गढ़वाल महासभा ने खैरी का दिन फिल्म के निर्देशक व कलाकारों को किया सम्मानित

अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा ने सफलता के परचम लहरा रही उत्तराखंडी फीचर फिल्म खैरी का दिन के कलाकारों को सम्मानित किया।

फिल्म के निर्देशक व तमाम कलाकारों की सराहना करते हुए महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी ने उनको पुष्प गुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। कहा कि लंबे अर्से के बाद कोई गढ़वाली फिल्म दर्शकों की कसौटी पर खरा उतर पाई है। इसका पूरा श्रेय फिल्म का लाजवाब निर्देशन करने वाले अशोक चौहान व सभी कलाकारों के उम्दा अभिनय को जाता है।

डॉ राजे नेगी ने बताया कि आज से तीन दशक पूर्व गढ़वाली फीचर फिल्म घरजवें और चक्रचाल के बाद खेरी का दिन एक मात्र फ़िल्म है जो जबरदस्त रूप से सूपरहिट साबित हुई है। इस दौरान फिल्म के प्रचार प्रसार में सहयोग के लिए फिल्म के निर्देशक अशोक चौहान ने बताया कि दर्शकों की जबरदस्त डिमांड के बाद एक सप्ताह तक आगे भी फिल्म का प्रदर्शन रामा पैलेस थियेटर में जारी रहेगा। कल से लगने वाले शो में यह फ़िल्म ऋषिकेश नगर के सरकारी एवं पब्लिक स्कूल के बच्चो को दिखाई जाएगी ताकि बच्चे भी अपनी बोली, भाषा, संस्कृति से रूबरू हो सकें।

इस अवसर पर फिल्म अभिनेत्री गीता उनियाल, पूजा काला, शुभांगी देवली, रीता भंडारी, अभिनेता राजेश मालगुडी एवं रणवीर चौहान, लोक गायक धूम सिंह रावत, उत्तम सिंह असवाल आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

अग्निपथ योजना की अवधि बढ़ाने की मांग

अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी ने केंद्र सरकार से चार साल की ‘अग्निपथ’ योजना की बजाए सेना में पूर्व की भांति स्थायी भर्ती पर विचार करने या फिर इस योजना की अवधि को कम से कम 14 साल करने की मांग की है।
डॉ नेगी ने कहा कि अग्निपथ योजना से युवाओं को अपने भविष्य को लेकर किसी तरह की आश्वस्ति नहीं मिल रही है। चार साल बाद 25 प्रतिशत युवाओं को सेना में स्थायी नियुक्ति के बाद शेष 75 प्रतिशत युवाओं के मन में फिर से बेरोजगार होने की चिंता साफ दिख रही है। ऐसे में यह योजना बेरोजगारी मिटाने की बजाए और अधिक बढ़ाने वाली प्रतीत दे रही है। उन्होंने कहा कि देश में बढ़ती बेरोजगारी के बीच युवाओं को स्थायी रोजगार चाहिए। ऐसे वक्त में चार साल की भर्ती स्कीम उसके साथ एक मजाक ही लग रही है। जो कि दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा।
नेगी ने केंद्र सरकार से इस योजना की सेवा अवधि में वृद्धि अथवा सेना में पूर्व की भांति स्थाई भर्ती खोलने की मांग की है। उन्होंने सेना में रद्द की गई लिखित परीक्षा की बहाली की जरूरत पर भी जोर दिया है। ताकि युवा सेना में महज नौकरी करने नहीं बल्कि देश के लिए निष्ठा के साथ अपनी सेवाएं दे सकें।