मरीज नहीं है। एहतियात के तौर पर प्रदेश के सभी अस्पतालों को अलर्ट किया गया है।

स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार ने राज्य के समस्त जिला अधिकारी, समस्त मुख्य चिकित्साधिकारी को पत्र लिखा है। कृपया उपर्युक्त विषयक सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के पत्र संख्या DO.NO.2.28015/182/2021-DMCell दिनांक 18 दिसम्बर 2023 (संलग्न) का संदर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें जिसके द्वारा अवगत कराया गया है कि विगत कुछ दिनों में कुछ राज्यों में कोविड-19 के रोगियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। इसी कम में जनपद स्तर पर कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए निरंतर निगरानी की जानी अतिआवश्यक है।

अवगत होना चाहे कि कोविड-19 के वेरिएंट JN.1 (BA.2.86.1.1) का कोई भी रोगी उत्तराखण्ड राज्य में रिपोर्ट नही हुआ है।

यद्धपि सतर्कता की दृष्टि से भारत सरकार के निर्देशों के क्रम में जनपद स्तर पर निम्न कार्यवाही करने का कष्ट करें:-

1. भारत सरकार द्वारा प्रदत दिशा निर्देश “Operational guidelines for revised surveillance strategy in context of COVID-19” (संलग्न) का अनुपालन किया जाए।

2. जनपद स्तर पर Influenza like Illness (ILI)/Severe Acute Respiratory Illness (SARI) रोगियों की निगरानी की जाये।

3. पर्याप्त संख्या में ILI/SARI रोगियों की कोविड-19 एवं इन्फ्लुएंजा जाँच की जाएं। उक्त सभी रोगियों का विवरण अनिवार्य रूप से आई०डी०एस०पी० के अंतर्गत Integrated Health Information Platform (IHIP) पोर्टल में प्रविष्ट किया जाये।

4. कोविड-19 प्रबन्धन हेतु चिकित्सालय स्तर पर समस्त तैयारियां सुनिश्चित रखी जायें।

5. आम जनमानस में श्वसन स्वच्छता (Respiratory Hygiene) के प्रति जागरूकता हेतु विभिन्न माध्यमों से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये।

6. ILI/SARI के लक्षण होने पर चिकित्सकीय परामर्श लेना तथा चिकित्सकीय परामर्श पर ही औषधि का सेवन करना। अतः उपरोक्तानुसार आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित करें।

स्वास्थ्य सचिव डा. आर. राजेश कुमार ने किया हल्द्वानी में अस्पतालों का औचक निरीक्षण

देहरादून। डेंगू नियंत्रण अभियान की हकीकत जानने स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार आजकल प्रदेश के दौरे पर हैं। देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी जनपद के कोटद्वार के बाद आज स्वास्थ्य सचिव का काफिला कुमाऊ मंडल नैनीताल जनपद के हल्द्वानी शहर पहुँचा।
स्वास्थ्य सचिव डा. आर. राजेश कुमार ने आज हल्द्वानी का दौरा किया। उन्होंने डेंगू से निपटने के लिए किये जा रहे इंतजामों का निरीक्षण किया। स्वास्थ्य सचिव ने अस्पतालों में डेंगू मरीजों के लिए की गयी व्यवस्थाओं पर नाराजगी जतायी और व्यवस्थाएं दुरस्त करने का निर्देश दिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि डेंगू के मरीज के इलाज में किसी तरह की कोताही नहीं होनी चाहिए।

बेस अस्पताल हलद्वनी का निरीक्षण करते हुए स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश द्वारा आईसीयू का संचालन न होने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की गई । अस्पताल प्रशासन को जल्द से जल्द आईसीयू को चलाने के निर्देश मौके पर दिए गए। सचिव स्वस्थ्य डॉ आर राजेश कुमार ने बेस हॉस्पिटल पर वार्ड में जाकर मरीजों का हाल जाना अस्पताल प्रशासन को किसी भी मरीज के उपचार मैं कोई लापरवाही न हो इसके निर्देश दिये गये। उनके द्वारा द्वारा डेंगू वार्ड, आईसीयू, इमरजेंसी वार्ड, डायलिसिस यूनिट, ब्लड बैंक का निरीक्षण किया गया। उनके द्वारा अवगत कराया गया कि डेंगू के उपचार के लिये निजी व सरकारी चिकित्सालय पर आयुष्मान कार्ड द्वारा भी उपचार प्रदान किया जाएगा। जिसके निर्देश अधिकारियो को दे दिये गये है।

सचिव स्वास्थ्य डॉ आर राजेश कुमार ने डेंगू जांचों की धीमी गति पर नाराजगी जाहिर की । उन्होंने अधिकारियों को जांचों में तेजी लाने के निर्देश दिए। स्वास्थ्य सचिव ने कहा अधिकारी कागज पर पेन कम चलकर थोड़ा जांचों में तेजी लाएं जिससे मरीज को समय पर सही इलाज मिल सके। स्वास्थ्य सचिव ने मरीजों और लोगों से भी अस्पताल में व्याप्त सुविधाओं के बारे में फीडबैक लिया।

इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया की स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने पूरे प्रदेश के अंदर डेंगू के 307 मामले एक्टिव है।
उन्होंने बताया डेंगू को लेकर अस्पताल में बेड्स पूरी तरह से उपलब्ध हैं, उन्होंने कहा कि अनावश्यक रूप से किसी को भी प्लेटलेट्स नहीं दी जाएगी, जरूरत पड़ने पर ही मरीज को प्लेटलेट्स दी जाएगी, डेंगू पर जो भी इलाज है, उसे अस्पताल द्वारा ठीक तरीके से नहीं किया जाएगा तो ₹50000 से लेकर ₹200000 तक का जुर्माना लगाने के प्रावधान बनाए गए हैं,

स्वास्थ्य विभाग के स्पष्ट निर्देश की डेंगू के मामलों को लापरवाही नहीं बरती जाएगी, जो भी प्राइवेट हॉस्पिटल या सरकारी हॉस्पिटल लापरवाही करेगा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सभी जिलों के जिलाधिकारियों को यह निर्देश दिए गए हैं कि वह बराबर डेंगू पर अपनी नजर बनाए रखें और डेंगू के मामले को लेकर शासन को लगातार अवगत कराए, सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल में अधिक पैसा लिए जाने पर भी उन्होंने कहा की रेट निर्धारित किए गए हैं, अधिक रेट लिए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।

इस मौके पर उनके साथ मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ भागीरथी जोशी, मेडिकल कालेज हल्द्वानी के प्रधानाचार्य डा. अरुण जोशी, डॉ टिट्याल, चिकित्सा अधीक्षक सुशीला तिवारी अस्पताल, डॉ मनोज कांडपाल, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ सविता ह्यांकी प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक बेस चिकित्सा हल्द्वानी, डा. ऊषा जंगपांगी महिला चिकित्सालय हल्द्वानी भी मौजूद थे।

स्वास्थ्य सचिव के निर्देश पर चला डेंगू रोकथाम महाअभियान

देहरादून जनपद में डेंगू रोकथाम के लिए माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व मुख्य सचिव एस एस संधु के निर्देश पर स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने चार दिवसीय महा-अभियान का शुरूआत की। इस महा-अभियान में स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम, जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग सहित विभिन्न सरकारी ईकाईयों द्वारा मिलकर जनपद देहरादून के विभिन्न स्थानों पर व्यापक जागरूकता अभियान चलाया गया। जनपद के विभिन्न इलाकों में घरों एवं मोहल्लों में जाकर डेंगू का लार्वा को नष्ट किया गया तथा लोगों को डेंगू के बारे में जागरूक किया गया तथा आशाओं के माध्यम से दवाओं का वितरण किया गया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा आई0ई0सी0 सामग्री का वितरण आशाओं एवं टीम के सदस्यों द्वारा किया गया। इसके साथ ही नगर निगम टीम द्वारा शहर के कई इलाकों में फॉगिंग अभियान चलाया गया।

हाई रिस्क क्षेत्रों में चलाया गया डेंगू रोकथाम महाअभियान
आज देहरादून शहरी क्षेत्र के 24 हाई रिस्क वार्डों में डेंगू रोकथाम महाअभियान संचालित किया गया। महाअभियान के दौरान आशा कार्यकत्रियों एवं आशा फैसिलिटेटर द्वारा सभी वार्डों में घर-घर जाकर सघन अभियान चलाते हुए डेंगू लार्वा साईट को चिन्हित किया तथा लार्वा साईट को नष्ट किया। वृहद संभावित लार्वा साईट में लार्वा नाशक का छिड़काव किया गया। आशा कार्यकत्रियों द्वारा 5340 घरों का भ्रमण किया गया। जिनमें कुल 252 बड़ी-छोटी लार्वा साईट को नष्ट किया गया। यह महाअभियान देहरादून के करनपुर, बकरालवाला, चुक्खुवाला, शिवाजी मार्ग, बलूपुर, इंदरा नगर, कांवली, पटेलनगर, अजबपुर, धर्मपुर, मेहूवाला, देहराखास, लखीबाग, विद्या विहार, निरंजनपुर, माजरा, रेस्ट कैंप, रेस कोर्स, बंजारावाला, मोथरोवाला, मोहब्बेवाला, चन्द्रबनी, आर्केदिया आदि क्षेत्रों में चलाया गया। चिन्हित 24 वार्डों के अतिरिक्त जनपद के अन्य क्षेत्रों में दैनिक अभियान के दौरान आशा कार्यकत्रियों द्वारा 14985 घरों का भ्रमण किया गया। इस दौरान उनके द्वारा घरों व आसपास 3303 लार्वा साईट को नष्ट किया गया व लार्वा नाशक का छिड़काव किया गया। वहीं डेंगू वॉलेंटियरर्स द्वारा जनपद में 1349 घरों का भ्रमण करते हुए 1461 लार्वा साईट को नष्ट किया गया तथा लार्वा नाशक का छिड़काव किया गया।

डेंगू रोकथाम अभियान अगले तीन दिन जारी रहेगा। इस अभियान के जरिए सभी टीमें संम्पूर्ण देहरादून शहर का भ्रणम कर आम जनमानस को डेंगू को लेकर जागरूक करेंगी। इसके साथ ही डेंगू के हाई रिस्क क्षेत्रों पर टीमों का खास फोकस रहेगा। स्वास्थ्य सचिव ने कहा ऐसा महाअभियान देहरादून के बाद राज्य के अन्य सभी जनपदों में चलाया जायेगा। जिन भी क्षेत्रों में डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं उन क्षेत्रों में प्राथमिकता के तहत अभियान चलाया जायेगा। इसके साथ आम जनमानस से उन्होंने अपील की कि अपने आस पास साफ सफाई बनाकर रखें, पानी को जमा न होने न दें।

डेंगू को लेकर स्वास्थ्य सचिव ने अस्पतालों में दिये अतिरिक्त बैड बढाने के दिये निर्देश, सफाई व्यवस्थाओं को दुरूस्त रखें अस्पताल

हरिद्वार। डेंगू को लेकर स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार का अभियान लगातार जारी है। आज स्वास्थ्य सचिव का काफिला हरिद्वार जनपद पहुंचा। जहां स्वास्थ्य सचिव ने जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल और उपजिला मेला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने जनपद में डेंगू रोकथाम अभियान का जायजा लिया। निरीक्षण में खामियों पर स्वास्थ्य सचिव ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए व्यवस्थायें जल्द दुरूरत करने के निर्देश दिये। अस्पतालों में सफाई व्यवस्थाओं पर भी सचिव स्वास्थ्य ने कडी नाराजगी जाहिर की।

वहीं सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. आर राजेश कुमार ने अस्पतालों में डेंगू मरीजों और उनके परिजनों से बातचीत की और व्यवस्थाएं परखीं। डॉ आर राजेश कुमार ने सभी चिकित्सालयों में डेंगू मरीजों के लिए अतिरिक्त बैड की व्यवस्था रखने, आइसोलेशन वार्ड बनाने तथा त्वरित उपचार उपलब्ध कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए। इसके बाद स्वास्थ्य सचिव ने जिला महिला चिकित्सालय के एम0सी0एच0 विंग का निरीक्षण किया और एक माह के अंदर कार्य पूर्ण करने के निर्देश कार्यदायी संस्था को दिये। ताकि जनता को इसका लाभ जल्द से जल्द मिलने लगे। इसके साथ ही उन्होंने उपजिला मेला चिकित्सालय के जिरियाट्रिक वार्ड का भी निरीक्षण किया।

स्वास्थ्य सचिव ने किया मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण
सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. आर राजेश कुमार ने हरिद्वार जनपद में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज का भी निरीक्षण भी किया। निरीक्षण के बाद स्वास्थ्य सचिव डॉ आर0 राजेश कुमार ने कहा यह कॉलेज भविष्य में हरिद्वार के लिये वरदान साबित होगा। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज के बनने के बाद जहां स्वास्थ्य सुविधाओं में ईजाफा होगा। वहीं मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए अवसर बढ जायेंगे। उन्होंने कहा मेडिकल कॉलेज के खुलने से आस-पास के स्थानीय लोगों के लिए कई तरह के रोजगार के अवसर भी बढेंगे।

आपको बता दें कि यह मेडिकल कॉलेज लगभग 67 एकड मंे फैला हुआ है। इस मेडिकल के निर्माण की लगात लगभग 538 करोड़ रूपये है। जिसमें से लगभग 309 करोड रूपये सरकार द्वारा इसके निर्माण के लिए जारी किये जा चुके हैं। 2024 के अंत तक यह मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हो जायेगा। निरीक्षण के दौरान सी0एम0ओ0 डॉ मनीष दत्त, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ रंजीत सिंह रैना, ए0सी0एम0ओ0 डॉ आर0के0 सिंह, डॉ गुरनाम सिंह, मलेरिया अधिकारी सी0एम0 कंसवाल, डॉ तरुण, डॉ पंकज सिंह, डॉ अजय कुमार, सहित जनपद के अन्य अधिकारी मौजूद थे।

स्वैच्छिक रक्तदान कर मरीजों को जिंदगी बचाने के लिए आगे आएंः स्वास्थ्य सचिव

देहरादून। राज्य में डेंगू और वायरल संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा होने के बाद से ब्लड बैंकों में खून की मांग पहले के मुकाबले लगातार बढ़ने लगी है। आम दिनों के मुकाबले ब्लड बैंक में आजकल ज्यादा ब्लड डोनरों की आवश्यकता पड़ रही है। इसी को देखते हुए स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार लगातार आम जनमानस से स्वैच्छिक रक्तदान की अपील कर रहे हैं। स्वास्थ्य सचिव का कहना है कि डेंगू और वायरल बुखार के दौरान जिन मरीजों के प्लेटलेट्स कम हो रहे है उन्हें सबसे ज्यादा ब्लड इश्यू किया जा रहा है। इसके कारण ब्लड की मांग लगातार बढ़ रही है। इसलिए हर स्वस्थ्य व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने नजदीकी सरकारी ब्लड बैंक में पहुंचकर रक्तदान करे और दूसरों को भी रक्तदान करने के लिए प्रेरित करे।

वहीं इस सबके बीच स्वास्थ्य सचिव ने एक जरूरतमंद मरीज के लिए रक्तदान कर एक नई मिशाल पेश की है। स्वास्थ्य सचिव द्वारा रक्तदान कर संदेश दिया कि रक्तदान कर अन्य लोग भी खून की कमी के चलते जिंदगी की जंग लड़ रहे मरीजों को जिंदगी बचाने के लिए आगे आएं। हम सबको मिलकर इस लड़ाई को लड़ना होगा। आम जनता से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि स्वैच्छिक रक्तदान को आगे आयें। स्वास्थ्य सचिव ने कहा रक्त प्रकृति का एक ऐसा अनुपम उपहार है जो वैैज्ञानिक तकनीकों के जरिये प्रयोगशालाओं में नहीं तैयार किया जा सकता है। ऐसे में रक्तदान करने से ही गंभीर मरीजों के लिए रक्त की कमी को दूर किया जा सकता है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा डेंगू से गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों को प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत पड़ रही है। बीमारी के दौरान खून में प्लेटलेट की संख्या 20 हजार से कम होने लगे तो खतरा बढ़ जाता है और आम तौर पर डाक्टर अस्पताल में भर्ती होने का सुझाव देते हैं। ज्यादातर अस्पतालों में ब्लड प्लेटलेट की मांग बहुत बढ़ गई है और उसकी उपलब्धता बहुत कम है। इसकी आपूर्ति के लिए जरूरी है कि हम स्वैच्छिक रक्तदान करें जिससे कि गंभीर रूप से बीमार लोगों की जान बचाई जा सके।

खाद्य सुरक्षा आयुक्त डॉ आर राजेश कुमार ने फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स के दूसरा स्थान प्राप्त करने पर दी बधाई

उत्तराखंड में खाद्य सुरक्षा विभाग ने अपने गठन के बाद से खाद्य सुरक्षा व स्वच्छता को लेकर सराहनीय कार्य किये हैं। यही वजह है कि आज आम जनमानस के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग की विश्वसनीयता लगातार बढ़ रही है। इसी कड़ी में फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स पहल ने प्रशिक्षण, परीक्षण और जागरूकता अभियान सहित रिकॉर्ड संख्या में गतिविधियों के संचालन में दूसरा स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने की दिशा में पहल की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।

खाद्य सुरक्षा आयुक्त डॉ आर राजेश कुमार ने इस उपलब्धि के लिए फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स पहल को शुभकामनायें देते हुए कहा कि यह कहते हुए खुशी हो रही है कि फ़ूड सेफ्टी ऑन व्हील्स कार्यक्रम खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने में एक प्रेरक शक्ति रहा है। खाद्य उद्योग प्रथाओं और गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने को लेकर जागरूकता पैदा करने का काम कर रहा है। जिसका लाभ आम जनता को मिल रहा है। पहल की यह उपलब्धि सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के प्रति समर्पण को लेकर उनके अथक प्रयासों को दर्शाती हैं।

खाद्य सुरक्षा आयुक्त डॉ आर राजेश कुमार ने कहा कि उत्तराखंड में चारधाम यात्रा, कांवड़ यात्रा एवं विभिन्न पर्यटन स्थलों पर फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स का कार्य सराहनीय रहा है। इसके साथ ही मुख्यालय स्तर पर गठित प्रवर्तन टीम द्वारा मिलावटखोरी रोकने को समय-समय पर सराहनीय कार्य किया गया है।

गौरतलब है कि है कि उत्तराखंड ने दो अतिरिक्त फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स इकाइयों की शुरुआत करके खाद्य सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है। यह विस्तार पूरे क्षेत्र में और भी अधिक कवरेज और आउटरीच सक्षम करेगा। जिससे यह सुनिश्चित होगा कि व्यापक आबादी पहल की सेवाओं से लाभान्वित हो सके। चारधाम यात्रा के दौरान फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स इकाइयों की तैनाती और श्रावण मेला कार्यक्रम के लचीलेपन और अनुकूलनशीलता को प्रदर्शित करता है। बड़े पैमाने पर खानपान करके सामूहिक समारोहों में पहल यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है कि खाद्य सुरक्षा चुनौतीपूर्ण और गतिशील वातावरण में भी प्राथमिकता शीर्ष पर बनी रहे।

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